PM Modi highlights famer friendly initiatives of the Central Government and how the efforts made by the Centre are benefiting the farmers’ at large scale
Act as a bridge between the Government and the farmers to further the reach of farmer friendly initiatives: PM to Karnataka Kisan Morcha
Due to the apathy of the Congress government in Karnataka farmers could not benefit from the Fasal Bima Yojana: PM Modi
Budgets implemented by the NDA Government are centred at welfare of farmers and the agriculture sector: PM Modi
MSP for notified crops: Farmers to get 1.5 times the cost of their production, says PM Modi
Adopt organic farming methods and latest methods of agriculture: PM urges farmers

नमस्कार।

कर्नाटक के मेरे किसान कार्यकर्ताओं से आज बातचीत करने का मुझे अवसर मिला है। और जब मैं किसान की बात करता हूं तो कर्नाटक में तो हर किसान एक बात को हमेशा गुनगुनाता रहता है।
और हमारे येदुरप्पा जी ने इसको घर-घर पहुंचाने में बड़ा बीड़ा उठाया था। और आप लोग हमेशा गाते हैं। नेगुलु हिड़िदा होलदल हाड़ुता उलुवाय योगिया नोड़ल्ली। खेत में हल जोतने के समय गाए जाने वाले इस रैयता गीत के रचियता महान कवि कोएम्पु है। गीत में किसान को योगी बताया गया है। परंतु ये योगी हल को हाथ में लेता है जिसे नेगुलु कहते हैं। और इसलिए किसान को नेगुलु योगी कहते हैं। आज मैं बहुत ही प्रसन्न और बहुत ही मनोयोग से मैं खुद को सौभाग्यशाली मानता हूं कि मुझे आज कर्नाटक के नेगुलु योगी से बात करने का अवसर मिला है। कल मैं कर्नाटक में था। क्या उमंग और उत्साह था। मैंने जैसी सभाओं में जनभागीदारी देखी, उत्साह देखा। और कल शाम को किसानों से बहुत बात करने का मौका मिला। चिकौड़ी की जो सभा थी। शायद कर्नाटक के इतिहास में मैंने पहले कभी ऐसी सभा देखी नहीं। मैं कर्नाटक के नागरिकों का ह्रदय से आभार व्यक्त करना चाहूंगा पहले तो ...।

और आप लोग किसान मोर्चे के कार्यकर्ता हैं। आखिरकार इन मोर्चों का दायित्व यही होता है कि उस क्षेत्र विशेष में भाजपा की बात, सरकार की बातें पहुंचाना और क्षेत्र विशेष के लोगों की कठिनाइयां भाजपा के वरिष्ठ नेताओं तक पहुंचाना, सरकारों को पहुंचाना, और ये काम, ये जो ब्रिज है। मैं समझता हूं ये किसानों की समस्याओं का समाधान करता है। ये महत्वपूर्ण भूमिका किसान मोर्चे के रूप में भाजपा के कार्यकर्ता कर रहे हैं। दूसरा एक ही क्षेत्र में पूरा समय काम करने से, उस क्षेत्र विषय की मास्टरी आ जाती है। समस्याओं की मास्टरी आ जाती है। समाधान के रास्तों की मास्टरी आ जाती है। उपाय योजना क्या हो सकती है, उसके लिए नई-नई योजनाएं सूझती है। एक प्रकार से आपकी बहुत बड़ी अहम भूमिका है।

मुझे कर्नाटक में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के बारे में अब शिकायतें मिलती रहती थी। लेकिन हमारे एक सांसद थे जिन्होंने किसान मोर्चा की मदद से अपने क्षेत्र में बहुत काम किया। लेकिन कर्नाटक सरकार उदासीन रही। उसको परवाह की नहीं थी कि किसानों को फसल बीमा योजना से कितना फायदा होता है। और आकाल के दिनों में अगर सरकार सक्रिय होती ...। और किसान को क्या है। एक रुपए में एक पैसे, दो पैसे, पांच पैसे से ज्यादा खर्च नहीं। बहुत बड़ी राशि सरकार की तरफ से आती है। लेकिन उन्होंने किया नहीं। हमें किसानों को विश्वास दिलाना है कि समय है कि ऐसी सरकार चाहिए जो किसानों के प्रति संवेदनशील हो, किसानों की समस्याओं को समझती हो, किसानों का कल्याण उसकी प्राथमिका हो। और आपने देखा होगा कि पिछले दिनों जितने भी बजट आए हैं। हर बजट के बाद मीडिया ने, अखबारों ने, मैगजीनों ने लिखा है कि मोदी का बजट किसान का बजट है, गांव का बजट है। और इसलिए कृषि और किसान कल्याण हमेशा से हमारी सरकार का एक प्रकार से चरित्र रहा है। हमारा स्वभाव रहा है, हमारे सोचने का तरीका वही रहा है। हमें तो पंडित दीन दयाल उपाध्याय सिखाकर गए हैं - हर हाथ को काम हर खेत को पानी। और इसके लिए हम लक्ष्य तय करके टाइम के अंतर्गत डिलीवर करने के लिए, और अपेक्षित परिणाम हासिल करने की दिशा में काम कर रहे हैं।

और कृषि ऐसा क्षेत्र है जो समय से जुड़ा हुआ है क्योंकि प्रकृति के साथ सीधा उसका लिंक है। उसको पानी कब चाहिए, फसल काटने का समय कब हो, सारी चीजें एक प्राकृतिक समय चक्र के साथ जुड़ती है। समय सरकार का अपनी मनमर्जी का समय पत्र नहीं चलता है। प्रकृति, किसान और सरकार तीनों ने बराबर मेल बिठाकरके काम करना होता है। कृषि और किसानों के लिए हमारा विजन कभी एकांगी नहीं रहा। हम इंटीग्रेटेट एप्रोच वाले हैं। हम कृषि से जुड़े सभी पहलुओं को एक होलिस्टिक एप्रोच के साथ देखने के पक्षधर हैं।

चाहे कृषि के लिए भूमि का ख्याल रखना हो या सिंचाई के लिए जल संरक्षण पर जोर हो। पूरा जोर इस बात पर दिया जा रहा है कि किसानों को कृषि के कार्य में शुरुआत से अंत तक किसी भी परेशानी का सामना न करना पड़े। आधुनिक बीज हो या बीज की सुविधा, उत्पाद का संरक्षण हो या उन्हें बाजार तक पहुंचाना हो, हर पहलू पर बहुत बारीकी से ध्यान दिया जा रहा है।
और हमारी सरकार बीज से बाजार तक, फसल चक्र के हर चरण के दौरान किसानों के सशक्त बनाने का प्रयास कर रही है। किसानों को उनके पूरे एग्री साइकिल और उसमें मदद मिले। चाहे बुआई से पहले, चाहे बुआई के दौरान, चाहे कटाई के बाद हो, हमारी सरकार ने हर चरण के लिए विभिन्न योजनाएं तैयार की है। और पहल हमने उसका प्रारंभ कर दिया है। आप किसानों को इसके बारे में विस्तार से बताएं कि इन योजनाओँ का किस तरह लाभ उठा सकते हैं।

बुआई से पहले किसानों को खेती के लिए फाइनेंसिंग संबंधी समस्या न हो, और इसके लिए कृषि ऋण में 11 लाख करोड़ रुपए कर्ज के लिए आवंटन किया। कभी इतिहास में नहीं हुआ इतना। किसानों को अपने खेतों की मिट्टी के बारे में जानकारी हो। उस पर किस प्रकार के फसल उगाई जाएं। ये धरती माता की तबियत कैसी है, मिट्टी की तबियत कैसी है। इसके लिए साढ़े 12.5 करोड़ से ज्यादा स्वायल हेल्थ कार्ड किसानों को दे दिए हैं। उनके खेत की जमीन की जांच करके दिए गए हैं। अकेले कर्नाटक में करीब एक करोड़ किसानों के पास स्वायल हेल्थ कार्ड पहुंचे हैं। और उसी का परिणाम है कि किसान जो पहले फसल बोता था, अब उसमें बदल कर रहा है। अपनी धरती और जमीन की ताकत के हिसाब से वो कर रहा है। कैमिकल फर्टिलाइजर में वो कटौती कर रहा है। फालतू दवाई का उपयोग करता था, उसमें वो कटौती कर रहा है। समय का भी बंधन समझने लगा है। किस क्रॉप के साथ किस क्रॉप को मिक्स किया जाए कि डबल पैदावार ...। वो नई-नई चीजें करने लगा है। आज किसानों को अच्छी क्वालिटी का बीज समय पर उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके साथ-साथ नये किस्म के बीज विकसित करने के लिए व्यापक रूप से काम किया जा रहा है।

बुआई के दौरान किसानों को पहले की तरह खाद की समस्या से जूझना नहीं पड़ रहा है। और इसके लिए हमने नई फर्टिलाइजर की नीति तैयार की। यूरिया का हमने शत प्रतिशत नीम कोटिंग किया। आपको खुशी होगी कि करीब 30-40 साल के बाद पहली बार हमारे देश में एनपीके के खाद की कीमतों में कटौती की गई है। लेकिन ये सब होता है तो कभी-कभी हम भूल जाते हैं। हमारा काम है, किसान मोर्चे के कार्यकर्ताओं का काम है कि 30-40 साल के बाद अगर एनपीके के खाद की कीमत में कटौती हुई तो ये बार-बार याद कराना चाहिए कि नहीं कराना चाहिए ...।

अगर सिंचाई की अगर बात करें तो आज देशभर में करीब करीब 100 परियोजनाएं जो सालों से बंद पड़ी थी। कोई पूछने वाला नहीं था। उसको हमने पुनर्जीवित करने का अभियान छेड़ा है। अकेले कर्नाटक में पांच ऐसे बड़े प्रोजेक्ट जो बेकार पड़ी थी। किसानों को जरूरत थी लेकिन सरकार को परवाह नहीं थी। भारत सरकार ने चार हजार करोड़ रुपए की लागत से इन पांच बड़े प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया है। जिसका सर्वाधिक लाभ करीब-करीब 24 लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन को भी माइक्रो इरीगेशन के दायरे में लाया जा रहा है। कर्नाटक में भी 4 लाख हेक्टेयर से ज्यादा भूमि पर अलरेडी माइक्रो इरिगेशन का लाभ लेना शुरू किया है। उसी प्रकार से बुआई के बाद किसानों को फसल की उचित कीमत मिले, इसके लिए देश में एग्रीकल्चर मार्केटिंग रिफॉर्म पर भी बहुत व्यापक स्तर पर काम हो रहा है। गांव की स्थानीय मंडियां, होल-सेल मार्केट और फिर ग्लोबल मार्केट इससे जुड़े। इसके लिए सरकार सीमलेस व्यवस्था के लिए प्रयास कर रही है। किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए बहुत दूर जाना न पड़े, इसके लिए देश के 22 हजार ग्रामीण हाटों को एक नई व्यवस्था के तहत, नए इंफ्रास्ट्रक्चर के तहत अपग्रेड करते हुए एपीएमसी और ई-नाम प्लेटफार्म के साथ इंटीग्रेट किया जाएगा। यानी एक तरह से खेत से देश के किसी भी मार्केट के साथ Connect की ऐसी व्यवस्था बनाई जा रही है।

जहां तक एमएसपी की बात है। इस साल बजट में किसानों को फसल की उचित कीमत दिलाने के लिए एक बड़ा निर्णय किया गया। हमने तय किया कि अधिसूचित फसलों के लिए एमएसपी उनकी लागत का कम से कम डेढ़ गुना घोषित दिया जाएगा।

इसलिए मेरे किसान मोर्चा के कार्यकर्ताओं। मैं घंटों तक इस विषय पर आपको बता सकता हूं क्योंकि मैंने इतना दिल लगाकर काम किया है। क्योंकि हमारा स्पष्ट मत है गांव का भला करना, गरीब का भला करना और किसान का भला करना, कृषि को मजबूत बनाना, इस देश की अर्थव्यवस्था के लिए बहुत आवश्यक है। हमारी नई पीढ़ी भी किसानी के काम को अच्छा काम माने, उस ऊंचाई तक किसानी के काम को ले जाना है।

इसलिए मैं आपको विश्वास दिलाता हूं। हमने जो रास्ता चुना है उससे उत्तम से उत्तम परिणाम आकर रहने वाले हैं। जो परिणाम 70 साल में नहीं मिले वो परिणाम 2022, आजादी के 75 वर्ष होने से पहले पाने का हमारा इरादा है।

आप भी कुछ पूछना चाहते हैं। कुछ बात करना चाहते हैं। जरूर ...। मैं मेरी ही बातें बताता रहूंगा तो घंटों तक बात करता रहूंगा। मैं आपकी बात भी सुनना चाहता हूं। बताइए।

मैसूर किसान मोर्चा के जिला अध्यक्ष प्रसन्ना - हैलो। हैलो।
प्रधानमंत्री मोदी - नमस्ते।
प्रसन्ना - नमस्ते जी। मैं प्रसन्ना एल गौड़ा।
प्रधानमंत्री मोदी – प्रसन्ना जी नमस्ते।
प्रसन्ना – नमस्ते जी।

मैं मैसूर किसान मोर्चा का अध्यक्ष हूं। आपसे बात करने की तमन्ना थी जो आज पूरा हुआ। हम मैसूर में मिशन 2024 के नाम से फार्मर्स के इनकम को डबल करने में, कैमिकल फ्री फार्मिंग में हम जुटे हुए हैं। आपकी आशा में जुटे हुए हैं।

पीएम मोदी – 24 नहीं 22 में करना है। डेट बदलनी नहीं है जी।

प्रसन्ना – कर देंगे जी। 2022 में करेंगे जी। बदल देंगे जी। हम पद यात्रा अवेयरनेस प्रोग्राम सब कर रहे हैं। मेरा प्रश्न है कि कांग्रेस के शासन में किसानों की हालत खराब है, डिस्ट्रेस में है, उसका सोशल स्टेटस गिर गया है। इसके लिए हम क्या कर सकते हैं।

पीएम मोदी – देखिए। ये बात सही है कि किसानों के प्रति कांग्रेस हमेशा लीप सिंपेथी दिखाती रही है। भाषण में किसान बोलना उनका स्वभाव हो गया है। भीषण अकाल में घिरे किसानों को कहां तो सहारा देना चाहिए था। पानी के लिए कोई न कोई नई योजनाएं बनानी चाहिए थी। जनभागीदारी से वर्षा के पानी को रोकने के अभियान चलाने चाहिए थे। तालाब गहरे करने चाहिए थे। नदियों के अंदर छोटे-छोटे ब्रिज बनाकर पानी रोकने का प्रयास करना चाहिए था। ये सब करने के बजाए जो झील सूख गई, मुझे कोई बता रहा था कि जो झील सूख गई तालाब सूख गए। उसे वो बिल्डरों के हवाले कर दिया गया। अब ऐसी असंवेदनशीलता कर्नाटक में कांग्रेस सरकार की हो, अन्नदाता की सेवा करना मेरे हिसाब से एक बहुत बड़ा सौभाग्य होता है। लेकिन कर्नाटक की सरकार को सेवा में नहीं, केवल किसानों के नाम पर राजनीति करना, किसानों को गुमराह करना, उनकी भावनाओं को भड़काना, झूठी खबरें पहुंचाना, यही उनका खेल चलता रहता है। और तब किसान मोर्चा के कार्यकर्ताओं की जिम्मेदारी बनती है कि जब इतनी बड़ी मात्रा में झूठ फैलाया जाता है तब हम हकीकत के आधार पर सत्य पहुंचाएं। भारत सरकार ने किसानों की आय 2022 तक दोगुना करने का संकल्प लिया है। हमारे मिशन में जब येदुरप्पा जी मुख्यमंत्री बनकरके जुड़ जाएंगे तो उनका अनुभव, उनका कमिटमेंट। हमें इस काम को और ताकत देने वाला है। और इसलिए मैं तो चाहूंगा कि किसान नेता हैं येदुरप्पा जी।
दो उदाहरण बताता हूं। योजनाएं तो पहले भी चलती थी। लेकिन बीजेपी सरकार ने उसे नई एप्रोच के साथ लागू किया है। जैसे उदाहरण के तौर पर सिंचाई से जुड़ी परियोजनाएं पहले भी थी। लेकिन अब बीजेपी सरकार में प्रधानमंत्री कृषि योजना के तहत अलग-अलग क्षेत्रों पर एक साथ किया जा रहा है। फोकस देश में एक जल संचय का, दूसरा जल सिंचन का। देश में माइक्रो इरीगेशन का दायरा बढ़ाना। और जो एक्जिस्टिंग इरिगेशन नेटवर्क है, उसको और मजबूती देना। और इसलिए सरकार ने तय किया कि दो-दो, तीन-तीन दशकों से अटकी पड़ी देश की करीब 100 परियोजनाओं को तय समय में पूरा किया जाएगा। और इसके लिए करीब-करीब एक लाख करोड़ खर्च होने का अनुमान है। उसका हमने प्रावधान किया है। ये सरकार के निरंतर प्रयास है और उसी का असर है कि इस साल अंत तक उन 100 में से 25-50 योजनाएं पूरी हो जाएंगी। और बाकी अगले साल तक पूरी होने की संभावना है। मतलब जो काम 25-30 साल से अटका पड़ा था, उसे 25-30 महीनों में पूरा कर दिया। पूरी होती सिंचाई परियोजना देश के किसी न किसी हिस्से में किसान का खेती पर होने वाला खर्च कम कर रही है। पानी को लेकर उसकी चिंता कम कर रही है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत अब तक 24 लाख हेक्टेयर से ज्यादा जमीन को भी माइक्रो इरीगेशन के दायरे में लाया जा चुका है। कर्नाटक में भी इस योजना के तहत पांच परियोजनाओं पर काम शुरू किया गया था। इनमें एक काम पूर्ण हो चुका है, बाकी काम भी निकट भविष्य में पूरी होने वाला है। सरकार इन अधूरी परियोजनाओं पर कर्नाटक में ही 4 हजार करोड़ रुपये खर्च कर रही है। बीदर, बेलगावी, गुरबर्गा, यादगीर, बीजापुर, हावेरी सारा क्षेत्र है जिसको इसका सबसे फायदा मिलने वाला है।

एक और उदाहरण आपको बताना चाहता हूं। किसान से जुड़ी हुई प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना। एग्रीकल्चर सेक्टर में इंश्योरेंस की हालत क्या थी। ये हाल सारा देश जानता है। किसान का विश्वास ही खत्म हो गया था। बीमा कंपनियों की मलाई खाई जाती थी। किसान को कुछ नहीं मिलता था। हमने उसका होलिस्टिक रिव्यू किया। नए तरीके से सोचा। किसान अपनी फसल का बीमा कराने जाता था तो पहले उसे ज्यादा प्रीमियम देना पड़ता था। पहले उसका दायरा भी बहुत छोटा था। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत हमारी सरकार ने न सिर्फ प्रीमियम कम किया बल्कि इंश्योरेंस का दायरा भी बहुत बढ़ा दिया। मुझे बताया गया है कि इस योजना के तहत पिछले वर्ष इस योजना के तहत हजारों करोड़ रुपए की क्लेम राशि किसानों को दी गई है। अगर प्रति किसान या प्रति हेक्टेयर दी गई क्लेम राशि को देखा जाए तो पहले की तुलना में ये डबल हो गई है। दोगुणा हो गई है।

किसान क्रेडिट कार्ड। पहले वो बहुत सीमित उपयोग होता था। अब हमने उसका दायरा बढ़ा दिया। किसान क्रेडिट कार्ड का दायरा ...। अब पशुपालन के लिए उस क्रेडिट कार्ड का उपयोग हो सकता है। कोई पोल्ट्री फार्म करना चाहता है तो उपयोग हो सकता है। कोई मछली पालन करना चाहता है तो उपयोग हो सकता है। किसानी के अन्य सभी कामों के लिए किसान क्रेडिट कार्ड काम आने लगा है। इससे मछुआरों के लिए किया है। कोस्टल रीजन में रहने वाले जो हमारे भाई बहन हैं, फिशरमैन हैं, वो भी एक प्रकार से समुद्र में खेती ही तो करते हैं। उनको एक ताकत मिलेगी। इस बजट में गांव और कृषि के लिए कुल 14 लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। और 14 लाख करोड़ रुपए हिन्दुस्तान के गांव और किसान के लिए, ये हिन्दुस्तान के बजट के इतिहास के लिए यह सबसे बड़ी घटना है।
समुद्री किनारों पर बसे इलाकों में जहां हमारे मछुआरे भाई बहन रहते हैं, वहां ब्लू रिवोल्यूशन की क्षमता है। कर्नाटक के मछुआरों को मछली पकड़ने में सुविधा हो। इसके लिए केंद्र सरकार ने अनेक योजनाएं चलाई जा रही है, आर्थिक मदद दी जा रही है। और उसका लाभ हमारे मछुआरे भाई-बहन ले सकते हैं।

डैम रिहेबिलिटेशन एंड इंप्रूपमेंट प्रोजेक्ट यानी drip के तहत 22 प्रोजेक्ट चल रहे हैं। इंसेंटिवाआजेशन स्कीम फॉर ब्रिंगिंग गैप यानी आईएसबीआईआई के तहत 9 प्रोजेक्ट लिए गए हैं। इन पर कुल लागत करीब 1100 करोड से ज्यादा आएगी। जिसमें केंद्र सरकार बहुतेक हिस्सा देने वाली है।

हमारे येदयुरप्पा जी का किसानों के प्रति समर्पण और उनका कमिटमेंट। कर्नाटक की जनता और कर्नाटक की किसान भलीभांति जानता है। और इसलिए किसानों का सपना पूरा करने के लिए बीजेपी की जो सरकार बनेगी वो और दिल्ली में जो बीजेपी की सरकार किसानों के प्रति समर्पित है वो, दोनों मिलकरके इतना बड़ा परिवर्तन ला सकते हैं। इस विश्वास को लेकर के किसान मोर्चा के कार्यकर्ता गांव-गांव जाएं, किसानों के साथ बैठें और छोटी-छोटी बातें बताएं। और पुरानी चीजें उन्हें याद दिलाएं। फिर उनको गले उतरेगा कि हां भाई ये तो बदलाव आया है।
कोई और पूछना चाहता है।

पीएम मोदी – नमस्ते।
बिदर से किसान मोर्चा से जिला महासचिव, अभिमन्यु - नमस्ते सर। बिदर से बात कर रहा हूं। मैं क्या बोलता हूं सर कि किसान 2022 तक जिनकी इनकम जो डबल करना चाहते हैं। इसको कैसे संभव बनाएंगे।

पीएम मोदी – देखिए एक तो बड़े आत्मविश्वास के साथ बोलिए कि ये 2022 तक होना संभव है। क्योंकि किसान ने पिछले 70 सालों से ऐसा सुना है पुरानी सरकारों से कि इसको किसी चीज पर भरोसा नहीं होता है। इसमें किसानों का कोई दोष नहीं है। भूतकाल में सरकारों ने किसानों के साथ झूठ बोला है। और उसके कारण किसानों का विश्वास टूट गया है। सबसे पहला काम, किसान के साथ आंख में आंख मिलाकरके, जमीन पर उसके साथ बैठकरके, ये धरती मां की मिट्टी हाथ में लेकरके विश्वास से बोलो। ये मोदीजी की सरकार है और आने वाले येदुरप्पाजी की सरकार है। हम 2022 में किसान की आय दोगुणा करके रहेंगे। और फिर उनको रास्ते बताइए।

किसान की आय बढ़ाने के लिए चार अलग-अलग स्तरों पर फोकस कर रही है। ये बराबर उनको समझाइए।
पहला – ऐसे कौन से कदम उठाए जाएं जिनसे खेती पर होने वाले खर्च कम किया जाए। लागत कम किए जाएं।
दूसरा – ऐसे कौन से कदम उठाए जाएं कि जिससे उनकी पैदावार की उचित कीमत मिले।
तीसरा - खेत से लेकर बाजार तक पहुंचने के बीच फसलों, सब्जियों, फलों ये जो बर्बाद हो जाती है। एक अनुमान है कि 30 प्रतिशत बर्बाद हो जाती है। उसे कैसे रोका जाए।
चौथा - ऐसा क्या कुछ हो जिससे किसानों को अतिरिक्त आय हो। अपनी फसल का वैल्यू एडीशन हो। अपने ही खेत में किसानी से जुड़ी हुई कुछ और चीजें हों। फार्मिंग से लेकर पैकेजिंग तक, कृषि को टेक्नोलॉजी से जोड़ने से लेकर उत्पादों के ट्रांसपोर्टेशन तक, ग्रामीण हाटों को अपग्रेड कर ई-नाम प्लेटफार्म से जोड़ने तक, फसलों के तैयार होने से लेकर बाजार में उसकी बिक्री तक, एक पूरी व्यवस्था, एक नया कल्चर की दिशा में हम होलिस्टिक एप्रोच लेकरके आगे बढ़ रहे हैं।

अब एमएसपी की बात करें। इस साल के बजट में, और मैं चाहूंगा कि आप इसको बारीकी से सुनिए। किसानों को उनके फसलों को उचित कीमत दिलाने के लिए एक बड़ा निर्णय लिया गया। हमने तय किया कि अधिसूचित फसलों के लिए एमएसपी उनकी लागत का कम से कम डेढ़ गुणा घोषित किया जाए। अब सबसे बड़ी बात कि एमएसपी के लिए जो लागत जोड़ी जाएगी उसमें दूसरे श्रमिक जो मेहनत और परिश्रम करते हैं, उनका मेहनताना जोड़ा जाएगा। अपने मवेशी, मशीन या किराये पर लिए मवेशी या मशीन का खर्च भी उसमें जोड़ा जाएगा, बीज का जो खर्च होगा वो भी जोड़ा जाएगा। उपयोग की गई हर प्रकार की खाद का मूल्य भी जोड़ा जाएगा। सिंचाई का खर्च, राज्य सरकार को दिया गया लैंड रेवन्यू, वर्किंग कैपिटल के ऊपर दिया गया ब्याज, अगर जमीन लीज पर ली है तो उसका किराया, और इतना ही नहीं किसान जो खुद मेहनत करता है या अगर उसके परिवार में से कोई कृषि के काम में मेहनत कर रहा है। उस योगदान को, उस खर्च को भी, उत्पादन के मूल्य के साथ जोड़करके उसके आधार पर उस लागत के आधार पर किसानों को उपज की उचित कीमत मिले। इसके लिए देश में एग्रीकल्चर को आगे बढ़ाने की दिशा में काम हो रहा है। एग्रीकल्चर रिफॉर्म पर भी बहुत व्यापक स्तर पर काम हो रहा है।
गांव की स्थानीय मंडियां, होलसेल मार्केट और फिर ग्लोबल मार्केट से जुड़ें। इसका प्रयास हो रहा है। किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए बहुत दूर नहीं जाना पड़े, इसके लिए देश के 22 हजार ग्रामीण हाटों को जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ अपग्रेड करते हुए एपीएमसी और ई-नाम प्लेटफार्म के साथ इंटीग्रेट किया जाएगा। यानी एक तरह से खेत से देश के किसी भी मार्केट के साथ कनेक्ट ऐसी व्यवस्था बनाई जा रही है। किसान इन ग्रामीण हाटों पर ही अपनी उपज सीधे उपभोक्ताओं को बेच सकेगा। आने वाले दिनों में ये केंद्र किसानों की आय बढ़ाने, रोजगार और कृषि आधारित ग्रामीण व्यवस्था के नए केंद्र बनेंगे।

इस स्थिति को और मजबूत करने के लिए सरकार फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन ...। और मैं चाहूंगा कि किसान मोर्चा के कार्यकर्ता इस पर ध्यान दें। फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन - एफपीओ इसके गांव-गाव में संगठन खड़े करने चाहिए। सरकार इसको बढ़ावा दे रही है।

किसान अपने क्षेत्र में अपने स्तर पर छोटी-छोटी मंडलियां बनाएं, संगठन बनाएं और ग्रामीण हाटों पर बड़ी मंडियों से जुड़ सकते हैं। आप कल्पना करिए कि जब गांव के किसानों को बड़ा समूह इकट्ठा होकरके जरूरत के हिसाब से खाद खरीदेगा तो ट्रांसपोर्टेशन का खर्चा कम होगा कि नहीं होगा। तो पैसे की कितनी बचत होगी। इसी तरह आप दवा का दाम कम कर सकते हैं। आप समूह में चीजें खरीदते हैं तो और डिस्काउंट मिलता है। और मैं समझता हूं कि सामूहिकता भाव ...। और इसके अलावा। जब वही समूह गांव में अपनी पैदावार इकट्ठा करके, पैकेजिंग करके बाजार में बेचने निकलेगा तो भी उसके हाथ में ज्यादा पैसे आएंगे। खेत से लेकर उपभोक्ता तक पहुंचने के बीच में जो कीमत बढ़ती है उसका लाभ अब सीधा-सीधा किसान उठा पाएगा।

इस बजट मे सरकार ने ये भी ऐलान किया कि फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन। ये सुन लिया बराबर। एफपीओ को कॉपरेटिव सोसाइटी की तरह ही इनकम टैक्स में छूट दी जाएगी। महिला सहायता समूहों को इन फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन की मदद के साथ आर्गेनिक, एरोमैटिक, हर्बल खेती इनके साथ जोड़ने की योजना भी किसानों की आय बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण मददकार साबित होगी। सप्लाई चेन मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री कृषि संपदा योजना की शुरुआत की गई है। इस योजना के तहत वेल्यू एडीशन के लिए भी बहुत काम हो सकता है। हमारे पैदावार को रखने के लिए गोदाम बनाने का बहुत बड़ा काम हो सकता है।

फल और सब्जी उगाने वाले किसान के लिए ऑपरेशन ग्रीन की शुरुआत की गई है। हमने एग्रीकल्चर वेस्ट से वेल्थ बनाना ...। हम उसको पहले जला देते थे, बर्बाद कर देते थे। वो तो मूल्यवान संपदा है। वेस्ट से वेल्थ कैसे बने।

और इस बजट में सरकार ने एक गोबरधन योजना ऐलान किया है। गोबरधन यानि गैलवनाइजिंग ऑर्गेनिक बायो-एग्रो रिसोर्स धन योजना। इस ग्रामीण योजना से ग्रामीण इलाकों में स्वच्छता को तो बढ़ावा मिलेगा ही। साथ ही गांवों में निकलने वाले बायो गैस से किसानों एवं पशुपालकों की आमदनी बढ़ाने में मदद मिलेगी।
आज समय की मांग है कि हम ग्रीन रिवोल्यूशन और व्हाइट रिवोल्यूशन के साथ-साथ वॉटर रिवोल्यूशन, ब्लू रिवोल्यूशन, स्वीट रिवोल्यूशन और ऑर्गेनिक रिवोल्यूशन को आगे बढ़ाने के लिए जी जान से जुट जाएं। ये वो क्षेत्र हैं जो किसानों के लिए अतिरिक्त आय और आय के मुख्य श्रोत दोनों ही हो सकते हैं। ऑर्गेनिक खेती, मधुमक्खी का पालन, समुद्री तट पर सी-बीड की खेती, सौलर फार्म ऐसे तमाम आधुनिक विकल्प भी हमारे किसानों के सामने है।

इसी तरह अतिरिक्त आय का और माध्यम है सोलर फार्मिंग। जिससे कर्नाटक के किसानों को बड़ा फायदा हो सकता है। ये खेती की वो तकनीक है जो न सिर्फ सिंचाई की जरूरतों को पूरा कर रही है बल्कि पर्यावरण की भी मदद कर रही है। खेत के किनारे पर सौलर पैनल से किसान पानी की पंपिंग के लिए जरूरी बिजली तो खुद पैदा कर सकता है और अतिरिक्त बिजली सरकार को बेच सकता है। इससे उसे पेट्रोल डीजल से मुक्ति मिल जाएगी, खर्चा कम हो जाएगा। एक प्रकार से जीरो कोस्ट वाली बिजली हो जाएगी उसकी। इससे पर्यावरण की भी सेवा होगी। तो पेट्रोल डीजल की खरीद में लगने वाला सरकारी धन की भी बचत हो जाएगी। बीते तीन वर्षों में सरकार ने तीन लाख सोलर पंप किसानों तक पहुंचाया है। और इसके लिए लगभग 2500 करोड़ की राशि स्वीकृत की गई है।

फसल के जिस अवशेष को किसान सबसे बड़ी आफत मानते हैं। उससे पैसे भी बनाए जा सकते हैं। कर्नाटक में निकलने वाले बहुतायत में कोयर वेस्ट, कोकोनट सेल्स, या बंबू वेस्ट हो, फसल कटने के बाद खेत में बचा रिसूट्स हो, इन सभी को किसानों की आय से जोड़ने का काम किया जा रहा है। जबकि सभी को पता था कि बांस का कंस्ट्रक्शन सेक्टर में क्या वेल्यू है। फर्नीचर बनाने में, हेंडीक्राफ्ट बनाने में, अगरबत्ती और पतंग बनाने में भी बांस का अनिवार्य है। कर्नाटक में तो चंदन की अगरबत्ती के लिए बांस विदेशों से मंगवाना पड़ता है। बांस को किसानों की होने वाली आय को देखते हुए सरकार ने बांस के पुराने कानून को बदल दिया है। इस फैसले से कर्नाटक के छोटे उद्योगों को भी फायदा होगा। किसान खुद अपने खेत के किनारे पर बंबू की खेती करके बंबू बेच सकता है।

साथियों।
हमारे देश में लकड़ी का जितना उत्पादन होता है, वह देश की आवश्यकता से बहुत कम है। सप्लाई और डिमांड के बीच इतना गैप है कि हर साल करोड़ों-करोड़ डॉलर खर्च करके हम लकड़ी बाहर से लाते हैं। देश की प्राकृतिक संपदा की रक्षा और पेड़ों के संरक्षण को ध्यान में रखते हुए सरकार अब मल्टीपरपस ट्री स्पेशिस के ट्रांस्प्लांटेशन पर जोर दे रही है। आप सोचिए। किसान को अपने खेत में ऐसे पेड़ लगाने की स्वतंत्रता हो जिसे वो पांच, दस, 15 साल में अपनी आवश्यकता के अनुसार काट सके। उसका ट्रांसपोर्ट कर सके। तो उसकी आय में कितनी बढ़ोतरी होगी। मैं तो हमेशा कहता आया हूं कि किसान अपने घर में बेटी पैदा हो और बेटी पैदा होते ही अगर ऐसा एक पेड़ लगा दे तो बेटी की शादी की जब उम्र होगी और उस समय जब पेड़ काटेगा तो बेटी की शादी का पूरा खर्चा उस पेड़ से निकल आएगा। हर मेड़ पर पेड़ का कान्सेप्ट किसानों की बहुत बड़ी जरूरतों को पूरा करेगा। इससे पर्यावरण को भी लाभ होगा। इस बदलाव में ज्यादा से ज्यादा से राज्य को जोड़ने में भारत सरकार कोशिश कर रही है। और येदुरप्पा जी की सरकार बनेगी तो कर्नाटक सबसे पहले इस योजना से जुड़ जाएगी। ये मुझे विश्वास है।

मूल्य समर्थन योजना में किसानों की मदद के लिए समर्थन मूल्य पर खरीदी की जाती है। मुख्य रूप से खरीदी नाफेड के लिए 1500 करोड़ की सरकारी खरीद की गारंटी की व्यवस्था थी। हम किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीदी की पुख्ता व्यवस्था कर रहे हैं। और इसलिए इस साल हमने नाफेड की गवर्मेंट गारंटी को बढ़ाकर, कहां 1500 करोड़, अब हमने उसको कर दिया है 30,000 करोड़ रुपये। सोचिए मेरे किसान भाइयो बहनो। पहले 1500 करोड़ रुपए में किसानों के लिए योजना, योजना के गीत गाए जाते थे। आज हमने उसको 30 हजार करोड़ पहुंचाया है। क्योंकि हम जानते हैं किसान के दर्द को दूर करने के लिए किसान को हिम्मत बढ़ानी पड़ेगी। और हम उसको आवश्यकता पड़ने पर और भी बढ़ाने के लिए तैयार हूं।

अब मैं कर्नाटक की बात करूं। पिछले खरीफ और चालू रबी को लेकर अकेले कर्नाटक में चना, उड़द, मूंग आदि की समर्थन मूल्य पर 6000 करोड़ की अधिक की खरीदी की जा चुकी है। ये भारत सरकार ने इसके लिए पहल की है। तो आप समझ सकते हैं। मेरे किसान मोर्चा के भाइयो बहनो। एक-एक सवाल पर मेरे पास इतनी जानकारियां है, इतने निर्णय है, इतने इनिशिएटिव है, धरती पर इतना परिवर्तन आया है। इससे मेरा विश्वास बढ़ गया है। हम किसानों को हमेशा-हमेशा के लिए समस्याओँ की मुक्ति के रास्ते पर चल पड़े हैं। और किसान का विश्वास पैदा हो जाए। हम किसान मोर्चा के कार्यकर्ता एक ब्रिज के रूप में इस काम को कर दें। आप देखिए। चुनाव तो आएंगे, जाएंगे। मेरा किसान शक्तिवान बने, सामर्थ्यवान बने। मेरा गांव शक्तिवान बने, सामर्थ्यवान बने। हमारे किसान का कल्याण हो। हमारी पूरी अर्थव्यवस्था में किसी जमाने में जो कृषि की ताकत थी, वो ताकत फिर से लौटकर आए। उस पर हम बल दे रहे हैं।

मुझे खुशी है कि कर्नाटक में रूबरू होने का मौका मिला। कल तो मैंने अद्भूत दृश्य देखा, अद्भूत नजारा देगा। लेकिन आज फिर से मुझे किसान मोर्चा से कृषि के संबंध में ही टेक्नोलॉजी के जरिए नरेन्द्र मोदी एप डाउनलोड करके बड़ी आसानी से अब आप आसानी से जुड़ जाते हैं। आने वाले दिनों में महिला मोर्चा, एसटी-एससी मोर्चा, युवा मोर्चा उनसे भी मैं समय निकालकर जरूर बात करूंगा। कल फिर मैं कर्नाटक के दौरे पर आ रहा हूं। मुझे बहुत अच्छा लगा आपसे बात करके। बहुत-बहुत धन्यवाद। मैं सभी जिस किसानों को योगी कहा गया है। ऐसे सभी किसानों को प्रणाम करता हूं, नमस्कार करता हूं।

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78-ാം സ്വാതന്ത്ര്യ ദിനത്തില്‍ ചുവപ്പ് കോട്ടയില്‍ നിന്ന് പ്രധാനമന്ത്രി ശ്രീ നരേന്ദ്ര മോദി നടത്തിയ പ്രസംഗം

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Text Of Prime Minister Narendra Modi addresses BJP Karyakartas at Party Headquarters
November 23, 2024
Today, Maharashtra has witnessed the triumph of development, good governance, and genuine social justice: PM Modi to BJP Karyakartas
The people of Maharashtra have given the BJP many more seats than the Congress and its allies combined, says PM Modi at BJP HQ
Maharashtra has broken all records. It is the biggest win for any party or pre-poll alliance in the last 50 years, says PM Modi
‘Ek Hain Toh Safe Hain’ has become the 'maha-mantra' of the country, says PM Modi while addressing the BJP Karyakartas at party HQ
Maharashtra has become sixth state in the country that has given mandate to BJP for third consecutive time: PM Modi

जो लोग महाराष्ट्र से परिचित होंगे, उन्हें पता होगा, तो वहां पर जब जय भवानी कहते हैं तो जय शिवाजी का बुलंद नारा लगता है।

जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...जय भवानी...

आज हम यहां पर एक और ऐतिहासिक महाविजय का उत्सव मनाने के लिए इकट्ठा हुए हैं। आज महाराष्ट्र में विकासवाद की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सुशासन की जीत हुई है। महाराष्ट्र में सच्चे सामाजिक न्याय की विजय हुई है। और साथियों, आज महाराष्ट्र में झूठ, छल, फरेब बुरी तरह हारा है, विभाजनकारी ताकतें हारी हैं। आज नेगेटिव पॉलिटिक्स की हार हुई है। आज परिवारवाद की हार हुई है। आज महाराष्ट्र ने विकसित भारत के संकल्प को और मज़बूत किया है। मैं देशभर के भाजपा के, NDA के सभी कार्यकर्ताओं को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, उन सबका अभिनंदन करता हूं। मैं श्री एकनाथ शिंदे जी, मेरे परम मित्र देवेंद्र फडणवीस जी, भाई अजित पवार जी, उन सबकी की भी भूरि-भूरि प्रशंसा करता हूं।

साथियों,

आज देश के अनेक राज्यों में उपचुनाव के भी नतीजे आए हैं। नड्डा जी ने विस्तार से बताया है, इसलिए मैं विस्तार में नहीं जा रहा हूं। लोकसभा की भी हमारी एक सीट और बढ़ गई है। यूपी, उत्तराखंड और राजस्थान ने भाजपा को जमकर समर्थन दिया है। असम के लोगों ने भाजपा पर फिर एक बार भरोसा जताया है। मध्य प्रदेश में भी हमें सफलता मिली है। बिहार में भी एनडीए का समर्थन बढ़ा है। ये दिखाता है कि देश अब सिर्फ और सिर्फ विकास चाहता है। मैं महाराष्ट्र के मतदाताओं का, हमारे युवाओं का, विशेषकर माताओं-बहनों का, किसान भाई-बहनों का, देश की जनता का आदरपूर्वक नमन करता हूं।

साथियों,

मैं झारखंड की जनता को भी नमन करता हूं। झारखंड के तेज विकास के लिए हम अब और ज्यादा मेहनत से काम करेंगे। और इसमें भाजपा का एक-एक कार्यकर्ता अपना हर प्रयास करेगा।

साथियों,

छत्रपति शिवाजी महाराजांच्या // महाराष्ट्राने // आज दाखवून दिले// तुष्टीकरणाचा सामना // कसा करायच। छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहुजी महाराज, महात्मा फुले-सावित्रीबाई फुले, बाबासाहेब आंबेडकर, वीर सावरकर, बाला साहेब ठाकरे, ऐसे महान व्यक्तित्वों की धरती ने इस बार पुराने सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। और साथियों, बीते 50 साल में किसी भी पार्टी या किसी प्री-पोल अलायंस के लिए ये सबसे बड़ी जीत है। और एक महत्वपूर्ण बात मैं बताता हूं। ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा के नेतृत्व में किसी गठबंधन को लगातार महाराष्ट्र ने आशीर्वाद दिए हैं, विजयी बनाया है। और ये लगातार तीसरी बार है, जब भाजपा महाराष्ट्र में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है।

साथियों,

ये निश्चित रूप से ऐतिहासिक है। ये भाजपा के गवर्नंस मॉडल पर मुहर है। अकेले भाजपा को ही, कांग्रेस और उसके सभी सहयोगियों से कहीं अधिक सीटें महाराष्ट्र के लोगों ने दी हैं। ये दिखाता है कि जब सुशासन की बात आती है, तो देश सिर्फ और सिर्फ भाजपा पर और NDA पर ही भरोसा करता है। साथियों, एक और बात है जो आपको और खुश कर देगी। महाराष्ट्र देश का छठा राज्य है, जिसने भाजपा को लगातार 3 बार जनादेश दिया है। इससे पहले गोवा, गुजरात, छत्तीसगढ़, हरियाणा, और मध्य प्रदेश में हम लगातार तीन बार जीत चुके हैं। बिहार में भी NDA को 3 बार से ज्यादा बार लगातार जनादेश मिला है। और 60 साल के बाद आपने मुझे तीसरी बार मौका दिया, ये तो है ही। ये जनता का हमारे सुशासन के मॉडल पर विश्वास है औऱ इस विश्वास को बनाए रखने में हम कोई कोर कसर बाकी नहीं रखेंगे।

साथियों,

मैं आज महाराष्ट्र की जनता-जनार्दन का विशेष अभिनंदन करना चाहता हूं। लगातार तीसरी बार स्थिरता को चुनना ये महाराष्ट्र के लोगों की सूझबूझ को दिखाता है। हां, बीच में जैसा अभी नड्डा जी ने विस्तार से कहा था, कुछ लोगों ने धोखा करके अस्थिरता पैदा करने की कोशिश की, लेकिन महाराष्ट्र ने उनको नकार दिया है। और उस पाप की सजा मौका मिलते ही दे दी है। महाराष्ट्र इस देश के लिए एक तरह से बहुत महत्वपूर्ण ग्रोथ इंजन है, इसलिए महाराष्ट्र के लोगों ने जो जनादेश दिया है, वो विकसित भारत के लिए बहुत बड़ा आधार बनेगा, वो विकसित भारत के संकल्प की सिद्धि का आधार बनेगा।



साथियों,

हरियाणा के बाद महाराष्ट्र के चुनाव का भी सबसे बड़ा संदेश है- एकजुटता। एक हैं, तो सेफ हैं- ये आज देश का महामंत्र बन चुका है। कांग्रेस और उसके ecosystem ने सोचा था कि संविधान के नाम पर झूठ बोलकर, आरक्षण के नाम पर झूठ बोलकर, SC/ST/OBC को छोटे-छोटे समूहों में बांट देंगे। वो सोच रहे थे बिखर जाएंगे। कांग्रेस और उसके साथियों की इस साजिश को महाराष्ट्र ने सिरे से खारिज कर दिया है। महाराष्ट्र ने डंके की चोट पर कहा है- एक हैं, तो सेफ हैं। एक हैं तो सेफ हैं के भाव ने जाति, धर्म, भाषा और क्षेत्र के नाम पर लड़ाने वालों को सबक सिखाया है, सजा की है। आदिवासी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, ओबीसी भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, मेरे दलित भाई-बहनों ने भी भाजपा-NDA को वोट दिया, समाज के हर वर्ग ने भाजपा-NDA को वोट दिया। ये कांग्रेस और इंडी-गठबंधन के उस पूरे इकोसिस्टम की सोच पर करारा प्रहार है, जो समाज को बांटने का एजेंडा चला रहे थे।

साथियों,

महाराष्ट्र ने NDA को इसलिए भी प्रचंड जनादेश दिया है, क्योंकि हम विकास और विरासत, दोनों को साथ लेकर चलते हैं। महाराष्ट्र की धरती पर इतनी विभूतियां जन्मी हैं। बीजेपी और मेरे लिए छत्रपति शिवाजी महाराज आराध्य पुरुष हैं। धर्मवीर छत्रपति संभाजी महाराज हमारी प्रेरणा हैं। हमने हमेशा बाबा साहब आंबेडकर, महात्मा फुले-सावित्री बाई फुले, इनके सामाजिक न्याय के विचार को माना है। यही हमारे आचार में है, यही हमारे व्यवहार में है।

साथियों,

लोगों ने मराठी भाषा के प्रति भी हमारा प्रेम देखा है। कांग्रेस को वर्षों तक मराठी भाषा की सेवा का मौका मिला, लेकिन इन लोगों ने इसके लिए कुछ नहीं किया। हमारी सरकार ने मराठी को Classical Language का दर्जा दिया। मातृ भाषा का सम्मान, संस्कृतियों का सम्मान और इतिहास का सम्मान हमारे संस्कार में है, हमारे स्वभाव में है। और मैं तो हमेशा कहता हूं, मातृभाषा का सम्मान मतलब अपनी मां का सम्मान। और इसीलिए मैंने विकसित भारत के निर्माण के लिए लालकिले की प्राचीर से पंच प्राणों की बात की। हमने इसमें विरासत पर गर्व को भी शामिल किया। जब भारत विकास भी और विरासत भी का संकल्प लेता है, तो पूरी दुनिया इसे देखती है। आज विश्व हमारी संस्कृति का सम्मान करता है, क्योंकि हम इसका सम्मान करते हैं। अब अगले पांच साल में महाराष्ट्र विकास भी विरासत भी के इसी मंत्र के साथ तेज गति से आगे बढ़ेगा।

साथियों,

इंडी वाले देश के बदले मिजाज को नहीं समझ पा रहे हैं। ये लोग सच्चाई को स्वीकार करना ही नहीं चाहते। ये लोग आज भी भारत के सामान्य वोटर के विवेक को कम करके आंकते हैं। देश का वोटर, देश का मतदाता अस्थिरता नहीं चाहता। देश का वोटर, नेशन फर्स्ट की भावना के साथ है। जो कुर्सी फर्स्ट का सपना देखते हैं, उन्हें देश का वोटर पसंद नहीं करता।

साथियों,

देश के हर राज्य का वोटर, दूसरे राज्यों की सरकारों का भी आकलन करता है। वो देखता है कि जो एक राज्य में बड़े-बड़े Promise करते हैं, उनकी Performance दूसरे राज्य में कैसी है। महाराष्ट्र की जनता ने भी देखा कि कर्नाटक, तेलंगाना और हिमाचल में कांग्रेस सरकारें कैसे जनता से विश्वासघात कर रही हैं। ये आपको पंजाब में भी देखने को मिलेगा। जो वादे महाराष्ट्र में किए गए, उनका हाल दूसरे राज्यों में क्या है? इसलिए कांग्रेस के पाखंड को जनता ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस ने जनता को गुमराह करने के लिए दूसरे राज्यों के अपने मुख्यमंत्री तक मैदान में उतारे। तब भी इनकी चाल सफल नहीं हो पाई। इनके ना तो झूठे वादे चले और ना ही खतरनाक एजेंडा चला।

साथियों,

आज महाराष्ट्र के जनादेश का एक और संदेश है, पूरे देश में सिर्फ और सिर्फ एक ही संविधान चलेगा। वो संविधान है, बाबासाहेब आंबेडकर का संविधान, भारत का संविधान। जो भी सामने या पर्दे के पीछे, देश में दो संविधान की बात करेगा, उसको देश पूरी तरह से नकार देगा। कांग्रेस और उसके साथियों ने जम्मू-कश्मीर में फिर से आर्टिकल-370 की दीवार बनाने का प्रयास किया। वो संविधान का भी अपमान है। महाराष्ट्र ने उनको साफ-साफ बता दिया कि ये नहीं चलेगा। अब दुनिया की कोई भी ताकत, और मैं कांग्रेस वालों को कहता हूं, कान खोलकर सुन लो, उनके साथियों को भी कहता हूं, अब दुनिया की कोई भी ताकत 370 को वापस नहीं ला सकती।



साथियों,

महाराष्ट्र के इस चुनाव ने इंडी वालों का, ये अघाड़ी वालों का दोमुंहा चेहरा भी देश के सामने खोलकर रख दिया है। हम सब जानते हैं, बाला साहेब ठाकरे का इस देश के लिए, समाज के लिए बहुत बड़ा योगदान रहा है। कांग्रेस ने सत्ता के लालच में उनकी पार्टी के एक धड़े को साथ में तो ले लिया, तस्वीरें भी निकाल दी, लेकिन कांग्रेस, कांग्रेस का कोई नेता बाला साहेब ठाकरे की नीतियों की कभी प्रशंसा नहीं कर सकती। इसलिए मैंने अघाड़ी में कांग्रेस के साथी दलों को चुनौती दी थी, कि वो कांग्रेस से बाला साहेब की नीतियों की तारीफ में कुछ शब्द बुलवाकर दिखाएं। आज तक वो ये नहीं कर पाए हैं। मैंने दूसरी चुनौती वीर सावरकर जी को लेकर दी थी। कांग्रेस के नेतृत्व ने लगातार पूरे देश में वीर सावरकर का अपमान किया है, उन्हें गालियां दीं हैं। महाराष्ट्र में वोट पाने के लिए इन लोगों ने टेंपरेरी वीर सावरकर जी को जरा टेंपरेरी गाली देना उन्होंने बंद किया है। लेकिन वीर सावरकर के तप-त्याग के लिए इनके मुंह से एक बार भी सत्य नहीं निकला। यही इनका दोमुंहापन है। ये दिखाता है कि उनकी बातों में कोई दम नहीं है, उनका मकसद सिर्फ और सिर्फ वीर सावरकर को बदनाम करना है।

साथियों,

भारत की राजनीति में अब कांग्रेस पार्टी, परजीवी बनकर रह गई है। कांग्रेस पार्टी के लिए अब अपने दम पर सरकार बनाना लगातार मुश्किल हो रहा है। हाल ही के चुनावों में जैसे आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हरियाणा और आज महाराष्ट्र में उनका सूपड़ा साफ हो गया। कांग्रेस की घिसी-पिटी, विभाजनकारी राजनीति फेल हो रही है, लेकिन फिर भी कांग्रेस का अहंकार देखिए, उसका अहंकार सातवें आसमान पर है। सच्चाई ये है कि कांग्रेस अब एक परजीवी पार्टी बन चुकी है। कांग्रेस सिर्फ अपनी ही नहीं, बल्कि अपने साथियों की नाव को भी डुबो देती है। आज महाराष्ट्र में भी हमने यही देखा है। महाराष्ट्र में कांग्रेस और उसके गठबंधन ने महाराष्ट्र की हर 5 में से 4 सीट हार गई। अघाड़ी के हर घटक का स्ट्राइक रेट 20 परसेंट से नीचे है। ये दिखाता है कि कांग्रेस खुद भी डूबती है और दूसरों को भी डुबोती है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ी, उतनी ही बड़ी हार इनके सहयोगियों को भी मिली। वो तो अच्छा है, यूपी जैसे राज्यों में कांग्रेस के सहयोगियों ने उससे जान छुड़ा ली, वर्ना वहां भी कांग्रेस के सहयोगियों को लेने के देने पड़ जाते।

साथियों,

सत्ता-भूख में कांग्रेस के परिवार ने, संविधान की पंथ-निरपेक्षता की भावना को चूर-चूर कर दिया है। हमारे संविधान निर्माताओं ने उस समय 47 में, विभाजन के बीच भी, हिंदू संस्कार और परंपरा को जीते हुए पंथनिरपेक्षता की राह को चुना था। तब देश के महापुरुषों ने संविधान सभा में जो डिबेट्स की थी, उसमें भी इसके बारे में बहुत विस्तार से चर्चा हुई थी। लेकिन कांग्रेस के इस परिवार ने झूठे सेक्यूलरिज्म के नाम पर उस महान परंपरा को तबाह करके रख दिया। कांग्रेस ने तुष्टिकरण का जो बीज बोया, वो संविधान निर्माताओं के साथ बहुत बड़ा विश्वासघात है। और ये विश्वासघात मैं बहुत जिम्मेवारी के साथ बोल रहा हूं। संविधान के साथ इस परिवार का विश्वासघात है। दशकों तक कांग्रेस ने देश में यही खेल खेला। कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए कानून बनाए, सुप्रीम कोर्ट के आदेश तक की परवाह नहीं की। इसका एक उदाहरण वक्फ बोर्ड है। दिल्ली के लोग तो चौंक जाएंगे, हालात ये थी कि 2014 में इन लोगों ने सरकार से जाते-जाते, दिल्ली के आसपास की अनेक संपत्तियां वक्फ बोर्ड को सौंप दी थीं। बाबा साहेब आंबेडकर जी ने जो संविधान हमें दिया है न, जिस संविधान की रक्षा के लिए हम प्रतिबद्ध हैं। संविधान में वक्फ कानून का कोई स्थान ही नहीं है। लेकिन फिर भी कांग्रेस ने तुष्टिकरण के लिए वक्फ बोर्ड जैसी व्यवस्था पैदा कर दी। ये इसलिए किया गया ताकि कांग्रेस के परिवार का वोटबैंक बढ़ सके। सच्ची पंथ-निरपेक्षता को कांग्रेस ने एक तरह से मृत्युदंड देने की कोशिश की है।

साथियों,

कांग्रेस के शाही परिवार की सत्ता-भूख इतनी विकृति हो गई है, कि उन्होंने सामाजिक न्याय की भावना को भी चूर-चूर कर दिया है। एक समय था जब के कांग्रेस नेता, इंदिरा जी समेत, खुद जात-पात के खिलाफ बोलते थे। पब्लिकली लोगों को समझाते थे। एडवरटाइजमेंट छापते थे। लेकिन आज यही कांग्रेस और कांग्रेस का ये परिवार खुद की सत्ता-भूख को शांत करने के लिए जातिवाद का जहर फैला रहा है। इन लोगों ने सामाजिक न्याय का गला काट दिया है।

साथियों,

एक परिवार की सत्ता-भूख इतने चरम पर है, कि उन्होंने खुद की पार्टी को ही खा लिया है। देश के अलग-अलग भागों में कई पुराने जमाने के कांग्रेस कार्यकर्ता है, पुरानी पीढ़ी के लोग हैं, जो अपने ज़माने की कांग्रेस को ढूंढ रहे हैं। लेकिन आज की कांग्रेस के विचार से, व्यवहार से, आदत से उनको ये साफ पता चल रहा है, कि ये वो कांग्रेस नहीं है। इसलिए कांग्रेस में, आंतरिक रूप से असंतोष बहुत ज्यादा बढ़ रहा है। उनकी आरती उतारने वाले भले आज इन खबरों को दबाकर रखे, लेकिन भीतर आग बहुत बड़ी है, असंतोष की ज्वाला भड़क चुकी है। सिर्फ एक परिवार के ही लोगों को कांग्रेस चलाने का हक है। सिर्फ वही परिवार काबिल है दूसरे नाकाबिल हैं। परिवार की इस सोच ने, इस जिद ने कांग्रेस में एक ऐसा माहौल बना दिया कि किसी भी समर्पित कांग्रेस कार्यकर्ता के लिए वहां काम करना मुश्किल हो गया है। आप सोचिए, कांग्रेस पार्टी की प्राथमिकता आज सिर्फ और सिर्फ परिवार है। देश की जनता उनकी प्राथमिकता नहीं है। और जिस पार्टी की प्राथमिकता जनता ना हो, वो लोकतंत्र के लिए बहुत ही नुकसानदायी होती है।

साथियों,

कांग्रेस का परिवार, सत्ता के बिना जी ही नहीं सकता। चुनाव जीतने के लिए ये लोग कुछ भी कर सकते हैं। दक्षिण में जाकर उत्तर को गाली देना, उत्तर में जाकर दक्षिण को गाली देना, विदेश में जाकर देश को गाली देना। और अहंकार इतना कि ना किसी का मान, ना किसी की मर्यादा और खुलेआम झूठ बोलते रहना, हर दिन एक नया झूठ बोलते रहना, यही कांग्रेस और उसके परिवार की सच्चाई बन गई है। आज कांग्रेस का अर्बन नक्सलवाद, भारत के सामने एक नई चुनौती बनकर खड़ा हो गया है। इन अर्बन नक्सलियों का रिमोट कंट्रोल, देश के बाहर है। और इसलिए सभी को इस अर्बन नक्सलवाद से बहुत सावधान रहना है। आज देश के युवाओं को, हर प्रोफेशनल को कांग्रेस की हकीकत को समझना बहुत ज़रूरी है।

साथियों,

जब मैं पिछली बार भाजपा मुख्यालय आया था, तो मैंने हरियाणा से मिले आशीर्वाद पर आपसे बात की थी। तब हमें गुरूग्राम जैसे शहरी क्षेत्र के लोगों ने भी अपना आशीर्वाद दिया था। अब आज मुंबई ने, पुणे ने, नागपुर ने, महाराष्ट्र के ऐसे बड़े शहरों ने अपनी स्पष्ट राय रखी है। शहरी क्षेत्रों के गरीब हों, शहरी क्षेत्रों के मिडिल क्लास हो, हर किसी ने भाजपा का समर्थन किया है और एक स्पष्ट संदेश दिया है। यह संदेश है आधुनिक भारत का, विश्वस्तरीय शहरों का, हमारे महानगरों ने विकास को चुना है, आधुनिक Infrastructure को चुना है। और सबसे बड़ी बात, उन्होंने विकास में रोडे अटकाने वाली राजनीति को नकार दिया है। आज बीजेपी हमारे शहरों में ग्लोबल स्टैंडर्ड के इंफ्रास्ट्रक्चर बनाने के लिए लगातार काम कर रही है। चाहे मेट्रो नेटवर्क का विस्तार हो, आधुनिक इलेक्ट्रिक बसे हों, कोस्टल रोड और समृद्धि महामार्ग जैसे शानदार प्रोजेक्ट्स हों, एयरपोर्ट्स का आधुनिकीकरण हो, शहरों को स्वच्छ बनाने की मुहिम हो, इन सभी पर बीजेपी का बहुत ज्यादा जोर है। आज का शहरी भारत ईज़ ऑफ़ लिविंग चाहता है। और इन सब के लिये उसका भरोसा बीजेपी पर है, एनडीए पर है।

साथियों,

आज बीजेपी देश के युवाओं को नए-नए सेक्टर्स में अवसर देने का प्रयास कर रही है। हमारी नई पीढ़ी इनोवेशन और स्टार्टअप के लिए माहौल चाहती है। बीजेपी इसे ध्यान में रखकर नीतियां बना रही है, निर्णय ले रही है। हमारा मानना है कि भारत के शहर विकास के इंजन हैं। शहरी विकास से गांवों को भी ताकत मिलती है। आधुनिक शहर नए अवसर पैदा करते हैं। हमारा लक्ष्य है कि हमारे शहर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ शहरों की श्रेणी में आएं और बीजेपी, एनडीए सरकारें, इसी लक्ष्य के साथ काम कर रही हैं।


साथियों,

मैंने लाल किले से कहा था कि मैं एक लाख ऐसे युवाओं को राजनीति में लाना चाहता हूं, जिनके परिवार का राजनीति से कोई संबंध नहीं। आज NDA के अनेक ऐसे उम्मीदवारों को मतदाताओं ने समर्थन दिया है। मैं इसे बहुत शुभ संकेत मानता हूं। चुनाव आएंगे- जाएंगे, लोकतंत्र में जय-पराजय भी चलती रहेगी। लेकिन भाजपा का, NDA का ध्येय सिर्फ चुनाव जीतने तक सीमित नहीं है, हमारा ध्येय सिर्फ सरकारें बनाने तक सीमित नहीं है। हम देश बनाने के लिए निकले हैं। हम भारत को विकसित बनाने के लिए निकले हैं। भारत का हर नागरिक, NDA का हर कार्यकर्ता, भाजपा का हर कार्यकर्ता दिन-रात इसमें जुटा है। हमारी जीत का उत्साह, हमारे इस संकल्प को और मजबूत करता है। हमारे जो प्रतिनिधि चुनकर आए हैं, वो इसी संकल्प के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमें देश के हर परिवार का जीवन आसान बनाना है। हमें सेवक बनकर, और ये मेरे जीवन का मंत्र है। देश के हर नागरिक की सेवा करनी है। हमें उन सपनों को पूरा करना है, जो देश की आजादी के मतवालों ने, भारत के लिए देखे थे। हमें मिलकर विकसित भारत का सपना साकार करना है। सिर्फ 10 साल में हमने भारत को दुनिया की दसवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी से दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी इकॉनॉमी बना दिया है। किसी को भी लगता, अरे मोदी जी 10 से पांच पर पहुंच गया, अब तो बैठो आराम से। आराम से बैठने के लिए मैं पैदा नहीं हुआ। वो दिन दूर नहीं जब भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनकर रहेगा। हम मिलकर आगे बढ़ेंगे, एकजुट होकर आगे बढ़ेंगे तो हर लक्ष्य पाकर रहेंगे। इसी भाव के साथ, एक हैं तो...एक हैं तो...एक हैं तो...। मैं एक बार फिर आप सभी को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, देशवासियों को बधाई देता हूं, महाराष्ट्र के लोगों को विशेष बधाई देता हूं।

मेरे साथ बोलिए,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय,

भारत माता की जय!

वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम, वंदे मातरम ।

बहुत-बहुत धन्यवाद।