नमस्कार।
विश्व युवा कौशल दिवस पर सभी युवा साथियों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं ! दूसरी बार है जब कोरोना महामारी के बीच हम ये दिवस मना रहे हैं।
इस वैश्विक महामारी की चुनौतियों ने World Youth Skill Day की अहमियत को कई गुना बढ़ा दिया है। एक और बात जो महत्वपूर्ण है, वो ये कि हम इस समय अपनी आजादी के 75 वर्ष का पर्व मना रहे हैं। 21वीं सदी में पैदा हुए आज के युवा, भारत की विकास यात्रा को आजादी के 100 वर्ष तक आगे बढ़ानें वाले हैं। इसलिए नई पीढ़ी के युवाओं का skill development, एक राष्ट्रीय जरूरत है, आत्मनिर्भर भारत का बहुत बड़ा आधार है। बीते 6 वर्षों में जो आधार बना, जो नए संस्थान बने, उसकी पूरी ताकत जोड़कर हमें नए सिरे से Skill India Mission को गति देनी ही है।
साथियों,
जब कोई समाज Skill को महत्व देता है तो समाज की 'Up-Skilling' भी होती है, उन्नति भी होती है। दुनिया इस बात को बखूबी जानती भी है। लेकिन भारत की सोच इससे भी दो कदम आगे की रही है। हमारे पूर्वजों ने Skills को महत्व देने के साथ ही उन्होंने इसे celebrate किया, Skills को समाज के उल्लास का हिस्सा बना दिया। आप देखिए, हम विजयदशमी को शस्त्र पूजन करते हैं। अक्षय तृतीया को किसान फसल की, कृषि यंत्रों की पूजा करते हैं। भगवान विश्वकर्मा की पूजा तो हमारे देश में हर Skill, हर शिल्प से जुड़े लोगों के लिए बहुत बड़ा पर्व रहा है। हमारे यहां शास्त्रों में निर्देश दिया गया है-
विवाहदिषु यज्ञषु, गृह आराम विधायके।
सर्व कर्मसु सम्पूज्यो, विश्वकर्मा इति श्रुतम्॥
अर्थात्, विवाह हो, गृहप्रवेश हो, या कोई और यज्ञ कार्य सामाजिक कार्य हो, इसमें भगवान विश्वकर्मा की पूजा, उनका सम्मान जरूर किया जाना चाहिए। विश्वकर्मा की पूजा यानि समाज जीवन में अलग-अलग रचनात्मक कार्य करने वाले हमारे विश्वकर्माओं का सम्मान, Skill का सम्मान। लकड़ी के कारीगर, मेटल्स का काम करने वाले, सफाईकर्मी, बगीचे की सुंदरता बढ़ाने वाले माली, मिट्टी के बर्तन बनाने वाले कुम्हार, हाथ से कपड़ा बुनने वाले बुनकर साथी, ऐसे कितने ही लोग हैं जिन्हें हमारी परंपरा ने विशेष सम्मान दिया है।
महाभारत के भी एक श्लोक में कहा गया है-
विश्वकर्मा नमस्तेस्तु, विश्वात्मा विश्व संभवः॥
अर्थात्, जिनके कारण विश्व में सब कुछ संभव होता है, उन विश्वकर्मा को नमस्कार है। विश्वकर्मा को विश्वकर्मा कहा ही इसलिए जाता है क्योंकि उनके काम के बिना, Skills के बिना समाज का अस्तित्व ही असंभव है। लेकिन दुर्भाग्य से गुलामी के लंबे कालखंड में Skill Development की व्यवस्था हमारे सोशल सिस्टम में, हमारे एजुकेशन सिस्टम में धीरे-धीरे कमजोर पड़ती गई।
साथियों,
एजुकेशन अगर हमें ये जानकारी देती है कि हमें क्या करना है, तो Skill हमें सिखाती है कि वो काम वास्तविक स्वरूप में कैसे होगा! देश का 'Skill India Mission' इसी सच्चाई, इसी जरूरत के साथ कदम से कदम मिलाने का अभियान है। मुझे खुशी है कि 'प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना' के माध्यम से अब तक सवा करोड़ से अधिक युवाओं को ट्रेनिंग दी जा चुकी है।
साथियों,
मैं एक और वाकये के बारे में आपको बताना चाहता हूं। एक बार Skill Development को लेकर काम कर रहे कुछ अफसर मुझसे मिले। मैने उनसे कहा कि आप इस दिशा में इतना काम कर रहे हैं, क्यों न आप ऐसे Skills की एक लिस्ट बनाएंगे, जिनकी हम अपने जीवन में सेवाएँ लेते हैं। आपको हैरानी होगी, जब उन्होंने सरसरी नजर से लिस्टिंग की तो ऐसी 900 से ज्यादा Skill निकली, जिनकी हमें अपनी आवश्यकताओं के लिए जरूरत होती है। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि Skill Development का काम कितना बड़ा है। आज ये जरूरी है कि Learning आपकी earning के साथ ही रुके नहीं। आज दुनिया में Skills की इतनी demand है कि जो skilled होगा वही Grow करेगा। ये बात व्यक्तियों पर भी लागू होती है, और देश पर भी लागू होती है! दुनिया के लिए एक Smart और Skilled Man-power Solutions भारत दे सके, ये हमारे नौजवानों की Skilling Strategy के मूल में होना चाहिए। इसको देखते हुए Global Skill Gap की mapping जो की जा रही है, वो प्रशंसनीय कदम है। इसलिए, हमारे युवाओं के लिए Skilling, Re-skilling और Up-skilling का mission अनवरत चलते रहना चाहिए।
बड़े-बड़े एक्सपर्ट्स आज अनुमान लगा रहे हैं कि जिस तरह तेजी से technology बदल रही है, आने वाले 3-4 वर्षों में बहुत बड़ी संख्या में लोगों को Re-skilling की जरूरत पड़ेगी। इसके लिए भी हमें देश को तैयार करना होगा। और कोरोना काल में ही हम सबने Skills और skilled workforce की अहमियत को बहुत करीब से देखा है, महसूस किया है। देश कोरोना से इतनी प्रभावी लड़ाई लड़ सका, तो इसमें भी हमारी skilled workforce का बहुत बड़ा योगदान है।
साथियों,
बाबा साहब अंबेडकर ने युवाओं की, कमजोर वर्ग की Skilling पर बहुत जोर दिया था। आज Skilled India के जरिए देश बाबा साहब के इस दूरदर्शी स्वप्न को पूरा करने के लिए भरसक प्रयास कर रहा है। उदाहरण के तौर पर, आदिवासी समाज के लिए देश ने 'Going Online As Leaders' यानी GOAL प्रोग्राम शुरू किया है। ये प्रोग्राम पारंपरिक स्किल्स के क्षेत्रों, जैसे कि आर्ट हो, कल्चर हो, हैंडीक्राफ्ट हो, टेक्सटाइल हो, इनमें आदिवासी भाई-बहनों की Digital Literacy और Skills में मदद करेगा, उनमें Entrepreneurship develop करेगा। इसी तरह वनधन योजना भी आज आदिवासी समाज को नए अवसरों से जोड़ने का एक प्रभावी माध्यम बन रही है। हमें आने वाले समय में इस तरह के अभियानों को और ज्यादा व्यापक बनाना है, Skill के जरिए खुद को और देश को आत्मनिर्भर बनाना है।
इन्हीं शुभकामनाओं के साथ, आप सभी का बहुत बहुत धन्यवाद!