Connectivity has the power to eradicate any form of regional discrimination: PM Modi

Published By : Admin | September 22, 2018 | 14:25 IST
PM Modi says Connectivity has the power to eradicate any form of regional discrimination
PM Modi urge Odisha Chief Minister Shri Naveen Patnaik to give priority to #SwachhBharat Abhiyan
Our government has taken historic step by complying the age old demand of farmers to raise the MSP: PM Modi in Odisha
It is our endeavor to provide the kind of respect, rights and development that Odisha deserves: PM Modi
PM Modi says the project initiated today at Talcher and Jharsuguda are part Odisha’s development process

केंद्र में मंत्रिपरिषद के मेरे साथी श्रीमान सुरेश प्रभु जी, जुएल ओराम जी, धर्मेंद्र प्रधानजी, विधायक एवं प्रदेश के अध्यक्ष श्रीमान बसंत पांडा जी, राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमान सुरेश पुजारी जी, विधायक श्रीमान प्रदीप पुरोहित जी, विधायक श्रीमती राधारानी पांडा जी, विधायक श्रीमान रविनारायण नाइक जी, पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमान गिरिधर गमांग जी, प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य श्रीमान सुभाष चौहान जी।इस महान धरती के वीर सपूतों को, आप सभी को मैं एक बार फिर नमन करता हूं। आप इतनी दूर से मुझे आशीर्वाद देने के लिए आए, मैं आप सबका बहुत-बहुत आभारी हूं।

उड़ीसा एक बहुत बड़े परिवर्तन की तैयारी कर रहा है। इतनी बड़ी संख्या में आपकी उपस्थिति इसकी साक्षात गवाह है।

साथियो, ये मेरा सौभाग्य है कि अब से कुछ देर पहले मुझे झारसुगुड़ा एयरपोर्ट- वीर सुरेंद्र साई एयरपोर्ट के शुभारंभ का और गर्जन बहाल कोयला खदान के लोकार्पण का अवसर मिला। आज से ही झारसुगुड़ा-बारपल्ली-सरडेगा रेल लाइन शुरू हो रही है, और साथ हीदुलंगा कोयला खदान से उत्पादन का श्रीगणेश भी हुआ है।

साथियो, केंद्र की भाजपा सरकार उड़ीसा के लोगों की आशाओं, आकांक्षाओं और आवश्कताओं को देखते हुए एक के बाद एक नई योजना बना रही है। आप सभी को पता है कि उड़ीसा में पहला एयरपोर्ट करीब-करीब 50 साल पहले भुवनेश्वर में शुरू हुआ था। औद्योगिक रूप में इतना महत्वपूर्ण होने के बावजूद उड़ीसा में दूसरे एयरपोर्ट के लिए पहले सोचा ही नहीं गया, काम किया नहीं गया। अब झारसुगुड़ा के तौर पर उड़ीसा के लोगों को अपना दूसरा एयरपोर्ट आज मिल गया।

अब आपके लिए भुवनेश्वर, रायपुर और रांची जाना और आसान हो गया। अभी आप लोगों को रायपुर जाना हो तो सड़क मार्ग से चार घंटे, भुवनेश्वर जाना है तो सात घंटे, इस नये एयरपोर्ट से अब आपका समय भी बचेगा और पैसा भी बचेगा। इतना ही नहीं राज्य में तीन नए एयरपोर्ट के विकास का भी काम किया जा रहा है। कोरापुट, सुंदरगढ़ और कालाहांडी में बनने वाले एयरपोर्ट उड़ीसा के औद्योगिक विकास में नई क्रांति लेकर आएंगे।

साथियो, जब किसी भी इलाके में हवाई अड्डों, हवाई मार्गों का विकास होता है तो उसका सीधा प्रभाव निवेश, पर्यटन और रोजगार पर पड़ता है। जब ज्यादा हवाई जहाज लैंड कर सकेंगे, जब ज्यादा बड़े हवाई जहाज उड़ान भर सकेंगे, ज्यादा यात्री आ सकेंगे तो निश्चित तौर पर आर्थिक गतिविधियों को बहुत बड़ा फायदा होगा। आप कोई भी सेक्टर सोच लीजिएट्रैवल, टूर, टैक्सी, होटल, रिसॉर्ट हर किसी को फायदा होगा। ये तमाम नए कार्य यहां के नौजवानों के लिए रोजगार के नए द्वार भी खोलेंगे। इससे इस इलाके का दूसरे राज्यों और दूसरे देशों के साथ कारोबारी रिश्ता भी आसान और मजबूत होगा।

भाइयो और बहनो, मैंने पहले भी कहा है, ये मेरा सपना है कि जो हवाई चप्पल पहनते हैं वो हवाई यात्रा कर सकें। आज ये सपना सच होता दिखाई दे रहा है। रेलवे में एसी डिब्बों में सफर करने वालों से ज्यादा लोग अब हवाई जहाजों में सफर कर रहे हैं। हमारी सरकार ने अपनी नीतियां ही इसी सोच के साथ बनाई है कि उड़े देश का आम नागरिक। देश का गरीब, देश का मध्यम वर्ग हवाई जहाज में बैठ सके, उड़ सके इसके लिए देश भर में नए एयरपोर्ट बनाए जा रहे हैं, छोटे-छोटे शहरों को हवाई मार्ग से जोड़ने का काम चल रहा है। ये नए एयरपोर्ट बड़े और छोटे शहरों में रहने वालों के बीच भेदभाव कम करने का भी काम करेंगे।

साथियो, कनेक्टिविटी में हर तरह का क्षेत्रीय भेदभाव खत्म करने की ताकत होती है। सुदूर बॉर्डर पर बसे गांव हों या देश के भीतर आदिवासी इलाके हों, जितनी ज्यादा कनेक्टिविटी, उतना ज्यादा विकास और इसीलिए हमारी सरकार उत्कल प्रदेश के लिए-उड़ीसा के लिए भी रेलवे, हाईवे, एयरवे, वॉटरवे, आईवे- इंटरनेट वे हर तरह की कनेक्टिविटी बनाने पर काम कर रही है। इसी कड़ी में आज झारसुगुड़ा-बारपल्ली-सरडेगा रेल लाइन की भी शुरुआत हुई है। आजादी के इतने वर्षों बाद उड़ीसा के आदिवासी क्षेत्र में ये पहला रेल लिंक है जो सुंदरगढ़ जिले से अंदरूनी और पिछड़े इलाकों को देश के बाकी हिस्सों के साथ जोड़ेगा। अभी तो इससे कोयले के ट्रांसपोर्टेशन का काम होगा, लेकिन भविष्य में यात्री ट्रेनें चलने का भी रास्ता खुल चुका है।

भाइयो और बहनो, उड़ीसा के विकासको लेकर पहले की सरकारों में कितनी गंभीरता रही है, ये परियोजना इसका भी एक जीता-जागता नमूना है। साल 2006 में इस पर काम शुरू हुआ था, लेकिन जब तक कांग्रेस की सरकार केंद्र में रही इस पर 30 प्रतिशत से भी कम काम हुआ। दिल्ली में भाजपा की सरकार बनने के बाद चार साल में ही 70 प्रतिशत से ज्यादा काम हुआ और आज इस रूट को उड़ीसा के लोगों को समर्पित कर दिया गया।

भाजपा सरकारों में विकास के लिए किस तरह काम होता है, उनकी गति क्या होती है, आप इसे भलीभांति देख रहे और समझ रहे हैं। उड़ीसा में पिछले चार साल में नेशनल हाईवे की लंबाई में भी दोगुने से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है। राज्य के हर गांव तक सड़क पहुंचाने के काम में भी तेजी लाई जा रही है। इन कार्यों के लिए आपलोगों का आशीर्वाद तो मिल रहा है, लेकिन ये भी एक सच्चाई है कि उड़ीसा की राज्य सरकार इन कार्यों में उदासीन नजर आती है, जितनी चिंता उसे करनी चाहिए। मुझे दिल्ली से उसको जगाना पड़ता है। दशकों पुरानी जिस रफ्तार से उड़ीसा चल रहा था, वो उसी रफ्तार पर उड़ीसा को चलाना चाहते हैं। भ्रष्टाचार और फैसलों में देरी, ये जैसे उड़ीसा सरकार की पहचान बन गई है, जो विकासके लिए रुकावट बन गई है।

साथियो, केंद्र में भाजपा की सरकार बनने से पहले उड़ीसा को पांच साल की अवधि में 82,000 करोड़ रुपये मिलते थे। हमारी सरकार बनने के बाद अब ये राशि बढ़कर के करीब-करीब दो लाख करोड़ रुपया हो गई है। क्या उड़ीसा सरकार को दी जा रही इस राशि का प्रभाव जमीन पर आपको कहीं नजर आ रहा है, दिख रहा है। कहीं चिंता सताती है कि नहीं सताती है,आखिर ये पैसे कहां जा रहे हैं।

उड़ीसा की स्वास्थ्य सेवा हो, कुपोषण की स्थिति हो, माता मृत्यु दर हो, शिशु मृत्यु दर हो, लड़कों के मुकाबले लड़कियों की गिरती संख्या हो, ये सारी बातें हर हिंदुस्तानी को, हर उड़ीसावासी को चिंता कराती है। मैं ये नहीं कहता कि देश के दूसरे राज्यों में ये समस्या नहीं है, लेकिन इन समस्याओं के प्रति राज्य सरकार का रवैया क्या है, ये बहुत मायने रखता है।

मैंने नवीन बाबू से आग्रह किया कि राज्य के शौचालयों के निर्माण को वो और गति दें। अब तक उड़ीसा आयुष्मान भारत से भी नहीं जुड़ा है। ये योजना कल देश भर में लागू होने जा रही है। ये योजना सुनिश्चित करेगी कि गंभीर बीमारी की स्थिति में मरीजों को पांच लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज मिले। आप चाहते हैं कि उड़ीसा के गरीबों को पांच लाख रुपये तक बीमारी में मदद मिले, लेकिन इस योजनामें उड़ीसासरकार जुड़ नहीं रही है। वो कहते हैं, सोचेंगे।

स्वास्थ्य से जुड़ी जो योजना राज्य सरकार चला रही है उसकी अपनी सीमाएं हैंउसका हाल आप लोग भलीभांति जानते हैं।

भाइयो और बहनो, आप सभी को पता है कि देश भर के किसानों की एमएसपी से जुड़ी वर्षों पुरानी मांग को हमारी सरकार ने ही पूरा करने का ऐतिहासिक काम कियाहै। इसका बहुत बड़ा लाभ यहां के धान की पैदावार करने वाले किसानों, मक्का और दाल पैदा करने वाले किसानों को भी मिलना तय हुआ है। धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य-एमएसपी में सरकार ने प्रति क्विंटल दो सौ रुपये की बढ़ोतरी की है। इसी तरह मक्के के एमएसपी में 275 रुपये की बढ़ोतरी की है। लगभग 1,100 रुपये प्रति क्विंटल लागत के ऊपर मक्का का समर्थन मूल्य 1,700 रुपये हो गया है। मक्के के अलावा रागी जैसे पौष्टिक और फाइबर से परिपूर्ण अनाज के लिए भी 50 प्रतिशत से अधिक का लाभ सुनिश्चित किया गया है। लेकिन मुझे बताया गया कि यहां उड़ीसा में किसानों को इसका उतना फायदा नहीं मिल रहा है, जितना मिलना चाहिए था। यहां बहुत सी जगहों पर दाल की वास्तविक खरीदी ना करके सिर्फ कागजों में खरीदारी का खेल चल रहा है। किसानों के धान को जान-बूझकर के खराब बताकर उन्हें खरीदने से मना किया जा रहा है।

यहां आने से पहले मुझे बताया गया कि घर से जुड़ी योजना हो, शौचालय का निर्माण हो, बिना रिश्वत दिए गरीबों का काम होना उड़ीसा सरकार में संभव ही नहीं रहा है। यहां के लोग, कुछ लोग उसे परसेंट यानि पीसी बोलते हैं। सबको मालूम है ना पीसी, इसी पीसीकी वजह से उड़ीसा के लोग पिसते चले जा रहे हैं, विकास योजनाओं का लाभ लेने में पीछे छूटरहे हैं।

बीते दिनों में कितने ही घोटाले उड़ीसा में चर्चा में हैं। पौधारोपण से लेकर पॉलीथिन तक, सहकारिता विभाग से लेकर के सड़क निर्माण तक, सिंचाई से लेकर के सत्तू तक में घोटाला करने का आरोप सरकार में शामिल लोगों यापार्टी कार्यकर्ताओं पर लग रहा है। ऐसीस्थिति में भला विकास कैसे होगा और इसीलिए उड़ीसा में एक बड़े परिवर्तन का समय आ गया है। ये परिवर्तन ही आपकी आशाओं-उम्मीदों को पूरा करने का काम करेगा।
भाइयो और बहनो, आज यहां गर्जनबहाल कोयला खदान का लोकार्पण किया गया है। आज से ही दुलंगा कोयला खदान से नियमित कोयले के उत्पादन की प्रक्रिया भी शुरू हो रही है। इन माइन्स से निकलने वाला कोयला बिजली उत्पादन बढ़ाने में मदद करेगा।

साथियो, यहां के नौजवानों की उम्मीदें, उनके हर सपने पूरे हों, ये हमारी सरकार की प्राथमिकता है।यहां के औद्योगिक क्षेत्र की जरूरतों को देखते हुए यहां के नौजवानों के कौशल विकास पर अलग से ध्यान दिया गया है। हाइड्रोकार्बन सेक्टर से जुड़े कार्यों को देखते हुए पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा एक स्किल डेवलपमेंट इंस्टिट्यूट की भी स्थापना की गई है। इसके अलावा भुवनेश्वर में इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ स्किल की स्थापना भी की गई है। राज्य में 24 प्रधानमंत्री कौशल केंद्र भी काम कर रहे हैं। प्रधानमंत्री कौशल अभियान के तहत वर्ष 2020 तक राज्यके तीन लाख नौजवानों को स्किल ट्रेनिंग देने के लक्ष्य पर काम किया जा रहा है। दीनदयालउपाध्याय ग्रामीण कौशल योजना के तहत भी करीब एक लाख युवाओं को ट्रेनिंग दी गई है। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत उड़ीसा में करीब एक करोड़ लोन वितरित किए गए हैं। 25 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की राशि यहां के लोगों को स्वरोजगार के लिए दी गई है।

साथियो, मैं साफ देख रहा हूं, युवा ऊर्जा से भरपूर उड़ीसाअब आगे बढ़ने के लिए लालायित है। दशकों के पिछड़ेपन को उड़ीसा अब पीछे छोड़ देना चाहता है। केंद्र सरकार भी इसमें उड़ीसा के साथ कंधे से कंधा मिलाकर के चल रही है। राज्य के जो सबसे अधिक 10 पिछड़े हुए जिले हैं, आकांक्षी जिले हैं उन पर विशेष ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। हमारा प्रयास है, उड़ीसा को वो सम्मान मिले, वो अधिकार मिले, वो विकास मिले, जिसका उड़ीसा हकदार है, उड़ीसा का हर नागरिक हकदार है। आज सुबह तालचेर और फिर यहां झारसुगुड़ामें शुरू हुई योजनाएं इसी की एक कड़ी है। आप सभी को इन योजनाओं के लिए एक बार फिर मैं बधाई देता हूं और आप सबको भी, विशेषकर के मेरे नौजवान भाइयों-बहनों को अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं।

जय जगन्नाथ
जय जगन्नाथ
जय जगन्नाथ।।

बहुत-बहुत धन्यवाद।

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PM to participate in ‘Odisha Parba 2024’ on 24 November
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Odisha Parba is a flagship event conducted by Odia Samaj, a trust in New Delhi. Through it, they have been engaged in providing valuable support towards preservation and promotion of Odia heritage. Continuing with the tradition, this year Odisha Parba is being organised from 22nd to 24th November. It will showcase the rich heritage of Odisha displaying colourful cultural forms and will exhibit the vibrant social, cultural and political ethos of the State. A National Seminar or Conclave led by prominent experts and distinguished professionals across various domains will also be conducted.