Government committed to ensuring justice for everyone: PM Modi

Published By : Admin | February 29, 2020 | 11:31 IST
Government committed to ensuring justice for everyone: PM Modi
It is our Government's responsibility to ensure that every person gets the benefit of development initiatives: PM
Our government is working towards uplifting and enhancing the lives of every person in the society: PM

भाइयों और बहनो,

तीर्थराज, प्रयागराज में आकरके हमेशा ही एक अलग पवित्रता और ऊर्जा का एहसास होता है।मुझे याद है, पिछले साल फरवरी में, लगभग यही समय था, जब मैं कुंभ के दौरान इस पवित्र धरती पर आया था। तब संगम पर स्नान करके और उसके साथ-साथ मुझे एक और सौभाग्य भी मिला था। वो सफाई कर्मचारी, जो ऐतिहासिक कुंभ की पवित्रता बढ़ा रहे थे, और जिनके परिश्रम और पुरूषार्थ के कारण पूरे विश्‍व में प्रयागराज के इस कुंभ की स्‍वच्‍छता की पूरी दुनिया में चर्चा हुई, पुरी दुनिया में प्रयागराज की एक नई पहचान बनी, कुंभ में एक नई परंपरा नजर आई और उसे सफल करने वाले उन सफाई कर्मचारियों को, उनके पैर धोने का, उनके चरण धोने का, और मुझे इस महान सिद्धिको पाने वाले उन सफाई कर्मचारियों को नमन करने का अवसर मिला था।

अब आज भी कुछ वैसा ही सौभाग्य मुझे आज मां गंगा के किनारे इस पवित्र धरती प्रयागराज में फिर से एक बार प्राप्त हुआ है। आपके प्रधान सेवक के तौर पर, मुझे हजारों दिव्यांग-जनों और बुजुर्गों, वरिष्ठ जनों की सेवा करने का और उनके आशीर्वाद प्राप्‍त करने का अवसर मिला है।

थोडी देर पहले यहां करीब 27 हज़ार साथियों को उपकरण दिए गए हैं। किसी को ट्रायसाइकिल मिली है, किसी को सुनने की मशीन मिली है, किसी को व्हीलचेयर मिली है।

मुझे बताया गया है कि यहां इस सामाजिक आधिकारिता शिविर में अनेक रिकॉर्ड भी बन रहे हैं। ये उपकरण, आपके जीवन से मुश्किलें कम करने में कुछ मदद करेंगे।और मैं मानता हूं कि ये उपकरण आपके बुलंद हौसलों के सहयोगी भर हैं। आपकी असली शक्ति तो आपका धैर्य है, आपका सामर्थ्य है, आपका मानस है। आपने हर चुनौति को चुनौति दी है। आपने मुश्किलों को मात कर दिया है। आपका जीवन अगर कोई बारीकी से देखे तो हर पल हर डगर हर किसी के लिए प्रेरणा का कारण हैा मैं आज आप सभी दिव्‍यांगजनों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों,

हमारे यहां कहा जाता है-

स्वस्ति: प्रजाभ्यः, स्वस्ति: प्रजाभ्यः परिपालयंतां न्यायेन मार्गेण महीं महीशाः!

यानि सरकार का ये दायित्व है कि हर व्यक्ति का भला हो, हर व्यक्ति को न्याय मिले।यही सोच तो सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास के मंत्र का भी आधार है। इसी सोच के साथ हमारी सरकार, समाज के हर व्यक्ति के विकास के लिए, उसके जीवन को आसान बनाने के लिए काम कर रही है। चाहे वो वरिष्ठ जन हों, दिव्यांगजन हों, आदिवासी हों, पीड़ित, शोषित, वंचित हों, 130 करोड़ भारतीयों के हितों की रक्षा करना, उनकी सेवा करना, हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है।विशेषकर, दिव्यांगजनों की तकलीफों को जिस तरह इस सरकार ने समझा है, उनके लिए जिस संवेदनशीलता से काम किया है, उतना पहले कभी नहीं किया गया।आप भी याद करिए, मेरे दिव्यांग भाई-बहनों को पहले यहां-वहां के दफ्तरों में हफ्तों तक चक्कर लगाना पड़ता था, तब जाकर थोड़ी-बहुत जरूरी मदद उन्हें मिल पाती थी। आपकी तकलीफ, आपकी समस्या, जिस गंभीरता से सुनी जानी चाहिए थी, उस पर ध्यान ही नहीं दिया गया।दिव्यांग भाई-बहनों को बेसहारा छोड़ देने वाली पहले की स्थिति हमें स्वीकार नहीं थी। हमने आपके साथी बनकर, सेवक बनकर, आपकी एक-एक दिक्कतों के बारे में सोचा, और उन्हें दूर करने का प्रयास किया है।

साथियों,

पहले की सरकारों के समय, इस तरह के कैंप बहुत ही कम लगा करते थे।और इस तरह के मेगा कैंप तो गिनती के भी शायद नहीं होते थे। बीते 5 साल में हमारी सरकार ने देश के अलग-अलग इलाकों में करीब 9 हजार कैंप लगवाए हैं।

भाइयों और बहनों,

पिछली सरकार के पाँच साल में जहां दिव्यांगजनों को 380 करोड़ रुपए से भी कम के उपकरण बांटे गए, वहीं हमारी सरकार ने 900 करोड़ रुपए से ज्यादा के उपकरण बांटे हैं। यानि करीब-करीब ढाई गुना।जब गरीब के लिए, दिव्यांग के लिए मन में पीड़ा होती है, सेवा का भाव होता है, तब इस तरह की गति आती है, तब इतनी तेजी से काम होता है।

साथियों,

आप वो समय भी याद करिए जब सरकारी इमारतों में जाने के लिए, बस स्टैंड, अस्पताल, कोर्ट, कचहरी, हर जगह आने-जाने में आपको दिक्कत होती थी। कुछ जगहों पर अलग रैंप बन जाता था, बाकी जगहों पर बहुत मुश्किल होती थी।ये हमारी ही सरकार है जिसने सुगम्य भारत अभियान चलाकर देशभर की बड़ी सरकारी इमारतों को दिव्यांगों के लिए सुगम्य बनाने का संकल्प लिया। बीते चार-पाँच वर्षों में देश की सैकड़ों इमारतें, 700 से ज्यादा रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट, दिव्यांगजनों के लिए सुगम्य बनाई जा चुकी हैं। जो बची हुई हैं, उन्हें भी सुगम्य भारत अभियान से जोड़ा जा रहा है।इतना ही नहीं, जो नई इमारतें बन रही हैं, या रेलवे के नए कोच हैं, उनमें पहले से ही ध्यान रखा जा रहा है कि वो आपके लिए दिव्‍यांगजनों के लिए अनुकूल हों।

भाइयों और बहनों,

एक राज्य से दूसरे राज्य में जाने पर, अलग-अलग भाषा होने की वजह से भी मेरे दिव्यांग भाई-बहनों को बहुत दिक्कत होती थी।पहले ये सभी सोचा ही नहीं गया कि दिव्यागों के लिए भी एक कॉमन साइन लैंग्वेज हो।इसके लिए भी प्रयास हमारी ही सरकार ने शुरू किया।देशभर के सभी दिव्यांगों के लिए एक कॉमन साइन लैंग्वेज हो, इसके लिए सरकार ने इंडियन साइन लेंग्वेज रिसर्च एंड ट्रैनिंग सेंटर की स्थापना की है। अभी यहां मेरे भाषण के साथ-साथ यहां पर मंच में दिव्‍यांगजनों के लिए साइन के द्वारा भाषण बताया जा रहा है। पहले स्थिति ये थी कि एकआद राज्‍य के बच्‍चे ये समझ पाते थे । अब ये नई व्‍यवस्‍था के कारण तमिलनाडु का व्‍यक्ति भी इस लैगवेज का समझ सकता है। अब ये काम भी 70 साल तक किसी को करने की फुरसत नहीं थी लेकिन जब दिव्‍यांग के प्रति संवेदना हो, हिंदुस्‍तान के एक भारत-श्रेष्ठ भारत की भावना को और मजबूत करने का इरादा हो तब जाकरके ऐसे काम होते हैं। और अब इस सेंटर ने करीब 6000 कॉमन शब्दों की एक डिक्शनरी तैयार भी कर ली है।

यानि आने वाले समय में, अगर प्रयागराज से मेरा कोई दिव्यांग साथी, अगर चेन्नई में जाएगा, या पश्चिम बंगाल जाएगा तो उसको भाषा की उतनी परेशानी नहीं होगी।यही नहीं, करीब 400 से अधिक सरकारी वेबसाइट्स को, और हमारी जो करन्‍सी है, सिक्के हों या हमारी नोट हो उसको भी दिव्यांगों के लिए अनुकूल बनाया गया है। वह आसानी से तय कर सकता है एक रूपए की नोट है, पांच रूपए की नोट है, पांच सौ की नोट है, दो सौ की नोट है, वह आराम से तय कर सकता है, सिक्‍के के विषय में भी तय कर सकता है कि सिक्‍का कौन सा है।

और अब तो आप भी देख रहे होंगे कि प्राइवेट टीवी चैनल भी दिव्यांगों के हिसाब से खबरें दिखाने लगे हैं, कार्यक्रम दिखाने लगे हैं। मैं इन सभी चैनलों को, जिन्‍होंने दिव्‍यांगजनों के लिए यह समाचार सुविधा की है उनको बधाई देता हूं। दूरदर्शन के लोग अनेक अभिनंदन के अधिकारी हैं क्‍योंकि उन्‍होंने तो सालों से इस काम को किया है और उन्‍होंने दिव्‍यांगजनों की चिंता की है। लेकिन अब देश के कई टी वी चैनल दिव्‍यांगजनों के लिए भी इस प्रकार के साइनेदित के द्वारा खबरें दिखाने की दिशा में एक महत्‍वपूर्ण काम कर रहे हैं। मानवीय संवेदना के इस काम के लिए वे सभी टी वी चैनल भी अभिनंदन के अधिकारी हैं।

भाइयों और बहनों,

हमारी सरकार ने दिव्यांगजनों के लिए जिस सेवाभाव से काम किया है, फैसले लिए हैं, उसकी चर्चा जितनी होनी चाहिए थी, उतनी हो नहीं पाई। प्रयागराज तो इंसाफ की भी नगरी है, न्‍याय की नगरी है, सामान्य जन के अधिकारों की रक्षा के लिए हजारों लोग यहां दिन-रात काम करते हैं।

साथियों,

ये हमारी ही सरकार है जिसने पहली बार दिव्यांगजनों के अधिकारों को स्पष्ट करने वाला कानून लागू किया। इस कानून का एक बहुत बड़ा लाभ ये हुआ है कि पहले दिव्यांगों की जो 7 अलग-अलग तरह की कैटेगरी होती थी, उसे बढ़ाकर 21 कर दिया गया। यानि हमने इसका दायरा बढ़ा दिया। इसके अलावा दिव्यांगों पर अगर कोई अत्याचार करता है, कोई मजाक उड़ाता है, उन्हें परेशान करता है, तो इससे जुड़े नियमों को भी सख्त किया गया है।

साथियों,

ये भी हमारी ही सरकार है जिसने न सिर्फ दिव्यांगों की नियुक्ति के लिए विशेष अभियान चलाए, बल्कि सरकारी नौकरियों में उनका आरक्षण बढ़ाकर, दिव्‍यांगजनों के लिए, 3 प्रतिशत से बढा करके अब 4 प्रतिशत कर दिया गया है।इतना ही नहीं, उच्च शिक्षा संस्थानों में दाखिले के लिए भी उनका आऱक्षण 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है।

अपने दिव्यांग साथियों का कौशल विकास भी हमारी प्राथमिकता रही है।सरकार ने 2 लाख साथियों को स्किल ट्रेनिंग दी है और अब 5 लाख दिव्यांग साथियों को स्किल ट्रेनिंग देने का लक्ष्य है।

भाइयों और बहनों,

नए भारत के निर्माण में हर दिव्यांग युवा, दिव्यांग बच्चे की उचित भागीदारी बहुत आवश्‍यक है। चाहे वो उद्योग हों, सेवा का क्षेत्र हो या फिर खेल का मैदान, दिव्यांगों के कौशल को निरंतर प्रोत्साहित किया जा रहा है। हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी जितने भी दिव्यांगों से जुड़ी खेल स्पर्धाएं हुई हैं, उनमें भारत का प्रदर्शन हमारे दिव्‍यांग साथियों ने हिन्‍दुस्‍तान का नाम दुनिया में रोशन किया है, उनका प्रदर्शन बेहतरीन रहा है। आप कल्‍पना कर सकते कितनी बडी मजबूत संकल्‍प शक्ति होगी तब जाके दुनिया के मैदान में भी मेरे देश के दिव्‍यांगजन भारत का तिरंगा फहरा करके आते हैं । दिव्यांगों के इस कौशल को और निखारने के लिए मध्य प्रदेश के ग्वालियर में एक स्पोर्ट्स सेंटर बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है।

इस सेंटर में ट्रेनिंग, सेलेक्शन, पढ़ाई-लिखाई, रिसर्च, मेडिकल सुविधाएं, यानि नेशनल और इंटरनेशनल मुकाबलों के लिए जो भी तैयारियां चाहिए उनकी सुविधा हमारे दिव्‍यांग जनों को यहां दी जाएंगी।

साथियों,

हमारे देश में ढाई करोड़ से अधिक दिव्यांग हैं तो 10 करोड़ से अधिक सीनियर सिटिजन हमारे वरिष्ठनागरिकभीहैं।एकआयुकेबादसुविधाकेअनेकउपकरणोंकीज़रुरतहमारे इन वरिष्ठ नागरिकों को होती है, इन सीनियर सिटिजन्‍स को होती है। किसी को चलने में दिक्कत, किसी को सुनने में दिक्‍कत।सीनियर सिटिजन्स के जीवन से इस परेशानी को कम करने के लिए हम लगातार काम कर रहे हैं।

गरीब वरिष्ठ नागरिकों को भी जरूरी उपकरण मिलें, इसके लिए हमारी सरकार ने तीन साल पहले ‘राष्ट्रीय वयोश्री योजना’ ‘राष्ट्रीय वयोश्री योजना’ इसकी शुरूआत की थी।

इस योजना के तहत करीब सवा लाख सीनियर सिटिजन्स को जरूरी उपकरण दिए जा चुके हैं। वयोश्री योजना के तहत आज यहां भी अनेक हमारे सीनियर सिटिजन्‍स को, बुजुर्गों को उपकरण देने का सौभाग्य और उनके आशीर्वाद प्राप्‍त करने का सौभाग्‍य आज इस पवित्र नगरी में मुझे मिला है।

भाइयों और बहनों,

60 वर्ष की आयु के बाद, बुजुर्गों को एक निश्चित राशि पर, एक निश्चित ब्याज मिले, उनका निवेश सुरक्षित रहे, इसके लिए हमारी सरकार ने प्रधानमंत्री वय वंदना योजना भी शुरू की थी।इसका मकसद यही था कि अगर बाजार में ब्याज दरें कम हो जाएं, तो इसका प्रभाव उन पर कम से कम पड़े।

आप में से अनेक लोग ये जानते हैं कि मासिक पेंशन का विकल्प चुनने पर वरिष्ठ नागरिकों को इस स्कीम में 10 साल तक एक तय दर से गारंटीशुदा पेंशन मिलती है। मैं आज यहां पर एक और बात भी आप लोगों को बताना चाहूंगा। सामान्‍य रूप से हमारे सीनियर सिटिजन या जिनको पेंशन मिलती है ऐसे नागरिक, सैलेरी क्‍लास रिटायरमेंट के बाद अपने पैसे बैंक में जमा कर देते हैं और जमा करने के बाद उसके ब्‍याज से अपना गुजारा चलाते हैं। लेकिन कभीकभी बैंकों में संकट आ जाता है। बैंक डूब जाते हैं। कोई कारोबारी धोखा कर देते हैं। और कभीकभी हमारे इन सीनियर सिटिजन्‍स के मेहनत की कमाई के पैसे डूब जाते हैं।

इस बार पार्लियामेंट में गरीबों की चिंता करने वाली, बुजुर्गों की चिंता करने वाली, सीमित आय में जीवन गुजारा करने वाले मेरे देश के भाइयों बहनों के लिए हमने एक बहुत बडा कदम उठाया है। इस देश का दुर्भाग्‍य है कि बहुत लोग ऐसी बातों की चर्चा न हो इसके लिए बडे सजग रहते हैं। इतना बडा निर्णय किया है जिसकी मांग सालों से होती थी। पहले अगर बैंक में आपके 10 लाख रूपए हैं, 2 लाख रूपए हैं, 5लाख रूपए हैं, अगर बैंक डूब गई तो आपको 1 लाख रूपए से ज्‍यादा कुछ भी नहीं मिलता था। हमने नियम बदल दिया और अब 1 लाख की जगह पर 5 लाख कर दिया। इसका मतलब हुआ कि करीबकरीब 99 परसेंट जिनके पैसे बैंकों में होते हैं वो सुरक्षित हो गए। अब उनके प्रति कोई संकट नहीं आएगा। ये काम इस बजट में हमने कर दिया है और इसके कारण बैंकों के प्रति विश्‍वास भी बढेगा, इसके कारण सामान्‍य व्‍यक्ति अपने पैसे कहीं साहूकार के यहां रखने के बजाय बैंक में रखने के लिए आगे आएगा।

भाइयों बहनों

ऐसे अनेक कदम हैं। उसी प्रकार से पेंशन के विषय में, इंश्‍योरेंस के विषय में पहले पॉलिसी बहुत कम अवधि के लिए खुलती थी, लेकिन 2018 में इसको 31 मार्च 2020 तक बढ़ा दिया गया। सिर्फ अवधि ही नहीं बढ़ाई बल्कि मासिक पेंशन को भी 10 हज़ार रुपए प्रतिमाह कर दिया गया है ।मुझे संतोष है कि आज इस योजना का लाभ सवा तीन लाख से ज्यादा सीनियर सिटिजन उठा रहे हैं।

साथियों,

परिवार के साथ-साथ बुजुर्गों का ध्यान रखने का दायित्व समाज का भी है, सरकार भी है। इसी दायित्व बोध को समझते हुए, पूरी संवेदनशीलता के साथ हमारी सरकार काम कर रही है, योगी जी की सरकार काम कर रही है। जिन लोगों ने अपना पूरा जीवन अपने परिवार और देश को आगे बढ़ाने में लगाया है, उन्हें किसी भी तरह की परेशानी न हो, इसका हम पूरा ध्यान रख रहे हैं।

बीते कुछ समय में सरकार ने जो फैसले लिए हैं, जो अन्य योजनाएं शुरू की हैं, उनसे भी उन्हें लाभ हो रहा है।बीते 5 साढ़े 5 वर्षों में वरिष्ठ जनों के इलाज का खर्च पहले की अपेक्षा, बहुत कम हुआ है।

जनऔषधि केंद्रों में तमाम दवाइयों की कीमत बहुत कम हुई है। वहीं हार्ट स्टेंट और घुटनों के ऑपरेशन से जुड़ा सामान 70-80 प्रतिशत तक सस्ता किया गया है। सीनियर सिटिजंस को टैक्स से लेकर दूसरे निवेश तक में, हर संभव सुविधाएं दी जा रही हैं। इतना ही नहीं, देश के इतिहास में पहली बार करीब-करीब हर गरीब के लिए 60 वर्ष की आयु के बाद के लिए पेंशन योजना का प्रावधान किया गया है।देश के असंगठित क्षेत्र के करोड़ों श्रमिक हों या फिर मेरे किसान- मेरे खेत मज़दूरछोटे व्यापारी हों या छोटे दुकानदार, सभी के लिए सरकार ने अलग-अलग पेंशन योजनाएं शुरू की हैं। इसका बहुत बड़ा लाभ गरीबों को 60 वर्ष की आयु होने के बाद भी मिलेगा।

साथियों,

आयुष्मान भारत योजना के तहत 5 लाख रुपए तक के मुफ्त इलाज की सुविधा हो या फिर बीमा योजनाएं, उनका भी लाभ गरीबों को, दिव्यांगजनों को, सीनियर सिटिजन्‍स को अलग से हो रहा है।

गरीब से गरीब देशवासी भी बीमा की सुविधा से जुड़े इसके लिए 2-2 लाख रुपए के बीमा की दो योजनाएं चल रही हैं। प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना के तहत 1 रुपए प्रति महीना यानि महीना का सिर्फ 1 रूपया और प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना के तहत एक दिन का 90 पैसा उतने कम प्रीमियम में उनका इंश्‍योरेंस निकाला जा रहा है। अभी तक 24 करोड़ से ज्यादा हमारे साथी इन दोनों योजनाओं से जुड़ चुके हैं और मुश्किल समय में उन्हें 4 हजार करोड़ रुपए से अधिक का क्लेम भी इन परिवारों तक पहुंच चुका है।

साथियों,

आपसे बात करते हुए, शुरुआत में मैंने एक श्लोक का जिक्र किया था जिसमें शासन के दायित्वों की बात थी।उसी मंत्र का आखिरी हिस्सा है- लोकाः समस्ताः सुखिनोभवंतु ॥

यानि, जगत के अंदर, समाज का हर वर्ग, हर नागरिक, हर कोई सुखी हो, इसी कामना के साथ, मैं फिर एक बार सभी सीनियर सिटिजन्‍स को प्रणाम करते हुए, सभी दिव्‍यांगजनों की संकल्‍पशक्ति को नमन करते हुए, इस महान पवित्र अवसर को, मेरे लिए ये दिव्‍यांगजनों का कुंभ भी बहुत पवित्र है, सेवा भाव से भरा हुआ है। इस अवसर पर मैं भारत सरकार के इस विभाग को भी, राज्‍य सरकार के प्रयासों को भी बहुत ही गौरवपूर्ण रूप से याद करते हुए, आप सब को नमन करते हुए, अनेक अनेक शुभकामनाएं देते हुए, मेरी बात को समाप्‍त करता हूं।

बहुत-बहुत धन्यवाद !!! मेरे साथ पूरी ताकत से बोलें भारत माता की... जय। भारत माता की... जय। भारत माता की... जय।बहुत-बहुत धन्यवाद !!!

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।