A new ray of hope has emerged and an atmosphere of trust has been created: PM Modi
Whenever someone watched TV two years back, there was news of scams, corruption and frauds but now it has changed: PM Modi
Congress party has always played politics in the name of poor: PM Modi
Party that was reduced to merely 40 seats are not letting the Parliament function. Key bills are stuck in Rajya Sabha: PM
Ekta, Shanti and Sadbhavana would take the country to newer heights of progress: PM Modi
#JanDhan Accounts, #MUDRA Yojana strengthening lives of poor at the grassroots: PM Modi
Govt's decision of MSP on pulses have given much needed strength to farmers in just six months: PM Modi
India’s real strength is in the personal sector: PM Modi
We have initiated the #StartupIndia movement to power the dreams of millions of youngsters in the country: PM
Our aim is to reduce 'job seekers' and promote 'job creators': PM Modi

मंच पर वि‍राजमान सभी वरि‍ष्‍ठ महानुभाव और वि‍शाल संख्‍या में पधारे हुए मेरे प्‍यारे भाइयों और बहनों,

मैं कल्‍पना नहीं कर सकता हूं कि‍ इतना बड़ा वि‍शाल जनसागर! मेरी नज़र जहां तक पहुंचती है, मुझे सि‍र्फ सि‍र ही सि‍र नज़र आते हैं। कोयम्बटूर हो, इरोड हो, ति‍रपुर हो, इन सभी जगहों पर कई वर्षों से मेरा आना-जाना रहा है। कार्यकर्ताओं के साथ, यहां के लोगों के साथ, यहां के सामाजि‍क जीवन में सक्रि‍य के लोगों के साथ कई बार मि‍ल-बैठकर के यहां की समस्‍याओं को जानने का, समझने का प्रयास मैंने कि‍या है। जब मैं गुजरात में मुख्‍यमंत्री भी नहीं था, तब भी मैं यहां आया करता था और आज तमि‍लनाडु में प्रधानमंत्री बनने के बाद आया तो मैं कई बार, लेकि‍न सार्वजनि‍क सभा में बोलने का यह पहला अवसर है। आपने जो स्‍वागत कि‍या है, सम्‍मान कि‍या है, आपने जो प्‍यार दि‍या है, उसके लि‍ए मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं।

मैं आज जब तमि‍लनाडु आया हूं तो कोयम्बटूर की धरती से देशवासि‍यों से प्रार्थना करना चाहता हूं कि‍ पल भर के लि‍ए आप दो साल पुराने उन दि‍नों को ज़रा याद कर लीजि‍ए कि‍ देश की क्‍या हालत उस समय बन गई थी। सुबह टीवी चालू करो, अखबार देखो तो हर दि‍न एक नया घोटाला, एक नया भ्रष्‍टाचार, scam हो, scandal हो, न-जाने अनगि‍नत ऐसी घटनाओं का दौर चल रहा था कि‍ देश नि‍राशा की गर्त में डूब चुका था। यहां के नौजवान उम्‍मीद खो चुके थे और देश का आम नागरि‍क सोच रहा था कि‍ हालात बद से बदतर होते जाएंगे, परेशानि‍यां बढ़ती जाएगी, जि‍न्‍दगी में कुछ करने लायक बचेगा ही नहीं। ऐसी नि‍राशा का माहौल दो साल पहले हमारे सामने था जो आपको याद होगा। अगर नहीं तो ज़रा पुराने अखबार नि‍कालकर के देख लीजि‍ए आपको सब चीजें याद आ जाएंगी।

आज डेढ़ साल के भीतर दि‍ल्‍ली में सरकार बनने के बाद पूरे देश में एक नया वि‍श्‍वास पैदा हुआ है, नई आशा का संचार हुआ है और समाज के हर तबके के लोगों को चाहे गांव में रहते हो, शहर में रहते हो, चाहे पढ़ते हो या नौकरी खोजते हो, चाहे कारखाने में काम करते हो, चाहे खेत में काम करते हो, माताएं-बहने हो, घर में बुजुर्ग हो, हर कि‍सी में यह वि‍श्‍वास पैदा हुआ है कि‍ अब यह देश आगे बढ़कर ही रहेगा और नई ऊंचाइयों को पार करके ही रहेगा।

कुछ लोग बहुत परेशान हैं। उनको बहुत तकलीफ हो रही है। पहले तो तकलीफ यह हो गई कि‍ यह चाय बेचने वाला प्रधानमंत्री कैसे बन गया और वो भी पूर्ण बहुमत से सरकार कैसे बना ली? 18 महीने हो गए लेकि‍न ये लोग लोकतंत्र की भावनाओं को स्‍वीकार करने के लि‍ए तैयार नहीं है। जनता-जनार्दन के आदेश को स्‍वीकार करने के लि‍ए तैयार नहीं है, अपनी पराजय को स्‍वीकार करने का मन नहीं बना पा रहे और इसलि‍ए उनको दि‍न-रात यह सरकार चुभती है और उनके सि‍पह-सलारों को भी सरकार चुभती है।

गरीबों के नाम पर राजनीति‍ करने वाले, पि‍छड़ों के नाम पर राजनीति‍ करने वाले, वंचि‍तों के नाम पर राजनीति‍ करने वाले, इस बात को सहन नहीं कर पा रहे है कि‍ कोई गरीब मां का बेटा, कोई पि‍छड़ा, कोई वंचि‍त, ये इस देश की बागडोर संभाले, यह बात उनके गले नहीं उतर रही है क्‍योंकि‍ उनको तो गरीबों के नाम पर राजनीति‍ करने के सि‍वाए कुछ करना नहीं है।

पि‍छले डेढ़ साल में एक भी scandal नहीं हुआ है, एक भी scam नहीं हुआ, कहीं ऐसे कोई आरोप नहीं लगे तो इन लोगों को परेशानी है कि‍ करे क्‍या इस मोदी का? लोकसभा के अंदर तो हम काम कर पाते हैं, हो-हल्‍ले के बीच कर पाते हैं, वि‍रोधों के बीच कर पाते हैं लेकि‍न राज्‍यसभा में ऐसे गुस्‍सा नि‍काल रहे हैं, ऐसे गुस्‍सा नि‍काल रहे हैं - मोदी तुझे दि‍खा देंगे, तू प्रधानमंत्री बन गया, अब देखते है तुम्‍हारा क्‍या होता है। ये कोई लोकतंत्र का तरीका है क्‍या? गरीबों की भलाई के नि‍र्णय राज्‍यसभा में अटके पड़े हुए है। क्‍या ये नकारात्‍मकता, ये वि‍रोधवाद, आप की राजनीति‍ कुछ भी हो लेकि‍न कम से कम देश के गरीबों का तो ख्‍याल करो।

आपको हैरानी होगी, जब मैं लोकसभा का चुनाव लड़ रहा था तब मैंने कहा था कि‍ इस देश में कानूनों का इतना जंगल खड़ा कर दि‍या गया है, कानूनों का इतना जंजाल खड़ा कर दि‍या है कि‍ आम आदमी, अनपढ़ आदमी, गरीब आदमी, गांव का आदमी, वो बेचारा उन कानूनों में ऐसा फंसा रहता है कि‍ जहां पहुंचना है वहां पहुंच भी नहीं पाता है। गरीबों के लि‍ए तकलीफ पैदा करने वाले, मुश्‍कि‍ल पैदा करने वाले, कठि‍नाइयां पैदा करने वाले, 1800 कानून मैंने ऐसे खोजकर नि‍काले‍ जि‍नकी कोई जरूरत नहीं है। वो कानून मुझे खत्‍म करने हैं। 700 ऐसे कानूनों को खत्‍म करने का प्रस्‍ताव लोकसभा में पारि‍त हो गया, लेकि‍न राज्‍यसभा में इन्‍हें खत्‍म करने नहीं दि‍या जाता है। राज्‍यसभा चलने नहीं दी जाती है, गरीब के हक को रोकने का पाप हो रहा है वहां पर।

हमारे यहां जो मजदूर काम करता है, जि‍न फैक्‍टरि‍यों में उसको बोनस मि‍लता है, वहां बोनस देने के नि‍यम इतने पुराने हैं, उसके मानदंड इतने पुराने हैं कि‍ आज बेचारे गरीब मजदूर को बोनस में कुछ हाथ नहीं लगता है। बच्‍चों के लि‍ए मि‍ठाई तक खरीद नहीं पाता है। हमने तय कि‍या कानून बदलेंगे और मजदूरों को ज्‍यादा बोनस मि‍ले, उसकी income का standard भी बढ़ाया जाएगा ताकि‍ ज्‍यादा मजदूरों को इसका फायदा मि‍ले। हमने लोकसभा में कानून पारि‍त कि‍या लेकि‍न मजदूरों को बोनस देने वाला यह कानून राज्‍यसभा में अटक गया। मेरे मजदूरों के साथ ऐसा घोर अन्‍याय कि‍या गया।

कुछ लोगों ने तय कि‍या है, हो सके तो इतना झूठ बोलो, जि‍तने झूठे आरोप इस सरकार पर लगा सकते हैं लगाओ। बार-बार झूठ बोलो, जोर-जोर से झूठ बोलो। जहां जाओ वहां झूठ बोलो, हर बात पर झूठ बोलो। एक ऐसा अभि‍यान चला दि‍या है देश के अलग-अलग लोगों को गुमराह करने का, समाज में बि‍खराव पैदा करने का, समाज में भाई-भाई के बीच दीवार पैदा करने का, एक बहुत ही सोची-समझी चाल के तहत देश के टुकड़े-टुकड़े करने का पाप कुछ लोग कर रहे हैं क्‍योंकि‍ उनको लोग सत्‍ता में लाते रहे हैं और यहीं लोग देश तोड़ने पर लगे हुए हैं। पहले कि‍सानों को भड़काने के लि‍ए कोशि‍श की गई, लेकि‍न जब कि‍सानों ने देखा कि‍ यह सरकार एक के बाद एक ऐसे नि‍र्णय यह सरकार ऐसे कर रही है जि‍नसे कि‍सानों का भला होने वाला है।

2014 में मेरी सरकार नई-नई बनी थी। मुझे ढेर सारे मुख्‍यमंत्रि‍यों की चि‍ट्ठि‍यां आती थी। कुछ मुख्‍यमंत्रि‍यों की दो-दो, चार-चार, पांच-पांच चि‍ट्ठि‍यां आती थी और मैं नया-नया प्रधानमंत्री बना था और चि‍ट्ठी कि‍स बात की आती थी? मुख्‍यमंत्री मांग करते थे कि‍ हमारे राज्‍य में कि‍सानों को यूरि‍या चाहि‍ए, भारत सरकार हमें यूरि‍या देने का प्रबंध करे और मुख्‍यमंत्री गुस्‍सा व्‍यक्‍त करते थे भारत सरकार के प्रति‍। दूसरी तरफ, यूरि‍या आता था तो कालेबाजारी में बि‍कता था। यूरि‍या होता था तो कई राज्‍यों में कि‍सानों को कतार लगानी पड़ती थी और पुलि‍स को लाठीचार्ज करना पड़ता था। यह जब मैं प्रधानमंत्री बना, उसके शुरूआत के दि‍नों में ये पुरानी सारी जो वि‍रासत थी वो हमारे नसीब में आई थी।

मेरे कि‍सान भाइयों-बहनों ये 2015 का वर्ष ऐसा गया, कि‍सी मुख्‍यमंत्री को भारत सरकार से यूरि‍या मांगने के लि‍ए चि‍ट्ठी नहीं लि‍खनी पड़ी। इस देश में कहीं पर भी यूरि‍या लेने के लि‍ए गए हुए कि‍सानों पर लाठी चार्ज नहीं हुआ। इस देश के कि‍सी कि‍सान को यूरि‍या कालेबाजारी में खरीदना नहीं पड़ा क्‍योंकि‍ हि‍न्‍दुस्‍तान आजाद होने के बाद पहली बार सबसे ज्‍यादा यूरि‍या फर्टि‍लाइजर का उत्‍पादन 2015 में हुआ।

गन्‍ना कि‍सान, यहां पर भी गन्‍ना के कि‍सान है अगल-बगल में। चीनी की मि‍ले गन्‍ना कि‍सान को पैसे देते नहीं। देशभर में गन्‍ना कि‍सान के पैसे बकाया है। चीनी का उत्‍पादन ज्‍यादा हो गया। दुनि‍या के बाजार में चीनी कोई लेने वाला नहीं है। चीनी का दाम गि‍र गि‍या। फैक्‍टरी वाले कि‍सान को पैसे नहीं दे रहे, ये दृश्‍य कई वर्षों से चलता रहा है। गन्‍ना कि‍सान अपने पैसों के लि‍ए बेचारे तरसते रहते है। इन गन्‍ना कि‍सानों की मदद करने के लि‍ए भारत सरकार ने 6,000 करोड़ रुपए का पैकेज दि‍या, लेकि‍न हमने तय किया कि‍ हम चीनी मालि‍कों को ये पैसे नहीं देंगे। हम जनधन account में, कि‍सान के खाते में सीधे पैसा जमा करवाएंगे और इस देश में पहली बार कि‍सानों को direct पैसा देने की हमने व्‍यवस्‍था करवाई।

इतना ही नहीं, हमने Export policy में बदलाव कि‍या। हमने raw sugar के लि‍ए नए नि‍यम बनाए। हमने import के ऊपर कड़े प्रति‍बंध लगाने की व्‍यवस्‍था की। इन सब का परि‍णाम यह आया कि‍ आज हम कि‍सान को मदद कर सके, इस स्‍थि‍ति‍ में पहुंच गए।

सबसे बड़ा नि‍र्णय कि‍या bio fuel बनाने का। इथनॉल बनाने का नि‍र्णय कि‍या और वो पेट्रोल के अंदर, डीजल में mix करने की दि‍शा में आगे बढ़े और आज sugar फैक्‍टरि‍यों में से इथनॉल बनता है, उसके कारण जो कि‍सान बेचारा sugarcane पैदा करता था, उसको जो कठि‍नाई होती थी, उसको मुक्‍ति‍ मि‍ल जाए, ऐसा एक लंबे अरसे के लि‍ए फायदा होने वाला फैसला  सरकार ने लि‍‍या।

इस देश में Pulses, दाल वगैरह उसकी खेती कि‍सान कम कर रहा था। ज्‍यादा से ज्‍यादा गेहूं और चावल तक जाता था क्‍योंकि‍ MSP में उसको पैसा मि‍लना तय होता था। देश को दाल की जरूरत थी, pulses की जरूरत थी। गरीब आदमी को खाने के लि‍ए दाल चाहि‍ए। अगर उसके शरीर में प्रोटीन चाहि‍ए तो उसके लि‍ए दाल खाना जरूरी है। सरकार ने एक बहुत बड़ा नि‍र्णय कि‍या, गरीबों के लि‍ए कि‍या, कि‍सानों के लि‍ए कि‍या कि‍ अब pulses में भी MSP रहेगी, minimum support price रहेगी, इतना ही नहीं उसको purchase करने का काम सरकार ने कि‍या और इसके कारण पहली बार देश का कि‍सान अब pulses की खेती में आगे बढ़ रहा है और आने वाले दि‍नों में देश को जि‍स प्रकार की pulses की जरूरत है उस pulses की requirement मेरे देश का कि‍सान पूरी करने के लि‍ए तैयारी कर रहा है।  

पहले कोई प्राकृति‍क आपदा होती थी तो कि‍सान को मुआवजा मि‍लने में दि‍क्‍कत होती थी। नि‍यम इतने पुराने थे कि‍ कि‍सान के हाथ कुछ लगता नहीं था। हमारी सरकार आने के बाद प्राकृति‍क आपदा में कि‍सानों को मदद करने के सारे नि‍यम बदल दि‍ए और पूरे हि‍न्‍दुस्‍तान के कि‍सानों ने दि‍ल्‍ली में बैठी हुई सरकार की तारीफ की कि‍ इस प्राकृति‍क आपदा से नि‍पटने की ताकत हम को सरकार ने दी है। अब मुसीबतों से झेल जाने के लि‍ए हम तैयार हो गए है।

हमारे देश का कि‍सान, Crop Insurance में कभी जुड़ना नहीं चाहता था। इतनी सरकारें आई, इतनी Crop Insurance की योजनाएं आई, 20 percent से ज्‍यादा देश का‍ कि‍सान Crop Insurance नहीं करवाता था क्‍योंकि‍ Insurance के नि‍यमों में गड़बड़ थी। कि‍सान को पैसा बहुत लेना पड़ता था। हमने इस बार इतना महत्‍वपूर्ण नि‍र्णय कि‍या है कि‍ कि‍सान सि‍र्फ डेढ percent में अपना Insurance ले सकता है। मैं चाहता हूं कि‍ जो भी मेरी बात सुनते हैं, कि‍सानों की मदद करने के लि‍ए, कि‍सानों को Insurance लेने के लि‍ए प्रेरि‍त कीजि‍ए, उसकी जि‍न्‍दगी में कभी कोई संकट आएगा तो सरकार उसके साथ पूरी तरह खड़ी रहेगी।

60 साल में जो कि‍सानों को नहीं मि‍ला था वो 16 महीने के भीतर-भीतर कि‍सानों को मि‍ल गया और उसके कारण कुछ लोगों की नींद उड़ गई है, उनको लग रहा है ये मोदी का क्‍या करे, ये तो कि‍सानों की सेवा में लग गया, इसके कारण उनको नींद नहीं आती है। पि‍छले दि‍नों हमने बाबा साहेब डॉ. अम्‍बेडकर की 125वीं जयंती मनाई। भारत रत्‍न बाबा साहेब डॉ. अम्‍बेडकर का हमने गौरवगान कि‍या। पहली बार डॉ. बाबा साहेब अम्‍बेडकर के सम्‍मान में हमने सि‍क्‍के नि‍काले, postal stamp नि‍काला, पार्लि‍यामेंट में दो दि‍न के लि‍ए संवि‍धान और बाबा साहेब डॉ. अम्‍बेडकर की 125वीं जयंती पर debate की। लंदन के बाबा साहेब अम्‍बेडकर जहां पढ़ते थे, वो मकान सरकार ने लि‍या, स्‍मारक बनाया, मुंबई में Indu mill जहां बाबा साहेब ने आखि‍री सांस ली, अंति‍म क्रि‍या हुई थी, उस चैत्‍य भूमि‍ को बनाने के लि‍ए Indu mill हमने बाबा साहेब अम्‍बेडकर की स्‍मृति‍ में दे दी। हमने दि‍ल्‍ली में बाबा साहेब अम्‍बेडकर के लि‍ए दो भव्‍य स्‍मारक बनाने की दि‍शा में कदम उठाए। बाबा साहेब अम्‍बेडकर, जि‍नको पूरी तरह भुला दि‍या गया था। बाबा साहेब अम्‍बेडकर जि‍नके वि‍चारों को दबोच दि‍या गया था। उस बाबा साहेब अम्‍बेडकर के लि‍ए एक के बाद एक जब हम काम करने लगे दलि‍त, पीड़ि‍त, शोषि‍त, वंचि‍तों के लि‍ए काम करने लगे तो ये भड़क गए। उनको लगता था ये तो हमारा ठेका था, ये तो हमारे वोट है। अब मोदी बाबा साहेब अम्‍बेडकर की पूजा करने लग गया है। मोदी बाबा साहेब अम्‍बेडकर के 125 साल मना रहा है। मोदी बाबा साहेब अम्‍बेडकर के सि‍क्‍के नि‍काल रहा है। मोदी बाबा साहेब अम्‍बेडकर के नाम पर पार्लि‍यामेंट चला रहा है, चर्चाएं कर रहा है। अब मोदी से दलि‍तों को जाने से रोकना पड़ेगा, दलि‍तों को पीछे लेना पड़ेगा और इसलि‍ए दलि‍तों के नाम पर झूठ फैलाया जा रहा है। लोगों की आंख में धूल झोंकी जा रही है और मेरे दलि‍त, पीड़ि‍त, शोषि‍त, वंचि‍त भाइयों को भड़काने का पाप कि‍या जा रहा है।

दलि‍तों, पीड़ि‍तों, शोषि‍तों, वंचि‍तों, उनको भड़काने के लि‍ए झूठ फैलाया जा रहा है कि‍ मोदी reservation खत्‍म कर देने वाला है। ऐसे झूठ फैलाने वाले लोगों को मैं कहना चाहता हूं। हमारे तत्‍व ज्ञान को समझने की कोशि‍श कीजि‍ए। शरीर कि‍तना मजबूत क्‍यों न हो, ऊंचाई अच्‍छी हो, वजन अच्‍छा हो, जेब में पैसे भरपूर हो, सब कुछ हो, खाना बढ़ि‍या खाता हो, सब कुछ हो, लेकि‍न अगर एक हाथ दुर्बल हो तो उस शरीर को कभी स्‍वस्‍थ नहीं कहा जाता। एक आंख अगर दुर्बल हो तो उस शरीर को भी स्‍वस्‍थ नहीं कहा जाता। संपूर्ण भारत माता तब स्‍वस्‍थ होती है जब मेरे सवा सौ करोड़ देशवासी स्‍वस्‍थ होते हैं। मेरे दलि‍त ताकतवर होते हैं, मेरे पीड़ि‍त ताकतवर होते हैं, मेरे वंचि‍त ताकतवर होते हैं। समाज का दबा हुआ वर्ग 60 साल से जो वि‍कास की प्रतीक्षा कर रहा है, उसको अगर अवसर नहीं मि‍लेगा तो देश कभी आगे नहीं बढ़ेगा और इसलि‍ए हमारी प्राथमि‍कता है गरीबों का भला, दलि‍तों का भला, वंचि‍तों का भला, शोषि‍तों का भला। इसी को लेकर के हम काम कर रहे हैं।

जो लोग आरक्षण के नाम पर झूठ फैला रहे हैं, भ्रम फैला रहे हैं। सरकार को कठघरे में खड़ा करने के लि‍ए समाज को बहका रहे है, मैं उन लोगों को कह रहा हूं कान खोलकर सुन लीजि‍ए। जब तक बाबा साहेब अम्‍बेडकर का नाम रहेगा, इस देश में कोई कि‍सी की अमानत नहीं हटा सकता, कोई reservation नहीं हटा सकता। बाबा साहेब अम्‍बेडकर की अमरता से जुड़ा हुआ है और इस पर कोई हाथ नहीं लगा पाएगा, ये मैं देशवासि‍यों को वि‍श्‍वास दि‍लाना चाहता हूं।

भाइयों-बहनों देश को आगे बढ़ना है तो देश में एकता चाहि‍ए, सद्भावना चाहि‍ए, शांति‍ चाहि‍ए, यही राजमार्ग है जो वि‍कास की नई ऊंचाइयों को पार करने के लि‍ए इसकी पहली शर्त होती है। आज दुनि‍या की कोई भी रि‍पोर्ट देख लीजि‍ए, World bank रि‍पोर्ट हो, IMF की रि‍पोर्ट हो, credit agencies की रि‍पोर्ट हो, सारी दुनि‍या एक स्‍वर से कह रही है कि‍ दुनि‍या की जि‍तनी भी बड़ी economy है, उसमें कोई तेज गति‍ से आगे बढ़ने वाली economy है जि‍सकी GDP तेज गति‍ से आगे बढ़ रही है तो उस देश का नाम है हि‍न्‍दुस्‍तान मेरे प्‍यारों, हि‍न्‍दुस्‍तान।

मेरे नौजवान मि‍त्रों, इस देश का सौभाग्‍य है कि‍ आज हमारे देश में 65 प्रति‍शत जनसंख्‍या 35 से कम आयु की है। हमारा देश जवान है, हमारे जवानों के सपने भी जवान है और इसलि‍ए देश की दौड़ने की ताकत भी जवानों जैसी है। हमने ‘मेक इन इंडि‍या’ का अभि‍यान चलाया है। ‘मेक इन इंडि‍या’ का अभि‍यान इसलि‍ए चलाया है ताकि‍ हि‍न्‍दुस्‍तान में पूंजी आए, कारखाने लगे और मेरे नौजवानों को रोजगार मि‍ले और उस दि‍शा में बहुत तेजी से काम आगे बढ़ रहा है। मुझे खुशी होती है कि‍ पि‍छले दि‍नों मेरे पास जानकारी आई कि‍ Foreign Direct Investment में 39% इजाफा हुआ, 39% increase हुआ है।

देश में जब भी economy की बात होती है, दो ही वि‍षयों की चर्चा होती है – प्राइवेट सेक्‍टर, पब्‍लि‍क सेक्‍टर। मैंने उसे एक कदम और आगे बढ़ा दि‍या है। यह देश प्राइवेट सेक्‍टर अपना काम करेंगे, पब्‍लि‍क सेक्‍टर अपना काम करेंगे, देश की ताकत तो पर्सनल सेक्‍टर में है और मेरी सरकार पर्सनल सेक्‍टर को बढ़ावा देना चाहती है। एक-एक व्‍यक्‍ति‍ को entrepreneur बनाना चाहती है। Job seeker नहीं Job-creator बने, ऐसे नौजवान करना चाहता हूं मैं तैयार।

और इसलि‍ए सरकार ने मुद्रा योजना चालू की है। पहले हमने जन-धन account खोले। अब मुद्रा योजना चालू की है। उस मुद्रा योजना के तहत सामान्‍य आदमी – सब्‍जी बेचने वाला हो, कपड़ों की इस्‍त्री करने वाला धोबी हो, बाल काटने वाला नाई हो, अखबार बेचने वाला हो, दूध बेचने वाला हो, चाय बेचने वाला हो, पकौड़े बेचने वाला हो। सामान्‍य मानवि‍की, उनको पैसे चाहि‍ए पैसे मि‍लते नहीं है, साहूकार ब्‍याज लेता है और उनकी जि‍न्‍दगी में कभी अच्‍छे दि‍न नहीं आते हैं।

भाइयों-बहनों मुद्रा योजना के तहत हमने ऐसे गरीबों को कि‍सी भी प्रकार की गारंटी के बि‍ना रुपए देना शुरू कर दि‍या और उसका परि‍णाम यह आया कि‍ दो करोड़ से ज्‍यादा परि‍वारों को पैसा मि‍ला। 95,000 करोड़ रुपए से ज्‍यादा पैसा मि‍ला और वे अपने पैरों पर खड़े हुए, खुद का तो पेट भरते हैं और भी दो-तीन लोगों को काम पर लगाकर के उनका भी पेट भरना शुरू कि‍या है।

इतना ही नहीं, देश के नौजवानों को हुनर सि‍खाने के लि‍ए अलग skill department बनाया। Skill development के लि‍ए अभि‍यान चलाया। दुनि‍या के जि‍न देशों में Skill development में ताकत है उनको भी जोड़ने का प्रयास कि‍या। देश के करोड़ों-करोड़ों नौजवानों के हाथ में skill देना, हुनर देना, उसका एक बहुत बड़ा अभि‍यान चलाया है ताकि‍ कभी इस नौजवान को रोजगार के लि‍ए तड़पना न पड़े।

उसी प्रकार से, सरकारी नौकरि‍यों में अगर पहचान नहीं है, रि‍श्‍तेदारी नहीं है, कोई जानकार नहीं है, कोई दलाल नहीं है, कोई corruption के पैसे नहीं है तो नौजवान इंटरव्‍यू में फेल हो जाते थे, उनको नौकरी नहीं मि‍लती थी। दि‍ल्‍ली में बैठी हुई सरकार ने महत्‍वपूर्ण नि‍र्णय कि‍या, तीसरे और चौथे वर्ग के कर्मचारि‍यों का कोई इंटरव्‍यू नहीं होगा। उसके exam के merit के आधार पर उसको नौकरी दे दी जाएगी। भारत सरकार ने बहुत बड़ा फैसला कि‍या। भ्रष्‍टाचार भी गया और हमारे नौजवानों को कि‍सी के पीछे-पीछे जो लगना पड़ता था और अपने रुपए जाते थे, सम्‍मान जाता था, उनको बचाने का एक बहुत बड़ा काम इस नि‍र्णय से हमने कर दि‍या।

हमने एक अभि‍यान चलाया ‘स्‍टार्ट-अप इंडि‍या, स्‍टैंड-अप इंडि‍या’। हमारे देश के नौजवानों के पास बुद्धि‍ है, क्षमता है। वे अपने पैरों पर नई चीज करने को तैयार है और इन दि‍नों भारत में वो ताकत है, वो दुनि‍या का स्‍टार्ट-अप capital बन सकता है। हमारे नौजवान हि‍म्‍मत के साथ नए प्रयोग करने के लि‍ए तैयार है, innovation करने के लि‍ए तैयार है, नए तरीके ढूंढने के लि‍ए तैयार है और इन दि‍नों जीवन के हर क्षेत्र में innovation करके नौजवान नए-नए स्‍टार्ट अप्‍स शुरू कर रहे है और बड़े-बड़े सपने लेकर के सही दि‍शा में मजबूत कदम रख रहे हैं।

मेरे प्‍यारे नौवान दोस्‍तों, भारत की जो युवा शक्‍ति‍ है उसके लि‍ए नए-नए अवसर पैदा करना, उनकी शक्‍ति‍ को लेकर के आगे बढ़ाना। चाहे देश का कि‍सान हो, चाहे दलि‍त, पीड़ि‍त, शोषि‍त, वंचि‍त समाज हो, हमारी माताएं-बहनें हो, हमारी खेती हो, हमारा पशुधन हो, हमारे नौजवान हो, सबको साथ लेकर के एक नई ताकत के साथ भारत आगे बढ़ना चाहता है, आपके सपनों को पूरा करना चाहता है और हमारी तरफ से मेहनत करने में कोई कमी नहीं रहती, दि‍न-रात लगे रहते हैं। इस देश को आगे ले जाने के लि‍ए मुझे आपका साथ और सहकार चाहि‍ए।

मैंने तो बहुत थोड़ी चीजें बताई हैं, लेकि‍न पि‍छले डेढ़ साल में कभी एक दि‍न ऐसा नहीं गया कि‍ कोई न कोई अच्‍छा काम न कि‍या हो, कोई अच्‍छा initiative न लि‍या हो, सारी बातें मैं बताऊं तो मुझे महीनों तक कभी रोडों में रहकर के बताने के लि‍ए बैठे रहना पड़ेगा, इतने सारे काम करने का हमें सौभाग्‍य मि‍ला है। मैं फि‍र एक बार आपके समर्थन के लि‍ए, आपके आशीर्वाद के लि‍ए आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। फि‍र एक बार इस वि‍राट जनसभा के लि‍ए आप लोगों को कोटि‍-कोटि‍ धन्‍यवाद। वणक्‍कम। दोनों मुट्ठी बंद करके मेरे साथ बोलि‍ए भारत माता की जय। ताकत इतनी चाहि‍ए कि‍ पूरे तमि‍लनाडु में सुनाई दे, बगल में केरल में भी सुनाई दे।

भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय। बहुत-बहुत धन्‍यवाद। वणक्‍कम।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!