मैं सबसे पहले आप सबसे क्षमा मांगता हूं, मुझे विलम्ब हुआ, आपको बहुत प्रतीक्षा करनी पड़ी। लेकिन नागपुर हवाई अड्डे पर इतनी तेज बारिश थी, यहां पहुंचने का कोई रास्ता ही नहीं मिल रहा था। आखिरकार आप लोगों की बात वरूण देवता ने सुन ली और बारिश रूक गई और इसके कारण, मैं आप सबके बीच पहुंच पाया।
किसी भी देश में अगर विकास करना है तो सबसे पहले प्राथमिकता देनी होती है, इन्फ्रास्ट्रक्चर को। और अगर, समय की कसौटी पर खरा उतरने वाला इन्फ्रास्ट्रक्चर बनाने में हम सफल होते हैं, तो विकास की संभावनाएं अपने आप बढ़ जाती है। और उसमें भी सबसे ज्यादा जरूरत होती है बिजली की। आज टेक्नोलोजी का युग है, किसान भी अपने खेत में हर प्रकार के काम के लिए बिजली का उपयोग करता है। पहले तो शायद, या तो दीपक जलाने के लिए या जमीन में से पानी निकालने के लिए वह बिजली का उपयोग करता था। लेकिन आज कृषि क्षेत्र में भी बहुत बड़ी मात्रा में बिजली से चलने वाले साधनों का उपयोग होता है। ग्रामीण जीवन में भी अगर क्वालिटी ऑफ लाइफ में चेंज लाना है तो बिजली से शुरूआत होती है।
आज गांव में, डॉक्टर रात में रूकने को तैयार नहीं, शिक्षक गांव में रुकने को तैयार नहीं, पटवारी गांव में रुकने को तैयार नहीं। वो शाम को दफ्तर बंद करके शहर चला जाता है। इनके मुसीबत का कारण क्या है? अगर गांव में बिजली है, पंखा चलता है, एसी चलता है, टी. वी. चलता तो उसको रात को रुकने का मन करता है। और रात को रुकता है तो धीरे-धीरे गांव से उसका लगाव होता है। गांव के सुख-दुख का वह साथी बन जाता है। इसलिए बिजली जितनी जल्दी हिन्दुस्तान के हर कोने में पहुंचे यह हमारी प्राथमिकता है। आजादी के इतने सालों के बाद भी जहां बिजली है, वहां भी 24 घंटे बिजली नहीं मिलती है। कहीं 4 घंटे मिलती है, कहीं 6 घंटे कहीं, कहीं 8 घंटे और कहीं 10 घंटे बिजली मिलती है। अब मुझे बताइए कि क्या 24 घंटे बिजली मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए? बिजली चाहिए कि नहीं चाहिए? अगर बिजली का उत्पादन नहीं होगा तो बिजली मिलेगी कहां से? अगर बिजली के कारखाने नहीं लगेंगे तो बिजली आएगी कहां से? इसलिए आपने देखा होगा, मेरी नई सरकार बनने के बाद मैंने सर्वाधिक जो कार्यक्रम किए हैं, वो बिजली से जुड़े हुए कार्यक्रम किए हैं।
मैं भूटान गया तो; भूटान में बहुत पानी है। उस पानी के माध्यम से बिजली पैदा करना, सस्ती बिजली पैदा करने की संभावना है। भूटान में जाकर वो काम किया, उनसे योजना आगे बढ़ाई। अभी नेपाल गया तो नेपाल में भी हिमालय की नदियां बहुत हैं, उनमें से बिजली पैदा हो सकती है। बिजली के काम को वहां गति देने के लिए वहां की सरकार से विस्तार से बातें की। जम्मू-कश्मीर गया वहां भी पानी की संभावना है। वहां पर बिजली की चिंता की। क्लीन एनर्जी, ये जितनी संभावनाएं बनती हैं, उन सारों को टैप करने का प्रयास है। आखिरकार कोशिश यह है कि आने वाले कुछ वर्षों में हिन्दुस्तान के हर गांव में हर गरीब से गरीब के परिवार को भी 24 घंटे बिजली पहुंचाना है। और जब बिजली आती है तो सिर्फ अंधेरा जाता है- ऐसा नहीं है। सिर्फ टी. वी. पर सीरियल देखने को मिलती है ऐसा नहीं हैं। बिजली आती है तो उसके साथ उद्योग भी आते हैं। रोजगार की संभावनाएं पैदा होती है। अपने इस क्षेत्र में आज 1000 मेगावाट बिजली का कारखाना राष्ट्र को समर्पित हो रहा है, लेकिन साथ-साथ 1320 मेगावाट बिजली नई उत्पादन का एक और कारखाना लगाने का शिलान्यास भी हो रहा है और इसके कारण विदर्भ के पूरे क्षेत्र में बिजली प्राप्त होना सरल हो जाएगा।
जब मैं यहां चुनाव के दिनों में यहां आया था, मैं यवतमाल इलाके में गया था, जब हमारे किसान भाई आत्महत्या करते हैं ,उनके परिवारों में गया था, हजारों किसानों को आत्महत्या करनी पड़े, इससे बड़ी कोई पीड़ा नहीं हो सकती। और जब मैंने वहां पूछा तो कई किसानों ने मुझे बताया कि उनके यहां पानी 20-25 मीटर नीचे है। ज्यादा नहीं 20-25 मीटर। लेकिन बिजली न होने के कारण पानी का कोई प्रबंध नहीं है और उनके कारण अकाल की नौबत आती है। किसान कर्जदार बन जाता है और किसान को आत्महत्या की नौबत आती है। अगर ये बिजली हम पहुंचाते हैं तो जिन किसानों को अपनी खेती में बिजली की आवश्यकता है। उनको आवश्यक बिजली मिले, कम दामों में मिले, और कभी उसको अकाल के संकट से गुजरने की नौबत आये तो इन बिजली के द्वारा निकाले गये पानी के माध्यम से वो अपना साल भर का गुजारा कर सकता है और इसलिए बिजली, वो सिर्फ सुख वैभव का साधन नहीं है। बिजली विकास के लिए पर्याय बन गई है।
हमारी सरकार का यह प्रयास है कि हिन्दुस्तान में जहां-जहां बिजली उत्पादन की संभावनाएं हैं। चाहे विन्ड एनर्जी की हो, सोलर एनर्जी हो, कोयले से पैदा एनर्जी हो, गैस से पैदा होने वाली एनर्जी हो, इतना ही नहीं शहरों में अगर कूड़े-कचरे से अगर बिजली पैदा होती हो तो उसको भी करना है। लिग्नाइट से पैदा होती हों तो उसे भी करना है। ऊर्जा के जितने स्रोत हैं उन सारे स्रोतों का उपयोग करते हुए और हो सके उतना ज्यादा क्लीन एनर्जी की तरफ जाने का हमारा प्रयास है। हमारे देश में सौर ऊर्जा बहुत बड़ी मात्रा में है। सौर ऊर्जा से निकली हुई बिजली एक जमाने में बहुत महंगी थी। लेकिन अब उसमें काफी सुधार हुआ है। अब वो इतनी महंगी नहीं पड़ती, जितना पहले कभी सोचा जाता था। और अल्टीमेटली, वो सस्ती पड़ती है क्योंकि फ्यूल की कोई जरूरत नहीं पड़ती। और ये पूरे देश में सोलर एनर्जी का भी जाल बिछाने का इस सरकार का इरादा है, और इतना ही नहीं एक दिन वो आ सकता है, कि जब हम, रूफ टॉप पर लगाकर हर परिवार अपने छत पर अपनी जरूरत की बिजली पैदा कर सके। सोलर एनर्जी के द्वारा पैदा कर सके बिजली का खर्चा बच जाए, यहां तक इसे आगे बढ़ाया जा सकता है। दुनिया के कुछ देशों ने प्रयोग सफल किये हैं, भारत जैसा देश जिसके पास इतनी सूर्य शक्ति हो उस सूर्य शक्ति का हम भरपूर उपयोग करना चाहते हैं। हमारे यहां शास्त्रों में सूर्य भगवान की कल्पना सात घोड़े के रथ पर सवार की गई है। उसके चित्र भी बनते हैं कि सूर्य भगवान सात घोड़े के रथ पर सवार होते हैं। सूर्य भगवान ऊर्जा का प्रतीक है। और ये जो सात घोड़े हैं न, आज के जमाने में नये रूप में देखता हूं मैं उनको। ये ऊर्जा के सात स्रोत हैं- कोयला है, गैस है, पानी है, लिगनाईट है, सोलर है, विन्ड है, कूड़ा-कचरा है। इसमें से बिजली पैदा हो सकती है। इन सातों घोड़ों से ये सूर्य का रथ चल सकता है, ऊर्जा का रथ चल सकता है और इस काम को करने की दिशा में हम प्रयासरत हैं।
मैं आज जब विदर्भ में आया हूं, और किसानों की आत्महत्या को मैं कभी भूल नहीं सकता हूं। सरकार ने एक योजना, मैंने 15 अगस्त को लाल किले से उसकी घोषणा की थी- प्रधानमंत्री जन धन योजना। ये प्रधानमंत्री जन धन योजना का लाभ सबसे ज्यादा हमारे किसान ले सकते हैं। अब ये किसान को आत्महत्या करने की नौबत इसलिए आती है कि वो साहूकार से कर्ज लेता है और साहूकार से कर्ज लेने के कारण जब कर्ज चुका नहीं पाता है, तो ब्याज के संकटों के कारण आखिरकार वो मौत के लिए खुद को तैयार कर लेता है।
ये प्रधानमंत्री जन धन योजना के द्वारा हर परिवार का बैंक एकाउंट खोलने का हमारा प्रयास है और मेरा भी आग्रह है आप सबको। 28 तारीख को ये योजना प्रारंभ होगी। आप सबके परिवार का अगर बैंक एकाउंट नहीं है, तो बैंक एकाउंट खोल दीजिए। और अगर आप बैंक एकाउंट खोलेंगे तो बैंक की तरफ से आपको एक डैबिट कार्ड मिलेगा और उसके साथ ही आपके परिवार के लिए एक लाख रूपये का इंश्योरेंस भारत सरकार निकालेगी। एक लाख रूपये का बीमा उसके साथ आपका बन जाएगा। इसके कारण एक सुरक्षा की गारंटी बनेगी। और इसलिए मैं किसान भाईयों से, विशेष कर के विदर्भ के हमारे किसान भाइयों से आग्रह करता हूं कि साहूकारों के चक्कर से मुक्ति के लिए, ये प्रधानमंत्री जन धन योजना जो मुख्य रूप से गरीबों के लिए है, आप अपना खाता खोलिए और आप ही अपना भाग्यविधाता बनिए। ये योजना उसी काम के लिए आने वाली है।
इस बार बजट आपने देखा होगा, सरकार ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना की घोषणा की है। इन इन्फ्रास्टक्चर का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र ये भी है। जिस प्रकार से रोड को गांवों को जोड़ा जाता है, उसी प्रकार से पानी की व्यवस्था खेतों तक पहुंचाने का प्रबंध भी होना चाहिए। और हमारे देश का किसान इतना ताकतवर है एक बार उसको अगर पानी मिल जाए तो मिट्टी में से सोना पैदा करने की ताकत हमारा किसान रखता है। इसलिए हर क्षेत्र में पानी कैसे पहुंचे, पानी बचाने का काम कैसे हो, जल संचय भी अच्छी तरह हो, जल सिंचन भी अच्छी तरह हो। उस पर बल देकर के हमारी कृषि को आज जो संकटों के घेरे में रहती है, आशंका के बादल छाये रहते हैं, बारिश हुई तो किसान के लिए जिंदगी ठीक, बारिश नहीं हुई तो किसान को मुसीबत। ये जो स्थिति है, उसमें से कुछ एश्योरेंस की स्थिति बने। इस दिशा में प्रयास दिल्ली में बैठी हुई भारत सरकार का है। और इसलिए किसान को बिजली मिले, किसान को पानी मिले।
गांवों के जीवन में भी बदलाव लाना है, बहुत तेजी से दुनिया बदल रही है। हमने डिजिटल इंडिया की बात कही है। हम जानते हैं कि शायद ही कोई परिवार ऐसा होगा जिसके पास मोबाईल फोन न हो। मोबाइल फोन की हमें इतनी आदत हो गई है, अगर घंटा दो घंटा बैटरी डिसचार्ज हो जाए तो हम परेशान हो जाते हैं जैसे हम ही डिसचार्ज हो गये हों। मन से एकदम असंतुलित हो जाते हैं। और कनेक्टिविटी नहीं मिलती है तो भी परेशान हो जाते हैं। उस टेक्नोलोजी का हमारे जीवन से इतना जुड़ाव हो गया है। इसलिए टेक्नोलॉजी के माध्यम से शासन व्यवस्थाओं को सुचारू रूप से चलाने में बहुत बड़ी मदद मिल सकती है। उसी मदद के हेतु डिजिटल इंडिया के द्वारा आपके मोबाइल फोन में ही आपकी सरकार क्यों न हो? आपकी सरकार आपकी हथेली में क्यों न हो। ये काम मुश्किल नहीं है। बड़ा देश है पूरा करना एक दिन में संभव नहीं होता लेकिन काम संभव है। और इसलिए भाईयों और बहनों उस काम को करने का संकल्प भी हमने किया है, जिसकी हमने शुरूआत कर दी है।
आज जब मैं, बिजली के इस कार्यक्रम के लिए आया हूं, तब सरकार का काम है, बिजली उत्पादन हो। सरकार का काम है बिजली उत्पादन करने वालों को कोयला मिले, गैस मिले, जो आवश्यक ईंधन हैं, फ्यूल हैं वो मिले। लेकिन नागरिकों के नाते हमारी, भी जिम्मेदारी है। और वो है, बिजली बचाना। आज अगर हमारा सौ रूपये का बिल आता है तो हमें तय करना चाहिए कि अगले महीने का बिल 90 रूपये का कैसे आये। दस रूपये कैसे बचायें। अगर दस रुपये बचाएंगे तो बच्चों के लिए दूध ला सकते हैं। ये सब संभव है। थोड़ा सा जागरूता से प्रयास करना पड़ता है। और अगर हम सब नागरिक बिजली बचाने का काम करें तो, बिजली उत्पादन करने में जितना खर्च लगता है, उससे ज्यादा देशभक्ति का काम बिजली बचाकर करके भी हो सकता है। और बिजली बचाना ये कोई उपकार नहीं है। हम बिजली बचाते हैं तो हमारा खर्चा भी बचता है, हमारा बिल भी कम आता है। परिवार को लाभ होता है। देश को भी लाभ होता है। और इसलिए मैं सभी नागरिक भाई-बहनों से सार्वजनिक रूप से आग्रह करता हूं कि आप घर में सब परिवार के लोग बैठकर तय करो कि अगले महीने हमारे बिजली के बिल में कितनी कमी लानी चाहिए। कोई दस रुपये तय करें कोई 20 रुपये तय करें कोई 25 रुपये तय करें कोई 50 रुपये करें और अगले महीने का जब बिल आये तो परिवार के लोग बैठ करके चर्चा करें कि भई, तय किया था दस रुपये बिल कम करेंगे वो नहीं हुआ। आठ रुपये कम हुआ। क्या कमी रह गई। परिवार में एक चर्चा स्वभाव बनना चाहिए। बिजली के अलग बजट पर चर्चा होनी चाहिए परिवार में। और मैं तो स्कूल में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को भी कहता हूं, टीचर्स को भी कहता हूं, वो बच्चों को शिक्षा दें कि हर बच्चा अपने घर में अपने परिवार के माता-पिता बड़े भाई जो भी हों, उनसे शपथ लें कि अपने घर में हम बिजली बचाएंगे। एक बार बिजली बचाने का माहौल बन गया तो जीवन बदल जाता है।
हमें बिजली की आदत इतनी हो गई है कि पूर्णिमा का जो पूर्ण चांद होता है उस चांद की शीतलता क्या होती है, वो हम भूल गये है। अरे कभी तो पूर्णिमा की रात को बिजली बंद करके देखो तो सही आसमान में, बिजली भी बचेगी और चंद्रमा शीतलता का अनुभव भी होगा। एक सहज स्वभाव हम कैसे बनाएं और अगर सहज स्वभाव बनाते हैं, तो हम राष्ट्र की सेवा में काम आ सकते हैं और इसलिए मैं भाईयों और बहनों, आपसे आग्रह करता हूं कि हम सब विकास की ओर कोई न कोई कदम उठायें। हमारी आने वाली पीढी को अगर रोजगार दिलाना है, उनको सुख चैन की जिंदगी जीने की व्यवस्था हमें करनी है, तो विकास की राह पर हमें चलना आज से ही शुरू करना पड़ेगा। विकास का एक ही मंत्र लेकर हम चलेंगे। आप देखिए, देखते-देखते ही बदलाव शुरू हो जाएगा।
आज किसान भी, उसके अगर तीन बेटे हैं तो क्या योजना करता है। वो योजना ये करता है, कि चलो ये छोटे वाला बेटा खेती संभालेगा। लेकिन दो बेटे शहर में जाएंगे नौकरी करेंगे। किसान भी अपने तीन बेटे में से दो बेटों को नौकरी के लिए भेजता है। क्योंकि उसको लगता है कि परिवार चलाना है तो नौकरी के लिए जाना पड़ेगा। इसका मतलब रोजगार की संभावनाएं नई तलाशनी पड़ेगी। और रोजगार की संभावनाएं नई तलाशनी हैं तो वह औद्योगिक विकास के द्वारा होगा। ये बिजली के माध्यम से इस क्षेत्र में छोटे-छोटे कारखाने लगे। यहां के नौजवान खुद कोई उत्पादन के क्षेत्र में जाएं। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में जाएं। इतना ही नहीं, गांव में तो कृषि आधारित उद्योग भी शुरू किये जा सकते हैं। जिसके कारण किसान को भी लाभ होगा। उद्योग आएगा तो रोजगार भी बढ़ेगा। इसलिए कृषि आधारित रोजगार उद्योग और उसके आधार पर ग्रामीण नौजवान को रोजगार इस काम के लिए हम बिजली का उपयोग कैसे करें। आज जो काम हम स्थानीय कुम्हार है, वो मिट्टी का काम करता है, लेकिन अगर बिजली से चलने वाला यंत्र उसको मिल गया तो अपना कुम्हारी काम में पहले दस रुपये का काम करता था अब सौ रुपये का काम करने लग जाएगा। टेक्नोलॉजी का उपयोग करके उसका उत्पादन बढ़ेगा। उसकी क्वालिटी भी बढ़ेगी। हरेक क्षेत्र में हम कैसे आगे बढ़ें, हम उत्पादन ज्यादा कैसे दें और देश की आर्थिक विकास यात्रा में एक नागरिक के नाते हम भी भागीदार बने उसी दायित्व को लेकर के अगर हम चलेंगे तो मुझे विश्वास है, देश को आगे बढ़ाने का जो हमारा सपना है, सवा सौ करोड़ देशवासी उन सपनों को जरूर साकार कर पाएंगे। ये मेरा विश्वास है।
इतनी बड़ी संख्या में आप लोगों का आना ये छोटी बात नहीं है। ये एनटीपीसी वालों ने, बिजली के कई कार्यक्रम पहले भी किये होंगे। कई उद्घाटन भी किये होंगे। लेकिन शायद, इतनी बड़ी संख्या में लोगों को कभी देखा नहीं होगा। ये जन-सैलाब यहां है इसका कारण क्या है। उसका कारण साफ है, देश की जनता को विकास चाहिए और जहां भी विकास की बात होगी, मैं विश्वास से कहता हूं कि देश की जनता इसी प्रकार से जुड़ जाएगी। देश की जनता विकास के लिए ज्यादा प्रतीक्षा करने को तैयार नहीं है। ये जन सैलाब इस बात का प्रतीक है कि उसको एक मात्र काम में विश्वास है, विकास। और इसलिए भाईयों-बहनों विकास की दिशा में हमें आगे बढ़ना है।
आज देश में जब भी कहीं जाते हैं तो समान्य मानव को एक बात की चिढ़ है, गुस्सा है, दु:ख है, पीड़ा है, और वो है भ्रष्टाचार। भ्रष्टाचार ने हमारे देश को तबाह करके रखा हुआ है। और हालत ये बन गई है, कि कुछ लोगों के जीवन में भ्रष्टाचार, शिष्टाचार बन गया है। देशवासीयो आईए, मैं इस काम को करना चाहता हूं। मेरी मदद कीजिए। ये बीमारी देश से निकालनी है और निकाली जा सकती है। और एक बार अगर समाज मेरे साथ जुड़ गया मैं नहीं मानता हूं कि किसी ताकत है कि अब ये पाप करने की हिम्मत करेगा। ये भ्रष्टाचार के खिलाफ बोलने से कई लोगों को जरा परेशानी होती है। लेकिन कितने दिन तक हम चीजों को छिपाकर रखेंगे। आप मुझे बताइए पाप है या नहीं ये हमारे घरों में। हमारे देश में, हमारे समाज में, पाप है कि नहीं, भईया ? बताइए है या नहीं है ? तो कब तक छिपाकर रखेंगे ? इस पाप से हमें मुक्ति पानी है और हम सबने मिलकर के इस दिशा में कदम उठाना है। हम सबका सहयोग होगा तो, मैं नहीं मानता भ्रष्टाचारी कुछ कर सकते हैं, भाइयों। ये अलग-थलग पड़ जाएंगे। अब उनको भी लगना पड़ेगा कि समाज की सोच बदल चुकी है। हम भी अब सीधी लाइन में चलें। पहले जितना पाप किया कर लिया कि अब हमें पाप करने का अवसर नहीं मिलेगा ये बात हमें करनी होगी।
पूरे देश में ये एक अलख जगानी है, इन चीजों पर हमने सफलता पानी है अगर जनता का सहयोग मिलता है, ये काम कठिन नहीं है। ये बीमारी ज्यादा मुश्किल काम नहीं है और मेरा विश्वास है, इन स्थितियों को प्राप्त किया जा सकता है। आपके आशीर्वाद से इस बीमारी से भी देश को मुक्ति दिलाने में हम सफल होंगे। हम महाराष्ट्र के अंदर संकल्प करें, इस बीमारी से हमें मुक्ति लानी है। हिन्दुस्तान के कोने-कोने में बात पहुंच जाएगी क्योंकि महाराष्ट्र तो है, जहां से लोक मान्य तिलक जी ने कहा था – ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’। वही तो महाराष्ट्र कहता है, ‘स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है’। उस बात को हम लेकर चलें ।
फिर आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं। धन्यवाद। मेरे साथ पूरी ताकत के साथ बोलिए
भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय।