In an interview to News 18 India, Prime Minister Narendra Modi spoke in depth about the Lok Sabha Elections 2024. He said that people have made up their mind to enable the BJP emerge victorious. He added that the I.N.D.I alliance with a defeatist mentality is only resorting to appeasement politics.
2047 के विकसित भारत की नींव रखने वाला चुनाव, आप कह सकते हैं कि भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था की गारंटी वाला चुनाव, तीसरी सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति बनाने वाला चुनाव, आप कह सकते हैं कि 140 करोड़ भारतीयों के सपनों और संकल्पों को साकार करने वाला चुनाव और शायद जो प्रधानमंत्री ने खुद कहा कि ये चुनाव एक सांसद या सरकार चुनने के लिए नहीं है, ये आने वाले भारत के 1000 साल की नींव रखने वाला चुनाव है तो इस सबसे बड़े चुनाव पर देश का सबसे बड़ा नेटवर्क, नेटवर्क 18 मैं आपके साथ अमन चोपड़ा और देश के सबसे बड़े चुनाव पर बात करने के लिए इस खास शो में हम अभिनंदन और स्वागत करना चाहेंगे देश के प्रधानमंत्री, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का
पीएम मोदी: नमस्कार भैया आपके दर्शकों को मिलने का अवसर मिला मुझे आज।
अमन चोपड़ा: बहुत-बहुत धन्यवाद सर, मेरे साथ मेरे सहयोगी अमिताभ सिन्हा, अमन शर्मा और पायल मेहता मेरे साथ रहेंगी बहुत-बहुत धन्यवाद सर आपने समय निकाला सवाल बहुत हैं लेकिन पहला सवाल दरअसल ये है कि 2014 में 300 की बात की गई थी 300 पार या 300 की 300 आई, 2019 में 350 की बात की गई 350 अब 400 पार की बात की गई है दावा है 400 तो सर रफ्तार यही रहेगी तो फिर 2029 में 450 पार की बात होगी मतलब ये सवाल मैं गंभीरता से इसलिए पूछ रहा हूं क्योंकि हम लोग जो फील्ड में हैं, चर्चा ये है कि मोदी 400 पार हो रहा है नहीं हो रहा हार जीत की शायद संभवत बात कम हो रही है अब सवाल एक ही है कि 400 पार हो रहे हैं मोदी या नहीं हो रहे आपका एनालिसिस सर?
पीएम मोदी: एक तो आपके सवाल को मैं गंभीर ही मानता हूं मैं कोई लाइट नहीं मानता हूं और इसलिए मेरा जवाब भी बड़ा गंभीर ही रहेगा, आपने जो भूमिका बनाई इतिहास में कुछ ऐसी घटनाएं होती हैं जो हजार साल के भविष्य को तय कर देती है और दुनिया के इतिहास में ऐसा हुआ है, मेरे देश में मैं देख सकता हूं कि ये समय ऐसा है इस समय होने वाली सभी सकारात्मक चीजें और सभी सकारात्मक शक्तियों को एक आने से 1000 साल के भविष्य की दिशा तय हो जाएगी और वो भी सकारात्मक होगी। ये मैं बड़े विश्वास के साथ कह रहा हूं और इस अर्थ में ये चुनाव कई प्रकार से महत्त्वपूर्ण है। अब ज्यादातर देश का निर्णय आजादी के बाद पैदा हुए लोग वो ही कर रहे हैं इसलिए नए सिरे से सोचते हैं। 21वीं सदी का जो जीवन है अथवा 21वीं सदी में जिसने जन्म लिया है वो अब निर्णायक एज ग्रुप पर पहुंच गया है तो एक बहुत बड़ा फैक्टर मैं इसको देख रहा हूं और उसने बुराइयां देखी नहीं हैं लेकिन उसके भीतर एक तड़प है कि दुनिया बदल रही है हम क्यों नहीं बदलते? क्योंकि वो दुनिया को जानता है इस देश में आज सबसे बड़ी पॉजिटिव मैं चीज देख रहा हूं वो ये है कि सामान्य मानवी इसका दूसरा शब्द ही एस्पिरेशन है, हर इंडियन मतलब एस्पिरेशन ये किसी भी देश की गति का बहुत बड़ा फोर्स होता है, चालक बल होता है जो मैं देख रहा हूं और वो सारे निर्णय अपने एस्पिरेशंस को ध्यान में रखकर करता है ये चुनाव वो ये सोचता है कि मेरे एस्पिरेशन के अनुकूल मुझे क्या मिले, क्या नहीं मिले, मेरा देश ऐसा होगा तो मैं इसे निकालूंगा, इस बात पर केंद्रित हुआ है। दूसरा इस देश की महिला वर्ग है, उन्हें लगा है कि हम एक समाज का एक हिस्सा इतना ही नहीं हैं, हम समाज में बहुत कंट्रीब्यूट कर सकते हैं, हम किसी से कम नहीं है, हम कुछ कर सकते हैं। उनके भीतर भी कुछ करना जो करते हैं उससे अतिरिक्त करना जो परंपरागत है उससे बाहर जाकर करना ये जज्बा पैदा हुआ है। तो मेरे 30- 35 से कम आयु वालों का एस्पिरेशन और देश की 50 परसेंट मातृ शक्ति का जज्बा एक ऐसा कॉम्बिनेशन है जो हजार साल की नींव रखने के लिए प्रतिबद्ध है और इसलिए मैं कहता हूं ये चुनाव देश की जनता लड़ रही है, पूरे चुनाव की ओनरशिप देश की जनता की है कोई नेता क्या बोलता है, क्यों बोलता है इसका कोई महत्व मैं नहीं देख रहा हूं जी क्योंकि जनता मन बना चुकी है। अब छोटे-छोटे बच्चों के मैं इंटरव्यू टीवी पर सोशल मीडिया पर देखता हूं वो कहते हैं ये होने वाला है.. ये होने वाला है इसका मतलब कि ये सबकुछ ड्रिवन बाय सोसाइटी है, समाज के द्वारा और इसलिए मुझे विश्वास है इस बार मजबूत सरकार, स्थिर सरकार, 400 पार वाली सरकार, निर्णायक सरकार, भविष्य की तरफ जाने वाली सरकार ये मैं देख रहा हूं।
अमिताभ सिन्हा: मोदी जी मैं जब आप बात करते हैं 400 पार का और कि बीजेपी 370 के पार जाएगी, एनडीए 400 के पार जाएगा इसमें थोड़ा मैं अगर स्पेसिफिक्स में आपको लेकर जाऊं कई स्टेट्स ऐसे हैं यूपी हो, बिहार हो, राजस्थान हो, छत्तीसगढ़ हो, मध्य प्रदेश हो इसमें बीजेपी एक तरह से सैचुरेट पिछले इलेक्शन में कर गई तकरीबन- तकरीबन पूरा स्वीप हुआ तो ये जो गेन्स हैं जो 303 से 370 की जो जर्नी आप कह रहे हैं कि होगी ये गेन्स आप किन स्टेट्स से देख रहे हैं क्या ये दक्षिण भारत से आएगा? क्या ये बंगाल से आएगा? उड़ीसा से आएगा? आंध्र, तेलंगाना से आएगा? आपका थोड़ा माइक्रो असेसमेंट हमें मिल पाए कि कैसे बढ़ेगा?
पीएम मोदी: देखिए, मैं गुजरात से आता हूं तो गुजरात में हम कई समय से टू थर्ड, टू थर्ड मेजोरिटी में रहे तो सोचने वालों का भी एक स्टैंडेंसी जैसा हो गया उससे अधिक सोच ही नहीं पाते थे अब मेरे से जब बात कर करते थे क्या मोदी जी अब टू थर्ड मेजोरिटी, तीन- तीन दशक हो गए मैंने कहा क्या बात करते हो जी मुझे बहुत और जब 156 हम जीत के आए उनके लिए अचरज था अब ये 156 कहां से निकलेगी तो कागज लेकर बैठोगे तो नहीं दिमाग में बैठेगा अगर आपको लगता है कि इतना सारा सैचुरेशन होगा क्या होगा मैं देखूंगा कि राजस्थान में मेरे अगर 25000 बूथ है पिछली बार में अगर 5000 बूथ में पीछे था तो इस बार मैं 5000 में हूं या 3000 में हूं या 2000 में मेरा हिसाब- किताब अलग है जी तो इसलिए मेरे लिए कोई चीज अंतिम नहीं है, मैं लगातार उसमें भी नया फिर मैं देखता हूं मान लीजिए मुझे एक बूथ में विजय मिला तो मैं पूछता हूं अच्छा वोटिंग क्यों ज्यादा नहीं हुआ, वोटिंग ज्यादा हुआ तो वोट क्यों ज्यादा नहीं मिला मैं इतनी बारीकी से प्लान करता हूं और मैं मानता हूं कि चुनाव है ये बड़ा विज्ञान है ये सिर्फ आंकड़ों का खेल नहीं है जी और कैंपेन है वो एक केमिस्ट्री है आपकी केमिस्ट्री कैसी बनती है उसपर है और इसलिए मेरे लिए अगर नंबर में आपको लगता है कि इस राज्य में तो कुछ नहीं लेकिन के सिवाय भी मुझे वहां बहुत कुछ लाना है वो एक पार्ट, जहां तक राज्यों का सवाल है इस देश में कई राज्य ऐसे हैं कि जहां अभी भी हमारे पास स्कोप है, अब जैसे अंडमान- निकोबार पिछली बार हम नहीं थे इस बार हम आएंगे यानी ऐसी एक- एक गिनते जाओगे तो आपको अच्छा हां यार मोदी ने बराबर हिसाब लगा कर रखा है तो मेरा पक्का मत है कि हम बहुत सी जगह पर हम काफी कुछ करेंगे इस बार..
अमिताभ सिन्हा: क्योंकि दक्षिण भारत आपका एक बड़ा फोकस भी रहा है इस इलेक्शन में..
पीएम मोदी: ऐसा है कि मेरा फोकस पूरा हिंदुस्तान है, मैं टुकड़ों में नहीं सोचता हूं और चुनाव के लिए मैं काम नहीं करता हूं हम जीत करके इसलिए नहीं आए हैं कि अगली सरकार कैसे बनेगी, हम जीत कर के इसलिए आए हैं कि आने वाले पांच साल में देश कैसा बनेगा और इसलिए मेरी पूरी तपस्या या मेरा फोकस देश बने इसके लिए है और जब देश बनाना है तो हिंदुस्तान का हर हिस्सा उसमें उतना ही जैसे जी- 20 मैंने किया तो मैंने ये नहीं कहा कि बीजेपी के राज्य में जी- 20 होगा हिंदुस्तान के हर कोई अंडमान- निकोबार में भी जी होगा, लक्षद्वीप में भी जी-20 होगा मैं पूरे देश को लेकर के चलता हूं।
अमन शर्मा: सर, इसी से जुड़ा हुआ एक सवाल है कि आप जब भी आप सत्ता में रहे हो चाहे सीएम रहे हो आप पीएम रहे हो कभी उड़ती है बात कि ना खाऊंगा ना खाने दूंगा एक नारा उठता है, ना सोऊंगा ना सोने दूंगा अब बात हो रही है ऐपेटाइज़र 10 साल था अब मेन कोर्स आना बाकी है तो अब ये मेन कोर्स क्या है आने वाले थर्ड टर्म के लिए इसको देश लोग देश की जनता भी जाना चाहती है हम लोग भी?
पीएम मोदी: उसके बहुत सारे पहलू है देश को आगे ले जाने का बहुत सारे पहलू है अगर मैं कहूं कि भविष्य में देश कैसे आगे बढ़ेगा अब ये पूरी तरह हम टेक्नोलॉजी ड्रिवन एरा में हैं, अब टेक्नोलॉजी डिसरप्टिव है, ट्रांसफॉर्मेटिव है और इजीली एक्सेस है यानी हर व्यक्ति बहुत अडॉप्ट कर लेता है तुरंत, ऐसी स्थिति में अगर आप बड़ी सहजता से चलें तो मैं समझता हूं कि बहुत बड़ा स्कोप है जहां तक मैं खाता नहीं, खाने देता नहीं उसको आज की जो मेरी वो देशी भाषा है आप लोग जो इस दुनिया से हैं वहां कहते हैं करप्शन के प्रति जीरो टॉलरेंस तो वो मेरा रहेगा ही लेकिन एक चीज अब मैं और उसमें कोशिश कर रहा हूं कि हमारे इस प्रकार से काम करने वाली इंस्टिट्यूशन है उसकी समाज में प्रतिष्ठा बढ़नी चाहिए दुर्भाग्य से हम हमारे देश में जो मुझे अनुकूल नहीं वो सब निकम्मा ये जो सोच है ये टोटली अनडेमोक्रेटिक सोच है और उसी में से कुछ पत्रकारों को ब्लैकलिस्ट कर दिया जाए वो उसी सोच का परिणाम है कि रिजेक्टेड क्यों क्योंकि तुम मेरे अनुकूल नहीं हो वो अनडेमोक्रेटिक है, लोकतंत्र की हत्या है वो और इसलिए हमारी इंस्टीट्यूशंस के साथ भी वही हो रहा है जैसे पत्रकार के साथ हो रहा है तो मेरे अनुकूल नहीं तो निकम्मे तो इंस्टीट्यूशंस तुम मेरे घर पर रेड मत करो मैं तो चोरी करता रहूंगा तो इंस्टीट्यूशंस निकम्मे ये जो लॉजिक चला है मैं उसका उपाय क्या, उसका उपाय यही है कि हमने ऐसी शख्सियत और ऐसे शक्तियां उसकी प्रतिष्ठा बढ़ा लेनी चाहिए। इनकी सामाजिक प्रतिष्ठा इतनी बढ़ाओ कि फिर कोई उसको हाथ नहीं लगा पाएगा और मैं पक्का मानता हूं कि आने वाले दिनों में जब देश समझेगा कि भाई ये 2200 करोड़ रुपयों के ढेर टीवी के सामने दिख रहे हैं पहाड़ नोटों के तो लोग देखे यार कोई तो सिस्टम होगा जिसने पकड़ा होगा तो पता चलता है वो इंस्टिट्यूशन है वो संस्था है वो संस्था है उसके जैसे सेना के प्रति आज एक सम्मान का भाव है वैसा ही सम्मान का भाव जो देश के लिए काम करने वाले इंस्टीट्यूशंस हैं उनपर होना चाहिए तो वो भी मेरा एक मिशन है जब प्रतिष्ठा बढ़ती है तो उनकी अपनी बुराइयां होती है वो भी कम होती है उनके भीतर कभी-कभी बुराइयां जो आती हैं आप मान- सम्मान तो उसको लगता है जीवन में बहुत मिल गया है जी वो बुराइयों से बचता है तो वो भी मनोवैज्ञानिक रूप से एक तरीका होता है। तीसरी बात है कि लोगों को तो ये लगेगा ठीक है सरकार ने पैसे ले लिए हमारा क्या है तो मेरी कोशिश ये है कि ना खाऊंगा ना खाने दूंगा वो आगे है जिसने खाया है वो निकालूंगा और जिसका खाया उसको खिलाऊंगा और इसलिए जैसे केरल, केरल में जो कोऑपरेटिव बैंक का नेटवर्क है वो लेफ्टिस्टो का है जो वहां पार्टी है उसका है इन्होंने क्या किया एक लेफ्टिस्टो के लिए बार छवी ऐसी है कि दूध के धुले हुए हैं उन्होंने कोऑपरेटिव बैंक में बहुत बड़ा स्कैम किया हुआ है, गरीबों के पैसे हैं, मिडिल क्लास के पैसे हैं, सैलरी वाले सोसाइटी उसके पैसे हैं और बच्चों की भलाई के लिए बेचारों ने पैसे बैंक में रखे हैं ये बैंक डूब गई क्यों डूबी तो ये उसके संचालक जो कम्युनिस्ट लीडर हैं उन्होंने खजाने का अपने पर्सनल व्यापार के लिए उपयोग किया और उसमें घाटा आया तो ये बैंक डूब गई या उसमें से चोरी की तो बैंक डूब गई साइफन कर गए पैसे अब हमने उनकी प्रॉपर्टी को सीज किया है अब मेरा इरादा ये है कि मैं इनकी पर्सनल प्रॉपर्टी को ऑक्शन करूंगा जो पैसा आएगा जो बैंक में जिसने पैसा जमा किया है उसका तो नाम है उसको मैं वापस करूंगा अब जैसे लालू जी ने इट्स प्रूवन केस है कि जमीन के बदले में नौकरी दी रिकॉर्ड पर है उसमें कोई बड़ा प्रॉब्लम नहीं है अब पता है कि इसकी जमीन ये नौकरी मिली और उसके बदले में जमीन लिखवा ली तो मैं चाहूंगा कि जिसकी जमीन है उसको जमीन वापस मिले, बंगाल के अंदर करीब 3000 करोड़ रुपयों की संपत्ति हमने जब्त की हुई है अब ये जो वहां रेट कार्ड है हर नौकरी के लिए कि टीचर बनना है तो ये पीओन बनना है तो आंगनवाड़ी वर्कर मतलब रेट कार्ड है और नीचे से ऊपर तक ये पैसे ऐसे बांटे जाएंगे ये व्यवस्था है अब ये पैसे पकड़े गए हैं, नोटों के ढेर पकड़े हैं, मैं खोज रहा हूं कि जिसका ट्रेल मिले कि हां भाई उसने यहां से पैसा ब्याज से लिया था, ये तारीख को लिया था, इस तारीख को इसको दिया था या बैंक से निकाला था और इधर दिया था तो मैं ऐसे जो ईमानदारी से मुझे हाथ लगेगा हां ये पैसा रियली उसका मालिक यही है मैं ये पैसे उसको वापस लौटाऊंगा इसलिए अब मेरा ‘ना खाता हूं ना खाने देता हूं’ अब आगे में है कि ‘जिसने खाया है उसको निकालूंगा और जिसका गया है उसको खिलाऊंगा’।
पायल मेहता: मोदी जी क्योंकि मैं लंबा समय बंगाल में रही हूं तो मेरा सवाल बंगाल से जुड़ा हुआ है आप बंगाल में क्या बीजेपी के लिए प्रोस्पेक्ट दिखते हैं और दूसरी बात ये है कि मां- माटी- मानुष की बात करती थीं ममता बनर्जी आपके लिए भी मिक्स्ड इमोशंस रहते कभी आपको बहुत स्नेह से वो आम भी भेजती है टॉक मिस्टी कहते हैं एक हमारे बंगाल में मतलब खट्टा- मीठा टाइप का रिश्ता है आपको लगता है कि वो कंट्रोल नहीं कर पाईं जिस तरह की एट्रोसिटी (17.25) देखते हैं महिलाओं के खिलाफ हमने असेंबली इलेक्शन में जिस तरह का वायलेंस देखा आपको लगता है शी इज लॉस्ट कंट्रोल कंपलीटली ऑफ द स्टेट?
पीएम मोदी: ऐसा है कि उनको ये राजनीति सूट करती है इसलिए वो सरकारी मशीन का उपयोग ही इस मकसद के लिए करती है, एक प्रकार से उनका शासन पर इतना कंट्रोल है लेकिन गलत दिशा में है वे शासन पर कंट्रोल नहीं है और शासन में बैठे हुए कोई लोग करते ऐसा नहीं है वो खुद ही करवाती हैं खुद ऐसे करने वालों को प्रोटेक्शन देती है उनका खुद का कन्विक्शन है कि ये जो कुछ भी हो रहा है ये ही रास्ता है सत्ता में रहने के लिए और मैं मानता हूं मुख्यमंत्री जी मुझे आम भेज दें या मिस्टी दही भेज दें वो तो शायद एक प्रोटोकॉल के हिसाब से वो करते रहते हैं मैं उनका धन्यवाद भी करूंगा लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि जो गलत हो रहा है उसके विषय में हम आंख बंद रख सकते हैं ये तो नहीं हो सकता है।
पायल मेहता: आप बंगाल में क्या प्रोस्पेक्ट देखते हैं भाजपा के लिए खास करके इस इलेक्शन में..
पीएम मोदी: भारतीय जनता पार्टी एक बहुत ही सफलता इतनी तेजी से बीजेपी का ग्रोथ किसी राज्य में नहीं हुआ जितना बंगाल में हुआ है। तीन से हम 80 क्रॉस कर गए तीन एमएलए थे लेकिन मेरे देश का दुर्भाग्य देखिए वो खान मार्केट गैंग देखिए कि जिसने सत्ता नहीं बनी इसलिए पराजय अरे तीन से 80 क्रॉस कर गए भाई बड़ा विजय था हमारा लेकिन खान मार्केट गैंग ने देख लिया कि भाजपा के तो सपने खत्म हो गए आज हमारे एमपी बंगाल में और बड़े शान से काम कर रहे हैं जी और इसलिए भारतीय जनता पार्टी के लिए बहुत तेजी से विकास है, अद्भुत स्वीकृति है, समाज के सभी वर्गों में है और अब बंगाल के लोग दूसरा विभाजन नहीं देखना चाहते, अब बंगाल को टूटता हुआ देखने की तैयारी बंगाल के लोगों की नहीं है।
अमन चोपड़ा: सर, बंगाल के बाद एक बार मैं दिल्ली को लेकर सवाल पूछना चाहता हूं दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 40 दिन तिहाड़ में गुजारे बाहर चुनाव प्रचार वो कर रहे हैं वो ये कह रहे हैं कि मतलब वो इकोसिस्टम या वो खुद इसको अपनी जीत बता रहे हैं जैसे घोटाला हुआ नहीं वो कह रहे हैं कि मुझे चुनाव जिताओगे तो मैं जेल नहीं जाऊंगा और रिजाइन बिल्कुल नहीं करूंगा ये सब प्लॉट था मेरे अगेंस्ट वो कह रहे हैं कि ये बेल है मेरी जीत है इसको आप किस तरह से देखते हैं सर?
पीएम मोदी: ऐसा है कि मैं व्यक्तिगत उनका जो मामला चल रहा है उस पर कोई भी टिप्पणी करूं उचित नहीं है क्योंकि मामला कोर्ट में है मेरी चिंता कोई व्यक्ति नहीं है मैं तो अदालत ने क्या कहा उसके ऊपर अगर ध्यान केंद्रित करूं तो शराब घोटाले में हाईकोर्ट की टिप्पणी क्या है? हाईकोर्ट ने क्या कहा है? मैं उसको तो मानूंगा कि एजेंसी ने क्या किया है छोड़ो, किसी बीजेपी स्पोक्सपर्सन ने क्या कहा है वो छोड़ो, वो स्वयं क्या कहते हैं वो छोड़ो, कम से कम हाईकोर्ट ने शराब घोटाले के बारे में जो कहा बहुती ही कड़ी टिप्पणी की है अब चिंता का विषय ये है देश में और जो गंभीर है कि सार्वजनिक जीवन में कोई जिम्मेवारी नहीं रहेगी अपनी खुद की बातों पर भी कोई कमिटमेंट नहीं रहेगा सार्वजनिक जीवन में एक जमाना था स्कूल में कोई बच्चा अगर कॉपी करता है और पकड़ा जाए तो महीने भर स्कूल नहीं आता था, उसके मां-बाप भी शर्माते थे यार मेरा बेटा एग्जाम में कॉपी करने में पकड़ा गया था ये स्थिति थी यानी इन चीजों को बुरा माना जाता था हमारे समाज में, आज बेशर्मी के साथ सजा जिनको हो चुकी है, जिन पर गंभीर आरोप लगे हैं उनको कंधे पर लेकर के आप सार्वजनिक रूप से नाच रहे हो ये जो पतन हुआ है वो चिंता का विषय मुझे कोई पर्सन से लेना- देना नहीं है अगर ये हुआ तो भ्रष्टाचार की.. होता क्या है कि पहले जमाने में डाकू होते थे महिमामंडन होता था उनका वो डकैती करते थे महिमामंडन होता था समाज में, अखबारों में भी पहले के जमाने में दो-दो पेज स्टोरी कवर स्टोरी मिलती थी उनको कि ऐसा.. ऐसा उसका तो जीवन ऐसा वो तो ऐसा कर सकता है और वो बड़े बन जाते थे दुर्भाग्य से राजनेताओं को ये बेनिफिट मिलने लगा है कि इतना भ्रष्ट लोगों का मैं तो हैरान हूं कि कोई अखबार वाला किसी भ्रष्ट व्यक्ति का इंटरव्यू लेने जाए एक चार्ल्स शोभराज मैंने अपवाद देखा था कि लोग इसका इंटरव्यू करने जाते थे और आज मैं देख रहा हूं वरना कोई इनके विषय में एक बार क्लियर हो जाए तब तक रहने दो ये पतन है समाज जीवन का मेरी चिंता वो है।
अमिताभ सिन्हा: मोदी जी कोई भी लीडर है जो प्रधानमंत्री दो बार रह लें थोड़ी बहुत एंटी इनकंबेंसी आ जाती है इस देश में तीन बार सिर्फ नेहरू जी चुनाव जीत पाए पर आपके खिलाफ ग्राउंड पर जब हम जाए तो लोग भी कहते हैं बीजेपी के लोग भी कहते हैं कि प्रो- इनकंबेंसी है तो 272 जब पार हुआ 2014 में तो लोगों ने कहा मोदी जी की आंधी है देश में, अगर अब 370 पार हो रहा है तो ये क्या है आपको लगता है आपकी लोकप्रियता भी चरम पर है और ये प्यार क्यों है लोगों का?
पीएम मोदी: मैं कोई लोकप्रियता के लिए काम नहीं करता हूं और ना ही मेरे पास मेरी लोकप्रियता नापने का कोई मानदंड है मेरे पास नहीं है लेकिन मैं काम क्या करता हूं उसका एनालिसिस होना चाहिए मेरे काम में औरों के काम में फर्क क्या है, आमतौर पर जो सरकारें चलती थी वो विज्ञान भवन में फंक्शन करो, फीता काटो, दिया जलाओ, अखबार में एडवरटाइजमेंट दो, मीडिया को लीक करो, स्टोरी बनवाओ और उनको लगता है देश चलता है और ज्यादातर सरकारें उसी मिजाज में रहीं कांग्रेस का पतन बहुत कम समय में हुआ था जी देश आजाद होने के बाद चौथा चुनाव आते- आते कांग्रेस ध्वस्त हो चुकी थी, संयुक्त विधायक दल बना लेकिन कांग्रेस ने इस देश में किसी पार्टी को खड़े ही नहीं होने दिया उन्होंने खुद ने देश के लिए करने के बजाय विरोधी दलों को खत्म करने में अपनी शक्ति लगाई इसलिए अल्टरनेट खड़ा नहीं हुआ अदर वाइज 67 के चुनाव में ही देश उनको रिजेक्ट कर चुका था। हिंदुस्तान में आप देखिए सरकारों के अलग-अलग मॉडल अब देश के सामने आ चुके हैं और मैं तो मानता हूं ये केस स्टडी का विषय है कोई यूनिवर्सिटी करे, कोई मीडिया करे, कोई मीडिया पर्सन किताब लिख सकता है देश ने एक कांग्रेस का मॉडल देखा है, देश ने लेफ्ट का मॉडल देखा है, देश ने पारिवारिक पार्टियों का भी मॉडल देखा है जो ऑफ द फैमिली, बाय द फैमिली, फोर द फैमिली पॉलिटिकल पार्टियां चलती हैं उनका मॉडल भी देखा है देश ने मिलीजुली सरकारों का मॉडल भी देखा है और बीजेपी सरकार का भी मॉडल देखा है उसका एनालिसिस करना चाहिए, किसका क्या परफॉर्मेंस रहा? किसकी क्या प्रायोरिटी रही? किसने- किसके लिए काम किया? एक 100-200 पैरामीटर तो आप देखेंगे द बेस्ट परफॉर्मेंस वाला मॉडल बीजेपी का मिलेगा और जब परफॉर्म करते हैं आप तो सामान्य मानवी का विश्वास बढ़ता है एंटी- इनकंबेंसी किस बात की होती है कि भाई ये कैसी सरकार है कि मेरा ये नहीं हुआ हर एक का होता नहीं है प्रो- इनकंबेंसी में हर एक का हो गया ऐसा नहीं होता लेकिन आज पब्लिक मीटिंग में जाकर मैं कहता हूं आप लोग चुनाव में जो करते हो करते रहना मेरा एक काम करना और कहता हूं मैं कि कहीं आप जाए झुग्गी- झोपड़ी में कोई रहता है सब मिले या कोई कच्चे घर में रहता है उसका नाम- पता लिखकर के मुझे भेज देना क्योंकि हम जो मकान बना रहे हैं चार करोड़ दिए हैं लेकिन अभी भी कुछ लोग छूट गए हैं और मैं नहीं चाहता हूं कोई छूट जाए तो मैं 4 जून के बाद मेरी नई टर्म में मैं उनको मकान देना चाहता तीन करोड़ मकान बनाना चाहता हूं आप अगर कोई नजर में आ जाए तब उसका विश्वास पैदा होता है कि आदमी वोट भी मांग रहा है लेकिन साथ में काम भी कह रहा है यार मुझे तो मेरा तो ध्यान है तीन करोड़ घर बना के देना, विश्वास पैदा होता है आप डिलीवरी जब करते हो मेरी सरकार की सबसे बड़ी ताकत है जो हिंदुस्तान की सभी सरकारें कभी मुझे कम्पीट नहीं कर पाई, कोई पॉलिटिकल पार्टी गुजरात में भी कम्पीट नहीं कर पाई, वो है लास्ट मैन डिलीवरी, मैं योजनाएं जिसके लिए बनाता हूं और मेरा इसके लिए काम करने का मेरा तरीका है मैं एक उदाहरण देता हूं मैं जब गुजरात में था तो मैंने अलग-अलग स्तर के एक 20- 22 अफसरों को बुलाया कुछ सीनियर मोस्ट थे, कुछ एकदम जूनियर थे, कोई मिडिल लेवल, 20- 22 को बुलाया तो उनको पता नहीं था मैंने क्यों बुलाया बैठाया फिर मैंने सबको एक पैड दिया लिखने के लिए वो लेकर के ही आते हैं डायरी लेकिन मैंने उनको एक दिया मैंने कहा मुझे आप बताइए कि एक विडो है, गांव में रहती है, अनपढ़ है और सरकार की ये-ये स्कीम है उसकी वो हकदार है उसको ये प्राप्त करने के लिए स्टेप वन क्या करना है, स्टेप टू क्या करना है, थ्री क्या करना, फोर क्या करना, कैसे करना, कहां जाना मुझे आपकी मैंने डायरी दी इसमें लिख करके बताओ मैंने उनको कहा लिखो, सरप्राइज (28.36) सब के सब फेल हो गए फिर मैंने कहा मैं कोई वो नहीं बड़े प्यार से बात करता था मैंने कहा मुझे बताइए भाई आप आईएएस अफसर हैं, किसी की 20 साल की नौकरी हो गई, किसी की दो साल की हो गई आपको को पता नहीं है कि एक विडो को बेनिफिट लेने के किस- किस जगह से गुजरना पड़ता है, फॉर्म कहां से लेना होता है मैंने कहा बताइए हमने ऐसी व्यवस्था बनाई उससे उस विडो को क्या फायदा होगा तो उनको लग हां यार कुछ तो कमी है और फिर वो करेक्ट करते थे तो मेरे दिल में ये रहता है कि मैं योजना बना दू वाहवाही करूं एक एडिटोरियल छप जाए ठीक है मेरा गुजारा हो जाएगा लेकिन आम आदमी मेरी पूरी कार्यशैली ये लास्ट मैन डिलीवरी की है, परफॉर्मेंस की है और उसका परिणाम होता है जैसे स्वच्छता अभियान, स्वच्छता अभियान में तो सरकार ने क्या करना था लेकिन मैं झाड़ू लेकर के घूमता था छोटा- सा बच्चा भी अपने दादा को कहता है कि दादा मोदी जी ने ना कहा है इस चीज को छोटी मत मानिए जी आज के युग की ये बहुत बड़ी घटना है। इसी के लिए आप लोगों का शब्द है प्रो- इनकंबेंसी और इसके लिए तपस्या करनी पड़ती है, खपना पड़ता है और निस्वार्थ भाव से कोई कुछ भी कहे सो हमने अच्छा करना है तो करते रहना चाहिए वो देश देखता है जी, जनता- जनार्दन ईश्वर का रूप है उसको सब समझ होती है तो मुझे आज तक मेरे जीवन में यही बेनिफिट मिला है।
अमन शर्मा: सर इसमें थोड़ा सा मेरा रीजनल एस्पिरेशन जाग रहा है मैं बिहारी हूं और सर आपने जितना बिहार की जनता को आप पर भरोसा है बिहार में जब बाढ़ आई थी आपने नाव भेजे थे राहत भेजी बम फट रहे थे आप गांधी मैदान में वहां पर खड़े थे हम लोग वहां पर मौजूद थे सर आपके रोड शो में मैंने पिछले हफ्ते देखा पटना में ऐसी अद्भुत भीड़ मैंने तो मुझे लगता है जेपी मरे थे 77 में मैं छोटा था गांधी मैदान में उतना नहीं भरा था जितनी भीड़ उस दिन आ गई थी तो एक भरोसा है जनता को वहां पर लेकिन बिहार लगातार पिछड़ता जा रहा है हम जैसे बिहारियों की सबसे बड़ी ये चिंता है कि वापस जाने की सोच भी नहीं पाते अपने घर जाने का गांव जाने का क्या है आपके पिटारे में क्या आश्वासन है बिहार की जनता के लिए मोदी भरोसा क्या है वहां के लिए?
पीएम मोदी: मैं बताता हूं जी देखिए आप बिहार छोड़ दीजिए मेरा 2013 का भाषण है, 2013 में तब मैं प्रधानमंत्री कैंडिडेट भी नहीं था मैं मेरी पार्टी के इलेक्शन कैंपेन का चीफ था और दिल्ली में मेरा एक भाषण था उसमें मैंने कहा था कि हिंदुस्तान के उज्ज्वल भविष्य के लिए हमें भारत के पूर्वी भारत को डेवलप करना होगा और पहला टारगेट होना चाहिए कि उसको पश्चिम की बराबरी में लाना पश्चिम मतलब गोवा, गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, कर्नाटक पूरा देखिए हिंदुस्तान को दो हिस्से दिखेंगे आपको राइट साइड का जो हमारा पूर्वी भारत है वो समृद्ध भारत है सारी हमारी खनिज संप्रदाय है नेचुरल.. पानी तो वहां ह्यूमन रिसोर्स तो वहां कोयला तो वहां आयरन तो वहां सब कुछ वहां है वहां गरीबी है और यहां पर अब जैसे गुजरात उसके पास नमक के सिवा कुछ नहीं है वहां एक भी डायमंड नहीं है लेकिन दुनिया में 10 में से आठ डायमंड किसी ने किसी गुजराती का हाथ लगा हुआ है तो ये ऐसी स्थिति क्यों तो मेरा 13 का भाषण है कि हमने पूर्वी भारत को डेवलप करना चाहिए और आपने देखा होगा जो हमने बिहार में इंफ्रास्ट्रक्चर का काम किया है आपने देखा ब्रिज के काम लंबे अरसे से हटके हुए थे इंडस्ट्री के लिए, लॉ एंड ऑर्डर की सिचुएशन जो है उसकी चिंता करना यानी ऐसे हर विषय पर बल देना। हमने गैस पाइपलाइन का काम किया है ये गेम चेंजर बनेगा इंडस्ट्री को बहुत बड़ा सस्ता फ्यूल मिलेगा वो जाएंगे वहां के एग्रीकल्चर को भी हम मोड़ सकते हैं उस दिशा में हम बल देंगे आज देखिए जी बिहार का युवा सबसे ज्यादा टैलेंटेड मिलेगा आपको किसी भी फील्ड में जाइए आपको ऐसे हाथ लगाओ तो दो बिहारी बच्चे मिल जाएंगे और वो ऐसे ही घर से निकले हुए लोग नहीं है सामर्थ्यवान लोग हैं मेरे राज्य में अगर मैं गुजरात का देखूं तो आईएएस, आईपीएस कैडर में किसी एक राज्य के सबसे ज्यादा कहां से थे तो बिहार के थे इसका मतलब परमात्मा ने उनको बहुत सामर्थ्य दिया है और किसी जमाने में तो विश्व का नेतृत्व उस भूमि में से हुआ है जी तो उसमें तो कोई कमी नहीं है इसलिए मैं झारखंड हो पूर्वी यानी उत्तर प्रदेश हो, बिहार हो, असम हो, बंगाल हो इस पर हमारा पूरा बल है। इंफ्रास्ट्रक्चर को बल दो वहां जो नेचुरल रिसोर्सेस है उसका वैल्यू एडिशन करो, स्किल डेवलपमेंट करो ये सारे रास्ते और जो मैं ऑलरेडी कर रहा हूं इसके कारण बहुत ही फायदा होगा।
पायल मेहता: मेरा एक सवाल थोड़ा सा हट के है प्रधानमंत्री जी आप इतनी मेहनत करते हैं, इतना काम करते हैं, पर बहुत मेटिकुलस होता है आपका काम, हमने जो कई बार स्टोरी की है वहां पर लोग जानना चाहते हैं कि इस तरह कैसे काम करते हैं जैसे अभी कभी आपने कोई रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया तो उसका नाम ‘ऑपरेशन गंगा’ रखा या ‘देवी शक्ति’ रखा क्या सोचते हैं आप नाम एवरीथिंग नेम इज आल्सो बहुत पर्टिकुलर होता है आपके?
पीएम मोदी: इसमें मेरे दो अनुभव हैं जी, मैं जब गुजरात में था तो एनसीसी के एक चीफ आएं वो तो रिटायर्ड अफसर होते हैं वो मुझे मिलने आए तो सारा फॉर्मल जो उनका ऑफिशियल था बोले फिर साहब अगर आप समझ दें तो मुझे पर्सनल बात करनी है मेरी ड्यूटी के सिवाए, नहीं मैंने कहा जरूर आप आएं बात कीजिए बोले मेरी पत्नी का एक आपको मैसेज है मैंने कहा क्या बोले मेरी पत्नी पूछती है कि मोदी जी सारी योजनाओं के नाम संस्कृत में क्यों रखते हैं, कोई सरल नाम रखें ये तो मुझसे सवाल पूछा था। हमारे देश में क्या हुआ है जी हर चीज का एक उसको सुनते ही ध्यान में आना चाहिए इसके लिए है, उसके साथ एक आइडेंटिफिकेशन होना चाहिए अगर आपके घर में बच्चा पैदा हुआ और आपने कोई अलेक्जेंडर नाम रख लिया तो पूरे मोहल्ले वाले कहेंगे कि क्या रखा है लेकिन आपने अमन रख लिया तो उन्हें लगा अरे यार ये तो अपना बच्चा है हर चीज में एक अपनापन होता है जी। हमारे देश में क्या कमी है मुझे बताइए हम सहज से लोगों को, अब जैसे जनधन मैंने जनधन योजना बनाई वैसे मैं उसको कंपटीशन करता हूं मैंने स्कीम रख कर के लोगों के आइडियाज मांगे थे जैसे स्वच्छता, स्वच्छता का जो गांधी के चश्मे हैं वो लोगों ने मुझे भेजे हुए हैं लेकिन मैं जन सामान्य को जोड़ता हूं तो उनकी तरफ से मुझे नाम मिलते हैं, अब जनधन योजना एकदम से गरीब को लगता है सामान्य मानवी का धन अब जैसे मैंने स्वामित्व योजना बनाई है जो मैं ड्रोन से गांव में उनकी संपत्ति का सर्वे करके उनको सर्टिफिकेट देता हूं अब उसकी सबसे बड़ी समस्या ये है कि मेरी जमीन के रिकॉर्ड ही नहीं है, मैं गांव से बाहर जाता हूं तो कोई कब्जा कर लेता है हम कोर्ट कचहरी में लड़ते हैं तो मैंने तब दिया स्वामित्व तो उसको स्वामित्व का समझ उसको बराबर है कि स्वामित्व का मतलब क्या होता है, उसको पूरी समझ है तो एकदम से उसके साथ ऐड हो गए, हमने यूपीआई किया यूपीआई सुनते किसी को ऐसा लगता है कि ये यार क्या है तो ये पूरा नाम है भीम यूपीआई, मैंने भीम रखा है बाबा साहेब अंबेडकर का नाम भीम है और ये सबसे बड़ी करेंसी है जी 21वीं सदी की मेरी सबसे बड़ी करेंसी भीम है तो समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग उसके साथ आइडेंटिफाई हो जाता है अच्छा ये तो हमारा है जी और इसलिए मैं मानता हूं कि हमने योजनाएं उसी प्रकार से मैं ये ‘ऑपरेशन’ करता हूं, मेरे ‘ऑपरेशन’ के ऐसे नाम रहते थे जी अब मैंने एक टारगेट ले रखा है, क्यों तो ज्यादातर उस इलाके के लोगों को जो एफर्टलेस थे तो उनको मुझे लाना था तो मेरे लिए वो सूट करता था, मैंने चंद्रयान के लिए शिवशक्ति रखा था तो मेरे मन में था कि भाई पूरे ब्रह्मांड के साथ जुड़ा हुआ कोई नाम क्या है तो ये है तो मैं बड़ी सरलता से लोगों को रखता हूं इसमें एक तो मेरा अपने पास जो मेरा सॉफ्टवेयर ईश्वर ने दिया हुआ है वो जो प्रोसेस करके निकालता है वो भी ऐसे ही चीजें निकालता है और मैं जो क्राउड सोर्सिंग करता हूं उसमें से भी मुझे ज्यादातर वैसी चीजें तुरंत मैं उसको लपक लेता हूं।
अमन चोपड़ा: एक इसका उदाहरण सर मैं पर्सनल एक्सपीरियंस एक शेयर करता हूं ‘ऑपरेशन गंगा’ नाम रखा था आपने तो मैं पोलैंड में था यूक्रेन से जिन लोगों को बचाया गया एक कपल जो था उनकी वाइफ प्रेग्नेंट थी तो जब उन्होंने बोला कि जब ये बेटी जो पैदा हो रही है तो मैं इस बेटी का नाम ‘गंगा’ रखूंगा तो वो मुझे अभी याद आया लेकिन मैं सवाल दरअसल चुनाव प्रचार को लेकर पूछूंगा कि पूरे चुनाव प्रचार में समाज में वोट के लिए दरार पैदा करने की कोशिश की गई कैसे मैं अब जैसे राहुल गांधी का एक बयान आया उन्होंने बोला है कि मैं जब से पैदा हुआ हूं सिस्टम को मैं समझता हूं किसको अटैक करना है, किसको टारगेट करना है, मैं ही सिस्टम हूं और सिस्टम लोअर कास्ट के खिलाफ अलाइड है मुझे जो आपत्ति व्यक्तिगत तौर पर लगी उन्होंने इस बार ज्यूडिशियरी और मिलिट्री को भी नहीं छोड़ा वो भी लोअर कास्ट के खिलाफ अलाइड (39.14) हैं ये बयान जब आप सुनते हैं तो आपको कैसा लगता है सर?
पीएम मोदी: मैं जितना इस विषय में सोशल मीडिया में मेरी नजर गई है ये उन्होंने जो कुछ भी कहा है वो उन्होंने अपने फैमिली का रिपोर्ट कार्ड रखा है ये, क्योंकि उनके ही परिवार 60 साल तक देश में सरकार चलाई है तो ये जो कुछ भी बातें कर रहे हैं वो अपने फैमिली के सोच- विचार- आचार उसी की बात दुनिया को बता रहे हैं वो तो एक प्रकार से तो अच्छी बात है कम से कम उन्होंने दुनिया को बता दिया कि भाई हम ऐसे लोग हैं तो आप बच के रहो। दूसरा विषय है जी मैं देखता हूं देश में राजनीति करने का कुछ सरल रास्ते जो लोगों ने खोजे हैं जिसमें इंडी अलायंस के करीब- करीब सभी पार्टियां फंसी हुई हैं या उनको वो सूट करता है तीन चीजें प्रमुख रूप से उभर करके आती हैं। एक- ये घोर सांप्रदायिक लोग हैं, सेकुलरिज्म का चौला पहना है उन्होंने, बुर्का पहना है लेकिन वो कम्युनल.. कम्युनल.. कम्युनल ही है वे उनके लिए हर चीज देखते ही कोई भी आइडिया आता है तो कम्युनल फेम में ही आता है उनको उसके बारे में उनको कुछ आता ही नहीं है। दूसरा- ये घोर जातिवादी हैं। तीसरा- ये घोर परिवारवादी हैं। ये तीन चीजें ये सभी कुनबे जो इकट्ठे हुए उनमें ये कॉमन है उसमें कोई आप मैं कहता हूं उसको टिक मार्क करके देख लीजिए आपको मिलेगा ऐसे ही हैं और समस्या की जड़ यही है और इसलिए ये आज नहीं पहले भी उन्होंने ऐसे ही किया है और जब चाहे वो बदला है उन्होंने, आपको इंदिरा गांधी का भाषण मिलेगा उन्होंने जातिवाद के खिलाफ बहुत लंबे भाषण किए हैं और उन्हीं के परिवार के लोग जातिवाद के ऊपर लंबे- लंबे भाषण देते सुनाई दे रहे मतलब कोई सोशल रिस्पांसिबिलिटी नहीं, अकाउंटेबिलिटी नहीं जो मर्जी पड़े जब चाहे वो कुछ भी बोलो और भाग जाओ। दुनिया को गुमराह करो और ले लो तो मेरे जैसे व्यक्ति को जो सिद्धांतों को आदर्शों पर विचारों पर चलता है उसको जरा मेहनत ज्यादा पड़ती है और जिसको मेरा विरोध करना है उसके लिए भी सरल हो जाता है ये तो बड़ा अड़ियल है कह करके उसको कुछ भी विरोध करना बड़ा सरल हो जाता है।
अमिताभ सिन्हा: राहुल गांधी से जुड़ा सर मैं एक और सवाल पूछूंगा कि ये बात देश में बहुत है कि अपोजिशन स्ट्रांग नहीं है मोदी जी के खिलाफ अपोजिशन स्ट्रांग नहीं हो पाया इसका एक बड़ा कारण ये भी कि अपोजिशन के जो नेता हैं जो कैंपेन लीड कर रहे हैं एक तरह से राहुल गांधी है दो दशक से ज्यादा राजनीति में हैं पर एक कुछ लोगों कहना कि वो मैच्योर उतना नहीं हो पाए और कुछ लोग ये भी कहते हैं शायद राहुल गांधी सबसे बड़ा एक एसेट है बीजेपी का क्योंकि वो ऐसा अब बयान देते हैं कि आपको उससे और एम्युनिशन मिलता है कांग्रेस को एक्सपोज करने के लिए आपको लगता है राहुल गांधी की जो ये कमी है उसका आप फायदा..
पीएम मोदी: देखिए मैंने अभी तक आपके एक भी प्रश्न का जवाब किसी व्यक्ति के संदर्भ में नहीं दिया है, आपने व्यक्तियों का नाम लिया है मैं उससे परे होकर के बात करूंगा और मुझे वो अब मेरी मर्यादाओं का पता है तो मैं किसी के नाम का अपने उल्लेख किया इससे मुझे कोई लेना- देना नहीं मैं जनरल वे में आपको जवाब दूंगा। लोकतंत्र के लिए बहुत आवश्यक है कि एक बहुत ही मजबूत विपक्ष हो, बहुत ही सजग विपक्ष हो और सरकार को तलवार की नोक पर चलने के लिए मजबूर करें ऐसा विपक्ष होना ही चाहिए और मुझे इस देश में टैलेंट की कमी नहीं लगती है, इस देश में भरपूर टैलेंट है उनको अवसर दिया जाए मुझे लगता था कि 2014 से 2024 एक अच्छा विपक्ष मुझे मिलता मेरे भी जीवन में कोई कहेगा क्या कमी है तो अच्छे विपक्ष का अभाव है मैं कमी महसूस करता हूं क्योंकि उनसे मुझे कोई पॉजिटिव कंट्रीब्यूशन मिल ही नहीं रहा है मैं तो सोच रहा था इन लोगों ने 60 साल सरकार चलाई है तो मुझे सरकार चलाने में सुविधा होगी मैं जाते- जाते पूछ लूंगा जरा बताइए क्या करना है क्या नहीं? प्रणव मुखर्जी साहब थे तब तक मुझे थोड़ा बेनिफिट होता था वो अपने अनुभव मुझसे शेयर करते थे लेकिन बाकी मुझे वो बेनिफिट मिला ही नहीं तो मुझे खुद को ही मेरी पार्टी के जो अनुभवी लोग थे उनसे जो मदद मिली उन्हीं से मुझे अपनी दुनिया खड़ी करनी पड़ी और मुझे गुजरात का बड़ा मेरा अनुभव था वो मेरे काम आया विपक्ष किसी भी प्रकार से काम नहीं आया और नकारात्मकता इतनी, नकारात्मकता इतनी कि देश हित के अत्यंत महत्त्वपूर्ण निर्णय जो कभी उनकी खुद की पार्टी के मेनिफेस्टो में है वही आज उनको पॉलिटिकली बेनिफिट लेने के लिए उसे उल्टा करना, ये चीज मैं समझता हूं कि चिंताजनक है लेकिन मैं इस बात से सहमत हूं कि भारत जैसे लोकतंत्र में मजबूत विपक्ष होना चाहिए, सक्रिय विपक्ष होना चाहिए और बहुत ही वेल ट्रेड, वेल इनफॉर्म विपक्ष होना चाहिए इसका लाभ होता है जी, मैं गुजरात में था सीएम मेरे यहां विपक्ष में जो लोग थे लेकिन सभी सीएम के सामने बैठते थे तो उसका एक दबदबा रहता था जी और उसका लाभ होता था हाउस में, ट्रेजरी बेंच के लोग भी इधर- उधर होते नहीं थे जी उसका बेनिफिट होता था, अभी तो हालत ऐसी नहीं है जी मेरे दिल में दर्द है ये एक।
अमन शर्मा: प्रधानमंत्री जी इसी से जुड़ा हुआ ये एक सवाल है कि आपने मुझे लगता है कि डेढ़ सौ- पौने दो सौ रैलियां- रोड शो कर चुके हैं अभी तक पिछले दो महीनों में लेकिन उससे भी ज्यादा लग रहा है कि बदजुबानी विपक्ष की बढ़ी हुई है उससे ज्यादा आपके खिलाफ गालियां पड़ रही हैं इस बार पहली बार ऐसा देखा गया है माता-पिता तक लोग सवाल मतलब बदजुबानी कर चुके हैं, गालियां दे रहे हैं और पहली बार हम लोगों ने देखा है कि ऐसा चुनाव आया है 2002 के जब से आप चुनावी राजनीति में आए कि पहली बार मां के आशीर्वाद के बिना क्योंकि हर बार आप वोट करने जाते थे और मां का आशीर्वाद लेने जाते थे हम लोगों ने गांधीनगर में हमेशा देखा तो ये मिस कर रहे थे आप और दूसरा ये बदजुबानी कैसे लेते हैं आप?
पीएम मोदी: मैं दो चीजों को अलग करके देखता हूं ये कहना कि मुझे अभी भी गालियां पड़ रही हैं वो सही नहीं है शायद मेरे जन्म से पहले से गालियां मेरे लिए तैयार रही हैं और 2001 में मुझे जब मुखमंत्री का काम मिला तब मुझे शायद कोई ऐसा विषय नहीं जिसमें मुझे गाली ना पड़ी हो और बिना कारण मेरे बाल नोच लिए हो उसमें सिर्फ पॉलिटिकल लोग नहीं ये खान मार्केट गैंग पूरी ये आपके मीडिया में जो महारथी कहे जाते हैं वो भी आप पुराने अगर अंक निकालेंगे मैगजीन बड़े-बड़े नोन तो उसके फ्रंट पेज पर जो कवर स्टोरी है तो किसी राक्षस को भी अच्छे से पेंट किया हो उससे भी भद्दी तस्वीरें मेरी हैं लेकिन मैं अपना आप खोया नहीं मैंने कभी नहीं खोया क्योंकि उन्हीं की मजबूरी है कि उनको आज हंसता हुआ चेहरा रखना पड़ रहा है और उनको एक साल में अगर 24 अंक निकलते हैं तो 12-15 में तो माल बेचने के लिए मोदी की जरूरत पड़ती है जी लेकिन, मैं अपने कर्तव्य को लेकर चलता हूं अच्छा होगा कि लोकतंत्र में सार्वजनिक में सुचिता का पालन हो, मर्यादाओं का पालन हो, आलोचना हो लेकिन अच्छी भी तो हो सकती है अच्छे ढंग से भी हो सकती है ऐसा नहीं हमसे भी कोई गलती नहीं हुई होगी, मैं ये नहीं कहता हूं लेकिन हम सबको सोचना चाहिए मैं किसी को उपदेश दूं इसका क्या मतलब है, मोदी ने खुद ने भी कभी गलती की होगी, मोदी के साथियों ने भी गलती की होगी लेकिन भारत में ये स्थिति ठीक नहीं है जो हो रहा है।
पायल मेहता: मैं आपसे एक सवाल और पूछना चाहूंगी युवाओं से जुड़ा आपने हमेशा कहा है कि जो युवा है वो हमारे आने वाले 50 साल का भविष्य तय करेंगे तो जो हमारे खेल प्रेमी युवा है सर आपने कई जगह पर बताया कि 2036 की ओलंपिक की हम बिडिंग करेंगे सर उसकी क्या तैयारी हमारे खेल से जुड़े जो युवा हैं वो जानना चाहते हैं?
पीएम मोदी: बहुत ही अच्छा सवाल आपने पूछा है जिसने जी-20 का पूरा बारीकी से एनालिसिस किया होगा वो इस पर विश्वास कर सकता है कि हां अब भारत की एक क्षमता है, भारत की एक क्षमता है इन चीजों को करने की कॉमनवेल्थ गेम के कटु अनुभव इतने थे कि लोगों का विश्वास टूट गया था यार कुछ हो नहीं सकता है तो ये जी- 20 के बाद देश का विश्वास नहीं हम भी कर सकते हैं, जी- 20 का दूसरा फायदा ये हुआ कि देश के 60-70 अलग- अलग स्थानों पर जी-20 उतने शान से हुई तो देश के हर कोने में विश्वास पैदा हुआ है दिल्ली में करते तो लगता एक सरकारी कार्यक्रम हुआ है लेकिन एक प्रकार से पीपल्स ड्रिवन जी-20 हुई इसके कारण विश्वास बनता है कि ये देश कितने ही बड़ी चीजों को कर सकता है और आज के युग में मेरा मानना है कि भारत जैसे मैं कहता हूं वेड इन इंडिया तो उसके पीछे मेरे मन में एक इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार होता है धनी लोग खर्चा करते हैं यहां रहते हैं उसी प्रकार से मैं कहता हूं कॉन्फ्रेंस डेस्टिनेशन इंडिया में होना चाहिए उसी प्रकार से मैं कहता हूं कि भाई हमारे यहां स्पोर्ट्स इवेंट्स होने चाहिए और मैं आजकल छोटे- मोटे अब जैसे मैं 2029 यूथ ओलंपिक मैं चाहता हूं देखो इसको चेस का वर्ल्ड ओलंपिक मैं कहता हूं हमारे यहां..
पायल मेहता: आपने बीच ओलंपिक का भी जिक्र किया..
पीएम मोदी: बीच ओलंपिक मैं यहां ले आऊं, 2036 हम ट्राई करें और अभी से मैंने एक टीम बनाई है उसको मैंने कहा जितने भी ओलंपिक होंगे उसमें ऑब्जर्वर के नाते दो महीने वहां जाओ स्टडी करो हर बारीकी का और उससे भी आगे बताता हूं मैं अटलांटा में ओलंपिक देखने गया था USA, मैं खुद खिलाड़ी नहीं हूं लेकिन व्यवस्थाओं को सीखना- समझना मेरी रुचि है तो मैं जाकर के देख इतना बड़ा इवेंट ऑर्गेनाइज कैसे करते हैं तो मेरी प्रिय कुछ गेम में देखने जाता था भारत के लोग खेल रहे हैं तो लेकिन पूरा समय में देखता था तो मैंने देखा बड़ा इंटरेस्टिंग था उन्होंने क्या किया था और मैं कभी- कभी मैनेजमेंट, मेरी रुचि है चीजें सीखने का मेरा शौक है 200-250 किलोमीटर दूर से कोई आ रहा है, कितने लोग थे 200-250 किलोमीटर उसको पार्क करनी होगी अपनी गाड़ी, ओलंपिक स्टेडियम से 200- 250 किमी मतलब एक कार का.. वहां बस होगी तो कार खाली करो बस में बैठ उसको जो गेम में जाना है उसका कलर उस गाड़ी का कलर सब सेम रहता था तो उसको पता है कि मुझे अगर हॉकी में जाना है तो मुझे इस इस कलर वाली बस में बैठना है तो अपनी गाड़ी छोड़ के उस बस में बैठता है फिर वो बस एक मेट्रो स्टेशन पर जाती थी तो बस के लोग सब मेट्रो में उस कलर वाले डिब्बे में बैठ जाते थे अच्छा जब वो कलर वाली जब मेट्रो आती तो बैठते थे वो सीधी स्टेडियम के पास जाती थी मतलब कार, 60 कार में से एक बस हो गई 60- 100 बस में से एक मेट्रो हो गई इन्होंने एक आध करोड़ लोगों को ट्रांसपोर्टेशन इतनी बढ़िया ऐसी चीज में उस समय स्टडी करता था तो मैंने मेरी टीम को कहा हर चीज स्टडी करो और स्टडी करके लाओ तो एक प्रकार से तैयारी ह्यूमन रिसोर्स डेवलप करना, इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना उनकी आवश्यकताएं क्या होती हैं उसको समझना एट द सेम टाइम हिंदुस्तान के खिलाड़ियों को तैयार करना क्योंकि खेल मेरे यहां है गोल्ड मेडल कोई और ले जाए ऐसा तो नहीं होता है ना।
पायल मेहता: हम से किसी ने शायद सोचा भी नहीं था कि इतने मेडल आएंगे ओलंपिक में पैरालंपिक में जिस तरह से आए हैं पिछले..
पीएम मोदी: देखिए भारत के यूथ में तो दम था ही था लेकिन पहले सिलेक्शन में भी संप्रदायवाद, परिवारवाद, जातिवाद हर चीज में था वो, सिलेक्शन उसके आधार पर होता था मेरे परिवार का बच्चा है खेले ना खेले यार जाए तो सही यही होता था अब खिलाड़ी है तो जिस खेल में उसकी योग्यता है सिस्टम उसको सिलेक्ट करती है वो मेडल लेकर आ जाता है जब ट्रांसपेरेंसी आती है तो परिणाम भी आता है।
अमिताभ सिन्हा: सर, आखिरी सवाल पंजाब पर मैं पूछना चाहूंगा कि आपने तीन रैली भी पंजाब में पिछले दो दिन में की है, मैं भी पंजाब में था पंजाब एक स्टेट है जो काफी चैलेंजिंग माना जा रहा है बीजेपी के लिए वहां किसान प्रोटेस्ट भी कई जगह पर हो रहे हैं आपको क्या लगता है पंजाब की सिचुएशन क्या आप फार्मर्स को मना पाएंगे वहां पर जो फार्मर्स कुछ लगता है शायद नाराज हैं?
पीएम मोदी: पहली बात है कि पंजाब में भारतीय जनता पार्टी के लिए स्वर्णिम काल है ये, स्वर्णिम काल है वहां जो सरकार है वो पूरी तरह विफल हो गई है और पंजाब के लोग बड़े स्वाभिमानी हैं उनको दिल्ली से रिमोट से कोई सरकार चलाए इसको वो पंजाब का अपमान मानते हैं और ये इनके जहन में हैं और सबसे ज्यादा तब हुआ कि एक मुख्यमंत्री सरकार चलाने के लिए गाइडेंस लेने के लिए दूसरे मुख्यमंत्री को जेल में मिलने जाए तो ये पंजाब को बहुत हर्ट कर रहा है कि भाई ऐसी कैसी सरकार, जो दिल्ली के लोग चलाएंगे तो पंजाब की क्या, इसका गुस्सा है ये चुनाव में बाहर आने वाला है और उनको लगता है कि भाई बीजेपी एक ऐसी पार्टी है जिसने सिख समाज के लिए भी इतना काम किया है, करतारपुर कॉरिडोर की बात हो यानी एक प्रकार से किसानों की भलाई के काम की बात हो किसानों की इरिगेशन की चिंता हो, एमएसपी बढ़ाने की बात हो, सिंचाई की व्यवस्थाओं की बात करनी हो, यूरिया दुनिया भर में 3 हजार रुपये हो गया हम 300 में दे रहे हैं तो एक प्रकार से अनगिनत मैंने काम किए हैं, हो सकता है उसका लाभ भी हुआ है तो भारतीय जनता पार्टी के लिए सबसे ज्यादा मैं मानता हूं कि बेनिफिट है। मैंने जो मिलेट का किया है ये वहां के किसानों को छूता है उनको लगता है यार हमारा मिलेट दुनिया में बिकेगा उसको गर्व हो रहा है उसको आनंद हो रहा है तो ऐसी बहुत सी चीजें हैं जिसका परिणाम मिलने वाला है।
अमन चोपड़ा: और खासकर पंजाब को लेकर जो करतारपुर का जिक्र आपने रैली में किया वो भी एक चर्चा का विषय है कि क्या हमने 71 में वो मौका गंवाया, करतारपुर भारत में हो सकता था वो मौका क्या हमने गंवाया? बहुत-बहुत धन्यवाद प्रधानमंत्री जी आपने समय निकाला और सभी सवालों का जवाब दिया..
पीएम मोदी: बहुत- बहुत धन्यवाद।