Proponents of 'jungle raj' do not want people of Bihar to chant 'Bharat Mata Ki Jai'
About one lakh crore rupees have been sanctioned under Mudra Yojana, people have Bihar have oneself benefited through it: PM
It is time to go 'vocal for local': PM Modi

भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय।
मिथिला के ई पावन धरती पर, समस्त सहरसा बासी सबके हम गोर लगई छी !

केन्द्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान गिरिराज सिंह जी, श्री आर के सिंह जी, राज्य सरकार में मंत्रि श्रीमान विजेंद्र यादव जी, विधान परिषद सदस्य श्रीमान सम्राट चौधरी जी, संसद में हमारे साथी श्रीमान दिनेश चंद्र यादव जी और जोश से भरे, उत्साह से भरे ये सहरसा के मरे प्यारे भाइयो और बहनो,
सहरसा के अनेक विधानसभा क्षेत्रों सहित सुपौल और मधेपुरा के हजारों साथी, जो टेक्नोलॉजी के माध्यम से, डिजिटल माध्यम से आज जुड़े है और हिस्सा बने हैं, मैं उन सबका भी मैं अभिनंदन करता हूं !

भाइयो और बहनो, बीते दिनों, मैं बिहार के करीब-करीब हर क्षेत्र में गया हूं, जनभावनाओं को देखा है, समझा है।
अभी दूसरे चरण के मतदान के जो ट्रेंड मिल रहे हैं, उसने तस्वीर बिल्कुल साफ कर दी है। बिहार का जनादेश स्पष्ट है- बिहार में एक बार फिर NDA की सरकार बनने जा रही है। बिहार के लोग आत्मनिर्भर भारत, आत्मनिर्भर बिहार के लिए प्रतिबद्ध हैं, कटिबद्ध हैं।
बीते वर्षों में एक नए उदीयमान, आत्मनिर्भर और गौरवशाली अतीत से प्रेरित बिहार की नींव रखी जा चुकी है।
अब इस मजबूत नींव पर एक भव्य और आधुनिक बिहार के निर्माण का समय है। बिहार के लोग जानते हैं कि ये संकल्प तभी पूरा होगा जब केंद्र और राज्य, दोनों ही जगहों पर एनडीए सरकार होगी, जब उसे डबल इंजन की ताकत मिलेगी।

भाइयो और बहनो, इतिहास गवाह है कि बिहार में सामर्थ्य की कोई कमी नहीं है। बिहार का सामर्थ्य बिहार के एक-एक व्यक्ति से, एक-एक नागरिक से बनता है।
बिहार का सामर्थ्य बिहार के हर प्रतिभावान नौजवान से बनता है। बिहार का सामर्थ्य बिहार की ऊर्जावान बहनों-बेटियों से बनता है। बिहार का सामर्थ्य बिहार की क्रांतिकारी मिट्टी से बनता है। बिहार का सामर्थ्य बिहार के गरीबों, वंचितों, दलितों, पिछड़ों का संकल्प शक्ति से बनता है।

जंगलराज ने बिहार के सामर्थ्य के साथ जो अन्याय किया, जो विश्वासघात किया वो बिहार का एक-एक नागरिक, पुरानी पीढ़ी वे भी और वर्तमान पीढ़ी वाले भी बहुत अच्छी तरह जानते हैं।

साथियो, गरीब-गरीब की बात करते रहना, जुबान पर बार-बार गरीब की बात लाना, इन लोगों ने बिहार के गरीब को ही चुनावों से दूर कर दिया था, ये हाल था बिहार का। बिहार के गरीब को अपनी मर्जी की सरकार बनाने का अधिकार ही नहीं था। जंगलराज के उस दौर में मतदान के दिन गरीबों को घर से नहीं निकलने दिया जाता था, बूथ के बूथ लूट लिए जाते थे। ऐसे लोग बिहार को फिर पुराने दौर में ले जाना चाहते हैं। लेकिन वो ये भूल रहे हैं कि बिहार का गरीब, बिहार के लोग उनके बहकावे में न आने वाले हैं, ना उनके सामने थर-थर कांपने वाले हैं।

मैं आज ये बिहार की धरती, जिसने मानवजाति को लोकतंत्र के पाठ पढ़ाए। उस बिहार की धरती से विशेष रूप से हमारे देश के चुनाव आयोग को, चुनाव संपन्न कराने में जुटे कर्मचारियों को और इस चुनाव को शांतिपूर्ण करवाने के पीछे दिन-रात मेहनत कर रहे मैं सुरक्षाबलों का भी हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं।
चुनाव के समय जिस बिहार से हिंसा और बूथ लूटने की खबरें छाई रहती थीं, आज वही बिहार, कोरोना के इस इतने बड़े संकट में भी उमंग और उत्साह के साथ लोकतंत्र का उत्सव मना रहा है।
ये बदलाव लाने के लिए बिहार के लोगों की जितनी प्रशंसा की जाए, जितना उनका गौरवगान किया जाए उतनी कम है, भाइयो।

साथियो, मैं आज बिहार के युवा साथियों से, बेटे-बेटियों से विशेष तौर पर कहूंगा कि आपका एक वोट, आपके एक वोट की ताकत कम मत आंकना। जिस प्रकार से श्री कृष्ण उँगली पर गोवर्धन को उठाए थे, एक उँगली और जिस प्रकार ग्वालों ने समर्थन किया था वैसे ही आपकी उँगली पर लोकतंत्र के सौभाग्य का जो चिन्ह लगने वाला है, मतदान आप जो करने वाले हैं। आपके एक-एक वोट की ताकत है जो बिहार के उज्जवल भविष्य की गारंटी है, वो बिहार की ताकत बनने वाला है।

4 दशक पहले जब आपके बाबा पर-बाबा युवा थे, तब जेपी आंदोलन से जुड़कर उन्होंने देश की राजनीति को बदल दिया था। भ्रष्ट और लोकतंत्र विरोधी सरकार को उखाड़ने में उन्होंने अपना योगदान दिया था।
उसके बाद 2005 में आपके पिता और माता की पीढ़ी के हाथ एक ज़िम्मेदारी आई। जैसे आपके दादा, पर-दादा ने काम किया, उसी प्रकार से आपके माता पिता ने 2005 में 15 साल के कुशासन को सुशासन में बदलने के लिए अपनी ताकत लगा दी थी।
उन्होंने भी, पहले आपके दादा, पर-दादा ने लड़ाई लड़ी, फिर आपके माता-पिता ने लड़ाई लड़ी और बहुत बड़ी मुश्किल लड़ाई लड़ कर के बिहार को बाहर निकाला।
अब इस दशक में आपको आत्मनिर्भर आधुनिक बिहार बनाने के लिए, जो काम आपके दादा, पर-दादा करके गए, वो काम आपके माता-पिता ने किया, वो काम आज बिहार के नवजवानों को आगे बढ़ाना है, नई ऊर्जा के साथ बढ़ाना है।

आत्मनिर्भर बिहार यानी- बिहार का नेक्स्ट जनरेशन IT हब के रूप में विकास। आत्मनिर्भर बिहार यानी- बिहार में नए दुग्ध प्रोसेसिंग उद्योगों का विकास। आत्मनिर्भर बिहार यानी- बिहार में सैकड़ों नए किसान उत्पादक संघों का निर्माण।
आत्मनिर्भर बिहार यानी- बिहार के स्थानीय उद्यमियों, स्थानीय व्यापारियों का विकास। आत्मनिर्भर बिहार यानी- बिहार के कुटीर उद्योगों का विकास। आत्मनिर्भर बिहार यानी स्थानीय भाषा में, मातृभाषा में मेडिकल-इंजीनियरिंग जैसी तकनीकी शिक्षा की पढ़ाई।
आत्मनिर्भर बिहार यानी IT पार्क, सॉफ्टवेयर पार्क, हार्डवेयर मैन्यूफैक्चरिंग पार्क का निर्माण
आत्मनिर्भर बिहार यानी- हर गांव में इंटरनेट, हर पंचायत में इंटरनेट। आत्मनिर्भर बिहार यानी- छठी कक्षा के ऊपर के सभी छात्र-छात्राओं को कंप्यूटर की शिक्षा।

भाइयो और बहनो, एनडीए की सरकार में, बिहार इन संकल्पों को पूरा कर तेज गति से आगे बढ़ सकता है।
लक्ष्य कितना ही बड़ा क्यों न हो, चुनौती कितनी ही बड़ी क्यों न हो, ये बिहार है, बिहार ने हमेशा सफल होकर दिखाया है।
कोरोना संक्रमण के इस समय में, अगर आप सरकार की ताकत ना बनते तो, बहुत बड़ी तबाही मचनी तय थी। गरीब को राहत देने से लेकर, गरीब परिवार को रोजगार देने तक के प्रयास आपके सामने हैं। आज पूरी दुनिया ये देखकर हैरान है कि भारत कैसे अमेरिका और यूरोप की कुल आबादी से भी ज्यादा लोगों के लिए मुफ्त राशन का इंतजाम कर रहा है। कोई गरीब भूखा न सोए, ये कोरोना काल में सरकार की बहुत बड़ी प्राथमिकता रही है।

बीते 8 महीने से ये काम पूरी तन्मयता से, पूरी निष्ठा से, गरीबों के प्रति पूरी सेवा भाव से चल रहा है। इसके लिए बिहार के किसानों को मैं आज इस धरती से मैं विशेष तौर पर नमन करता हूं।

भाइयो और बहनो, बीते दशक में नीतीश जी के नेतृत्व में NDA सरकार ने आत्मनिर्भर बिहार की मजबूत नींव रखी है। बिहार में बिजली, पानी, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाएं आज गांव-गांव पहुंच रही हैं।
आज बिहार में भी सड़कें देर रात तक भी आबाद रहती हैं और बाजारों में चहल-पहल रहती है। आज बिहार असुरक्षा और अराजकता के अंधेरे को पीछे छोड़ चुका है।

भाइयो और बहनो, बीते वर्षों में डबल इंजन की सरकार ने जिस स्पीड और स्केल पर काम किया, वो अभूतपूर्व है।
आप याद करिए, बैंकों तक आपका पहुंचना कितना मुश्किल था। हमारे गांवों का बैंकों से लेनदेन तो बहुत ही कम था। जरूरी पैसे के अभाव में गांव के युवा अगर अपना छोटा-मोटा व्यवसाय करना भी चाहते तो नहीं कर पाते थे। हमारी बहनों, बेटियों के सशक्तिकरण में भी ये सबसे बड़ा रोड़ा था। इस स्थिति को बदलने के लिए बीते सालों में अनेक कदम उठाए गए हैं।
जनधन योजना के तहत बिहार में लगभग 5 करोड़ बैंक खाते खुलवाए गए हैं। इसमें से आधे से ज्यादा बैंक खाते बिहार की महिलाओं के हैं, हमारा माताओं के, बहनों के, बेटियों के हैं।
इसी जनधन योजना के कारण, कोरोना के इस संकट काल में बिहार की लाखों बहनों के बैंक खाते में सीधे सैकड़ों करोड़ रुपए जमा हो पाए हैं। यही जनधन योजना है, जिसके कारण कोरोना काल में भी बिहार के लाखों किसान परिवारों के बैंक खाते में सीधी मदद पहुंच पाई है।

भाइयो और बहनो, बैंक खाते के साथ-साथ मुद्रा योजना से भी बिहार की महिला उद्यमियों सहित छोटे व्यवसाइयों को, रोजगार और स्वरोजगार को एक नई ऊर्जा मिली है, नई ताकत मिली है।
कोई दुकानदार है, कोई ढाबा चलाता है, ऐसे अनेक छोटे-छोटे व्यापार कारोबार गांव-गांव, शहर-शहर में अनेक साथी करते हैं। मुद्रा योजना के तहत बिहार में करीब ढाई करोड़ ऋण बिना गारंटी के आवंटित किए जा चुके हैं। इससे भी करीब पौने 2 करोड़ तो हमारी महिला उद्यमी हैं। 50 लाख से अधिक साथी ऐसे हैं जिन्होंने पहली बार इस योजना के तहत बैंक से ऋण लिया है। बाकी अपने व्यवसाय को बढ़ा रहे हैं, उनका विस्तार कर रहे हैं।

भाइयो और बहनो, आप ये जानकर हैरान रह जाएंगे कि अकेले मुद्रा योजना के तहत ही बिहार को करीब-करीब एक लाख करोड़ रुपए दिए गए हैं।

साथियो, आज गांव, गरीब, वंचित, पिछड़े, दलित, आदिवासी के लिए जो बैंकों का ये दरवाजा खुला है, उससे सिर्फ उसकी आर्थिक मदद ही नहीं हुई है, बल्कि उसमें एक नया आत्मविश्वास आया है।
एनडीए सरकार, कमजोर वर्ग की हर जरूरत को देखते हुए काम कर रही है।
अब जैसे, बिहार के लाखों स्वाभिमानी साथी, पूरी मेहनत से रेहड़ी, पटरी, ठेले पर कुछ न कुछ बेचने-खरीदने का काम करते हैं। इन साथियों की बहुत बड़ी दिक्कत दशकों से ये रही है कि इनके काम को कोई पहचान ही नहीं मिलती थी।

अब पीएम स्वनिधि योजना से ऐसे लाखों साथी पहली बार सिस्टम में रजिस्टर हो रहे हैं। उनको पहली बार बैंकों से सस्ता और आसान ऋण तो मिल ही रहा है, भविष्य में और ज्यादा ऋण मिले, इसके लिए रिकॉर्ड भी मेनटेन हो रहा है।

भाइयो और बहनो, हमारे जो छोटे किसान हैं, पशुपालक हैं, मछली के कारोबार से जुड़े साथी हैं, वो भी लंबे समय तक बैंकों के बाहर से कर्ज लेने के लिए मजबूर थे, बहुत ऊंचे ब्याज से लेते थे।
जरूरत पड़ने पर उन्हें बहुत ज्यादा ऊंची ब्याज दरों पर और वो भी बड़ी मुश्किल से कर्ज मिलता था। जब वो कर्ज तले दब जाते थे, उनके सामने बहुत बड़ा संकट आ जाता था। इसी संकट से उन्हें निकालने के लिए छोटे किसानों, पशुपालकों, मछलीपालकों को किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा से जोड़ा जा रहा है और एक-एक मछुआरे के घर, एक-एक किसान के घर, एक-एक पशुपालक के घर ये सुविधाएं पहुंचाने के लिए हमारे गिरिराज जी और उनका विभाग दिन-रात काम कर रहा है।

यहां के पानी में पैदा हुई मछलियां, देश के दूसरे हिस्सों में, विदेशों तक में जा सकती हैं। मछली पालन से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने के लिए सरकार 20 हजार करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है। आजादी के बाद एक समय इतना रुपया कभी नहीं दिया गया। इसका लाभ यहां के मछली पालन करने वाले लोगों को भी होगा।
इसी तरह पशुपालकों की एक बड़ी दिक्कत रही है- जानवरों में होने वाले बीमारी।
पशुओं में खुरपका-मुंहपका- फुट एंड माउथ डिजीज कम करने के लिए देश में बहुत बड़ा अभियान चलाया जा रहा है। ये अभियान भी बिहार के किसानों का पशुधन बचाने में मदद करेगा।

साथियो, बिहार के हर जिले में कम से कम एक ऐसा उत्पाद है, जो देश और विदेश के बाजारों में धूम मचा सकता है। आत्मनिर्भर बिहार के लिए हर जिले में इन उत्पादों को निखारने-संवारने के लिए जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर और उद्योग लगाने की प्रक्रिया शुरु हो चुकी है। अभी तक बिहार के 30 जिलों में ऐसे चुनिंदा उत्पादों की पहचान हुई है।
अब जैसे सहरसा और सुपौल में मखाना, मधेपुरा में आम, पूर्णिया में केला, किशनगंज में अनानास, यानी हर जिले में इन उत्पादों की प्रोसेसिंग को, ये जो उत्पाद है उनके प्रोसेसिंग को बल देने का, मार्केटिंग को बल देने का व्यापक खाका खींचा जा चुका है।
जब हर जिले में इस प्रकार के उत्पादों से जुड़े उद्यम लगेंगे, तो यहीं पर रोजगार और स्वरोजगार के अनेक अवसर बनेंगे।

भाइयो और बहनो, NDA सरकार हमारे किसानों के उत्पादों को कितना संरक्षण दे रही है, इसका बहुत बड़ा उदाहरण है हमारा जूट से जुड़ा सेक्टर।
आज जब देश सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्ति की तरफ तेजी से अपने कदम बढ़ा रहा है तो इसका सीधा लाभ हमारे जूट किसानों को हो रहा है, जूट उद्योग को हो रहा है।
हाल में सरकार ने फैसला लिया है कि देश में अनाज की शत-प्रतिशत पैकेजिंग जूट के बोरों में ही होगी।
जबकि चीनी की पैकेजिंग में भी जूट बैग को प्राथमिकता दी जाएगी। इससे बिहार सहित देशभर के लाखों जूट किसानों और जूट श्रमिकों को बहुत लाभ होगा।

साथियो, आज देश वोकल फॉर लोकल, आप मेरे साथ बोलेंगे? मैं कहूंगा ‘वोकल फॉर’ आप कहेंगे ‘लोकल’, वोकल फॉर लोकल, वोकल फॉर लोकल।
वोकल फॉर लोकल के मंत्र को अपने रोजमर्रा के जीवन का, अपनी रोजमर्रा की खरीदारी का हिस्सा बना रहा है। अब लोग जब बाहर जाते हैं, बाजार जाते हैं, ऑनलाइन सामान खरीदते हैं, तो सबसे पहले देखते हैं कि ये सामान भारत का बना हुआ है कि नहीं है। ये सामान भारत में कहां बना, कहां पैदा हुआ है।

साथियो, स्थानीय लोगों का बनाया सामान, जब बिकता है, दूर-दूर तक जाता है, तो आपको भी पता है कि इसका फायदा किसको होता है? किसी कुटीर उद्यमी का, किसी बुनकर का, किसी दिए बनाने वाले भाई-बहन का, किसी खिलौने बनाने वाले का, किसी पेंटिंग बनाने वाली मां-बहन का, गांव की गरीब महिला का।
वोकल फॉर लोकल, ऐसे गरीबों की जिंदगी बदलने का भी अभियान है।

साथियो, आपने देखा है, सुना भी है, जब भी मैं बिहार आता हूं, मखाने की बात जरूर करता हूं।
ऐसा नहीं है कि मेरे आने के बाद ही सबको ये पता चला कि यहां मखाना इतना ज्यादा होता है, इतना अच्छा होता है।
ये बात पहले से भी पता थी लोगों को, लेकिन गर्व के साथ हम अपनी चीजों का बखान नहीं करेंगे तो फिर कौन करेगा?
जब हम अपनी स्थानीय चीजों को आगे बढ़ाते हैं, उसे सिर माथे लगाकर रखते हैं, तो दुनिया को भी पता चलता है, दुनिया में भी उसकी गूंज होती है। फिर वो चीज सिर्फ लोकल नहीं देखते ही देखते ही वो चीज ग्लोबल हो जाती है।

आपको मैं खादी का भी उदाहरण दूंगा। ऐसा नहीं है कि जब एनडीए सरकार आई तो किसी नई तरह की खादी का जन्म हो गया। खादी वही पुरानी है, लेकिन बीते वर्षों के प्रयासों से अब खादी का गौरव, हमारे बुनकरों की मेहनत का गौरव कुछ और हो गया है, बढ़ गया है। पहले जितनी खादी बिकती थी, उससे कई गुना ज्यादा खादी आज बिक रही है, लोग खरीद रहे हैं, दुनिया में भी मांग बढ़ रही है।
2014 से पहले, 25 वर्ष में जितने रुपए की खादी हमारे देश में बिकी थी, उससे ज्यादा की खादी पिछले पाँच साल में बिक चुकी है। बताइए, कितने गरीबों का लाभ हुआ होगा, कितनी विधवा माताओं का फायदा होगा, कितने बुनकर भाइयों का फायदा हुआ होगा।

आप हैरान रह जाएंगे, दिल्ली में एक खादी का स्टोर है, दो-तीन हफ्ते पहले, एक दिन में एक करोड़ रुपए से ज्यादा का सामान उस एक स्टोर में से बिका है, लोकल लोगों के प्रोडक्ट। हमारे बिहार में तो ऐसी चीजों, ऐसे सामानों की लिस्ट बहुत लंबी है।
हमें खादी की तरह ही देश और दुनिया में इनका प्रचार करना है, प्रसार करना है। आज सहरसा की इस भूमि से, मैं देश भर के लोगों को एक आग्रह भी करना चाहता हूं, 130 करोड़ देशवासियों को आग्रह करना चाहता हूं, आने वाले दिनों में धनतेरस का त्योहार आ रहा है, दीवाली का त्योहार आ रहा है, फिर छठी मैया की पूजा भी है। मेरा 130 करोड़ देशवासियों से आग्रह है, जितना संभव हो पाए आप लोकल चीजें ही खरीदिए।
जब आप घर के आसपास में बने दीए खरीदेंगे, घर के आसपास बना सामान खरीदेंगे, तो दीवाली सिर्फ आपके घर में नहीं दीवाली उस गरीब के घर में भी होगी मेरे भाइयो-बहोन।
आप देखिएगा, जब आपके साथ-साथ एक गरीब भी दीवाली मनाता होगा तो आपका आनंद, आपका संतोष चार गुना बढ़ जाएगा, भाइयो-बहनो।
जब किसी समाज की मूल जरूरतें पूरी होती हैं, तब वो अपने सपनों, अपनी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए जुट जाता है। ये दशक भी, बिहार की आकांक्षाओं, युवा बिहार के सपनों को साकार करने का दशक है।
आत्मनिर्भर बिहार का संकल्प, इन्हीं सपनों, इन्हीं आकांक्षाओं की पूर्ति का रोडमैप है, रास्ता है।
भाइयो और बहनो, रेलवे व्यवस्था में बिहार, देश की आत्मनिर्भरता का बहुत बड़ा केंद्र है। आज बिहार की बदौलत, भारत, बहुत ज्यादा शक्तिशाली रेल इंजन बनाने वाले दुनिया के बड़े देशों में अपना स्थान दर्ज करा चुका है। आधुनिक और तेज रफ्तार ट्रेनों के निर्माण में भी बिहार की भूमिका बहुत बड़ी है।
मधेपुरा की फैक्ट्री ने तेज चलने वाली मालगाड़ियों के लिए इस कोरोना काल में भी बहुत काम किया है।
आज जब पूरी दुनिया की कंपनियां मेक इन इंडिया के लिए भारत आ रही हैं, तो इसका बहुत बड़ा लाभ बिहार को भी मिलने वाला है। जिस तरह बिहार में कनेक्टिविटी बढ़ रही है, गांव-गांव सड़क पहुंचाने, इंटरनेट पहुंचाने का काम हो रहा है, उससे बिहार के विकास को और गति मिलने वाली है।
इस बार तो छठी मैया के आशीर्वाद से, मुझे कोसी महासेतु को भी आपको सौंपने का सौभाग्य मिला है। कोसी महासेतु ने आपका दशकों पुराना इंतजार खत्म किया है। अब आपका समय भी बच रहा है और पैसे भी बच रहे हैं।


लेकिन भाइयो और बहनो, बिहार के विकास के इन प्रयासों के बीच, आपको सतर्क भी रहना है। सतर्क उन लोगों से, जिनका इतिहास बिहार में जंगलराज का है। सतर्क उन लोगों से, जो बिहार के लिए नहीं, सिर्फ अपने लिए जीते हैं। सतर्क उन लोगों से, जिन्हें बिहार की मान मर्यादा, बिहार के मान सम्मान से कोई लेना-देना नहीं।
भाइयों और बहनों, बिहार की अनेकों वीर माताएं, अपने लाल, अपनी लाडली को राष्ट्ररक्षा के लिए समर्पित करती हैं।
बिहार के शूरवीर देश की सीमा, देश की संप्रभुता की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान देते हैं, देश की रक्षा करते हैं। लेकिन बिहार को जंगलराज बनाने वालों के साथी, उनके करीबी क्या चाहते हैं, आपको पता है?
वो चाहते हैं, आप भारत माता की जय के नारे न लगाएं।
सोचिए, हमारा देश, हमारी भारत माता, लेकिन ऐसे भी लोग हमारे सामने हैं, जो भारत मां की जय बोलने से, बुखार आ जाता है। सोचिए, छठी मैया को पूजने वाली इस धरती पर, जंगलराज के साथी चाहते हैं कि भारत माता की जय के नारे न लगें।
वो चाहते हैं, आप जय श्री राम भी न बोलें। बिहार के चुनाव प्रचार में मां भारती का जयकारा करना इन लोगों को रास नहीं आ रहा।
सोचिए, बिहार में जंगलराज लाने वालों के साथियों को भारत माता से दिक्कत है। कभी एक टोली कहती है कि भारत माता की जय के नारे मत लगाओ, कभी दूसरी टोली को भारत माता की जय से सिरदर्द होने लगता है।

ये भारत माता के विरोधी अब एकजुट होकर बिहार के लोगों से वोट मांगने के लिए आए हैं। अगर उन्हें भारत माता से दिक्कत है, तो बिहार को भी इन लोगों से दिक्कत है, मेरे भाइयो-बहनो।
ऐसे लोगों को जवाब देने के लिए, जिन्होंने भारत माता की जय के प्रति नाराजगी व्यक्त की है। ऐसे लोगों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए आज यहां उपस्थित सभी लोगों से मैं आग्रह करूंगा। आप पूरे जोश मां भारती का जयकारा मेरे साथ बोलिए, दोनों मुट्ठी बंद करके बोलिए।
भारत माता की जय।
भारत माता की जय।
भारत माता की जय।

साथियो ,मां भारती के सम्मान में निकली यही गूंज, आत्मनिर्भर बिहार, आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को प्रेरित करती है, प्रोत्साहित करती है।
मैं बिहार के हर युवा से, NDA के सभी कार्यकर्ताओं से आग्रह करूंगा, आपने जो मेहनत की है, कंधे से कंधा मिलाकर जन-जन तक पहुंचे हैं, ये बात पूरा हिन्दुस्तान गर्व से याद कर रहा है। आपकी ये मेहनत कभी बेकार नहीं जाएगी। नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की दोबारा सरकार बनाने का आपका संकल्प पूरी तरह साकार होने वाला है। हमें पूरी शक्ति के साथ एक-एक वोटर तक पहुंचना है, NDA के संकल्पों को, बिहार के लिए हमारे रोडमैप को हमें पहुंचाना है।
इस बार वोटिंग के भी और जीत के भी सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ने हैं, भाइयो-बहनो।

भाजपा, जेडीयू, हम पार्टी और VIP पार्टी के हर उम्मीदवार के पक्ष में पड़ा हर वोट, इस दशक को बिहार के नाम करेगा। NDA की होने वाली रिक़ॉर्ड जीत बिहार के युवाओं की आकांक्षाओं की जीत होगी।
आप यहां भारी संख्या में आए, इसके लिए मैं आपका बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं और विजयपथ पर आगे बढ़ें, संकल्प के साथ बढ़ें, मेहनत करने में कोई कमी ना रखें, हर बूथ पर डटे रहें, हर परिवार तक पहुंचें, ज्यादा से ज्यादा मतदान करवाएं, लोकतंत्र का उत्सव मनाएं और बिहार की विकास यात्रा का एक मजबूत नींव डालने का काम चुनाव में करें। इसी अपेक्षा के साथ मेरे साथ बोलिए।
भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय। बहुत-बहुत धन्यवाद।

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Prime Minister Narendra Modi to attend Christmas Celebrations hosted by the Catholic Bishops' Conference of India
December 22, 2024
PM to interact with prominent leaders from the Christian community including Cardinals and Bishops
First such instance that a Prime Minister will attend such a programme at the Headquarters of the Catholic Church in India

Prime Minister Shri Narendra Modi will attend the Christmas Celebrations hosted by the Catholic Bishops' Conference of India (CBCI) at the CBCI Centre premises, New Delhi at 6:30 PM on 23rd December.

Prime Minister will interact with key leaders from the Christian community, including Cardinals, Bishops and prominent lay leaders of the Church.

This is the first time a Prime Minister will attend such a programme at the Headquarters of the Catholic Church in India.

Catholic Bishops' Conference of India (CBCI) was established in 1944 and is the body which works closest with all the Catholics across India.