मंच पर विराजमान भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष श्रीमान मंगल पांडेय जी, केंद्र में मंत्रिपरिषद के मेरे साथी श्रीमान राम विलास पासवान जी, विधानमंडल के नेता श्रीमान सुशील कुमार मोदी जी, राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री श्रीमान जीतन राम मांझी जी, राज्य विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता श्रीमान नंद किशोर यादव जी, केंद्र में मंत्रिमंडल के मेरे साथी श्री उपेन्द्र कुशवाहा जी, हमारे सबके वरिष्ठ नेता डॉ. सी पी ठाकुर जी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष श्रीमान गोपाल नारायण जी, हम पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्रीमान शकुनी जी चौधरी, हमारे पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमान शाहनवाज़ जी, हमारे पूर्व सांसद श्री उदय सिंह जी, रालोसपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. अरुण जी, बिहार विधान परिषद् के सदस्य डॉ. दिलीप कुमार जायसवाल जी, हमारे सांसद श्रीमान कीर्ति आजाद जी, हमारे सांसद हुकुमदेव नारायण जी, पूर्व सांसद श्रीमान निखिल चौधरी जी, श्रीमान प्रदीप सिंह, श्रीमान नित्यानंद राय जी, श्रीमान विश्वमोहन चौधरी जी, श्रीमान एम. के. सिंह जी, डॉ. राम नरेश सिंह जी, श्रीमान वीरेन्द्र चौधरी जी, श्रीमान देवेन्द्र यादव जी, श्रीमान महबूब अली जी, श्रीमान आलोक रंजन जी, श्रीमान मदन मोहन चौधरी जी, श्रीमती नूतन सिंह जी, मंच पर विराजमान सभी वरिष्ठ महानुभाव।
एहन पुण्य भूमि मिथिला में अबी हम गदगद छी, अहाँ सबके वेरी वेरी प्रणाम करै छी। मैं अभी आरा के कार्यक्रम से आ रहा हूँ। इसके पूर्व मुझे बिहार में दो रैलियों को संबोधित करने का अवसर मिला। हवा का रूख साफ-साफ नजर आता है। इस चुनाव में माहौल कैसा है, मौसम कैसा है, उसका भली-भांति पता चल रहा है। और एनडीए की सरकार बनाने के लिए जो तेज आंधी आई है, तेज हवा चल रही है, बारिश भी उसको भिगो नहीं पा रही है। मैं जब आरा में था तो मुझे बताया गया कि यहाँ तो तेज बारिश चल रही है लेकिन ये कोसी अंचल के लोग हैं अगर एक बार ठान लेते हैं तो कितनी ही तेज आंधी क्यों न हो, वर्षा कितनी तेज क्यों न हो, न ये रुकते हैं, न ये थकते हैं, न ये झुकते हैं; ऐसे कोसी अंचल के लोगों को मैं बार-बार नमन करता हूँ।
भाईयों-बहनों, आज से 7 साल पहले 18 अगस्त को कोसी में एक भयंकर बाढ़ आई थी और उस बाढ़ में यहाँ के नजदीक के 7-8 जिलों के 35 लाख परिवार तबाह हो गए थे। यहाँ के खेत बालू से भर गए थे। गाँव विनाश के कगार पर आकर खड़े हो गए थे। न धरती बची थी, न आसमान रूकने को तैयार था और यहाँ का जन-जन मुसीबतों से जूझ रहा था। उस समय मैं गुजरात में मुख्यमंत्री के रूप में काम करता था। इस कोसी अंचल के अनेक परिवार मेरे यहाँ गुजरात में बसे हुए हैं और उसके कारण मुझे उनसे सारी जानकारियां मिलती थीं और तब हमें लगा था कि भले गुजरात कितना ही दूर क्यूँ न हो लेकिन कोसी अंचल के पीड़ा के समय कंधे से कंधा मिलाकर के उनके दुःख में साथ खड़े रहना चाहिए, उन्हें समस्याओं से मुक्ति दिलाने के लिए मदद करनी चाहिए।
आप सबको याद होगा मेरे भाईयों-बहनों, देशभर से लोग उस संकट की घड़ी में आपके साथ खड़े हो गए थे लेकिन कभी कभी जनता-जनार्दन का दर्द, सामान्य मानव की पीड़ा... राजनेताओं का अहंकार सातवें आसमान पर होता है उस अहंकार के कारण न संवेदनाओं को समझ पाते हैं, न दर्द को अनुभव कर पाते हैं, न पीड़ा का पता चलता है और वे अपने अहंकार में डूबे रहते हैं। आज जब मैं इस कोसी अंचल में आया हूँ, कोसी नदी की सौगंध खाकर मैं कहना चाहता हूँ कि किसी व्यक्ति का अहंकार कितनी गहरी चोट पहुंचाता है... अगर मुझे व्यक्तिगत रूप से कोई अपमानित करे, दुत्कार दे, अनाप-शनाप भाषा का इस्तेमाल कर ले, मैं कभी भी सार्वजनिक रूप से इस प्रकार की हरकतों के संबंध में कभी कुछ बोलता नहीं हूँ, उसको सहने के लिए अपने आप को तैयार करता हूँ लेकिन जब अहंकार के कारण सामान्य मानव के दर्द और पीड़ा के साथ खिलवाड़ किया जाए तो जनता-जनार्दन के दर्द और पीड़ा के लिए मैं अपने आप को रोक नहीं सकता।
आज जब मैं कोसी अंचल में आया हूँ तो मैं कहना चाहता हूँ कि वो दिन था 18 अगस्त और आज का दिन भी है 18 अगस्त, यही दिन था। आज मैं कहना चाहता हूँ गुजरात के लोगों ने अपनी पसीने की कमाई से कोसी अंचल के लोगों की मदद के लिए 5 करोड़ रुपये का चेक भेजा था। उस 5 करोड़ रुपये में, इसी कोसी अंचल के लोग जो गुजरात में रहते हैं और जिन्होंने गुजरात को अपनी कर्मभूमि बनाई है, 5-10 लाख रुपये इन लोगों का भी था। वे भी अपने वतन के पीड़ित परिवार के लिए कोई न कोई योगदान देना चाहते थे। लेकिन उनका अहंकार सातवें आसमान पर था; इतना अहंकार था कि आप दर्द झेलते रहें, आप पीड़ा झेलते रहें और उन्होंने 5 करोड़ रुपये का चेक गुजरात की जनता को वापिस भेज दिया।
आप मुझे बताईये मेरे भाईयों-बहनों, क्या सार्वजनिक जीवन में ये आचरण उचित है क्या? पूरी ताकत से बताईये, उचित है क्या? ऐसा आचरण मंजूर है क्या? कोसी अंचल के लोग मरें तो मरें लेकिन मैं अपना अहंकार नहीं छोडूंगा, ये चल सकता है क्या? जो अपना अहंकार नहीं छोड़ सकते, हमें उन्हें छोड़ना चाहिए कि नहीं छोड़ना चाहिए? ऐसे लोगों को विदाई देनी चाहिए कि नहीं चाहिए? भाईयों-बहनों, ऐसे ही अहंकार ने बिहार के सपनों को रौंद डाला है, बिहार के सपनों को चूर-चूर कर डाला है। उस अपमान को भी मैं पी गया था और फिर मैंने हमारे बिहार के भाई जो वहां रहते थे, उन्हीं को मैंने कुछ सामान देकर भेजा कि भाई कहीं मेरा नाम आएगा तो तूफ़ान खड़ा हो जाएगा, आप चुपचाप जाईये और यहाँ के गरीब परिवारों में बाँट कर के आ जाईये। लोग आये, यहाँ के लोगों की सेवा की और कहीं तक किसी को कोई आवाज तक नहीं आने दी।
सार्वजनिक जीवन में कुछ परंपराएँ होती है, कुछ नीतियां होती हैं, कुछ नियम होते हैं लेकिन ऐसे लोगों से मैं क्या अपेक्षा करूँ? आप मुझे बताईये मेरे भाईयों-बहनों, जयप्रकाश नारायण हमारे देश की शान हैं कि नहीं हैं? पूरी ताकत से जवाब दीजिये, जयप्रकाश नारायण जी हमारे देश की शान हैं कि नहीं हैं? हमारा गौरव है कि नहीं है? जयप्रकाश जी ने बिहार को गौरव दिलाया कि नहीं दिलाया? बिहार का मान-सम्मान बढ़ाया कि नहीं बढ़ाया? आपको याद है, उन जयप्रकाश नारायण जी को जेल में किसने बंद किया था? आपातकाल में जब श्रीमती इंदिरा गाँधी का राज चलता था तो जयप्रकाश नारायण जी को जेल में किसने बंद किया था? कांग्रेस पार्टी ने, श्रीमती इंदिरा गाँधी ने, जयप्रकाश नारायण जी को जेल में बंद कर दिया था और उनका यही गुनाह था कि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ़ लड़ाई लड़ते थे। बिहार जयप्रकाश जी के नेतृत्व में, और बाद में पूरा हिन्दुस्तान जयप्रकाश जी के नेतृत्व में भ्रष्टाचार के खिलाफ़ लड़ाई लड़ने के लिए मैदान में आया था... भाईयों-बहनों, अब जगह नहीं है, कहाँ आओगे जी, अब भर गया है! इस मैदान में जगह हो न हो, मेरे दिल में आपके लिए भरपूर जगह है।
जयप्रकाश जी जेल से बीमार होकर बाहर निकले और यह देश बिहार के सपूत और मां भारती के लाल जयप्रकाश नारायण जी को नहीं बचा पाया, वो हमारे बीच से चले गए। जयप्रकाश नारायण जी के मृत्यु के लिए कौन जिम्मेवार है? यही कांग्रेस के लोग जिन्होंने जयप्रकाश नारायण जी के साथ ये खिलवाड़ किया था। मैं बिहार के भाईयों से पूछना चाहता हूँ... बिहार के लोगों ने मन में ऐसी ठान ली कि जयप्रकाश नारायण जी के साथ इस प्रकार का जुल्म करने वालों को बिहार की राजनीति से उखाड़ कर के फेंक दिया लेकिन आज जो लोग जयप्रकाश जी की जिंदगी के साथ खेल खेलने वाले लोगों के साथ चुनावी समझौता कर रहे हैं, कांग्रेस के पास सीटों का बंटवारा कर रहे हैं, मुझे बताईये ये जयप्रकाश नारायण जी की आत्मा को पीड़ा पहुंचाएगा कि नहीं पहुंचाएगा? ये जयप्रकाश नारायण के साथ धोखा और विश्वासघात है कि नहीं है? आप ऐसे लोगों के साथ भरोसा कर सकते हैं क्या जिन्होंने जयप्रकाश नारायण की जिंदगी को तबाह कर दिया? सत्ता पाने के लिए आप उनकी गोद में जाकर के बैठ रहे हो और इसलिए ये जो कारोबार चल रहा है.. अब बिहार की राजनीति बदलाव की ओर चल पड़ी है।
अब ये सरकार रहने वाली नहीं है यहाँ की जनता न इनको स्वीकार करने वाली है, न इनका साथ देने वाली है। भाईयों-बहनों, आपने मुझे प्रधानमंत्री के रूप में सेवा करने का मौका दिया। आप मुझे बताईये, मैं जनता-जनार्दन के बीच आकर के अपने काम का हिसाब दे रहा हूँ कि नहीं दे रहा हूँ? जनता के बीच जाने के लिए एक हिम्मत लगती है, हौसला लगता है, जनता के प्रति विश्वास लगता है, आस्था लगती है लेकिन जब जनता से नाता टूट जाता है, अहंकार सातवें आसमान पर होता है तब जनता के बीच जाने के बजाय एयर कंडीशन कमरे में पांच-पच्चीस पत्रकारों को बुलाकर के जहर उगलने के सिवाय कोई काम नहीं बचा रहता है। भाईयों-बहनों, हम तो जनता के हैं, जनता के बीच जाते हैं, जनता के बीच आकर के अपना हिसाब देते हैं।
भाईयों-बहनों, बिहार को जंगलराज का डर सता रहा है। उसके संकेत मिलने शुरू हो गए हैं। मैं आज बिहार सरकार के उनके अपने पुलिस विभाग ने अपनी वेबसाइट पर जो बातें रखी हैं, मैं बिहार की जनता के सामने बिहार सरकार के ही आंकड़ों को प्रस्तुत करना चाहता हूँ, आपके सामने रखना चाहता हूँ। दबे पाँव मुसीबतें आनी शुरू हो गई हैं, संकट का सामना करने के दिन आने शुरू हो गए हैं। आप देखिये, बिहार सरकार के आंकड़े बताते हैं: जनवरी 2015, बिहार में अपराधों की संख्या थी – 13,808 गंभीर प्रकार के अपराधों की संख्या थी - 13,808; जून 2015 में यह आंकड़ा पहुँच गया 13 हजार से 18,500 पर गंभीर प्रकार के अपराधों में 34 प्रतिशत का इजाफ़ा हुआ है। मुझे बताईये, ये जंगलराज के आसार हैं कि नहीं हैं आपका जीवन मुश्किल होगा कि नहीं होगा? निर्दोष बहन-बेटियों की जिंदगी ख़तरे में पड़ेगी कि नहीं पड़ेगी? जनवरी में 217 हत्याएं हुई थी, जून में, इतने कम समय में ये आंकड़ा पहुँच गया 316 और अभी तो पिछले ढेढ़ महीने का मैंने हिसाब नहीं लिया है। 46 प्रतिशत का इजाफ़ा हुआ है और अब आप मुझे बताईये कि हत्याओं का अगर यह दौर चलता रहा तो बिहार के सामान्य मानव की जिंदगी का क्या हाल होगा।
भाईयों-बहनों, एक और बात पर मैं गंभीरता से ध्यान दिलाना चाहता हूँ। ये आंकड़े बिहार सरकार के हैं, मैं उन्हीं के आकड़ें बोल रहा हूँ। जनवरी महीने में दंगों की संख्या थी – 866, जून महीना आते-आते दंगों की संख्या हो गई – करीब-करीब 1500; Exact आंकड़ा है – 1497 यानि 1500 में तीन बाकी। जनवरी में करीब साढ़े आठ सौ और जून में 1500 दंगे, 72 प्रतिशत इजाफ़ा हुआ है। हर पैरामीटर को देखिये, बिहार के सामान्य मानव की जिंदगी सुरक्षित नहीं है। खतरे की घंटी बज चुकी है। मैं आपसे अनुरोध करने आया हूँ इस चुनाव में हत्याएं अगर बंद करवानी है, ये दंगे फ़साद बंद करवाने हैं, इन निर्दोष लोगों की जिंदगी को बचाना है तो आपको घर-घर जाकर के चौकीदारी करने की आवश्यकता नहीं है, आप सिर्फ़ पटना में एक मजबूत सरकार बिठा दीजिए, आप हमारा साथ दे दीजिए, हम आपकी समस्याओं का समाधान कर देंगे।
कई दिनों से चर्चा चल रही थी... मैं एक और बात भी कहना भूल गया, उसे मैं जरा कह देना चाहता हूँ। मैंने कोसी का जिक्र किया लेकिन यहाँ के लोगों को याद होगा कि अगस्त 2014 में दिल्ली में हमारी सरकार बनने के थोड़े दिन के बाद फिर से एक बार कोसी पर संकट आया था। नेपाल में दुपाल चौक के पास कोसी नदी पर लैंडस्लाइड हुआ था। नदी का आना बंद हुआ था और वहां पानी जमा होना शुरू हो गया था। सेटॅलाइट से हमें पता चला कि अगर ये पानी जमा होता गया और बाढ़ में अगर ये मिट्टी ढह गई तो कोसी के पट पर बिहार के जितने गाँव हैं, आज से सात साल पहले जो तबाही आई थी, उससे भी सौ गुना ज्यादा तबाही आ जाएगी, कोई बच नहीं पाएगा। काम करने वाली सरकार कैसी होती है, जनता-जनार्दन के दुःख-दर्द को समझने वाली सरकार कैसी होती है, समस्याओं को पहले पहचान कर के रास्ते खोजने का प्रयास करने वाली सरकार कैसी होती है...
मेरे कोसी पट के भाईयों-बहनों, आपको याद होगा कि हमने तुरंत सेना को भेजा। नेपाल में उस नदी को फिर से खोलने के लिए; इतने बड़े लैंडस्लाइड में छोटे-छोटे hole करके पानी निकले, इसका अभियान चलाया। उसके बाद भी हमें भरोसा नहीं था। कहीं ये प्रयोग हमारा सफल नहीं हुआ और पानी जमा होता ही गया और अगर एक साथ मिट्टी ढह गई तो मेरे कोसी अंचल का कोई परिवार बचेगा नहीं। मैंने हमारे जवानों को यहाँ भेजा, बिहार सरकार को आग्रह किया, मेरे कार्यकर्ताओं को mobilize किया, दिल्ली में बैठकर इसको लगातार मॉनिटर किया, गाँव के गाँव खाली करवाए। यहाँ के किसान मेरे से नाराज हो गए कि पानी तो दिखता नहीं है, वर्षा नहीं है, और मोदी गाँव खाली करवा रहे हैं, पशुओं को भी ले जाने के लिए कहते हैं और वो भी 50-50 किलोमीटर दूरी... सबकी नाराजगी थी। उसके बाद भी मैंने कहा, No compromise. उनको पता नहीं है कि कितने बड़े आफ़त की संभावना है। हम कोशिश कर रहे हैं कि आफ़त न आए लेकिन अगर आ जाए तो नुकसान कम से कम होना चाहिए। उसके लिए हम प्रबंध कर रहे हैं और आज कोसी अंचल के भाईयों-बहनों को हिसाब देते हुए मुझे गर्व होता है कि हम उस काम को करने में सफल हुए। कोसी अंचल को मुसीबत से बचा लिया था। इतना ही नहीं, अभी जब नेपाल में भूकंप आया तो यहाँ की सरकार को इस बात का आश्चर्य था और ये बात उन्होंने publicly कही भी कि भूकंप आने के कुछ ही मिनटों में भारत के प्रधानमंत्री का फ़ोन आ गया, उन जिलों तक फ़ोन पहुँच गया। इस इलाके के सांसदों से मैंने फ़ोन पर बात कर ली। हमने कहा, देखो भाई ये भूकंप भारी नुकसान कर सकता है।
अगर कोसी की इतनी चिंता होती... सबसे पहले भारत सरकार की जिम्मेवारी थी कि नेपाल के साथ हमारे संबंधों को ठीक कर ले। आज बड़े दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि कोसी के कारण कोई वर्ष ऐसा नहीं जाता है कि यहाँ के किसानों को, यहाँ की जनता को किसी मुसीबत का सामना न करना पड़ा हो। इस समस्या का समाधान नेपाल में है। जब तक नेपाल के साथ बैठकर पानी के बहाव के संबंध में उचित योजना नहीं बनती है, इस कोसी पट के किसानों को नहीं बचाया जा सकता। और इसलिए, नेपाल के साथ गहरे संबंध होना जरुरी है, नेपाल के सुख-दुःख का साथी बनना जरुरी है। 17 साल, अगर पटना से नेपाल जाना हो तो 70 मिनट नहीं लगता है लेकिन नेपाल जाने में प्रधानमंत्री को 17 साल लग गए। 17 साल तक देश का कोई प्रधानमंत्री गया नहीं, नेपाल से कोसी की बात नहीं की, कोसी पट के मेरे किसान भाईयों को बचाने की कोई बात नहीं की। हम गये, 17 साल के बाद गये और नेपाल सरकार के साथ आमने-सामने बैठकर के कोसी के लिए क्या कर सकते हैं, उसकी बातचीत प्रारंभ कर दी।
रास्ते खोजने पड़ते हैं, समस्याओं का समाधान निकालना पड़ता है तब जाकर के हमारे देश के गरीब किसान को हम बचा सकते हैं और उस काम को 2014 के अगस्त में हमने करके दिखाया, नेपाल जाकर करके दिखाया। भूकंप के बाद नेपाल के साथ हम खड़े रहे। आज एक भाई की तरह कंधे से कंधा मिलाकर के हम उसकी सेवा में लगे हुए हैं और इसलिए मैं कहता हूँ कि हमें समस्याओं का दीर्घकालीन दृष्टि से भी समाधान खोजना होगा। हमने वो प्रयास प्रारंभ किया। हमारे यहाँ कृषि मंत्रालय तो है, कृषि की चिंता करने के लिए तो समय है लेकिन किसान की चिंता कौन करेगा। अगर हम किसान के कल्याण की चिंता नहीं करेंगे तो कृषि का भी कल्याण नहीं होगा और अगर हम कृषि का कल्याण नहीं करेंगे तो किसान का भी कल्याण नहीं होगा। इसलिए मैंने 15 अगस्त को लालकिले की प्राचीर से हमने कहा कि जो मंत्रालय का नया नाम होगा – कृषि विकास और किसान कल्याण मंत्रालय। अब सरकार के डिपार्टमेंट में सिर्फ़ कृषि की नहीं किसान की भी चिंता करने की योजना बनेगी। ये बहुत बड़ा और महत्वपूर्ण हमने निर्णय किया है।
भाईयों-बहनों, मैं अभी-अभी आरा से आ रहा हूँ। आरा में सरकार का कार्यक्रम था और उस सरकार के कार्यक्रम में विकास की योजनाओं का प्रारंभ करना था। स्किल डेवलपमेंट हो, रास्तों का जाल गूंथना हो, अनेक योजनाओं को प्रारंभ किया और चुनाव के पहले जब मैं आया था, तब मैंने कहा था कि दिल्ली में हमारी सरकार बनेगी तो हम 50,000 करोड़ रुपये का पैकेज देंगे। बिहार को कहा था ना? और कुछ लोगों ने कहना शुरू कर दिया था कि मोदी बोलते हैं, करते नहीं हैं कुछ; मोदी ने चुनाव के पहले वादा किया था और जब पिछली बार आये तो फिर से टोने मारने शुरू कर दिये कि मोदी बोले क्यों नहीं। मैंने कहा था कि पार्लियामेंट चल रही है, पार्लियामेंट की कुछ गरिमा, उसके कुछ rules and regulations होते हैं, सरकार उस मर्यादा को तोड़ नहीं सकती और ये मैंने कहा था कि जबतक संसद चालू है, मैं बोल नहीं पाऊंगा। अभी चार दिन पहले संसद का सत्र पूर्ण हुआ है और आज आरा में मैंने घोषणा की है, बिहार का भाग्य बदलने के लिए, नया बिहार बनाने के लिए। और मैंने पैकेज की घोषणा की है – सवा लाख करोड़ रूपया (1,25,000 करोड़)।
मैं बिहार की शक्ल सूरत बदल करके रख दूंगा। ये मैं आपको विश्वास दिलाने आया हूँ और जब मैं ये कहूँगा तो मुझे मालूम है कि पत्रकारों को बुलाकर के कान में कहा जाएगा, ये तो पुराने वाला है, ये पहले वाला है। भाईयों-बहनों, मैं सच बता देना चाहता हूँ जब अटल जी की सरकार थी तब 10,000 करोड़ का पैकेज घोषित हुआ था और न दिल्ली की सरकार न राज्य की सरकार। पूरे के पूरे 10,000 करोड़ रूपया खर्च नहीं कर पाई थी। उसका 1,000 करोड़ रूपया अभी खर्च करना बाकी बचा हुआ है। फिर जब बिहार में जब दो साल पहले राजनीतिक तूफ़ान खड़ा हुआ, भाजपा के साथ धोखा किया गया, बिहार की जनता के साथ धोखा किया गया और बिहार के स्वाभिमान के साथ भी खिलवाड़ किया गया... और दिल्ली वाले पैकेज दो, हम आपका साथ देंगे, साथ तो देना ही था, उनका कुर्ता पकड़ करके बचने की कोशिश करनी ही थी और इसलिए पहुंचे और वहां से घोषणा की कि अब बिहार को 12,000 करोड़ का पैकेज मिलेगा और ये नाचने लगे। ये बिहार के स्वाभिमान के साथ खिलवाड़ था। 2013-14 में 12,000 करोड़ के पैकेज में से कुछ भी खर्च कर पाए। इतना ही नहीं, 2014 में हमारी सरकार बनने के बाद उन 12,000 करोड़ में से करीब-करीब 4,000 करोड़ रुपये खर्च हमने आकर के किया और अभी भी 8,000 करोड़ उसका भी बाकी है। 1,000 करोड़ अटल जी वाला और 8,000 करोड़ मनमोहन सिंह की सरकार वाला।
भाईयों-बहनों, हम बिजली का एक कारखाना पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप में लगाने वाले हैं। वो 20,000 करोड़ रूपया और रोड के लिए और थोड़ा खर्चा, जिसकी रकम होती है करीब-करीब 12,000 करोड़ रूपया। ये रकम बनती है - 40,000 करोड़ और इसलिए मैं आपको कहना चाहता हूँ कि जो मैं सवा लाख करोड़ कह रहा हूँ, ये चालीस हजार करोड़ उसमें नहीं है। चालीस हजार करोड़ अलग तो कुल पैकेज बन जाता है - 1,65,000 करोड़ रूपया का पैकेज; बिहार के विकास के लिए, बिहार की जनता के भलाई के लिए। इन पैसों से रास्ते बनेंगे; बिजली आएगी; किसान को खेतों में मदद मिलेगी; नौजवान के लिए रोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे; बिहार के घर-घर में 24 घंटे बिजली मिले; बिहार के गाँव में जहाँ बिजली अभी पहुंची नहीं है, वहां बिजली पहुंचे; जिन घरों में पीने का पानी नहीं है, शौचालय नहीं है, उन घरों को पीने का पानी मिले, शौचालय मिले; फ़र्टिलाइज़र के कारखाने लगे; किसानों को यूरिया मिले; एक के बाद एक विकास की अनगिनत योजनाओं के द्वारा बिहार के जीवन को बदलना है।
भाईयों-बहनों, ये बातें करने वाले लोग... आज बिहार के लोगों को पढ़ने के लिए बाहर जाना क्यों पड़ता है? मां-बाप को लाखों रुपये का खर्चा क्यों करना पड़ता है? ये स्थिति मुझे बदलनी है और इसके लिए इतना बड़ा विशाल जनसमूह। मैं लोकसभा चुनाव में भी यहाँ आया था लेकिन ऐसा जनसागर मैंने देखा नहीं था। मैं यहाँ भी देख रहा हूँ, मंच के पीछे देख रहा हूँ, क्या जनसैलाब है! चुनाव के डेट जब भी आ जाएं, बिहार की जनता ने भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व में एनडीए को जिताने का फैसला कर लिया है। और हमने वादा किया है कि हम आपकी भलाई के लिए, आपके कल्याण के लिए बिहार के उस सामर्थ्य को फिर से वापस लाने के लिए जी-जान से जुटे रहेंगे। नया बिहार बना के रहेंगे, बिहार का भाग्य बदल कर रहेंगे, बिहार की जनता का भाग्य बदल कर रहेंगे। इसी शुभकामना के साथ मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिये – भारत माता की जय – आवाज कोसी के कोने-कोने में पहुंचनी चाहिए।
भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय!
बहुत-बहुत धन्यवाद!