Country is not formed by governments alone. What is also important is fulfilling our duties as citizens: PM
Our conduct as citizens will determine the future of India, it will decide the direction of new India: PM

मैं काशी का जन प्रतिनिधि हूँ और काशी की धरती पर इतनी बड़ी तादाद में पूज्य संतो का आशीर्वाद पाने का अवसर मिला यह मेरा सौभाग्य है और काशी के प्रतिनिधि के नाते मैं आप सबका ह्रदय से बहुत बहुत स्वागत करता हूँ । संस्कृत और संस्कृति की संगम स्थली में आप सभी के बीच आना मेरे लिए सौभाग्य का विषय है। बाबा विश्वनाथ के सानिध्य में, मां गंगा के आंचल में, संतवाणी का साक्षी बनने का अवसर बार बार नहीं आता है ।

इस कार्यक्रम में आने के लिए मुझे पूज्य जगद्गुरू जी ने आमंत्रण पत्र लिखा था। लेकिन उस पत्र में अपेक्षा और आग्रह से भी अधिक मेरे और राष्ट्र के समय की चिंता अधिक थी। लेकिन संतों का आदेश हो, ऋषियों के संदेश का महोत्सव हो, युवा भारत के लिए पुरातन भारत के गौरवगान का अवसर हो, तो समय और दूरी बाधा नहीं बन सकती।

आखिर संतों के सत्संग का, ज्ञान की प्राप्ति का ये मौका जब भी मिले छोड़ना नहीं चाहिए । आप भी पूरे देश भर से, कोने कोने से, इतनी बड़ी संख्या में यहाँ आए हैं। बहुत से लोग कर्नाटका से हैं, बहुत से महाराष्ट्र से हैं और बाबा भोले की नगरी का प्रतिनिधित्व तो यहां है ही।

मैं आप सभी का स्वागत भी करता हूं और अभिनंदन भी।

साथियों, तुलसीदास जी कहा करते थे- ‘संत समागम हरि कथा तुलसी दुर्लभ दोउ’। इस भूमि की यही विशेषता है। ऐसे में वीरशैव जैसी संत परंपरा को युवा पीढ़ी तक पहुंचा रहे जगद्गुरु विश्वराध्य गुरुकुल के शताब्दी वर्ष का समापन एक गौरवशाली क्षण है। इस क्षण के साक्षी, वीरशैव परंपरा से जुड़े आप सभी साथियों के साथ जुड़ना मेरे लिए बहुत सुखद है। वैसे तो वीर शब्द को अधिकतर लोग वीरता से जोड़ते हैं लेकिन वीरशैव परंपरा, वो परंपरा है जिसमें वीर शब्द को आध्यात्मिक अर्थ से परिभाषित किया गया है।

विरोध रहितं शैवं वीरशैवं विदुर्बुधाः।

यानि, जो विरोध की, वैर की भावना से ऊपर उठ गया है वो वीरशैव है। मानवता का इतना महान संदेश इसके नाम से जुड़ा हुआ है। यही कारण है कि समाज को वैर, विरोध और विकारों से बाहर निकालने के लिए वीरशैव परंपरा का हमेशा से आग्रह और प्रखर नेतृत्व रहा है।

साथियों, भारत में राष्ट्र का ये मतलब कभी नहीं रहा कि किसने कहाँ जीत हासिल की, किसकी कहाँ हार हुई! हमारे यहाँ राष्ट्र सत्ता से नहीं, संस्कृति और संस्कारों से सृजित हुआ है, यहां रहने वालों के सामर्थ्य से बना है। ऐसे में भारत की सही पहचान को भावी पीढ़ी तक पहुंचाने का दायित्व हम सभी पर है, गुरुओं, संतों और विद्वानों पर है।

हमारे ये मंदिर हों, बाबा विश्वनाथ सहित देश के 12 ज्योतिर्लिंग हों, चार धाम हों या वीरशैव संप्रदाय के 5 महापीठ हों, शक्तिपीठ हों, ये दिव्य व्यवस्थाएं हैं। ये सारे धाम आस्था और आध्यात्म के ही केंद्र नहीं हैं, बल्कि एक भारत, श्रेष्ठ भारत के भी मार्गदर्शक हैं। ये हम सभी को, देश के जन-जन को, देश की विविधता को आपस में जोड़ते हैं।

साथियों, ये संयोग ही है गुरुकुल का ये शताब्दी समारोह नए दशक की शुरुआत में हुआ है। ये दशक 21वीं सदी के ज्ञान विज्ञान में भारत की भूमिका को विश्व पटल पर फिर प्रतिष्ठापित करने वाला है। ऐसे में, भारत के पुरातन ज्ञान और दर्शन के सागर, श्रीसिद्धान्त शिखामणि को 21वीं सदी का रूप देने के लिए मैं आपका अभिनंदन करता हूं।

भक्ति से मुक्ति का मार्ग दिखाने वाले इस दर्शन को भावी पीढ़ी तक पहुंचना चाहिए। एक App के माध्यम से इस पवित्र ज्ञानग्रंथ का डिजिटलीकरण युवा पीढ़ी के जुड़ाव को और बल देगा, उनके जीवन की प्रेरणा बनेगा। मैं चाहूंगा आगे चल करके इस App के द्वारा इसी ग्रन्थ के सम्भन्द में हर वर्ष quiz कम्पटीशन करना चाहिए और हर राज्य से पहले तीन जो आये उनको इनाम देना चाहिए। सब कुछ ऑनलाइन हो सकता है ।

देश और दुनिया के कोने-कोने तक श्री जगद्गुरु रेणुकाचार्य जी के पवित्र उपदेश को पहुंचाने के लिए श्रीसिद्धान्त शिखामणि ग्रंथ का 19 भाषाओं में अनुवाद किया गया है। आज इसका भी विमोचन यहां किया गया है। संतों के इस ज्ञान को जन-जन तक पहुंचाना मानवता की बहुत बड़ी सेवा है। इसके लिए हम सभी से जो कुछ भी बन पड़े, हमें इसी तरह करते रहना चाहिए।

साथियों, वीरशैव से जुड़े, लिंगायत समुदाय से जुड़े संतों ने या फिर दूसरे साथियों ने शिक्षा और संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। कर्नाटका सहित देश के अनेक हिस्सों में मठों के माध्यम से अज्ञान के अंधकार को दूर किया जा रहा है, मानव गरिमा को नए आयाम दिए जा रहे हैं, वो प्रशंसनीय है। जंगमबाड़ी मठ तो भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक रूप से वंचित साथियों के लिए प्रेरणा का, आजीविका का माध्यम भी है। आपके ये प्रयास बहुत सराहनीय हैं। इतना ही नहीं, संस्कृत भाषा और दूसरी भारतीय भाषाओं को ज्ञान का माध्यम बनाते हुए, टेक्नॉलॉजी का समावेश आप कर रहे हैं, वो भी अद्भुत है। सरकार का भी यही प्रयास है कि संस्कृत सहित सभी भारतीय भाषाओं का विस्तार हो, युवा पीढ़ी को इसका लाभ हो।

यहां मैं श्री काशी जगद्गुरु श्री चंद्रशेखर शिवाचार्य महास्वामी जी की भी विशेष प्रशंसा करूंगा जिन्होंने ‘भारतीय दर्शन कोष’ की रचना में बड़ी भूमिका निभाई। श्रीसिद्धान्त शिखामणि पर तो उन्होंने PhD की हुई है। उनके द्वारा लिखी गई सैकड़ों पुस्तकें, युवा पीढ़ी का मार्गदर्शन कर रही हैं, उन्हें राष्ट्र निर्माण के संस्कार दे रही हैं।

साथियों, देश सिर्फ सरकार से नहीं बनता बल्कि एक-एक नागरिक के संस्कार से बनता है। नागरिक के संस्कार को उसकी कर्तव्य भावना श्रेष्ठ बनाती है। एक नागरिक के रूप में हमारा आचरण ही भारत के भविष्य को तय करेगा, नए भारत की दिशा तय करेगा। हमारी सनातन परंपरा में तो “धर्म” शब्द ही कर्तव्य का पर्याय रहा है। और वीरशैव संतों ने तो सदियों से धर्म की शिक्षा कर्तव्यों के साथ ही दी है। जंगमबाड़ी मठ हमेशा से इन्हीं मूल्यों के सृजन में लगा हुआ है। कितने ही शिक्षण संस्थानों के लिए मठ ने जमीन दान की हैं, संसाधन उपलब्ध कराए हैं। मठों द्वारा दिखाए रास्ते पर चलते हुए, संतों द्वारा दिखाए रास्ते पर चलते हुए, हमें अपने जीवन के संकल्प पूरे करने हैं और राष्ट्र निर्माण में भी अपना पूरा सहयोग करते चलना है। भगवान बसवेश्वर जिस करुणा भाव के साथ दूसरों की सेवा के लिए कहते थे, हमें उस करुणा भाव के साथ आगे बढ़ना है। हमें देश के संकल्पों के साथ खुद को जोड़ना है।

जैसे पिछले 5 वर्षों में भारत में स्वच्छता के प्रति जागरूक करने में संतों की, मठों की, गुरुकुलों की, स्कूलों की, कॉलेजों की एक व्यापक भूमिका रही है। जिस प्रकार काशी और देश के युवाओं ने स्वच्छ भारत अभियान को देश के कोने-कोने में पहुंचाया है, वैसे ही और संकल्पों को भी हमें आगे बढ़ाना है। ऐसा ही एक बड़ा संकल्प है, भारत में बने सामान को, हमारे बुनकरों, हमारे हस्तशिल्पियों के बनाए सामान को सम्मान देना। मैंने तो लाल किले से कहा था हम सब यह आग्रह रखें लोकल जो है उसे ही खरीदे। हमें खुद भी और अपने इर्दगिर्द के लोगों को भी भारत में बने सामान के उपयोग पर बल देना होगा। आज भारत में वैश्विक स्तर के उत्पाद बन रहे हैं। हमें उस मानसिकता को बदलना है जिसके मुताबिक बस इंपोर्टेड ही श्रेष्ठ माना जाता है।

इसी तरह, देश में जलजीवन मिशन को लेकर भी आप सभी की भूमिका, देश की भूमिका अहम रहने वाली है। घर हो, खेत हो, या दूसरे स्थान, हमें पानी की बचत पर, रिसाइक्लिंग पर ध्यान देना है। भारत को सूखामुक्त और जलयुक्त करने के लिए एक-एक भारतीय का योगदान काम आएगा।

साथियों, देश में इतने बड़े अभियानों को सिर्फ सरकारों के माध्यम से नहीं चलाया जा सकता। सफलता के लिए बहुत आवश्यक है जनभागीदारी। बीते 5-6 वर्षों में अगर गंगाजल में अभूतपूर्व सुधार देखने को मिल रहा है तो इसके पीछे भी जनभागीदारी का बहुत महत्व है। मां गंगा के प्रति आस्था और दायित्व का भाव आज अभूतपूर्व स्तर पर है। आज गंगा जी के इर्द-गिर्द बसे गांवों, कस्बों और शहरों में मां गंगा के प्रति दायित्व का बोध अभूतपूर्व स्तर पर है। इस दायित्व बोध ने, कर्तव्यबोध ने, मां गंगा की स्वच्छता में, नमामि गंगे मिशन में बहुत योगदान दिया है। नमामि गंगे अभियान के तहत 7 हजार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट्स पर काम पूरा हो चुका है। 21 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक के प्रोजेक्ट्स पर कार्य प्रगति पर है। जिन प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है उनको भी हम तेज़ी से पूरा करने का प्रयास कर रहे हैं।

इन प्रयासों को मदद मिलेगी, ज्यादा से ज्यादा जनभागीदारी से, आप सभी के सहयोग से। आपने स्वयं देखा है कि पिछले वर्ष प्रयाग में कुंभ मेले के दौरान, गंगा जल की स्वच्छता को लेकर हर साधु-संत और हर श्रद्धालु ने संतोष व्यक्त किया था और आशीर्वाद दिया था । देश-विदेश में अगर इसको लेकर प्रशंसा का भाव दिखा है, तो इसके पीछे जनभागीदारी की ही भावना रही है।

साथियों,

वीरशैव संतों ने मानवता के जिन मूल्यों का उपदेश दिया है वो हम सभी को, हमारी सरकारों को भी निरंतर प्रेरणा देते हैं। इसी प्रेरणा की वजह से आज देश में ऐसे फैसले हो रहे हैं, ऐसी पुरानी समस्याओं का समाधान किया जा रहा है, जिनकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था। राम मंदिर के निर्माण का विषय भी दशकों से अदालतों में उलझा हुआ था। अब अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण का मार्ग पूरी तरह साफ हो चुका है। कुछ दिन पहले ही सरकार ने राम मंदिर निर्माण के लिए एक स्वायत्त ट्रस्ट- ‘श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र’ के गठन करने की भी घोषणा की है। ये ट्रस्ट अयोध्या में भगवान श्रीराम की जन्मस्थली पर, भव्य और दिव्य श्रीराम मंदिर के निर्माण का काम देखेगा और सारे निर्णय लेगा। कर्नाटका समेत अनेक स्थानों के संत इस ट्रस्ट का हिस्सा हैं। ये काम पूज्य संतों के आशीर्वाद से शुरु हुआ और संतों के आशीर्वाद से ही पूरा होगा।

साथियों, अयोध्या में राम मंदिर से जुड़ा एक और बड़ा फैसला सरकार ने किया है। अयोध्या कानून के तहत जो 67 एकड़ जमीन अधिगृहित की गई थी, वो भी पूरी की पूरी, नवगठित श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र को ट्रांसफर कर दी जाएगी। जब इतनी बड़ी जमीन रहेगी, तो मंदिर की भव्यता और दिव्यता और बढ़ेगी।

सोचिए, एक तरफ अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण और दूसरी तरफ यहां वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम, भारत के इतिहास में ये कालखंड ऐतिहासिक है।

साथियों, आप सभी लोगों के, आप सभी संतों के आशीर्वाद से ही आज देश में और काशी में अनेकों नए कार्य हो रहे हैं। अभी यहां इस कार्यक्रम के बाद, वाराणसी में ही मेरे दो और कार्यक्रम हैं जिनमें हजारों करोड़ रुपए की योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया जाएगा। ये सभी कार्यक्रम, काशी को मजबूत करेंगे, नए भारत को मजबूत करेंगे।

आइए, गुरुकुल के शताब्दी वर्ष के इस अंतिम दिन हम ये संकल्प लें कि नए भारत के निर्माण में अपना हर संभव योगदान देंगे। राष्ट्रहित में एक बेहतर और कर्तव्य प्रेरित नागरिक बनकर, पूरे समाज को आगे बढ़ाएंगे। मुझे इस अवसर का हिस्सा बनाने के लिए आपका फिर से आभार।

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।