ಈಶಾನ್ಯ ಜನರ ಗೌರವಾರ್ಥವಾಗಿ, ತಮ್ಮ ಮೊಬೈಲ್ ಫೋನ್‌ಗಳ ಬ್ಯಾಟರಿ ದೀಪವನ್ನು ಆನ್ ಮಾಡುವಂತೆ ಬಿಜೆಪಿ ಕಾರ್ಯಕರ್ತರನ್ನು ಪ್ರಧಾನಿ ಮೋದಿ ಒತ್ತಾಯಿಸಿದರು.
ಈಗ, ಈಶಾನ್ಯವು ದೆಹಲಿಯಿಂದ (ಹೃದಯಭೂಮಿ) ಅಥವಾ ಹೃದಯದಿಂದ ದೂರವಿಲ್ಲ ಎಂದು ಪ್ರಧಾನಿ ಮೋದಿ ಹೇಳುತ್ತಾರೆ
ಬಿಜೆಪಿಯ ನಿರಂತರ ಗೆಲುವಿಗೆ ಅದರ ಸರ್ಕಾರಗಳ ಕೆಲಸ ಮತ್ತು ಕೆಲಸದ ಸಂಸ್ಕೃತಿಯ 'ತ್ರಿವೇಣಿ' ಮತ್ತು ಅದರ ಕಾರ್ಯಕರ್ತರ ಸೇವೆಯ ಬದ್ಧತೆಗೆ ಪ್ರಧಾನಿ ಮೋದಿ ಸಲ್ಲುತ್ತಾರೆ.
ಬಿಜೆಪಿಯ ಕಾರ್ಯಕರ್ತರು ಶಿಸ್ತಿಗೆ ಹೆಸರಾದವರು. ಅವರು ಕಷ್ಟದ ಸಮಯದಲ್ಲಿ ನಮ್ಮ ಧ್ವಜವನ್ನು ಎತ್ತರಕ್ಕೆ ಹಾರಿಸಿದರು ಎಂದು ಪ್ರಧಾನಿ ಮೋದಿ ಹೇಳಿದರು

भारत माता की जय।


भारत माता की जय।


भारत माता की जय।


सबसे पहले मेरी आप सबको एक प्रार्थना है। नॉर्थ ईस्ट के हमारे सभी भाइयों-बहनों के सम्मान में, नॉर्थ ईस्ट के हमारे सभी नागरिकों के सम्मान में, आप अपना मोबाइल फोन निकालकर के फ्लैश लाइट चालू कीजिए और नॉर्थ ईस्ट के सभी नागरिकों का अभिनंदन कीजिए। जिन-जिन के पास मोबाइल है, अपनी फ्लैश चलाकर के ये नॉर्थ ईस्ट के नागरिकों का सम्मान है। ये नॉर्थ ईस्ट के देशभक्ति का सम्मान है। ये नॉर्थ ईस्ट का प्रगति के रास्ते पर जाने का सम्मान है। ये नॉर्थ ईस्ट के लोगों के सम्मान में आपने जो ये मोबाइल फोन के माध्यम से प्रकाश फैलाया है। ये प्रकाश उनके सम्मान में है। उनके गौरव में है। आपका मैं धन्यवाद करता हूं।

साथियों,


बीते वर्षों में भाजपा मुख्यालय ऐसे अनेक अवसरों का साक्षी बना है। आज हमारे लिए जनता-जनार्दन को विनम्रता से नमन करने का एक और अवसर आया है। मैं त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड की जनता का सिर झुकाकर वंदन करता हूं। उन सबका आभार व्यक्त करता हूं। इन राज्यों की जनता ने बीजेपी और हमारे साथी-सहयोगियों को भरपूर आशीर्वाद दिया है। मैं आज त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय के बीजेपी कार्यकर्ताओं को भी बहुत बधाई देता हूं। दिल्ली में या हमारे अन्य इलाकों में बीजेपी का काम करना उतना कठिन नहीं है, जीतना नॉर्थ ईस्ट में है। वहां का कार्यकर्ता हमसे अनेक गुना मेहनत करता है और इसलिए वहां के कार्यकर्ता विशेष रूप से अभिनंदन के अधिकारी हैं। आज के नतीजे आप सभी भाजपा कार्यकर्ताओं की मेहनत का परिणाम हैं।

साथियों,


आज के चुनाव और इन चुनाव परिणामों में देश के लिए, दुनिया के लिए, बहुत सारे संदेश हैं। आज के नतीजे ये दिखाते हैं कि भारत में लोकतंत्र और लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं पर कितनी आस्था है, एक मजबूत आशावाद है। लोकतंत्र की राह पर चलते हुए, हर शंका-आशंका का समाधान हो सकता है, बदलाव लाया जा सकता है। एक समय था जब नॉर्थ ईस्ट में चुनाव होते थे, नतीजे आते थे तो दिल्ली में और देश के अन्य हिस्सों में उतनी चर्चा ही नहीं होती थी। जो चर्चा होती भी थी, तो वो चुनावी हिंसा की होती थी। बम-बंदूक और ब्लॉकेड की चर्चा होती थी। त्रिपुरा में तो हाल ये था कि पहले एक पार्टी के अलावा किसी दूसरी पार्टी का झंडा तक नहीं लगाया जा सकता था। और अगर किसी ने लगाने की कोशिश की तो उसको लहूलुहान कर दिया जाता था। इस बार इन चुनावों में हमने कितना बड़ा परिवर्तन देखा है। भाजपा ने नॉर्थ ईस्ट की राजनीति की दिशा ही नहीं, उसकी दशा ही नहीं, लेकिन एक आत्मविश्वास से भरा हुआ और नई दिशा पर चल पड़ा हुआ नॉर्थ ईस्ट हम देख रहे हैं।

आज सुबह से मैं जब टीवी देख पाया, इन चुनावों के नतीजे ही छाए रहे। ये सिर्फ दिलों की दूरी समाप्त होने का ही नहीं, बल्कि ये नई सोच का प्रतिबिंब है। अब नॉर्थ ईस्ट, अब नॉर्थ ईस्ट, ना दिल्ली से दूर है और ना ही दिल से दूर है। ये युग परिवर्तन का समय है, ये नया इतिहास रचे जाने का समय है। मैं नॉर्थ ईस्ट की शांति, समृद्धि और विकास का ये समय देख रहा हूं। मुझे याद है कि कुछ दिनों पहले जब मैं नॉर्थ ईस्ट गया था, तो किसी ने मुझे बोला कि मोदी जी, आपको अपनी हाफ सेंचुरी के लिए बहुत-बहुत बधाई! मैंने उनको पूछा कि भई ये कैसी हाफ सेंचुरी आप बता रहे हैं ! तब उन्होंने मुझे बताया कि जब से बोले आप प्रधानमंत्री बने हैं, आप 50 से भी ज्यादा बार नॉर्थ ईस्ट का विजिट कर चुके हैं। जो अभी नड्डा जी बता रहे थे।

साथियों,

सवाल बधाई का नहीं है, लेकिन जब एक नागरिक मुझे ये कह रहा था तब मैं अनुभव कर रहा था कि जाने मात्र से इसके दिल को कितना सुकून मिला है। नॉर्थ ईस्ट के नागरिकों के दिलों में कितना प्यार उमड़ के आया हैं, उसकी वो अभिव्यक्ति थी और तब मुझे लगता था की मेहनत कभी न कभी तो रंग लाती है। चुनाव जीतने से भी ज्यादा मुझे इस बात का संतोष है कि प्रधानमंत्री के कार्यकाल में बार-बार नॉर्थ ईस्ट जा करके मैंने उनके दिलों को जीता है और वो मेरे लिए सबसे बड़ी जीत है। मुझे ये संतोष भी हुआ कि पूर्वोत्तर के लोगों को ये अहसास हो रहा है कि अब उनकी उपेक्षा नहीं होती। केंद्र की भाजपा सरकार में नॉर्थ ईस्ट के राज्यों को भी उतना ही महत्व मिलता है।

साथियों,


आज बहुत सारे पॉलिटिकल विश्लेषक, बीजेपी की सफलता को समझने का प्रयास कर रहे हैं। कुछ हमारे ‘विशेष शुभचिंतक’ भी हैं, इन विशेष शुभचिंतक, जिनके पेट में ये सोच-सोचकर के दर्द होता है कि बीजेपी की जीत का राज क्या है। साथियों, मैं ज्यादा तो टीवी देख नहीं पाता हूं, लेकिन मुझे लगता है कि शायद अब तक मैंने देखा नहीं है कि EVM पर गाली पड़नी शुरू हुई है कि नहीं हुई है। लेकिन ऐसे हर शुभचिंतक को मैं बीजेपी की सफलता का रहस्य बताना चाहता हूं। भाजपा के विजय अभियान का रहस्य छिपा है त्रिवेणी में। त्रिवेणी यानि तीन धाराओं का संगम। इस त्रिवेणी की पहली शक्ति है- भाजपा सरकारों का कार्य। इस त्रिवेणी की दूसरी शक्ति है- भाजपा सरकारों की कार्य-संस्कृति और इस त्रिवेणी की तीसरी शक्ति है - भाजपा के कार्यकर्ताओं का सेवाभाव। ये त्रिवेणी मिलकर भाजपा की शक्ति को वन प्लस वन प्लस वन यानि एक सौ ग्यारह गुना बढ़ा देते हैं। हमने देश को एक नई राजनीति दी है। राजनीति की एक नई संस्कृति दी है। हमने ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ एक नया विकास मॉडल देश को दिया है। हमारे काम के तौर-तरीकों में कोई भेदभाव नहीं होता। हम सबके विकास में भरोसा करते हैं। हम सबके लिए सेवाभाव से काम करते हैं। हमारी प्रेरणा है- एक भारत-श्रेष्ठ भारत। भाजपा का विकास मॉडल, देशहित को सर्वोपरि रखता है। हमारे लिए देश प्रथम है, देशवासी प्रथम हैं।

साथियों,


हमारे देश में हमेशा से एक और पॉलिटिकल मॉडल रहा, जिसमें पहले ऐसा कहते थे कि जो दूरदृष्टा होते हैं, स्टेट्समैन होते हैं, वो आने वाली पीढ़ियों का सोचते हैं। और पॉलिटिशियन के लिए कहा जाता था कि वो अगले चुनाव का सोचते हैं। तो मुझे किसी ने एक बार कहा तो मैंने कहा कि अब कहावत और बदल गई है। बोले क्या, मैंने कहा पहले जो स्टेट्समैन होते हैं, वो अगली पीढ़ी के लिए सोचते हैं। पहले कहा जाता था कि पॉलिटिशियन अगले चुनाव के लिए सोचते हैं, लेकिन आज तो समय ऐसा बदल गया है कि पॉलिटिशियन दूसरे दिन के अखबार में क्या छपेगा इस पर ही सोचते रहते हैं। शाम को टीवी में उनकी तस्वीर आएगी कि नहीं, यही सोचते रहते हैं। और इसलिए जो आसान चीजें होती हैं, जो जरा मुंह में पानी छूट जाए, ऐसे चीजें होती हैं। और जिनसे लोगों को आसानी से गुमराह किया जा सकता है। उसी मॉडल पर चलने की फैशन बढ़ रही है। राजनीति के इस मॉडल में कठिन लक्ष्यों को हाथ ही नहीं लगाया जाता था। तब समस्याओं को ऐसे टाल दिया जाता था, जैसे उनका कोई अस्तित्व ही नहीं है। समस्या की तरफ देखना ही नहीं। ये पॉलिटिकल मॉडल कठिनाइयों का हल नहीं करता था, बल्कि लोगों के जीवन को लंबे समय के लिए कठिनाई में जीने के लिए मजबूर कर देता था।

भाजपा ने इस अप्रोच को पूरी तरह बदल दिया है। हम सबसे कठिन चीजों को हल करने के लिए कठिन से कठिन मेहनत करते हैं, और तमाम मुश्किलों के बावजूद समाधान के जो भी रास्ते मिलें, उन रास्तों पर चलने का ईमानदारी से प्रयास करते हैं। हम ये नहीं देखते कि इस काम को करना कितना मुश्किल होगा। बल्कि हम ये देखते हैं कि अगर हमने इस काम को नहीं किया तो लोगों का जीवन और कितना मुश्किल हो जाएगा। हमें दर्द होता है। हमारी नींद चली जाती है। नॉर्थ ईस्ट का उदाहरण ही हमारे सामने है। आजादी के सात दशकों बाद भी नॉर्थ ईस्ट के हजारों गांवों तक बिजली नहीं पहुंची थी, साथियों। क्या 21वीं सदी में बिना बिजली की जिंदगी कोई कल्पना कर सकता है। पहले की सरकारों ने देखा कि वहां तक बिजली पहुंचाना कठिन काम है, इसलिए उन गांवों को अंधेरे में छोड़ दिया गया। नॉर्थ ईस्ट में लोगों को घर, पक्के घर, उनको नल से जल, उनके घरों में गैस का कनेक्शन ये उपलब्ध कराने, ये पहले की सरकारों के काम की सूची में ही नहीं था। क्योंकि उनके लिए न तो उन क्षेत्रों की परवाह थी, और न ही ऐसे कठिन कामों को करने का हौसला था।

एयरपोर्ट, हाईवे, रेलवे – ये कनेक्टिविटी, नॉर्थ ईस्ट में इन चीजों के विकास को भी कठिन मान लिया गया था। पहले की सरकारें कठिनाइयों से बचती रहीं, और इसकी वजह से हर परियोजना में देरी होती रही। हमने इन परियोजनाओं को पूरा किया और लगातार मेहनत कर रहे हैं। हमारे ऐसे ही प्रयासों की वजह से आज देश पहली बार गरीबी के खिलाफ इतनी मजबूती से लड़ रहा है। और मुझे तो खुशी है कि मेरा गरीब भाई भी गरीबी को खत्म करने के लिए मेरे साथ कंधे से कंधा लगा करके मेहनत कर रहा है। इसीलिए आज भारत के विकास और उसकी रफ्तार की तारीफ पूरी दुनिया में हो रही है। हो रही है कि नहीं हो रही है। चारों तरफ गूंज सुनाई दे रही है कि नहीं सुनाई दे रही है।

साथियों,


भाजपा के विजय अभियान में, जो हमारी त्रिवेणी की तीसरी शक्ति है। शिवजी की भी न कहते हैं तीसरा नेत्र, सबसे सामर्थ्यवान माना जाता है। ये हमारी जो तीसरी शक्ति है, वो तीसरी शक्ति हमारे भाजपा के कार्यकर्ता हैं और मैं उनको बार-बार नमन करता हूं। भाजपा के कार्यकर्ता का सेवाभाव अतुल्य है। भाजपा के कार्यकर्ता का श्रम और समर्पण अतुल्य है। भाजपा के कार्यकर्ता की पहचान उसके अनुशासन से होती है। हमारी पार्टी ने बड़ी से बड़ी मुश्किलों को देखा है। हमने कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना किया है। लेकिन, हमारे कार्यकर्ता ने मुश्किल से मुश्किल हालातों में भी पार्टी का झण्डा बुलंद रखा है। भाजपा जब कदम बढ़ाती है, तो उसे रोकने के लिए उसके कार्यकर्ताओं को प्रताड़ित किया जाता है, उनके खिलाफ हिंसा की होती है। लेकिन, वो राष्ट्र के लिए, राष्ट्र निर्माण के लिए संकल्पित होते हैं। इसलिए, वो त्याग की पराकाष्ठा से पार्टी के कदमों को और देश के सपनों को कभी भी टूटने नहीं देते हैं, निरंतर आगे बढ़ते रहते हैं। जिस पार्टी के पास कार्य हो, कार्य-संस्कृति हो और ऐसे समर्पित कार्यकर्ता हों, उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है।

साथियों,
आज मुझे ये देखकर भी खुशी है कि हर चुनाव के साथ-साथ देश की बहनों-बेटियों का सुरक्षा कवच बीजेपी के लिए मजबूत होता जा रहा है। त्रिपुरा की, नॉर्थ ईस्ट की बहनों को भी मैं इस भरोसे के लिए विशेष आभार व्यक्त करता हूं। ये बीजेपी का सौभाग्य रहा कि हमने नागालैंड को पहली राज्यसभा सांसद, एक महिला को देकर के शुभ शुरुआत की। आज नागालैंड में तो पहली बार महिला उम्मीदवार चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंची है। ये हम सभी के लिए, पूरे देश की माताओं-बहनों के लिए गौरव की बात है। बीजेपी महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए प्रतिबद्ध है। पीएम आवास योजना में महिलाओं के नाम घर हो, जल जीवन मिशन के तहत हर घर पाइप से पानी पहुंचाना हो, गरीब कल्याण योजना के तहत मुफ्त राशन देना हो, आयुष्मान भारत योजना के तहत 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज देना हो, मुद्रा योजना के माध्यम से बिना गारंटी लिए 10 लाख रुपये तक की मदद हो, ऐसी अनेक योजना का लाभ, अनेक योजना का लाभ नॉर्थ ईस्ट की लाखों बहनों को हुआ है। इसलिए उनका भरोसा भाजपा पर लगातार सशक्त हो रहा है। ऐसे समय में, ऐसे समय में जब कुछ लोग मोदी की कब्र खोदने की ख्वाहिश कर रहे हैं, जहां मौका पड़ता है कमल खिलता ही जा रहा है, खिलता ही जा रहा है। कुछ लोग कट्टर, कट्टर की पहचान में लगे हुए हैं। वो हर काम बेईमानी भी कट्टरता से करते हैं। ये कट्टर लोग कहते हैं- मर जा मोदी। वो कहते हैं-मर जा मोदी। देश कह रहा है- मत जा मोदी। मत जा...मोदी मत जा।

साथियों,


आज के चुनाव नतीजों के बाद, साथियों आज के नतीजों के बाद कांग्रेस ने छोटों के प्रति अपनी नफरत को फिर से जगजाहिर कर दिया। कांग्रेस कह रही है और अध्यक्ष उनके कह रहे हैं कि ये तो छोटे राज्य हैं, इनके नतीजे उतना मायने नहीं रखते। जब दिल में ही भारत को जोड़ने की भावना ना हो, तो ऐसे बोल निकलते ही हैं। ये इन राज्यों के लोगों का अपमान है, जनमत का अपमान है। छोटे राज्यों को इस तरह तिरस्कार की भावना से देखकर कांग्रेस बहुत बड़ी गलती कर रही है। इसी सोच की वजह से कांग्रेस ने हमेशा देश के गरीब को छोटा समझा, देश के दलित-पिछड़ों-आदिवासियों को छोटा समझा। कांग्रेस ने हमेशा संख्याबल को, वोटबैंक को देखते हुए राजनीति की है। यही मानसिकता है जिसने आजादी के बाद देश का बहुत बड़ा नुकसान किया है। जब हमारी सरकार ने गरीब के लिए शौचालय बनाए, तो कांग्रेस उसे छोटा काम कहती रही। जब हमने गरीब के बैंक खाते खुलवाए, तो कांग्रेस ने उसे भी छोटा काम बताया। जब हमने सफाई अभियान चलाया, कांग्रेस ने छोटा काम मानकर उसका भी मजाक उड़ाया। मैं कांग्रेस से कहना चाहता हूं, छोटे लोगों से, छोटे राज्यों से यही नफरत आपको आगे भी चुनावों में डुबोने जा रही है।

आज नॉर्थ ईस्ट के नतीजों ने, बीजेपी के खिलाफ वर्षों से चलाए जा रहे एक और प्रोपेगेंडा को भी ध्वस्त कर दिया है। आप सभी जानते हैं कि कुछ विरोधी दलों ने और उनके इको-सिस्टम ने हमेशा भाजपा पर एक लेबल चिपकाने की कोशिश की है। शुरुआत में बीजेपी को बनिया पार्टी कहा गया, हिंदी पट्टी की पार्टी कहा गया। फिर कहा गया कि बीजेपी सिर्फ शहरी मिडिल क्लास की पार्टी है और गांवों में कोई आधार नहीं है। समय के साथ इन सारे मिथकों को बीजेपी ने तोड़ दिया। लेकिन इसके साथ ही विरोधी दल ये कहने लगे कि आदिवासी क्षेत्रों में बीजेपी को उतना समर्थन नहीं है। पिछले 10 सालों में हमने इस भ्रम को भी तोड़ दिया है। आज देश का आदिवासी समाज ही नहीं, दलित और पिछड़े भी भाजपा के साथ हैं। अभी हमने गुजरात चुनावों में भी देखा है कि कैसे आदिवासी पट्टे में भाजपा को जबरदस्त जीत मिली है।

साथियों,


हमारे यहां बरसों तक माइनॉरिटीज को भी बीजेपी का डर दिखाया गया। देश-विदेश में प्रोपेगेंडा चलाया गया। लेकिन अपप्रचार के इस झूठ की पोल, गोवा के लोग खोलते रहे हैं। अब नॉर्थ ईस्ट के लोग भी इस झूठ की पोल खोलने में जुट गए हैं। नागालैंड और मेघालय में जहां बहुसंख्यक आबादी हमारे क्रिश्चियन भाई-बहनों की है, वहां बीजेपी के लिए इतना जबरदस्त समर्थन लगातार बढ़ रहा है। वहीं नागालैंड में लगातार दूसरी बार हमारे गठबंधन को आशीर्वाद मिला है। गोवा में भाजपा लगातार जीत पर जीत का रिकॉर्ड बना रही है। मैं जानता हूं, जैसे-जैसे कुछ दलों द्वारा फैलाए इस झूठ का पर्दाफाश होगा, वैसे-वैसे भाजपा का और विस्तार होता जाएगा।

साथियों,


कुछ दलों द्वारा पर्दे के पीछे गठबंधन करके भाजपा को बाहर रखने का खेल भी आज देश देख रहा है। जनता देख रही है कि कैसे ये राजनीतिक दल उसके साथ, नागरिकों के साथ, जनता-जनार्दन के साथ छल-कपट कर रहे हैं। एक राज्य में दोस्ती और दूसरे राज्य में कुश्ती, ऐसा करने वाले राजनीतिक दलों का असली चेहरा जनता के सामने आ चुका है। केरला की जनता भी ये देख रही है कि कैसे लेफ्ट और कांग्रेस दूसरे राज्यों में गठबंधन करते हैं और केरला में एक-दूसरे के खिलाफ होने का ढोंग रचाते हैं। सच्चाई यही है कि ये दोनों मिले हुए हैं। दोनों मिलकर केरला को लूट रहे हैं। इसलिए मुझे विश्वास है कि आने वाले वर्षों में भी, जैसे नागालैंड में हुआ है, जैसे मेघालय में हुआ है, जैसे गोवा में होता रहा है, केरला में भी भाजपा गठबंधन की सरकार बनेगी।

साथियों,


नॉर्थ ईस्ट की विजय ने बाकी देश के कार्यकर्ताओं में भी ऊर्जा भर दी है। देश की जनता बार-बार भाजपा पर भरोसा जता रही है। हमें विनम्र भाव से आगे बढ़ना है। हमें सभी को साथ लेकर चलना है। आजादी के इस अमृतकाल में, भारत को विकसित बनाने के लिए सबका प्रयास आवश्यक है। आइए, यहां से हम दोगुनी ताकत से राष्ट्र निर्माण में जुट जाएं। त्रिपुरा, नागालैंड और मेघालय की जनता का मैं फिर से एक बार हृदयपूर्वक आभार व्यक्त करता हूं। उनका अभिनंदन करता हूं।


बहुत-बहुत धन्यवाद !


भारत माता की जय !


भारत माता की जय !


भारत माता की जय !


भारत माता की जय !


बहुत-बहुत धन्यवाद !

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PM to participate in ‘Odisha Parba 2024’ on 24 November
November 24, 2024

Prime Minister Shri Narendra Modi will participate in the ‘Odisha Parba 2024’ programme on 24 November at around 5:30 PM at Jawaharlal Nehru Stadium, New Delhi. He will also address the gathering on the occasion.

Odisha Parba is a flagship event conducted by Odia Samaj, a trust in New Delhi. Through it, they have been engaged in providing valuable support towards preservation and promotion of Odia heritage. Continuing with the tradition, this year Odisha Parba is being organised from 22nd to 24th November. It will showcase the rich heritage of Odisha displaying colourful cultural forms and will exhibit the vibrant social, cultural and political ethos of the State. A National Seminar or Conclave led by prominent experts and distinguished professionals across various domains will also be conducted.