QuotePM pays tributes to Guru Basaveshwara, says he showed the path of social reform centuries ago
QuoteIndian society is unique because social reformers arose from it time and again, to reform society, and fight social evils: PM Modi
QuoteRishis, Saints, Seers, Mutts...they have done great service for society: PM Modi
QuoteSaints, seers...they overcame so much opposition and ensured evils were removed from society: PM
QuoteThe 21st century is the century of knowledge. The one with more knowledge and information will influence the world: PM
QuoteIt is the saints who have understood what the 21st century is about & that is why this knowledge centre is starting: PM
QuoteProud of our Jawans and security forces: PM Narendra Modi
QuoteEnemies of humanity who can't see India progress, attacked in Pathankot, but our security forces did not let them succeed: PM

मुझे पूछ रहे थे कि मैं हिन्‍दी में बोलू तो यहां translation करने की जरूरत है क्‍या? स्‍वामी जी स्‍वयं बताए कि कोई जरूरत नहीं, यहां सब हिन्‍दी समझते हैं। ये मेरा सौभाग्‍य है कि इस पवित्र उपक्रम में मुझे सरीक होने का अवसर मिला है। इतनी बड़ी संख्‍या में संतों की हाजिरी हो, इतने वरिष्‍ठ संत, इस उम्र में, इस समारोह में उपस्‍थित हो, ऐसा सौभाग्‍य कहां मिलता है।

कुछ दिन पहले मैं लंदन गया था। लोकतंत्र की बातें, मानवतावाद की बातें, women empowerment की चर्चाएं, दुनिया के देशों को लगता है ये सारे विचार वहीँ पर शुरू हुए, वही पर पैदा हुए और दुनिया को वही से मिले। जहां इस प्रकार की सोच है वहां पर मुझे उस महापुरुष के statue का अनावरण करने का सौभाग्‍य मिला। वे बसेश्‍वर जी, social reformers कैसे होते हैं, women empowerment क्‍या होता है, grass root level democracy की ताकत क्‍या होती है, सदियों पहले इसी धरती के महापुरुष बसेश्‍वर जी ने दुनिया को करके दिखाया। स्‍वीडन के पार्लियामेंट के स्‍पीकर उस अवसर पर मौजूद थे और जो मैंने समाज सुधार का महान काम करने वाले बसेश्‍वर जी की बातें सुनाई तो उनके लिए तो आश्‍चर्य था कि सदियों पहले भारत में महापुरुष का ऐसा चिंतन हुआ करता था और वो सिर्फ विचार नहीं व्‍यवहार भी था, आचरण भी था और करके दिखाया था। आज उसी परंपरा की एक कड़ी के साथ मुझे जुड़ने का सौभाग्‍य मिला है। मैं अपने आप को बहुत भाग्‍यशाली मानता हूं।

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सारे विश्‍व में, इस बात के विषय में बहुत कम जानकारी है और कभी-कभी तो विश्‍व छोड़ो हमारे देश में भी एक बहुत बड़ा वर्ग ऐसा है जो अपने आप को बहुत बड़ा बुद्धिमान मानता है, बड़ा elite class मानता है। उन्‍हें अंदाजा नहीं है कि भारत में ऋषियों ने, मुनियों ने, संतों ने, मंतों ने समाज हित के लिए कितने बड़े-बड़े काम किए हैं। उनका उस तरफ ध्‍यान ही नहीं है और इसलिए जहां-तहां हमारी इस महान परंपरा की आलोचना करते रहना यही कुछ लोगों की आदत बन गई है। इस देश की विशेषता है कि हजारों साल पुराने इस समाज जीवन में समय-समय पर किसी न किसी बुराई ने प्रवेश कर दिया है। समाज में विकृति आई, गलत चीजें घुस गई, गलत पंरपराएं घुस गई, जिसने इस समाज की आत्‍मा को भी तहस-तहस कर दिया लेकिन उसके बाद यही समाज की ताकत देखिए कि इसी समाज में से संत पैदा हुए, समाज सुधारक पैदा हुए, ऋषि-मुनि पैदा हुए और उन्‍होंने समाज के विरोधों के बावजूद भी समाज सुधार का बीड़ा उठाया और समाज की बुराइयों से समाज को मुक्‍त कराने का अविरत प्रयास किया।

हजारों साल से ये देश, ये परंपराएं, ये संस्‍कृति इसलिए बची है कि हर युग में जब-जब संकट आया, जब-जब हमारे भीतर बुराइयां आई, हमारे भीतर से ही एक नई ऊर्जा पैदा हुई, नया नेतृत्‍व पैदा हुआ, नई ताकत पैदा हुई, नई परंपरा पैदा हुई और समाज सुधार का काम चलता रहा और इसलिए मैं आज जब His Holiness जगतगुरु श्री डॉ. शिवराथरी राजेन्‍द्र महास्‍वामी जी के शताब्‍दी समारोह में आया हूं, उस महाने परंपरा को नमन करने के लिए आया हूं, जिस महान परंपरा ने समाज के हितों की, समाज के कल्‍याण की, चिंता करने में कभी कोई कमी नहीं की।

हम आजादी के आंदोलन को देखे, इस तरफ हमारे लोगों का ध्‍यान बहुत कम जाता है। लेकिन अगर हम आजादी के आंदोलन को देखे तो 19वीं शताब्‍दी में और 18वीं शताब्‍दी, ये दो शताब्‍दी पर हम नजर गड़े तो हमारे ध्‍यान में आएगा कि 20वीं शताब्‍दी में जो आजादी के आंदोलन की तीव्रता पैदा हुई, उसके पीछे 19वीं शताब्‍दी और 18वीं शताब्‍दी में हमारे संतों महंतों ने, जिसको हम भक्‍ति युग कहते है, उस भक्‍ति युग में जो चेतनाएं जगाई गई, भारत की आत्‍मा को जगाने का प्रयास हुआ और हिन्‍दुस्‍तान के हर क्षेत्र, इलाके में, पूर्व हो, पश्‍चिम हो, उत्‍तर हो, दक्षिण हो, हर भाषा-भाषी ने, कोई तो एक संत पैदा हुआ जो संत, मठ-मंदिरों से बहार निकला, एक सामूहिक जागरण का अभियान चलाया। पूरे देश में फिर से एक बार समाज की आत्‍मा को जगाने का काम दो शताब्‍दी तक हमारे संतों ने, हमारे महापुरुषों ने किया और वो चेतना जगी। जिस चेतना में से 1857 के स्‍वतंत्रता संग्राम की ज्‍योति जगी। वही एक तरह से 1947 में, देश आजादी को प्राप्‍त कर सका। आजादी के आंदोलन की पीठिका ऐसे महापुरुषों ने रची। जिसको आगे महात्‍मा गांधी का नेतृत्‍व मिला और देश ने महात्‍मा गांधी को भी कभी राजनेता के रूप में नहीं देखा था। उसी संत परंपरा की एक कड़ी के रूप में देखा था, तभी तो उनको महात्‍मा कहा था। जो बात संतों-महंतों के लिए कही जाती थी, वो बात महात्‍मा गांधी के लिए कही जाती थी। उसी परंपरा का नेतृत्‍व मिला और तब जाकर के देश को आजादी प्राप्‍त हुई और इसलिए भारत ने समाज जीवन के हर कबीला-कबिलाई, कबीलों से मुक्‍ति दिलाने का काम हमारे संतों के द्वारा हुआ है।

उसी प्रकार से, आज हम इस पीठ को देखते हैं। मुझे तो यहां पहले भी आने का सौभाग्‍य मिला है। शिक्षा के क्षेत्र में कितना बड़ा काम किया है। करीब एक लाख विद्यार्थियों की जिन्‍दगी, यहां बदल रही है। एक प्रकार से सरकार का काम संत कर रहे हैं। सरकार का बोझ भी हल्‍का कर रहे हैं और समाज की शक्‍ति बढ़ा रहे हैं।

आज यहां इस शताब्‍दी समारोह में knowledge Resource Centre का आरंभ हो रहा है। ये बात सत्‍य है कि पिछली शताब्‍दियों में राष्‍ट्र की शक्‍ति को नापने का आधार या तो धन शक्‍ति हुआ करता था या तो सैन्‍य बल शक्‍ति द्वारा। इस देश के पास कितना military power है और कितना money power है उसके आधार पर विश्‍व में उस देश की ताकत को नापा जाता था। उसी के आधार पर वो देश कितना शक्‍तिशाली है और उसके आधार पर विश्‍व में उसकी स्‍वीकृति बनती थी। लेकिन वक्‍त बदल चुका है, आज धन बल हो या सैन्‍य बल हो, इतने से गाड़़ी चलती नहीं है। 21वीं सदी ज्ञान की सदी है, knowledge की century है। जिसके पास ज्‍यादा information होगी, ज्‍यादा knowledge होगा, समय के अलग सोचने वाले innovations होंगे, दुनिया पर उसी देश की चलने वाली है। और इसलिए 21वीं सदी की ताकत को संतों ने पहचाना है और उस ताकत को वैज्ञानिक तरीके से रंग देने के लिए आज knowledge Resource Centre का आरंभ हो रहा है।

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पिछली अनेक शताब्‍दियों में मानव जाति ने ज्ञान के आधार पर, विज्ञान के आधार पर, technology के आधार पर जो प्रगति की है, आज हर घंटे, हर दिन, हर महीने, हर साल विज्ञान के नए अविष्‍कार, ज्ञान का सर्वश्रेष्‍ठ प्रभाव, technology का प्रभुत्‍व, समाज जीवन को इतनी तेजी से बदल रहा है, जो पिछली शताब्‍दियों में कभी नहीं हुआ था। जिस गति से दुनिया बदल रही है, technology विज्ञान और ज्ञान के आधार पर उसको cope-up करने के लिए कभी-कभी मानव की कल्पना शक्‍ति भी कम पड़ जाती है। कही एक जगह पर लोग आगे बढ़े तो हम सोचते रह जाते हैं कि भई हम वहां कहां पहुंचेंगे। दुनिया इतनी तेजी से ज्ञान-विज्ञान और technology के सहारे बदल रही है। क्‍या भारत इंतजार करता रहेगा क्‍या? क्या भारत यही सोचता रहेगा क्या कि कोई महापुरुष, संत, महात्मा के आशीर्वाद मिल जाएंगे और देश महान हो जाएगा। संत भी ऐसा नहीं मानते हैं, संत भी मानते हैं कि knowledge Resource Centre बनाने चाहिए।

नए innovations होने चाहिए। पिछले दिनों आपको पता होगा पेरिस में दुनिया के सभी देशों के लोग इकट्ठे आए थे। एक बड़ा विश्व का कुंभ मेला लगा था और वे सब ब्रहमांड की चर्चा करने में लगे थे, Global warming के लिए, Global warming से कैसे मानव जात को बचाया जाए, विश्व को बचाया जाए, पृथ्वी को बचाया जाए, इसकी चिंता हो रही थी। लेकिन वहां पर दो बातें हुईं। एक भारत, अमेरिका, फ्रांस, इनके initiative थे, innovation पर बल देने के लिए योजना बने और इस संकट का सामना करना होगा, तो नए अनुसंधान करने पड़ेंगे, innovations करने पड़ेंगे और उसके लिए एक सामूहिक रूप से प्रयास करने की आवश्यकता है और दूसरा वाला निर्णय हआ। जो देश जहां 300 दिवस से ज्यादा सूर्य प्रकाश उपलब्ध होता है, ऐसे देश इकट्ठे आएं। विश्व में करीब 122 countries ऐसे हैं कि जहां Solar Radiation काफी मात्रा में हैं और इससे भारत के प्रयासों से, भारत के नेतृत्व में दुनिया के 122 देश जहां 300 दिवस से ज्यादा सूर्य प्रकाश रहता है इकट्ठे आएं और सूर्य शक्ति का मानव जात में कैसे उपयोग हो, उस पर एक संगठन का निर्माण किया है।

इन चीजों का आने वाले युगों तक प्रभाव रहने वाला है। उसके मूल में ज्ञान है, विज्ञान है, technology है, innovation है और वही, वही बदलाव आया है और बदलाव को लाने की दिशा में एक उत्तम कदम है। और मैं मानता हूं कि शताब्दी समारोह तक पूज्य स्वामी जी को उत्तम से उत्तम श्रद्धांजलि, इस एक उत्तम कदम के द्वारा दी जा रही है और इसके लिए आप सब बधाई के पात्र हैं, अभिनंदन के पात्र हैं।

भारत सरकार की तरफ से इन उत्तम प्रयासों के लिए हमेशा-हमेशा के लिए कंधे से कन्धा मिलकर के देश, दिल्ली में बैठी हुई सरकार आपके साथ चलेगी और नए innovations समाज-जीवन के काम आएं, ज्ञान का भंडार, मानव जात के कल्याण का कारण बनें, उस दिशा में हम प्रयास करते रहें।

आज जब में इस पवित्र कार्यक्रम में आया हूं, मैं देश के जवानों का गर्व करना चाहता हूं, देश के सुरक्षा बलों का गर्व करना चाहता हूं, उनका अभिनंदन करना चाहता हूं। जब युद्ध होते हैं तो दुश्मन देश, अपने सामने वाले देश की सैन्य शक्ति पर घात करने के प्रयास करता है। आज मानवता के दुश्मनों ने जो भारतीय प्रगति को देखने की उनको परेशानी हो रही है, ऐसे तत्वों ने ऐसी ताकतों ने पठानकोट में हिंदुस्तान की सैन्य शक्ति का अंग Airbase देने का प्रयास किया है। मैं देश के सुरक्षा बलों को बधाई देता हूं कि दुश्मनों के उन इरादों को उन्होंने खाक में मिला दिया। उनको सफल नहीं होने दिया और जिन जवानों ने शहादत दी है, उनकी शहादत को मैं नमन करता हूं और देशवासियों को मैं विश्वास दिलाता हूं कि हमारे सुरक्षा बलों में वो सामर्थ्य है कि दुश्मनों की कोई भी नापाक इरादों को उठते ही वो खत्म करने की ताकत रखते हैं और देश को सुरक्षा प्रदान करते हैं। उन जांबाज जवानों को बधाई देता हूं, उन सुरक्षा बलों को अभिनंदन करता हूं और ऐसे समय राष्ट्र का आत्मविश्वास, राष्ट्र का धैर्य और राष्ट्रीय एकता एक स्वर में राष्ट्र जब बोलता है तो दुश्मन के घर नष्ट हो जाते हैं। उस संकल्प लेकर के आगे बढ़ें। इसी एक अपेक्षा के साथ बहुत-बहुत धन्यवाद आपका। पूज्य स्वामी जी के श्री चरणों में प्रणाम करता हूं और ये knowledge Resource Centre 21वीं सदी में हमें नई ताकत दें, इसी अपेक्षा के साथ बहुत-बहुत धन्यवाद।

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The history and legacy of the Chola Empire reflect the strength and true potential of our great nation: PM Modi
July 27, 2025
QuotePM releases a commemorative coin honouring one of the greatest emperors of India, Rajendra Chola I
QuoteRajaraja Chola and Rajendra Chola symbolise India's identity and pride: PM
QuoteThe history and legacy of the Chola Empire reflect the strength and true potential of our great nation: PM
QuoteThe Chola era was one of the golden periods of Indian history; this period is distinguished by its formidable military strength: PM
QuoteRajendra Chola established the Gangaikonda Cholapuram Temple; Even today, this temple stands as an architectural wonder admired across the world: PM
QuoteToday, our government is carrying forward the Chola-era vision of cultural unity through initiatives like the Kashi-Tamil Sangamam and the Saurashtra-Tamil Sangamam: PM
QuoteDuring the inauguration of new Parliament building, where the sacred Sengol has been placed, the saints from our Shaivite Adheenams led the ceremony spiritually: PM
QuoteThe Chola emperors were key architects of Shaivite legacy that shaped India's cultural identity. Even today, Tamil Nadu remains one of the most significant centres of Shaivite tradition: PM
QuoteThe economic and military heights India reached during the Chola era continue to inspire us even today: PM
QuoteRajaraja Chola built a powerful navy, which Rajendra Chola further strengthened: PM

वणक्कम चोळा मंडलम!

परम आदरणीय आधीनम मठाधीशगण, चिन्मया मिशन के स्वामीगण, तमिलनाडु के गवर्नर R N रवि जी, कैबिनेट में मेरे सहयोगी डॉ. एल मुरुगन जी, स्थानीय सांसद थिरुमा-वलवन जी, मंच पर मौजूद तमिलनाडु के मंत्री, संसद में मेरे साथी आदरणीय श्री इलैयाराजा जी, सभी ओदुवार्, भक्त, स्टूडेंट्स, कल्चरल हिस्टोरियन्स, और मेरे प्यारे भाइयों और बहनों! नमः शिवाय

नम: शिवाय वाळघा, नादन ताळ वाळघा, इमैइ पोळुदुम्, येन नेन्जिल् नींगादान ताळ वाळघा!!

मैं देख रहा था कि जब-जब नयनार नागेंद्रन का नाम आता था, चारो तरफ उत्साह के वातावरण से एकदम से माहौल बदल जाता था।

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साथियों,

एक प्रकार से राज राजा की ये श्रद्धा भूमि है। और उस श्रद्धा भूमि में इलैयाराजा ने आज जिस प्रकार से शिवभक्ति में हम सबको डूबो दिया, सावन का मास हो, राज राजा की श्रद्धा भूमि हो और इलैयाराजा की तपस्या हो, कैसा अद्भुत वातावरण, बहुत अद्भुत वातावरण, और मैं तो काशी का सांसद हूं और जब ओम नम: शिवाय सुनता हूं, तो रोंगटे खड़े हो जाते हैं।

साथियों,

शिवदर्शन की अद्भुत ऊर्जा, श्री इलैयाराजा का संगीत, ओदुवार् का मंत्रोच्चार, वाकई ये spiritual experience आत्मा को भाव विभोर देता है।

साथियों,

सावन का पवित्र महीना और बृहदेश्वर शिवमंदिर का निर्माण शुरू होने के, one thousand years का ऐतिहासिक अवसर, ऐसे अद्भुत समय में मुझे भगवान बृहदेश्वर शिव के चरणों में उपस्थित होकर के पूजा करने का सौभाग्य मिला है। मैंने इस ऐतिहासिक मंदिर में 140 करोड़ भारतीयों के कल्याण और भारत की निरंतर प्रगति के लिए प्रार्थना की है। मेरी कामना है- भगवान शिव का आशीर्वाद सबको मिले, नम: पार्वती पतये हर हर महादेव!

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साथियों,

मुझे यहां आने में विलंब हुआ, मैं यहां तो जल्दी पहुंच गया था, लेकिन भारत सरकार के सांस्कृतिक मंत्रालय ने जो अद्भुत प्रदर्शनी लगाई है, ज्ञानवर्धक है, प्रेरक है और हम सब गर्व से भर जाते हैं, कि हजार साल हमारे पूर्वजों ने किस प्रकार से मानव कल्याण को लेकर के दिशा दी। कितनी विशालता थी, कितनी व्यापकता थी, कितनी भव्यता थी, और ये बताया गया मुझे पिछले एक सप्ताह से हजारों लोग ये प्रदर्शनी को देखने के लिए आ रहे हैं। ये दर्शनीय हैं और मैं तो सबको कहूंगा कि इसको आप जरूर देखें।

साथियों,

आज मुझे यहाँ चिन्मय मिशन के प्रयासों से तमिल गीता की एल्बम लॉंच करने का अवसर भी मिला है। ये प्रयास भी विरासत को सहेजने के हमारे संकल्प को ऊर्जा देता है। मैं इस प्रयास से जुड़े सभी लोगों को भी बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूँ।

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साथियों,

चोळा राजाओं ने अपने राजनयिक और व्यापारिक संबंधों का विस्तार श्रीलंका, मॉलदीव और दक्षिण-पूर्व एशिया तक किया था। ये भी एक संयोग है कि मैं कल ही मॉलदीव से लौटा हूं, और आज तमिलनाडु में इस कार्यक्रम का हिस्सा बना हूं।

हमारे शास्त्र कहते हैं- शिव के साधक भी शिव में ही समाहित होकर उनकी ही तरह अविनाशी हो जाते हैं। इसीलिए, शिव की अनन्य भक्ति से जुड़ी भारत की चोळा विरासत भी आज अमर हो चुकी है। राजराजा चोळा, राजेन्द्र चोळा, ये नाम भारत की पहचान और गौरव के पर्याय हैं। चोळा साम्राज्य का इतिहास और विरासत, ये भारत के वास्तविक सामर्थ्य का true potential का उद्घोष है। ये भारत के उस सपने की प्रेरणा है, जिसे लेकर आज हम विकसित भारत के लक्ष्य की ओर आगे बढ़ रहे हैं। मैं इसी प्रेरणा के साथ, राजेंद्र चोळा द ग्रेट को नमन करता हूं। पिछले कुछ दिनों में आप सभी ने आडी तिरुवादिरइ उत्सव मनाया है। आज उसका समापन इस भव्य कार्यक्रम के रूप में हो रहा है। मैं इसमें सहयोग करने वाले सभी लोगों को बधाई देता हूं।

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साथियों,

इतिहासकार मानते हैं कि चोळा साम्राज्य का दौर भारत के स्वर्णिम युगों में से एक था। इस युग की पहचान उसकी सामरिक ताकत से होती है। मदर ऑफ डेमोक्रेसी के रूप में भारत की परंपरा को भी चोळा साम्राज्य ने आगे बढ़ाया था। इतिहासकार लोकतन्त्र के नाम पर ब्रिटेन के मैग्नाकार्टा की बात करते हैं, लेकिन, कई सदी पहले चोळा साम्राज्य में कुडावोलई अमईप् से लोकतान्त्रिक पद्धति से चुनाव होते थे। आज दुनियाभर में water management और ecology preservation की इतनी चर्चा होती है। हमारे पूर्वज बहुत पहले से इनका महत्व समझते थे। हम ऐसे बहुत से राजाओं के बारे में सुनते हैं, जो दूसरी जगहों पर विजय प्राप्त करने के बाद सोना-चांदी या पशुधन लेकर आते थे। लेकिन देखिए, राजेंद्र चोळा की पहचान, वे गंगाजल लाने के लिए हैं, वो गंगाजल ले आए थे। राजेंद्र चोळा ने उत्तर भारत से गंगाजल लाकर दक्षिण में स्थापित किया। “गङ्गा जलमयम् जयस्तम्बम्” उस जल को यहां चोळागंगा येरि, चोळागंगा झील में प्रवाहित किया गया, जिसे आज पोन्नेरी झील के नाम से जाना जाता है।

साथियों,

राजेंद्र चोल ने गंगै-कोंडचोळपुरम कोविल की स्थापना भी की थी। यह मंदिर आज भी विश्व का एक architectural wonder है। ये भी चोळा साम्राज्य की ही देन है, कि मां कावेरी की इस धरती पर मां गंगा का उत्सव मनाया जा रहा है। मुझे बहुत खुशी है कि आज उस ऐतिहासिक प्रसंग की स्मृति में, एक बार फिर गंगाजल को काशी से यहां लाया गया है। अभी यहां मैं जब पूजापाठ करने के लिए गया था, विधिपूर्वक अनुष्ठान सम्पन्न किया गया है, गंगाजल से अभिषेक किया गया है और मैं तो काशी का जनप्रतिनिधि हूं, और मेरा मां गंगा से एक आत्मीय जुड़ाव है। चोळा राजाओं के ये कार्य, उनसे जुड़े ये आयोजन, ये ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ के महायज्ञ को नई ऊर्जा, नई शक्ति और नई गति देते हैं।

भाइयों बहनों,

चोळा राजाओं ने भारत को सांस्कृतिक एकता के सूत्र में पिरोया था। आज हमारी सरकार चोळा युग के उन्हीं विचारों को आगे बढ़ा रही है। हम काशी तमिल संगमम् और सौराष्ट्र तमिल संगमम् जैसे आयोजनों के जरिए एकता के सदियों पुराने सूत्रों को मजबूत बना रहे हैं। गंगै-कोंडचोळपुरम जैसे तमिलनाडु के प्राचीन मंदिरों का भी ASI के जरिए संरक्षण किया जा रहा है। जब देश की नई संसद का लोकार्पण हुआ, तो हमारे शिव आधीनम के संतों ने उस आयोजन का आध्यात्मिक नेतृत्व किया था, सब यहां मौजूद हैं। तमिल संस्कृति से जुड़े पवित्र सेंगोल को संसद में स्थापित किया गया है। मैं आज भी उस पल को याद करता हूं, तो गौरव से भर जाता हूं।

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साथियों,

मैंने अभी चिदंबरम् के नटराज मंदिर के कुछ दीक्षितरों से मुलाकात की है। उन्होंने मुझे इस दिव्य मंदिर का पवित्र प्रसाद भेंट किया, जहां भगवान शिव की नटराज रूप में पूजा होती है। नटराज का ये स्वरूप, ये हमारी philosophy और scientific roots का प्रतीक है। भगवान नटराज की ऐसी ही आनन्द ताण्डव मूर्ति दिल्ली के भारत मंडपम की शोभा भी बढ़ा रही है। इसी भारत मंडपम में जी-20 के दौरान दुनिया भर के दिग्गज नेता जुड़े थे।

साथियों,

हमारी शैव परंपरा ने भारत के सांस्कृतिक निर्माण में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। चोळा सम्राट इस निर्माण के अहम architect थे। इसीलिए, आज भी शैव परंपरा के जो जीवंत केंद्र हैं, तमिलनाडु उनमें बेहद अहम है। महान नयनमार संतों की लीगेसी, उनका भक्ति लिटरेचर, तमिल लिटरेचर, हमारे पूज्य आधीनमों की भूमिका, उन्होंने सोशल और spiritual फ़ील्ड में एक नए युग को जन्म दिया है।

साथियों,

आज दुनिया जब instability, violence और environment जैसी समस्याओं से जूझ रही है, ऐसे में शैव सिद्धांत हमें solutions का रास्ता दिखाते हैं। आप देखिए, तिरुमूलर ने लिखा था — “अन्बे शिवम्”, अर्थात्, प्रेम ही शिव है। Love is Shiva! आज अगर विश्व इस विचार को adopt करे, तो ज़्यादातर crisis अपने आप solve हो सकती हैं। इसी विचार को भारत आज One World, One Family, One Future के रूप में आगे बढ़ा रहा है।

साथियों,

आज भारत, विकास भी, विरासत भी, इस मंत्र पर चल रहा है। आज का भारत अपने इतिहास पर गर्व करता है। बीते एक दशक में हमने देश की धरोहरों के संरक्षण पर मिशन मोड में काम किया है। देश की ancient statues और artifacts, जिन्हें चुराकर विदेशों में बेच दिया गया था, उन्हें वापस लाया गया है। 2014 के बाद से 600 से ज्यादा प्राचीन कलाकृतियां, मूर्तियां दुनिया के अलग-अलग देशों से भारत वापस आई हैं। इनमें से 36 खासतौर पर हमारे तमिलनाडु की हैं। आज नटराज, लिंगोद्भव, दक्षिणमूर्ति, अर्धनारीश्वर, नंदीकेश्वर, उमा परमेश्वरी, पार्वती, सम्बन्दर, ऐसी कई महत्वपूर्ण धरोहरें अब फिर से इस भूमि की शोभा बढ़ा रही हैं।

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साथियों,

हमारी विरासत और शैव दर्शन की छाप अब केवल भारत तक, या इस धरती तक ही नहीं। जब भारत चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंड करने वाला पहला देश बना, तो हमने चंद्रमा के उस पॉइंट को भी शिवशक्ति नाम दिया। चंद्रमा के उस अहम हिस्से की पहचान अब शिव-शक्ति के नाम से होती है।

साथियों,

चोळायुग में भारत ने जिस आर्थिक और सामरिक उन्नति का शिखर छूआ है, वो आज भी हमारी प्रेरणा है। राजराजा चोळा ने एक पावरफुल नेवी बनाई। राजेंद्र चोळा ने इसे और सुदृढ़ किया। उनके दौर में कई प्रशासनिक सुधार भी किए गए। उन्होंने लोकल एड्मिनिस्ट्रेटिव सिस्टम को सशक्त बनाया। एक मजबूत राजस्व प्रणाली लागू की गई। व्यापारिक उन्नति, समुद्री मार्गों का इस्तेमाल, कला और संस्कृति का प्रचार, प्रसार, भारत हर दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा था।

साथियों,

चोळा साम्राज्य, नए भारत के निर्माण के लिए एक प्राचीन रोडमैप की तरह है। ये हमें बताता है, अगर हमें विकसित राष्ट्र बनाना है, तो हमें एकता पर ज़ोर देना होगा। हमें हमारी नेवी को, हमारी डिफेंस फोर्सेस को मजबूत बनाना होगा। हमें नए अवसरों को तलाशना होगा। और इस सबके साथ ही, अपने मूल्यों को, उसको भी सहेज कर रखना होगा। और मुझे संतोष है कि देश आज इसी प्रेरणा से आगे बढ़ रहा है।

साथियों,

आज का भारत, अपनी सुरक्षा को सर्वोपरि रखता है। अभी ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दुनिया ने देखा है कि कोई अगर भारत की सुरक्षा और संप्रभुता पर हमला करता है, तो भारत उसे कैसे जवाब देता है। ऑपरेशन सिंदूर ने दिखा दिया है कि भारत के दुश्मनों के लिए, आतंकवादियों के लिए अब कोई ठिकाना सुरक्षित नहीं है। और आज जब मैं हेलीपेड से यहां आ रहा था, 3-4 किलोमीटर का रास्ता काटते हुए, और अचानक मैंने देखा एक बड़ा रोड शो बन गया और हरेक के मुंह से ऑपरेशन सिंदूर का जय-जयकार हो रहा था। ये पूरे देश में ऑपरेशन सिंदूर ने एक नई चेतना जगाई है, नया आत्मविश्वास पैदा किया है और दुनिया को भी भारत की शक्ति को स्वीकार करना पड़ रहा है।

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साथियों,

हम सब जानते हैं कि राजेन्द्र चोळा ने गंगै-कोंडचोळपुरम का निर्माण कराया, तो उसके शिखर को तंजावूर के बृहदेश्वर मंदिर से छोटा रखा। वो अपने पिता के बनाए मंदिर को सबसे ऊंचा रखना चाहते थे। अपनी महानता के बीच भी, राजेंद्र चोळा ने विनम्रता दिखाई थी। आज का नया भारत इसी भावना पर आगे बढ़ रहा है। हम लगातार मजबूत हो रहे हैं, लेकिन हमारी भावना विश्वबंधु की है, विश्व कल्याण की है।

साथियों,

अपनी विरासत पर गर्व की भावना को आगे बढ़ाते हुये आज मैं यहां एक और संकल्प ले रहा हूं। आने वाले समय में हम तमिलनाडु में राजराजा चोळा और उनके पुत्र और महान शासक राजेंद्र चोळा प्रथम की भव्य प्रतिमा स्थापित करेंगे। ये प्रतिमाएं हमारी ऐतिहासिक चेतना का आधुनिक स्तंभ बनेंगी।

साथियों,

आज डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम जी की पुण्यतिथि भी है। विकसित भारत का नेतृत्व करने के लिए हमें डॉक्टर कलाम, चोळा राजाओं जैसे लाखों युवा चाहिए। शक्ति और भक्ति से भरे ऐसे ही युवा 140 करोड़ देशवासियों के सपनों को पूरा करेंगे। हम साथ मिलकर, एक भारत श्रेष्ठ भारत के संकल्प को आगे बढ़ाएँगे। इसी भाव के साथ, मैं एक बार फिर आज के इस अवसर की आप सबको बधाई देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की- जय

भारत माता की- जय

भारत माता की- जय

वणक्कम!