ഹരിയാനയിലെ കുരുക്ഷേത്രയിലെ ബാൻ ഗ്രാമത്തിൽ താമസിക്കുന്ന അങ്കുറിന്റെ ജലസംരക്ഷണത്തിനായുള്ള ശ്രമങ്ങളെ പ്രധാനമന്ത്രി അഭിനന്ദിച്ചു

കുരുക്ഷേത്ര എംപി ശ്രീ നയാബ് സൈനിയുടെ ട്വീറ്റിന് മറുപടിയായി പ്രധാനമന്ത്രി ട്വീറ്റ് ചെയ്തു: 

“മികച്ച സംരംഭം! ജലസംരക്ഷണത്തിനായുള്ള കുരുക്ഷേത്രയിലെ നമ്മുടെ അങ്കുർ ജിയുടെ ഈ ശ്രമം എല്ലാവർക്കും മാതൃകയാണ്.

 

  • Bibekananda Mahanta April 25, 2023

    ♥️👍🏼
  • Jaysree April 25, 2023

    jaisreeram
  • Anil Mishra Shyam April 25, 2023

    Ram Ram 🙏🙏
  • Kuldeep Yadav April 25, 2023

    આદરણીય પ્રધામંત્રીશ્રી નરેન્દ્ર મોદીજી ને મારા નમસ્કાર મારુ નામ કુલદીપ અરવિંદભાઈ યાદવ છે. મારી ઉંમર ૨૪ વર્ષ ની છે. એક યુવા તરીકે તમને થોડી નાની બાબત વિશે જણાવવા માંગુ છું. ઓબીસી કેટેગરી માંથી આવતા કડીયા કુંભાર જ્ઞાતિના આગેવાન અરવિંદભાઈ બી. યાદવ વિશે. અમારી જ્ઞાતિ પ્યોર બીજેપી છે. છતાં અમારી જ્ઞાતિ ના કાર્યકર્તાને પાર્ટીમાં સ્થાન નથી મળતું. એવા એક કાર્યકર્તા વિશે જણાવું. ગુજરાત રાજ્ય ના અમરેલી જિલ્લામાં આવેલ સાવરકુંડલા શહેર ના દેવળાના ગેઈટે રહેતા અરવિંદભાઈ યાદવ(એ.બી.યાદવ). જન સંઘ વખત ના કાર્યકર્તા છેલ્લાં ૪૦ વર્ષ થી સંગઠનની જવાબદારી સંભાળતા હતા. ગઈ ૩ ટર્મ થી શહેર ભાજપના મહામંત્રી તરીકે જવાબદારી કરેલી. ૪૦ વર્ષ માં ૧ પણ રૂપિયાનો ભ્રષ્ટાચાર નથી કરેલો અને જે કરતા હોય એનો વિરોધ પણ કરેલો. આવા પાયાના કાર્યકર્તાને અહીંના ભ્રષ્ટાચારી નેતાઓ એ ઘરે બેસાડી દીધા છે. કોઈ પણ પાર્ટીના કાર્યકમ હોય કે મિટિંગ એમાં જાણ પણ કરવામાં નથી આવતી. એવા ભ્રષ્ટાચારી નેતા ને શું ખબર હોય કે નરેન્દ્રભાઇ મોદી દિલ્હી સુધી આમ નમ નથી પોચિયા એની પાછળ આવા બિન ભ્રષ્ટાચારી કાર્યકર્તાઓ નો હાથ છે. આવા પાયાના કાર્યકર્તા જો પાર્ટી માંથી નીકળતા જાશે તો ભવિષ્યમાં કોંગ્રેસ જેવો હાલ ભાજપ નો થાશે જ. કારણ કે જો નીચે થી સાચા પાયા ના કાર્યકર્તા નીકળતા જાશે તો ભવિષ્યમાં ભાજપને મત મળવા બોવ મુશ્કેલ છે. આવા ભ્રષ્ટાચારી નેતાને લીધે પાર્ટીને ભવિષ્યમાં બોવ મોટું નુકશાન વેઠવું પડશે. એટલે પ્રધામંત્રીશ્રી નરેન્દ્ર મોદીજી ને મારી નમ્ર અપીલ છે કે આવા પાયા ના અને બિન ભ્રષ્ટાચારી કાર્યકર્તા ને આગળ મૂકો બાકી ભવિષ્યમાં ભાજપ પાર્ટી નો નાશ થઈ જાશે. એક યુવા તરીકે તમને મારી નમ્ર અપીલ છે. આવા કાર્યકર્તાને દિલ્હી સુધી પોચડો. આવા કાર્યકર્તા કોઈ દિવસ ભ્રષ્ટાચાર નઈ કરે અને લોકો ના કામો કરશે. સાથે અતિયારે અમરેલી જિલ્લામાં બેફામ ભ્રષ્ટાચાર થઈ રહીયો છે. રોડ રસ્તા ના કામો સાવ નબળા થઈ રહિયા છે. પ્રજાના પરસેવાના પૈસા પાણીમાં જાય છે. એટલા માટે આવા બિન ભ્રષ્ટાચારી કાર્યકર્તા ને આગળ લાવો. અમરેલી જિલ્લામાં નમો એપ માં સોવ થી વધારે પોઇન્ટ અરવિંદભાઈ બી. યાદવ(એ. બી.યાદવ) ના છે. ૭૩ હજાર પોઇન્ટ સાથે અમરેલી જિલ્લામાં પ્રથમ છે. એટલા એક્ટિવ હોવા છતાં પાર્ટીના નેતાઓ એ અતિયારે ઝીરો કરી દીધા છે. આવા કાર્યકર્તા ને દિલ્હી સુધી લાવો અને પાર્ટીમાં થતો ભ્રષ્ટાચારને અટકાવો. જો ખાલી ભ્રષ્ટાચાર માટે ૩૦ વર્ષ નું બિન ભ્રષ્ટાચારી રાજકારણ મૂકી દેતા હોય તો જો મોકો મળે તો દેશ માટે શું નો કરી શકે એ વિચારી ને મારી નમ્ર અપીલ છે કે રાજ્ય સભા માં આવા નેતા ને મોકો આપવા વિનંતી છે એક યુવા તરીકે. બાકી થોડા જ વર્ષો માં ભાજપ પાર્ટી નું વર્ચસ્વ ભાજપ ના જ ભ્રષ્ટ નેતા ને લીધે ઓછું થતું જાશે. - અરવિંદ બી. યાદવ (એ.બી યાદવ) પૂર્વ શહેર ભાજપ મહામંત્રી જય હિન્દ જય ભારત જય જય ગરવી ગુજરાત આપનો યુવા મિત્ર લી.. કુલદીપ અરવિંદભાઈ યાદવ
  • Ankit Bhatia April 24, 2023

    Jai Hind Jai Bharat
  • Manish Kumar jha April 24, 2023

    modi modi modi modi modi
  • Akash Gupta BJP April 24, 2023

    PM lauds the efforts of Ankur, a resident of Ban Village of Kurukshetra Haryana toward Water conservation
  • BJP Regains in 2024 April 24, 2023

    कुछ सोचनीय विषय, कृपया सोचें और अपनी क्षमता अनुसार अपना अपना योगदान दें। *हर हर हर हर हर हर महादेव* *"छोटे मंदिरों की दुर्दशा"* मंदिर के पुजारियों को सरकार कुछ नहीं देती। यहां मेरा वह प्रश्न नहीं और न ही मैं सोचता हूँ कि सब मेरे विचार से सहमत होंगे। हाँ, आपके इस सम्बन्ध में विचारों और अगर अच्छा लगे तो आगे बढ़ाने की अपेक्षा अवश्य है। आप सभी छोटे छोटे शहर, गांव व मुहल्ले के मंदिरों की दुर्दशा से अवश्य ही अवगत होंगे और यह भी जानते होंगे कि कुछ बड़े मंदिरों के पास प्रचुर दान आता है और अच्छी सम्पत्ति है। आपके हृदय में क्या कभी यह विचार नहीं आता कि दो जगह के इस अंतर को कैसे दूर किया जा सकता है। नयी मूर्तियों का प्रस्थापन तो छोड़ो, ऐसे मंदिर दैनिक साफ सफाई, जरुरी मरम्मत, पुजारी के जीवनयापन हेतु पैसा आदि के लिए पास के नागरिकों की दान दक्षिणा पर निर्भर हैं। जबकि दूसरी ओर वही नागरिक काफी पैसा बड़े मंदिरों में खर्च कर आते हैं। मेरा सिर्फ एक विचार है और दुविधा भी है कि हर राज्य में इस प्रकार के धनी मंदिर स्थापित हैं। इनका प्रबंधन भी काफी कार्यकुशल है। फिर क्यों न 50-100 या अधिक आसपास के छोटे मंदिरों का प्रबंधन और उत्थान एक बड़े मंदिर से सम्बंधित हो ताकि इनका भी उचित उद्धार हो। धर्म का प्रचार प्रसार केवल एक स्थान पर सीमित होकर इन छोटे मंदिरों पर भी काफी निर्भर है। जब ये मंदिर अच्छी अवस्था में होंगे तो स्थानीय नागरिक भी कुछ समय निकालकर परिवार सहित इनमें ज्यादा जाएंगे और नयी पीढी भी अपनी संस्कृति और संस्कारों का शुरू से संज्ञान लेगी। दूसरी ओर बड़े मंदिर में जाने वाले भक्त भी और खुलकर इन छोटे व जर्जर मंदिरों को भी दान देंगे क्योंकि उन्हें भी पता होगा कि उनका पैसा बैंकों की शोभा नहीं बल्कि साथ में लगे अन्य पचास सौ मंदिरों के उत्थान में काम आने वाला है जिसका पुण्य असीमित होगा। यह कृत्य धर्म की कितनी सेवा करेगा इसको हम बस सोच ही सकते हैं क्योंकि धर्म की ध्वजा पताका स्थानीय तौर पर छोटे मंदिर के पुजारियों के हाथ में ही है, उनका योगदान आवश्यक है। मनमंदिर प्रकोष्ठ, दिल्ली। *🙏🙏जय श्रीराम🙏🙏*
  • BJP Regains in 2024 April 24, 2023

    कुछ सोचनीय विषय, कृपया सोचें और अपनी क्षमता अनुसार अपना अपना योगदान दें। *हर हर हर हर हर हर महादेव* *"छोटे मंदिरों की दुर्दशा"* मंदिर के पुजारियों को सरकार कुछ नहीं देती। यहां मेरा वह प्रश्न नहीं और न ही मैं सोचता हूँ कि सब मेरे विचार से सहमत होंगे। हाँ, आपके इस सम्बन्ध में विचारों और अगर अच्छा लगे तो आगे बढ़ाने की अपेक्षा अवश्य है। आप सभी छोटे छोटे शहर, गांव व मुहल्ले के मंदिरों की दुर्दशा से अवश्य ही अवगत होंगे और यह भी जानते होंगे कि कुछ बड़े मंदिरों के पास प्रचुर दान आता है और अच्छी सम्पत्ति है। आपके हृदय में क्या कभी यह विचार नहीं आता कि दो जगह के इस अंतर को कैसे दूर किया जा सकता है। नयी मूर्तियों का प्रस्थापन तो छोड़ो, ऐसे मंदिर दैनिक साफ सफाई, जरुरी मरम्मत, पुजारी के जीवनयापन हेतु पैसा आदि के लिए पास के नागरिकों की दान दक्षिणा पर निर्भर हैं। जबकि दूसरी ओर वही नागरिक काफी पैसा बड़े मंदिरों में खर्च कर आते हैं। मेरा सिर्फ एक विचार है और दुविधा भी है कि हर राज्य में इस प्रकार के धनी मंदिर स्थापित हैं। इनका प्रबंधन भी काफी कार्यकुशल है। फिर क्यों न 50-100 या अधिक आसपास के छोटे मंदिरों का प्रबंधन और उत्थान एक बड़े मंदिर से सम्बंधित हो ताकि इनका भी उचित उद्धार हो। धर्म का प्रचार प्रसार केवल एक स्थान पर सीमित होकर इन छोटे मंदिरों पर भी काफी निर्भर है। जब ये मंदिर अच्छी अवस्था में होंगे तो स्थानीय नागरिक भी कुछ समय निकालकर परिवार सहित इनमें ज्यादा जाएंगे और नयी पीढी भी अपनी संस्कृति और संस्कारों का शुरू से संज्ञान लेगी। दूसरी ओर बड़े मंदिर में जाने वाले भक्त भी और खुलकर इन छोटे व जर्जर मंदिरों को भी दान देंगे क्योंकि उन्हें भी पता होगा कि उनका पैसा बैंकों की शोभा नहीं बल्कि साथ में लगे अन्य पचास सौ मंदिरों के उत्थान में काम आने वाला है जिसका पुण्य असीमित होगा। यह कृत्य धर्म की कितनी सेवा करेगा इसको हम बस सोच ही सकते हैं क्योंकि धर्म की ध्वजा पताका स्थानीय तौर पर छोटे मंदिर के पुजारियों के हाथ में ही है, उनका योगदान आवश्यक है। मनमंदिर प्रकोष्ठ, दिल्ली। *🙏🙏जय श्री राम🙏🙏 *
  • BJP Regains in 2024 April 24, 2023

    कुछ सोचनीय विषय, कृपया सोचें और अपनी क्षमता अनुसार अपना अपना योगदान दें। *हर हर हर हर हर हर महादेव* *"छोटे मंदिरों की दुर्दशा"* मंदिर के पुजारियों को सरकार कुछ नहीं देती। यहां मेरा वह प्रश्न नहीं और न ही मैं सोचता हूँ कि सब मेरे विचार से सहमत होंगे। हाँ, आपके इस सम्बन्ध में विचारों और अगर अच्छा लगे तो आगे बढ़ाने की अपेक्षा अवश्य है। आप सभी छोटे छोटे शहर, गांव व मुहल्ले के मंदिरों की दुर्दशा से अवश्य ही अवगत होंगे और यह भी जानते होंगे कि कुछ बड़े मंदिरों के पास प्रचुर दान आता है और अच्छी सम्पत्ति है। आपके हृदय में क्या कभी यह विचार नहीं आता कि दो जगह के इस अंतर को कैसे दूर किया जा सकता है। नयी मूर्तियों का प्रस्थापन तो छोड़ो, ऐसे मंदिर दैनिक साफ सफाई, जरुरी मरम्मत, पुजारी के जीवनयापन हेतु पैसा आदि के लिए पास के नागरिकों की दान दक्षिणा पर निर्भर हैं। जबकि दूसरी ओर वही नागरिक काफी पैसा बड़े मंदिरों में खर्च कर आते हैं। मेरा सिर्फ एक विचार है और दुविधा भी है कि हर राज्य में इस प्रकार के धनी मंदिर स्थापित हैं। इनका प्रबंधन भी काफी कार्यकुशल है। फिर क्यों न 50-100 या अधिक आसपास के छोटे मंदिरों का प्रबंधन और उत्थान एक बड़े मंदिर से सम्बंधित हो ताकि इनका भी उचित उद्धार हो। धर्म का प्रचार प्रसार केवल एक स्थान पर सीमित होकर इन छोटे मंदिरों पर भी काफी निर्भर है। जब ये मंदिर अच्छी अवस्था में होंगे तो स्थानीय नागरिक भी कुछ समय निकालकर परिवार सहित इनमें ज्यादा जाएंगे और नयी पीढी भी अपनी संस्कृति और संस्कारों का शुरू से संज्ञान लेगी। दूसरी ओर बड़े मंदिर में जाने वाले भक्त भी और खुलकर इन छोटे व जर्जर मंदिरों को भी दान देंगे क्योंकि उन्हें भी पता होगा कि उनका पैसा बैंकों की शोभा नहीं बल्कि साथ में लगे अन्य पचास सौ मंदिरों के उत्थान में काम आने वाला है जिसका पुण्य असीमित होगा। यह कृत्य धर्म की कितनी सेवा करेगा इसको हम बस सोच ही सकते हैं क्योंकि धर्म की ध्वजा पताका स्थानीय तौर पर छोटे मंदिर के पुजारियों के हाथ में ही है, उनका योगदान आवश्यक है। मनमंदिर प्रकोष्ठ, दिल्ली। *🙏🙏जय श्री राम🙏 🙏*
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