Quoteಭಾರತದ ಪ್ರಾಚೀನ ವೈಭವದ ಪುನಶ್ಚೇತನಕ್ಕಾಗಿ ಅದಮ್ಯ ಇಚ್ಛಾಶಕ್ತಿಯನ್ನು ತೋರಿದ ಸರ್ದಾರ್ ಪಟೇಲ್ ಅವರಿಗೆ ನಮನ
Quoteವಿಶ್ವನಾಥನಿಂದ ಸೋಮನಾಥದವರೆಗೆ ಹಲವಾರು ದೇವಾಲಯಗಳನ್ನು ಜೀರ್ಣೋದ್ಧಾರ ಮಾಡಿದ ಲೋಕಮಾತಾ ಅಹಲ್ಯಾಬಾಯಿ ಹೋಲ್ಕರ್ ಸ್ಮರಣೆ
Quoteಧಾರ್ಮಿಕ ಪ್ರವಾಸೋದ್ಯಮದಲ್ಲಿ ಹೊಸ ಸಾಧ್ಯತೆಗಳನ್ನು ನಾವು ಹುಡುಕಬೇಕು ಮತ್ತು ತೀರ್ಥಯಾತ್ರೆ ಮತ್ತು ಸ್ಥಳೀಯ ಆರ್ಥಿಕತೆಯ ನಡುವಿನ ಸಂಪರ್ಕವನ್ನು ಬಲಪಡಿಸುವುದು ಎಲ್ಲ ಕಾಲಘಟ್ಟದ ಬೇಡಿಕೆಯಾಗಿದೆ: ಪ್ರಧಾನಮಂತ್ರಿ
Quoteವಿನಾಶಕಾರಿ ಶಕ್ತಿಗಳು, ಭಯೋತ್ಪಾದನೆಯ ಆಧಾರದ ಮೇಲೆ ಸಾಮ್ರಾಜ್ಯವನ್ನು ಸ್ಥಾಪಿಸಲು ಪ್ರಯತ್ನಿಸುವ ಆಲೋಚನೆ ಮಾಡುತ್ತವೆ, ಅವು ತಾತ್ಕಾಲಿಕವಾಗಿ ಪ್ರಾಬಲ್ಯ ಸಾಧಿಸಬಹುದು, ಆದರೆ, ಅದರ ಅಸ್ತಿತ್ವವು ಎಂದಿಗೂ ಶಾಶ್ವತವಲ್ಲ, ಅದು ದೀರ್ಘಕಾಲದವರೆಗೆ ಮಾನವೀಯತೆಯನ್ನು ಹತ್ತಿಕ್ಕಲು ಸಾಧ್ಯವಿಲ್ಲ. ಅಂತಹ ಸಿದ್ಧಾಂತಗಳ ಬಗ್ಗೆ ಜಗತ್ತು ಭಯಭೀತವಾಗಿರುವ ಸಮಯದಲ್ಲಿ, ಕೆಲವು ದಾಳಿಕೋರರು ಸೋಮನಾಥವನ್ನು ಕೆಡವಿದ್ದರೂ, ಅದರೂ ಅದು ಇಂದಿಗೂ ಅಚಲವಾಗಿ ನಿಂತಿದೆ ಎಂಬುದು ಅಷ್ಟೇ ನಿಜವಾಗಿದೆ: ಪ್ರಧಾನಮಂತ್ರಿ
Quoteದೇಶವು ಕಠಿಣ ಸಮಸ್ಯೆಗಳಿಗೂ ಸೌಹಾರ್ದಯುತ ಪರಿಹಾರ ಪಡೆಯುವತ್ತ ಸಾಗುತ್ತಿದೆ. ಆಧುನಿಕ ಭಾರತದ ವೈಭವದ ಉಜ್ವಲ ಸ್ತಂಭವಾಗಿ ರಾಮ ಮಂದಿರದ ರೂಪದಲ್ಲಿ ತಲೆಎತ್ತಲಿದೆ: ಪ್ರಧಾನಮಂತ್ರಿ
Quoteನಮಗೆ ಇತಿಹಾಸ ಮತ್ತು ನಂಬಿಕೆಯ ಸಾರವೆಂದರೆ ಎಲ್ಲರೊಂದಿಗೆ, ಎಲ್ಲರ ವಿಕಾಸ, ಎಲ್ಲರ ವಿಶ್ವಾಸ
Quoteದೇಶವು ಕಠಿಣ ಸಮಸ್ಯೆಗಳಿಗೂ ಸೌಹಾರ್ದಯುತ ಪರಿಹಾರ ಪಡೆಯುವತ್ತ ಸಾಗುತ್ತಿದೆ. ಆಧುನಿಕ ಭಾರತದ ವೈಭವದ ಉಜ್ವಲ ಸ್ತಂಭವಾಗಿ ರಾಮ ಮಂದಿರದ ರೂಪದಲ್ಲಿ ತಲೆಎತ್ತಲಿದೆ: ಪ್ರಧಾನಮಂತ್ರಿ
Quoteಸೋಮನಾಥದಲ್ಲಿ ಬಹು ಯೋಜನೆಗಳಿಗೆ ಶಂಕುಸ್ಥಾಪನೆ ಮತ್ತು ಉದ್ಘಾಟನೆ ನೆರವೇರಿಸಿದ ಪ್ರಧಾನಮಂತ್ರಿ

जय सोमनाथ! कार्यक्रम में हमारे साथ जुड़ रहे हम सभी के श्रद्धेय लालकृष्ण आडवाणी जी, देश के गृहमंत्री श्री अमित शाह जी, श्रीपद नाईक जी, अजय भट्ट जी, गुजरात के मुख्यमंत्री श्री विजय जी, गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन भाई, गुजरात सरकार में पर्यटन मंत्री जवाहर जी, वासन भाई, लोकसभा में मेरे साथी राजेशभाई भाई, सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी श्री प्रवीण लाहिरी जी, सभी श्रद्धालु, देवियों और सज्जनों!

मैं इस पवित्र अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए जुड़ रहा हूँ, लेकिन मन से मैं स्वयं को भगवान श्री सोमनाथ के चरणों में ही अनुभव कर रहा हूँ। मेरा सौभाग्य है कि सोमनाथ मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष के रूप में मुझे इस पुण्य स्थान की सेवा का अवसर मिलता रहा है। आज एक बार फिर, हम सब इस पवित्र तीर्थ के कायाकल्प के साक्षी बन रहे हैं। आज मुझे समुद्र दर्शन पथ, सोमनाथ प्रदर्शन गैलरी और जीर्णोद्धार के बाद नए स्वरूप में जूना सोमनाथ मंदिर के लोकार्पण का सौभाग्य मिला है। साथ ही आज पार्वती माता मंदिर का शिलान्यास भी हुआ है। इतना पुनीत संयोग, और साथ में सावन का पवित्र महीना, मैं मानता हूँ, ये हम सबके लिए भगवान सोमनाथ जी के आशीर्वाद की ही सिद्धि है। मैं इस अवसर पर आप सभी को, ट्रस्ट के सभी सदस्यों को और देश विदेश में भगवान सोमनाथ जी के करोड़ों भक्तों को बधाई देता हूँ। विशेष रूप से, आज मैं लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल जी के चरणों में भी नमन करता हूँ जिन्होंने भारत के प्राचीन गौरव को पुनर्जीवित करने की इच्छाशक्ति दिखाई। सरदार साहब, सोमनाथ मंदिर को स्वतंत्र भारत की स्वतंत्र भावना से जुड़ा हुआ मानते थे। ये हमारा सौभाग्य है कि आज आज़ादी के 75वें साल में आजादी के अमृत महोत्‍सव में हम सरदार साहब के प्रयासों को आगे बढ़ा रहे हैं, सोमनाथ मंदिर को नई भव्यता दे रहे हैं। आज मैं, लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर को भी प्रणाम करता हूँ जिन्होंने विश्वनाथ से लेकर सोमनाथ तक, कितने ही मंदिरों का जीर्णोद्धार कराया। प्राचीनता और आधुनिकता का जो संगम उनके जीवन में था, आज देश उसे अपना आदर्श मानकर के आगे बढ़ रहा है।

साथियों,

Statue of unity से लेकर कच्छ के कायाकल्प तक, पर्यटन से जब आधुनिकता जुड़ती है तो कैसे परिणाम आते हैं, गुजरात ने इसे करीब से देखा है। ये हर कालखंड की मांग रही है कि हम धार्मिक पर्यटन की दिशा में भी नई संभावनाओं को तलाशें, लोकल अर्थव्यवस्था से तीर्थ यात्राओं का जो रिश्ता रहा है, उसे और मजबूत करें। जैसे कि, सोमनाथ मंदिर में अभी तक पूरे देश और दुनिया से श्रद्धालु दर्शन करने आते थे। लेकिन अब यहाँ समुद्र दर्शन पथ, प्रदर्शनी, pilgrim plaza और shopping complex भी पर्यटकों को आकर्षित करेंगे। अब यहाँ आने वाले श्रद्धालु जूना सोमनाथ मंदिर के भी आकर्षक स्वरूप का दर्शन करेंगे, नए पार्वती मंदिर का दर्शन करेंगे। इससे, यहाँ नए अवसरों और नए रोजगार का भी सृजन होगा और स्थान की दिव्यता भी बढ़ेगी। यही नहीं, प्रोमनेड जैसे निर्माण से समुद्र के किनारे खड़े हमारे मंदिर की सुरक्षा भी बढ़ेगी। आज यहाँ सोमनाथ exhibition gallery का लोकार्पण भी हुआ है। इससे हमारे युवाओं को, आने वाली पीढ़ी को उस इतिहास से जुड़ने का, हमारी आस्था को उसके प्राचीन स्वरूप में देखने का, उसे समझने का एक अवसर भी मिलेगा।

साथियों,

सोमनाथ तो सदियों से सदाशिव की भूमि रही है। और, हमारे शास्त्रों में कहा गया है-

"शं करोति सः शंकरः"।

अर्थात्, जो कल्याण को, जो सिद्धि को प्रदान करे वो शिव है। ये शिव ही हैं, जो विनाश में भी विकास का बीज अंकुरित करते हैं, संहार में भी सृजन को जन्म देते हैं। इसीलिए, शिव अविनाशी हैं, अव्यक्त हैं, और शिव अनादि हैं और इसीलिए तो शिव का अनादि योगी कहा गया है। इसीलिए, शिव में हमारी आस्था हमें समय की सीमाओं से परे हमारे अस्तित्व का बोध कराती है, हमें समय की चुनौतियों से जूझने की शक्ति देती है। और, सोमनाथ का ये मंदिर हमारे इस आत्मविश्वास का एक प्रेरणा स्थल है।

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साथियों,

आज दुनिया में कोई भी व्यक्ति इस भव्य संरचना को देखता है तो उसे केवल एक मंदिर ही नहीं दिखाई देता, उसे एक ऐसा अस्तित्व दिखाई देता है जो सैकड़ों हजारों सालों से प्रेरणा देता रहा है, जो मानवता के मूल्यों की घोषणा कर रहा है। एक ऐसा स्थल जिसे हजारों साल पहले हमारे ऋषियों ने प्रभास क्षेत्र, यानी प्रकाश का, ज्ञान का क्षेत्र बताया था, और जो आज भी पूरे विश्व के सामने ये आह्वान कर रहा है कि- सत्य को असत्य से हराया नहीं जा सकता। आस्था को आतंक से कुचला नहीं जा सकता। इस मंदिर को सैकड़ों सालों के इतिहास में कितनी ही बार तोड़ा गया, यहाँ की मूर्तियों को खंडित किया गया, इसका अस्तित्व मिटाने की हर कोशिश की गई। लेकिन इसे जितनी भी बार गिराया गया, वे उतनी ही बार उठ खड़ा हुआ। इसीलिए, भगवान सोमनाथ मंदिर आज भारत ही नहीं, पूरे विश्व के लिए एक विश्वास है और एक आश्वासन भी है। जो तोड़ने वाली शक्तियाँ हैं, जो आतंक के बलबूते साम्राज्य खड़ा करने वाली सोच है, वो किसी कालखंड में कुछ समय के लिए भले हावी हो जाएं लेकिन, उसका अस्तित्व कभी स्थायी नहीं होता, वो ज्यादा दिनों तक मानवता को दबाकर नहीं रख सकती। ये बात जितनी तब सही थी जब कुछ आततायी सोमनाथ को गिरा रहे थे, उतनी ही सही आज भी है, जब विश्व ऐसी विचारधाराओं से आशंकित है।

साथियों,

हम सभी जानते हैं, सोमनाथ मंदिर की पुनर्निर्माण से लेकर भव्य विकास की ये यात्रा केवल कुछ सालों या कुछ दशकों का परिणाम नहीं है। ये सदियों की दृढ़ इच्छाशक्ति और वैचारिक निरंतरता का परिणाम है। राजेन्द्र प्रसाद जी, सरदार वल्लभ भाई पटेल और के.एम. मुंशी जैसे महानुभावों ने इस अभियान के लिए आज़ादी के बाद भी कठिनाइयों का सामना किया। लेकिन आखिरकार 1950 में सोमनाथ मंदिर आधुनिक भारत के दिव्य स्तम्भ के रूप में स्थापित हो गया। कठिनाइयों के सौहार्दपूर्ण समाधान की प्रतिबद्धता के साथ आज देश और आगे बढ़ रहा है। आज राम मंदिर के रूप में नए भारत के गौरव का एक प्रकाशित स्तंभ भी खड़ा हो रहा है।

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साथियों,

हमारी सोच होनी चाहिए इतिहास से सीखकर वर्तमान को सुधारने की, एक नया भविष्य बनाने की। इसीलिए, जब मैं 'भारत जोड़ो आंदोलन' की बात करता हूँ तो उसका भाव केवल भौगोलिक या वैचारिक जुड़ाव तक सीमित नहीं है। ये भविष्य के भारत के निर्माण के लिए हमें हमारे अतीत से जोड़ने का भी संकल्प है। इसी आत्मविश्वास पर हमने अतीत के खंडहरों पर आधुनिक गौरव का निर्माण किया है, अतीत की प्रेरणाओं को सँजोया है। जब राजेंद्र प्रसाद जी सोमनाथ आए थे, तो उन्होंने जो कहा था, वो हमें हमेशा याद रखना है। उन्होंने कहा था- ''सदियों पहले, भारत सोने और चांदी का भंडार हुआ करता था। दुनिया के सोने का बड़ा हिस्सा तब भारत के मंदिरों में ही होता था। मेरी नजर में सोमनाथ का पुनर्निर्माण उस दिन पूरा होगा जब इसकी नींव पर विशाल मंदिर के साथ ही समृद्ध और संपन्न भारत का भव्य भवन भी तैयार हो चुका होगा! समृद्ध भारत का वो भवन, जिसका प्रतीक सोमनाथ मंदिर होगा'' हमारे प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र जी का ये सपना, हम सभी के लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है।

साथियों,

हमारे लिए इतिहास और आस्था का मूलभाव है-

'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, और सबका प्रयास'

हमारे यहाँ जिन द्वादश ज्योतिर्लिंगों की स्थापना की गई है, उनकी शुरुआत 'सौराष्ट्रे सोमनाथम्' के साथ सोमनाथ मंदिर से ही होती है। पश्चिम में सोमनाथ और नागेश्वर से लेकर पूरब में बैद्यनाथ तक, उत्तर में बाबा केदारनाथ से लेकर दक्षिण में भारत के अंतिम छोर पर विराजमान श्री रामेश्वर तक, ये 12 ज्योतिर्लिंग पूरे भारत को आपस में पिरोने का काम करते हैं। इसी तरह, हमारे चार धामों की व्यवस्था, हमारे 56 शक्तिपीठों की संकल्पना, हमारे अलग अलग कोनों से अलग-अलग तीर्थों की स्थापना, हमारी आस्था की ये रूपरेखा वास्तव में 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की भावना की ही अभिव्यक्ति है। दुनिया को सदियों से आश्चर्य होता रहा कि इतनी विविधताओं से भरा भारत एक कैसे है, हम एकजुट कैसे हैं? लेकिन जब आप पूरब से हजारों किमी चलकर पूर्व से पश्चिम सोमनाथ के दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं को देखते हैं, या दक्षिण भारत के हजारों हजार भक्तों को काशी की मिट्टी को मस्तक पर लगाते देखते हैं, तो आपको ये अहसास हो जाता है कि भारत की ताकत क्या है। हम एक दूसरे की भाषा नहीं समझ रहे होते, वेशभूषा भी अलग होती, खान-पान की आदतें भी अलग होती हैं, लेकिन हमें अहसास होता है हम एक हैं। हमारी इस आध्यात्मिकता ने सदियों से भारत को एकता के सूत्र में पिरोने में, आपसी संवाद स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई है। और हम सभी का दायित्व है, इसे निरंतर मजबूत करते रहना।

साथियों,

आज पूरी दुनिया भारत के योग, दर्शन, आध्यात्म और संस्कृति की ओर आकर्षित हो रही है। हमारी नई पीढ़ी में भी अब अपनी जड़ो से जुड़ने की नई जागरूकता आई है। इसीलिए, हमारे tourism और आध्यात्मिक tourism के क्षेत्र में आज राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय संभावनाएं हैं। इन संभावनाओं को आकार देने के लिए देश आज आधुनिक इनफ्रास्ट्रक्चर बना रहा है, प्राचीन गौरव को पुनर्जीवित कर रहा है। रामायण सर्किट का उदाहरण हमारे सामने है, आज देश दुनिया के कितने ही रामभक्तों को रामायण सर्किट के जरिए भगवान राम के जीवन से जुड़े नए नए स्थानों की जानकारी मिल रही है। भगवान राम कैसे पूरे भारत के राम हैं, इन स्थानों पर जाकर हमें आज ये अनुभव करने का मौका मिल रहा है। इसी तरह, बुद्ध सर्किट पूरे विश्व के बौद्ध अनुयाइयों को भारत में आने की, पर्यटन करने की सुविधा दे रहा है। आज इस दिशा में काम को तेजी से आगे बढ़ाया जा रहा है। ऐसे ही, हमारा पर्यटन मंत्रालय 'स्वदेश दर्शन स्कीम' के तहत 15 अलग अलग थीम्स पर tourist circuits को विकसित कर रहा है। इन circuits से देश के कई उपेक्षित इलाकों में भी पर्यटन और विकास के अवसर पैदा होंगे।

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साथियों,

हमारे पूर्वजों की दूरदृष्टि इतनी थी कि उन्होंने दूर-सुदूर क्षेत्रों को भी हमारी आस्था से जोड़ने का काम किया, उनके अपनेपन का बोध कराया। लेकिन दुर्भाग्य से जब हम सक्षम हुए, जब हमारे पास आधुनिक तकनीक और संसाधन आए तो हमने इन इलाकों को दुर्गम समझकर उसे छोड़ दिया। हमारे पर्वतीय इलाके इसका बहुत बड़ा उदाहरण हैं। लेकिन आज देश इन पवित्र तीर्थों की दूरियों को भी पाट रहा है। वैष्णो देवी मंदिर के आसपास विकास हो या पूर्वोत्तर तक पहुँच रहा हाइटेक इनफ्रास्ट्रक्चर हो, आज देश में अपनों से दूरियाँ सिमट रही हैं। इसी तरह, 2014 में देश ने इसी तरह तीर्थ स्थानों के विकास के लिए 'प्रसाद स्कीम' की भी घोषणा की थी। इस योजना के तहत देश में करीब-करीब 40 बड़े तीर्थस्थानों को विकसित किया जा रहा है, जिनमें 15 प्रोजेक्ट्स का काम पूरा भी कर लिया गया है। गुजरात में भी 100 करोड़ से ज्यादा के 3 प्रोजेक्ट्स पर प्रसाद योजना के तहत काम चल रहा है। गुजरात में सोमनाथ और दूसरे tourist spots और शहरों को भी आपस में जोड़ने के लिए connectivity पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। कोशिश ये कि जब पर्यटक एक जगह दर्शन करने आए तो दूसरे पर्यटक स्थलों तक भी जाए। इसी तरह, देश भर में 19 Iconic Tourist Destinations की पहचान कर आज उन्हें विकसित किया जा रहा है। ये सभी प्रोजेक्ट्स हमारी tourist industry को आने वाले समय में एक नई ऊर्जा देंगे।

साथियों,

पर्यटन के जरिए आज देश सामान्य मानवी को न केवल जोड़ रहा है, बल्कि खुद भी आगे बढ़ रहा है। इसी का परिणाम है कि 2013 में देश Travel & Tourism Competitiveness Index में जहां 65th स्थान पर था, वहीं 2019 में 34th स्थान पर आ गया। अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए देश ने इन 7 सालों में कई नीतिगत फैसले भी लिए हैं, जिनका लाभ देश को आज हो रहा है। देश ने e-Visa regime, visa on arrival जैसी व्यवस्थाओं को आगे बढ़ाया है, और visa की फीस को भी कम किया है। इसी तरह, tourism सेक्टर में hospitality के लिए लगने वाले जीएसटी को भी घटाया गया है। इससे tourism sector को बहुत लाभ होगा और कोविड के प्रभावों से उबरने में भी मदद मिलेगी। कई फैसले पर्यटकों के interests को ध्यान में रखकर भी किए गए हैं। जैसे कि कई पर्यटक जब आते हैं तो उनका उत्साह adventure को लेकर भी होता है। इसे ध्यान में रखते हुये देश ने 120 माउंटेन पीक्स को भी ट्रेकिंग के लिए खोला है। पर्यटकों को नई जगह पर असुविधा न हो, नई जगहों की पूरी जानकारी मिले इसके लिए भी प्रोग्राम चलाकर guides को train किया जा रहा है। इससे बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर भी बन रहे हैं।

साथियों,

हमारे देश की परंपराएं हमें कठिन समय से निकलकर, तकलीफ को भूलकर आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं। हमने देखा भी है, कोरोना के इस समय में पर्यटन लोगों के लिए उम्मीद की किरण है। इसलिए, हमें अपने पर्यटन के स्वभाव और संस्कृति को लगातार विस्‍तार देना है, आगे बढ़ाना है, और खुद भी आगे बढ़ना है। लेकिन साथ ही हमें ये भी ध्यान रखना है कि हम जरूरी सावधानियाँ, जरूरी बचाव का पूरा ख्याल रखें। मुझे विश्वास है, इसी भावना के साथ देश आगे बढ़ता रहेगा, और हमारी परम्पराएँ, हमारा गौरव आधुनिक भारत के निर्माण में हमें दिशा देती रहेंगी। भगवान सोमनाथ का हम पर आशीर्वाद बना रहे, गरीब से गरीब का कल्याण करने के लिए हम में नई-नई क्षमता, नई-नई ऊर्जा प्राप्त होती रहे ताकि सर्व के कल्‍याण के मार्ग को हम समर्पित भाव से सेवा करने के माध्‍यम से जन सामान्य के जीवन में बदलाव ला सकें, इन्हीं शुभकामनाओं के साथ, आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!! जय सोमनाथ!

  • krishangopal sharma Bjp January 14, 2025

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷
  • krishangopal sharma Bjp January 14, 2025

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹
  • krishangopal sharma Bjp January 14, 2025

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷
  • Aarif Khan December 21, 2024

    good
  • Reena chaurasia August 30, 2024

    बीजेपी
  • MANDA SRINIVAS March 07, 2024

    jaisriram
  • Deepak Mishra February 18, 2024

    Jay Shri Ram
  • MLA Devyani Pharande February 17, 2024

    जय श्रीराम
  • Dibakar Das January 27, 2024

    joy shree ram
  • Dibakar Das January 27, 2024

    joy shree ram ji
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