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ನಿಮ್ಮೆಲ್ಲರಿಗೂ ದೇಶದ 135 ಕೋಟಿ ಭಾರತೀಯರ ಶುಭಾಶಯಗಳೇ ಆಶೀರ್ವಾದ: ಪ್ರಧಾನಿ
ಆಟಗಾರರಿಗೆ ಉತ್ತಮ ತರಬೇತಿ ಶಿಬಿರಗಳು, ಸಲಕರಣೆಗಳು, ಅಂತರರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ವೇದಿಕೆ ಒದಗಿಸಲಾಗಿದೆ: ಪ್ರಧಾನಿ
ಹೊಸ ಚಿಂತನೆ ಮತ್ತು ಹೊಸ ವಿಧಾನದೊಂದಿಗೆ ದೇಶವು ಇಂದು ಪ್ರತಿ ಆಟಗಾರರೊಂದಿಗೆ ನಿಂತಿರುವುದಕ್ಕೆ ಕ್ರೀಡಾಪಟುಗಳು ಸಾಕ್ಷಿಯಾಗಿದ್ದಾರೆ: ಪ್ರಧಾನಿ
ಹಲವು ಕ್ರಿಡೆಗಳಲ್ಲಿ ಮೊದಲ ಬಾರಿಗೆ ಇಷ್ಟು ದೊಡ್ಡ ಸಂಖ್ಯೆಯ ಆಟಗಾರರು ಒಲಿಂಪಿಕ್ಸ್‌ಗೆ ಅರ್ಹತೆ ಪಡೆದಿದ್ದಾರೆ ಪ್ರಧಾನಿ
ಭಾರತವು ಮೊದಲ ಬಾರಿಗೆ ಅರ್ಹತೆ ಪಡೆದ ಅನೇಕ ಕ್ರೀಡೆಗಳಿವೆ: ಪ್ರಧಾನಿ
‘ಚಿಯರ್ 4 ಇಂಡಿಯಾ’ದೇಶವಾಸಿಗಳ ಜವಾಬ್ದಾರಿಯಾಗಿದೆ: ಪ್ರಧಾನಿ

प्रधानमंत्री : दीपिकाजी नमस्‍ते !

दीपिका : समस्‍ते सर !

प्रधानमंत्री : दीपिकाजी, पिछली मन की बात में मैंने आपकी और कई साथियों की चर्चा की थी। अभी पेरिस में गोल्‍ड जीतकर आपने जो करिश्‍मा किया। उसके बाद तो पूरे देश में आपकी चर्चा हो रही है। अब आप रैकिंग मेंवर्ल्ड नंबर-1 हो गई हैं। मुझे पता चला है कि आप बचपन में आम तोड़ने के लिए निशाना लगाती थी। आम से शुरू हुई आपकी ये यात्रा बहुत खास है। अपनी इस यात्रा के बारे में देश बहुत कुछ जानना चाहता है। अगर आप कुछ बताएं तो अच्‍छा होगा।

दीपिका: सर मेरी यात्रा बहुत अच्‍छी रहीstarting में ही। आम मुझे बहुत पसंद था इसलिये स्‍टोरी बनी।बहुत अच्‍छी रही starting में थोड़ा सा struggle हुआ था क्‍योंकि facilities वहां अच्‍छी नहीं थी। उसके बाद एक साथ Archery करने के बाद काफी अच्‍छी facilities मिली सर और काफी अच्‍दी coach भी मिले मुझे।

प्रधानमंत्री : दीपिकाजी, जब आप सफलता के इतने शिखर पर पहुंच जाते हैं, तो लोगों की आपसे अपेक्षाएं भी बढ़ जाते हैं। अब सामने ओलंपिक जैसा सबसे बड़ा event है, तो अपेक्षाओं और फोकस के बीच आप संतुलन कैसे बना रही हैं?

दीपिका : सर उम्‍मीदें तो हैं लेकिन सबसे ज्‍यादा उम्‍मीदें खुद से होती हैं और हम यही पे फोकस कर रहे हैं कि जितना भी ध्‍यान हो,अपनी practice पर हों और कैसे मुझे perform करना है। इस चीज पर मैं सर ज्‍यादा फोकस कर रही हूँ।

प्रधानमंत्री : चलिये आपको बहुत-बहुत बधाई। आपने विषमताओं में हार नहीं मानी। आपने चुनौतियों को ही ताकत बना लिया है और मैं देख रहा हूँ कि स्‍क्रीन पर मुझे आपके परिवारजन भी दिखाई दे रहे हैं, मैं उनको भी नमस्‍कार करता हूँ। देश को पूरा भरोसा है कि आप ओलंपिक में भी ऐसी ही देश का गौरव बढ़ाएंगी। आपको मेरी ढेर सारी शुभकामनाएं।

दीपिका :Thank You Sir!

प्रधानमंत्री : आइए अब हम प्रवीण कुमार जाधवजी से बात करते हैं। प्रवीणजी नमस्‍ते!

प्रवीण : नमस्‍ते सर!

प्रधानमंत्री : प्रवीणजी मुझे बताया गया कि आपकीट्रेनिंग पहले एथलीट बनने के लिये हुई थी।

प्रवीण : हां सर!

प्रधानमंत्री : आज आप ओलंपिक में तीरंदाजी के लिये देश को रीप्रेजेंट करने जा रहे हैं। ये बदलाव कैसे हुआ?

प्रवीण : सर पहले मैं Athletics करता था तो मेरा Selection Government की Academy में Athletics के लिये हुआ। तो वहां के Coach थे तो मेरा Body थोड़ा कमजोर था उस time, तो वो बोले कि आप दूसरे game में अच्‍छा कर सकते हो, तो उसके बाद मुझे Archery Game दिया गया। तो उसके बाद मैंने अमरावती में Archery Game continue किया।

प्रधानमंत्री : अच्‍छा और इस बदलाव के बावजूद भी आप अपने खेल मेंकॉन्फ़िडेंस और perfection कैसे लाये?

प्रवीण : सर मेरा actually घर से इतना मतलब अच्‍छा नहीं है। मतलब थोड़ा financial condition ठीक नहीं है।

प्रधानमंत्री : मेरे सामने आपके माताजी-पिताजी दिख रहे हैं मुझे। मैं उनको भी नमस्‍कार करता हूँ। हां प्रवीण भाई बताइये।

प्रवीण : तो मुझे पता था घर जा के मुझे भी मजदूरी ही करनी पड़ेगी। इससे अच्‍छा तो यहां मेहनत करके आगे कुछ अच्‍छा करना है। इसलिये मैंने इसमें continue किया।

प्रधानमंत्री : देखिये आपके बचपन के कठिन संघर्षों के बारे में काफी जानकारी ली है और आपके माता-पिता ने भी जिस प्रकार से पिताजी दिहाणी मजदूरी से लेकर आज देश का प्रतिनिधित्‍व करने तक की यात्रा बहुत प्रेरणादायी है और ऐसे कठिन जीवन आपने बिताया है लेकिन लक्ष्‍य को कभी अपनी आंखों के सामने से हटने नहीं दिया। आपके जीवन के शुरूआती अनुभवों ने Champion बनने में आपकी क्‍या मद्द की?

प्रवीण : सर जहां मुझे खुद कम मतलब लगता था कि यहां थोड़ा ज्‍यादा मुश्‍किल है वहां मैं यहीं सोचता था कि अभी तक जितना भी किया, अगर यहां हार मान जाऊंगा तो वो सब कुछ खत्‍म हो जायेगा। इससे अच्‍छा की ज्‍यादा और कोशिश करके इसको सफल करना है।

प्रधानमंत्री : प्रवीणजी आप तो एक Champion हैं ही लेकिन आपके माता-पिता भी मेरी दृष्‍टि से Champion हैं। तो मेरी इच्‍छा है कि माता-पिताजी से भी जरा बात करूं मैं, नमस्‍कार जी!

अभिभावक : नमस्‍कार!

प्रधानमंत्री : आपने मजदूरी करते हुए अपने बेटे को आगे बढ़ाया और आज आपका बेटा ओलंपिक में देश के लिये खेलने जा रहा है। आपने दिखा दिया कि मेहनत और ईमानदारी की ताकत क्‍या होती है। अभी आप क्‍या कहना चाहेंगे?

अभिभावक : ....................

प्रधानमंत्री : देखिये आपने साबित कर दिया है कि अगर कुछ करने की चाह हो तो परेशानियां किसी को रोक नहीं सकती। आपकी सफलता से ये भी स्‍पष्‍ट हो गया कि grass root स्‍तर पर अगर सही चयन हो तो हमारे देश की प्रतिभा क्‍या नहीं कर सकती। प्रवीण आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं मेरी और फिर से एक बार आपके माता-पिताजी को भी प्रणाम है और जापान में जमकर खेलिएगा।

प्रवीण :Thank You Sir!

प्रधानमंत्री : अच्‍छा अब हम नीरज चोपड़ाजी से बात करेंगे।

नीरज : नमस्‍ते सर!

प्रधानमंत्री : नीरजजी आप तो भारतीय सेना में हैं और सेना के ऐसे कोने से अनुभव है जो अनुभव वो कौन सी ट्रेनिंग है जिसने आपको खेल में इस मुकाम तक पहुंचने में मद्द की?

नीरज : सर देखो मेरा शुरू से ही एक था कि मुझे भारतीय सेना बहुत पसंद थी और मैं 5-6 साल खेला और उसके बाद मुझे भारतीय सेना ने Join करने के लिए बोला। तो मुझे काफी खुशी हुई फिर मैंने भारतीय सेना को Join किया और उसके बाद से मैं अपना Game में फोकस कर रहा हूँ और भारतीय सेना मुझे जितनी facility औरजो मुझे चाहिये और जो भारत सरकार सब कुछ मुझे provide कर रहे हैं और मैं अपना पूरा मन लगा के मेहनत कर रहा हूँ।

प्रधानमंत्री : नीरजजी मैं आपके साथ-साथ आपके पूरे परिवार को भी देख रहा हूँ। आपके परिवार को भी मैं प्रणाम करता हूँ।

प्रधानमंत्री :नीरजजी, मुझे ये भी बताया गया है कि आपको इंजरी हो गयी थी लेकिन फिर भी आप इस साल आपने राष्ट्रीय रिकार्ड बना दिया है। आपने अपना मनोबल, अपनी प्रैक्टिस को ये सब कैसे संभाले रखा?

नीरज : मैं मानता हूँ सर कि जो इंजरी है वो एकsports का पार्ट है तो जो मैंने 2019 में काफी मेहनत की थी उस साल वर्ल्‍ड चैम्‍पियनशिप थी हमारी...

प्रधानमंत्री : अच्‍छा आपको sports की इंजरी में भी sportsman spirit दिखता है।

नीरज : सर क्‍योंकि हमारा यही सफर है। कुछ साल का हमारा कैरियर होता है और हमको अपने आपको motivate करना होता है। तो मेरा एक साल इसकी वजह से खराब हो गया था क्‍याकिं मैंने तैयारी काफी की थी वर्ल्‍ड चैम्‍पियनशिप और एशियन चैम्‍पियनशिप के लिये लेकिन इंजरी की वजह से वो उसमें दिक्‍कत हो गई। फिर मैंने अपना पूरा फोकस ओलंपिक पर किया और दुबारा से कमबैक किया। अच्‍छे से मैंने फर्स्‍ट कॉम्‍पीटीशन खेला। उसमें ही ओलंपिक qualify कर दिया था। उसके बाद फिर कोरोना की वजह से ओलंपिक postponed हो गया। तो फिर अपनी तैयारी continue रखी सर। और फिर उसके बाद जो दुबारा से कॉम्‍पीटीशन खेले और फिर अपनी best करके national record किया और अभी भी सर पूरी मेहनत कर रहे हैं। कोशिश करेंगे कि जितना अच्‍छा हो सके, उतना बढ़िया करके आएं ओलंपिक में।

प्रधानमंत्री :नीरज जी, बहुत अच्छा लगा आपसे बातकरके। मैं एक महत्वपूर्ण बात आपसे कहना चाहता हूँ, आपको अपेक्षाओं के बोझ तले दबने की जरुरत नहीं है। आप अपना शत प्रतिशत दीजिए बस, यही मिजाज। बिना किसी दबाव के पूरा प्रयास कीजिए, मेरी आपको बहुत शुभकामनाएं हैं और आपके माता-पिता को भी प्रणाम है।

प्रधानमंत्री : आइए, दुति चंदजी से बात करते हैं।

प्रधानमंत्री :दुती जी, नमस्‍ते!

दुती :Honourable Prime Minister, नमस्‍ते!

प्रधानमंत्री :दुती जी, आपके तो नाम का ही अर्थ है चमक, दुती का मतलब ही होता हैआभा! और आप खेल के जरिए अपनी चमक बिखेर भी रही हैं। अब आप ओलंपिक में छा जाने के लिए तैयार हैं? इतनी बड़ी प्रतियोगिता को आप कैसे देखती हैं?

दुती : सर पहले तो आपको ये बता देती हूँ मैं ओड़िसा की weaver family सेbelong करती हूँ। मेरी फैमिली में तीन सिस्‍टर, वनब्रदर, मम्‍मी डैडी को मिला के 9 नेबर। जब मेरे घर में लड़की से लड़की पैदा होती थी, गांव वालों में मेरी मम्‍मी को हमेशा criticise करते थे कि इतना लड़की क्‍यों पैदा कर रहे हैं? तो बहुत गरीब फैमिली थी, खाने के लिये भी नहीं था और हमारे पापा का income भी बहुत कम ही था।

प्रधानमंत्री : आपके माताजी-पिताजी मेरे सामने हैं।

दुती : जी, तो मेरा मन में वही था कि मैं अच्‍छा खेलूंगी तो देश के लिये नाम रोशन करूंगी और government sector में मुझे job मिल जायेगा और job में जो पगार आएगी उससे मैं अपनी फैमिली की situation को बदल सकती हूँ। तो आज इस कोर्स के बाद जो मैंने बहुत कुछ बदला है, बदलाव लाई हूँ अपने फैमिली को। अब मैं धन्‍यवाद दूंगी आपको और.......... जिन्‍होंने मुझे हमेशा support किया है। मेरा हमेशा मेरी लाईफ मे controversy रहता है। आपके टीवी माध्‍यम से एक बात और बताऊंगी आपको कि कितना challenge करके, कितना दिक्‍कत सहके मैं आज यहां तक पहुंची हूँ, मेरा मन में वही है कि मेरे जो साथ में ओलंपिक जाएंगे, अभी सेकेंड टाईम ओलंपिक जा रही हूँ। मैं यही कहना चाहूंगी कि मैं पूरी हिम्‍मत से जा रही हूँ, मैं डरूंगी नहीं। India का कोई महिला कमजोर नहीं है और महिला लोग आगे बढ़ के देश का नाम रोशन करेंगी, ऐसी ही हिम्‍मत के साथ ओलंपिक में खेलूंगी और देश के लिये मेडल लाने की कोशिश करूंगी।

प्रधानमंत्री :दुती जी, आपकी वर्षों की मेहनत का फैसला कुछ ही सेकंड में होना होता है। हार और जीत में पलक झपकने भर की देर होती है। इसका सामना करना कितना मुश्किल होता है?

दुती :Basically तो 100 मीटर में देखेंतो 10-11 सेकेंड में खत्‍म हो जाता है। लेकिन इसकी repetition करने में साल भर लग जाता है। बहुत सारा मेहनत करना पड़ता है। एक 100 मीटर भागने के लिये हमको 10-12 repetition लगाना पड़ता है। बहुत सारा gym exercise, बहुत सारा swimming pool exercise करना पड़ता है और हमेशा challenge की तरह लेना पड़ता है कि थोड़ा सा भी गिर जाएंगे तो आपको disqualify करके निकाल देंगे। तो हर चीज को ध्‍यान देकर हमको रनिंग करना पड़ता है। Nervous तो रहता है मन में, डर भी आता है लेकिन मैं हिम्‍मत के साथ लड़ाई करती हूँ जैसे मैं अपनी personal life मेंहिम्‍मत के साथ करती आ रही हूँ तो इससे हमेशा 100 को हिम्‍मत के साथ challenge को करके, लड़ाई करके मैं रनिंग करती हूँ और इसमें अच्‍छा टाईम भी करती हूँ और देश के लिये मेडल भी लाती हूँ।

प्रधानमंत्री :दुति जी, आपने देश के लिए बहुत से रिकार्ड बनाए हैं। देश को उम्मीद है कि आप इस बार ओलंपिक पोडियम पर जरुर अपनी जगह बनाएंगी। आप निर्भीक होकर खेलों में भाग लीजिए, पूरा भारत अपने ओलंपिक खिलाड़ियों के साथ है। मेरी आपको बहुत शुभकामनाएंऔर आपके माता-पिता को विशेष प्रणाम।

प्रधानमंत्री : आइए अब हम आशीष कुमारजी से बात करते हैं।

प्रधानमंत्री :आशीष जी, आपके पिता राष्ट्रीय स्तर के कबड्डी खिलाड़ी थे और आपके परिवार में कई खिलाड़ी रहे हैं। आपने बॉक्सिंग क्यों चुनी?

आशीष : सर बॉक्सिंग जब मैं छोटा था तो हमारे घर पर माहौल खेल का था तो मेरे फादर बहुत अच्‍छे प्‍लेयर रहे हैं अपने टाईम पर तो वो चाहते थे कि उनका बेटा भी बॉक्सिंग खेले। तो मेरे पास उस टाईम कबड्डी के लिये फोर्स नहीं किये थे। लेकिन मेरे परिवार में मेरे भाई wrestling खेलते थे और बॉक्सिंग खेलते थे तो वो काफी अच्‍छे लेवल तक खेले हैं। तो मुझे भी उन्‍हीं में से किसी एक को join करने को कहा गया, मैं बहुत पतला था और बदन ज्‍यादा गठिला नहीं था तो उस वजह से मैंने सोचा कि wrestling तो नहीं कर पाऊंगा तो मुझे शायद बॉक्सिंग ही करनी चाहिये तो वैसे-वैसे सर झुकाव हुआ बॉक्सिंग पर इस तरीके से।

प्रधानमंत्री :आशीष जी, आपने कोविड से भी लड़ाई लड़ी है। एक खिलाड़ी के तौर पर आपके लिए ये कितना कठिन रहा? आपका खेल, आपकी फिटनेस प्रभावित न हो, इसके लिए आपने क्या किया?और मैं जनाता हूँ आपने इस crucial time में अपने पिताजी को भी खो दिया, ऐसे समय भी आपके इस जो मिशन को लेकर के निकले थे, उसमें जरा भी इधर-उधर होने नहीं दिया। तो मैं जरूर आपके मन के भाव जानना चाहूँगा।

आशीष : जी सर कॉम्‍पीटीशन के 25 दिन पहले मेरे पिताजी की मत्‍यु हो गई थी जिस वजह से मैं काफी सदमें में था कि मैं emotionally बहुत hurt हो चुका था सर, काफी problem मुझे उस टाईम face करनी पड़ी। तो उस टाईम मुझे सबसे ज्‍यादा जरूरत थी वो फैमिली support की थी। मुझे मेरे परिवार ने बहुत support किया। मेरे भाई, मेरीबहन, और मेरे परिवार के सभी जनों ने बहुत support किया मुझे और मेरे दोस्‍तों ने भी काफी मुझे बार-बार motivate किया कि मुझे मेरे फादर को सपना पूरा करना चाहिए। जिस सपने की शुरूआत में, बॉक्सिंग की शुरूआत में उन्‍होंने जो सपना देखा था मेरे लिये, तो सर सारा काम छोड़कर उन्‍होंने मुझे फिर से कैम्‍प join करने के लिये कहा कि आप जाओ और जो फादर को आपका जो सपना है उसे पूरा कीजिए। तो सर जब मैं स्‍पेन में था, तब मैं कोविड पॉजिटिव हो गया था तो उस टाईम मुझे symptom थे सर, तो कुछ दिन मुझे symptom रहे वहां पर। लेकिन सर वहां पर facility थोड़ी मेरे लिये special करवायी गई और जो हमारे टीम डॉक्‍टर थे डॉ. करण, उनके साथ regularly contact में था मैं और स्‍टाफ के साथ भी। तो इसके लिये मेरे वहां पर जो है स्‍पेस जो है available करवाया गया था सर जहां पर मैं प्रैक्‍टिस करता था थोड़ी फिटनेस करता था लेकिन फिर भी सर काफी टाईम लग गया रिकवरी में कोरोना से तो रिकवरी के बाद जब मैं वापस India आया सर तो फिर जब मैं कैम्‍प में return हुआ तो वहां पे मेरे Coaches, supporting staff ने बहुत मेरी help की। धर्मेंद्र सिंह यादव मेरे Coach हैं, उन्‍होंने मुझे बहुत help की उन्‍होंने रिकवरी के लिये और मेरी game में rhythm में फिर से मुझे वापस लाने के लिये।

प्रधानमंत्री :आशीष जी, आपके परिवारजनों को भी मैं प्रणाम करता हूँ और आशीष जी आपको याद होगा सचिन तेंदुलकर जी एक बहुत बड़ी महत्‍वपूर्ण खेल खेल रहे थे और उसी समय उनके पिताजी का स्‍वर्गवास हुआ था। लेकिन उन्‍होंने खेल को प्राथमिकता दी और खेल के माध्‍यम से अपने पिता को श्रद्धांजलि दी। आपने भी वैसी ही कमाल की है। आपने आज अपने पिताजी को खाने के बावजूद भी देश के लिये,खेल के लिये पूरा मन, वचन एक प्रकार से जुट गये हैं। आप सचमुच उपका उदाहरण एक प्रकार से प्रेरणादायक है, आप एक खिलाड़ी के तौर पर हर बार विजेता साबित हुए हैं। इसके साथ ही एक व्यक्ति के तौर पर आपने शारीरिक और भावनात्मक चुनौतियों दोनों पर विजय प्राप्त की है। आपसे पूरे देश को बहुत उम्मीद है। हमें विश्वास है कि ओलंपिक के प्लेटफार्म पर भी आप अच्छा प्रदर्शन करेंगे, मेरी तरफ से आपको बहुत शुभकामनाएं हैं। आपके परिवारजन को भी मेरा प्रणाम है।

प्रधानमंत्री : आइए, हम सबका परिचित चेहरा है, परिचित नाम है। हम मैरी कॉम से बात करते हैं।

प्रधानमंत्री :मैरी कॉम जी, नमस्‍ते!

मैरी कॉम : नमस्‍ते सर!

प्रधानमंत्री :आप तो ऐसी खिलाड़ी हैं जिनसे पूरा देश प्रेरणा लेता है। इस ओलंपिक दल में भी बहुत से खिलाड़ी ऐसे होंगे जिनके लिये आप स्‍वयं एक आदर्श रही हैं। अगर वो भी आपको फोन करते ही होंगे और अगर फोन करते हैं तो आपको क्या पूछते हैं?

मैरी कॉम : सर, घर में सब मेरे लिये दुआ कर रहे हैं कि वो लोग बच्‍चे लोग ज्‍यादा मेरे को miss करता है सर और मैं समझाती हूँ कि मामा देश के लिये लड़ाई के लिये जा रही है और आप लोग घर में पापा जो भी बोल रहा है उसको follow करना है और घर में आप लोग प्‍यार से रहना है, बाहर नहीं निकलना है कोविड की वजह से सरऔर वो लोग भी बहुत घर में boring हो जा रहे हैं, online classes ले रहे हैं लेकिन इतना ओपन नहीं हो रहा है। बच्‍चे लोग खेल को बहुत पसंद करता है सर, दोस्‍त लोग खेलने में भी बहुत अच्‍छा करता है, अच्‍छा हो रहा है लेकिन इस बार कोविड की वजह से सारे दोस्‍त लोग से भी दूर हो रहा है और मैं बोला ये मामले में हम लोग fight करना है, अच्‍छा रहना है और सुरक्षित रहना है, सेफली रहना है और मैं भी देश के लिये लड़ाई के लिये जा रही हूँ और मैं चाहती हूँ कि आप सुरक्षित रहो और मैं भी सुरक्षित रहूं और देश के लिये अच्‍छा करने के लिये मैं कोशिश करती हूँ, यही बात होती है सर।

प्रधानमंत्री : वो सुन रहे हैं, मेरे सामने दिख रहे हैं सब लोग।अच्छा वैसे तो आप हर पंच में चैम्पियन हैं, लेकिन आपका सबसे फेवरेट पंच कौन सा है? जॉब, हुक, अपर कट या कुछ और? और ये भी बताइएगा कि ये पंच क्यों आपका फेवरेट है?

मैरी कॉम : सर मेरा फेवरेट पंचेज तो ये मेरा साउथ पोल है तो ये मेरा सबसे फेवरेट है सर। तो इसमें कोई भी लोग मिस नहीं कर पाते हैं, लगना है तो लगना ही है बस।

प्रधानमंत्री :मैं जानना चाहता हूं कि आपका फेवरेट खिलाड़ी कौन है?

मैरी कॉम : सर मेरा फेवरेट खिलाड़ी बॉक्‍सिंग में तो हिरो है, inspiration है मुहम्मद अली है सर।

प्रधानमंत्री :मैरी कॉम जी, आपने बाक्सिंग की करीब-करीब हर अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता जीत ली है। आपने कहीं कहा था कि ओलंपिक गोल्ड आपका सपना है। ये आपका ही नहीं पूरे देश का सपना है। देश को उम्मीद है कि आप अपना और देश का सपना जरुर पूरा करेंगी। मेरी आपको बहुत शुभकामनाएं हैं, आपके परिवारजनों को प्रणाम है।

मैरी कॉम : बहुत-बहुत धन्‍यवाद सर आपका!

प्रधानमंत्री : आइए, अब पी.वी.सिंधु से बात करते हैं।

प्रधानमंत्री : सिंधु जी, मुझे बताया गया कि आप टोक्यो ओलंपिक से पहले ओलंपिक साइज कोर्ट में प्रैक्टिस करना चाहती थीं। अब गौचीबाउली में आपकी प्रैक्टिस कैसी चल रही है?

पी.वी. सिंधु : गौचीबाउली में प्रैक्‍टिस बहुत अच्‍छा चल रहा है सर। मैं ये choose किया क्‍योंकि अभी ओलंपिक स्‍टेडियम बहुत बड़ा है और वो ऐ.सी. और ....... बहुत महसूस होता है तो इसीलिये मैं ये सोचा कि ठीक है अगर अच्‍छा स्‍टेडियम है तो क्‍यों अगर opportunity है तो क्‍यों नहीं खेलूँ करके फरवरी से अगर प्रैक्‍टिस कर रही हूँ सर। Obviously मैं government से permission लिया था सर। Obviously ये pandemic की वजह से वो लोग immediately permission दे के protocols follow करने के लिये बोला था तो I am very thankful to them क्‍योंकि as soon as I asked permission उन लोगों ने permission दे दिया सर। तो इसीलिये मैं सोचा ठीक है अगर अभी से स्‍टार्ट किया तो वो बड़ा स्‍टेडियम में खेलना तो टोक्‍यो जाने के बाद वो इतना मुश्‍किल नहीं होता and I get used to it so quickly इसीलिये सर।

प्रधानमंत्री : आपके परिवारजन भी मेरे सामने हैं, मैं उनको प्रणाम करता हूँ। मुझे याद आता है कि गोपीचन्द जी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उन्होंने रियो ओलम्पिक के पहले आपका फोन ले लिया था। आपको आइसक्रीम भी खाना allow नहीं किया था। क्या अभी भी आपके आइसक्रीम खाने पर पाबंदी लगी हुई है या कुछ छूट मिली है?

पी.वी. सिंधु : सर obviously थोड़ा control करती हूँ सर। क्‍योंकि एक एथलीट के लिये diet बहुत important है। और अभी ओलंपिक्‍स है तो तैयारी कर रही हूँ तो obviously थोड़ा diet control तो करूंगी ही तो आइसक्रीम उतना नहीं खाती हूँ सर, बस कभी-कभी खाती हूँ।

प्रधानमंत्री : देखिये सिंधु जी आपके माता-पिता दोनों खुद स्पोर्ट्स में रहे हैं औरइसलिए मेरा मन करता हैं आज मैं उनसे भी एक बात जरूर करूंगा। आपको नमस्‍कार, आप ये बताइये किजब किसी बच्चे की रुचि खेल में जाने की हो तो कई पैरेंट्स के लिए बहुत मुश्किल होता है। बहुत सारे लोगों को ढेरों आशंकाएं रहती हैं। आप ऐसे सभी पैरेंट्स के लिये क्या संदेश देना चाहेंगे?

अभिभावक : बस सर parents ये जानना चाहिये कि अगर अपने बच्‍चे health wise अच्‍छे होंगे तो सब कुछ बड़ा होगा क्‍योंकि आप थोड़ा खेलेंगे तो आपका health अच्‍छा होगा automatically आपका concentrationबढ़ेगा। हर issues में आप लोग आगे बढ़ेंगे और जरूर आप ऊपर आ सकते हैं।

प्रधानमंत्री : आप एक सफल खिलाड़ी के माता-पिता हैं। अपने बच्चों को स्पोर्ट्सपर्सन बनाने के लिए कैसी parenting करनी होती है?

अभिभावक : सर parentingतो फर्स्‍ट parents ही तो dedicate करना चाहिये सर क्‍योंकि उनको encourage करना है। You have to motivate them and आप तो जानते हैं government तो हर तरह से हर खिलाड़ी को सब facility दे रहे हैं। So उसको हमारे बच्‍चों को समझाते हुए देश का नाम ऊपर करने के लिये बेटा मेहनत करना है और अच्‍छा नाम कमाना है करके हम उनको प्रोत्‍साहित करके हर जो भी बच्‍चों को ये हम पहले सीखाना है कि respect देना जो भी हैं, respect दो और उनका आर्शीवाद लो।

प्रधानमंत्री : सिंधु जी, आपके माता-पिता ने आपको विश्व चैंपियन बनाने के लिए बहुत त्याग किए हैं। उन्होंने अपना काम कर दिया है। अब आपकी बारी है, आप खूब मेहनत कीजिए। और मुझे विश्वास है कि इस बार भी आप जरूर सफल होंगी और सफलता के बाद मेरा मिलना होता ही है आप लोगों से तो मैं भी आपके साथ आइसक्रीम खाऊंगा।

प्रधानमंत्री : आइए एला से बात करते हैं, एला नमस्‍ते!

एलावेनिल : नमस्‍ते सर!

प्रधानमंत्री : (गुजराती में सम्बोधन) एलावेनिल, मुझे बताया गया कि आप पहले एथलेटिक्स में जाना चाहती थीं। फिर ऐसा क्या ट्रिगर कर गया कि आपने शूटिंग को अपना लिया?

एलावेनिल : सर मैंने actually काफी सारे स्‍पोर्टस ट्राई करे थे शूटिंग के पहले मुझे बचपन से स्‍पोर्टस बहुत ही पसंद था। एथलेटिक, बेडमिंटन, जूडो वगैरह ट्राई किया था लेकिन जब मैंने शूटिंग शुरू किया तब मुझे एक बहुत ही ज्‍यादा एक excitement मिला था इस game में क्‍योंकि हमको बहुत ज्‍यादा steady रहना होता है। बहुत ज्‍यादा calmness चाहिए होता है तो सर बस वो जो calmness चाहिये थी वो थी नहीं मेरे पास तो I was like कि ठीक है इससे ही बहुत कुछ सीखने मिलेगा मुझे इस game से तो उसी से बहुत ज्‍यादा लगाव हो गया game से।

प्रधानमंत्री : अभी मैं दूरदर्शन पे एक कार्यक्रम देख रहा था। उसमें मैं आपको माताजी-पिताजी को सुन रहा था और वो संस्‍कारधाम में आपने इसका प्रारंभ किया था। इसका पूरा वर्णन कर रहीं थीं। और वहां का बड़ा गर्व कर कि वहीं जाकर के वो आपको याद कर रहीं थीं। अच्‍छा स्‍कूल से ओलंपिक तक बहुत सारे युवा आपकी इस जर्नी के बारे में जानना चाहेंगे। देखिये मैं मणिनगर का एमएलए था और आप मणिनगर में रहते हैं और जब मैंने खोखरा में मेरे असेम्‍बली सेग्‍मेंट में सबसे पहले स्‍पोर्टस अकेदमी शुरू की थी तो आप लोग खेलने आते थे। तब तो तब बच्‍ची थी और आज मुझे तुम्‍हें देखने के बाद बड़ा गर्व होता है। तो बताइये कुछ अपनी बात।

एलावेनिल : सर मेरी शूटिंग की प्रोफेशनल जर्नी संसकारधाम से ही शुरू हुई थी। जब मैं 10th standard में थी तो mom-dad का ही call था कि ठीक है आप स्‍पोर्टस ट्राई करके देख लीजिए अगर आपको इतना interest है तो आप कर लीजिए के उन्‍होंने बोला था तो स्‍पोर्टस अथॉरिटी ऑफ गुजरात और गन फॉर ग्‍लोरी शूटिंग अकेदमी से जो हैं MOU sign हुआ था सर तो संस्‍कारधाम ने उन्‍होंने District Level Sports को स्‍टार्ट किया था। तो पढ़ाई भी उधर ही होती थी। पूरा दिन हमारा ट्रेनिंग भी उधर ही होता था सर। तो सर वो जर्नी काफी अच्‍छी रही है क्‍योंकि वहीं से मैंने स्‍टार्ट किया और अब जब मैं मेरे फर्स्‍ट ओलंपिक के लिये जा रही हूँ सर तो बहुत proud feel होता है सर कि इतना लोगों की मद्द, इतने लोगों ने मेरे लिये इतना support किया और हमेशा guide किया है सर तो काफी अच्‍छा लगता है सर।

प्रधानमंत्री : एलावेनिल, अभी आप ग्रैजुएशन कर रही हैं। शूटिंग करियर और एकैडमिक्स को आप कैसे बैलेंस करती हैं?

एलावेनिल : सर मैं तो इसके लिये मेरी Gujarat University जो है और हमारे कॉलेज भवन राज कॉलेज जो है को thanks कहना चाहूंगी क्‍योंकि सर एक भी टाईम ऐसा नहीं था कि जब उन्‍होंने मुझसे बोल दिया हो कि नहीं आपको compulsory आ के ही ये चीज करनी पड़ेगी। उन्‍होंने मुझे इतनी छूट दी थी मेरे लिये एक्‍जामस भी वो लोग स्‍पेशल अरेंज करवा देते थे। मेरे लिये मेरे सेमिनार्स अलग से रखवा देते थे सर तो काफी सपोर्ट किया है सर मेरे जर्नी में काफी सपोर्ट किया है और मेरे स्‍कूल ने भी काफी सपोर्ट किया है सर।

प्रधानमंत्री : एलावेनिल आपकी जनरेशन एम्बिशस भी है और मैच्योर भी है। आपने इतनी कम उम्र में विश्व स्तर पर सफलता प्राप्त की है। ऐसे में देश को उम्मीद है कि खेल के सबसे बड़े मंच पर भी आप इस यात्रा को जारी रखेंगी। मेरी आपको बहुत शुभकामनाएंहैं और आपके माताजी-पिताजी को भी मेरा प्रणाम है, वणक्कम।

प्रधानमंत्री : आइए हम सौरभ चौधरी से बात करते हैं, सौरभ जी नमस्‍ते!

प्रधानमंत्री :आपने इतनी कम उम्र में ही ओलम्पिक के लिए qualify कर लिया है। कैसे और कब आपका ये मिशन शुरू हुआ?

सौरभ : सर 2015 में मैंने शूटिंग अपना स्‍टार्ट किया था। हमारे पास के गांव में ही एक शूटिंग अकेदमी है, वहां पर मैंने स्‍टार्ट किया। मेरी फैमिली ने भी काफी सपोर्ट किया मुझे। उन्‍होंने खुद ही कहा कि जब तुझे इतना पसंद है तो ट्राई करना चाहिये। तो वहां पर गया और मैंने ट्राई किया। फिर वहां पर मुझे अच्‍छा लगने लगा, धीरे-धीरे करता गया और जैसे जैसे धीरे धीरे करते गये वैसे ही रिजल्‍ट अच्‍छा आता गया और रिजल्‍ट अच्‍छे आते गए, भारत सरकार हमारी मद्द करती गई तो आज हम यहां पर हैं सर।

प्रधानमंत्री : देखिये, आपके परिवारजन भी बड़े गर्व के साथ आज मुझे दर्शन हो रहे हैं उनके भी कि भाई देखिये सौरभ क्‍या कमाल करेगा, सब उनकी आंखों में बड़े-बड़े सपने दिखाई दे रहे हैं। देखिये सौरभ मेहनत के साथ साथ शूटिंग में मानसिक एकाग्रता की भी बहुत जरूरत होती है। इसके लिए आप योग वगैरह करते हैं या कुछ और तरीका आपका है जो मुझे भी जानने में खुशी होगी और देश के नौजवानों को भी जानने में खुशी होगी?

सौरभ : सर meditation करते हैं, अपना योगा करते हैं। सर शांत रहने के लिये ये तो हमें आपसे जानना चाहिये कि आप कितने बड़े मतलब पूरे हिन्‍दुस्‍तान को सम्‍भाल रहे हो तो आप उसके लिये क्‍या करते हो?

प्रधानमंत्री : अच्छा सौरभ, ये बताइये, आपके दोस्त, साथी आपके पास आते हैं, कि आपके साथ सेल्फी क्लिक करनी है, तो आपको क्‍या लगता है?पहले तो नहीं करते होंगे?

सौरभ : नहीं, जब मैं घर पर जाता हूं तो मेरे गांव में पड़ोस में मेरे जो दोस्‍त हैं वो आते हैं, सेल्‍फी लेते हैं। मेरी जो पिस्‍टल है उसके साथ सेल्‍फी लेते हैं। काफी अच्‍छा लगता है।

प्रधानमंत्री : सौरभ आपकी बातों से लग रहा है कि आप बहुत ही focused दिखाई देते हैं जो आप जैसे युवा के लिए बहुत अच्छी बात है। शूटिंग में भी इसी फोकस औऱ स्थिरता की ज़रूरत है। आपको तो अभी बहुत लंबी यात्रा करनी है, देश के लिए कई मुकाम हासिल करने हैं। हम सभी को विश्वास है कि आप ओलम्पिक में बहुत अच्छा प्रदर्शन करेंगे, और भविष्य में भी बहुत आगे जाएंगे। आपको और आपके परिवारजनों को मेरा प्रणाम।

प्रधानमंत्री : आइए हम शरत कमल जी से बात करते हैं, शरत जी नमस्‍ते!

शरत : नमस्‍ते सर!

प्रधानमंत्री : शरत जी, आपने 3 ओलम्पिक्स में भाग लिया है। आप तो बड़े जाने माने खिलाड़ी हैं। आप उन युवा खिलाड़ियों को क्या सुझाव देंगे जो पहली बार ओलम्पिक में देश का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं?

शरत : इस बार जो ओलंपिक वाली है, ये काफी एक नया situation में हो रही है बल्‍कि ये कोविड-19 में हो रही है। तो पिछले 3 जो ओलंपिक था, ऐसा अनुभव कुछ भी नहीं था जहां हमारा concentration पूरी स्‍पोर्टस हटके जो हमारी सेफ्टी के लिये है, जो प्रोटोकॉलस मेंटेन करना है, उस पर ध्‍यान चले। मगर इस बार स्‍पोर्टस के अलावा हमें बाकी उसमें में ध्‍यान देना होगा। मैं यही बोलूंगा कि जो नए जा रहे हैं पहले ओलंपिकस में वहां जाने से पहले मतलब स्‍पोर्टस बहुत important but at the same time अगर हम प्रोटोकॉलस और ये सब सही मेंटेन नहीं करेंगे तो हम game से ही बाहर हो सकते हैं। We have to maintain the protocols और जैसे ही हम ओलंपिकस चले जाते हैं तो हमारा पूरा ध्‍यान हमारे स्‍पोर्ट में ही होना चाहिये। जब तक हम जाएंगे ठीक है कोशिश करेंगे कि स्‍पोर्ट में भी रखते हैं और प्रोटोकॉलस में भी रखते हैं मगर जैसे ही वहां पर चले गए हम complete focus on अपना स्‍पोर्टस के लिये।

प्रधानमंत्री : सौरभ जी आपने जब खेलना शुरु किया था तब और अब, आपको लगता है कि टेबल टेनिस को लेकर कुछ बदलाव आए हैं? स्पोर्ट्स से जुड़े सरकारी डिपार्टमेंट्स की अप्रोच में आपने कुछ बदलाव महसूस किया है?

शरत : बहुत कुछ, बहुत सारे फर्क हुए हैं। जैसे 2006 में जब मैं पहली बार commonwealths में gold medal जीता था और अब की बार 2018 में जब हम सब मिलकर gold medal जीते थे। 2006 में और 2018 में बहुत फर्क थी। Main thing यही था कि sports एक professional fieldबना था। 2006 में जब मैं जीता था तब स्‍पोर्टस में उतना professionalism नहीं थी। मतलब पढ़ाई ज्‍यादा important थी, स्‍पोर्टस एक sideline थी। मगर अभी ऐसा नहीं है, बहुत importance दे रहें हैं, पूरा government is giving lot of important, private organisations भी बहुत सारा importance दे रही हैं and at the same time जो opportunities अभी हैं एक कैरियर बनाने में, एक professionalबनने में स्‍पोर्टस के, वो अभी बहुत ज्‍यादा है और बहुत सारे बच्‍चे और बहुत सारे पै‍रेंट्स को भी वो एक थोड़ा बहुत गैरंटी मिलती है। गैरंटी से ज्‍यादा एक confidence मिलती है कि मेरा बच्‍चा अगर स्‍पोर्टस में भी आएगा तो वो सम्‍भाल सकता है अपना जिन्‍दगी। तो I think ये mind set बहुत अच्‍दी change है।

प्रधानमंत्री : शरत जी, आपके पास सिर्फ टेबल टेनिस ही नहीं बल्कि बड़े इवेन्ट्स का बहुत विशाल अनुभव है। मुझे लगता है कि ये अनुभव आपके काम तो आएगा ही, साथ ही टोक्यो ओलम्पिक में भाग ले रही देश की पूरी टीम के काम आने वाला है। आप एक बड़े की भूमिका में, इस बार एक प्रकार से पूरी टीम को एक विशेष भूमिका भी आपके सामने आई है और मुझे विश्वास है कि खुद के खेल के साथ साथ उस पूरी टीम को सम्‍भालने में भी आपका बहुत बड़ा योगदान रहेगा और आप उसे बखूबी निभाएंगे, मुझे पूरा भरोसा है। मेरी आपको बहुत शुभकामनाएं और आपकी टीम को भी।

प्रधानमंत्री : आइए मनिका बत्रा जी से बात करते हैं, मनिका जी नमस्‍ते!

मनिका : नमस्‍ते सर!

प्रधानमंत्री : मनिका, मुझे बताया गया है कि आप टेबल टेनिस खेलने के साथ ही गरीब बच्चों को ये खेल सिखाती भी हैं। उनकी मदद भी करती हैं। आप खुद ही युवा हैं, आपको ये विचार कैसे आया?

मनिका : सर जब मैं पहली बार यहां पूणे में खेलती हूं तो वहां आई थी तो मैंने देखा जो unprivileged और orphans थे बहुत अच्‍छा खेल रहे थेऔर यहां के जो सेंटर में उनको जो सिखाते हैं। तो बहुत अलग था मेरे लिये तो मुझे ऐसा लगा कि इनको जो चीजें नहीं मिली या जो पहले नहीं कर पाये तो मुझे इनको हेल्‍प करनी चाहिये कि ये भी मेरे को follow करके अच्‍छे प्‍लेयर बन सकें। तो I think वो चीज मुझे जैसे वो बच्‍चे खेलते हैं मुझे उनको देख कर motivation मिलता है कि इतनी सी छोटी सी उम्र में और मतलब पहले किसी का साथ नहीं है और इस कम उम्र में इतना अच्‍छा खेल रहे हैं तो बहुत motivation मिलता है उनको देख कर।

प्रधानमंत्री : मनिका, मैंने देखा है कि आप अपने मैच में कभी कभी अपने हाथ पर तिरंगा पेंट करती हैं। इसके पीछे की सोच, अपनी प्रेरणा के बारे में बताइये।

मनिका : लड़की होने के तौर पर मुझे ये सब चीजें पसंद हैं पर India का flag अपने पास रखना कहीं पर और स्‍पेशियली जब मैं सर्विस करती हूं खेलते हुए तो मेरा लेफ्ट हैंड मुझे दिखता है और वो Indian flag दिखता है तो वो चीज मुझे inspire करती है इसलिये मेरा जब भी मैं कुछ इंडिया के लिये खेलने जाती हूं, country के लिये खेलने जाती हूं तो मेरा एक चीज रखती हूं कि कुछ ना कुछ flagया कुछ इंडिया का मेरे पास दिल से जुड़ा रहे।

प्रधानमंत्री : मनिका, मुझे बताया गया कि आपको डांसिंग का भी बहुत शौक है। क्या डांसिंग कै शौक आपके लिए स्ट्रेस बस्टर की तरह काम करता है?

मनिका : हां सर, क्‍योंकि जैसे किसी किसी का होता है म्‍यूजिक सुनना, डांस करना तो मेरा डांस करना स्‍ट्रेस ब्‍स्‍टर का काम करता है जब भी मैं टूर्नामेंट में जाती हूं या कुछ जब खाली टाईम होता है मैं रूम पे आती हूं नाचके या मैच खेल के तो मैं डास करके जाती हूं क्‍योकि मुझे अच्‍छा लगता है और confidence आता है।

प्रधानमंत्री : मैं ऐसे सवाल कर रहा हूं, तुम्‍हारे परिवारजन, तुम्‍हारे मित्रजन सब हंस रहे हैं।

प्रधानमंत्री : मनिका, आप अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चैम्पियन हैं। आप बच्चों को भी अपने खेल से जोड़ रही हैं। आपकी सफलता सिर्फ उन्हीं बच्चों के लिये नहीं बल्कि देश के सभी टेबल टेनिस युवा खिलाड़ियों को प्रेरित करेगी। मेरी आपको बहुत शुभकामनाएं हैं, आपके सभी साथियों को सब बड़े उत्‍साह से आज के इस कार्यक्रम में हिस्‍सा ले रहे हैं। आपके परिवारजन सब देख रहे हैं। आपको मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं। बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

प्रधानमंत्री : आइए अब हम विनेश फोगाट जी से मिलते हैं, विनेश नमस्‍ते।

विनेश : सर नमस्‍ते!

प्रधानमंत्री : विनेश, आप फोगाट फ़ैमिली से हैं। आपके पूरे परिवार ने खेलों के लिए इतना कुछ देश को दिया है। इस पहचान की वजह से थोड़ा एक्सट्रा प्रेशर, थोड़ी ज्यादा ज़िम्मेदारी तो नहीं आ जाती है?

विनेश : सरजी जिम्‍म्‍दारी तो बिल्‍कुल आती है क्‍योंकि फैमिली ने काम स्‍टार्ट किया है वो खत्‍म करना है और वो जो सपना ओलंपिकस का ले के स्‍टार्ट किया था वो जब मेडल आएगा तो उसके बाद ही शायद खत्‍म होगा। तो उम्‍मीद तो है सर पूरे देश की उम्‍मीद हैं, फैमिली की भी उम्‍मीदें होती हैं। और मुझे लगता है कि उम्‍मीदें जरूरी हैं हमारे लिये क्‍योंकि जब उम्‍मीदें दिखती हैं तभी हम थोड़ा सा एक्‍स्‍ट्रा पुश करते हैं एक लेवल पर जाने के बाद में। तो अच्‍छा लगता है सर कोंई प्रेशर नहीं है, अच्‍छे से खेलेंगे और देश को proud करने का जरूर मौका देंगे।

प्रधानमंत्री : देखिये पिछले बार आपको रिओ ओलंपिक में चोट की वजह से हटना पड़ा था, पिछले साल भी आप बीमार थीं। आपने इन सारी बाधाओं को पार कर शानदार प्रदर्शन किया है। इतने स्ट्रेस को सक्सेस में बदलना ये अपने आप में बहुत बड़ी बात है ये कैसे किया आपने?

विनेश : सर difficult होता है काफी पर वहीं है कि एथलीट होने के नाते हम एथलीट टॉप लेवल पर अगर हमें perform करना है तो हमें mentally strong रहना पड़ता है और एथलीट होने के नाते मैं सोचती हूं कि ये जरूरी हमें उसे लेवल पर ले जाने के लिये वो पुश करने के लिये इसलिये फैमिली का एक बहुत बड़ा रोल रहता है आपके पीछे। तो फैमिली का सपोर्ट रहता है हमेशा और जो भी हमारी फेडरेशन है, सभी लोग पूरी ईमानदारी के साथ लगे हुए रहते हैं। तो एक रहता है कि उन लोगों को निराश नहीं करना है जो लोग इतना सब हमारे लगा रहे हैं उम्‍मीदों के साथ में, तो ऐसे कहीं पर रूकना नही है। क्‍योंकि वो रूकना नही है इसीलिए वो हमें पुश कर रहे हैं। वो काफी चीज़ें हैं जो हमें उस टाईम पर याद आती हैं। तो हम उसके लिए लगे रहते हैं। चाहे इंजूरी हो। चाहे कोई भी चीज़ आये।

प्रधानमंत्री : मुझे तो पूरा यकीन है कि आप टोक्यो में बहुत शानदार प्रदर्शन करने वाली हैं। क्या हम उम्मीद करें कि अब आगे आप पर भी एक फिल्म आने वाली है?

विनेश : सर बस आप लोगों की दुआ है। और चाहेंगें की हम जितने भी एथलिट्स जा रहे हैं अपनी कंट्री को थोड़ा मौका दे। मेडल आ रहे हैं। और पूरा देश जो उम्‍मीदें लगाए बैठा है उन्‍हें हम निराश न करें।

प्रधानमंत्री: आपके माता-पिता भी जुड़े है। आपके माता-पिता गुरू भी हैं एक प्रकार से। जरा मैं पिताजी से बात जरूर करना चाहुँगा। विनेश के माता-पिता भी साथ में जुड़े हैं। नमस्कार!आपसे मेरा सवाल थोड़ा हटकर है। जब कोई फिट और तंदरुस्त होता है तो हमारे देश में कहते हैं- कौन सी चक्की का आटा खाते हो? तो फोगाट फॅमिली अपनी बेटियों को कौन सी चक्की का आटा खिलाती है? वैसे ये भी बताइये, विनेश को क्या मंत्र देकर टोक्यो भेज रहे हैं?

अभिभावक: देखिए जो चक्‍की के आटे की बात है अपने गांव की चक्‍की का आटा खाते हैं। और गाय-भैंस रखते हैं। उन गाय-भैंस का दुध, दही, घी, मक्‍खन। और विनेश के साथ जो 2016 में जो चोट लगी थी मैं सारे देश का शुक्रिया मानता हूँ। आज जो मेरी बेटी से आस-उम्‍मीद है। मैनें इनसे एक ही वादा किया था। अगर ऑलंपिक में गोल्‍ड मेडल लेकर आओगे तो मैं ऐयरपोर्ट पर लेने आऊँगा। नही लाये तो आऊँगा नही। और आज भी मैं लगा हूँ इस चीज़ पर। पिछली बार तो मेरी बेटी रह गई थी। लेकिन अबकी बार ऑंलपिक में मैं पूरे आश्‍वासन से कह सकता हूँ। आप इसके पुराने टुर्नामेन्‍ट देख लो। अबकी बार मुझे अपनी बेटी पर पूरा विश्‍वास भरोसा है। अबकी बार भी वो गोल्‍ड मेडल लेकर आयेगी। मेरा सपना पुरा करेगी।

प्रधानमंत्री : आपके पैरेंट्स की बातों से मुझे भरोसा हो गया है विनेश आप जरूर जीतेंगी। आप लड़ती हैं, गिरती हैं, जूझती हैं पर हार नहीं मानती हैं। आपने अपने परिवार से जो सीखा है, जरूर वो इस ओलम्पिक में देश के काम आयेगा। आपको बहुत बहुत शुभकामनायें।

प्रधानमंत्री : आइए साजन प्रकाश जी से बात करते हैं। साजन जी नमस्‍ते!

प्रधानमंत्री : आइए साजन प्रकाश जी से बात करते हैं। साजन जी नमस्‍ते, मुझे बताया गया है कि आपकी तो माताजी ने भी एथ्लेटिक्स में देश का गौरव बढ़ाया है। अपनी माताजी से आपने क्या क्या सीखा है?

साजन प्रकाश : Sir, My mother is my everything and she was a sports person in earlier days and she helped me to come over all the struggles and hurdles for the achievements sir.

प्रधानमंत्री जी : मुझे बताया गया कि आपको गहरी इंजरी भी हो गई थी। आप कैसे इससे उबरे?

साजन प्रकाश : First of all after the 18 months after the closure of a pool we had lots of struggles and with the injury we were out of the pool for so long and it was very frustrating and depressing but with the support of all the people and my coaches, Gauri Aunty and KeralaPolice, Swimming Petition of India everyone supported me through thick and thin I think that time helped me to come out mentally strong and overcome from this pain and injury sir.

प्रधानमंत्री : साजन आप ओलम्पिक में जाने से पहले ही भारतीय खेलों के सुनहरे इतिहास में जगह बना रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि आप अपने प्रदर्शन से इस उपलब्धि को और स्वर्णिम बनाएंगे।

प्रधानमंत्री : मनप्रीत, मुझे बताया गया कि कोरोना की पहली वेव के दौरान आप सभी साथी बैंगलुरू में एक साथ रहे, सबने मिलकर कोरोना का मुकाबला किया। इससे टीम स्पिरिट पर क्या असर पड़ा?

मनप्रीत : सर उस टाईम मैं ये कहना चाहुँगा कि Government का बहुत ज्‍यादा सपोर्ट रहा था। क्‍योंकि हम लोग यहां बैंगलोर में थे। उस टाईम हमें ये था कि कैसे हम अपनी टीम को स्‍ट्रोंग कर सकते हैं। उसके ऊपर काम किया। हम लोगो ने एकजुट होकर काम किया। हम प्‍लेयर्स ने एक-दूसरे के background के बारे में भी जाना कि कैसे प्‍लेयर्स ने अपना बैकग्रांउड कि कैसे उनकी फैमिली ने sacrifice किया अपने बेटो और बच्‍चों को यहां तक पहुँचाने के लिए। उन चीज़ों के बारे में जाना जिससे हमारी टीम बोंडिग और ज्‍यादा स्‍ट्रॉंग होगी। और सर, हमने यही माना था कि अभी हमारे पास अभी एक साल बाकी है तो हम लोग अपने आपको और कैसे बेहतर कर सकते हैं। तो हमने दुसरी टीम के बारे में स्‍टडी की कैसे उनका क्‍या plus point हैं क्‍या weak points है। कहां पर हम लोग उनको हर्ट कर सकते हैं। ये काफी हमारे लिए helpful रहेगी।

प्रधानमंत्री : ओलंपिक में हॉकी में हमारे देश का बहुत शानदार इतिहास रहा है। ऐसे में स्वाभाविक है, थोड़ी ज्यादा ज़िम्मेदारी लगने लगती होगी कि रेकॉर्ड बनाकर रखना है। और इसकी वजह से खेल के दौरान आप लोगो को कोई extra तनाव का माहौल तो नहीं होता है ?

मनप्रीत: नही सर, बिल्‍कुल नही। क्‍येांकि देखा जाए तो हॉकी में अभी तक 8 गोल्‍ड मेडल जीते हैं। सबसे ज्‍यादा मेडल जीते हैं। तो हम उस चीज़ को प्राउड फील करते हैं। कि हम लोग उसी स्‍पार्टस को खेल रहे हैं। और जब भी हम लोग olympics में जाते हैं। तो यही कोशिश करते है कि हम अपना बैस्‍ट दें। और इंडिया के लिए मेडल जीतें।

प्रधानमंत्री : चलिए आपके परिवारजन भी मुझे दिख रहे हैं। मैं उनको प्रणाम करता हूँ। उनके आर्शीवाद आपके साथ बने रहते हैं। और देशवासियों की शुभकामनाऐं आपके साथ है।

प्रधानमंत्री : मनप्रीत आपसे बात करते हुए मुझे मेजर ध्यानचंद, के डी सिंह बाबू, मोहम्मद शाहिद जैसे महान हाकी खिलाड़ियों की याद आ रही है। आप हॉकी के महान इतिहास को और उज्जवल करेंगे ऐसा मेरा और पूरे देश का विश्वास है।

प्रधानमंत्री : सानिया जी, आपने कई ग्रैंड स्लैम जीते हैं, बड़े-बड़े खिलाड़ियों के साथ आपने खेला है। आपको क्या लगता है कि टेनिस का चैंपियन बनने के लिए क्या खूबियां होनी चाहिए?क्‍योंकि आजकल मैनें देखा है कि टियर टू, टियर थ्री सिटी में भी आप लोग उनकी हीरो हैं और वो टैनिस सीखना चाहते हैं।

सानिया: जी सर, I Think टेनिस एक ऐसा global स्‍पोर्ट है। जिसमें जब मैनें स्‍टार्ट किया था 25 साल पहले तब ज्‍यादा लोग टेनिस खेलते नही थे। लेकिन आज जैसे आप कह रहे हैं बहुत सारे ऐसे बच्‍चे है जो टेनिस रेकेट उठाना चाहते हैं और जो प्रोफेशनल बनना चाहते हैं और जो बिलिव करते हैं कि वो टेनिस में एक बड़े खिलाड़ी बन सकते हैं। उसके लिए ज़ाहिर सी बात है कि आपको जरूरत होती है सपोर्ट, लगन और बहुत-बहुत सारी I think destiny भी एक रोल प्‍ले करती है इसमें लेकिन मेहनत और टेलेंट के बगैर कोई भी चीज़ में कुछ नही होता। चाहे वो टैनिस को या कोई भी स्‍पोर्ट हो। और अब फैसिलीटी भी बहुत अच्‍छे हो गए हैं। इससे 25 साल पहले से अब तक बहुत सारे अच्‍छे स्‍टेडियम बन गए हैं। हार्ड कोर्टस हैं। तो उम्‍मीद यही है कि बहुत सारे टैनिस प्‍लेयर्स निकलेगें इंडिया से।

प्रधानमंत्री: ओलंपिक में आपकी साथी अंकिता रैना के साथ आपकी पार्टनरशिप कैसी चल रही है? आप दोनों की तैयारी कैसी है?

सानिया: अंकिता एक यंग खिलाड़ी है। बहुत अच्‍छा खेल रही है। I am very excited to play with her and हम last year खेले थे फरवरी में। जो फेडकप के matches थे। और उसमें हमने काफी अच्‍छा प्रदर्शन किया था। लेकिन we are looking forward to going to Olympicsand जैसे ये मेरा चौथा Olympic है। उसका पहला Olympic है तो थोड़ा सा अभी मेरी उमर के साथ यंग पैरों की जरूरत है। तो I think कि वो प्रोवाईड कर सकती है।

प्रधानमंत्री: सानिया, आपने पहले भी स्पोर्ट्स के लिए सरकारी विभागों के कामकाज को देखा है।पिछले 5-6 साल में आपको क्या बदलाव महसूस हुआ?

सानिया: जैसे की मैनें कहा कि I Think 5-6 साल नही अब You know जब से हमारे पास commonwealth games हुआ है सर तब से I think जो हमारे कंट्री में से क्रिकेटर्स के अलावा बाकी बहुत सारे ऐसे स्‍पोर्टस पर्सन हैं जो देश के लिए नाम कमाते हैं और देश के लिए बहुत अच्‍छे मुकाम पर पहुँचाते हैं and I think वो बिलिफ धीरे-धीरे पाँच-छ: साल में बढ़ गया है। और आप तो government से हमें हमेशा ही सपोर्ट मिलता है। मैं आपसे जब पर्सनली भी मिली हूँ। आपने हमेशा मुझे यही कहा है कि आप हर चीज़ में साथ देगें। तो इसी तरह 5-6 साल में बहुत कुछ हुआ और last Olympics से अब Olympics तक काफी सारा फर्क है।

प्रधानमंत्री- सानिया आप चैंपियन भी हैं, फाइटर भी हैं। मुझे उम्मीद है कि आप इस ओलंपिक में ज्यादा बेहतरीन और सफल खिलाड़ी बनकर उभरेंगी। मेरी आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ हैं।

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।