PM’s address at BJP Parliamentary meet in New Delhi, 16 December, 2016

Published By : Admin | December 16, 2016 | 19:37 IST
QuotePM Modi addresses the BJP Parliamentary meet in New Delhi
QuoteFor us, the nation comes first: PM
QuotePM Modi asks BJP MPs to spread the message of demonetization
QuotePM Modi lauded the CM of Bihar and Odisha for supporting the demonetisation

आदरनीय राष्ट्रिय अध्यक्ष जी, आदरणीय आडवाणी जी और सभी वरिष्ठ साथी,

हमारे देश में संसद में हंगामा होना, संसद न चलना; ये पहले भी होता था। इस बार जरा ज्‍यादा हुआ, लेकिन एक मूलभूत फर्क है कि पहले संसद में बाधाएँ इसलिए आती थीं, रुकावटें इसलिए आती थीं, हंगामे इस बात को ले करके होते थे, कि देश के सामने भयंकर घोटाले उजागर होते थे, भ्रष्‍टाचार के गंभीर आरोप सामने आते थे; और विपक्ष ईमानदारी के मुद्दे पर एक हो करके लड़ाई लड़ता था। पहली बार देश में ऐसा हुआ कि TreasuryBenchभ्रष्‍टाचार के खिलाफ कदम उठा रही है, काले धन के खिलाफ कदम उठा रही है; और विपक्ष में ज्‍यादातर लोग बेईमानों का साथ देने के लिए इक्‍ट्ठे हो रहे हैं। कभी कभार नासमझी में या स्‍वार्थवश किसी ने बेईमानों का पक्ष भी लिया होगा तो चुपचाप रह करके लिया होगा, न बोल करके मदद की होगी। देश में ऐसा पतन राजनीतिक जीवन में आया है कि बेईमानों के पक्ष में खुल करके बोलने की कुछ लोगों ने हिम्‍मत दिखाई है। ये सबसे ज्‍यादा चिन्‍ता का विषय है।

आज 16 दिसम्‍बर है, 1971 में भारत की वीर सेना ने; पराक्रमी सेना ने पाकिस्तान को घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया था और बंगलादेश के मुक्ति के‍ लिए लड़ाई लड़ रहे लोगों को विजय प्राप्‍त हुई थी। लेकिन तब भी विरोध पक्ष था, मजबूत विरोध पक्ष था; लेकिन तब किसी विरोधी पक्ष ने 1971, 16 दिसम्‍बर को देश की सरकार से कोई सबूत नहीं मांगा था कि सेना ने पराक्रम किया वो सही है या गलत है, किसी ने सबूत नहीं मांगा था। आज पतन इतना हो गया कि मौत को मुट्ठी में लेकर चलने वाले फौजी को भी सबूत देने के लिए मजबूर किया जा रहा है। ये जो गिरावट है सार्वजनिक जीवन की, ये चिन्‍ता का विषय है।

मैं हैरान हूं कि मुद्दों पर चर्चा करने का सामर्थ्‍य इस सरकार के टीकाकारों ने किया होता तो अच्‍छा होता और इस बात को भी हमने नोट करना चाहिए कि कई लोग हैं, जो वैचारिक रूप से भारतीय जनता पार्टी या NDA के पक्ष में नहीं हैं,  उसके बावजूद भी भ्रष्‍टाचार और काले धन के खिलाफ की लड़ाई में वे खुल करके हमारे साथ आए हैं। मैं उड़ीसा के मुख्‍यमंत्री श्रीमान नवीन बाबू का आभार व्‍यक्‍त करता हूं, मैं बिहार के मुख्‍यमंत्री श्रीमान नी‍तीश कुमार का अभार व्‍यक्‍त करता हूं। ऐसे और भी बहुत लोग हैं, जो खुल करके हमारे सामने आए, और इसलिए मैं चाहता हूं कि इस लड़ाई में जो भी साथ दे रहे हैं, उनको साथ ले करके हमें आगे बढ़ना है।

1000 और 500 के नोट के संबंध में किया गया निर्णय इस लड़ाई का एक महत्‍वपूर्ण पड़ाव है, ये लड़ाई का आखिरी मंजिल नहीं है। मध्‍यम वर्ग का शोषण अगर रोकना है, गरीबों को हक दिलाना है, तो भ्रष्‍टाचार और कालेधन से देश को मुक्‍त कराना अनिवार्य है। और उसके लिए हिम्‍मतपूर्वक निर्णय करने पड़ेंगे। 26 मार्च, 2014, जबकि देश लोकसभा के चुनाव लड़ रहा था, तब यूपीए के सरकार थी; 26 मार्च, 2014, को देश के Supreme Court ने क्‍या कहा था;

Since 1947 for 65 yearsnobody thought of bringing the money stress away in Foreign Banks to The Country. The Government has failed in his roll for 65 years. This court, fix that you have failed in your duty and so it gave and order for the appointment for the committee headed by the former Judges of this Court.Three years have passed but you have not done anything to implement the order. What have you done? Except for filing one report you have done nothing.

ये पुरानी सरकार की सोच के संबंध में, उनके कारोबार के संबंध में Supreme Court की 26 मार्च, 2014 की टिप्‍पणी कितनी गंभीर है। मैं एक और बात बताना चाहता हूं, 1971 में, जबकि श्रीमती गांधी इस देश में राज करती थीं; एक Wanchoo Committeeबनी थी, जिस Wanchoo Committeeका एक रिपोर्ट आया था, और जिसमें नोटों पर पाबंदी लगाने के विषय में गंभीरतापूर्वक चर्चा की गई थी। और उस Committee का रिपोर्ट कहता है, और ये Nineteen Seventeen One (1971) की बात है;

We are fully aware of the ‘not too successful’ results of the demonatisation in 1946. Yet we are confident that this majors if introduce now would at you substantial result because of alter circumstances. Wanchoo Committeeका कहना था कि 1946 में demonetizationहुआ तो उसमें सफलता नहीं मिली, लेकिन अगर Seventy One में करेंगे तो हमें बहुत बड़ी सफलता मिलेगी। कहने का तात्‍पर्य ये है कि Nineteen Seventy One में देश को इसकी जरूरत थी जो आज हमने किया है। इतने साल देर कर करके देश का कितना नुकसान किया है, ये हम कल्‍पना कर सकते हैं। और उस समय के जो Cabinet Secretaryएक Senior I.A.S. Officer थे, उन्‍होंने किताब लिखी है। उस किताब का एक वाक्‍य में quoteकरना चाहता हूं। उस किताब में, श्रीमान माधव गोडबोले की किताब है;

“Unfinished innings, recollections and reflections of a civil servant”, फिर बाद में Cabinet Secretary भी बने थे, और यशवंतराव चौहान, जब Finance Minister थे; तब वे उनके सचिव थे, तब उन्‍होंने एक बड़ा मजेदार अपनी किताब में उल्‍लेख किया है, When Y.B. Chavan told her, her means Smt. Gandhi, When Y.B. Chavantold her about the proposal for demonetization, and his view that it should be accepted and implementedforthwith,उन्‍होंने आगे वर्णन किया है, इन्दिरा जी ने चौहान के सामने देखा, कुछ पल देखा, और फिर कहा; She asked Chavan only one question, Chavan JiAre no more elections to be fought  by the Congress P arty?

इन्दिरा जी ने Y.B. Chavan को पूछा कि क्‍या भाई, क्‍या कांग्रेस को आगे चुनाव लड़ना है कि नहीं लड़ना है? Chavan got the massage and the recommendation was slashed. बताइए साहब! दल बड़ा कि देश बड़ा? ये 1971 में, सारे रिपोर्ट थे, उनके ये वित्‍त मंत्री कह रहे थे कि करने की आवश्‍यकता है, देश के लिए जरूरी है, और उस समय के Senior Civil Servant ने लिखा है कि Y.B. Chavanको जब ये पूछा गया, सारी बात रुक गई। जो काम 1971 में किया होता, तो आज ये देश की बर्बादी नहीं होती, इस प्रकार से देश को चलाया गया है।

मैं कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के लोगों से पूछना चाहता हूं। जब कम्‍युनिस्‍ट पार्टी ने पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के साथ चुनावी समझौता किया, तब ऐसा लग रहा था कि शायद ममता जी की राजनीति के खिलाफ इन लड़ाई है, ममता जी को उखाड़ फेंकने के लिए वो इकट्ठे हो रहे हैं। लेकिन इस बार कम्‍युनिस्‍ट पार्टी का सदन में जो व्‍यवहार रहा है, उससे लगता है कि बंगाल में उन्‍होंने सिर्फ चुनावी समझौता किया था ऐसा नहीं; कम्‍युनिस्‍ट पार्टी ने अपना वैचारिक समझौता कर लिया है, कम्‍युनिस्‍ट पार्टी अपनी विचारधारा से उखड़ चुकी है। मैं इसलिए कह रहा हूं।

26 August 1972, Wanchoo Committeeकी रिपोर्ट को ले करके पार्लियामेंट में जो बोला था, मैं चाहूंगा कि आज के कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के नेता संसद से उन भाषणों को निकाल करके पढ़ें। ज्योर्तिमयबसु ने कहा था;

Sir, the primary recommendation of the 12th November, 1970, by this powered and eminent committee but immediatedemonetization, Sir, Indira Gandhi survived on black money. Her politics lies on black money. Therefore, the report was only not implemented but it was suppressed for an a year and half.

उस समय उन्‍होंने इतने गंभीर आरोप सदन में लगाए थे कि आप Wanchoo Committeeकी रिपोर्ट लागू क्‍यों नहीं करते और आप Wanchoo Committeeकी रिपोर्ट टेबल पर भी रखने को तैयार नहीं थे। 4 September, 1972, ज्योति बाबू, उन्‍होंने कहा I have suggested demonetization and other measures. I do not wish to repeat them. Government must sincerely seek people’s co-operation. But the Prime Minister, Smt. Indira Gandhi and her Government with the class character that it heads, is a Government of the black money, by the black moneyand for the black money, येज्योति बाबू ने4 September, 1972 को कहा था। उनके एक दुसरे ideologue हरकिशन सिंह सुरजीत, उन्होंने 27th August 1981 राज्य सभा में कहा था Are the seriously proposing any steps which would lead to the stoppage of use of black money including demonetization of one hundred rupee notes and such other things.

यानी 100 रुपये के नोट को भी रद्द करने के लिए कम्‍युनिस्‍ट पार्टी लड़ाई लड़ रही थी। आप एक और भी रिजर्व बैंक के पूर्व गर्वनर, मिस्‍टर बी. रेड्डी, उन्‍होंने इसी साल अक्‍तूबर में एक memorial lecture में अपना भाषण करते हुए एक बात उजागर की। उन्‍होंने कहा BenamiTransaction Prohibition Act 1988 को पार्लियामेंट ने पास किया था, For some reason or the other no regulations were issued under the act. In other words, it remain unimplemented for more than twenty five years. ये जो आज वहां क्‍यों ऐसा कर रहे हैं इसके लिए ज्‍यादा दिमाग खपाने की जरूरत नहीं। उनके व्‍यवहार से पता चलता है कि nineteen eighty eight में बेनामी संपत्ति के लिए आप कानून पास करते हो और इतने साल बीतने के बाद भी उसको notify नहीं करते हो। संसद में पारित कर करके, Press Conference ले करके Publicity कमा करके राजनीति करते रहते हो, लेकिन आप इसको लागू नहीं करते हो।

अब इस सरकार ने आ करके समयानुकूल परिवर्तन किया, और परिवर्तन करके उसको notify कर दिया। अब मान लीजिए मैं आगे कोई कदम उठाऊंगा, ये सरकार उठाएगी कदम, आखिर हमने बेनामी संप‍त्ति का कानून पारित क्‍यों किया है? अब फिर ये चिल्‍लाएंगे, कि मोदी ने जल्‍दबाजी क्‍यों कर दी। आपने Eighty Eight से उसको अब तक लागू नहीं किया, देश में बेनामी संपत्ति इक्‍ट्ठी करने वालों को खुली छूट दे दी, और ये सरकार कानून पारित कर चुकी है, notify कर चुकी है; लागू करने के लिए कदम उठाएगी और फिर आप चिल्‍लाना शुरू करोगे क्‍या? क्‍या देश ऐसे चलाओगे क्‍या? ये सारी मुसीबत की जड़ ये है कि इनके लिए देश से बड़ा दल है, हमारे लिए दल से बड़ा देश है। और इसलिए, और जहां तक वैचारिक इरादों का सवाल है, देखिए क्‍या हाल है!

2004, डॉक्‍टर मनमोहन सिंह जी का भाषण मैं quoteकर रहा हूं, India 2015 will be a nation of capable an empowered men and women,welfared and gainfully employed modern and rational and actively engaged with the world. That is my dream for India at the end of next decade. A decade is not long time indeed. I do hope you share my sense urgency in doing what we have to do.

ये उन्‍होंने 2004 में जब प्रधानमंत्री बने तब कहा। 24 जुलाई, 1991को क्‍या कहा था? देखिए फर्क कैसे आ रहा है! दल बड़ा कि देश बड़ा इस उलझन में कहां से कहां पहुंच जाते हैं।

91में कहा था,Nobody can deny that this size of large scale tax evasion, both in terms of income and in terms of wealth, Unless I find substantialimprovement in tax compliance in few months, Government will have no choice but to take strong majors to make the tax evader pay a sufficiently high price for such delinquencies. ये धमकी की भाषा उस समय कही गई थी। और आज सारे स्‍वर बदल चुके हैं, क्‍यों? उनको अपने दल की चिंता है, देश की चिंता नहीं है।

भाइयो, बहनों! चाणक्‍य नीति में एक बहुत ही उत्‍तम बात कही गई है, और यूपीए ने दस साल शासन किया, उसके संदर्भ में इसको देखें तो बहुत ही महत्‍वपूर्ण बात चाणक्‍य नीति में कही गई है। चाणक्‍य नीति के 15वें अध्‍याय का छठवां दोहा है, उसमें कहा गया है-

करि अनीति धन जोरेऊ, करि अनीति धन जोरेऊ, दसे वर्ष ठहराए।

ग्‍यारहवें के लागते, जड़ऊ मूल ते जाय।।

करि अनीति धन जोरेऊ, दसे वर्ष ठहराए।

ग्‍यारहवें के लागते जड़ऊ मूल ते जाय।।

अन्‍याय से कमाया हुआ धन केवल दस वर्ष टिकता है, 11वां वर्ष लगने पर वह मूलधन के साथ नष्‍ट हो जाता है। ये उनके दस साल के कार्यकाल के सामने ये जो इकट्ठा किया हुआ है, इस पर चाणक्‍य उस समय कह कर गए थे, उनको पता था। और इसलिए, और मुझे विश्‍वास है कि आप जब अपने क्षेत्र में लौट रहे हैं, बड़े आत्‍मविश्‍वास के साथ देश को भ्रष्‍टाचार से मुक्‍त्‍ कराने के लिए, काले धन से मुक्‍त कराने के लिए, हमने लड़ाई लड़नी है, लड़ाई को आगे ले जाना है।

आपने देखा होगा टीवी पर बातें आती हैं कभी-कभी कि किसी रिक्‍शेवाले को पूछते हैं तुम ई-बटुआ जानते हो? सही है, इस देश में सब लोगों को पता नहीं है। लेकिन जिनको पता है, उनको तो इसमें हम जोड़ें। मान लीजिए देश में 40% लोग होंगे, जिनको हम पढ़े-लिखे मानें, जिनके हाथ में स्‍मार्टफोन माने, अगर इतनों को भी इसमें ला दें; तो जो गरीब रिक्‍शावाला है, जो कैश से खर्चा करता है, उसमें रत्‍ती भर भी बेईमानी नहीं होती है भाई। सवाल उन लोगों का है, जो जानते हैं तो भी नहीं करते हैं और इसलिए उनको इस रास्‍ते पर लाने के‍ लिए इस Digital Movement को हमें आगे बढ़ाना है।

आपने देखा होगा कल बड़ी महत्‍वपूर्ण कुछ योजनाएं सरकार ने Launch की हैं। मैं चाहता हूं कि इसको आप कैसे आगे बढ़ाएं। एक Lucky ग्राहक योजना, दूसरी है डिजी-धन व्‍यापरी योजना। इस योजना के तहत डिजी-धन योजना का पहला Launchingक्रिसमस के दिन होगा 25 दिसम्‍बर को, और Christmas giftsये बहु‍त बड़ी बात होती है। तो Christmas gift के रूप में जो भी लोग Online Transaction करते हैं, कहीं पर भी करेंगे, उसका एक Special Number AutomaticGenerateहोता है, हर किसी का होता है।

उसका एक पूरे देश में 8 नवम्‍बर से ले करके 25 दिसम्‍बर, 23, 24 दिसम्‍बर तक जिन्‍होंने भी किया होगा, उसका एक ड्रॉ 25 दिसम्‍बर को निकलेगा। और उस दिन 15,000 लोगों को जो ड्रॉ में जीत करके आएंगे, 15,000! उनके खाते में 1000 रुपया गिफ्ट के रूप में डाल दिया जाएगा। 15,000! लोगों को 1000 रुपया। और कौन लोग इसका फायदा उठा सकेंगे? जो 50 रुपये से ज्‍यादा खर्च किया है, और 3000 से कम किया है; ये अमीरों के लिए नहीं है। उसीको फायदा मिलेगा जो जो 50 रुपये से ज्‍यादा खर्च किया है, और 3000 से कम किया है। तो वो भी वो automatic technology, और  ये योजना daily चलेगी, daily draw होगा।

हर दिन 15,000 परिवार! हर एक को 1000 रुपया। और ये 100 दिन तक चलेगा। आप कल्‍पना कर सकते हैं कितने लाख परिवारों में इस योजना का सीध लाभ मिलेगा। अब आप उनको ये बात पहुंचाएंगे, तो फिर वो जरूर Digital Payment देगा, गरीब से गरीब भी Digital Payment देगा। फिर वो कहेगा नहीं भाई मुझे कैश नहीं देना है, ईनाम मिल जाएगा। दूसरा, व्‍यापा‍रियों को भी प्रोत्साहन मिलना चाहिए, और इसलिए जो व्‍यापारी इस काम को बढ़ावा देते हैं उनका अलग draw होगा, व्‍यापारियों का। जिनके यहां ग्राहक आते-जाते हैं, और उनके लिए भी ईनाम होंगे। ये ईनाम सप्‍ताह में एक बार होंगे, जिसमें ग्राहकों को, जो लाखों रुपये का ईनाम है; व्‍यापारियों को भी लाखों रुपये का ईनाम है। फिर तीन महीने के बाद एक Bumper Draw होगा, वो है 14 अप्रैल, बाबासाहेब अम्‍बेडकर जी की जन्‍म जयंती पर। और उस दिन का जो ईनाम, 8 नवम्‍बर से ले करके 14 अप्रैल तक जिन्‍होंने भी इसमें हिस्‍सा लिया होगा, वो सब इसमें शामिल किए जाएंगे। और वो शायद करोड़ों रुपये में ईनाम होगा।

उसकी पूरी योजना विस्‍तार से आपको लिख कर दे दी गई है अभी। ये आपका काम है, जैसे कल अखबार में advertisement आएगी। आप अपने क्षेत्र की हर दुकान में अखबार की advertisement की कतरन करके उस पोस्‍टर को एक Cardboard पर लगवा सकते हो; हर दुकान पर। आप दुकानदारों की मीटिंग करके समझा सकते हो कि भई ये Lucky Draw है इतना बड़ा, तुम इसमें शरीक हो जाओ। अगर एक बार छोटा व्‍यापारी जुड़ गया, इसका आगे फायदा क्‍या होने वाला है?

देखिए आज छोटे व्‍यक्ति को, एक धोबी है, प्रेस करता है, उसके पिताजी भी प्रेस करते थे, उसके दादाजी भी प्रेस करते थे। वो धोबी अगर आज बैंक लोन लेने जाएगा तो बैंक उसको एक पैसा लोन नहीं देगा, क्‍यों? कि उसके पास कोई Income का record ही नहीं है कि भई तुम कितना कमाते हो, कैसे कमाते हो? कुछ भी मालूम नहीं। वो भी बेचारा , आता है कोई पांच रुपये कोई देकर जाता है, फिर प्रेस करके दे देता है।

अगर वो Digital transaction करेगा तो Automatic  Online उसका record maintain होगा। एक स्थिति ऐसी आ सकती है, और मुझे साफ दिखता है कि आ सकती है। आज बैंक से लोन लेने के लिए तीन-तीन, चार-चार महीने लगते हैं, भांति-भांति के Document देने पड़ते हैं, भांति-भांति के लोग लाने पड़ते हैं; एक स्थिति वो आएगी, जो, भारत सरकार के जो platformबनाए गए हैं, कोई भी व्‍यापारी होगा वो सारा अगर online transaction करता है, तो उसका record , मेरा भाई इतना turnover पक्‍का है। एक दिन ऐसा मैं देख रहा हूं कि उस व्‍यापारी को अगर लोन चाहिएगा, ज्‍यादा से ज्‍यादा, ज्‍यादा से ज्‍यादा 6 मिनट लगेगा। 6 मिनट में इस Technology से उसको 25 हजार, 50 हजार का लोन फटाक से मिल जाएगा। छोटे व्‍यापारी के लिए ये स्‍वर्णिम अवसर है, क्‍योंकि उसका record होगा, कोई Document देखने नहीं पड़ेंगे। जो उस platform को लेगा, अच्‍छा भई पिछले महीने तुम्‍हारा 20 हजार का था, ठीक है 10 हजार रुपये तुम्‍हें और लोन दे देते हैं, तुम आगे बढ़ो, वो तुरंत निर्णय करेगा। पूरी Technology कारण corruptionजाएगा, सामान्‍य मानवी को ताकत मिलने वाली है।

मैंने सरकार के अफसरों को दो सूचनाएं दी हैं, जिस बात को आप प्रचारित कर सकते हैं। कुछ व्‍यापारियों को लगता है कि भई अभी हम Digital चले जाएंगे और हमारा turnover बढ़ जाएगा। पहले तो हमारा turnover cash था तो हम दिखते नहीं थे, अब Digital जाएंगे। अभी तो हम सब लाइन पर आना चाहते हैं, मोदीजी के साथ चलना चाहते हैं, लेकिन अगर उसके हिसाब से अब पुराना निकालोगे कि भाई तुम्‍हारा दिसम्‍बर में Digital में दो लाख था, इसका मतलब कि तुम्‍हारा जुलाई-अगस्‍त में भी 2 लाख होगा; तब तो तुमने 20 हजार लिखाया था; चलो पुराना भी निकालो। मैंने सरकार के सभी अधिकारियों से कह दिया है पुराना कोई पोस्‍टमार्टम नहीं करना है; वरना आप किसी को भी मुख्‍यधारा में ला ही नहीं पाओगे, ला नही पाओगे। 8 तारीख के पहले ऐसे ही हम चाहते हैं, कि मजदूरों का शोषण बंद होना चाहिए।

मजदूरों को उनके हक का पैसा मिलना चाहिए। आज क्‍या होता है, कैश देते हैं और कहते हैं इतना, देते हैं इतना। क्‍यों ऐसा करते हैं? कुछ मानों पूरा भी देते हैं लेकिन उनको लगता है भई labour act में आ जाएंगे इसलिए वो record नहीं रखता है। अब Digital payment से वो labour act के अंदर आएगा     । उसके लिए भी कुछ लोगों का कहना है कि साहब ये पुराना न खोलें। मैं Labour Ministry से भी कहा है कि 8 नवम्‍बर के पहले, अब आप कहोगे कि भई तुम्‍हारे यहां तो 100 employee हैं तुम digitally100 को देते हो पहले तो तुम दस ही बताते थे, अब पुराना भी निकालो, छह साल का निकालो; ये अफसरशाही नहीं चलेगी। बहुत साफ हूं मैं, मैं इस देश के सामान्‍य मानवी के लिए; ये सरकार जितना सकारात्‍मक कर सकती है उसे करने के पक्ष में हूं। और इसलिए 8 नवम्‍बर के बाद जो भी मुख्‍य धारा में आना चाहते हैं, उनको अवसर मिलना चाहिए। और ये Digital व्‍यवस्‍था के कारण ये संभव होगा और देश का हर व्‍यक्ति जी, ये अफसरशाही का जुल्‍म सहने को तैयार नहीं है; हम उससे मुक्‍त कराना चाहते हैं और ये एक ऐसी सरकार है जो अफसरशाही से भी सामान्‍य नागरिक को मुक्‍त कराने के लिए खुद कदम उठा रही है। तो ये आगे की सोच, आप कल्‍पना कर सकते हैं जब 6 मिनट में लोन मिल जाएगा, वो कितना बड़ा निर्णय कर पाएगा जी। उसके सामने मान लीजिए बाजार में कुछ खरीदने के लिए, बेचने के लिए किसान आया है; पैसा नहीं है, लेकिन वो अपना Record तुरंत request करेगा online mobile से; वो तुरंत अपना record देखेगा और 6 मिनट में लोन मिल जाएगा और किसान जो माल ले करके आया है वो तुरंत खरीद लेगा।

किसान का भी फायदा होगा, व्‍यापारी को भी फायदा हो जाएगा, Banking Systemभी सरल हो जाएगी। इतनी संभावनाएं Digital में पड़ी हुई हैं। और इसलिए ये Digital सिर्फ नोटों, कागज की नोटें कम करने का कार्यक्रम नहीं है जी, ये पूरी तरह एक way of lifeबदलने का कार्यक्रम है। एक Way of Economic System को बदलने का कार्यक्रम है। और दुनिया में उन्‍हीं देशों ने प्रगति की है जिन्‍होंने इन बदलाव को समय रहते हुए स्‍वीकार किया है।

हम लोगों का ये prime responsibility होनी चाहिए कि हम इस बात को आगे बढ़ाएं। 15 हजार परिवारों को हर दिन ईनाम, आप पहुंच सकते हैं लोगों के पास, आप ध्‍यान रखिए कि आपके इलाके में किनको draw लगा है, उनका सम्‍मेलन कीजिए। देखो भाई मेरे यहां एक हजार रुपया आ गया। ये बात आपको encourage तब होती है जब आप उसके साथ जुड़ते हैं। बाकी सरकार एक के बाद एक जनहित में कदम उठा रही है, और आपको अब पता चल गया होगा हम टुकड़ों में नहीं सोचते हैं। एक पूरा full scale designके साथ सोचते हैं, पत्‍ता धीरे-धीरे खोलते हैं; लेकिन पूरे scale में सोच करके चल रहे हैं, उसी को आगे बढ़ना है।

बेनामी संपत्ति का कायदा पहले पास किया था, Digital का फरवरी से अक्‍तूबर तक, 23 महत्‍वपूर्ण decision लिए हुए हैं इस सरकार ने। DigitalPromotion के लिए अप्रैल से अक्‍तूबर तक 23 महत्‍वपूर्ण decision लिए हुए हैं। लेकिन अगर हम उसको ध्‍यान नहीं रखेंगे, हम उसको ऐसे ही कार्रवाई मानेंगे तो बदलाव नहीं आ सकता है और जो सफलता ह‍में मिली है जी इस अभियान को, कोई कल्‍पना नहीं कर सकता है कि इतने सफल होंगे। जन समर्थन मिला है, और मैंने पहले दिन कहा है 50 दिन मुश्किल है; मुश्किलें बढ़ती जाएंगी, लेकिन 50 दिन के बाद मुश्किलें कम होते, होते, होते, होते स्थिति normal होने में देर नहीं लगेगी। 50 दिन! अभी भी, अभी भी मैं कह रहा हूं। वैसे आज रिपोर्ट शुरू हुआ है कि काफी normal हुआ है, फिर भी मैं कहता हूं 50 दिन तकलीफ है ही है। 50 दिन के बाद एकदम ऊंचाई तकलीफ पहुंचेगी; फिर धीरे, धीरे, धीरे करके ठीक होगी। ये बात हमको लोगों को बतानी होगी, अच्‍छा करने का हमारा प्रयास है, होके रहेगा मेरा विश्‍वास है।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

 

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नमस्कार!

आप लोग सब थक गए होंगे, अर्णब की ऊंची आवाज से कान तो जरूर थक गए होंगे, बैठिये अर्णब, अभी चुनाव का मौसम नहीं है। सबसे पहले तो मैं रिपब्लिक टीवी को उसके इस अभिनव प्रयोग के लिए बहुत बधाई देता हूं। आप लोग युवाओं को ग्रासरूट लेवल पर इन्वॉल्व करके, इतना बड़ा कंपटीशन कराकर यहां लाए हैं। जब देश का युवा नेशनल डिस्कोर्स में इन्वॉल्व होता है, तो विचारों में नवीनता आती है, वो पूरे वातावरण में एक नई ऊर्जा भर देता है और यही ऊर्जा इस समय हम यहां महसूस भी कर रहे हैं। एक तरह से युवाओं के इन्वॉल्वमेंट से हम हर बंधन को तोड़ पाते हैं, सीमाओं के परे जा पाते हैं, फिर भी कोई भी लक्ष्य ऐसा नहीं रहता, जिसे पाया ना जा सके। कोई मंजिल ऐसी नहीं रहती जिस तक पहुंचा ना जा सके। रिपब्लिक टीवी ने इस समिट के लिए एक नए कॉन्सेप्ट पर काम किया है। मैं इस समिट की सफलता के लिए आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, आपका अभिनंदन करता हूं। अच्छा मेरा भी इसमें थोड़ा स्वार्थ है, एक तो मैं पिछले दिनों से लगा हूं, कि मुझे एक लाख नौजवानों को राजनीति में लाना है और वो एक लाख ऐसे, जो उनकी फैमिली में फर्स्ट टाइमर हो, तो एक प्रकार से ऐसे इवेंट मेरा जो यह मेरा मकसद है उसका ग्राउंड बना रहे हैं। दूसरा मेरा व्यक्तिगत लाभ है, व्यक्तिगत लाभ यह है कि 2029 में जो वोट करने जाएंगे उनको पता ही नहीं है कि 2014 के पहले अखबारों की हेडलाइन क्या हुआ करती थी, उसे पता नहीं है, 10-10, 12-12 लाख करोड़ के घोटाले होते थे, उसे पता नहीं है और वो जब 2029 में वोट करने जाएगा, तो उसके सामने कंपैरिजन के लिए कुछ नहीं होगा और इसलिए मुझे उस कसौटी से पार होना है और मुझे पक्का विश्वास है, यह जो ग्राउंड बन रहा है ना, वो उस काम को पक्का कर देगा।

साथियों,

आज पूरी दुनिया कह रही है कि ये भारत की सदी है, ये आपने नहीं सुना है। भारत की उपलब्धियों ने, भारत की सफलताओं ने पूरे विश्व में एक नई उम्मीद जगाई है। जिस भारत के बारे में कहा जाता था, ये खुद भी डूबेगा और हमें भी ले डूबेगा, वो भारत आज दुनिया की ग्रोथ को ड्राइव कर रहा है। मैं भारत के फ्यूचर की दिशा क्या है, ये हमें आज के हमारे काम और सिद्धियों से पता चलता है। आज़ादी के 65 साल बाद भी भारत दुनिया की ग्यारहवें नंबर की इकॉनॉमी था। बीते दशक में हम दुनिया की पांचवें नंबर की इकॉनॉमी बने, और अब उतनी ही तेजी से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं।

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साथियों,

मैं आपको 18 साल पहले की भी बात याद दिलाता हूं। ये 18 साल का खास कारण है, क्योंकि जो लोग 18 साल की उम्र के हुए हैं, जो पहली बार वोटर बन रहे हैं, उनको 18 साल के पहले का पता नहीं है, इसलिए मैंने वो आंकड़ा लिया है। 18 साल पहले यानि 2007 में भारत की annual GDP, एक लाख करोड़ डॉलर तक पहुंची थी। यानि आसान शब्दों में कहें तो ये वो समय था, जब एक साल में भारत में एक लाख करोड़ डॉलर की इकॉनॉमिक एक्टिविटी होती थी। अब आज देखिए क्या हो रहा है? अब एक क्वार्टर में ही लगभग एक लाख करोड़ डॉलर की इकॉनॉमिक एक्टिविटी हो रही है। इसका क्या मतलब हुआ? 18 साल पहले के भारत में साल भर में जितनी इकॉनॉमिक एक्टिविटी हो रही थी, उतनी अब सिर्फ तीन महीने में होने लगी है। ये दिखाता है कि आज का भारत कितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है। मैं आपको कुछ उदाहरण दूंगा, जो दिखाते हैं कि बीते एक दशक में कैसे बड़े बदलाव भी आए और नतीजे भी आए। बीते 10 सालों में, हम 25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में सफल हुए हैं। ये संख्या कई देशों की कुल जनसंख्या से भी ज्यादा है। आप वो दौर भी याद करिए, जब सरकार खुद स्वीकार करती थी, प्रधानमंत्री खुद कहते थे, कि एक रूपया भेजते थे, तो 15 पैसा गरीब तक पहुंचता था, वो 85 पैसा कौन पंजा खा जाता था और एक आज का दौर है। बीते दशक में गरीबों के खाते में, DBT के जरिए, Direct Benefit Transfer, DBT के जरिए 42 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा ट्रांसफर किए गए हैं, 42 लाख करोड़ रुपए। अगर आप वो हिसाब लगा दें, रुपये में से 15 पैसे वाला, तो 42 लाख करोड़ का क्या हिसाब निकलेगा? साथियों, आज दिल्ली से एक रुपया निकलता है, तो 100 पैसे आखिरी जगह तक पहुंचते हैं।

साथियों,

10 साल पहले सोलर एनर्जी के मामले में भारत दुनिया में कहीं गिनती नहीं होती थी। लेकिन आज भारत सोलर एनर्जी कैपेसिटी के मामले में दुनिया के टॉप-5 countries में से है। हमने सोलर एनर्जी कैपेसिटी को 30 गुना बढ़ाया है। Solar module manufacturing में भी 30 गुना वृद्धि हुई है। 10 साल पहले तो हम होली की पिचकारी भी, बच्चों के खिलौने भी विदेशों से मंगाते थे। आज हमारे Toys Exports तीन गुना हो चुके हैं। 10 साल पहले तक हम अपनी सेना के लिए राइफल तक विदेशों से इंपोर्ट करते थे और बीते 10 वर्षों में हमारा डिफेंस एक्सपोर्ट 20 गुना बढ़ गया है।

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साथियों,

इन 10 वर्षों में, हम दुनिया के दूसरे सबसे बड़े स्टील प्रोड्यूसर हैं, दुनिया के दूसरे सबसे बड़े मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरर हैं और दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बने हैं। इन्हीं 10 सालों में हमने इंफ्रास्ट्रक्चर पर अपने Capital Expenditure को, पांच गुना बढ़ाया है। देश में एयरपोर्ट्स की संख्या दोगुनी हो गई है। इन दस सालों में ही, देश में ऑपरेशनल एम्स की संख्या तीन गुना हो गई है। और इन्हीं 10 सालों में मेडिकल कॉलेजों और मेडिकल सीट्स की संख्या भी करीब-करीब दोगुनी हो गई है।

साथियों,

आज के भारत का मिजाज़ कुछ और ही है। आज का भारत बड़ा सोचता है, बड़े टार्गेट तय करता है और आज का भारत बड़े नतीजे लाकर के दिखाता है। और ये इसलिए हो रहा है, क्योंकि देश की सोच बदल गई है, भारत बड़ी Aspirations के साथ आगे बढ़ रहा है। पहले हमारी सोच ये बन गई थी, चलता है, होता है, अरे चलने दो यार, जो करेगा करेगा, अपन अपना चला लो। पहले सोच कितनी छोटी हो गई थी, मैं इसका एक उदाहरण देता हूं। एक समय था, अगर कहीं सूखा हो जाए, सूखाग्रस्त इलाका हो, तो लोग उस समय कांग्रेस का शासन हुआ करता था, तो मेमोरेंडम देते थे गांव के लोग और क्या मांग करते थे, कि साहब अकाल होता रहता है, तो इस समय अकाल के समय अकाल के राहत के काम रिलीफ के वर्क शुरू हो जाए, गड्ढे खोदेंगे, मिट्टी उठाएंगे, दूसरे गड्डे में भर देंगे, यही मांग किया करते थे लोग, कोई कहता था क्या मांग करता था, कि साहब मेरे इलाके में एक हैंड पंप लगवा दो ना, पानी के लिए हैंड पंप की मांग करते थे, कभी कभी सांसद क्या मांग करते थे, गैस सिलेंडर इसको जरा जल्दी देना, सांसद ये काम करते थे, उनको 25 कूपन मिला करती थी और उस 25 कूपन को पार्लियामेंट का मेंबर अपने पूरे क्षेत्र में गैस सिलेंडर के लिए oblige करने के लिए उपयोग करता था। एक साल में एक एमपी 25 सिलेंडर और यह सारा 2014 तक था। एमपी क्या मांग करते थे, साहब ये जो ट्रेन जा रही है ना, मेरे इलाके में एक स्टॉपेज दे देना, स्टॉपेज की मांग हो रही थी। यह सारी बातें मैं 2014 के पहले की कर रहा हूं, बहुत पुरानी नहीं कर रहा हूं। कांग्रेस ने देश के लोगों की Aspirations को कुचल दिया था। इसलिए देश के लोगों ने उम्मीद लगानी भी छोड़ दी थी, मान लिया था यार इनसे कुछ होना नहीं है, क्या कर रहा है।। लोग कहते थे कि भई ठीक है तुम इतना ही कर सकते हो तो इतना ही कर दो। और आज आप देखिए, हालात और सोच कितनी तेजी से बदल रही है। अब लोग जानते हैं कि कौन काम कर सकता है, कौन नतीजे ला सकता है, और यह सामान्य नागरिक नहीं, आप सदन के भाषण सुनोगे, तो विपक्ष भी यही भाषण करता है, मोदी जी ये क्यों नहीं कर रहे हो, इसका मतलब उनको लगता है कि यही करेगा।

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साथियों,

आज जो एस्पिरेशन है, उसका प्रतिबिंब उनकी बातों में झलकता है, कहने का तरीका बदल गया , अब लोगों की डिमांड क्या आती है? लोग पहले स्टॉपेज मांगते थे, अब आकर के कहते जी, मेरे यहां भी तो एक वंदे भारत शुरू कर दो। अभी मैं कुछ समय पहले कुवैत गया था, तो मैं वहां लेबर कैंप में नॉर्मली मैं बाहर जाता हूं तो अपने देशवासी जहां काम करते हैं तो उनके पास जाने का प्रयास करता हूं। तो मैं वहां लेबर कॉलोनी में गया था, तो हमारे जो श्रमिक भाई बहन हैं, जो वहां कुवैत में काम करते हैं, उनसे कोई 10 साल से कोई 15 साल से काम, मैं उनसे बात कर रहा था, अब देखिए एक श्रमिक बिहार के गांव का जो 9 साल से कुवैत में काम कर रहा है, बीच-बीच में आता है, मैं जब उससे बातें कर रहा था, तो उसने कहा साहब मुझे एक सवाल पूछना है, मैंने कहा पूछिए, उसने कहा साहब मेरे गांव के पास डिस्ट्रिक्ट हेड क्वार्टर पर इंटरनेशनल एयरपोर्ट बना दीजिए ना, जी मैं इतना प्रसन्न हो गया, कि मेरे देश के बिहार के गांव का श्रमिक जो 9 साल से कुवैत में मजदूरी करता है, वह भी सोचता है, अब मेरे डिस्ट्रिक्ट में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनेगा। ये है, आज भारत के एक सामान्य नागरिक की एस्पिरेशन, जो विकसित भारत के लक्ष्य की ओर पूरे देश को ड्राइव कर रही है।

साथियों,

किसी भी समाज की, राष्ट्र की ताकत तभी बढ़ती है, जब उसके नागरिकों के सामने से बंदिशें हटती हैं, बाधाएं हटती हैं, रुकावटों की दीवारें गिरती है। तभी उस देश के नागरिकों का सामर्थ्य बढ़ता है, आसमान की ऊंचाई भी उनके लिए छोटी पड़ जाती है। इसलिए, हम निरंतर उन रुकावटों को हटा रहे हैं, जो पहले की सरकारों ने नागरिकों के सामने लगा रखी थी। अब मैं उदाहरण देता हूं स्पेस सेक्टर। स्पेस सेक्टर में पहले सबकुछ ISRO के ही जिम्मे था। ISRO ने निश्चित तौर पर शानदार काम किया, लेकिन स्पेस साइंस और आंत्रप्रन्योरशिप को लेकर देश में जो बाकी सामर्थ्य था, उसका उपयोग नहीं हो पा रहा था, सब कुछ इसरो में सिमट गया था। हमने हिम्मत करके स्पेस सेक्टर को युवा इनोवेटर्स के लिए खोल दिया। और जब मैंने निर्णय किया था, किसी अखबार की हेडलाइन नहीं बना था, क्योंकि समझ भी नहीं है। रिपब्लिक टीवी के दर्शकों को जानकर खुशी होगी, कि आज ढाई सौ से ज्यादा स्पेस स्टार्टअप्स देश में बन गए हैं, ये मेरे देश के युवाओं का कमाल है। यही स्टार्टअप्स आज, विक्रम-एस और अग्निबाण जैसे रॉकेट्स बना रहे हैं। ऐसे ही mapping के सेक्टर में हुआ, इतने बंधन थे, आप एक एटलस नहीं बना सकते थे, टेक्नॉलाजी बदल चुकी है। पहले अगर भारत में कोई मैप बनाना होता था, तो उसके लिए सरकारी दरवाजों पर सालों तक आपको चक्कर काटने पड़ते थे। हमने इस बंदिश को भी हटाया। आज Geo-spatial mapping से जुडा डेटा, नए स्टार्टअप्स का रास्ता बना रहा है।

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साथियों,

न्यूक्लियर एनर्जी, न्यूक्लियर एनर्जी से जुड़े सेक्टर को भी पहले सरकारी कंट्रोल में रखा गया था। बंदिशें थीं, बंधन थे, दीवारें खड़ी कर दी गई थीं। अब इस साल के बजट में सरकार ने इसको भी प्राइवेट सेक्टर के लिए ओपन करने की घोषणा की है। और इससे 2047 तक 100 गीगावॉट न्यूक्लियर एनर्जी कैपेसिटी जोड़ने का रास्ता मजबूत हुआ है।

साथियों,

आप हैरान रह जाएंगे, कि हमारे गांवों में 100 लाख करोड़ रुपए, Hundred lakh crore rupees, उससे भी ज्यादा untapped आर्थिक सामर्थ्य पड़ा हुआ है। मैं आपके सामने फिर ये आंकड़ा दोहरा रहा हूं- 100 लाख करोड़ रुपए, ये छोटा आंकड़ा नहीं है, ये आर्थिक सामर्थ्य, गांव में जो घर होते हैं, उनके रूप में उपस्थित है। मैं आपको और आसान तरीके से समझाता हूं। अब जैसे यहां दिल्ली जैसे शहर में आपके घर 50 लाख, एक करोड़, 2 करोड़ के होते हैं, आपकी प्रॉपर्टी की वैल्यू पर आपको बैंक लोन भी मिल जाता है। अगर आपका दिल्ली में घर है, तो आप बैंक से करोड़ों रुपये का लोन ले सकते हैं। अब सवाल यह है, कि घर दिल्ली में थोड़े है, गांव में भी तो घर है, वहां भी तो घरों का मालिक है, वहां ऐसा क्यों नहीं होता? गांवों में घरों पर लोन इसलिए नहीं मिलता, क्योंकि भारत में गांव के घरों के लीगल डॉक्यूमेंट्स नहीं होते थे, प्रॉपर मैपिंग ही नहीं हो पाई थी। इसलिए गांव की इस ताकत का उचित लाभ देश को, देशवासियों को नहीं मिल पाया। और ये सिर्फ भारत की समस्या है ऐसा नहीं है, दुनिया के बड़े-बड़े देशों में लोगों के पास प्रॉपर्टी के राइट्स नहीं हैं। बड़ी-बड़ी अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं कहती हैं, कि जो देश अपने यहां लोगों को प्रॉपर्टी राइट्स देता है, वहां की GDP में उछाल आ जाता है।

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साथियों,

भारत में गांव के घरों के प्रॉपर्टी राइट्स देने के लिए हमने एक स्वामित्व स्कीम शुरु की। इसके लिए हम गांव-गांव में ड्रोन से सर्वे करा रहे हैं, गांव के एक-एक घर की मैपिंग करा रहे हैं। आज देशभर में गांव के घरों के प्रॉपर्टी कार्ड लोगों को दिए जा रहे हैं। दो करोड़ से अधिक प्रॉपर्टी कार्ड सरकार ने बांटे हैं और ये काम लगातार चल रहा है। प्रॉपर्टी कार्ड ना होने के कारण पहले गांवों में बहुत सारे विवाद भी होते थे, लोगों को अदालतों के चक्कर लगाने पड़ते थे, ये सब भी अब खत्म हुआ है। इन प्रॉपर्टी कार्ड्स पर अब गांव के लोगों को बैंकों से लोन मिल रहे हैं, इससे गांव के लोग अपना व्यवसाय शुरू कर रहे हैं, स्वरोजगार कर रहे हैं। अभी मैं एक दिन ये स्वामित्व योजना के तहत वीडियो कॉन्फ्रेंस पर उसके लाभार्थियों से बात कर रहा था, मुझे राजस्थान की एक बहन मिली, उसने कहा कि मैंने मेरा प्रॉपर्टी कार्ड मिलने के बाद मैंने 9 लाख रुपये का लोन लिया गांव में और बोली मैंने बिजनेस शुरू किया और मैं आधा लोन वापस कर चुकी हूं और अब मुझे पूरा लोन वापस करने में समय नहीं लगेगा और मुझे अधिक लोन की संभावना बन गई है कितना कॉन्फिडेंस लेवल है।

साथियों,

ये जितने भी उदाहरण मैंने दिए हैं, इनका सबसे बड़ा बेनिफिशरी मेरे देश का नौजवान है। वो यूथ, जो विकसित भारत का सबसे बड़ा स्टेकहोल्डर है। जो यूथ, आज के भारत का X-Factor है। इस X का अर्थ है, Experimentation Excellence और Expansion, Experimentation यानि हमारे युवाओं ने पुराने तौर तरीकों से आगे बढ़कर नए रास्ते बनाए हैं। Excellence यानी नौजवानों ने Global Benchmark सेट किए हैं। और Expansion यानी इनोवेशन को हमारे य़ुवाओं ने 140 करोड़ देशवासियों के लिए स्केल-अप किया है। हमारा यूथ, देश की बड़ी समस्याओं का समाधान दे सकता है, लेकिन इस सामर्थ्य का सदुपयोग भी पहले नहीं किया गया। हैकाथॉन के ज़रिए युवा, देश की समस्याओं का समाधान भी दे सकते हैं, इसको लेकर पहले सरकारों ने सोचा तक नहीं। आज हम हर वर्ष स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन आयोजित करते हैं। अभी तक 10 लाख युवा इसका हिस्सा बन चुके हैं, सरकार की अनेकों मिनिस्ट्रीज और डिपार्टमेंट ने गवर्नेंस से जुड़े कई प्रॉब्लम और उनके सामने रखें, समस्याएं बताई कि भई बताइये आप खोजिये क्या सॉल्यूशन हो सकता है। हैकाथॉन में हमारे युवाओं ने लगभग ढाई हज़ार सोल्यूशन डेवलप करके देश को दिए हैं। मुझे खुशी है कि आपने भी हैकाथॉन के इस कल्चर को आगे बढ़ाया है। और जिन नौजवानों ने विजय प्राप्त की है, मैं उन नौजवानों को बधाई देता हूं और मुझे खुशी है कि मुझे उन नौजवानों से मिलने का मौका मिला।

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साथियों,

बीते 10 वर्षों में देश ने एक new age governance को फील किया है। बीते दशक में हमने, impact less administration को Impactful Governance में बदला है। आप जब फील्ड में जाते हैं, तो अक्सर लोग कहते हैं, कि हमें फलां सरकारी स्कीम का बेनिफिट पहली बार मिला। ऐसा नहीं है कि वो सरकारी स्कीम्स पहले नहीं थीं। स्कीम्स पहले भी थीं, लेकिन इस लेवल की last mile delivery पहली बार सुनिश्चित हो रही है। आप अक्सर पीएम आवास स्कीम के बेनिफिशरीज़ के इंटरव्यूज़ चलाते हैं। पहले कागज़ पर गरीबों के मकान सेंक्शन होते थे। आज हम जमीन पर गरीबों के घर बनाते हैं। पहले मकान बनाने की पूरी प्रक्रिया, govt driven होती थी। कैसा मकान बनेगा, कौन सा सामान लगेगा, ये सरकार ही तय करती थी। हमने इसको owner driven बनाया। सरकार, लाभार्थी के अकाउंट में पैसा डालती है, बाकी कैसा घर बनेगा, ये लाभार्थी खुद डिसाइड करता है। और घर के डिजाइन के लिए भी हमने देशभर में कंपीटिशन किया, घरों के मॉडल सामने रखे, डिजाइन के लिए भी लोगों को जोड़ा, जनभागीदारी से चीज़ें तय कीं। इससे घरों की क्वालिटी भी अच्छी हुई है और घर तेज़ गति से कंप्लीट भी होने लगे हैं। पहले ईंट-पत्थर जोड़कर आधे-अधूरे मकान बनाकर दिए जाते थे, हमने गरीब को उसके सपनों का घर बनाकर दिया है। इन घरों में नल से जल आता है, उज्ज्वला योजना का गैस कनेक्शन होता है, सौभाग्य योजना का बिजली कनेक्शन होता है, हमने सिर्फ चार दीवारें खड़ी नहीं कीं है, हमने उन घरों में ज़िंदगी खड़ी की है।

साथियों,

किसी भी देश के विकास के लिए बहुत जरूरी पक्ष है उस देश की सुरक्षा, नेशनल सिक्योरिटी। बीते दशक में हमने सिक्योरिटी पर भी बहुत अधिक काम किया है। आप याद करिए, पहले टीवी पर अक्सर, सीरियल बम ब्लास्ट की ब्रेकिंग न्यूज चला करती थी, स्लीपर सेल्स के नेटवर्क पर स्पेशल प्रोग्राम हुआ करते थे। आज ये सब, टीवी स्क्रीन और भारत की ज़मीन दोनों जगह से गायब हो चुका है। वरना पहले आप ट्रेन में जाते थे, हवाई अड्डे पर जाते थे, लावारिस कोई बैग पड़ा है तो छूना मत ऐसी सूचनाएं आती थी, आज वो जो 18-20 साल के नौजवान हैं, उन्होंने वो सूचना सुनी नहीं होगी। आज देश में नक्सलवाद भी अंतिम सांसें गिन रहा है। पहले जहां सौ से अधिक जिले, नक्सलवाद की चपेट में थे, आज ये दो दर्जन से भी कम जिलों में ही सीमित रह गया है। ये तभी संभव हुआ, जब हमने nation first की भावना से काम किया। हमने इन क्षेत्रों में Governance को Grassroot Level तक पहुंचाया। देखते ही देखते इन जिलों मे हज़ारों किलोमीटर लंबी सड़कें बनीं, स्कूल-अस्पताल बने, 4G मोबाइल नेटवर्क पहुंचा और परिणाम आज देश देख रहा है।

साथियों,

सरकार के निर्णायक फैसलों से आज नक्सलवाद जंगल से तो साफ हो रहा है, लेकिन अब वो Urban सेंटर्स में पैर पसार रहा है। Urban नक्सलियों ने अपना जाल इतनी तेज़ी से फैलाया है कि जो राजनीतिक दल, अर्बन नक्सल के विरोधी थे, जिनकी विचारधारा कभी गांधी जी से प्रेरित थी, जो भारत की ज़ड़ों से जुड़ी थी, ऐसे राजनीतिक दलों में आज Urban नक्सल पैठ जमा चुके हैं। आज वहां Urban नक्सलियों की आवाज, उनकी ही भाषा सुनाई देती है। इसी से हम समझ सकते हैं कि इनकी जड़ें कितनी गहरी हैं। हमें याद रखना है कि Urban नक्सली, भारत के विकास और हमारी विरासत, इन दोनों के घोर विरोधी हैं। वैसे अर्नब ने भी Urban नक्सलियों को एक्सपोज करने का जिम्मा उठाया हुआ है। विकसित भारत के लिए विकास भी ज़रूरी है और विरासत को मज़बूत करना भी आवश्यक है। और इसलिए हमें Urban नक्सलियों से सावधान रहना है।

साथियों,

आज का भारत, हर चुनौती से टकराते हुए नई ऊंचाइयों को छू रहा है। मुझे भरोसा है कि रिपब्लिक टीवी नेटवर्क के आप सभी लोग हमेशा नेशन फर्स्ट के भाव से पत्रकारिता को नया आयाम देते रहेंगे। आप विकसित भारत की एस्पिरेशन को अपनी पत्रकारिता से catalyse करते रहें, इसी विश्वास के साथ, आप सभी का बहुत-बहुत आभार, बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद!