ಅವರಿಗೆ ಮಣಿಪುರ ಕೇವಲ ಭ್ರಷ್ಟಾಚಾರದ ಸ್ವರ್ಗವಾಗಿತ್ತು. ಕಾಂಗ್ರೆಸ್ ಮಣಿಪುರವನ್ನು ಅಭಿವೃದ್ಧಿಪಡಿಸಲಿಲ್ಲ, ಮಣಿಪುರವನ್ನು ಶಾಂತಿ ಮತ್ತು ಸಮೃದ್ಧಿಯಿಂದ ದೂರವಿಟ್ಟಿದೆ: ಮಣಿಪುರವನ್ನು ಮೊದಲು ಹೇಗೆ ನಡೆಸಿಕೊಳ್ಳಲಾಗಿತ್ತು ಎಂಬುದರ ಕುರಿತು ಪ್ರಧಾನಿ ಮೋದಿ
ಮಣಿಪುರದ ಅಭಿವೃದ್ಧಿ ಮತ್ತು ಮಣಿಪುರದ ಸಮತೋಲಿತ ಅಭಿವೃದ್ಧಿ ಬಿಜೆಪಿಯ ಆದ್ಯತೆ: ಪ್ರಧಾನಿ ಮೋದಿ
ನಿಮಗೆ ಪಕ್ಕಾ ಮನೆ ನೀಡಲು, ಗ್ಯಾಸ್ ಸಂಪರ್ಕ ನೀಡಲು, ನಿಮ್ಮ ಮನೆಗಳಿಗೆ ಉತ್ತಮ ರಸ್ತೆ ನೀಡಲು ನಮ್ಮ ಸರ್ಕಾರ ನಿರಂತರವಾಗಿ ಶ್ರಮಿಸುತ್ತಿದೆ: ಪ್ರಧಾನಿ ಮೋದಿ

नमस्कार।

अईगी नुंगसी जराबा मणिपुर गी, चिंग अमदी तम गी इचिल इनाऊ,पुम्न् मक्पू, खुरुमजरी। सबसे पहले मैं ईबुधऊ पा-खंगबाईबुधऊ थांकचिंग और भगवान गोपीनाथ को प्रणाम करता हूँ! मणिपुर की ये धरती रानी गाइदिन्ल्यूहाईपाऊ जादोनांगजैनरल थंगाल जैसे राष्ट्र-भक्तों की भूमि है। ये राजा भाग्यचंद्र और सेनानायक पउना ब्रजबासी जैसे वीरों की धरती है। मैं इन महान आत्माओं को नमन करता हूँ।

साथियों, 

मणिपुर की इस ऐतिहासिक धरती ने कल एक नया इतिहास रचा है। और जैसे मुख्यमंत्री जी बता रहे थे कि पहले ही राउंड में जनता ने आशीर्वाद दे दिया है। और कल पहले चरण के चुनाव में मणिपुर ने ये तय कर दिया है कि पूर्वोत्तर में अब विकास का सूरज ही उगेगा। जिन लोगों ने मणिपुर को इतने दशकों तक पीछे धकेला, मणिपुर को अस्थिरता दी, उन्हें अब यहां के लोग फिर मौका नहीं देंगे। अब अगले चरण में भी मणिपुर में बीजेपी की, उसके सहयोगियों की पूर्ण बहुमत की सरकार के लिए ही वोट पड़ने वाले हैं।

साथियों,

मणिपुर में पिछली सरकारों को लगता था कि यहाँ के लोगों के पास विकल्प ही क्या है? उनके लिए मणिपुर भ्रष्टाचार करने का एक ठिकाना भर था। कांग्रेस ने मणिपुर का विकास नहीं किया, मणिपुर को शांति और खुशहाली से दूर ही रखा।

कांग्रेस ने अलगाववाद को बढ़ाया, हिल और वैली के नाम पर लोगों को बांटने के षड्यंत्र रचे! इन लोगों से मणिपुर के लोगों को हमेशा सावधान रहना है।

साथियों,

हम सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, और सबका प्रयास की नीति पर चल रहे हैं। भाजपा सरकार ‘go to hills, go to village’ जैसे जोड़ने वाले अभियान चला रही है, जिसके कारण, इनके षड्यंत्र टूट रहे हैं। और जैसे-जैसे कांग्रेस की बांटो और राज करो की नीति ध्वस्त हो रही है, वैसे वैसे-वैसे ही काँग्रेस पार्टी भी ध्वस्त हो रही है।

भाइयों और बहनों,

भाजपा के लिए मणिपुर और पूर्वोत्तर हमारी राष्ट्रीय एकता और राष्ट्रीय आस्था का केंद्र हैं। मणिपुर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे स्वर्गीय मधुमंगल शर्मा, मेरे बहुत ही अच्छे मित्र रहे वो, सालों तक हमने साथ काम किया। मधुमंगल शर्मा जी ने इस धरती के लिए अपना बलिदान दिया। अटल जी ने प्रधानमंत्री बनने के बाद इस क्षेत्र के विकास के लिए अलग से मंत्रालय बनाया। लेकिन, 2004 में जब यूपीए की सरकार दिल्ली में आई, तो उन्होंने नॉर्थ ईस्ट के विकास पर ध्यान देना बंद कर दिया, अटल जी के बनाए मंत्रालय को निष्क्रिय बना दिया। कांग्रेस का फोकस मणिपुर का विकास नहीं मणिपुर को लूटने पर था। यहाँ तक कि, इनके नेताओं को मिस्टर 10 परसेंट बुलाया जाता था। ये लोग लूट में इतना मगन थे कि इनके पास मणिपुर के लोगों की तकलीफें, उनका दुख-दर्द समझने का समय ही नहीं था। 

भाइयों बहनों,

मणिपुर का विकास, मणिपुर का संतुलित विकास भाजपा की प्राथमिकता है। हमने एक ऐसी सरकार चलाई है जिसके दरवाजे हमेशा जनता के लिए खुले रहते हैं, जो सरकार खुद जनता के दरवाजे चलकर जाती है। अब सरकार की कैबिनेट मीटिंग्स भी हिल डिस्ट्रिक्ट्स में भी होती हैं। बीरेन सिंह जी, मणिपुर के लोगों के लिए सहज उपलब्ध रहते हैं। मीयाम्गी नुमित और ‘HILL LEADERS DAY’ जैसे गवर्नेंस मॉडल विकास का नया आधार बन रहे हैं। केंद्र सरकार के मंत्री भी अब ज्यादा से ज्यादा मणिपुर और पूर्वोत्तर आते हैं। और मैं खुद पूर्वोत्तर के विकास कार्यों की निरंतर समीक्षा करता हूं। एक्ट ईस्ट पॉलिसी पर चलते हुए हम मणिपुर के विकास को नई गति दे रहे हैं।

साथियों,

ये समय आत्मनिर्भर भारत और भारत के अमृतकाल का समय है। देश ये लक्ष्य तभी हासिल करेगा जब देश का हर राज्य एक साथ आगे बढ़े। ये दशक मणिपुर के विकास और प्रगति का दशक है, और मणिपुर इस दिशा में आज तेजी से आगे बढ़ रहा है। जिस मणिपुर को कभी यहाँ की सरकारों ने बम और ब्लॉकेड में जकड़कर रख दिया था, वही मणिपुर आज पूरे भारत के लिए एक्सपोर्ट और इंटरनेशनल ट्रेड का गेटवे बन रहा है। यूरोप और एशिया को जोड़ने वाला एशियन हाइवे प्रोजेक्ट मणिपुर से गुजर रहा है।

साथियों, 

जब नियत में निष्ठा होती है तो नतीजे भी आते हैं। मणिपुर को आजादी के बाद से पहली ट्रेन का इंतजार था। भाजपा शासन में ही ये इंतज़ार खत्म हुआ, और मणिपुर रेल लाइन से देश के बाकी हिस्सों से जुड़ा है। वन्गाई-चुन्पाओ - इम्फाल रेलवे लाइन भी निर्माणाधीन है। मणिपुर को दशकों से अच्छी कनेक्टिविटी का इंतज़ार था, आज मणिपुर में नए हाइवेज़ बन रहे हैं। आज नए मणिपुर की पहचान स्किल, स्टार्ट अप्स और स्पोर्टस से बढ़ रही है। स्टार्टअप इंडिया के साथ स्टार्टअप मणिपुर कदम से कदम मिलाकर चल रहा है। प्रदेश सरकार साढ़े पाँच हजार से ज्यादा स्टार्टअप्स को मदद दे रही है। आने वाले समय में हमारी सरकार 100 करोड़ रुपए का मणिपुर स्टार्टअप फंड भी स्थापित करेगी। मणिपुर में निवेश और उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए दो स्पेशल इकोनॉमिक जोन भी बनाए जाएंगे। इन अवसरों के लिए हमारे युवाओं को तैयार करने के लिए मणिपुर स्किल यूनिवर्सिटी की स्थापना भी की जाएगी। मणिपुर के लिए ये संकल्प भाजपा ने लिए हैं, और यहां के लोगों के साथ मिलकर भाजपा ही इन्हें पूरा करेगी। 

साथियों, 

हमारे मणिपुर ने देश को मैरी कॉम और मीराबाई चानू जैसे खिलाड़ी दिये हैं। यहाँ के युवाओं में खेलों की असाधारण क्षमता है। लेकिन, खेल सुविधाओं के लिए युवाओं को भटकना पड़ता था। मणिपुर में स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी की स्थापना का काम भी डबल इंजन सरकार ने ही किया है। हमें इसे इंटरनेशनल लेवेल का स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट बनाना है।

साथियों,

डबल इंजन सरकार से पहले मणिपुर को दशकों तक मूलभूत सुविधाओं के लिए इंतज़ार करना पड़ा। अब जाकर ये इंतज़ार खत्म हो रहा है। आपको पक्के घर देने के लिए, गैस कनेक्शन देने के लिए, आपके घर तक अच्छी सड़क पहुंचाने के लिए हमारी सरकार लगातार काम कर रही है। आज जल जीवन मिशन के तहत मणिपुर के घर घर पानी पहुँचाने का प्रयास किया जा रहा है। पांच सालों में पाइप कनेक्शन का कवरेज 10 गुना से ज्यादा हो गया है। आज बेहतर इलाज के लिए आयुष्मान योजना जैसी सुविधाएं आपके पास हैं। डबल इंजन सरकार अगले कार्यकाल में मणिपुर में एम्स की स्थापना भी करेगी। कोरोना के इस काल में हमारी सरकार मुफ्त राशन से लेकर मुफ्त वैक्सीन तक, सबकी व्यवस्था कर रही है।

साथियों,

मणिपुर हमेशा से भारत की एकता अखंडता का प्रतिनिधित्व करता रहा है। यहाँ के लोगों ने आजादी की लड़ाई में अपना बलिदान दिया था। लेकिन काँग्रेस ने मणिपुर के इस इतिहास को, इन बलिदानों को और नेताजी को कभी सच्चे मन से श्रद्धांजलि तक नहीं दी। मोइरांग का संग्रहालय बनाने में भी इन लोगों ने भ्रष्टाचार किया था। इनके इन पापों का हिसाब हमें वोट की ताकत से करना है। मणिपुर को रोकने के ये जो सपने देख रहे हैं, उन्हें जवाब देकर विकास की इस यात्रा को नई ताकत देनी है। डबल इंजन की सरकार के लिए मैं आपका निरंतर आशीर्वाद चाहता हूँ। 5 तारीख को आप बड़ी संख्या में मतदान करें, मणिपुर की शांति के लिए मतदान करें। मणिपुर के विकास के लिए मतदान करें। मणिपुर के भविष्य के लिए मतदान करें। यही अपेक्षा है। मैं मुख्यमंत्री जी का भी दिल से आभार व्यक्त करता हूं। आप सब भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को प्रथम चरण में जिस प्रकार से उन्होंने उत्साह के साथ लोगों को मतदान के लिए प्रेरित किया और एक प्रकार से विजय सुनिश्चित किया, इसके लिए मैं मणिपुर के भारतीय जनता पार्टी के हर छोटे-मोटे कार्यकर्ता को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं। मैं मणिपुर के नागरिकों को भी हृदय से अभिनंदन करता हूं कि उन्होंने मणिपुर के विकास को प्राथमिकता दी है, मणिपुर की शांति को प्राथमिकता दी है, मणिपुर के उज्ज्वल भविष्य के लिए प्राथमिकता दी है और इसलिए मणिपुर की जनता का भी हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं।                 

बहुत बहुत धन्यवाद !

 

 

 

 

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!