PM Modi releases commemorative coins on Dr. B R Ambedkar
Only a few individuals who remain alive in public consciousness, even 60 years after their death: PM
The more we recall Dr. Ambedkar, the more we come to respect his vision and his approach to inclusiveness: PM Modi
Even after 60 years, Dr. Ambedkar is still alive & that is his greatness: PM Modi
Dr. Babasaheb Ambedkar was a visionary and profound thinker, says PM Modi
Dr. Ambedkar's rich thoughts on social justice is very well known but less is known about his economic thoughts: PM Modi
Be it a Finance Commission or RBI, Dr. Ambedkar envisioned all of this. Such was his greatness: PM
Dr. Ambedkar and the Constitution of India should always be discussed and talked about in this country: PM Modi
Dr. Ambedkar's vision for women empowerment, India's federal structure, finance & education are really appreciable: PM Modi

देश के अलग-अलग कोने से आए हुए सभी वरिष्ठ महानुभाव आज 6 दिसंबर, पूज्य बाबा साहब अम्बेडकर का महापरिनिर्वाण का प्रसंग है। मैं नहीं मानता हूं कभी किसी ने सोचा होगा कि भारत का सिक्का, जिस पर बाबा साहब अम्बेडकर का चित्र हो, ऐसा भी कभी इस देश में दिवस आ सकता है।

आमतौर पर सार्वजनिक जीवन में ज्यादातर लोग, मृत्यु के पहले ही चिरविदाई हो जाती है, कुछ लोगों की मृत्यु के साथ चिरविदाई हो जाती हैं लेकिन शायद बहुत कम लोग होते हैं जो मृत्यु के साठ साल के बाद भी जिंदा होते हैं, और बाबा साहब अम्बेडकर वो मनीषी हैं। शायद उनके अपने कार्यकाल में बहुतों का उन पर ध्यान नहीं गया होगा। एक student के रूप में देखा गया होगा, एक अर्थशास्त्री के रूप में देखा गया होगा, लेकिन जैसा अरुण जी ने कहा भारत की आज की समस्याओं के संदर्भ में जब बाबा साहब को देखते हैं तब लगता है कि कोई व्यक्ति कितना दीर्घदृष्टा हो सकता है, कितनी गहन सोच रखता है, और कितनी समावेशी कल्पना रखता होगा।

इसलिए सामान्य तौर पर ये हमारे देश में ऐसा होता है कि किसी व्यक्ति की एकाध चीज से पहचान बन जाती है सामान्य जन के लिए। बहुमुखी प्रतिभाएं सबके सामने बहुत कम आती हैं, और उसका कारण ये नहीं है कि प्रतिभा में कोई कमी है, कमी हम लोगों में है कि सारी बहुमुखी चीजें हम देख नहीं पाते, समझ नहीं पाते। उसको समझने में कभी-कभी 60 साल लग जाते हैं। अब वो सामाजिक चिंतन के विषय में तो बाबा साहब के विचार, खास करके social justice की बातें नीचे तक percolate हुई हैं और सबको लगता भी है, लेकिन बाबा साहब के आर्थिक चिंतन के संदर्भ में उतनी गहराई से चर्चा नहीं हुई है।

इस 125 वर्ष के समय , अच्छा होगा कि हम नई पीढ़ी को बाबा साहब के इस फलक के विषय में परिचित कैसे करवाएं। संसद के अंदर दोनों सदनों ने गहन चर्चा की, अच्छी चर्चा की। सभी माननीय सदस्यों ने अपने-अपने तरीके से वर्तमान स्थिति का भी आंकलन किया और बाबा साहब के दृष्टिकोण को भी जोड़ने का प्रयास किया। कुछ लोगों के मन में सवाल भी उठा कि मोदीजी हम ये तो समझ सकते हैं कि 15 अगस्त क्या है, हम ये भी समझ सकते हैं कि 26 जनवरी क्या है, लेकिन आप 26 नवंबर कहां से उठा के ले आए हो? सवाल पूछे गए मुझे house में। मैं नहीं मानता हूं जिसने बाबा साहब अम्बेडकर को समझा होता तो शायद ऐसा सवाल करता।

हम 26 जनवरी की जब बात करते हैं तब भी बाबा साहब अम्बेडकर उजागर हो करके देश के सामने नहीं आते हैं, ये मानना पड़ेगा। 15 अगस्त को हम याद करते हैं तो महात्मा गांधी, भगत सिंह सब आते हैं सामने लेकिन 26 जनवरी करते समय नहीं आते हैं, और इतने बड़े योगदान को हम नकार नहीं सकते हैं। और आने वाली पीढि़यों को संस्कारित करने के लिए भी, और राष्ट्र की एकता के लिए भी ऐसे महापुरुषों का योगदान, उसका स्मरण हमारे लिए वो एक ताकत बनता है जो समाज को जोड़ने का हमें अवसर देती है। और उस अर्थ में संसद के अंदर और ये मेरा इरादा है कि देश में बाबा साहब अम्बेडकर और संविधान, इसके विषय में निरंतर चर्चा होनी चाहिए, हमारी नई पीढ़ी को जोड़ना चाहिए, ऐसे competitions होने चाहिए, स्पर्द्धाएं होनी चाहिए, online competition होने चाहिए, speech competition होने चाहिए, ये लगातार चलना चाहिए। मैंने कहा है सरकार में कि इसको जरा workout कीजिए। आने वाले दिनों में 26 नवंबर से 26 जनवरी तक इसको किया जाए। 26 जनवरी को सब ईनाम announce किए जाएं। ऐसी एक व्यवस्था खड़ी करनी चाहिए ताकि नई पी‍ढ़ी को पता चले।

बाबा साहब अम्बे्डकर, उनकी विविधता, विशेषता देखिए, मैं अलग दृष्टिकोण से देखता हूं। समाज से वो पीडि़त थे, समाज से वो दुखी भी थे और समाज के प्रति उनके मन में आक्रोश भी था और इस परिस्थिति में बदलाव लाने की एक ललक भी थी, वो एक रूप में। लेकिन इस अवस्था के बावजूद भी उन्होंने जब विश्व को देखा और उन्होंने लिखा है कि मैं जब भारत के बाहर पांच साल रहा तो अस्पृश्यता क्या होती है, un-touchability क्या होती है, वो मैं भूल चुका था। मुझे याद ही नहीं था, क्योंकि, जब एक तरफ यहां इस प्रकार की अपमानित अवस्था हो, दूसरी तरफ सम्मान का अनुभव मिला हो, फिर भी कोई इन्सान का जज्बा कैसा होगा, वो सम्मान की अवस्था छोड़ करके अपमान की जिंदगी भले जीनी पड़े लेकिन जाऊंगा वापस, और वापस आता है, ये छोटी बात नहीं है। एक व्यक्तित्व का, व्यक्तित्व को पहचानने का ये एक दृष्टिकोण है कि वरना किसी को मन कर जाए, यार अब वहां क्याे जाके रहेंगे, पहले गांव में पैदा हुए थे, वहां बिजली नहीं, रास्ते, नहीं, चलो यहीं बस जाते हैं। इस इन्साेन को तो इतनी यातनाएं झेलनी पड़ीं, इतने अपमान झेलने पड़े और उसके बाद भी वो कहता है ठीक है यहां मुझे मान मिला, सम्मान मिला, un-touchablility का नामो-निशान नहीं है, वहां जो है लेकिन जाऊंगा वहीं। किंतु एक विशेष, माने भीतर कोई आंतरिक ताकत होती है तब होता है।

दूसरी विशेषता देखिए, समाज के प्रति ये आक्रोश होना, ये दर्द होना, पीड़ा होना, ये सब होने के बावजूद भी उनकी भारत-भक्ति हर पल झलकती है, हर पल झलकती है। लेकिन भारत भक्ति एक देश के रूप में मुझे, एक जो सीमा में बंधा हुआ एक देश है उस रूप में नहीं, उसकी सांस्कृतिक विरासत के प्रति वह गर्व अनुभव करते थे। जिसकी विकृतियों ने इतनी महाबल मुसीबतें पैदा की थीं, बहुत कठिन होता है कि ऐसी अवस्था में भी सत्य तक पहुंचना और इसलिए जब उन्होंने अपना PhD किया , उसका एक विषय था Ancient Indian Commerce , अब यह Ancient Indian Commerce की ओर उनका मन जाना यह इस बात का सबूत है की वे भारत की गरिमा और भारत के गौरव गान इससे उनका अटूट नाता मानते थे| वरना दूसरा पहलू ही उभर कर के आता | मैं तो यह मानता हूँ कि आज जो नीति निर्धारक हैं, जो think tank चलाते हैं उन्होंने आर्थिक Global Economy के संदर्भ में बाबा साहब अम्बेडकर के आर्थिक चिंतन का क्या छाया है या क्या सोच थी उसका कोई तालमेल है कि अभी भी दुनिया को बाबा साहब तक पहुंचने में समय लगने वाला है, इस पर विशेष शोध निबंध होने चाहिए, पता चलेगा। भारत जैसे देश में वो आर्थिक चिंतन का उनका मंत्र बड़ा simple था “बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय|”

ये जो “बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय’’, ये मूल तत्व है। मैं समझता हूं आर्थिक दृष्टि से किसी भी सरकार के लिए इस दायरे के बाहर जाने का कोई कारण ही नहीं बनता है, कोई कारण ही नहीं बनता है।

आज हम रिजर्व बैंक की कल्पना करते हैं। देश आजाद नहीं हुआ था तब बाबा साहब अंबेडकर ने अपने thesis में भारत में रिजर्व बैंक की कल्पना की थी। आज हम federal sector की बात करते है, फाइनेंस कमिशन राज्य की मांग रहती है इतना पैसा कौन देगा, इतना पैसा कौन देगा, कौन राज्य कैसे क्रम में चलेगा। देश आजाद होने से पहले बाबा साहब अंबेडकर ने ये विचार रखा था फाइनेंस कमिशन का और संपत्ति का बंटवारा केंद्र और राज्य के बीच कैसे हो, इसकी गहराई से उन्होंने चिंतन प्रकट किया था और उसी विचारों के प्रकाश में आज ये फाइनेंस कमिशन, चाहे RBI हो ऐसी, अनेक institutions हैं।

आज हम नदी जोड़ो का अभियान चलाते है river grid की बात करते हैं आज हिन्दुस्तान में एक महत्वपूर्ण issue है अभी दो दिन पूर्व मैं चीफ जस्टिस साहब के साथ भोजन पर बैठा था वो भी पूछ रहे थे कि river grid का क्या हो रहा है। बाबा साहब अंबेडकर ने उस जमाने में पानी को ले करके कमिशन के निर्माण की कल्पना की। यानी कोई दीर्घदृष्टा व्यक्ति किस प्रकार से आगे सोच सकता है |

उन्होंने विकास में नारी के महत्व को, उसके योगदान को उजागर किया| जब पुरुष के लिए भी सम्मान के दिन नहीं थे| उस समय दलित, पीड़ित, शोषित समाज अपमान का शिकार हो चुका था ऐसी अवस्था में भी इस महापुरुष को यह विचार आता है कि विकास यात्रा में कंधे से कंधा मिलाकर equal partnership की कल्पना की थी| और इसके लिए वो कहते थे – ‘शिक्षा’ और देखिए साहब! उन्होंने ...बाबा साहब अंबेडकर जी ने हर चीज के केंद्र में शिक्षा को एकदम top priority दी है। बाकि सब बाद में , पहले पढ़ो, कठिनाई में भी पढ़ो। पढ़ोगे तो दुनिया वो एक चीज है तुमसे लूट नहीं सकती।

ये पढ़ने का जो उनका आग्रह था, पढ़ाने का जो आग्रह था और यही है जिसने समाज को एक नई ताकत दी है। और आज जब हम एक तरफ 125वीं जयंती और दूसरी तरफ हम ये विचार ले करके चल रहे हैं।

बाबा साहब अंबेडकर का भारत के मूल जीवन के साथ नाते की जो मैं चर्चा कर रहा था। आखिर के दिनों में शारीरिक स्थिति बहुत खराब थी यानी एक प्रकार से बीमारियों का घर बन गया था उनका शरीर और बचपन में, जवानी में जब शरीर को मजबूत बनाने की अवस्था होती है तब उनको अवसर नहीं था क्योंकि उतना पेटभर खाना भी कहां मौजूद था और जब जीवन में कुछ संभावनाएं बनीं तो खुद को उन्होंने समाज और देश के लिए खपा दिया। और जो काम लेते थे वो पागलपन से करते थे यानी एक तरह से पूरी तरह डूब जाते थे और इसलिए एक स्थिति आ गई शरीर ने साथ देना छोड़ दिया।

इतना सरल जीवन में ऊंचाइयां पाने के बाद किसी को भी लग सकता था कि चलो भई अब शरीर काम नहीं करता, ईश्वर के शरण में चले जायें, छोड़ दो सब। जो होगा, होगा।

इन्होंने हार नहीं मानी, उनकी आखिरी किताब मृत्यु के चार दिन पहले ही पूर्ण की। चार दिन के बाद उनका स्वर्गवास हुआ। आखिरी किताब का भी धारा देखिए चितंन की यानी पहली thesis जिसने उनको दुनिया में recognise करवाया वो शुरू होती है – ‘इंडियन-एंशियंट कॉमर्स’, आखिरी किताब होती है – ‘‘बुद्ध और कालमार्क्स’|

अब देखिए उस समय हवा कालमार्क्स की चल रही थी। समाजवादी चिंतन एवं भारत में भी करीब-करीब उसकी हवा चलती थी। उस समय ये महापुरूष भगवान बुद्ध के चिंतन को मूल आधार बना करके और ‘बुद्ध एंड कालमार्क्स’ नहीं लिखा है। ‘बुद्ध और कालमार्क्स’ लिखा है और उनका ये आग्रह रहा है कि सर्वसमावेशी, बहुजन हिताय, बहुजन सुखाय ।

अगर आर्थिक चिंतन का विचार करना है तो वो भारत की मूल मिट्टी से जुड़ता है। जिसमें बुद्ध भी एक बहुत बड़ी प्रमुख धारा रह करके ये जो बाबा साहब अंबेडकर का योगदान था। और इसलिए मैं समझता हूं कि ऐसी महामूल्य चीजें कोई भी राष्ट्र अपने, अपने पुरखों से, अपने इतिहास से हमेशा रस-कस पाता है तभी जा करके पल्लवित होता है। हमें इतिहास को भुला देने का प्रयास और हमारे महापुरूषों को भुला देने का प्रयास हमें कभी ताकत नहीं देता है।

बाबा साहब अंबेडकर वो मनीषी थे, वो ताकत थे जिन्होंने आज हमें इतना बड़ा सामाजिक दृष्टिकोण दिया, आर्थिक दृष्टिकोण दिया, वैधानिक दृष्टिकोण दिया, और एक प्रकार से समाज और राष्ट्र् संचालन की जो मूलभूत विधाएं है उन मूलभूत विधाओं के फाउंडेशन में उन्होंने अपनी ताकत जोड़ दी थी।

आज ऐसे महापुरूष को उनके पुण्य स्मरण करने का अवसर मिला है और यह गर्व की बात है कि भारत सरकार आज ये coin और मैं जानता हूं, शायद, शायद भारत सरकार का ये पहला coin ऐसा होगा कि जिसको standing ovation मिला होगा।

Coin तो बहुत निकले होंगे और समाज का हर दलित, पीडि़त, शोषित, वंचित जिसके पास सवा सौ रुपए की ताकत नहीं होगी खुद के जेब में उनके लिए ये पुण्य प्रसार मणि बन जाएगा आप देख लेना। ऐसा इसका रूप बन जाएगा और इसलिए यह अर्पित करते हुए एक दायित्व निभाने का संतोष हो रहा है।

आने वाली पीढि़यों को दिशा देने के लिए यह सारी चीजें काम आयें यही एक शुभ आशीष है। मैं फिर एक बार Finance Minister को अभिनंदन देता हूं कि समय के साथ सारी चीजें हो रही है। इसके लिए मैं Finance Ministry को हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन देता हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद!

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।