India has always inspired the world on environmental protection: PM Modi

Published By : Admin | September 11, 2019 | 13:01 IST
QuoteI urge everyone to eliminate single-use plastics from their lives as a tribute to Gandhiji on his upcoming 150th birth anniversary: PM Modi
QuoteIndia has always inspired the world on environmental protection and now is the time India leads the world by example and conserve our environment: PM Modi
QuoteThe development projects launched today will boost tourism in Mathura and also strengthen the local economy: PM Modi

भगवान श्रीकृष्‍ण और उनकी आह्लादिनी शक्ति श्री राधा जी के जन्‍म की साक्षी के पावन ब्रजभूमि की पवित्र माटी को प्रणाम करत भये। यहां आए भये सभी ब्रजवासि‍न को मेरी राधे-राधे।

विशाल संख्‍या में आए हुए मेरे प्‍यारे किसान भाई-बहन, पशुपालक भाई-बहन आप सबको फि‍र एक बार राधे-राधे।

नए जनादेश के बाद कान्‍हा की नगरी में पहली बार आने का सौभाग्‍य प्राप्‍त हुआ है। मथुरा और पूरे उत्‍तर प्रदेश का भरपूर आशीर्वाद एक बार फिर मुझे और मेरे तमाम साथियों को मिला है। इसके लिए आपके इस सहयोग के लिए, देश हित में निर्णय करने के लिए, मैं आपके सामने आज इस ब्रज की भूमि से शीश झुकाता हूं, आपका आभार व्‍यक्‍त करता हूं। आप सभी के आदेश के अनुरूप बीते सौ दिन में हमने अभूतपूर्व काम करके दिखाया है। मुझे विश्‍वास है कि देश के विकास के लिए आपका ये समर्थन और सहयोग निरंतर मिलता रहेगा।

साथियों, ब्रजभूमि ने हमेशा से ही पूरे देश को, पूरे विश्‍व को, पूरी मानवता को, जीवन को प्रेरित किया है। आज पूरा विश्‍व पर्यावरण संरक्षण के लिए, पेड़-पौधों को बचाने के लिए पूरी दुनिया में रोल-मॉडल ढूंढ रहा है लेकिन भारत के पास भगवान श्रीकृष्‍ण जैसा प्रेरणा स्‍त्रोत हमेशा से रहा है। जिनकी कल्‍पना ही पर्यावरण प्रेम के बिना अधूरी है।

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आप जरा सोचिए, का‍लिंदी, जिसको हम यमुना कहकर पुकारते हैं, वैजयन्‍ती माला, मयूर पंख, बांस की बांसुरी, कदम की छांव और हरी-भरी घास चरती उनकी धेनु, क्‍या इसके बिना श्रीकृष्‍ण की तस्‍वीर पूरी हो सकती है। हो सकती है क्‍या? क्‍या दूध, दही माक्‍खन के बिना बाल-गोपाल की कल्‍पना कोई कर सकता है क्‍या? कर सकता है क्‍या?

साथियो, प्रकृति, पर्यावरण और पशुधन के बिना जितने अधूरे खुद हमारे अराध्‍य नजर आते हैं उतना ही अधूरापन हमें भारत में भी नजर आएगा।

पर्यावरण और पशुधन हमेशा से भारत के आर्थिक चिंतन का बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। यही कारण है कि चाहे स्वच्छ भारत हो, जल जीवन मिशन हो या फिर कृषि और पशुपालन को प्रोत्साहन, प्रकृति और आर्थिक विकास में संतुलन बनाकर ही हम सशक्त औऱ नए भारत के निर्माण की तरफ आगे बढ़ रहे हैं।

भाई और बहनों इसी चिंतन को आगे बढ़ाते हुए आज अनेक बड़े संकल्‍प हमने यहां लिए हैं। और मैं मानता हूं कि देश के कोटि-कोटि पशुओं के लिए, पर्यावरण के लिए, पर्यटन के लिए ऐसा कार्यक्रम आरंभ करने के लिए ब्रजभूमि से बेहतर हिन्‍दुस्‍तान में कोई स्‍थान नहीं हो सकता है।

थोड़ी देर पहले ‘स्वच्छता ही सेवा अभियान’ की शुरुआत की गई है। National Animal Disease उस कंट्रोल प्रोग्राम को भी लॉन्च किया गया है। पशुओं के स्वास्थ्य, संवर्धन, पोषण और डेयरी उद्योग से जुड़ी कुछ अन्य योजनाएं भी शुरू हुई हैं।

इसके अलावा, मथुरा के इंफ्रास्ट्रक्चर और पर्यटन से जुड़े कई प्रोजेक्ट्स का शिलान्यास और उद्घाटन भी आज हुआ है। इन योजनाओं, परियोजनाओं के लिए आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं, बहुत-बहुत बधाई। और मेरे लिए प्रसन्‍नता का विषय है कि आज हिन्‍दुस्‍तान के सभी कृषि विज्ञान केंद्रों में उस-उस क्षेत्र के हजारों किसान एक-एक केंद्र पर इकट्ठे होकर के इस सारे नजारे का अनुभव कर रहे हैं। कोटि-कोटि किसान और पशुपालक आज ब्रजभूमि के साथ टेक्‍नोलॉजी के साथ सीधे जुड़े हुए हैं। उनको भी मैं नमन करता हूं। उनको भी शुभकामनाएं देता हूं।

साथियों, अब से कुछ दिन बाद हमारा देश महात्‍मा गांधी की 150वीं जयंती का पर्व मनाएगा। महात्‍मा गांधी का प्रकृति के प्रति, स्‍वच्‍छता के प्रति जो आग्रह था उससे सीखना अपने जीवन में उतारना हम सभी भारतीयों का दायित्‍व है। और उन्‍हें यही उत्‍तम से उत्‍तम सच्‍ची श्रंद्धाजलि भी है। महात्‍मा गांधी 150, ये इस प्रेरणा का वर्ष है, स्‍वच्‍छता ही सेवा के पीछे भी यही भावना जुड़ी हुई है। आज से शुरू हो रहे इस अभियान को इस बार विशेष तौर पर प्‍लास्टिक के कचरे से मुक्ति के लिए समर्पित किया गया है।

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भाईयो और बहनो, प्‍लास्‍टिक से होने वाली समस्‍या समय के साथ गंभीर होती जा रही है। आप ब्रजवासी तो अच्‍छी तरह जानते हैं कि कैसे प्‍लास्‍टिक पशुओं की मौत का कारण बन रही है। इसी तरह नदियां, झीलों, तालाबों में रहने वाले प्राणियों का वहां की मछलियों का प्‍लास्टिक को निगलने के बाद जिंदा बचना मुश्किल हो जाता है। इसलिए अब हमें सिंगल यूज प्‍लास्टिक यानी ऐसी प्‍लास्टिक जिसको एक बार उपयोग करके हम फेंक देते हैं उससे छुटकारा पाना ही होगा। हमें ये कोशिश करनी है कि इस वर्ष 2 अक्तूबर तक अपने घरों को, अपने दफ्तरों को, अपने कार्यक्षेत्रों को सिंगल यूज प्लास्टिक से मुक्त करें।

मैं देश भर में, गांव-गांव में, काम कर रहे हर सेल्फ हेल्प ग्रुप से, सिविल सोसायटी से, सामाजिक संगठनों से, युवा मंडलों से, महिला मंडलों से, क्लबों से, स्कूल और कॉलेज से, सरकारी और निजी संस्थानों से, हर व्यक्ति हर संगठन से इस अभियान से जुड़ने के लिए ह़दयपूर्वक बहुत-बहुत आग्रह करता हूं। आपके संतानों के उज्‍ज्‍वल भविष्‍य के लिए हमें ये करना ही होगा। आप प्‍लास्टिक का जो कचरा इकट्ठा करेंगे उसको उठाने का प्रबंध प्रशासन करेगा और फिर उसको रिसाईकिल किया जाएगा। जो कचरा रिसाईकिल नहीं हो सकता उसको सीमेंट फैक्ट्रियों में, या फिर रोड बनाने में काम लाया जाएगा।

भाईयो और बहनो, अब से कुछ देर पहले मुझे कुछ ऐसी महिलाओं से मिलने का अवसर मिला है। जो विभिन्‍न प्रकार के प्‍लास्टिक को अलग-अलग करती है। इस प्‍लास्टिक का अधिकांश भाग रिसाईकिल कर दिया जाता है। इससे उन महिलाओं को आमदनी भी हो रही है। मैं समझता हूं कि इस तरह का काम गांव-गांव में किए जाने की जरूरत है। waste to wealth यानी कचरे से कंचन की ये सोच ही हमारे पर्यावरण की रक्षा करेगी। हमारे आस-पास के वातावरण को स्‍वच्‍छ बनाएगी।  

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साथियों, स्‍वच्‍छता ही सेवा अभियान के साथ ही कुछ परिवर्तन हमें अपनी आदतों में भी करने होंगे। मैं आपसे लाल किले से भी इस बारे में बता चुका हूं। आज फिर इस विषय को उठा रहा हूं हमें ये तय करना है कि हम जब भी दुकान में, बाजार में, सब्‍जी लेने के लिए, कुछ भी खरीदारी करने के लिए जाएं तो साथ में अपना झोला, थैला, बैग जरूर लेकर के जाएं। कपड़े का हो, जूट का हो अवश्‍य ले जाएं। पैकिंग के लिए दुकानदार प्‍लास्टिक का उपयोग कम से कम करें, ये भी हमें सुनिश्चित करना होगा। मैं तो इसके भी पक्ष में हूं कि सरकारी दफ्तरों में, सरकारी कार्यक्रमों में भी प्‍लास्टिक की बोतलों की बजाए metal या मिट्टी के बर्तनों की व्‍यवस्‍था हो।

साथियों, जब पर्यावरण साफ रहता है। आस-पास गंदगी नहीं रहती तो इसका सीधा और सकारात्‍मक असर स्‍वास्‍थ्‍य पर भी दिखाई देता है। मैं योगी जी की सरकार की प्रशंसा करूंगा कि वो स्‍वच्‍छता और स्‍वास्‍थ्‍य को लेकर बहुत गंभीरता से काम कर रही है। ये उनकी सरकार की कोशिशों का ही परिणाम है और जिसका अभी विस्‍तार से ब्‍यौरा योगी जी ने दिया, मस्तिष्‍क का ज्‍वर के कारण, उस बुखार के कारण और पार्लियामेंट का कोई ऐसा सत्र नहीं जाता था जब योगी जब पार्लियामेंट के मेंबर थे, इस मुद्दे पर दर्दनाक कथा सुना करके देश को जगाने की कोशिश करते थे। हजारों बच्‍चे मरते रहते थे, जब योगी जी की सरकार बनी, अभी तो शुरूआत थी लेकिन उसी मौत को लेकर के जिस योगी जी ने जिस बीमारी के खिलाफ जिंदगी भर लड़ाई लड़ी, पार्लियामेंट को जगाया, देश को जगाया, कुछ vested interest ग्रुपों ने वो सारे हादसे को, पुरानी बातों को भुला करके उन्‍हीं के माथे पर मढ़ दिया। लेकिन योगी जी डिगे नहीं, डरे नहीं। जिस मुद्दे को लेकर वो 30-40 साल से वो लगातार वो काम कर रहे थे उसको उन्‍होंने छोड़ा नहीं और अभी जो आंकड़े दे रहे थे वो आंकड़े, मैं नहीं जानता कि मीडिया के ध्‍यान में आएगा कि नहीं आएगा। लेकिन देश को जरूर ध्‍यान देना चाहिए कि इस प्रकार से जिस गंभीर बीमारी, जिसका मूल कारण गंदगी और हमनें अपने हजारों बच्‍चे खो दिए। काफी मात्रा में सफलता के साथ योगी जी की सरकार आगे बढ़ रही है। मैं उन्‍हें इस मानवता के पवित्र कार्य में स्‍वच्‍छता पर बल देकर बच्‍चों की जिंदगी बचाई है इसके लिए इससे जुड़े हुए सब किसी को नागरिकों को, परिवारों को, संस्‍थाओं को, सरकार को, हर किसी को बधाई देता हूं। और एक प्रकार से आभार व्‍यक्‍त करता हूं।

साथियों, पर्यावरण और स्‍वास्‍थ्‍य से ही जुड़ा एक और विषय है जलसंकट और जलसंकट का उपाय है जल जीवन मिशन। इस मिशन के तहत जल संरक्षण और हर घर जल पहुंचाने पर बल दिया जा रहा है। जल जीवन मिशन का बहुत बड़ा लाभ हमारे गांव में रहने वाले लोगों को मिलेगा, किसानों को मिलेगा और सबसे बड़ी बात हमारी माताओं, बहनों को सुविधा मिलेगी। पानी पर खर्च कम होने का सीधा सा मतलब है कि उनकी बचत भी बढ़ेगी।  

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साथियों, किसानों की आय बढ़ाने में पशुपालन और दूसरे व्यवसायों का भी बहुत बड़ा रोल है। पशुपालन हो, मछली पालन हो, मुर्गी पालन हो या मधुमक्खी का पालन, इन पर किया गया निवेश, ज्यादा कमाई कराता है। इसके लिए बीते 5 वर्षों में कृषि से जुड़े दूसरे विकल्पों पर हम कई नई अप्रोच के साथ आगे बढ़े हैं। पशुधन की गुणवत्ता और स्वास्थ्य से लेकर डेयरी प्रोडक्ट्स की वैरायटी को विस्तार देने के लिए जो भी जरूरी कदम थे वो उठाए गए हैं। दुधारू पशुओं की गुणवत्‍ता सुनिश्चित करने के लिए पहले राष्‍ट्रीय गोकुल मिशन शुरू किया गया और इस वर्ष देश भर के पशुओं की उचित देख-रेख के लिए कामधेनु आयोग बनाने का निर्णय हुआ है। इसी नई अप्रोच का परिणाम है कि पांच साल के दौरान दुध उत्‍पादन में करीब सात प्रतिशत की वृद्धि हुई है। साथ ही किसानों, पशु-पालकों की आय में इससे करीब 13 प्रतिशत की औसत बढ़ोत्‍तरी दर्ज की गई की है।

और मैं अपना एक अनुभव बताऊं अफ्रीका में एक छोटा सा देश है रवांडा। मैं पिछले वर्ष वहां गया था और वहां, यहां जो खबरें आईं उसको लेकर कुछ लोगों ने तूफान भी खड़ा कर दिया था कि मोदी जी ने रवांडा में जाकर के ढाई सौ गाय भेंट करने का कार्यक्रम किया लेकिन देश के सामने पूरी बात लाई नहीं गई। रवांडा जैसा देश, अफ्रीका का देश वहां एक अदभुत योजना चल रही है वहां की सरकार रवांडा में गांव के अंदर गाय भेंट देते हैं लोगों को और फिर उनका जो पहली बछड़ी होती है वो नियम है कि वो सरकार वापिस लेती है और जिसके पास गाय नहीं है उसको वो बछड़ी भेंट दी जाती है ये पूरा चेन चलता है और उनकी कोशिश है कि रवांडा के गांव में हर घर के पास गाय, पशुपालन, दूध उत्‍पादन और उसकी इकोनॉमी का आधार बने। बहुत ही बढि़या ढंग से उन्‍होंने इसका प्‍लान किया हुआ है। और मुझे भी रवांडा के गांव में जाने का मौका मिला। इस योजना का उद्घाटन करने का मौका मिला और वहां किस प्रकार से गांव के जीवन में पशुपालन और खास करके गाय के दूध के द्वारा रोजी-रोटी कमाने का पूरा नेटवर्क खड़ा कर दिया गया है। मैं अपनी आंखों से देखकर आया हूं। लेकिन हमारे देश का दुर्भाग्‍य है, कुछ लोगों के कान पर अगर ओम शब्‍द पड़ता है तो उनके बाल खड़े हो जाते हैं गाय शब्‍द पड़ता है तो उनके बाल खड़े हो जाते हैं उनको लगता है कि देश सोलहवीं-सत्रहवीं शताब्‍दी में चला गया। ऐसा ज्ञान देश को बर्बाद करने वालों ने, बर्बाद करने में कुछ नहीं छोड़ा है। और इसलिए हमारे भारत के ग्रामीण जीवन की अर्थव्‍यवस्‍था में पशुधन बहुत मूल्‍यवान बात है। कोई कल्‍पना करे कि क्‍या पशुधन के बिना अर्थव्‍यवस्‍था चल सकती है क्‍या, गांव चल सकता है क्‍या, गांव का परिवार चल सकता है क्‍या लेकिन पता नहीं कुछ शब्‍द सुनते ही करंट लग जाता है कुछ लोगों को।

साथियों, पशुधन को लेकर सरकार कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि सरकार बनने के बाद सौ दिन में जो बड़े फैसले ले लिए गए हैं उनमें से एक पशुओं के टीकाकरण से जुड़ा हुआ है। इस अभियान को विस्‍तार देते हुए राष्‍ट्रीय पशु रोग नियंत्रण कार्यक्रम और कृत्रिम गर्भाधारण कार्यक्रम की शुरूआत की गई है।

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साथियों, आप सभी से भलीभांति जानते हैं कि पशुधन का बीमार होना कितना बड़ा झटका होता है। हमारे पशु बार-बार बीमार न हों उनके इलाज पर किसानों को बेवजह खर्च न करना पड़े, पशुपालक को खर्च न करना पड़े इसी सोच के साथ आज 13 हजार करोड़ रूपये के एक बड़े अभियान की शुरूआत की गई है। एफएमडी, यानी फूट एंड माउथ डिजीज उससे मुक्ति पूरा भारत इस बीमारी से पशुओं को मुक्‍त करें इसका एक व्‍यापक अभियान हम आरंभ कर रहे हैं।

एफएमडी, यानी फूट एंड माउथ डिजीज यानी हमारे उत्‍तर प्रदेश के गांव में कुछ इलाकों में उसके लिए शब्‍द प्रयोग रहता है मुंहपका। ये मुंहपका जो बीमारी है उससे बीमारी से मुक्ति का ये अभियान है। और आप हैरान हो जाएंगे दुनिया के कई देशों ने इस काम से अपने देश में अभियान चला करके पशुओं को इस बीमारी से मुक्ति दिला दी है। कई छोटे-छोटे देश गरीब देश उन्‍होंने ये काम कर दिया है। लेकिन दुर्भाग्‍य से इतनी सरकारें आ करके गईं इस अभियान को लिए बिना हम परिणाम प्राप्‍त नहीं कर पाए।

दुनिया के गरीब, छोटे देश अगर पशु को मुसीबत से बाहर निकाल सकते हैं तो श्रीकृष्‍ण की धरती पर कोई पशु ऐसी मुसीबत में जीना नहीं चाहिए और इससे मुक्ति के लिए 51 करोड़ गाय, भैंस, भेड़ बकरी और सुअरों को साल में दो बार टीके लगाए जाएंगे। इतना ही नहीं जिन पशुओं का टीकाकरण हो जाएगा उनको पशु आधार यानी यूनिक आईडी देकर कानों में टैग लगाया जाएगा। पशुओं को बाकायदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड भी जारी किया जाएगा।

भाईयो-बहनों इन कार्यक्रमों का उद्देश्‍य बिल्‍कुल साफ है हमारा पशुधन स्‍वस्‍थ रहे, पोषित रहे और पशुओं की नई और उत्‍तम नस्‍लों का विकास हो, इसी रास्‍ते पर चलते हुए हमारे पशुपालकों की आय भी बढ़ेगी। हमारे बच्‍चों को उचित मात्रा में दूध भी उपलब्‍ध होगा और दुनिया के सबसे बड़े दूध उत्‍पादक के रूप में भारत की पहचान भी बनी रहेगी।

भाईयो और बहनों भारत के डेयरी सेक्टर को विस्तार देने के लिए, हमें Innovation की ज़रूरत है, नई तकनीक की जरूरत है। ये इनोवेशन हमारे ग्रामीण समाज से भी आए, इसलिए आज Startup Grand Challenge, मैं खास करके नौजवानों को कहता हूं। बेंगलौर, हैदराबाद में Startup पर काम करने वाले देश के होनहार नौजवानों को भी विशेष रूप से कहता हूं IIT में पढ़ने वाले होनहार छात्रों को भी विशेष रूप से कहता हूं, आइए Startup Grand Challenge के अंदर जिसकी आज मैं शुरुआत कर रहा हूं। आप उससे जुडि़ए और हमें समाधान खोजना है कि हरे चारे की उचित व्‍यवस्‍था कैसे हो, उन्‍हें भी पोषक आहार कैसे मिले। प्‍लास्टिक की थैलियों का सस्‍ता और सुलभ विकल्‍प क्‍या हो सकता है। ऐसे अनेक विषयों का हल देने वाले Startup शुरू होने चाहिए, शुरू किए जा सकते हैं और भारत सरकार आज उस चैलेंज को आपके सामने लॉन्‍च कर रही है। आइए नए-नए Ideas लेकर के आइए अरे देश की समस्‍याओं का समाधान देश की मिट्टी से ही निकलेगा, ये मेरा विश्‍वास है।

मैं अपने युवा साथियों को आश्वस्त करता हूं कि उनके Ideas पर गंभीरता से विचार होगा, उन्हें आगे बढ़ाया जाएगा और ज़रूरी निवेश की व्यवस्था भी की जाएगी। इससे रोज़गार के अनेक नए अवसर भी तैयार होंगे।

सा‍थियों, मथुरा सहित ये पूरा ब्रज क्षेत्र तो आध्‍यत्‍म और आस्‍था का स्‍थान है। यहां हेरीटेज टूरिज्‍म की असीम संभावनाए हैं। मुझे खुशी है कि योगी जी की सरकार इस दिशा में सक्रियता से काम कर रही है।

आज मथुरा, नंदगांव, गोवर्धन, बरसाना में सुंदरीकरण, beautification or connectivity से जुड़े अनेक प्रोजेक्‍ट का उद्घाटन और शिलान्‍यास किया गया है। यहां बनने वाली सुविधाएं सिर्फ यूपी के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए टूरिज्‍म को बहुत ताकत देने वाली है। बीते 5 वर्षों में टूरिज्‍म को जिस तरह से प्रोत्‍साहन दिया गया है उससे भारत की रैंकिंग में बहुत बड़ा सुधार आया है। कुछ ही दिन पहले टूरिज्‍म की ग्‍लोबल रैकिंग के परिणाम आए हैं इसमें भारत 34वें नंबर पर पहुंच गया है जबकि 2013 में भारत 65वें नंबर पर था। भारत की ये सु‍धरती हुई रैंकिग इस बात का भी गवाह है कि इस क्षेत्र में भी रोजगार के नए अवसर निरंतर बने रहे हैं।

सा‍थियों, 11 सितंबर का आज का दिन एक और वजह से विशेष है एक सदी पहले आज ही के दिन स्‍वामी विवेकानंद जी ने शिकागो में अपना ऐतिहासिक भाषण दिया था। उस भाषण के माध्‍यम से पूरे विश्‍व ने हिन्‍दुस्‍तान की संस्‍कृति, हमारी परंपराओं को और गहराई से समझा था। अपने संबोधन में स्‍वामी विवेकानंद जी ने विश्‍व शांति के लिए भारत का दर्शन भी सामने रखा था। लेकिन दुर्भाग्‍य देखिए, उसी 11 सितंबर को 9/11 को अमेरिका में इतना बड़ा आतंकी हमला किया गया कि दुनिया दहल गई।

भाईयो और बहनों, आज आतंकवाद एक विचारधारा बन गई है जो किसी सरहद से नहीं बंधी है ये एक ग्‍लोब्‍ल प्राब्‍लम है, ये ग्‍लोब्‍ल फेथ बन गया है, जिसकी मजबूत जड़े हमारे पड़ोस में फल-फूल रही हैं। इस विचारधारा को, आगे बढ़ाने वालों को, आतंकवादियों को पनाह और प्रशिक्षण देने वालों के खिलाफ आज पूरे विश्‍व को संकल्‍प लेने की जरूरत है, कड़ी कार्रवाई की जरूरत है। भारत अपने स्‍तर पर इस चुनौती से निपटने में पूरी तरह से सक्षम है। ये हमने दिखाया भी है और आगे भी दिखाएंगे। हाल में आतंक-निरोधी कानून को कड़ा करने का फैसला भी इसी दिशा में किया गया प्रयास है। अब संगठनों का नाम बदलकर आतंकी अपने कारनामों को नहीं छुपा पाएंगे।

भाईयो और बहनो, समस्‍या चाहे आतंक की हो, प्रदूषण की हो, बीमारी हो हमें मिलकर इनको पराजित करना है। आइए संकल्‍पबद्ध होकर आगे बढ़ें और आज जिस उद्देश्‍य के लिए हम यहां इकट्ठें हुए हैं, उनको हासिल करने का प्रयास करें एक बार फिर आप सभी को विकास की अनेक-अनेक नई-नई परियोजनाओं के लिए मेरी तरफ से बहुत-बहुत बधाई देता हूं। आप सभी का हृदय से बहुत-बहुत आभार व्‍यक्‍त करता हूं। मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए। दोनों हाथ ऊपर करके बोलिए...

भारत माता की - जय

भारत माता की - जय

भारत माता की - जय

बहुत-बहुत धन्‍यवाद ….

  • Babla sengupta January 04, 2024

    Babla sengupta
  • Manda krishna BJP Telangana Mahabubabad District mahabubabad June 17, 2022

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QuoteToday, India is not just participating in the world order but also contributing to shaping and securing the future: PM
QuoteIndia has given Priority to humanity over monopoly: PM
QuoteToday, India is not just a Nation of Dreams but also a Nation That Delivers: PM

श्रीमान रामेश्वर गारु जी, रामू जी, बरुन दास जी, TV9 की पूरी टीम, मैं आपके नेटवर्क के सभी दर्शकों का, यहां उपस्थित सभी महानुभावों का अभिनंदन करता हूं, इस समिट के लिए बधाई देता हूं।

TV9 नेटवर्क का विशाल रीजनल ऑडियंस है। और अब तो TV9 का एक ग्लोबल ऑडियंस भी तैयार हो रहा है। इस समिट में अनेक देशों से इंडियन डायस्पोरा के लोग विशेष तौर पर लाइव जुड़े हुए हैं। कई देशों के लोगों को मैं यहां से देख भी रहा हूं, वे लोग वहां से वेव कर रहे हैं, हो सकता है, मैं सभी को शुभकामनाएं देता हूं। मैं यहां नीचे स्क्रीन पर हिंदुस्तान के अनेक शहरों में बैठे हुए सब दर्शकों को भी उतने ही उत्साह, उमंग से देख रहा हूं, मेरी तरफ से उनका भी स्वागत है।

साथियों,

आज विश्व की दृष्टि भारत पर है, हमारे देश पर है। दुनिया में आप किसी भी देश में जाएं, वहां के लोग भारत को लेकर एक नई जिज्ञासा से भरे हुए हैं। आखिर ऐसा क्या हुआ कि जो देश 70 साल में ग्यारहवें नंबर की इकोनॉमी बना, वो महज 7-8 साल में पांचवे नंबर की इकोनॉमी बन गया? अभी IMF के नए आंकड़े सामने आए हैं। वो आंकड़े कहते हैं कि भारत, दुनिया की एकमात्र मेजर इकोनॉमी है, जिसने 10 वर्षों में अपने GDP को डबल किया है। बीते दशक में भारत ने दो लाख करोड़ डॉलर, अपनी इकोनॉमी में जोड़े हैं। GDP का डबल होना सिर्फ आंकड़ों का बदलना मात्र नहीं है। इसका impact देखिए, 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं, और ये 25 करोड़ लोग एक नियो मिडिल क्लास का हिस्सा बने हैं। ये नियो मिडिल क्लास, एक प्रकार से नई ज़िंदगी शुरु कर रहा है। ये नए सपनों के साथ आगे बढ़ रहा है, हमारी इकोनॉमी में कंट्रीब्यूट कर रहा है, और उसको वाइब्रेंट बना रहा है। आज दुनिया की सबसे बड़ी युवा आबादी हमारे भारत में है। ये युवा, तेज़ी से स्किल्ड हो रहा है, इनोवेशन को गति दे रहा है। और इन सबके बीच, भारत की फॉरेन पॉलिसी का मंत्र बन गया है- India First, एक जमाने में भारत की पॉलिसी थी, सबसे समान रूप से दूरी बनाकर चलो, Equi-Distance की पॉलिसी, आज के भारत की पॉलिसी है, सबके समान रूप से करीब होकर चलो, Equi-Closeness की पॉलिसी। दुनिया के देश भारत की ओपिनियन को, भारत के इनोवेशन को, भारत के एफर्ट्स को, जैसा महत्व आज दे रहे हैं, वैसा पहले कभी नहीं हुआ। आज दुनिया की नजर भारत पर है, आज दुनिया जानना चाहती है, What India Thinks Today.

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साथियों,

भारत आज, वर्ल्ड ऑर्डर में सिर्फ पार्टिसिपेट ही नहीं कर रहा, बल्कि फ्यूचर को शेप और सेक्योर करने में योगदान दे रहा है। दुनिया ने ये कोरोना काल में अच्छे से अनुभव किया है। दुनिया को लगता था कि हर भारतीय तक वैक्सीन पहुंचने में ही, कई-कई साल लग जाएंगे। लेकिन भारत ने हर आशंका को गलत साबित किया। हमने अपनी वैक्सीन बनाई, हमने अपने नागरिकों का तेज़ी से वैक्सीनेशन कराया, और दुनिया के 150 से अधिक देशों तक दवाएं और वैक्सीन्स भी पहुंचाईं। आज दुनिया, और जब दुनिया संकट में थी, तब भारत की ये भावना दुनिया के कोने-कोने तक पहुंची कि हमारे संस्कार क्या हैं, हमारा तौर-तरीका क्या है।

साथियों,

अतीत में दुनिया ने देखा है कि दूसरे विश्व युद्ध के बाद जब भी कोई वैश्विक संगठन बना, उसमें कुछ देशों की ही मोनोपोली रही। भारत ने मोनोपोली नहीं बल्कि मानवता को सर्वोपरि रखा। भारत ने, 21वीं सदी के ग्लोबल इंस्टीट्यूशन्स के गठन का रास्ता बनाया, और हमने ये ध्यान रखा कि सबकी भागीदारी हो, सबका योगदान हो। जैसे प्राकृतिक आपदाओं की चुनौती है। देश कोई भी हो, इन आपदाओं से इंफ्रास्ट्रक्चर को भारी नुकसान होता है। आज ही म्यांमार में जो भूकंप आया है, आप टीवी पर देखें तो बहुत बड़ी-बड़ी इमारतें ध्वस्त हो रही हैं, ब्रिज टूट रहे हैं। और इसलिए भारत ने Coalition for Disaster Resilient Infrastructure - CDRI नाम से एक वैश्विक नया संगठन बनाने की पहल की। ये सिर्फ एक संगठन नहीं, बल्कि दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं के लिए तैयार करने का संकल्प है। भारत का प्रयास है, प्राकृतिक आपदा से, पुल, सड़कें, बिल्डिंग्स, पावर ग्रिड, ऐसा हर इंफ्रास्ट्रक्चर सुरक्षित रहे, सुरक्षित निर्माण हो।

साथियों,

भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए हर देश का मिलकर काम करना बहुत जरूरी है। ऐसी ही एक चुनौती है, हमारे एनर्जी रिसोर्सेस की। इसलिए पूरी दुनिया की चिंता करते हुए भारत ने International Solar Alliance (ISA) का समाधान दिया है। ताकि छोटे से छोटा देश भी सस्टेनबल एनर्जी का लाभ उठा सके। इससे क्लाइमेट पर तो पॉजिटिव असर होगा ही, ये ग्लोबल साउथ के देशों की एनर्जी नीड्स को भी सिक्योर करेगा। और आप सबको ये जानकर गर्व होगा कि भारत के इस प्रयास के साथ, आज दुनिया के सौ से अधिक देश जुड़ चुके हैं।

साथियों,

बीते कुछ समय से दुनिया, ग्लोबल ट्रेड में असंतुलन और लॉजिस्टिक्स से जुड़ी challenges का सामना कर रही है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए भी भारत ने दुनिया के साथ मिलकर नए प्रयास शुरु किए हैं। India–Middle East–Europe Economic Corridor (IMEC), ऐसा ही एक महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। ये प्रोजेक्ट, कॉमर्स और कनेक्टिविटी के माध्यम से एशिया, यूरोप और मिडिल ईस्ट को जोड़ेगा। इससे आर्थिक संभावनाएं तो बढ़ेंगी ही, दुनिया को अल्टरनेटिव ट्रेड रूट्स भी मिलेंगे। इससे ग्लोबल सप्लाई चेन भी और मजबूत होगी।

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साथियों,

ग्लोबल सिस्टम्स को, अधिक पार्टिसिपेटिव, अधिक डेमोक्रेटिक बनाने के लिए भी भारत ने अनेक कदम उठाए हैं। और यहीं, यहीं पर ही भारत मंडपम में जी-20 समिट हुई थी। उसमें अफ्रीकन यूनियन को जी-20 का परमानेंट मेंबर बनाया गया है। ये बहुत बड़ा ऐतिहासिक कदम था। इसकी मांग लंबे समय से हो रही थी, जो भारत की प्रेसीडेंसी में पूरी हुई। आज ग्लोबल डिसीजन मेकिंग इंस्टीट्यूशन्स में भारत, ग्लोबल साउथ के देशों की आवाज़ बन रहा है। International Yoga Day, WHO का ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के लिए ग्लोबल फ्रेमवर्क, ऐसे कितने ही क्षेत्रों में भारत के प्रयासों ने नए वर्ल्ड ऑर्डर में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराई है, और ये तो अभी शुरूआत है, ग्लोबल प्लेटफॉर्म पर भारत का सामर्थ्य नई ऊंचाई की तरफ बढ़ रहा है।

साथियों,

21वीं सदी के 25 साल बीत चुके हैं। इन 25 सालों में 11 साल हमारी सरकार ने देश की सेवा की है। और जब हम What India Thinks Today उससे जुड़ा सवाल उठाते हैं, तो हमें ये भी देखना होगा कि Past में क्या सवाल थे, क्या जवाब थे। इससे TV9 के विशाल दर्शक समूह को भी अंदाजा होगा कि कैसे हम, निर्भरता से आत्मनिर्भरता तक, Aspirations से Achievement तक, Desperation से Development तक पहुंचे हैं। आप याद करिए, एक दशक पहले, गांव में जब टॉयलेट का सवाल आता था, तो माताओं-बहनों के पास रात ढलने के बाद और भोर होने से पहले का ही जवाब होता था। आज उसी सवाल का जवाब स्वच्छ भारत मिशन से मिलता है। 2013 में जब कोई इलाज की बात करता था, तो महंगे इलाज की चर्चा होती थी। आज उसी सवाल का समाधान आयुष्मान भारत में नजर आता है। 2013 में किसी गरीब की रसोई की बात होती थी, तो धुएं की तस्वीर सामने आती थी। आज उसी समस्या का समाधान उज्ज्वला योजना में दिखता है। 2013 में महिलाओं से बैंक खाते के बारे में पूछा जाता था, तो वो चुप्पी साध लेती थीं। आज जनधन योजना के कारण, 30 करोड़ से ज्यादा बहनों का अपना बैंक अकाउंट है। 2013 में पीने के पानी के लिए कुएं और तालाबों तक जाने की मजबूरी थी। आज उसी मजबूरी का हल हर घर नल से जल योजना में मिल रहा है। यानि सिर्फ दशक नहीं बदला, बल्कि लोगों की ज़िंदगी बदली है। और दुनिया भी इस बात को नोट कर रही है, भारत के डेवलपमेंट मॉडल को स्वीकार रही है। आज भारत सिर्फ Nation of Dreams नहीं, बल्कि Nation That Delivers भी है।

साथियों,

जब कोई देश, अपने नागरिकों की सुविधा और समय को महत्व देता है, तब उस देश का समय भी बदलता है। यही आज हम भारत में अनुभव कर रहे हैं। मैं आपको एक उदाहरण देता हूं। पहले पासपोर्ट बनवाना कितना बड़ा काम था, ये आप जानते हैं। लंबी वेटिंग, बहुत सारे कॉम्प्लेक्स डॉक्यूमेंटेशन का प्रोसेस, अक्सर राज्यों की राजधानी में ही पासपोर्ट केंद्र होते थे, छोटे शहरों के लोगों को पासपोर्ट बनवाना होता था, तो वो एक-दो दिन कहीं ठहरने का इंतजाम करके चलते थे, अब वो हालात पूरी तरह बदल गया है, एक आंकड़े पर आप ध्यान दीजिए, पहले देश में सिर्फ 77 पासपोर्ट सेवा केंद्र थे, आज इनकी संख्या 550 से ज्यादा हो गई है। पहले पासपोर्ट बनवाने में, और मैं 2013 के पहले की बात कर रहा हूं, मैं पिछले शताब्दी की बात नहीं कर रहा हूं, पासपोर्ट बनवाने में जो वेटिंग टाइम 50 दिन तक होता था, वो अब 5-6 दिन तक सिमट गया है।

साथियों,

ऐसा ही ट्रांसफॉर्मेशन हमने बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर में भी देखा है। हमारे देश में 50-60 साल पहले बैंकों का नेशनलाइजेशन किया गया, ये कहकर कि इससे लोगों को बैंकिंग सुविधा सुलभ होगी। इस दावे की सच्चाई हम जानते हैं। हालत ये थी कि लाखों गांवों में बैंकिंग की कोई सुविधा ही नहीं थी। हमने इस स्थिति को भी बदला है। ऑनलाइन बैंकिंग तो हर घर में पहुंचाई है, आज देश के हर 5 किलोमीटर के दायरे में कोई न कोई बैंकिंग टच प्वाइंट जरूर है। और हमने सिर्फ बैंकिंग इंफ्रास्ट्रक्चर का ही दायरा नहीं बढ़ाया, बल्कि बैंकिंग सिस्टम को भी मजबूत किया। आज बैंकों का NPA बहुत कम हो गया है। आज बैंकों का प्रॉफिट, एक लाख 40 हज़ार करोड़ रुपए के नए रिकॉर्ड को पार कर चुका है। और इतना ही नहीं, जिन लोगों ने जनता को लूटा है, उनको भी अब लूटा हुआ धन लौटाना पड़ रहा है। जिस ED को दिन-रात गालियां दी जा रही है, ED ने 22 हज़ार करोड़ रुपए से अधिक वसूले हैं। ये पैसा, कानूनी तरीके से उन पीड़ितों तक वापिस पहुंचाया जा रहा है, जिनसे ये पैसा लूटा गया था।

साथियों,

Efficiency से गवर्नमेंट Effective होती है। कम समय में ज्यादा काम हो, कम रिसोर्सेज़ में अधिक काम हो, फिजूलखर्ची ना हो, रेड टेप के बजाय रेड कार्पेट पर बल हो, जब कोई सरकार ये करती है, तो समझिए कि वो देश के संसाधनों को रिस्पेक्ट दे रही है। और पिछले 11 साल से ये हमारी सरकार की बड़ी प्राथमिकता रहा है। मैं कुछ उदाहरणों के साथ अपनी बात बताऊंगा।

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साथियों,

अतीत में हमने देखा है कि सरकारें कैसे ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिनिस्ट्रीज में accommodate करने की कोशिश करती थीं। लेकिन हमारी सरकार ने अपने पहले कार्यकाल में ही कई मंत्रालयों का विलय कर दिया। आप सोचिए, Urban Development अलग मंत्रालय था और Housing and Urban Poverty Alleviation अलग मंत्रालय था, हमने दोनों को मर्ज करके Housing and Urban Affairs मंत्रालय बना दिया। इसी तरह, मिनिस्ट्री ऑफ ओवरसीज़ अफेयर्स अलग था, विदेश मंत्रालय अलग था, हमने इन दोनों को भी एक साथ जोड़ दिया, पहले जल संसाधन, नदी विकास मंत्रालय अलग था, और पेयजल मंत्रालय अलग था, हमने इन्हें भी जोड़कर जलशक्ति मंत्रालय बना दिया। हमने राजनीतिक मजबूरी के बजाय, देश की priorities और देश के resources को आगे रखा।

साथियों,

हमारी सरकार ने रूल्स और रेगुलेशन्स को भी कम किया, उन्हें आसान बनाया। करीब 1500 ऐसे कानून थे, जो समय के साथ अपना महत्व खो चुके थे। उनको हमारी सरकार ने खत्म किया। करीब 40 हज़ार, compliances को हटाया गया। ऐसे कदमों से दो फायदे हुए, एक तो जनता को harassment से मुक्ति मिली, और दूसरा, सरकारी मशीनरी की एनर्जी भी बची। एक और Example GST का है। 30 से ज्यादा टैक्सेज़ को मिलाकर एक टैक्स बना दिया गया है। इसको process के, documentation के हिसाब से देखें तो कितनी बड़ी बचत हुई है।

साथियों,

सरकारी खरीद में पहले कितनी फिजूलखर्ची होती थी, कितना करप्शन होता था, ये मीडिया के आप लोग आए दिन रिपोर्ट करते थे। हमने, GeM यानि गवर्नमेंट ई-मार्केटप्लेस प्लेटफॉर्म बनाया। अब सरकारी डिपार्टमेंट, इस प्लेटफॉर्म पर अपनी जरूरतें बताते हैं, इसी पर वेंडर बोली लगाते हैं और फिर ऑर्डर दिया जाता है। इसके कारण, भ्रष्टाचार की गुंजाइश कम हुई है, और सरकार को एक लाख करोड़ रुपए से अधिक की बचत भी हुई है। डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर- DBT की जो व्यवस्था भारत ने बनाई है, उसकी तो दुनिया में चर्चा है। DBT की वजह से टैक्स पेयर्स के 3 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा, गलत हाथों में जाने से बचे हैं। 10 करोड़ से ज्यादा फर्ज़ी लाभार्थी, जिनका जन्म भी नहीं हुआ था, जो सरकारी योजनाओं का फायदा ले रहे थे, ऐसे फर्जी नामों को भी हमने कागजों से हटाया है।

साथियों,

 

हमारी सरकार टैक्स की पाई-पाई का ईमानदारी से उपयोग करती है, और टैक्सपेयर का भी सम्मान करती है, सरकार ने टैक्स सिस्टम को टैक्सपेयर फ्रेंडली बनाया है। आज ITR फाइलिंग का प्रोसेस पहले से कहीं ज्यादा सरल और तेज़ है। पहले सीए की मदद के बिना, ITR फाइल करना मुश्किल होता था। आज आप कुछ ही समय के भीतर खुद ही ऑनलाइन ITR फाइल कर पा रहे हैं। और रिटर्न फाइल करने के कुछ ही दिनों में रिफंड आपके अकाउंट में भी आ जाता है। फेसलेस असेसमेंट स्कीम भी टैक्सपेयर्स को परेशानियों से बचा रही है। गवर्नेंस में efficiency से जुड़े ऐसे अनेक रिफॉर्म्स ने दुनिया को एक नया गवर्नेंस मॉडल दिया है।

साथियों,

पिछले 10-11 साल में भारत हर सेक्टर में बदला है, हर क्षेत्र में आगे बढ़ा है। और एक बड़ा बदलाव सोच का आया है। आज़ादी के बाद के अनेक दशकों तक, भारत में ऐसी सोच को बढ़ावा दिया गया, जिसमें सिर्फ विदेशी को ही बेहतर माना गया। दुकान में भी कुछ खरीदने जाओ, तो दुकानदार के पहले बोल यही होते थे – भाई साहब लीजिए ना, ये तो इंपोर्टेड है ! आज स्थिति बदल गई है। आज लोग सामने से पूछते हैं- भाई, मेड इन इंडिया है या नहीं है?

साथियों,

आज हम भारत की मैन्युफैक्चरिंग एक्सीलेंस का एक नया रूप देख रहे हैं। अभी 3-4 दिन पहले ही एक न्यूज आई है कि भारत ने अपनी पहली MRI मशीन बना ली है। अब सोचिए, इतने दशकों तक हमारे यहां स्वदेशी MRI मशीन ही नहीं थी। अब मेड इन इंडिया MRI मशीन होगी तो जांच की कीमत भी बहुत कम हो जाएगी।

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साथियों,

आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया अभियान ने, देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को एक नई ऊर्जा दी है। पहले दुनिया भारत को ग्लोबल मार्केट कहती थी, आज वही दुनिया, भारत को एक बड़े Manufacturing Hub के रूप में देख रही है। ये सक्सेस कितनी बड़ी है, इसके उदाहरण आपको हर सेक्टर में मिलेंगे। जैसे हमारी मोबाइल फोन इंडस्ट्री है। 2014-15 में हमारा एक्सपोर्ट, वन बिलियन डॉलर तक भी नहीं था। लेकिन एक दशक में, हम ट्वेंटी बिलियन डॉलर के फिगर से भी आगे निकल चुके हैं। आज भारत ग्लोबल टेलिकॉम और नेटवर्किंग इंडस्ट्री का एक पावर सेंटर बनता जा रहा है। Automotive Sector की Success से भी आप अच्छी तरह परिचित हैं। इससे जुड़े Components के एक्सपोर्ट में भी भारत एक नई पहचान बना रहा है। पहले हम बहुत बड़ी मात्रा में मोटर-साइकल पार्ट्स इंपोर्ट करते थे। लेकिन आज भारत में बने पार्ट्स UAE और जर्मनी जैसे अनेक देशों तक पहुंच रहे हैं। सोलर एनर्जी सेक्टर ने भी सफलता के नए आयाम गढ़े हैं। हमारे सोलर सेल्स, सोलर मॉड्यूल का इंपोर्ट कम हो रहा है और एक्सपोर्ट्स 23 गुना तक बढ़ गए हैं। बीते एक दशक में हमारा डिफेंस एक्सपोर्ट भी 21 गुना बढ़ा है। ये सारी अचीवमेंट्स, देश की मैन्युफैक्चरिंग इकोनॉमी की ताकत को दिखाती है। ये दिखाती है कि भारत में कैसे हर सेक्टर में नई जॉब्स भी क्रिएट हो रही हैं।

साथियों,

TV9 की इस समिट में, विस्तार से चर्चा होगी, अनेक विषयों पर मंथन होगा। आज हम जो भी सोचेंगे, जिस भी विजन पर आगे बढ़ेंगे, वो हमारे आने वाले कल को, देश के भविष्य को डिजाइन करेगा। पिछली शताब्दी के इसी दशक में, भारत ने एक नई ऊर्जा के साथ आजादी के लिए नई यात्रा शुरू की थी। और हमने 1947 में आजादी हासिल करके भी दिखाई। अब इस दशक में हम विकसित भारत के लक्ष्य के लिए चल रहे हैं। और हमें 2047 तक विकसित भारत का सपना जरूर पूरा करना है। और जैसा मैंने लाल किले से कहा है, इसमें सबका प्रयास आवश्यक है। इस समिट का आयोजन कर, TV9 ने भी अपनी तरफ से एक positive initiative लिया है। एक बार फिर आप सभी को इस समिट की सफलता के लिए मेरी ढेर सारी शुभकामनाएं हैं।

मैं TV9 को विशेष रूप से बधाई दूंगा, क्योंकि पहले भी मीडिया हाउस समिट करते रहे हैं, लेकिन ज्यादातर एक छोटे से फाइव स्टार होटल के कमरे में, वो समिट होती थी और बोलने वाले भी वही, सुनने वाले भी वही, कमरा भी वही। TV9 ने इस परंपरा को तोड़ा और ये जो मॉडल प्लेस किया है, 2 साल के भीतर-भीतर देख लेना, सभी मीडिया हाउस को यही करना पड़ेगा। यानी TV9 Thinks Today वो बाकियों के लिए रास्ता खोल देगा। मैं इस प्रयास के लिए बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं, आपकी पूरी टीम को, और सबसे बड़ी खुशी की बात है कि आपने इस इवेंट को एक मीडिया हाउस की भलाई के लिए नहीं, देश की भलाई के लिए आपने उसकी रचना की। 50,000 से ज्यादा नौजवानों के साथ एक मिशन मोड में बातचीत करना, उनको जोड़ना, उनको मिशन के साथ जोड़ना और उसमें से जो बच्चे सिलेक्ट होकर के आए, उनकी आगे की ट्रेनिंग की चिंता करना, ये अपने आप में बहुत अद्भुत काम है। मैं आपको बहुत बधाई देता हूं। जिन नौजवानों से मुझे यहां फोटो निकलवाने का मौका मिला है, मुझे भी खुशी हुई कि देश के होनहार लोगों के साथ, मैं अपनी फोटो निकलवा पाया। मैं इसे अपना सौभाग्य मानता हूं दोस्तों कि आपके साथ मेरी फोटो आज निकली है। और मुझे पक्का विश्वास है कि सारी युवा पीढ़ी, जो मुझे दिख रही है, 2047 में जब देश विकसित भारत बनेगा, सबसे ज्यादा बेनिफिशियरी आप लोग हैं, क्योंकि आप उम्र के उस पड़ाव पर होंगे, जब भारत विकसित होगा, आपके लिए मौज ही मौज है। आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद।