उपस्थित सभी महानुभाव और मेरे परिवार के सभी सदस्य, बंधु गण, मैंने ये कहा कि मेरे परिवार के! दो कारण से - एक तो मैं बनारस का हो गया हूं और दूसरा बचपन से एक ही याद रही है, वो है, रेल। इसलिए रेल से जुड़ा हर व्यक्ति मेरे परिवार का सदस्य है और इस अर्थ में मैं परिवार जनों के बीच आज आया हूं। मुझे खुशी है कि आज यहां दो महत्वपूर्ण प्रकल्प, एक तो 4,500 horse power capacity का डीज़ल इजिंन राष्ट्र को समर्पित हो रहा है और ये हमारी capability है। भारत को आगे बढ़ना है, तो इस बात पर बल देना होगा कि हम, हमारे आत्मबल पर, हमारी शक्ति के आधार पर हमारी आवश्यकताओं की पूर्ति करने का काम करें।

एक समय था, ये देश पेट भरने के लिए अन्न बाहर से लाता था। जब विदेशों से अन्न आता था, तब हमारा पेट भरता था। लेकिन इस देश में एक ऐसे महापुरूष हुए जिसने बेड़ा उठाया, देश के किसानों को ललकारा, आवाह्न किया, उनको प्रेरणा दी, जय जवान जय किसान का मंत्र दिया और देश के किसानों ने अन्न के भंडार भर दिए। आज हिंदुस्तान अन्न विदेशों में दे सके, ये ताकत आ गई है। वो काम किया था, इसी धरती के लाल, लाल बहादुर शास्त्री ने। अगर हमारे किसान देश को आत्मनिर्भर बना सकते हैं, अन्न के भंडार भर सकते हैं, तो देश की उस ताकत को पहचान करके हमने देश की उस युवा शक्ति का आवाह्न किया है - Make in India! हमारी जितनी आवश्यकताएं हैं, उसका निर्माण देश में क्यों नहीं होना चाहिए? क्या कमी है! जिस देश के पास होनहार नौजवान हों, 65 प्रतिशत 35 साल से कम उम्र के नौजवान हों, वो देश क्या नहीं कर सकता है?

इसलिए भाइयों, बहनों, लाल बहादुर शास्त्री का मंत्र था- जय जवान जय किसान और उन्होंने देश के अन्न के भंडार भर दिए। हम Make in India का मंत्र ले करके आए हैं इंडिजिनस! भारत की विधा से, भारत के संसाधनों से भारत अपनी चीज़ों को बनाए। आज, डिफेंस के क्षेत्र में हर चीज़ हम बाहर से लाते हैं। अश्रु गैस भी बाहर से आता है, बताईए! रोने के लिए भी बाहर से हमको साधन लाने पड़ते हैं। ये बदलना है मुझे और उसमें एक महत्वपूर्ण पहल आज आपके यहां से.. indigenous .. मुझे बताया गया, ये जो इंजिंन बना है, इसमें 96% कंपोनेंट यहीं पर बने हैं, आप ही लोगों ने बनाए हैं। मैंने कहा है कि वो 4% भी नहीं आना चाहिए। बताइए कैसे करोगे? उन्होंने कहा- हम बीड़ा उठाते हैं, हम करेंगे। डिफेंस..सब चीज़ें हम बाहर से ला रहे हैं, मोबाइल फोन बाहर से ला रहे हैं, बताईए! हमारे देश में हमें एक वायुमंडल बनाना है और इस पर हम कोशिश कर रहे हैं।

रेलवे! आप ने मुझे, जब से प्रधानमंत्री बना हूं, बार बार मेरे मुंह से रेलवे के बारे में सुना होगा। घूम फिर करके कहीं भी भाषण करता हूं तो रेलवे तो आ ही जाता है। एक तो बचपन से आदत है और दूसरा, मेरा स्पष्ट मानना है कि भारत में रेलवे देश को आगे ले जाने की इतनी बड़ी ताकत रखती है, लेकिन हमने उसकी उपेक्षा की है। मेरे लिए रेलवे एक बहुत बड़ी प्राथमिकता है। आप कल्पना कर सकते हो, इतना बड़ा infrastucture! इतनी बड़ी संख्या में manpower! इतना पुराना experience! और विश्व में सर्वाधिक लोगों को ले जाने लाने वाला ये इतना बड़ा organization हमारे पास हो। इसको अगर आधुनिक बनाया जाए, इसको अगर technology upgradation किया जाए, management perfection किया जाए। service oriented बनाया जाए तो क्या हिंदुस्तान की शक्ल सूरत बदलने में रेलवे काम नहीं आ सकती? भाइयों, बहनों मैं ये सपना देख करके काम कर रहा हूं। इसलिए रेलवे तो आगे बढ़ना ही है, लेकिन रेलवे के माध्यम से मुझे देश को आगे बढ़ाना है। और, अब तक क्या हुआ है, रेल मतलब- दो-पांच किलोमीटर नई पटरी डाल दो, एक आद दो नई ट्रेन चालू कर दो, इसी के आस-पास चला है। हम उसमें आमूल-चूल परिवर्तन चाहते हैं।

उसी प्रकार से human resource development. हम जानते हैं कि रेलवे में अभी भी बहुत लोगों को रोज़गार मिलने की संभावनाएं हैं। लेकिन उनकी आर्थिक स्थिति ऐसी है कि वे हिम्मत नहीं करते। अगर आर्थिक रूप से उनको मजबूत बनाया जाए तो हज़ारो नौजवान रेलवे अभी भी absorb कर सकता है, इतनी बड़ी ताकत है। इसलिए योग्य manpower के लिए हम चार युनिवर्सिटी बनाना चाहते हैं, हिंदुस्तान के चार कोनों में। उस युनिवर्सिटी में जो आएंगे उन नौजवानों की शिक्षा दीक्षा होगी और उनको रेलवे के अंदर नौकरी मिलेगी। हमारे कई रेलवे के कर्मचारी हैं। उनकी संतानों को अगर वहां पर पढ़ने का अवसर मिलेगा तो अपने आप रेलवे में नौकरी करने के लिए उसकी सुविधा बढ़ जाएगी। उसको भटकना नहीं पड़ेगा। कुछ लोग अफवाहें फैलाते हैं। आप में से कई लोग होंगे जो 20 साल की उम्र के बाद, 22 साल की उम्र के बाद, पढ़ाई करने के बाद रेलवे से जुड़े होंगे। मैं जन्म से जुड़ा हुआ हूं। इसलिए आप लोगों से ज्यादा रेलवे के प्रति मेरा प्यार है, क्योंकि मेरा तो जीवन ही उसके कारण बना है। जो लोग अफवाहें फैला रहे हैं कि रेलवे का privatization हो रहा है, वो सरासर गलत है। मुझ से ज्यादा इस रेलवे को कोई प्यार नहीं कर सकता और इसलिए ये जो गप्प चलाए जा रहे हैं, भाईयों, बहनों न ये हमारी इच्छा है, न इरादा है, न सोच है। हम इस दिशा में कभी जा नहीं सकते, आप चिंता मत कीजिए। हम क्या चाहते हैं - आज देश के गरीबों के लिए जो पैसा काम आना चाहिए, स्कूल बनाने के लिए, अस्पताल बनाने के लिए, रोड बनाने के लिए, गांव के अंदर गरीब आदमी की सुविधा के लिए, उन सरकारी खजाने के पैसे हर साल रेलवे में डालने पड़ते हैं। क्यों? रेलवे को जि़ंदा रखने के लिए। हम कितने साल तक हिंदुस्तान के गरीबों की तिजोरी से पैसे रेल में डालते रहेंगे? और अगर कहीं और से पैसा मिलता है, तो समझदारी इसमें है कि गरीबों के पैसे रेल में डालने के बजाए, जो धन्ना सेठ हैं, उनके पैसे रेल में डालने चाहिए। इसलिए कम ब्याज से आज दुनिया में पैसे मिलते हैं। हम उन पैसों को रेलवे के विकास के लिए लगाना चाहते हैं, जिसके कारण, आप जो रेलवे में काम कर रहे हैं, उनका भी भला होगा और हिंदुस्तान का भी भला होगा। रेलवे का privatization नहीं होने वाला है।

अब मुझे बताईए, ये युनियन वालों को मैं पूछना चाहता हूं कि रूपया रेलवे में आए, डालर आए, पाउंड आए, अरे आपको क्या फर्क पड़ता है भई! आपका तो पैसा आ रहा है। दूसरी बात, रेलवे के स्टेशन जितने हैं, हमारे.. अब मुझे बताइए, मुझे रेलवे युनिवर्सिटी बनानी है..अगर रेलवे युनिवर्सिटी में मुझे जापान से मदद मिलती है, चाइना से मदद मिलती है, टेक्नॉलोजी की मदद मिलती है, expertise की मदद मिलती है, तो लेनी चाहिए कि नहीं लेनी चाहिए? ज़रा बताईए, सच्चा बोलिए, दिल से बोलिए- लेनी चाहिए कि नहीं लेनी चाहिए? यही काम ये सरकार करना चाहती है भाईयों! और इतना ही नहीं इतना ही नहीं. आज हम देखें हमारे रेलवे स्टेशन कैसे हैं? रेलवे स्टेशन पर रेलवे में 12-12 घंटे प्लेटफार्म पर काम करने वाले रेलवे के कर्मचारी को बैठने के लिए जगह नहीं होती है। ये सच्चाई है कि नहीं है? उसको बेचारे को बैठ करके खाना खाना हो, उसके लिए जगह नहीं है। क्या हमारे रेलवे स्टेशन सुविधा वाले होने चाहिए कि नहीं होने चाहिए? रेलवे पर आने वाले लोगों को सुविधा मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए? मैंने सर्वे किया कि बनारस स्टेशन पे जितने पैसेंजर आते हैं, उनको बैठने के लिए सीट है क्या? और मैं हैरान हो गया कि बहुत कम सीट हैं। ज्यादातर बेचारे बूढ़े पैसेंजर भी घंटों तक रेलवे के इंतज़ार में खड़े रहते हैं। क्या उनको बैठने की सुविधा मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए? मैंने क्या किया, मेरे MPLAD का जो फंड था, मैंने रेलवे वालों को कहा, सबसे ज्यादा, जितनी बैंच लगा सकते हो, प्लेटफार्म पर लगाओ ताकि यहां गरीब से गरीब व्यक्ति को रेलवे के इंतज़ार में बैठा है तो उसको बैठने की जगह मिले। और मैंने सभी एमपी को कहा है, हिंदुस्तान भर में सभी रेलवे स्टेशन पर वो अपने MPLAD फंड में से पैसे लगा करके वहां पर वहां पर बैंचें डलवाएं ताकि रेलवे स्टेशन पर आने वाले पैसेंजर की सुविधा बढ़े। मुझे बताईए, ये सुविधा बढ़ेगी तो आशीर्वाद आपको मिलेगा कि नहीं मिलेगा? सीधी सीधी बात है, सब आपके फायदे के लिए हो रहा है भई। आप मुझे बताईए आज रेलवे स्टेशन जो हैं बड़े बड़े, heart of the city हैं! दो दो चार किलोमीटर लंबे स्टेशन हैं। नीचे तो आपकी मालिकी मुझे मंज़ूर है लेकिन रेलवे में आसमान में कोई इमारत बना देता है और रेलवे के खजाने में हजार करोड़, दो हजार करोड़ आज जाते हैं तो रेलवे मजबूत बनेगी कि नहीं बनेगी? वो प्लेटफार्म के ऊपर, हवा में, आकाश में अपनी इमारत बनाता है, रेलवे के फायदे में जाएगी कि नहीं जाएगी? मालिकी रेलवे की रहेगी कि नहीं रहेगी? रेलवे के कर्मचारियों का भला होगा कि नहीं होगा? हम जो विकास की दिशा ले करके चल रहे हैं, ये चल रहे हैं, privatization की हमारी दिशा नहीं है। हमें दुनिया भर का धन लाना है, रेलवे में लगाना है। रेलवे को बढ़ाना है, रेलवे को आगे ले जाना है और रेल के माध्यम से देश को आगे ले जाना है। हमारे देश में रेलवे को केवल यातायात का साधन माना गया था, हम रेलवे को देश के आर्थिक विकास की रीढ़ की हड्डी के रूप में देखना चाहते हैं।

इसलिए मेरे भाईयों, बहनों मैं देश भर के रेल कर्मचारियों को आज आग्रह करता हूं- आइए! हिंदुस्तान में सबसे उत्तम सेवा कहां की तो रेलवे की ये सपने को हम साकार करें। इन दिनों जो स्वच्छता का अभियान हमने चलाया है, कभी-कभार ट्विटर पर खबरें सुनने को मिलती हैं कि साहब मै पहले भी रेलवे में जाता था अब भी जाता हूं लेकिन अब जरा डिब्बे साफ-सुथरे नजर आते हैं, सफाई दिखती है देखिए लोगों को कितना संतोष मिलता है, आशीर्वाद मिलता है और ये कोई उपकार नहीं है, हमारी जिम्मेवारी का हिस्सा है। It is a part of our duty. धीरे-धीरे उस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं। हमारा पूरा रेलवे व्यवस्था तंत्र साफ-सुथरा क्यों न हो उसका सबसे ज्यादा लाभ गरीब लोगों को कैसे मिले, मैं तो देख रहा हूं. रेलवे Infrastructure का उपयोग देश के विकास में इतना हो सकता है जिसकी किसे ने कल्पना नहीं की थी। हमारे देश में पोस्ट ऑफिस का नेटवर्क और रेलवे का नेटवर्क इन दोनों का अगर बुद्धिपूर्वक उपयोग किया जाए तो हमारे देश के ग्रामीण विकास की वह धरोहर बन सकते हैं।

मैं उदाहरण देता हूं- रेलवे के पास बिजली होती है, कहीं पर भी जाइए रेलवे के पास बिजली का कनेक्शन है। हिंदुस्तान की हर जगह पर। रेलवे के पास Infrastructure है। छोटे-छोटे गांव पर भी, छोटे-छोटे स्टेशन बने हुए हैं, भले ही वहां पर एक ट्रेन आती हो तो भी कोई न कोई वहां बैठा है, कोई न कोई व्यवस्था है। बाकी 24 घंटे वो खाली पड़ा रहता है उसी प्रकार से पोस्ट ऑफिस गांव-गांव तक उसका नेटवर्क है लेकिन वो पुराने जमाने की चल रही है उसमें बदलाव लाना है ये मैंने तय किया है और बदलाव लाने वाला हूं। अब मुझे बताइए गांव के अंदर जो रेलवे के स्टेशन हैं वहां पर दिन में मुश्किल से एक ट्रेन आती है मेरे हिसाब से हजारों की तादाद में ऐसी जगहें हैं, जहां बिजली हो, जहां Infrastructure हो वहीं पर अगर एक-दो कमरे और बना दिए जाएं और उन कमरों में Skill Development की Classes शुरू की जाएं क्योंकि Skill Development करना है तो Machine tools चाहिए और Machine tools के लिए बिजली चाहिए लेकिन बिजली गांव में नहीं है लेकिन रेलवे स्टेशन पर है, गांव के बच्चे Daily रेलवे स्टेशन पर आएंगे और रेलवे स्टेशन पर जो दो कमरें बने हुए होंगे उनमें जो Tools लगे हुए होंगे। Turner, Fitter के Course चलेंगे। एक साथ हिंदुस्तान में Extra पैसे खर्च किए बिना रेलवे की मदद से देश में हजारों की तादाद में Skill Development Centres खड़े हो सकते हैं कि नहीं।

मेरे भाईयों-बहनों थोड़ा दिमाग का उपयोग करने की जरुरत है, आप देखिए चीजें बदलने वाली हैं। मैं रेलवे के मित्रों से कहना चाहता हूं ऐसे स्टेशनों को Identify कीजिए जहां पर बिजली की सुविधा है वहां पर सरकार अपने खर्चे सेदो-तीन कमरे और बना दे और वहां पर उस इलाके के जो 500-1000 बच्चे हो उनके लिए Skill Development के Institutions चलें। ट्रेन ट्रेन का और Institutions, Institutions का काम करें रेलवे को Income हो जाए और गांव के बच्चों का Skill Development हो जाए। एक साथ हम अनेक व्यवस्थाएं विकसित कर सकते हैं और उस दिशा में हम आगे बढ़ना चाहते हैं।

आज एक तो सोलर प्लांट भी इसके साथ जुड़ रहा है। आधुनिक Loco shed का Expansion हो रहा है, करीब 300 करोड़ रुपए जब पूरा होगा। 300 करोड़ रुपए की लागत से यहां Expansion होने के कारण इस क्षेत्र के अनेक नौजवानों को रोजगार की नई संभावनाएं बढ़ने वाली हैं।

मैं फिर एक बार रेल विभाग को बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। श्रीमान सुरेश प्रभु जी के नेतृत्व में बहुत तेज गति से रेल का विकास होगा। आजादी के बाद जितना विकास हुआ है उससे ज्यादा विकास मुझे आने वाले दिनों में करना है। रेलवे के बैठे सभी मेरे साथियों आप सभी मेरे परिवारजन हैं और इसलिए मेरा आप पर हक बनता है, रेलवे वालों पर मेरा सबसे ज्यादा हक बनता है कि हम सब मिलकर के रेल को सेवा का एक बहुत बड़ा माध्यम बनाएं, सुविधा का माध्यम बनाएं और राष्ट्र की आर्थिक गति को तेज करने का एक माध्यम बना दें। उस विश्वास के साथ आगे बढ़ें, इसी एक अपेक्षा के साथ आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद.

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2025ರ ಮುಂಗಾರು ಅಧಿವೇಶನದ ಆರಂಭದಲ್ಲಿ ಪ್ರಧಾನಮಂತ್ರಿ ಅವರು ಮಾಡಿದ ಭಾಷಣದ ಕನ್ನಡ ಅನುವಾದ
July 21, 2025

ನಮಸ್ಕಾರ, ಸ್ನೇಹಿತರೇ!

ಮಾಧ್ಯಮ ಕ್ಷೇತ್ರದ ಎಲ್ಲಾ ಸ್ನೇಹಿತರಿಗೂ ಮುಂಗಾರು ಅಧಿವೇಶನಕ್ಕೆ ಸ್ವಾಗತ.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ,

ಮುಂಗಾರು ಎಂದರೆ ಹೊಸತನ ಮತ್ತು ಸೃಷ್ಟಿಯ ಸಂಕೇತ. ಇಲ್ಲಿಯವರೆಗೆ ಬಂದಿರುವ ವರದಿಗಳ ಪ್ರಕಾರ, ಇಡೀ ದೇಶದಲ್ಲಿ ಉತ್ತಮ ಮಳೆಯಾಗಿದ್ದು, ಕೃಷಿ ವಲಯಕ್ಕೆ ಲಾಭವಾಗುವ ವಾತಾವರಣ ನಿರ್ಮಾಣವಾಗಿದೆ. ಮಳೆಯು ನಮ್ಮ ರೈತರ ಆರ್ಥಿಕತೆಗೆ ಮಾತ್ರವಲ್ಲದೆ, ದೇಶದ ಆರ್ಥಿಕತೆಗೂ, ಗ್ರಾಮೀಣ ಆರ್ಥಿಕತೆಗೂ ಮತ್ತು ಪ್ರತಿಯೊಂದು ಮನೆಯ ಆರ್ಥಿಕತೆಗೂ ಪ್ರಮುಖ ಪಾತ್ರ ವಹಿಸುತ್ತದೆ. ನಾನು ಪಡೆದಿರುವ ಮಾಹಿತಿಯ ಪ್ರಕಾರ, ಈ ವರ್ಷ ಜಲಾಶಯಗಳಲ್ಲಿ ಸಂಗ್ರಹವಾಗಿರುವ ನೀರಿನ ಪ್ರಮಾಣವು ಕಳೆದ ಹತ್ತು ವರ್ಷಗಳ ದಾಖಲೆಗಿಂತ ಸುಮಾರು ಮೂರು ಪಟ್ಟು ಹೆಚ್ಚಿದೆ. ಇದು ಮುಂಬರುವ ದಿನಗಳಲ್ಲಿ ದೇಶದ ಆರ್ಥಿಕತೆಗೆ ಹೆಚ್ಚಿನ ಪ್ರಯೋಜನ ನೀಡುತ್ತದೆ.

 

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ಸ್ನೇಹಿತರೇ,

ಈ ಮುಂಗಾರು ಅಧಿವೇಶನವು ರಾಷ್ಟ್ರಕ್ಕೆ ಅಪಾರ ಹೆಮ್ಮೆಯ ವಿಷಯವಾಗಿದೆ. ಈ ಅಧಿವೇಶನವು, ದೇಶದ ಪಾಲಿಗೆ ಒಂದು ವಿಜಯೋತ್ಸವವೇ ಆಗಿದೆ. ಈ ಅಧಿವೇಶನವು ರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ಹೆಮ್ಮೆ ಮತ್ತು ವಿಜಯದ ಸಂಭ್ರಮವಾಗಿದೆ ಎಂದು ಹೇಳುವುದಕ್ಕೆ ಪ್ರಮುಖ ಕಾರಣವೆಂದರೆ, ಅಂತಾರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ಬಾಹ್ಯಾಕಾಶ ನಿಲ್ದಾಣದಲ್ಲಿ (International Space Station) ಮೊದಲ ಬಾರಿಗೆ ಭಾರತದ ತ್ರಿವರ್ಣ ಧ್ವಜ ಹಾರಾಡಿದ್ದು. ಇದು ಪ್ರತಿಯೊಬ್ಬ ಭಾರತೀಯನಿಗೂ ಅಪಾರ ಹೆಮ್ಮೆ ತರುವ ಕ್ಷಣವಾಗಿದೆ. ಈ ಯಶಸ್ವಿ ಪಯಣವು, ದೇಶದಲ್ಲಿ ವಿಜ್ಞಾನ, ತಂತ್ರಜ್ಞಾನ ಮತ್ತು ನಾವೀನ್ಯತೆಯ ಬಗ್ಗೆ ನವೋತ್ಸಾಹ ಮತ್ತು ನವಚೈತನ್ಯವನ್ನು ತುಂಬಿದೆ. ಇಡೀ ಸಂಸತ್ತು – ಲೋಕಸಭೆ ಮತ್ತು ರಾಜ್ಯಸಭೆ ಎರಡೂ – ದೇಶದ ನಾಗರಿಕರೊಂದಿಗೆ ಸೇರಿ, ಈ ಸಾಧನೆಯನ್ನು ಒಕ್ಕೊರಲಿನಿಂದ ಅಭಿನಂದಿಸಲಿವೆ. ಈ ಒಕ್ಕೊರಲ ಶ್ಲಾಘನೆಯು, ಇನ್ನಷ್ಟು ಎತ್ತರವನ್ನು ತಲುಪುವ ಗುರಿ ಹೊಂದಿರುವ ಭಾರತದ ಮುಂಬರುವ ಬಾಹ್ಯಾಕಾಶ ಯೋಜನೆಗಳಿಗೆ ಸ್ಫೂರ್ತಿ ಮತ್ತು ಪ್ರೋತ್ಸಾಹವನ್ನು ಸಹ ನೀಡಲಿದೆ.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ,

ಈ ಮುಂಗಾರು ಅಧಿವೇಶನವು ನಿಜಕ್ಕೂ ವಿಜಯದ ಆಚರಣೆಯಾಗಿದೆ. ಭಾರತದ ಮಿಲಿಟರಿ ಶಕ್ತಿಯ ಸಾಮರ್ಥ್ಯವನ್ನು ಇಡೀ ಜಗತ್ತು ಕಂಡಿದೆ. ಆಪರೇಷನ್ ಸಿಂಧೂರ್ ನಲ್ಲಿ, ಭಾರತೀಯ ಸಶಸ್ತ್ರ ಪಡೆಗಳು ತಮ್ಮ ಉದ್ದೇಶಗಳನ್ನು ನೂರಕ್ಕೆ ನೂರು ಪ್ರತಿಶತ ಯಶಸ್ಸಿನೊಂದಿಗೆ ಸಾಧಿಸಿವೆ. ಕೇವಲ 22 ನಿಮಿಷಗಳಲ್ಲಿ, ಮಿಷನ್ ಶತ್ರುವಿನ ಪ್ರದೇಶದೊಳಗೆ ತನ್ನ ಗುರಿಯನ್ನು ನಾಶಪಡಿಸಿದೆ. ನಾನು ಈ ಬಗ್ಗೆ ಬಿಹಾರದಲ್ಲಿ ಒಂದು ಕಾರ್ಯಕ್ರಮದಲ್ಲಿ ಘೋಷಿಸಿದ್ದೆ, ಮತ್ತು ನಮ್ಮ ಸಶಸ್ತ್ರ ಪಡೆಗಳು ಅದನ್ನು ಅಲ್ಪಾವಧಿಯಲ್ಲಿಯೇ ಸಾಧಿಸಿ ತೋರಿಸಿವೆ. ನಮ್ಮ ‘ಮೇಡ್ ಇನ್ ಇಂಡಿಯಾ’ ಸೇನಾ ಶಕ್ತಿಯ ಹೊಸ ಮುಖವು ಜಾಗತಿಕ ಗಮನವನ್ನು ಸೆಳೆದಿದೆ. ಈ ದಿನಗಳಲ್ಲಿ, ನಾನು ಜಾಗತಿಕ ನಾಯಕರನ್ನು ಭೇಟಿಯಾದಾಗ, ಭಾರತದಲ್ಲಿ ಅಭಿವೃದ್ಧಿಪಡಿಸಲಾಗುತ್ತಿರುವ ಸ್ವದೇಶಿ ನಿರ್ಮಿತ ರಕ್ಷಣಾ ಉಪಕರಣಗಳ ಬಗ್ಗೆ ಹೆಚ್ಚಿನ ಆಸಕ್ತಿ ವ್ಯಕ್ತವಾಗುತ್ತಿದೆ. ಈ ಅಧಿವೇಶನದಲ್ಲಿ ಸಂಸತ್ತು ಒಕ್ಕೊರಲಿನಿಂದ ವಿಜಯದ ಭಾವನೆಗಳನ್ನು ವ್ಯಕ್ತಪಡಿಸಿದಾಗ, ಅದು ನಮ್ಮ  ಸಶಸ್ತ್ರ ಪಡೆಗಳನ್ನು ಇನ್ನಷ್ಟು ಬಲಪಡಿಸುತ್ತದೆ ಮತ್ತು ಅವರಿಗೆ ಸ್ಫೂರ್ತಿ ನೀಡುತ್ತದೆ ಎಂದು ನಾನು ದೃಢವಾಗಿ ನಂಬುತ್ತೇನೆ. ಇದು ದೇಶಕ್ಕೆ ಪ್ರೇರಣೆಯಾಗಲಿದೆ ಮತ್ತು ರಕ್ಷಣಾ ಕ್ಷೇತ್ರದಲ್ಲಿ ಸಂಶೋಧನೆ, ನಾವೀನ್ಯತೆ ಮತ್ತು ಉತ್ಪಾದನೆಗೆ ದೊಡ್ಡ ಉತ್ತೇಜನವನ್ನು ನೀಡಲಿದೆ. ‘ಮೇಡ್ ಇನ್ ಇಂಡಿಯಾ’ ರಕ್ಷಣಾ ಉಪಕರಣಗಳು ಮತ್ತಷ್ಟು ವೇಗವನ್ನು ಪಡೆದುಕೊಳ್ಳಲಿದ್ದು, ನಮ್ಮ ಯುವಕರಿಗೆ ಹೊಸ ಉದ್ಯೋಗಾವಕಾಶಗಳನ್ನು ಸೃಷ್ಟಿಸಲಿವೆ.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ,

ಈ ದಶಕವನ್ನು ಶಾಂತಿ ಮತ್ತು ಪ್ರಗತಿಗಳು ಜೊತೆಜೊತೆಯಾಗಿ ಸಾಗುತ್ತಿರುವ ಸಮಯ ಎಂದು ಬಣ್ಣಿಸಬಹುದು. ನಾವು ಹೆಜ್ಜೆಹೆಜ್ಜೆಗೂ ಅಭಿವೃದ್ಧಿಯನ್ನು ಕಾಣುತ್ತಿದ್ದೇವೆ. ಸ್ವಾತಂತ್ರ್ಯ ಬಂದಾಗಿನಿಂದ, ದೇಶವು ಭಯೋತ್ಪಾದನೆಯಾಗಲಿ ಅಥವಾ ನಕ್ಸಲ್‌ ವಾದವಾಗಲಿ, ಹೀಗೆ ವಿವಿಧ ರೀತಿಯ ಹಿಂಸಾಚಾರಗಳಿಂದ ಬಹಳಷ್ಟು ನಲುಗಿದೆ. ಈ ಸಮಸ್ಯೆಗಳಲ್ಲಿ ಕೆಲವು ಮೊದಲು ಹುಟ್ಟಿಕೊಂಡಿದ್ದರೆ, ಇನ್ನು ಕೆಲವು ನಂತರದಲ್ಲಿ ತಲೆದೋರಿದವು. ಆದರೆ, ಇಂದು ನಕ್ಸಲ್ ವಾದ ಮತ್ತು ಮಾವೋವಾದದ ಪ್ರಭಾವದ ವಲಯವು ವೇಗವಾಗಿ ಕ್ಷೀಣಿಸುತ್ತಿದೆ. ಮಾವೋವಾದ ಮತ್ತು ನಕ್ಸಲ್ ವಾದವನ್ನು ಬುಡಸಮೇತ ಕಿತ್ತೊಗೆಯುವ ದೃಢ ಸಂಕಲ್ಪದೊಂದಿಗೆ, ನಮ್ಮ ರಕ್ಷಣಾ ಪಡೆಗಳು ಹೊಸ ಆತ್ಮವಿಶ್ವಾಸದೊಂದಿಗೆ ವೇಗವಾಗಿ ಯಶಸ್ಸಿನತ್ತ ಮುನ್ನಡೆಯುತ್ತಿವೆ. ಒಂದು ಕಾಲದಲ್ಲಿ ನಕ್ಸಲ್ ಪ್ರಭಾವಕ್ಕೆ ಒಳಗಾಗಿದ್ದ ದೇಶದ ನೂರಾರು ಜಿಲ್ಲೆಗಳು ಇಂದು ಸ್ವಾತಂತ್ರ್ಯದ ಗಾಳಿಯನ್ನು ಉಸಿರಾಡುತ್ತಿವೆ ಎಂದು ನಾನು ಹೆಮ್ಮೆಯಿಂದ ಹೇಳಬಲ್ಲೆ. ಬಾಂಬ್, ಬಂದೂಕು ಮತ್ತು ಪಿಸ್ತೂಲುಗಳ ಮೇಲೆ ನಮ್ಮ ಸಂವಿಧಾನವು ಜಯ ಸಾಧಿಸುತ್ತಿದೆ ಎಂಬುದು ನಮಗೆ ಹೆಮ್ಮೆಯ ವಿಷಯ. ನಮ್ಮ ಸಂವಿಧಾನ ವಿಜಯಶಾಲಿಯಾಗುತ್ತಿದೆ. ಒಂದು ಕಾಲದಲ್ಲಿ ‘ರೆಡ್ ಕಾರಿಡಾರ್’ ಎಂದು ಕರೆಯಲ್ಪಡುತ್ತಿದ್ದ ಪ್ರದೇಶಗಳು ಇಂದು 'ಹಸಿರು ಅಭಿವೃದ್ಧಿ'ಯ ವಲಯಗಳಾಗಿ ಪರಿವರ್ತನೆಯಾಗುತ್ತಿರುವುದು ಸ್ಪಷ್ಟವಾಗಿ ಗೋಚರಿಸುತ್ತಿದೆ. ಇದು ದೇಶದ ಉಜ್ವಲ ಭವಿಷ್ಯವನ್ನು ಸಂಕೇತಿಸುತ್ತಿದೆ.

 

 

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ಸ್ನೇಹಿತರೇ,

ರಾಷ್ಟ್ರದ ಸೇವೆ ಮತ್ತು ಕಲ್ಯಾಣಕ್ಕಾಗಿ ಈ ಸದನವನ್ನು ಪ್ರವೇಶಿಸಿರುವ ಪ್ರತಿಯೊಬ್ಬ ಗೌರವಾನ್ವಿತ ಸಂಸತ್ ಸದಸ್ಯರಿಗೂ, ಒಂದರ ನಂತರ ಒಂದರಂತೆ ನಡೆಯುವ ಇಂತಹ ಘಟನೆಗಳು ಹೆಮ್ಮೆಯ ಕ್ಷಣಗಳಾಗಿವೆ. ಮತ್ತು ಈ ಸಂಸತ್ತಿನ ಅಧಿವೇಶನದಲ್ಲಿ, ಇಡೀ ದೇಶವು ಈ ಹೆಮ್ಮೆಯ ಗಾಥೆಯನ್ನು ಕೇಳಲಿದೆ – ಪ್ರತಿಯೊಬ್ಬ ಸಂಸದರಿಂದ, ಪ್ರತಿಯೊಂದು ರಾಜಕೀಯ ಪಕ್ಷದಿಂದ.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ,

2014ರಲ್ಲಿ ನೀವು ನಮಗೆ ಜವಾಬ್ದಾರಿಯನ್ನು ವಹಿಸಿಕೊಟ್ಟಾಗ, ದೇಶವು 'ಫ್ರಜೈಲ್ ಫೈವ್' (Fragile Five) ಆರ್ಥಿಕತೆಗಳಲ್ಲಿ ಒಂದೆಂದು ಪರಿಗಣಿಸಲ್ಪಟ್ಟಿದ್ದ ಹಂತದಲ್ಲಿತ್ತು. 2014ಕ್ಕಿಂತ ಮೊದಲು, ಜಾಗತಿಕ ಆರ್ಥಿಕತೆಯಲ್ಲಿ ನಾವು 10ನೇ ಸ್ಥಾನದಲ್ಲಿದ್ದೆವು. ಇಂದು, ಭಾರತವು ವಿಶ್ವದ ಮೂರನೇ ಅತಿದೊಡ್ಡ ಆರ್ಥಿಕತೆಯಾಗುವತ್ತ ವೇಗವಾಗಿ ಮುನ್ನಡೆಯುತ್ತಿದೆ. ಈ ದಿನಗಳಲ್ಲಿ, 25 ಕೋಟಿ ಬಡವರನ್ನು ಬಡತನದಿಂದ ಮೇಲೆತ್ತಿರುವುದನ್ನು ಹಲವಾರು ಅಂತಾರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ಸಂಸ್ಥೆಗಳು ವ್ಯಾಪಕವಾಗಿ ಶ್ಲಾಘಿಸುತ್ತಿವೆ. 2014ಕ್ಕಿಂತ ಮೊದಲು ದೇಶದಲ್ಲಿ ಹಣದುಬ್ಬರ ದರವು ಎರಡಂಕಿಯಲ್ಲಿರುತ್ತಿದ್ದ ಕಾಲವಿತ್ತು. ಇಂದು, ಹಣದುಬ್ಬರವು ಸುಮಾರು 2 ಪ್ರತಿಶತಕ್ಕೆ ಇಳಿದಿರುವುದು ಸಾಮಾನ್ಯ ಮನುಷ್ಯನಿಗೆ ನೆಮ್ಮದಿ ಮತ್ತು ಸಮಾಧಾನವನ್ನು ತಂದಿದೆ. ಕಡಿಮೆ ಹಣದುಬ್ಬರ ಮತ್ತು ಹೆಚ್ಚಿನ ಬೆಳವಣಿಗೆಯು, ಆರೋಗ್ಯಕರ ಮತ್ತು ಪ್ರಗತಿಪರ ಅಭಿವೃದ್ಧಿ ಪಯಣವನ್ನು ಪ್ರತಿಬಿಂಬಿಸುತ್ತದೆ.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ,

‘ಡಿಜಿಟಲ್ ಇಂಡಿಯಾ’ ಮತ್ತು ‘ಯುಪಿಐ’ ಮೂಲಕ ಭಾರತದ ಹೊಸ ಸಾಮರ್ಥ್ಯಗಳನ್ನು ಜಗತ್ತು ಈಗ ನೋಡುತ್ತಿದೆ ಮತ್ತು ಗುರುತಿಸುತ್ತಿದೆ. ಇವು ಜಾಗತಿಕ ಮಟ್ಟದಲ್ಲಿ ಹೆಚ್ಚಿನ ಆಸಕ್ತಿಯನ್ನು ಸೃಷ್ಟಿಸುತ್ತಿವೆ. ‘ಫಿನ್ಟೆಕ್’ ಜಗತ್ತಿನಲ್ಲಿ ‘ಯುಪಿಐ’ ತನ್ನದೇ ಆದ ವಿಶಿಷ್ಟ ಗುರುತನ್ನು ಮೂಡಿಸಿದೆ. ರಿಯಲ್‌ ಟೈಮ್ ಡಿಜಿಟಲ್ ವಹಿವಾಟುಗಳಲ್ಲಿ ಭಾರತವು ಇಂದು ವಿಶ್ವದಲ್ಲಿಯೇ ಮುಂಚೂಣಿಯಲ್ಲಿದೆ.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ,

ಇತ್ತೀಚೆಗೆ, ಅಂತಾರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ಕಾರ್ಮಿಕ ಸಂಘಟನೆಯ (ILO) ಜಾಗತಿಕ ಸಮ್ಮೇಳನವಿತ್ತು, ಅಲ್ಲಿ ಭಾರತವು ಒಂದು ಪ್ರಮುಖ ಮೈಲಿಗಲ್ಲನ್ನು ಸಾಧಿಸಿತು. ILO ಪ್ರಕಾರ, ಭಾರತದಲ್ಲಿ 90 ಕೋಟಿಗೂ ಹೆಚ್ಚು ಜನರು ಈಗ ಸಾಮಾಜಿಕ ಭದ್ರತೆಯ ವ್ಯಾಪ್ತಿಗೆ ಬಂದಿದ್ದಾರೆ. ಇದುವೇ ಒಂದು ಮಹತ್ತರವಾದ ಸಾಧನೆಯಾಗಿದೆ. ಅದೇ ರೀತಿ, ವಿಶ್ವ ಆರೋಗ್ಯ ಸಂಸ್ಥೆಯು (WHO), ಭಾರತವನ್ನು ಟ್ರಕೋಮಾ ಮುಕ್ತ ಎಂದು ಘೋಷಿಸಿದೆ. ಇದು ಮಳೆಗಾಲದಲ್ಲಿ ಸಾಮಾನ್ಯವಾಗಿ ಕಂಡುಬರುವ ಒಂದು ಕಣ್ಣಿನ ಕಾಯಿಲೆಯಾಗಿದೆ. ಸಾರ್ವಜನಿಕ ಆರೋಗ್ಯ ಕ್ಷೇತ್ರದಲ್ಲಿ ಇದು ಭಾರತದ ಮತ್ತೊಂದು ಮಹತ್ವದ ಸಾಧನೆಯಾಗಿದೆ.

 

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ಸ್ನೇಹಿತರೇ,

ಪಹಲ್ಗಾಮ್ ನಲ್ಲಾದ ಕ್ರೂರ ಹತ್ಯೆ, ದೌರ್ಜನ್ಯ ಮತ್ತು ನರಮೇಧವು ಇಡೀ ಜಗತ್ತನ್ನೇ ಬೆಚ್ಚಿಬೀಳಿಸಿತ್ತು. ಭಯೋತ್ಪಾದಕರು ಮತ್ತು ಅವರ ಸೂತ್ರಧಾರರ ಕಡೆಗೆ ಎಲ್ಲರ ಗಮನ ಹರಿಯಿತು. ಆ ಕ್ಷಣದಲ್ಲಿ, ಪಕ್ಷ ಹಿತಾಸಕ್ತಿಗಳನ್ನು ಬದಿಗಿಟ್ಟು, ರಾಷ್ಟ್ರ ಹಿತಕ್ಕಾಗಿ ಹೆಚ್ಚಿನ ರಾಜಕೀಯ ಪಕ್ಷಗಳ ಮತ್ತು ರಾಜ್ಯಗಳ ಪ್ರತಿನಿಧಿಗಳು ವಿಶ್ವದಾದ್ಯಂತ ವಿವಿಧ ದೇಶಗಳಿಗೆ ಪ್ರಯಾಣಿಸಿ, ಭಯೋತ್ಪಾದನೆಯ ಕೇಂದ್ರವಾದ ಪಾಕಿಸ್ತಾನವನ್ನು ಜಗತ್ತಿನ ಮುಂದೆ ಬಯಲು ಮಾಡುವ ಯಶಸ್ವಿ ಅಭಿಯಾನವನ್ನು ನಡೆಸಿದರು. ರಾಷ್ಟ್ರ ಹಿತಕ್ಕಾಗಿ ಮಾಡಿದ ಈ ಮಹತ್ವದ ಕಾರ್ಯಕ್ಕಾಗಿ ಆ ಎಲ್ಲಾ ಸಂಸತ್ ಸದಸ್ಯರನ್ನು ಮತ್ತು ರಾಜಕೀಯ ಪಕ್ಷಗಳನ್ನು ಇಂದು ನಾನು ಅಭಿನಂದಿಸಲು ಬಯಸುತ್ತೇನೆ. ಅವರ ಪ್ರಯತ್ನಗಳು ದೇಶದಲ್ಲಿ ಒಂದು ಸಕಾರಾತ್ಮಕ ವಾತಾವರಣವನ್ನು ಸೃಷ್ಟಿಸಿದವು. ಭಾರತದ ನಿಲುವನ್ನು ಕೇಳಲು ಮತ್ತು ಸ್ವೀಕರಿಸಲು ಜಗತ್ತು ತನ್ನ ಬಾಗಿಲುಗಳನ್ನು ತೆರೆಯಿತು. ಇದಕ್ಕಾಗಿ ನಮ್ಮ ಸಂಸತ್ ಸದಸ್ಯರು ಮತ್ತು ರಾಜಕೀಯ ಪಕ್ಷಗಳನ್ನು ಅಭಿನಂದಿಸುವುದು ನನ್ನ ಸೌಭಾಗ್ಯವೆಂದು ನಾನು ಪರಿಗಣಿಸುತ್ತೇನೆ.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ,

ಒಗ್ಗಟ್ಟಿನ ಭಾವನೆ ಮತ್ತು ಒಕ್ಕೊರಲಿನ ಧ್ವನಿಯು ರಾಷ್ಟ್ರದಲ್ಲಿ ಎಂತಹ ಮಹಾನ್ ಉತ್ಸಾಹವನ್ನು ತುಂಬುತ್ತದೆ ಎಂಬುದು ನಮಗೆ ತಿಳಿದಿದೆ. ಈ ವಿಜಯೋತ್ಸವವು ಅದೇ ಸ್ಪೂರ್ತಿಯೊಂದಿಗೆ ಮುಂಗಾರು ಅಧಿವೇಶನದಲ್ಲೂ ಪ್ರತಿಧ್ವನಿಸಲಿದೆ. ಇದು ನಮ್ಮ ಸಶಸ್ತ್ರ ಪಡೆಗಳ ಶಕ್ತಿಯನ್ನು ಶ್ಲಾಘಿಸುತ್ತದೆ, ರಾಷ್ಟ್ರದ ಸಾಮರ್ಥ್ಯಗಳನ್ನು ಗೌರವಿಸುತ್ತದೆ ಮತ್ತು 140 ಕೋಟಿ ಭಾರತೀಯರಿಗೆ ಹೊಸ ಸ್ಫೂರ್ತಿಯ ಸೆಲೆಯಾಗಲಿದೆ. ನಾವೆಲ್ಲರೂ ಒಟ್ಟಾಗಿ ರಕ್ಷಣಾ ಕ್ಷೇತ್ರದಲ್ಲಿ ಆತ್ಮನಿರ್ಭರತೆಗಾಗಿ ನಮ್ಮ ಪ್ರಯತ್ನಗಳನ್ನು ಬಲಪಡಿಸಬೇಕು ಮತ್ತು ನಮ್ಮ ಸಶಸ್ತ್ರ ಪಡೆಗಳ ಪರಾಕ್ರಮವನ್ನು ಶ್ಲಾಘಿಸಬೇಕು ಎಂದು ನಾನು ದೃಢವಾಗಿ ನಂಬುತ್ತೇನೆ. ಒಗ್ಗಟ್ಟಿನ ಶಕ್ತಿ ಮತ್ತು ಒಕ್ಕೊರಲಿನ ಬಲವನ್ನು ರಾಷ್ಟ್ರವು ಕಂಡಿದೆ ಎಂದು ಇಂದು ನಾನು ದೇಶದ ಜನರಿಗೆ ಮತ್ತು ಎಲ್ಲಾ ರಾಜಕೀಯ ಪಕ್ಷಗಳಿಗೆ ಹೇಳಲೇಬೇಕು. ಗೌರವಾನ್ವಿತ ಸಂಸತ್ ಸದಸ್ಯರು ಈ ಸದನದೊಳಗೆ ಈ ಭಾವನೆಯನ್ನು ಇನ್ನಷ್ಟು ಬಲಪಡಿಸಬೇಕು ಮತ್ತು ಮುಂದುವರಿಸಬೇಕು. ರಾಜಕೀಯ ಪಕ್ಷಗಳು ಬೇರೆ ಬೇರೆಯಾಗಿವೆ, ಪ್ರತಿಯೊಂದಕ್ಕೂ ತನ್ನದೇ ಆದ ಕಾರ್ಯಸೂಚಿ, ತನ್ನದೇ ಆದ ಪಾತ್ರವಿದೆ ಎಂಬ ವಾಸ್ತವವನ್ನು ನಾನು ಒಪ್ಪಿಕೊಳ್ಳುತ್ತೇನೆ. ಆದರೆ, ಪಕ್ಷ ಹಿತಾಸಕ್ತಿಗಳಲ್ಲಿ ಮನಸ್ಸುಗಳು ಒಂದಾಗದಿದ್ದರೂ, ರಾಷ್ಟ್ರ ಹಿತಕ್ಕಾಗಿ ಅವು ಒಂದಾಗಲೇಬೇಕು ಅನ್ನುವ ಈ ಸತ್ಯವನ್ನೂ ನಾನು ಒಪ್ಪಿಕೊಳ್ಳುತ್ತೇನೆ. ಇದೇ ಭಾವನೆಯೊಂದಿಗೆ, ರಾಷ್ಟ್ರದ ಅಭಿವೃದ್ಧಿಯ ಪಯಣವನ್ನು ಬಲಪಡಿಸುವ, ದೇಶದ ಪ್ರಗತಿಯನ್ನು ಮುನ್ನಡೆಸುವ ಮತ್ತು ಅದರ ನಾಗರಿಕರನ್ನು ಸಬಲೀಕರಣಗೊಳಿಸುವ ಅನೇಕ ಪ್ರಮುಖ ವಿಧೇಯಕಗಳನ್ನು ಈ ಮುಂಗಾರು ಅಧಿವೇಶನಕ್ಕಾಗಿ ಪ್ರಸ್ತಾಪಿಸಲಾಗಿದೆ. ಸದನವು ವಿಸ್ತೃತ ಚರ್ಚೆಗಳನ್ನು ನಡೆಸಿ ಅವುಗಳನ್ನು ಅಂಗೀಕರಿಸುತ್ತದೆ ಎಂದು ನನಗೆ ವಿಶ್ವಾಸವಿದೆ.

ಎಲ್ಲಾ ಗೌರವಾನ್ವಿತ ಸಂಸತ್ ಸದಸ್ಯರಿಗೆ ಅರ್ಥಪೂರ್ಣ ಮತ್ತು ರಚನಾತ್ಮಕ ಚರ್ಚೆಗಳಿಗಾಗಿ ನನ್ನ ಶುಭ ಹಾರೈಕೆಗಳು.

ಧನ್ಯವಾದಗಳು!