ಹಗರಣಗಳು ಮತ್ತು ಕಾನೂನುಬಾಹಿರತೆಯನ್ನು ಹೊರತುಪಡಿಸಿ, ಅವರ ವರದಿ ಕಾರ್ಡ್‌ಗಳಲ್ಲಿ ಏನೂ ಇಲ್ಲ: ದರ್ಭಾಂಗಾದಲ್ಲಿ ಪ್ರಧಾನಿ ಮೋದಿ
ಇಂದು, ವಿಶ್ವದಲ್ಲಿ ಭಾರತದ ಪ್ರತಿಷ್ಠೆ ಹೊಸ ಎತ್ತರದಲ್ಲಿದೆ: ದರ್ಭಾಂಗಾದಲ್ಲಿ ಪ್ರಧಾನಿ ಮೋದಿ
ಕೋವಿಡ್-19 ನಂತಹ ಸವಾಲುಗಳ ಹೊರತಾಗಿಯೂ, ಭಾರತವು ಚೇತರಿಸಿಕೊಳ್ಳುವಿಕೆಯನ್ನು ತೋರಿಸಿದೆ ಮತ್ತು ಜಗತ್ತಿಗೆ ನಾಯಕತ್ವವನ್ನು ನೀಡಿದೆ: ಪ್ರಧಾನಿ
ಒಟ್ಟಾಗಿ, ಬಿಹಾರದ ಪರಿವರ್ತನೆಯನ್ನು ಖಚಿತಪಡಿಸಿಕೊಳ್ಳೋಣ ಮತ್ತು ‘ಲ್ಯಾಂಟರ್ನ್ ಯುಗ’ಕ್ಕೆ ಮರಳುವುದನ್ನು ತಡೆಯೋಣ: ಪ್ರಧಾನಿ ಮೋದಿ

राजा जनक, सीता मैया, कविराज विद्यापति के इ पावन मिथिला भूमि के नमन करे छी।

मैं दरभंगा की धरती से स्वर्गीय महाराजा कामेश्वर सिंह जी को भी प्रणाम करता हूं। एक तो मिथिला की ये पुण्य भूमि और दूसरा आप जनता-जनार्दन का आशीर्वाद, इससे बड़ा जीवन का सौभाग्य क्या हो सकता है। (आप वो मोदी को कितना नचाओगे, वो एसपीजी वालों को कहिए वो मोदी को कब्जा कर लें। बढ़िया बनाके लाए हो आप, आपका बहुत-बहुत धन्यवाद जी) बोलिए, भारत माता की, भारत माता की। (ये एसपीजी वालों को दे दीजिए) जय श्री राम, जय श्री राम। मैं आप सभी को अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की भी बहुत-बहुत बधाई देता हूं। 500 वर्षों के बाद हमारा इंतजार समाप्त हुआ है। 500 साल तक ये हमारे पूर्वज संघर्ष करते रहे, बलिदान देते रहे और कभी भी निराश नहीं हुए। हमारे पूर्वजों को पता था कभी न कभी कोई बेटा पैदा होगा, कभी तो कोई बेटा पैदा होगा जो 500 साल के इंतजार को परिपूर्ण करके भगवान राम मंदिर। और इंतजार सिर्फ रामजी का ही थोड़ी था, सीता मैया का भी तो था और हमारे मिथिला का भी था। हम अपने जीवनकाल में ये शुभ समय देख रहे हैं (ऐ विश्वकर्मा भक्त आप नीचे रखो पीछे लोग देख नहीं पाते हैं। मैंने आपको देख लिया,सुखी रहो।) ये शुभ समय हमारे लिए बहुत बड़ी बात है।

साथियों,

जब अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो रही थी। तब मैंने कहा था कि अब भारत आने वाले एक हजार साल का भविष्य लिखेगा। कई बार इतिहास की एकाध घटना भी कई-कई शताब्दियों का भाग्य तय कर देती हैं। (मेरी आप सबसे प्रार्थना है, मैं जानता हूं आपको तकलीफ हो रही है, हो सकता है आप मुझे देख न पाते हों, लेकिन उसके लिए हमें क्षमा करें। आराम से जहां हैं वहां खड़े रहके मुझे सुनिए। और अगर आप आवाज कम करेंगे तो मुझे बोलने की सुविधा बढ़ेगी। आपका आशीर्वाद है, मैं बोलना शुरू करूं। आप शांति रखोगे। आप इतने अच्छे लोग हैं।) आज से हजार साल पहले जब पश्चिम से भारत पर हमले होने शुरू हुए थे। तब किसी ने नहीं सोचा था कि भारत एक हजार साल की गुलामी में घिर जाएगा। जो बिहार देश को दिशा दिखाता था, वो ऐसे संकटों से घिरा कि सबकुछ तबाह हो गया। लेकिन साथियों, भारत के भाग्य ने आज एक बार फिर करवट ली है। बिहार के भाग्य ने एक बार फिर करवट ली है। 21वीं सदी में ये कालखंड ऐसा आया है, जब भारत फिर से अपनी सारी बेड़ियां तोड़कर उठ खड़ा हुआ है। आज भारत की दुनिया में जो साख है न, वह नई ऊंचाई पर है। आज भारत चांद पर वहां पहुंच गया है, जहां कोई नहीं पहुंचा। 10 साल पहले हम दुनिया की 11वें नंबर की अर्थव्यवस्था थे। सिर्फ 10 साल में हम 5वें नंबर की अर्थव्यवस्था बन चुके हैं। आपको कोरोना का समय याद होगा। 100 साल का इतना बड़ा संकट आया था। पूरी दुनिया सोचती थी कि भारत तो गया, भारत तो बर्बाद हो जाएगा। दुनिया भी बर्बाद करेगा। सब सोच रहे थे कि अब क्या होगा। लेकिन उस समय भारत ने दिखाया कि भारत का सामर्थ्य क्या होता है। भारत उस संकट से निकाला, दुनिया को भी राह दिखाई। लेकिन साथियों, उस इतने बड़े संकट में बिहार के लोगों के साथ कांग्रेस और इंडी गठबंधन ने जो किया, वो मैं कभी भूल नहीं सकता। दिल्ली में इंडी गठबंधन की सरकार थी, महाराष्ट्र में इंडी गठबंधन की सरकार थी और इन लोगों ने बिहार के लोगों को उस संकट काल में वहां से साजिश करके वापस भेज दिया। मेरे बिहार के नौजवानों को, मेरे बिहार की बेटियों को दिल्ली से इंडी गबंधन की सरकार वालों ने भगाया हुआ है। मैं जरा बिहार के नौजवानों को पूछना चाहता हूं, जिन्होंने आपके साथ ये जुल्म किया क्या उन्हें माफ करेंगे क्या? इस चुनाव में हिसाब चुकता करेंगे कि नहीं करेंगे। बिहार के लोगों को बसों में बिठाया गया और बीच रास्ते छोड़ दिया गया। और आज यही इंडी गठबंधन के लोग आपसे वोट मांगने आ रहे हैं। क्या आप इंडी गठबंधन का इतना बड़ा गुनाह माफ करेंगे क्या? माफ करेंगे क्या?

भाइयों बहनों,

मैंने इस चुनाव में अगले 5 साल के लिए विकास का रोडमैप दिया है। मैंने 25 साल का विज़न देश के सामने रखा है। लेकिन, ये भी जरूरी है हम अतीत का भी ध्यान रखें। जैसे एक शहजादे दिल्ली में हैं, वैसे ही एक शहजादे पटना में भी हैं। एक शहजादे ने बचपन से पूरे देश को और दूसरे शहजादे ने पूरे बिहार को अपनी जागीर समझा है। इन दोनों शहजादों के रिपोर्ट कार्ड एक जैसे हैं इनके रिपोर्ट कार्ड में सिवाय घोटालों और बेलगाम कानून-व्यवस्था के कुछ नहीं है। याद कीजिए, कैसे बिहार में अपहरण उद्योग चलता था? कैसे बड़े-बड़े घोटालों से बिहार के खजाने को लूटा जाता था? कैसे शाम होते ही हमारी बहन-बेटियां घर से निकलने में डरती थीं ? कैसे नौकरी देने के पहले जमीन लिखा ली जाती थी? साथियों, आज नीतीश जी के नेतृत्व में NDA सरकार बिहार के विकास के लिए दिन-रात काम कर रही है। हमारी प्रेरणा कर्पूरी बाबू हैं जिन्हें कुछ समय पहले भारत रत्न देने का सौभाग्य हमें मिला है। पिछले 10 साल में बिहार में हमने 40 लाख गरीबों को पक्के घर दिए हैं, करीब सवा करोड़ गैस कनेक्शन दिए हैं। आज गरीबों को मुफ्त राशन-मुफ्त इलाज मिल रहा है। अब मोदी ने ये भी तय किया है कि आपके परिवार में बिहार में कोई भी 70 साल के ऊपर के बुजुर्ग होंगे तो अब उनके संतानों को उनकी बीमारी में इलाज का खर्चा नहीं उठाना होगा। अब ये खर्चा दिल्ली में आपका ये बेटा उठाएगा। 70 साल के ऊपर के हर बुजुर्ग को पांच लाख रुपये तक मुफ्त इलाज मिलेगा। मेरे बिहार के साथियों, मेरे दरभंगा के साथियों, मेरा एक काम करोगे, जरा हाथ ऊपर करके बताइए करोगो, पक्का करोगे, देखिए एक काम करना, जब आप इन दिनों गांव-गांव जाते होंगे, मोहल्ले में जाते होंगे, छोटी-छोटी बस्तियों में जाते होंगे। अगर वहां पर कोई परिवार ऐसे आपके ध्यान में आ जाए। जिनको अभी पक्का घर मिलना बाकी है, गैस का कनेक्शन मिलना बाकी है, नल से जल का कनेक्शन बाकी है, आयुष्मान कार्ड नहीं पहुंचा है तो उनको कह देना कि मोदी जी की गारंटी है, 4 जून के बाद नई सरकार बनने के बाद हम तीन करोड़ नए घर बनाने वाले हैं। तो आप मेरी तरफ से सब परिवारों को गारंटी दे देना। मेरे लिए तो आप ही मोदी हैं।


साथियों,

दरभंगा का एयरपोर्ट हो, रेलवे स्टेशन हो, अमृत-भारत ट्रेन हो, आधुनिक सड़कें हों हर तरफ काम हो रहा है। दरभंगा एम्स की अड़चनों को भी दूर किया जा रहा है। साथियों, जब विकास की बुनियाद मजबूत होती है, तभी उद्योग और रोजगार भी पैदा होते हैं। यहां दरभंगा में IT पार्क भी बना है जिससे युवाओं के लिए नए अवसर पैदा होंगे। मिथिला में मखाना, लीची और आम खूब होता है। अच्छी सड़कों और इनफ्रास्ट्रक्चर से इसका एक्सपोर्ट बढ़ेगा। यहां के मखाने को दुनिया तक पहुंचाने के लिए हमारी सरकार ने मखाने को GI टैग भी दिया है। साथियों, हमने बिहार में महिला स्वयं सहायता समूहों को 42 हजार करोड़ रुपए की सहायता बैंकों से दी है। दरभंगा-मधुबनी में 11 लाख महिलाएं इन समूहों में जुड़ी हैं। दरभंगा में इन बहनों ने शिल्पग्राम की शुरुआत भी की है। और आपकी मधुबनी की पेंटिंग का प्रचार तो खुद मोदी पूरी दुनिया में करता है। आज आगे बढ़ती हमारी बहनों की ये खुशी, यही मोदी को मेहनत करने का हौसला देती है।

साथियों,

आपको पता है कि लंबी चर्चा के बाद हमारा संविधान बना। तब एक मुद्दे पर सबसे ज्यादा चर्चा हुई थी। बाबा साहेब आंबेडकर थे, डॉ. राजेंद्र बाबू थे, देश के बड़े-बड़े विद्वान थे, और संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण देना कि नहीं देना। इस पर गंभीर चर्चा हुई। और बाबा साहेब के नेतृत्व में संविधान सभा ने 75 साल पहले तय किया कि हमारे देश में धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं दे सकते हैं। देश को फिर से नहीं बांट सकते हैं। बाबा साहेब आंबेडकर ने इसके विषय में खुलेआम वकालत की कि धर्म के आधार पर आरक्षण नहीं होगा। इतना ही नहीं, पंडित नेहरू ने भी धर्म के आधार पर आरक्षण का विरोध किया। लेकिन अब जब हमारी गरीब SC-ST-OBC का कांग्रेस से मोहभंग हो गया है तो कांग्रेस नेहरू जी की भावना के खिलाफ जा रही है। बाबा साहब आंबेडकर की पीठ में छुरा भोंक रही है, संविधान को तोड़ने-मरोड़ने में लगी है। कांग्रेस लगी हुई है कि ओबीसी कोटे को कम करके धर्म के आधार पर उसमें से डाका डाल के मुसलमानों को आरक्षण दे दिया जाए। दलितों के आरक्षण में से डाका डालो, आदिवासियों के आरक्षण में से डाका डालो और कांग्रेस की इस साजिश में आरजेडी भी कंधे से कंधा मिलाकर चल रही है। 2007 में बिहार के शहजादे के पिता जी ने मुस्लिमों को ये आरक्षण में से निकाल करके कोटा देने की बात कही थी। रेलमंत्री रहते हुए उन्होंने रेलवे अधिकारियों को कहा था कि मुस्लिमों के लिए कोटे का इंतजाम किया जाए। सोचिए, ये SC-ST-OBC का आरक्षण छीनकर मुस्लिमों को देना चाहते हैं। आप मुझे बताइए, धर्म के आधार पर SC-ST-OBC आरक्षण अगर कटेगा तो यादव-कुर्मी समाज का हक भी बचेगा क्या? सबकुछ खतम हो जाएगा। पासवान, मुसहर, रविदास, धानुक समाज के हक पर ये डाका डालने की फिराक में हैं। साथियों, मैं पिछले 12 दिनों से कांग्रेस को और उनके चट्टों-बट्टों को आरक्षण के मुद्दे पर पर चुनौती दे रहा हूं। मैंने उनसे कहा है, मैंने लिखित में मांगा है कि इंडी गठबंधन, धर्म के आधार पर SC-ST-OBC का आरक्षण छीन करके मुसलमानों को नहीं देंगे। धर्म के आधार पर आरक्षण के लिए संविधान के साथ खिलवाड़ नहीं करेंगे। लेकिन इनके पेट में पाप है। 12 दिन से मैं मांग कर रहा हूं। ये चुप बैठे हैं। साथियों, मैं आपको विश्वास दिलाता हूं जबतक मोदी जिंदा है, SC-ST-OBC के आरक्षण पर कभी भी मैं खिलवाड़ नहीं करने दूंगा।

साथियों,

मैंने जब से कांग्रेस- RJD के इरादों को बेनकाब किया है, ये लोग बौखला गए हैं। अब RJD ने ये गिनना शुरू कर दिया है कि सेना में कौन हिंदू है कौन मुसलमान है। यही इनका असली चेहरा है। ये लोग समाज को बांटने के लिए..देश की एकता तोड़ने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। मां भारती की रक्षा के लिए जो सीने पर गोली खाता है, वो पहले भारतीय होता है। और ये RJD के लोग उसे हिंदु-मुसलमान की नजर से देखते हैं। मैं जरा हिंदू-मुसलमान का बंटवारा करने वालों से पूछना चाहता हूं। क्या अब्दुल हमीद जी को हम सिर्फ इसलिए याद करते हैं क्योंकि वो मुसलमान थे? देश को इस दिशा में ले जाएंगे ये लोग? यही लोग सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाते हैं, एयर स्ट्राइक पर सवाल उठाते हैं। यही लोग आर्मी चीफ को गाली देते हैं। आखिर किसको खुश करने के लिए, किसके इशारे पर ये बोला जाता है? देश सब देख रहा है। जनता है सबकुछ जानती है। देशवासी सब देख रहे हैं। साथियों, RJD का इतिहास सामाजिक न्याय का मुखौटा लगाकर हमेशा से तुष्टिकरण करने का रहा है। जब गोधरा में कारसेवकों को जिंदा जलाया गया था तब रेलमंत्री ये शहजादे के पिता जी थे, जो सजा काट रहे हैं और जमानत पर घूम रहे हैं। इन्होंने दोषियों को बचाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के एक जज की कमेटी बनाई। बेनराजी कमेटी। सोनिया मैम का राज था न। और इसलिए उन्होंने बेनराजी कमेटी बनाई थी। जज का नाम बेनराजी था तो सबलोग बेनराजी बोलते थे। और उससे ऐसा रिपोर्ट लिखवाया कि 60 कारसेवकों को जलाने वाले निर्दोष छूट जाए, लेकिन ये रेलमंत्री जो जेल में जिंदगी गुजारने के लिए मजबूर है, जमानत पर घूम रहे हैं। अदालत ने उनके इस रिपोर्ट को को कूड़े-कचरे में फेंक दिया। और उन सबको सजा सुनाई, फांसी तक की सजा हो गई। पूरी दुनिया को पता था कि कारसेवकों को जिंदा जलाया गया था। लेकिन, तब फर्जी जांच रिपोर्ट बनवाकर कारसेवकों पर ही दोष मढ़ने की साजिश रची गई थी। यही इनका इतिहास है, यही इनकी सच्चाई है।

साथियों,

हमें बिहार को लालटेन के दौर में वापस नहीं जाने देना है। अभी आपको पता होगा, ये शहजादे दिल्ली वाले एक नई बात लेकर आए हैं। आप मुझे बताइए, भाइयों-बहनों, जो माता-पिता होते हैं वो मेहनत करके कुछ बचत करते हैं कि नहीं करते हैं। कुछ न कुछ बचाते हैं, उनके मन में रहता है कि एक छोटा सा घर बना दूं, बच्चों को काम आ जाएगा। एक छोटी सी गाड़ी ला दूं, बच्चों के काम आएगी। खेत खरीदकर रखो, बच्चों को काम आएगा। हर मां-बाप के मन में ये इच्छा रहती है कि वो अपने मरने के बाद बच्चों को कुछ न कुछ देकर के जाए। हर मां-बाप की इच्छा रहती है। अब कांग्रेस ऐसा कानून बनाना चाहती है, कि दिल्ली में उनकी सरकार बनेगी तो आपके मां-बाप ने जो कमाया है वो अब आपको नहीं मिलेगा। आपके पिताजी, अपना 10 एकड़ का खेत होगा तो आपको नहीं दे पाएंगे, दो घर है तो नहीं दे पाएंगे। आधा ये इनकी सरकार छीन लेगी, 55 प्रतिशत विरासत पर टैक्स लगाने का ये फतवा लेकर आना चाहते हैं। क्या आपकी मेहनत की कमाई किसी सरकार को लूटने देंगे? किसी सरकार को लूटने देंगे? ये कांग्रेस वालों को लूटने देंगे? ये आरजेडी वालों को लूटने देंगे? और इसलिए भाइयों-बहनों, आपका भविष्य बचाने के लिए आपके बच्चों का भविष्य बनाने के लिए 7 मई को झंझारपुर में JDU से प्रत्याशी श्री रामप्रीत मंडल जी को, 13 मई को दरभंगा में बीजेपी से श्री गोपाल ठाकुर जी को और समस्तीपुर से LJP की हमारी बेटी श्रीमती शाम्भवी चौधरी जी, पूरे हिंदुस्तान की सबसे छोटी उमर की बेटी चुनाव लड़ रही है। आप सब आशीर्वाद दीजिए, ये हमारी बेटी तो जीतनी ही चाहिए। 20 मई को मधुबनी में बीजेपी के श्री अशोक कुमार यादव जी को, ये हमारे सभी साथियों को भारी संख्या में वोट दीजिए। जब आप उनको वोट देंगे न तो ये वोट सीधा-सीधा मोदी के खाते में जाएगा। मोदी को मजबूती मिलेगी और मोदी मजबूती से आपकी पांच साल और सेवा करेगा। तो घर-घर जाएंगे, ज्यादा से ज्यादा मतदान करवाएंगे, पहले मतदान फिर जलपान, ये पक्का करेंगे। अच्छा मेरा एक काम करेंगे। जरा हाथ ऊपर करके बताइए करेंगे। यहां से जाने के बाद हर घर जाना घर-घर जाकर के कहना कि अपने मोदी जी दरभंगा आए थे और मोदी जी ने आपको प्रणाम कहा है। मेरा प्रणाम पहुंचाएंगे। घर-घर मेरा प्रणाम पहुंचाएंगे।

बोलिए,
भारत माता की जय।
भारत माता की जय।
भारत माता की जय।
बहुत-बहुत धन्यवाद!

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!