ಬಡವರ ಮಗನ ನೇತೃತ್ವದ ಈ ಸರ್ಕಾರ ಬಡವರ ಕಲ್ಯಾಣಕ್ಕೆ ಹೆಚ್ಚಿನ ಆದ್ಯತೆ ನೀಡಿದೆ: ಕಲ್ಯಾಣ್‌ನಲ್ಲಿ ಪ್ರಧಾನಿ ಮೋದಿ
ಸರ್ಕಾರ ರಚನೆಯಾದ ಮೊದಲ 100 ದಿನಗಳಲ್ಲಿ ಯಾವ ಕೆಲಸಗಳನ್ನು ಮಾಡಬೇಕು ಮತ್ತು ಯಾವ ನಿರ್ಧಾರಗಳನ್ನು ತೆಗೆದುಕೊಳ್ಳಬೇಕು ಎಂಬುದರ ಕುರಿತು ನಾವು ನಿರಂತರವಾಗಿ ಕೆಲಸ ಮಾಡಿದ್ದೇವೆ: ಪ್ರಧಾನಿ

छत्रपती शिवाजी महाराजांच्या या भूमीला माझा नमस्कार। मैं मां दुर्गा, जरी-मरी तिसाई माता और अंबरनाथ महादेव को आदरपूर्वक प्रणाम करता हूं। मैं पूज्य बाला साहेब ठाकरे और धर्मवीर श्री आनंद दिघे जी को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

साथियों,

मैं कल्याण की धरती पर राष्ट्र कल्याण के लिए आपका आशीर्वाद मांगने आया हूं। राष्ट्र का कल्याण, गरीब का कल्याण मैं गर्व के साथ कह सकता हूं कि आज राजनीतिक माहौल में ये मुख्य कसौटी का केंद्र बना है। देश पहली बार 25 करोड़ मेरे गरीब भाई-बहनों को गरीबी से बाहर निकलते देख रहा है। पहली बार, हर गरीब के लिए पक्के मकान बनाने का पुरजोर काम चल रहा है। पहली बार, हर घर को नल से जल मिले ये अभियान सफलता की नई ऊंचाइयों को छू रहा है। पहली बार गरीब के पास बीमारी में मुफ्त इलाज के लिए गारंटी कार्ड है और गरीब के बेटे की इस सरकार ने गरीब को सबसे बड़ी प्राथमिकता दी है। (साथियों, मुझे इसके बाद मुंबई के एक कार्यक्रम में पहुंचना है, माननीय मुख्यमंत्री जी भी वहां रहना चाहते हैं और इसलिए उनको बीच में से निकलना होगा ताकि वो वहां पहुंच पायें तो मैं शिंदे जी को प्रार्थना करता हूं आप निकलिए, मैं यहां संभाल लूंगा।)

साथियों,

आज पहली बार भारत में हम एक नया आत्मविश्वास देख रहे हैं, भारत आज छत्रपति शिवाजी महाराज की प्रेरणा से बुलंद हौसले के साथ बड़े लक्ष्य तय कर रहा है। सरकार बनने के बाद पहले 100 दिन में क्या काम करना है, कौन से फैसले लेने हैं, इसपर लगातार काम किया है, ऐसा नहीं कि अब सरकार बन गई तो चलो मालायें पहनते घूमते फिरेंगे, आज जितनी मेहनत करता हूं उतनी ही मेहनत 4 जून के बाद भी जारी रहेगी और इसलिए 100 दिन में क्या करना है इसका ब्लूप्रिंट रेडी करके हम आगे बढ़ रहे हैं? और मुझे कुछ लोग कहते हैं कि मोदी जी इतना आत्मविश्वास मुद्दा मोदी के आत्मविश्वास का नहीं है, मुद्दा जनता- जनार्दन का अरस- परस विश्वास का है लेकिन मैं जब कल काशी में था और बहुत सारे नौजवानों को इस समय चुनाव अभियान में मेरा मिलना हुआ, मैं देख रहा हूं कि देश का नौजवान उसके पास एक नई कल्पकता है, नए आइडियाज हैं, हर चीज को नए तरीके से करने का उसका तजुर्बा है और इन दिनों जो मेरी उनसे बातचीत हुई है तो मैं बहुत प्रभावित हुआ हूं अब मैं कोई लाखों नौजवानों के साथ तो बातचीत करना संभव नहीं हुआ मेरे लिए लेकिन मैं देश के युवाओं को एक पर्सनल रिक्वेस्ट भी करना चाहता हूं, आग्रह भी करना चाहता हूं क्योंकि इन दिनों जो मैं नौजवानों को मिला हूं उन्होंने मुझे बहुत अच्छे सुझाव दिए हैं तो मेरा मन करता है कि जो मेरा 100 दिन का विजन है इसको मैं 125 दिन का पीरियड तय करूं और जो 25 दिन नए मैं जोड़ रहा हूं मैं चाहता हूं कि मेरे देश के नौजवान उनके मन में जो ख्याल आयें वो मुझे भेज दें मैं उसमें से छांट करके ये 25 दिन बढ़ाकर के मैं उसमें उसको शामिल करना चाहता हूं। क्योंकि मैं मानता हूं कि देश अब जिस तेजी से आगे बढ़ रहा है हर पल नया विश्वास, नये सपने, नये संकल्प और इसलिए मुझे पक्का विश्वास है कि देश के नौजवान मुझे वो सुझाव देंगे जो नॉर्मली हम लोगों की सोच में नहीं होते हैं उसमें नयापन हो, भविष्य के लिए नई बातें हों और मैं चाहता हूं कि मैं इन युवाओं को लेकर के उनके विचारों के लिए 100 के दिन का मेरा टाइम टेबल तो है ही है अतिरिक्त 25 दिन का टाइम टेबल उस दिशा में मैं सोच रहा हूं मतलब कि करीब चार महीने मैं बहुत तेजी से ऐसा फाउंडेशन तैयार करना चाहता हूं, जिसके कारण मेरा 2047 का जो लक्ष्य है ना वो और निकट आने लगे और इसलिए मोदी का तो मंत्र है आपके सपने- ये मोदी का संकल्प है और आपके सपनों को जिसे मैंने संकल्प बनाया है, उसको सिद्ध करने के लिए मेरा पल- पल आपके नाम, मेरा पल- पल देश के नाम और इसलिए मैं कहता हूं 24/7 फोर 2047।

साथियों,

आप मुझे बताइये आज भारत जिस ऊंचाई पर पहुंचा है 10 साल में दुनिया में, देश में, देश के हर कोने में, हर क्षेत्र में जो नई ऊर्जा, नया उमंग, नया विश्वास और नई गति आई है आप मुझे बताइये जो अभी हम पहुंचे हैं वहां से आगे देश को कौन ले जा सकता है? कौन ले जा सकता है? कौन ले जा सकता है? दोनों हाथ ऊपर करके पूरी ताकत से बताइये, कौन ले जा सकता है? कौन ले जा सकता है?

साथियों,

वो लोग जिन्होंने पीढ़ियों तक गरीबी हटाओ का झूठा नारा दिया और हर चुनाव में अफीम की गोली की माला बनाकर के ले आते थे, हर चुनाव में और आपने देखा होगा कि नेहरू जी के जमाने से लेकर के 2014 के चुनाव तक हर चुनाव में आपने देखा होगा वो गरीबी का जो अफीम के रूप उपयोग करते थे, उसकी माला जपते थे, गरीब.. गरीब.. गरीब.. गरीब.. गरीब.. गरीब.. गरीब.. गरीब.. गरीब.. गरीब.. गरीब.. गरीब.. गरीब.. गरीब.. गरीब.. गरीब.. गरीब.. गरीब.. गरीब.. गरीब.. गरीब.. गरीब.. यही इनका खेल चलता था वो लोग जिन्होंने भ्रष्टाचार को शिष्टाचार बना रखा था, शिवाजी की धरती पर से मैं आपसे पूछना चाहता हूं क्या ऐसे लोग देश का नेतृत्व कर सकते हैं? देश को आगे ले जा सकते हैं? आपके सपने पूरे कर सकते हैं? आपके बच्चों का भविष्य निश्चित कर सकते हैं?

साथियों,

मुझे खुशी है कि पिछली सरकार में यानी रिमोट वाली जो सरकार चलती थी ना मैं उसकी बात कर रहा हूं पिछली सरकार में विकास पर जो ब्रेक लगा था, मोदी ने आकर ब्रेक तो हटाया मैं गाड़ी को टॉप गियर में ले गया हूं। भिवंडी-कल्याण समृद्धि महामार्ग से जुड़ चुका है। दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे भी बहुत जल्द पूरा होने वाला है। वडोदरा- मुंबई द्रुतगति मार्ग का लाभ भी भिवंडी को मिलेगा। वंदे भारत ट्रेनों ने रेलवे के सफर के मायने बदल दिये हैं। मेट्रो का काम यहां बहुत जल्द शुरू होने वाला है। इन विकास कार्यों से यहां का हमारा कपड़ा उद्योग उसको भी गति मिलेगी, नई औद्योगिक संभावनाएं पैदा होगी, रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे इसलिए ही यहां हर तरफ पुकार है, हर तरफ विश्वास है, हर तरफ उमंग है और एक ही बात है- फिर एक बार.. फिर एक बार.. फिर एक बार.. फिर एक बार।

साथियों,

कांग्रेस कभी भी विकास की बात नहीं कर सकती। कांग्रेस केवल हिन्दू- मुसलमान करना जानती है। इनके लिए विकास का मतलब है- सिर्फ उन लोगों का विकास, जो उन्हें वोट देते हैं। कांग्रेस किस कदर हिन्दू- मुसलमान, हिन्दू- मुसलमान करती रहती है और मैं लगातार इसको एक्सपोज करता हूं और जब मैं इनकी ये सारी बेईमानी बाहर लाता हूं तो इनका जो इकोसिस्टम है वो चिल्लाने लगता है बोले मोदी हिंदू- मुसलमान लाया है अरे मोदी तो हिंदू-मुसलमान के नाम पर देश को तोड़ने वाले लोग हैं ना उनका कच्चा चिट्ठा खोल रहा है। मैं इसका एक उदाहरण देना चाहता हूं और ये उदाहरण इतिहास में दर्ज है। मैं कांग्रेस को चुनौती देता हूं, अगर हिम्मत है कांग्रेस में तो मेरी इस बात का देश को जरा जवाब दें, नहीं देंगे वो इनकी तो हालत ऐसी है मुझे बताइये आपके घर में आपको कभी आपके माता-पिता अगर दादा उन सबको देखा हो उनको याद करने के लिए क्या आपको एल्बम खोलना पड़ता है क्या? अपने माता-पिता को याद करो एल्बम खोलो तब याद आते हैं क्या, इनकी तो हालत ये है कि अपने माता-पिता को याद करने के लिए एल्बम खोलकर याद करना पड़ता है, ये है, ये जिनकी स्थिति है जी..

भाइयों- बहनों,

कांग्रेस अपनी सरकार के समय खुलेआम कहती थी कि देश के संसाधनों पर पहला अधिकार मुसलमानों का है और ये मनमोहन सिंह जी ने कहा और उस मीटिंग में मैं मौजूद था और मैंने इसका विरोध किया था अब मुझे बताइये कि ये कहते थे कि नहीं कहते थे? कहते थे कि नहीं कहते थे? अब कांग्रेस वाले कितने ही चू-चू करते रहे सब अवेलेबल है। हालत ये थी कि कांग्रेस और उसके साथी दलों ने क्या किया जो डेवलेपमेंट का बजट होता है उस बजट में भी दरार कर दी भाई, उसमें भी बंटवारा करने के लिए सोच रहे हैं और उन्होंने कहा अब बजट होगा हिंदू बजट- मुस्लिम बजट। ये इन्होंने सोचा था, क्या ये मेरा देश ऐसे चलेगा क्या? और कांग्रेस चाहती थी कि 15 परसेंट बजट मुसलमानों के लिए अलग से आवंटित हो जाये। भाइयों- बहनों, आप सबसे मैं ये पूछना चाहता हूं अब उनको धर्म के नाम पर देश बनाना था बना दिया, कांग्रेस की मजबूरी थी दे दिया, अब आप कहोगे कि हिंदू बजट, मुस्लिम बजट क्या ये देश का भला करेगा क्या? जरा हाथ ऊपर करके पूरी ताकत से बताओ कि मेरी बात समझते हो, क्या इस देश का बजट हिंदू बजट, मुस्लिम बजट ऐसा हो सकता है क्या? हिंदू के लिए इतना, मुसलमान के लिए इतना हो सकता है क्या? ये पाप कांग्रेस पार्टी कर रही थी और मुझे याद है तब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था मैंने इसका सबसे पहले विरोध किया था। कांग्रेस और इंडी अलायंस अगर सत्ता में आये तो ये ही करने वाले हैं, क्या हमें देश को एक रखना है कि नहीं है? हर हिंदुस्तानी एक है ये जरूरी है कि नहीं है? क्या हिंदुस्तानियों को बांटना अच्छी चीज है क्या? मैं आपसे फिर एक बार पूछता हूं क्या ऐसे लोगों को सिर्फ यहां नहीं पूरे महाराष्ट्र में एक भी सीट जीतने देनी चाहिए क्या? एक भी पोलिंग बूथ में उनका नंबर लगना चाहिए क्या? और मैं महाराष्ट्र के लोगों को बधाई देता हूं पहले चार चरण में उन्होंने ये इंडी अघाड़ी को चारों कोने चित कर दिया है।

साथियों,

आज भी इंडी अघाड़ी और कांग्रेस के शहजादे तुष्टीकरण का वही पुराना खेल खेल रहे हैं। इन लोगों की नजर अब SC, ST, OBC के आरक्षण पर है और उन्होंने प्रयोग शुरू कर दिया है। कर्नाटक ये उनकी लेबोरेटरी बनाई है। कर्नाटक में उन्होंने क्या किया, सरकार में आने के बाद रातों- रात कर्नाटक में जितने मुसलमान थे, रातों- रात एक हुक्म निकाला कि सारे मुसलमान ओबीसी है, रातों- रात सब मुसलमान को ओबीसी बना दिया और ओबीसी का आरक्षण का जो कोटा था उसकी बहुत बड़ी लूट उन्होंने उनको दे दी, टुकड़े कर दिए और आरक्षण की यही लूट कांग्रेस पार्टी पूरे देश में करना चाहती है। आप मुझे बताइये ये एससी, एसटी, ओबीसी का आरक्षण के टुकड़े करके वो किसको देंगे? किसको देंगे? वही खेल करेंगे कि मुसलमान वोट देता है, मुसलमान को दो, जिनसे ये वोट जिहाद करवाने की बात कर रहे हैं, आप मुझे बताइये आपने महाराष्ट्र में इंडी अघाड़ी में एक भी व्यक्ति ने, एक भी नेता ने, इसका विरोध करते किसी को सुना है क्या? चुप बैठ गए और मोदी सब जगह पर बोलता है तो कहते हैं मोदी हिंदू- मुसलमान कर रहा है, मोदी हिंदू- मुसलमान नहीं कर रहा है मोदी उनके हिंदू- मुसलमान का जो खेल है देश की जनता के सामने उसको खुला कर रहा है और मुझे बताइये एक कर्तव्य मुझे करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए? क्या मुझे चुप रहना चाहिए क्या? क्या मेरी छवि के लिए मुझे देश को तोड़ने देना चाहिए क्या? मेरे लिए मेरी छवि से ज्यादा मेरे हिंदुस्तान की एकता मेरे लिए प्राथमिकता है। भाइयों- बहनों, कदम- कदम पर देश को बांटने की सोचने वाले क्या आपके वोट के हकदार हैं क्या? आपके वोट के हकदार हैं क्या?

साथियों,

इंडी अलायंस के लोग जब तक सत्ता में थे, इन्होंने कैसे देश चलाया था? देश के भीतर बाज़ार सुरक्षित नहीं थे, सिनेमाहाल सुरक्षित नहीं थे, होटल हो, रेस्टोरेन्ट हो, रेलवे स्टेशन हो कुछ भी सुरक्षित नहीं था और जो आज फर्स्ट टाइम वोटर होंगे ना उनको तो ऐसी कोई चीज का पता ही नहीं होगा क्योंकि उस समय में उनकी उम्र 5 साल, 7 साल, 8 साल रही होगी उनको बताना जरा अपने 18- 20- 22- 25 साल के बच्चों को कि कांग्रेस के जमाने में अनाउंसमेंट होता था, कोई लावारिस चीज दिखाई दे तो छूना मत, रेलवे स्टेशन पर, एयरपोर्ट पर, बस स्टैंड पर लावारिस चीज दिखाई दे, कहीं लावारिस टिफिन दिखाई दे तो दूर रहना पुलिस को बताना, कहीं लावारिस बैग दिखाई दे तो दूर रहना पुलिस को बताना, कहीं लावारिस कुकर दिखाई दे दूर रहना बम होगा, ये लावारिस वाली चीजें यानी एक प्रकार से जीवन का हिस्सा बन गई थी और कहीं पर भी बम फूटते थे। भाइयों- बहनों, 2014 के बाद आपके कान पर लावारिस से दूर रहो ऐसा आया क्या? ये खेल करने वाले लावारिस हो गए कि नहीं हो गए? साथियों, 10 साल पहले आए दिन बम धमाके होते थे कि नहीं होते थे? अगर आपको याद हो तो बताइये अगर नहीं है तो मत बताना। बम धमाके होते थे? जरा हाथ ऊपर करके बताइये बम धमाके होते थे? आतंकवादी खुलेआम धमकियां जारी करते थे कि नहीं करते थे? सीमाओं पर गोलीबारी, राज्यों में नक्सली हमले, ये रोज की बात थी कि नहीं थी? लेकिन, कांग्रेस की सरकार क्या करती थी? वो पाकिस्तान से गुहार लगाती थी और कांग्रेस अमन के कबूतर उड़ाकर फोटो निकलवाती थी, अमन के कबूतर उड़ाये जाते थे। मोमबत्तियां जलाई जाती थी, मोमबत्तियां और क्या कहते थे प्लीज, प्लीज हम पर आतंकी हमला मत करो, ये ही बोलते रहते थे। अरे वीर भारत भूमि की साख पर कांग्रेस ने बहुत चोट पहुंचाई थी और जब से, जब से आपने मोदी को सेवा का मौका दिया तब से क्या हुआ? सर्जिकल स्ट्राइक, एयर स्ट्राइक अब पाकिस्तान ने एटम बम की धमकी देना बंद कर दिया है।

लेकिन साथियों,

आपको एक और बात नोट करनी चाहिए भारत को धमकी देने का काम पाकिस्तान की तो नहीं हिम्मत, अब कांग्रेस वाले वो फाइल लेकर घूम रहे हैं। कांग्रेस वाले कह रहे हैं, कांग्रेस के नेता कह रहे हैं कि पाकिस्तान का सम्मान करो, उनसे सिर झुकाकर के बात करो, क्यों, उनके पास एटम बम है, एटम बम। अरे उनके पास रख-रखाव के पैसे नहीं है यार। कोई मुझे बताये जब कांग्रेस सरकार में होती है, कांग्रेस जब सरकार में होती है तो धमकी पाकिस्तान देता है और कांग्रेस बाहर है तो पाकिस्तान की ओर से वो खुद धमकी दे रहे हैं। पाकिस्तान अपनी संसद के भीतर स्वीकार करता है कि उसने आतंकी हमले करवाए, लेकिन यहां कांग्रेस और इंडी अघाड़ी के लोग उसे क्लीन चिट दे देते हैं। कोई जरा बताइये, ऐसा क्यों है? इंडी अघाड़ी वाले पाकिस्तान की तरफ से बैटिंग क्यों कर रहे हैं?

भाइयों और बहनों,

कांग्रेस की मानसिकता तो हमेशा से तुष्टिकरण वाली रही है। लेकिन, बाला साहेब की बात करने वाले भी कांग्रेस का कुर्ता पकड़कर के खड़े रहे हैं। कांग्रेस अलगाववादियों, आतंकवादियों का समर्थन करती है। नकली शिवसेना उसके साथ खड़ी है। कांग्रेस के लोग छत्रपति शिवाजी महाराज का अपमान करते हैं। आपने देखा है ना कांग्रेस के शहजादे ने मंच पर कैसे छत्रपति शिवाजी महाराज का तिरस्कार किया था? पूरे महाराष्ट्र को वो तस्वीरें देखकर के गुस्सा आया लेकिन नकली शिवसेना ने मुंह पर ताला लगा लिया, आंख पर पट्टी बांध ली। कांग्रेस के शहजादे महाराष्ट्र की धरती पर वीर सावरकर का भी अपमान करते हैं, लेकिन नकली शिवसेना की हिम्मत नहीं पड़ती कि उन्हें ललकारें और मैं चुनौती देता हूं ये इंडी अघाड़ी वाले यहां बैठे हैं ना वो शहजादे के मुंह से 5 वाक्य वीर सावरकर के पक्ष में बुलवाकर के दे दें, करो भाई मेरी चुनौती उनको ये इंडी अघाड़ी के बड़े-बड़े नेता हैं ना यहां उन्होंने चुनाव जीतने के लिए उनको कह दिया कि भाई तुम वीर सावरकर बोलना बंद करो तब से उन्होंने बोलना बंद किया क्योंकि चुनाव का डर था। लेकिन हिम्मत है तो वीर सावरकर की महानता के 5 वाक्य इस शहजादे से बुलवाइये। मेरी ये नकली शिवसेना से चुनौती है, ये नकली एनसीपी से भी चुनौती है। क्या वीर सावरकर के लिए दो अच्छे शब्द बोल नहीं सकते आप? इंडी अघाड़ी की सरकार में याक़ूब मेमन की कब्र संवारी जाती है और इंडी अघाड़ी में राम मंदिर के निमंत्रण को ठुकरा दिया जाता है, राम मंदिर के लिए आये दिन अपमानजनक भाषा बोली जाती है। मैं जरा महाराष्ट्र के लोगों से पूछना चाहता हूं, क्या आपको ये स्वीकार है? आपको ऐसे पाप स्वीकार है? क्या आप इंडी अघाड़ी वालों को इस बार इस चुनाव में सजा देंगे कि नहीं देंगे? ऐसी सजा दीजिए, ऐसी सजा दीजिए कि ऐसा पाप करने की हिम्मत ना रहे। साथियों, और अभी शिंदे जी बताकर के गये हैं कि 93 के बम ब्लास्ट के गुनहगार नकली शिवसेना के लिए प्रचार कर रहे हैं, इससे बड़ा दुर्भाग्य क्या होगा?

साथियों,

20 मई को आपको सशक्त और विकसित भारत के लिए वोट देना है। 20 मई को आपको तुष्टीकरण के खिलाफ वोट देना है। कल्याण से एनडीए प्रत्याशी भाई श्रीकांत शिंदे जी और भिवंडी से भाजपा प्रत्याशी श्री कपिल मोरेश्वर पाटिल जी, इनको दिया गया आपका हर वोट मोदी को मजबूत करेगा और जब आप उनके लिए मतदान के लिए बटन दबायेंगे ना वो वोट सीधा-सीधा मोदी के खाते में जायेगा। कपिल पाटिल ने मेरे साथ सरकार में भी काम किया है। ये हमेशा इस क्षेत्र के विकास के लिए सजग रहते हैं। मेरा अनुरोध है मेरे इन दोनों साथियों को भारी मतों से विजयी बनाइये। अच्छा मेरा एक काम करेंगे, मेरा एक काम करेंगे, घर- घर जाना ज्यादा लोगों से मिलना और कहना मोदी जी आए थे मोदी जी ने आपको प्रणाम कहा है। बोलिए, भारत माता की.. भारत माता की.. भारत माता की.. बहुत- बहुत धन्यवाद।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!