Tamil Nadu’s Kongu region represents India’s growth story with its vibrant textile and industry hubs: PM Modi
In 2024, Tamil Nadu is set to create history as the epicenter of the politics of development in India: PM Modi
Annamalai’s dedication reflects our mantra of ‘Sabka Saath, Sabka Vikas & Sabka Vishvas’: PM Modi
‘Modi’s Guarantee’ ensures free grains, smoke-free households, and housing for rural families: PM Modi
BJP’s vision for a developed India contrasts with INDI Alliance’s family-centered politics: PM Modi

वणक्कम !
Coming to पल्लडम् and being with all of you is a great pleasure. This Kongu region of Tamil Nadu represents India’s growth story in many ways. It is one of India’s most vibrant textile and industry hubs. It also contributes to our country’s wind energy capacity. This region is also known for its spirit of enterprise. Our risk-taking entrepreneurs and MSMEs play a role in making us the fastest growing economy.

साथियों
आज जहां भी मेरी नजर पहुंच रही है, लोग ही लोग नजर आ रहे हैं। ऐसा लग रहा है, जैसे मानव केसरिया समंदर, इतना बड़ा विराट ये सम्मेलन आप सब इतनी बड़ी तादाद में हम सबको आशीर्वाद देने के लिए आए मैं आपका हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं। जो लोग दिल्ली के एयरकंडिशंड कमरों में बैठकर देश को टुकड़ों में देखने की कोशिश करते हैं, देश को टुकड़ों में बांटने की कोशिश करते हैं वो जरा आकर के देख लें, तमिलनाडु हिंदुस्तान का भाग्य बनाने वाला ये राज्य आज आपके आंखों के सामने है। जो राजनीति के समीकरण बनाते हैं वे लिख लें कि इस बार देश का भाग्य पक्का करने में तमिलनाडु सबसे आगे होगा। मैं तमिलनाडु का जितना आभार व्यक्त करूं, मेरे पास शब्द कम पर जाएंगे।

साथियों,
2024 में आज तमिलनाडु की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है। क्योंकि, तमिलनाडु देश में विकास की राजनीति का, नई राजनीति का सबसे नया वाइब्रेंट सेंटर बनने जा रहा है। 2024 में तमिलनाडु एक नया इतिहास रचने जा रहा है। जो ऐतिहासिक ‘एन् मण् एन् मक्कल’ पदयात्रा आज पूरी हुई है, वो इसका सबसे बड़ा सबूत है। मेरे तमिल भाइ-बहनों ने ‘एन् मण् एन् मक्कल’ यात्रा को जो समर्थन दिया है, वो अभूतपूर्व है।

साथियो,
‘एन् मण् एन् मक्कल’ यात्रा अपने नाम की वजह से भी बेहद खास रही है। हर भाजपा कार्यकर्ता के लिए इस मिट्टी का कण-कण ईश्वर के समान है। हर भाजपा Nation-First के संकल्प के साथ समाज की सेवा में जुटा है। मैंने भी देखा है, कैसे समाज के हर एक वर्ग ने इस यात्रा के दौरान बीजेपी के लिए अपना समर्थन, अपना आशीर्वाद दिया है। मैं विशेष रूप से अपने युवा और ऊर्जावान सहयोगी भाई अन्नामलाई जी को अनेक शुभकामनाएं देता हूं। उन्होंने इस यात्रा से सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास ये मंत्र घर-घर तक पहुंचाया है।

साथियों,
मेरे लिए तमिल भाषा और तमिल संस्कृति बहुत विशेष रही है। संयुक्त राष्ट्र, यूनए में मैंने जो तमिल कविता पढ़ी थी, उसके बारे में विदेशों तक में पूछा जाता है। मैंने मेरे संसदीय क्षेत्र काशी में ‘काशी तमिल संगमम्’ करवाया, उसे लेकर भी लोग सवाल पूछते हैं। मैंने इस देश की महान परंपरा का सम्मान करते हुए तमिलनाडु की महान परंपरा उसका सम्मान करते हुए पवित्र सेंगोल को देश की संसद में सबसे ऊंचे मंच पर स्थापित किया, इसे लेकर भी लोगों को इसके बारे में जानने की नई जिज्ञासा पैदा हुई है। तमिलनाडु से मेरा रिश्ता राजनीति का नहीं है, ये रिश्ता दिल का है, और दशकों पुराना है। मुझे तमिलनाडु की मिट्टी ने हमेशा असीम प्रेम दिया है। करीब 32 साल पहले, 1991 में मैंने जब एकता यात्रा निकाली थी, उसकी शुरुआत भी तमिलनाडु के कन्याकुमारी से हुई थी। और वो यात्रा दो मकसद लेकर के चली थी.. एक श्रीनगर के लालचौक में आतंकवादियों की गोलियों के बीच भी जाऊंगा और तिरंगा झंडा फहराकर के रहूंगा। और दूसरा संकल्प था आर्टिकल 370 हमेशा-हमेशा के लिए मिटा के रहूंगा। और इसलिए कन्याकुमारी से तमिलनाडु की मिट्टी को माथे पर चढ़ाकर निकला था और आज, आज वो दोनों काम लाल चौक में शान से तिरंगा फहरा रहा है, और आज आर्टिकल 370 इतिहास के पन्नों में बंद हो चुकी है। अब एन् मण् एन् मक्कल यात्रा तमिलनाडु को एक नए पथ पर ले जा रही है।

साथियों,
बीजेपी तमिलनाडु में भले ही कभी सत्ता में न रही हो, लेकिन, तमिलनाडु हमेशा बीजेपी के दिल में रहा है। ये बात आज हर तमिल भाई-बहन जानता है, हर तमिल भाई-बहन समझ रहा है। इसीलिए, जिन्होंने दशकों तक तमिलनाडु को लूटा, वो लोग बीजेपी की बढ़ती ताकत से घबराये हुये हैं। वो लोग झूठ बोलकर, जनता को आपस में बांटकर, लोगों को लड़वाकर अपनी कुर्सी बचाना चाहते हैं। लेकिन, तमिलनाडु के लोग दिल से जितने पवित्र होते हैं, उतने ही समझदार भी होते हैं। इनकी सच्चाई सामने आ चुकी है। इनकी पोल खुल चुकी है। इसलिए अब तमिलनाडु के लोग बीजेपी पर भरोसा जता रहे हैं। ये नजारा कह रहा है।

साथियों,
केंद्र में बीजेपी सरकार ने तमिलनाडु के विकास को हमेशा प्राथमिकता दी है। 2004 से 2014 के बीच तमिलनाडु को केंद्र सरकार से Tax Devolution की जितनी राशि मिली थी, बीजेपी सरकार ने उससे तीन गुना ज्यादा राशि तमिलनाडु को दी है। और तब दिल्ली में तमिलनाडु से डीएमके के लोग सरकार में बैठे थे मलाई खा रहे थे लेकिन तमिलनाडु का भला करने के लिए कुछ भी नहीं करते थे। पिछले 10 साल में बीजेपी सरकार ने तमिलनाडु को विकास के कार्यों के लिए पहले के मुकाबले कई गुना ज्यादा पैसे दिए हैं। और आप ये भी याद रखिए कि DMK और कांग्रेस लंबे समय से एक दूसरे के सहयोगी हैं।
2004 से 2014 तक डीएमके के लोग कांग्रेस की UPA सरकार के बड़े मंत्रालयों में बड़े-बड़े मंत्री बनकर बैठे थे थे। लेकिन इसके बाद भी इन लोगों ने तमिलनाडु के लोगों के विकास को प्राथमिकता नहीं दी।

साथियों,
मोदी जब काम करता है तो सबके लिए करता है और इसमें भी सबसे गरीब सबसे ऊपर रहते हैं। इसीलिए, आज भारत के हर गरीब के पास है- मोदियिन् गारंटी तमिलनाडु में मोदियिन् गारंटी का अर्थ है- साढ़े तीन करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज। मोदियिन् गारंटी का मतलब है- तमिलनाडु की 40 लाख से अधिक महिलाओं को धुएँ से आज़ादी, उनके लिए एलपीजी सिलेंडर! मोदियिन् गारंटी का मतलब है- तमिलनाडु के 6 लाख से अधिक ग्रामीण परिवारों के लिए पीएम आवास। और आज पूरा देश जानता है कि ये मोदियिन् गारंटी अब अगले कई सालों तक और चलने वाली है।

साथियों,
आज जब मैं तमिलनाडु आया हूं, तो आदरणीय MGR जी को भी याद कर रहा हूं। श्रीलंका की यात्रा के दौरान मुझे MGR की जन्मभूमि कैंडी जाने का अवसर मिला था। मैंने वहां के लोगों से उनकी बात की थी। आज मैं उनकी कर्मभूमि पर आया हूं। MGR ने परिवारवाद की परंपरा से हटकर सुशासन की महान परंपरा को स्थापित किया था। उन्होंने क्वालिटी एजुकेशन और हेल्थकेयर के लिए काम किया। और यही कारण था कि समाज के नौजवान और महिलाएं उनका इतना सम्मान करते हैं। यही कारण है कि आज भी समाज के गरीब तबके के लोग उन्हें अपना सबसे बड़ा नेता कहते हैं। MGR ने परिवार के आधार पर नहीं, बल्कि प्रतिभाओं के आधार पर लोगों को आगे बढ़ाया। लेकिन दुर्भाग्य से आज तमिलनाडु में DMK के कारण जो राजनीति हो रही है, वो MGR साहब के लिए अपमान जैसा है। अगर MGR के बाद कोई था, तो वो अम्मा जयललिता जी थीं...जिन्होंने तमिलनाडु के जनहित और जनकल्याण के लिए अपना पूरा जीवन दिया। अभी कुछ समय पहले उनकी जन्मजयंती थी। आज तमिलनाडु की इस भूमि से मैं उन्हें अपनी श्रद्धांजलि देता हूं। मेरा सौभाग्य है कि मैंने काफी समय तक जयललिता जी के साथ काम किया था। मैं जानता हूं कि वो किस तरह तमिलनाडु के लोगों के साथ दिल से जुड़ी हुई थीं। उन्होंने जीवन भर MGR के सिद्धांतों पर चलकर तमिलनाडु के लोगों के विकास और उनके हित के लिए काम किया। और यही कारण है कि आज भी तमिलनाडु के घर-घर में लोग उन्हें याद करते हैं।

साथियों,
मोदी जब देश के विकास की गारंटी लेता है, तो ये भी सुनिश्चित करता है कि तमिलनाडु भी उसी रफ्तार से आगे बढ़े। तमिलनाडु के लोगों ने हमेशा देश को सबसे ऊपर रखा है। इसीलिए, आज अगर देश में दो डिफेंस कॉरिडॉर बनते हैं, तो उनमें से एक तमिलनाडु में बनाया जाता है। आज देश जब टेक्सटाइल की फील्ड में संभावनाओं के लिए काम करता है, तो तमिलनाडु को उसका भरपूर फायदा मिलता है।

साथियों,
विपक्ष मैं बैठे हुए इंडी एलायंस के लोग और आज जो इंडी एलायंस के साथियों ने आज तमिलनाडु को जकड़ा हुआ है, वो कभी तमिलनाडु का विकास नहीं होने देंगे। आप पहले का समय याद करिए, जो काँग्रेस डिफेंस के सौदों में हजारों करोड़ रुपए की दलाली खाती थी, वो कांग्रेस क्या तमिलनाडु में डिफेंस कॉरिडॉर बनने देती? आज डिफेंस सेक्टर में देश जो कई गुना निर्यात कर रहा है, उससे युवाओं को जो रोजगार मिल रहा है, क्या कांग्रेस ये होने देती क्या? हमने टेक्सटाइल इंडस्ट्री के लिए PLI स्कीम शुरू की। उसका परिणाम है कि, 20 हजार करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव आए हैं। 2 लाख करोड़ के करीब टर्नओवर इससे होगा। इसके अलावा यहां विरुधुनगर में एक पीएम मित्र टेक्सटाइल पार्क भी बनाया जा रहा है। इससे आने वाले समय में लाखों नौकरियों के अवसर बनने वाले हैं। मुद्रा लोन के जरिए भी तमिलनाडु के उद्यमियों को 2 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा की फंडिंग दी गई है। आप मुझे बताइये, काँग्रेस सरकार में क्या ये मुमकिन हो सकता था? मोदी तमिलनाडु के विकास के लिए काम कर रहा है, और इसलिए इंडी एलायंस वाले पूरी गैंग मोदी से इतना परेशान हैं।

साथियों,
आज बीजेपी अपनी सरकार के तीसरे कार्यकाल में विकसित भारत के निर्माण की बात कह रही है। बीजेपी अपने तीसरे कार्यकाल में भारत को तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की बात कह रही है। लेकिन दूसरी तरफ केवल मोदी से नफरत के नाम पर एकजुट हुए इंडी गठबंधन के लोग अनाप शनाप बोलते रहते हैं! क्या आप ने इनके एक भी दल को विकास पर, अर्थव्यवस्था पर, इंडस्ट्री पर, शिक्षा पर, एग्रिकल्चर पर, लेबरर्स पर फिशरमैन पर बात करते सुना है क्या? इन्हें बस एक ही चिंता है कि कैसे इनके परिवार की दुकान चलती रहे! अपने परिवार को बढ़ावा देकर ये तमिलनाडु के हर युवा का विकास रोके हुए हैं।

साथियों,
इंडी गठबंधन के ये लोग केंद्र में तो अपनी हार मान चुके हैं। लेकिन इनकी कोशिश है कि कैसे तमिलनाडु जैसे राज्यों में लूटने का लाइसेन्स बना रहे। लेकिन, 2024 में जनता ने मन बना लिया है कि इनकी लूट की हर दुकान पर ताला डालना है। तमिलनाडु में ‘एन् मण् एन् मक्कळ्’ यात्रा ने इस ताले का इंतजाम कर दिया है। अब तमिलनाडु में भी भाजपा भ्रष्टाचार की राजनीति का अंत करने के लिए तैयार हो रही है। मैं, हमारे सभी कार्यकर्ताओं से कहना चाहूँगा, आपको जनता का आशीर्वाद लेकर पूरी ऊर्जा के साथ तमिलनाडु में सेवा करनी है। आपको तमिलनाडु के घर-घर तक बीजेपी के तीसरे कार्यकाल के संकल्प को पहुंचाना है। जो मैंने यहाँ कहा है, उसे आपको जन-जन तक लेकर जाना है। मैं फिर एक बार इस विशाल जनसमुदाय को और तमिलनाडु के ये उज्ज्वल भविष्य की गारंटी लेकर के आए हैं, ये तमिलनाडु के युवाओं के भाग्य को बदलने की गारंटी मैं देख रहा हूं। ये युवा तमिलनाडु के अधिकारों की रक्षा की गारंटी आज मैं देख रहा हूं। और मोदी आपकी गारंटी के लिए आपके साथ खड़ा है।

दोनों हाथ ऊपर करके मेरे साथ बोलिए... भारत माता की... जय.. भारत माता की... जय... भारत माता की... जय.. भारत माता की... जय.. भारत माता की... जय.. भारत माता की... जय..
वंदे...मातरम... वंदे...मातरम... वंदे...मातरम... वंदे...मातरम वंदे...मातरम... वंदे...मातरम... वंदे...मातरम...
बहुत बहुत धन्यवाद।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!