उपस्थित सभी महानुभाव और यहां भारी संख्या में पधारे जनकपुर के मेरे प्यारे भाइयो और बहनों-
जय सियाराम, जय सियाराम,
जय सियाराम, जय सियाराम,
जय सियाराम, जय सियाराम।
भाइयो और बहनों,
अगस्त 2014 में जब मैं प्रधानमंत्री के तौर पर पहली बार नेपाल आया था तो संविधान सभा में ही मैंने कहा था कि जल्द ही मैं जनकपुर आऊंगा। मैं सबसे पहले आप सबकी क्षमता चाहता हूं क्योंकि मैं तुरंत आ नहीं सका, आने में मुझे काफी विलंब हो गया और इसलिए पहले तो मैं आपसे क्षमा मांगता हूं। लेकिन मन कहता है कि शायद संभवत: सीता मैयाजी ने ही आज भद्रकाली एकादशी का दिन ही मुझे दर्शन देने के लिए तय किया था। मेरा बहुत समय से मन था कि राजा जनक की राजधानी और जगत जननी सीता की पवित्र भूमि पर आकर उन्हें नमन करूं। आज जानकी मंदिर में दर्शन कर मेरी बहुत सालों की जो कामना थी, उस मनोकामना को पूरी कर एक जीवन में धन्यता अनुभव करता हूं।
भाइयो और बहनों,
भारत और नेपाल दो देश, लेकिन हमारी मित्रता आज की नहीं त्रेता युग की है। राजा जनक और राजा दशरथ ने सिर्फ जनकपुर और अयोध्या को ही नहीं, भारत और नेपाल को भी मित्रता और साझेदारी के बंधन में बांध दिया था। ये बंधन है राम-सीता का, ये बंधन है बुद्ध का भी और महावीर का भी और यही बंधन रामेश्वरम में रहने वालों को खींचकर पशुपतिनाथ ले करके आता है। यही बंधन लुम्बिनी में रहने वालों को बौद्ध-गया ले जाता है और यही बंधन, यही आस्था, यही स्नेह आज मुझे जनकपुर खींच करके ले आया है।
महाभारत, रामयण काल में जनकपुर का, महाभारत काल में विराटनगर का, उसके बाद सिमरॉन गंज का, बुद्धकाल में लुम्बिनी का; ये संबंध युगों-युगों से चलता आ रहा है। भारत-नेपाल संबंध किसी परिभाषा से नहीं बल्कि उस भाषा से बंधे हुए हैं- ये भाषा है आस्था की, ये भाषा है अपनेपन की, ये भाषा है रोटी की, ये भाषा है बेटी की। ये मां जानकी का धाम है, ये मां जानकी का धाम है और जिसके बिना अयोध्या अधूरी है।
हमारी माता भी एक-हमारी आस्था भी एक; हमारी प्रकृति भी एक-हमारी संस्कृति भी एक; हमारा पथ भी एक और हमारी प्रार्थना भी एक। हमारे परिश्रम की महक भी है और हमारे पराक्रम की गूंज भी है। हमारी दृष्टि भी समान और हमारी सृष्टि भी समान है। हमारे सुख भी समान और हमारी चुनौतियां भी समान हैं। हमारी आशा भी समान, हमारी आकांक्षा भी समान है। हमारी चाह भी समान और हमारी राह भी समान है। ..... हमारे मन, हमारे मंसूबे और हमारी मंजिल एक ही है। ये उन कर्मवीरों की भूमि है जिनके योगदान से भारत की विकास गाथा में और गति आती है। साथ नेपाल के बिना भारत की आस्था भी अधूरी है, नेपाल के बिना भारत का विश्वास अधूरा है, इतिहास अधूरा है, नेपाल के बिना हमारे धाम अधूरे, नेपाल के बिना हमारे राम भी अधूरे हैं।
भाइयो और बहनों,
आपकी धर्म-निष्ठा सागर से भी गहरी है और आपका स्वाभिमान सागरमाथा से भी ऊंचा है। जैसे मिथिला की तुलसी भारत के आंगन में पावनता, शूचिता और मर्यादा की सुगंध भर लाती है वैसे ही नेपाल से भारत की आत्मीयता इस संपूर्ण क्षेत्र को शांति, सुरक्षा और संस्कार की त्रिवेणी से सींचती है।
मिथिला की संस्कृति और साहित्य, मिथिला की लोक कला, मिथिला का स्वागत-सम्मान; सब कुछ अद्भुत है। और मैं आज अनुभव कर रहा हूं, आपके प्यार को अनुभव कर रहा हूं, आपके आशीर्वाद का एहसास हो रहा है। पूरी दुनिया में मिथिला संस्कृति का स्थान बहुत ऊपर है। कवि विद्यापति की रचनाएं आज भी भारत और नेपाल में समान रूप से महत्व रखती हैं। उनके शब्दों की मिठास आज भी भारत और नेपाल- दोनों के साहित्य में घुली हुई है।
जनकपुर धाम आकर, आप लोगों का अपनापन देखकर ऐसा नहीं लगा कि मैं किसी दूसरी जगह पर पहुंच गया हूं, सब कुछ अपने जैसा, हर कोई अपनों जैसा, सब कुछ अपनापन, ये सब अपने तो हैं। साथियों, नेपाल अध्यात्म और दर्शन का केंद्र रहा है। ये वो पवित्र भूमि है- जहां लुम्बिनी है, वो लुम्बिनी, जहां भगवान बुद्ध का जन्म हुआ था। साथियो, भूमि कन्या माता सीता उन मानवीय मूल्यों, उन ऊसूलों और उन परम्पराओं की प्रतीक है जो हम दो राष्ट्रों को एक-दूसरे से जोड़ती है। जनक की नगरी सीता माता के कारण स्त्री-चेतना की गंगोत्री बनी है। सीता माता, यानी त्याग, तपस्या, समर्पण और संघर्ष की मूर्ति। काठमांडू से कन्याकुमारी तक हम सभी सीता माता की परम्परा के वाहक हैं। जहां तक उनकी महिमा की बात है तो उनके आराधक तो सारी दुनिया में फैले हुए हैं।
ये वो धरती है जिसने दिखाया कि बेटी को किस प्रकार सम्मान दिया जाता है। बेटियों के सम्मान की ये सीख आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। साथियों, नारी शक्ति की हमारे इतिहास और परम्पराओं को संजोने में भी एक बहुत बड़ी भूमिका रही है। अब जैसे यहां की मिथिला पेंटिंग्स को, अगर उसको देखें तो इस परम्परा को आगे बढ़ाने में सबसे अधिक योगदान हमारी माताओं, बहनों का, महिलाओं का रहा है। और मिथिला की यही कला आज पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इस कला में भी हमें प्रकृति की, पर्यावरण की चेतना हर पल नजर आती है। आज महिला सशक्तिकरण और जलवायु परिवर्तन की चर्चा के बीच मिथिला का दुनिया को ये बहुत बड़ा संदेश है। राजा जनक के दरबार में गार्गी जैसी विदुषी और अष्टावक्र जैसे विद्वान का होना यह भी साबित करता है कि शासन के साथ-साथ विद्वता और आध्यात्म को कितना महत्व दिया जाता था।
राजा जनक के दरबार में लोक कल्याणकारी नीतियों पर विद्वानों के बीच बहस होती थी। राजा जनक स्वयं उस बहस में सहभागी होते थे। और उस मंथन से जो नतीजा निकलता था उसको प्रजा के हित में, जनता के हित में और देश के हित में वे लागू करते थे। राजा जनक के लिए उनकी प्रजा ही सब कुछ थी। उन्हें अपने परिवार के, रिश्ते, नाते, किसी से कोई मतलब नहीं था। बस दिन-रात अपनी प्रजा की चिन्ता करने को ही उन्होंने अपना राज धर्म बना दिया था। इसलिए ही राजा जनक को विदेह भी कहा गया था। विदेह का अर्थ होता है जिसका अपनी देह या अपने शरीर से भी कोई मतलब न हो और सिर्फ जनहित में ही खुद को खपा दे, लोक-कल्याण के लिए अपने-आपको समर्पित कर दे।
भाइयो और बहनों,
राजा जनक और जन-कल्याण के इस संदेश को लेकर ही आज नेपाल और भारत आगे बढ़ रहे हैं। आपके नेपाल और भारत के संबंध राजनीति, कूटनीति, समर नीति, इससे भी परे देवनीति से बंधे हुए हैं। व्यक्ति और सरकारें आती-जाती रहेंगी पर ये हमारा संबंध अजर-अमर है। ये समय हमें मिलकर संस्कार, शिक्षा, शांति, सुरक्षा और समृद्धि की पंचवटी की रक्षा करने का है। हमारा ये मानना है कि नेपाल के विकास में ही क्षेत्रीय विकास का सूत्र जुड़ा हुआ है। भारत और नेपाल की मित्रता कैसी रही है, इसको रामचरितमानस की चौपाइयों के माध्यम से हम भलीभांति समझ सकते हैं।
जे न मित्र दु:ख होहिं दुखारी।
तिन्हहि बिलोकत पातक भारी॥
निज दु:ख गिरि सम रज करि जाना।
मित्रक दु:ख रज मेरु समाना॥
यानि जो लोग मित्र के दुख से दुखी नहीं होते उनको देखने मात्र से ही पाप लगता है। और इसलिए अगर आपका अपना दुख पहाड़ जितना विराट भी हो तो उसे ज्यादा महत्व मत दो, लेकिन अगर मित्र का दुख धूल जितना भी हो तो उसे पर्वत जितना मान करके जो कर सकते हो, करना चाहिए।
साथियों,
इतिहास साक्षी रहा है कि जब-जब एक-दूसरे पर संकट आए, भारत और नेपाल, दोनों मिलकर खड़े हुए। हमने हर मुश्किल घड़ी में एक-दूसरे का साथ दिया है। भारत दशकों से नेपाल का एक स्थाई विकास का साझेदार है। नेपाल हमारी neighborhood first ये policy में सबसे आगे आता है, सबसे पहले आता है।
आज भारत, दुनिया की तीसरी बड़ी, सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर तेज गति से आगे बढ़ रहा है तो आपका नेपाल भी तीव्र गति से विकास की ऊंचाइयों को आगे चढ़ रहा है। आज इस साझेदारी को नई ऊर्जा देने के लिए मुझे नेपाल आने का अवसर मिला है।
भाइयो और बहनों,
विकास की पहली शर्त होती है लोकतंत्र। मुझे खुशी है कि लोकतांत्रिक प्रणाली को आप मजबूती दे रहे हैं। हाल में ही आपके यहां चुनाव हुए। आपने एक नई सरकार चुनी है। अपनी आशाओं-आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए आपने जनादेश दिया है। एक वर्ष के भीतर तीन स्तर पर चुनाव सफलतापूर्वक कराने के लिए मैं आपको बहुत-बहुत बधाई देता हूं। नेपाल के इतिहास में पहली बार नेपाल के सभी सात प्रान्तों में प्रान्तीय सरकारें बनी हैं। ये न केवल नेपाल के लिए गर्व का विषय है बल्कि भारत और इस संपूर्ण क्षेत्र के लिए भी एक गर्व का विषय है। नेपाल सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन के लिए एक नए चरण में प्रवेश कर रहा है जो सुशासन और समावेशी विकास पर आधारित है।
इस साल, दस साल पहले नेपाल के नौजवानों ने बुलेट छोड़कर बैलेट का रास्ता चुना। युद्ध से बुद्ध तक के इस सार्थक परिवर्तन के लिए भी मैं नेपाल के लोगों को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं। लोकतांत्रिक मूल्य एक और कड़ी है जो भारत और नेपाल के प्राचीन संबंधों को और नई मजबूती देती है। लोकतंत्र वो शक्ति है जो सामान्य से असामान्य जन को बेरोकटोक अपने सपने पूरे करने का अवसर और अधिकार देती है। भारत ने इस शक्ति को महसूस किया है और आज भारत का हर नागरिक सपनों को पूरा करने में जुटा हुआ है। मैं आप सभी की आंखों में वो चमक देख सकता हूं कि आप भी अपने नेपाल को उसी राह पर आगे बढ़ाना चाहते हैं। मैं आपकी आंखों में नेपाल के लिए वैसे ही सपने देख रहा हूं।
साथियों,
हाल में ही नेपाल के प्रधानमंत्री आदरणीय श्रीमान ओली जी का स्वागत करने का अवसर मुझे दिल्ली में मिला था। नेपाल को लेकर उनका vision क्या है, ये जानने का मुझे अवसर मिला। ओलीजी ने समृद्ध नेपाल, सुखी नेपाली के सपने संजोए हुए हैं। नेपाल की समृद्धि और खुशहाली की कामना भारत भी हमेशा करता आया है, करता रहेगा। प्रधानमंत्री ओलीजी को, उनके इस vision को पूरा करने के लिए सवा सौ करोड़ हिन्दुस्तानियों की तरफ से, भारत सरकार की तरफ से मैं बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। ये ठीक उसी प्रकार की सोच है जैसे मेरी भारत के लिए है।
भारत में हमारी सरकार सबका साथ-सबका विकास के मूल मंत्र को ले करके आगे बढ़ रही है। समाज का एक भी तबका, देश का एक भी हिस्सा विकासधारा से छूट न जाए, ऐसा प्रयास हम लगातार करते रहे हैं। पूव, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण; हर दिशा में विकास का रथ दौड़ रहा है। विशेषतौर पर हमारी सरकार का ध्यान उन क्षेत्रों में ज्यादा रहा है जहां अब तक विकास की रोशनी नहीं पहुंच पाई है। इसमें पूर्वांचल यानी पूर्वी भारत जो नेपाल की सीमा से सटा है, इस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। यूपी से लेकर बिहार तक, नार्थ-ईस्ट, पश्चिम बंगाल से लेकर उड़ीसा तक, इस पूरे क्षेत्र को देश के बाकी हिस्से के बराबर खड़ा करने का संकल्प हमने लिया है। इस क्षेत्र में जो भी काम हो रहा है, इसका लाभ निश्चित रूप से पड़ोसी के नाते नेपाल को सबसे ज्यादा मिलने वाला है।
भाइयों और बहनों,
जब मैं सबका साथ-सबका विकास की बात करता हूं तो तो सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, सभी पड़ोसी देशों के लिए भी मेरी यही कामना होती है। और अब, जब नेपाल में ‘समृद्ध नेपाल-सुखी नेपाली’ की बात होती है तो मेरा मन भी और अधिक हर्षित हो जाता है। सवा सौ करोड़ भारतवासियों को भी बहुत खुशी होती है। जनकपुर के मेरे भाइयों और बहनों, हमने भारत में एक बहुत बड़ा संकल्प लिया है, ये संकल्प है New India का।
2022 को भारत की आजादी के 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं। तब तक सवा सौ करोड़ हिन्दुस्तानियों ने New India बनाने का लक्ष्य रखा है। हम एक नए भारत का निर्माण कर रहे हैं जहां गरीब से गरीब व्यक्ति को भी प्रगति के समान अवसर मिलेंगे। जहां भेदभाव, ऊंच-नीच का कोई स्थान न हो, सबका सम्मान हो। जहां बच्चों को पढ़ाई, युवाओं को कमाई और बुजुर्गों को दवाई, ये प्राप्त हो। जीवन आसान हो, आमजन को व्यवस्थाओं से जूझना न पड़े। भ्रष्टाचार और दुराचार से रहित समाज भी हो और सिस्टम भी हो, ऐसे New India की तरफ हम आगे बढ़ रहे हैं1
हमने भारत और प्रशासन में कई सुधार किए हैं। प्रक्रियाओं को सरल बनाया है और दुनिया हमारे इन कदमों को, हमने जो कदम उठाए हैं, आज दुनिया में चारों तरफ उसकी तारीफ हो रही है। हम राष्ट्र निर्माण और जनभागीदारी का संबंध और मजबूत कर रहे हैं। नेपाल के सामान्य मानवी के जीवन को भी खुशहाल बनाने में योगदान के लिए सवा सौ करोड़ हिन्दुस्तानियों को बहुत खुशी होगी, ये मैं आज आपको विश्वास दिलाने आया हूं।
साथियों, बंधुत्वा तब और भी प्रगाढ़ होती है जब हम एक-दूसरे के घर आते-जाते रहते हैं। मुझे खुशी है कि नेपाल के प्रधानमंत्री की भारत यात्रा के तुरंत बाद मुझे आज यहां आपके बीच आने का अवसर मिला है। जैसे मैं यहां बार-बार आता हूं, वैसे ही दोनों देशों के लोग भी बेरोकटोक आते-जाते रहने चाहिए।
हम हिमालय पर्वत से जुड़े हैं, तराई के खेत-खलिहानों से जुड़े हैं, अनगिनत कच्चे-पक्के रास्तों से जुड़े हैं। छोटी-बड़ी दर्जनों नदियों से जुड़े हुए हैं और हम अपनी खुली सीमा से भी जुड़े हुए हैं। लेकिन आज के युग में सिर्फ इतना ही काफी नहीं है। हमें, और मुख्यमंत्री जी ने जितने विषय बताए, मैं बहुत संक्षिप्त में समाप्त कर दूंगा। हमें हाइवे से जुड़ना है, हमें information ways यानी I-ways से जुड़ना है, हमें trans ways यानी बिजली की लाइन से भी जुड़ना है, हमें रेलवे से भी जुड़ना है, हमें custom check post से भी जुड़ना है, हमें हवाई सेवा के विस्तार से भी जुड़ना है। हमें inland water ways से भी जुड़ना है, जलमार्गों से भी जुड़ना है। जल हो, थल हो, नभ हो या अंतरिक्ष हो, हमें आपस में जुड़ना है। जनता के बीच के रिश्ते-नाते फलें-फूलें और मजबूत हों, इसके लिए connectivity अहम है। यही कारण है कि भारत और नेपाल के बीच connectivity को हम प्राथमिकता दे रहे हैं।
आज ही प्रधानमंत्री ओलीजी के साथ मिलकर मैंने जनकपुर से अयोध्या की बस सेवा का उद्घाटन किया है। पिछले महीने प्रधानमंत्री ओलीजी और मैंने बीरगंज में पहली integrated check post का उद्घाटन किया था। जब ये पोस्ट पूरी तरह से काम करना शुरू करेगी, तब सीमा पर व्यापार और आवाजाही और आसान हो जाएगी। जयनगर-जनकपुर रेलवे लाइन पर भी तेजी से काम चल रहा है।
भाइयो, बहनों,
इस वर्ष के अंत तक इस लाइन को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है। जब ये रेल लाइन पूरी हो जाएगी तब नेपाल-भारत के विशाल नेटवर्क में रेल नेटवर्क से भी जुड़ जाएगा। अब हम बिहार के रक्सौल से होते हुए काठमांडू को भारत से जोड़ने के लिए तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं। इतना ही नहीं, हम जलमार्ग से भी भारत और नेपाल को जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं। नेपाल जल, भारत के जलमार्गों के जरिए समुद्र से भी जुड़ जाएगा। इन जलमार्गों से नेपाल में बना सामान दुनिया के देशों तक आसानी से पहुंच पाएगा। इससे नेपाल में उद्योग लगेंगे, रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। ये परियोजनाएं न केवल नेपाल के सामाजिक, आर्थिक बदलाव के लिए जरूरी हैं, बल्कि कारोबार के लिहाज से भी बहुत आवश्यक हैं।
आज भारत और नेपाल के बीच बड़ी मात्रा में व्यापार होता है। व्यापार के लिए लोग यहां-वहां आते-जाते भी रहते हैं। पिछले महीने हमने कृषि क्षेत्र में एक नई साझेदारी की घोषणा की है। मुख्यमंत्री जी आप बता रहे थे, हमने एक नई साझेदारी की घोषणा की है और इस साझेदारी के तहत कृषि के क्षेत्र में सहयोग को और बढ़ावा दिया जाएगा। दोंनों देशों के किसानों की आमदनी कैसे बढ़ाई जाए, इस पर ध्यान दिया जाएगा। खेती के क्षेत्र में, साइंस और टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल में हम सहयोग बढ़ाएंगे।
भाइयों और बहनों,
आज के युग में टेक्नोलॉजी के बिना विकास संभव नहीं है। भारत space technology में दुनिया के पांच टॉप देशों में है। आपको याद होगा, जब मैं पहली बार नेपाल आया था, तब मैंने कहा था कि भारत-नेपाल जैसे अपने पड़ोसियों के लिए एक उपग्रह भारत भेजेगा। अपने वायदे को मैं पिछले वर्ष पूरा कर चुका हूं। पिछले वर्ष भेजा गया South Asia Satellite आज पूरी क्षमता से अपना काम कर रहा है और नेपाल को इसका पूरा-पूरा लाभ मिल रहा है।
भाइयों और बहनों,
भारत और नेपाल के विकास के लिए पांच टी, Five T के रास्ते पर हम चल रहे हैं। पहला T है tradition, दूसरा T है trade, तीसरा T है tourism, चौथा T है technology और पांचवा T है transport, यानी परम्परा, व्यापार, पर्यटन, प्रौद्योगिकी और परिवहन से हम नेपाल और भारत को विकास के रास्ते पर आगे ले जाना चाहते हैं।
साथियों, संस्कृति के अलावा भारत और नेपाल के बीच व्यापारिक रिश्ते भी एक अहम कड़ी हैं। नेपाल बिजली उत्पादन के क्षेत्र में तेजी से विकास कर रहा है। आज भारत से लगभग 450 मेगावाट बिजली नेपाल को सप्लाई होती है, इसके लिए हमने नई transmission lines बिछाई हैं।
साथियों, 2014 में नेपाल की संविधान सभा में मैंने कहा था कि ट्रकों के द्वारा तेल क्यों आना चाहिए, सीधे पाईप लाइन से क्यों नहीं। आपको ये जानकर खुशी होगी कि हमने मोतीहारी-अमलेख गंज ऑयल पाइप लाइन का काम भी शुरू कर दिया है।
भारत में हमारी सरकार स्वदेश दर्शन नाम की योजना चला रही है। जिसके तहत हम अपनी ऐतिहासिक धरोहरों और आस्था के स्थानों को आपस में जोड़ रहे हैं। रामायण सर्किट में हम उन सभी स्थानों को जोड़ रहे हैं जहां-जहां भगवान राम और माता जानकी के पग पड़े हैं। अब इस कड़ी में नेपाल को भी जोड़ने की दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। यहां जहां-जहां रामायण के निशान हैं, उन्हें भारत के बाकी हिस्सों से जोड़ करके श्रद्धालुओं को सस्ती और आकर्षक यात्रा का आनंद मिले और वो बहुत बड़ी मात्रा में नेपाल आएं, यहां के टूरिज्म का विकास हो।
भाइयों और बहनों,
हर साल विवाह पंचमी पर भारत से हजारों श्रद्धालू अवध से जनकपुर आते हैं। पूरे साल भर परिक्रमा के लिए भगतों का तांता लगा रहता है। श्रद्धालुओं को कोई दिक्कत न हो, इसलिए मुझे ये घोषणा करते हुए खुशी है कि जनकपुर और पास के क्षेत्रों के विकास की नेपाल सरकार की योजना में हम सहयोग देंगे। भारत की ओर से इस काम के लिए एक सौ करोड़ रुपयों की सहायता दी जाएगी। इस काम में नेपाल सरकार और provincial सरकार के साथ मिलकर projects की पहचान की जाएगी। ये राजा जनक के समय से परम्परा चली आ रही है कि जनकपुर धाम ने अयोध्या को ही नहीं, पूरे समाज के लिए कुछ न कुछ दिया है। जनकपुर धाम ने दिया है, मैं तो सिर्फ यहां मां जानकी के दर्शन करने आया था। जनकपुर के लिए यह घोषणाएं भारत की सवा सौ करोड़ जनता की ओर से मां जानकी के चरणों में मैं समर्पित करता हूं।
ऐसे ही दो और कार्यक्रम हैं। बुद्धिस्ट सर्किट और जैन सर्किट, इसके तहत बुद्ध और महावीर जैन से जुड़े जितने भी संस्थान भारत में हैं, उन्हें आपस में जोड़ा जा रहा है। नेपाल में बौद्ध और जैन आस्था के कई स्थान हैं। ये भी दोनों देशों के श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए एक अच्छा हमारा बंधन बनाने का काम हो सकता है। इससे नेपाल में युवाओं के लिए रोजगार के भी अवसर जुटेंगे।
भाइयों और बहनों,
हमारे खानपान और बोलचाल में बहुत सारी समानता है। मैथिली भाषियों की तादाद जितनी भारत में है, उतनी ही यहां नेपाल में भी है। मैथिली कला, संस्कृति और सभ्यता की चर्चा विश्व स्तर पर होती रहती है। दोनों देश जब मैथिली के विकास के लिए मिलकर सामूहिक प्रयास करेंगे, तब इस भाषा का विकास और अधिक संभव होना आसान हो जाएगा। मुझे पता चला है कि कुछ मैथिली फिल्म निर्माता अब नेपाल-भारत समेत कतर और दुबई में भी एक साथ नई मैथिली फिल्में रिलीज करने जा रहे हैं। ये एक स्वागत योग्य कदम है, इसको बढ़ावा देने की आवश्यकता है। जिस प्रकार यहां मैथिली बोलने वालों की काफी ज्यादा संख्या है, वैसे ही भारत में नेपाली बोलने वालों की संख्या ज्यादा है। नेपाली भाषा के साहित्य के अनुवाद को भी बढ़ावा देने का प्रयास चल रहा है। आपको ये भी बता दूं कि नेपाली भारत की उन भाषाओं में शामिल हैं जिन्हें भारतीय संविधान से मान्यता दी गई है।
भाइयों और बहनों,
एक और क्षेत्र है जहां हमारी ये साझेदारी और आगे बढ़ सकती है। भारत की जनता ने स्वच्छता का एक बहुत बड़ा अभियान छेड़ा है। यहां बिहार और पड़ोस के दूसरे राज्यों में, जब आप अपनी रिश्तेदारी में जाते हैं, तब आपने भी देखा और सुना होगा- सिर्फ तीन-चार साल में ही 80 प्रतिशत से अधिक भारत के गांव खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं। भारत के हर स्कूल में बच्चियों के लिए अलग टॉयलेट सुनिश्चित किए गए हैं। मुझे ये जानकर बहुत खुशी हुई कि स्वच्छ भारत और स्वच्छ गंगा की तरह आप लोगों ने भी और मेयर जी को मैं बधाई देता हूं, जनकपुर के ऐतिहासिक धार्मिक स्थानों को साफ करने का सफल अभियान चलाया है। पौराणिक महत्व के स्थानों को सहेजने के प्रयासों से नेपाल के युवाओं का जुड़ना और भी खुशी की बात है।
मैं विशेष रूप से यहां के मेयर को बधाई देना चाहता हूं, उनके साथियों को बधाई देना चाहता हूं, यहां के नौजवानों को बधाई देना चाहता हूं, यहां के विधायकों को, सांसदों को बधाई देना चाहता हूं, जिन्होंने स्वच्छ जनकपुर अभियान को आगे बढ़ाया है। भाइयों और बहनों आज मैंने मां जानकी का दर्शन किया। कल मुक्तिनाथ धाम और फिर पशुपतिनाथजी का भी आशीर्वाद लेने का भी मुझे अवसर मिलेगा। मुझे विश्वास है कि देव आशीर्वाद और आप जनता-जनार्दन के आशीष, जो भी, जो भी समझौते होंगे, वो समृद्ध नेपाल और खुशहाल भारत के संकल्प को साकार करने में सहायक होंगे।
एक बार फिर से नेपाल के प्रधानमंत्री आदरणीय ओलीजी का, राज्य सरकार का, नगर सरकार का और यहां की जनता-जनार्दन का अंत:करण पूर्वक अभार व्यक्त करता हूं, आपका धन्यवाद करता हूं।
जय सियाराम। जय सियाराम।
2014 में जब मैं प्रधानमंत्री के तौर पर पहली बार नेपाल आया था, तो संविधान सभा में कहा था कि जल्द ही जनकपुर आउंगा। मैं आप सबसे क्षमा चाहता हूं, मुझे आने में थोड़ी देर हो गई: PM @narendramodi https://t.co/qnWytDbkqz
— PMO India (@PMOIndia) May 11, 2018
आज जानकी मंदिर में दर्शन कर, मेरी बहुत सालों की मनोकामना पूरी हुई: PM @narendramodi pic.twitter.com/gHxBMPDGDg
— PMO India (@PMOIndia) May 11, 2018
भारत और नेपाल दो देश हैं, लेकिन हमारी मित्रता आज की नहीं त्रेता युग की है। राजा जनक और राजा दशरथ ने सिर्फ़ जनकपुर और अयोध्या ही नहीं, भारत और नेपाल को भी मित्रता और साझेदारी के बंधन में बांध दिया था: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) May 11, 2018
ये बंधन है राम-सीता का। बुद्ध का, महावीर का। यही बंधन रामेश्वरम् में रहने वाले को खींच कर पशुपतिनाथ ले आता है। यही बंधन लुम्बिनी में रहने वाले को बोधगया ले जाता है। और यही बंधन, यही आस्था, यही स्नेह, आज मुझे जनकपुर ले आया है: PM @narendramodi pic.twitter.com/MqM8PO1nS3
— PMO India (@PMOIndia) May 11, 2018
भारत नेपाल संबंध किसी परिभाषा से नहीं बल्कि भाषा से बंधे हैं। ये भाषा आस्था की है, ये भाषा अपनेपन की है, ये भाषा रोटी की है और ये भाषा बेटी की है: PM @narendramodi pic.twitter.com/ObpK3p4djR
— PMO India (@PMOIndia) May 11, 2018
ये मां जानकी का धाम है, जिसके बिना अयोध्या अधूरी है: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) May 11, 2018
आपकी धर्मनिष्ठा सागर से गहरी है और आपका स्वाभिमान सागरमाथा से ऊंचा है। जैसे मिथिला की तुलसी भारत के आंगन में पावनता, शुचिता और मर्यादा की सुगंध फैलाती है वैसे ही नेपाल से भारत की आत्मीयता इस संपूर्ण क्षेत्र को शांति, सुरक्षा और संस्कार की त्रिवेणी से सींचती है: PM
— PMO India (@PMOIndia) May 11, 2018
मिथिला की संस्कृति और साहित्य, मिथिला की लोक कला, मिथिला का स्वागत सम्मान सब अद्भुत है। पूरी दुनिया में मिथिला संस्कृति का स्थान बहुत ऊपर है: PM @narendramodi pic.twitter.com/O2bT6YviAx
— PMO India (@PMOIndia) May 11, 2018
जनक की नगरी, सीता माता के कारण स्त्री- चेतना की गंगोत्री बनी है। सीता माता यानि त्याग , तपस्या ,समर्पण और संघर्ष की मूर्ति: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) May 11, 2018
ये वो धरती है जिसने दिखाया कि बेटी को किस प्रकार सम्मान दिया जाता है। बेटियों के सम्मान की ये सीख आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) May 11, 2018
यहां की मिथिला Paintings को ही लीजिए। इस परंपरा को आगे बढ़ाने में अत्यधिक योगदान महिलाओं का ही रहा है। और मिथिला की यही कला, आज पूरे विश्व में प्रसिद्द हैं। इस कला में भी हमें प्रकृति की, पर्यावरण की चेतना देखने को मिलती है: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) May 11, 2018
राजा जनक के लिए उनकी प्रजा ही सबकुछ थी: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) May 11, 2018
राजा जनक और जनकल्याण के इस संदेश को लेकर ही हम आगे बढ़ रहे हैं। आपके नेपाल और भारत के संबंध राजनीति, कूटनीति, समरनीति से परे देव-नीति से बंधे हैं। व्यक्ति और सरकारें आती-जाती रहेंगी, पर ये संबंध अजर, अमर हैं: PM @narendramodi pic.twitter.com/v5CbLrSYC6
— PMO India (@PMOIndia) May 11, 2018
ये समय हमें मिलकर शांति, शिक्षा,सुरक्षा, समृद्धि, और संस्कारों की पंचवटी की रक्षा करने का है। हमारा ये मानना है कि नेपाल के विकास में ही क्षेत्रीय विकास का सूत्र है: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) May 11, 2018
PM @narendramodi - भारत और नेपाल की मित्रता कैसी रही है, इसको रामचरितमानस की इन चौपाइयों के माध्यम से समझा जा सकता है:
— PMO India (@PMOIndia) May 11, 2018
जे न मित्र दुख होहिं दुखारी।
तिन्हहि बिलोकत पातक भारी॥
निज दुख गिरि सम रज करि जाना।
मित्रक दुख रज मेरु समाना॥
इतिहास साक्षी रहा है, जब-जब एक-दूसरे पर संकट आए, भारत और नेपाल दोनों मिलकर खड़े हुए हैं। हमने हर मुश्किल घड़ी में एक दूसरे का साथ दिया है: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) May 11, 2018
भारत दशकों से नेपाल का एक स्थाई विकास साझेदार है। नेपाल हमारी 'Neighbourhood First' policy में सबसे पहले आता है: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) May 11, 2018
विकास की पहली शर्त होती है लोकतंत्र। मुझे खुशी है कि लोकतांत्रिक प्रणाली को आप मजबूती दे रहे हैं। हाल में ही आपके यहां चुनाव हुए। आपने एक नई सरकार चुनी है। अपनी आशांओं आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए आपने जनादेश दिया है: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) May 11, 2018
एक वर्ष के भीतर तीन स्तर पर चुनाव सफलतापूर्वक कराने के लिए आपको बहुत-बहुत बधाई देता हूं। नेपाल के इतिहास में पहली बार नेपाल के सभी सात प्रांतों में प्रांतीय सरकारें बनी हैं। ये न केवल नेपाल के लिए गर्व का विषय है बल्कि भारत और इस संपूर्ण क्षेत्र के लिए भी एक गर्व का विषय है: PM
— PMO India (@PMOIndia) May 11, 2018
नेपाल सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन के लिए एक नए चरण में प्रवेश कर रहा है जो सुशासन और समावेशी विकास पर आधारित है। दस साल पहले नेपाल के नौजवानों ने बुलेट छोड़कर बैलेट का रास्ता चुना। युद्ध से बुद्ध तक के इस सार्थक परिवर्तन के लिए भी मैं नेपाल के लोगों को बधाई देता हूं: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) May 11, 2018
लोकतांत्रिक मूल्य एक और कड़ी है जो भारत और नेपाल के प्राचीन संबंधों को मजबूती देती है। लोकतंत्र वो शक्ति है जो सामान्य से सामान्य जन को बेरोकटोक अपने सपने पूरे करने का अधिकार देता है। भारत ने इस शक्ति को महसूस किया है और आज भारत का हर नागरिक सपनों को पूरा करने में जुटा है: PM
— PMO India (@PMOIndia) May 11, 2018
हाल में ही नेपाल के प्रधानमंत्री ओली जी का स्वागत करने का अवसर मुझे दिल्ली में मिला था। नेपाल को लेकर उनका विजन क्या है, ये जानने को मुझे मिला। ओली जी “समृद्ध नेपाल, सुखी नेपाली” की बात करते हैं: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) May 11, 2018
नेपाल की समृद्धि और खुशहाली की कामना भारत हमेशा से करता आया है। प्रधानमंत्री ओली को भी उनके इस विजन को पूरा करने के लिए मैं शुभकामनाएं देता हूं: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) May 11, 2018
पूरब-पश्चिम, उत्तर-दक्षिण, हर दिशा में विकास का रथ दौड़ रहा है। विशेष तौर पर हमारी सरकार का ध्यान उन क्षेत्रों में ज्यादा रहा है जहां तक विकास की रोशनी नहीं पहुंच पाई थी। इसमें पूर्वांचल यानि पूर्वी भारत जो नेपाल की सीमा तक सटा है, इस पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है: PM
— PMO India (@PMOIndia) May 11, 2018
जब “सबका साथ, सबका विकास” की बात करता हूं, तो सिर्फ़ भारत के लिए ही नहीं, सभी पड़ोसी देशों के लिए भी मेरी यही कामना होती है। और जब नेपाल में “समृद्द नेपाल, सुखी नेपाली” की बात होती है, तो मेरा मन भी हर्षित होता है। सवा सौ करोड़ भारतवासियों को भी ख़ुशी होती है: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) May 11, 2018
हमने भारत में एक बहुत बड़ा संकल्प लिया है। ये संकल्प है New India का। 2022 को भारत की आजादी के 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं। तब तक सवा सौ करोड़ हिन्दुस्तानियों ने New India बनाने का लक्ष्य रखा है: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) May 11, 2018
हम एक नए भारत का निर्माण कर रहे हैं, जहां गरीब-से-गरीब व्यक्ति को भी प्रगति के समान अवसर मिले। जहां भेदभाव-ऊंच-नीच ना हो, सबका सम्मान हो। जहां बच्चों को पढ़ाई, युवाओं को कमाई और बुजुर्गों को दवाई मिले: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) May 11, 2018
जीवन आसान हो, आम जन को व्यवस्थाओं से जूझना ना पड़े। भ्रष्टाचार और दुराचार से रहित समाज और सिस्टम हो। ऐसे New India की तरफ हम आगे बढ़ रहे हैं: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) May 11, 2018
हमने शासन और प्रशासन में कई सुधार किए हैं। प्रक्रियाओं को सरल बनाया है। आज दुनिया हमारे उठाए गए कदमों की तारीफ कर रही है। हम राष्ट्र निर्माण और जनभागीदारी का संबंध और मजबूत कर रहे हैं: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) May 11, 2018
आज ही प्रधानमंत्री ओली जी के साथ मिल कर मैंने जनकपुर से अयोध्या की बस सेवा का उद्घाटन किया है। पिछले महीने प्रधानमंत्री ओली और मैंने बीरगंज में पहली Integrated Check Post का उद्घाटन किया: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) May 11, 2018
पिछले महीने हमने कृषि क्षेत्र में एक नई साझेदारी की घोषणा की है। इसके तहत कृषि के क्षेत्र में सहयोग को बढ़ावा दिया जाएगा। दोनों देशों के किसानों की आमदनी कैसे बढ़ाई जाए इस पर ध्यान दिया जाएगा। खेती के क्षेत्र में साइंस और टेक्नॉलॉजी के इस्तेमाल में सहयोग बढ़ाया जाएगा: PM
— PMO India (@PMOIndia) May 11, 2018
भारत और नेपाल के बीच व्यापार भी रिश्तों की एक अहम कड़ी है। नेपाल बिजली उत्पादन के क्षेत्र में तेज़ी से विकास कर रहा है। आज भारत से लगभग 450 मेगावाट बिजली नेपाल को सप्लाई होती है। इसके लिए हमने नई ट्रांसमिशन लाइंस बिछाई हैं: PM @narendramodi
— PMO India (@PMOIndia) May 11, 2018
आज मैंने मां जानकी का दर्शन किया, कल मुक्तिनाथ धाम और फिर पशुपतिनाथ जी का आशीर्वाद लेने भी जाऊंगा।
— PMO India (@PMOIndia) May 11, 2018
मुझे विश्वास है कि देव आशीर्वाद और आप जनता के आशीष से जो भी समझौते होंगे वो समृद्ध नेपाल और खुशहाल भारत के संकल्प को साकार करने में सहायक होंगे: PM @narendramodi