The Awas Yojana is not merely about brick and mortar. It is about a better quality of life and dreams coming true: PM Modi
We are working towards ensuring that every Indian has a home by 2022, when India marks 75 years since Independence: PM Modi
We have been working to free the housing sector from middlemen, corruption and ensuring that the beneficiaries get their own home without hassles: PM
The housing sector is being invigorated with latest technology. This is enabling faster construction of affordable houses for the poor in towns and villages, says PM
PMAY is linked to dignity of our citizens, says PM Modi

मेरे प्‍यारे भाईयो और बहनों, नमस्‍कार,

मेरा हमेशा प्रयास रहता है कि अलग-अलग योजनाओं से सामान्‍य व्‍यक्ति के जीवन में जो बदलाव आया है। उन अनुभवों को सीधे उन्‍हीं लोगों से बातचीत करते हुए मैं जानता हूं और इसलिए मैं अक्‍सर ऐसे लाभार्थियों से सीधे मुलाकात करने का प्रयास करता हूं। सही हो गलत हो, अच्‍छा हो खराब हो, दिक्‍कतें आई हों, सहूलियतें मिली हों। इन सबके बारे में सीधे आप जैसे लोगों से जानना बहुत ही महत्‍वपूर्ण है।

सरकार में अफसरों द्वारा जो रिपोर्ट तैयार होती हैं। उसका अपना एक महत्‍व है ही लेकिन प्रत्‍यक्ष जीने से लाभ मिला और जिन लोगों को लाभ मिला। उनसे जब संवाद करके नई चीज सुना जैसे उज्‍ज्‍वला योजना, गैस कनेक्‍शन। मैं उस उज्‍ज्‍वला के लिए काफी बातें करता था। लेकिन जब उज्‍ज्‍वला के लाभार्थियों से मिला तो उन्‍होंनें बड़ी मजेदार बताई मेरे को बात, उन्‍होंने कहा हमारा पानी बच गया, मैंने कहा पानी कैसे बच गया? तो पहले बोले लकड़ी के चूल्‍हे से खाना पकाते थे तो सारे बर्तन काले हो जाते थे और दिन में चार चार बार बर्तन साफ करने के लिए बहुत पानी लगता था। अब गैस का चूल्‍हा आ गया तो हमें वो करना नहीं पड़ रहा है। अब ये बात मैं नहीं मानता हूं कि मैं उनसे बात करता तो मुझे समझ आती, ऐसी बहुत सी बाते हैं। जब मैं खुद बात करता हूं और उसी सिलसिले में आज मुझे प्रधानमंत्री आवास योजना के जो लाभार्थी हैं या वो लोग जिनके सामने घर तैयार हो रहा है। घर बनाने में जुड़े हैं। जिनको कुछ ही समय में घर मिलना निश्चित है। ऐसे सब लोगों से रूबरू होने का, उनसे बातचीत करने का एक अवसर मिला है।

आप जानते हैं हर व्‍यक्ति के मन में एक इच्‍छा हमेशा रहती है कि मेरा खुद का अपना घर हो गरीब से गरीब को भी लगता है कि भाई मेरा अपना घर हो। भले छोटा ही क्‍यों न हो और अपना घर होने की जो सुखद अनुभूति होती है। वो...जिसे घर मिला है वही जानता है और कोई नहीं जानता। और मैं जो आपको टीवी के माध्‍यम से देख रहा हूं। टेक्‍नोलॉजी के माध्‍यम से देख रहा हूं। आपके चेहरे पर जो खुशी है, एक संतोष का भाव है। जीवन जीने का एक नया उमंग पैदा हुआ है। ये ये मैं देख रहा हूं। और जब मैं आपका उत्‍साह और उंमग मैं अपनी आंखों से देखता हूं तो मेरा उत्‍साह और उंमग भी दस गुना बढ़ जाता है। फिर मेरा भी मन करता है और ज्‍यादा काम करूं। आपके लिए और मेहनत करूं। क्‍योंकि आपके चेहरे की खुशी मुझे देखने को मिलती है और वही मेरी खुशी का कारण है। 

किसी भी आवास योजना का अर्थ सिर्फ ये नहीं होता कि लोगों को सिर छुपाने की मात्र जगह देनी है। आवास का मतलब घर से है सिर्फ चारदीवारी और छत से नहीं है। घर यानी वो जगह.. जहां जीवन जीने लायक हो, सारी सुविधाएं उपलब्‍ध हों। जिसमें परिवार की खुशियां हों। जिसमें परिवार के हर व्‍यक्ति के सपनें जुड़े हुए हों। 

प्रधानमंत्री आवास योजना के मूल में भी यही भाव है। अपना घर हर किसी का सपना होता है। गरीब से गरीब व्‍यक्ति के मन में भी ये इच्‍छा रहती है कि उसके पास अपना पक्‍का घर हो लेकिन आजादी के इतने वर्ष बाद भी गरीब की इच्‍छा अधूरी ही है। इस सरकार ने संकल्‍प लिया और तय किया कि 2022, जब हमारी आजादी के 75 साल हो जाएंगे तो कुछ हम, ऐसे अवसर होते है कि जब सबको दौड़ने का मन कर जाता है। चलो भई आजादी के 75 साल हुए हैं चलो कुछ काम करें, ज्‍यादा करें, अच्‍छा करें, सब लोगों की भलाई करें। 

हमनें भी कोशिश की है कि 2022 आजादी के 75 साल हमें ये पांच साल, चार साल जो भी समय मिला है। दौड़ने की हिम्‍मत आ जाए, काम करने की हिम्‍मत आ जाए। और उसने एक सपना लिया है 2022 आजादी के 75 साल हिन्‍दुस्‍तान के हर परिवार के पास गरीब से गरीब हो, गांव हो शहर हो, झुग्‍गी-झोंपड़ी में रहता हो, फुटपाथ पर रहता हो, कहीं पर रहता हो। उस परिवार के पास उसका अपना पक्‍का घर हो। और सिर्फ घर ही नहीं, उसमें बिजली हो, नल हो.. नल में जल हो, गैस का चूल्‍हा हो, सौभाग्‍य की बिजली हो, शौचालय हो, यानी एक प्रकार से उसको लगना चाहिए कि हां अब जिंदगी जीने के योग्‍य बन गई हैं। अब कुछ और करके आगे बढ़ने के रास्‍ते बने, गरीब से गरीब आदमी को भी सिर्फ विश्राम के लिए ही जगह न मिले बल्कि मान-सम्‍मान और परिवार की गरिमा बढ़ाने का भी अवसर मिले। Housing for all सबके लिए घर ये हमारा सपना भी है और संकल्‍प भी है। मतलब आपका सपना, मेरा सपना, आपका सपना देश की सरकार का सपना है।

करोड़ों लोगों के विशाल देश में ये संकल्‍प पूरा करना मामूली काम नहीं है। चुनौती बहुत बड़ी है, कठिन है। और आजादी के इतने सालों का अनुभव कहता है कि ये सब संभव ही नहीं है। लेकिन उसके बावजूद भी ये गरीब की जिंदगी है। बिना घर रहने वालों की जिंदगी है। जिसने मुझे ये निर्णय करने की हिम्‍मत दी है। आपके प्रति प्‍यार ने, आपके प्रति मेरे दिल में जो लगाव है उसके कारण इतना बड़ा निर्णय लिया है। अब निर्णय पूरा करने में सरकारी मशीनरी, बाकि लोग भी मदद में है। काम हो रहा है। लेकिन ये तब होता है, सिर्फ इच्‍छा शक्ति से थोड़े ही हो जाता है। उसके लिए योजना चाहिए, इसके लिए गति चाहिए। जनता का विश्‍वास और समर्थन चाहिए। जनता के लिए समर्पण का भाव चाहिए। इस चुनौती से निपटने के लिए पहले की सरकारों के जो काम-काज है। कैसे काम होता था, कैसे शुरू करते थे। कहां जाकर पहुंचते थे। सब आप लोग जानते हैं।

मैं समझता हूं कि आज उसमें बहुत बड़ा परिवर्तन आया है। आज हमनें कहीं मंदिरों, समुदायों के नाम पर, कहीं झुग्‍गी-झोंपड़ी के नाम पर मकान बनाना, काम शुरू किया, लेकिन बढ़ती आबादी के नाम पर ये प्रयास नाकाफी ही साबित हुआ। बाद में ये योजना व्‍यक्तियों के नाम पर बनने लगी, परिवारों के नाम पर बनने लगी। स्‍वाभाविक तौर पर इनका उद्देश्‍य सामान्‍य मानवी को घर देने के बजाय राजनीतिक हितों को साधने का अधिक हो गया था। बिचौलियों की बहुत बड़ी फौज बन गई थी और ठेकेदार जब माला माल चलता था। हमनें एक अलग approach के साथ इस चुनौती पर काम किया। टुकड़ों में सोचने के बजाय मिशन मोड में काम करने का संकल्‍प ले लिया। हमने तय किया है कि 2022 तक ग्रामीण क्षेत्र में तीन करोड़ और शहरी क्षेत्रों में एक करोड़ घरों का निर्माण करेंगे। जब लक्ष्‍य इतना बड़ा हो तो स्‍वाभाविक है कि उस लक्ष्‍य को पूरा करने के लिए बजट भी बड़ा चाहिए। एक समय था जब बजट आबंटन के अनुरूप लक्ष्‍य निर्धा‍रित किया जाता था। लेकिन अब हम पहले लक्ष्‍य तय करते हैं। देश को किसको पहले जरूरत है, कितनी जरूरत है उसके आधार पर लक्ष्‍य तय करते हैं। फिर उसके अनुसार बजट निर्धा‍रित करते हैं। इसी का परिणाम है कि शहरी क्षेत्रों में अगर मैं बात करूं तो हमारे पहले जो सरकार थी वो गरीबों के नाम पर ही खेल खेलती रहती थी।

यूपीए सरकार के दस वर्षों में जितने घरों को, निर्माण को मंजूरी भी नहीं दी पिछले चार वर्षों में हमने उसका लगभग चार गुना अधिक सैंक्शन किया है। यूपीए सरकार के दस वर्ष में कुल साढ़े तेरह लाख घर सैंक्शन किए गए थे जबकि हमारी सरकार के तहत पिछले चार साल में 47 लाख यानी करीब-करीब 47 लाख, एक प्रकार से 50 लाख के पार पहुंचने के अधिक घर हमनें सैंक्शन कर दिए हैं। इनमें से 7 लाख घर नई टेक्‍नोलॉजी से बनाए जा रहे हैं।

अब housing में नई टेक्‍नोलॉजी को बद देने के लिए Global Housing TechnologyChallenge ये शुरू कर रहे हैं। ताकि Low Cost Housing की नवीनतम टेक्‍नोलॉजी का उपयोग हो सके। इसी तरह यदि गांव की बात करें तो पिछली सरकार के अंतिम चार साल में गांव के अंदर पूरे हिन्‍दुस्‍तान में करीब-करीब साढे 25 लाख घरों का निर्माण किया गया था। वहीं हमारी सरकार ने पिछले चार वर्ष में एक करोड़ से अधिक घरों का निर्माण किया है। यानी सवा तीन सौ प्रतिशत से भी अधिक वृद्धि। पहले मकान बनाने के लिए 18 महीने का समय तय था। लेकिन हमनें इसको घटाकर के इसको महत्‍व समझते हुए, गति तेज करते हुए 18 महीनें का काम 12 महीनें में पूरा करने का संकल्‍प करके हम आगे बढ़़ रहे हैं।

अब स्थिति ये है कि एक वर्ष से भी कम समय में घर बनकर तैयार हो रहा है, आज घरों के निर्माण में तेजी आ रही है, और ये देखिए कैसे आ रही है। सिर्फ ईंट और पत्‍थर तेज गति से हम डाल दें तो घर बन जाता है ऐसा नहीं है। इसके लिए सभी स्‍तरों पर योजनाबद्ध तरीके से ठोस कदम उठाए जाते हैं। स्‍केल ही नहीं, साइज को लेकर भी परिवर्तन किया गया है। गांव में पहले घर बनाने के लिए न्‍यून्‍तम क्षेत्रफल 20 वर्ग मीटर था जबकि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत अब हम लोगों ने आकर के इसे 20 वर्ग मीटर की जगह 25 वर्ग मीटर कर दिया है। आपको लग रहा होगा कि इस 5 वर्ग मीटर का ही फर्क लेकर जगह बढ़ जाने से क्‍या होगा। सबसे बड़ा फायदा ये है कि एक अलग साफ सुथरा रसोई घर अब इसमें जुड़ गया।

गांव में प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत पहले 70-75 हजार रुपये की सहायता दी जाती थी। जिसे अब हमनें बढ़ाकर के सवा लाख रुपये कर दिया है। आज लाभार्थियों को मनरेगा से 90-95 दिनों का मेहनताना मजदूरी के लिए भी उसके खाते में जमा होता है। 

इसके अलावा आज शौचालय बनाने के लिए 12 हजार रुपये अलग से दिए जा रहे हैं। पहले देखने को मिलता था कि बिचौलियों के नेताओं के घर तो बन जाते थे। लेकिन गरीब का घर नहीं बनता था। गरीबों के पैसे में कोई सेंध न मारे, उसे कोई और न ले जाए इसके लिए हमनें पक्‍की व्‍यवस्‍था बनाई है।

आज डीबीटी (Direct Benefit Transfer)के माध्‍यम से बिचौलिये खत्‍म हुए। और लाभार्थियों को सब्सिडी और सहायता राशि सीधे उनके खाते में दी जा रही है। पहले जनधन अकांउट खोला अब रुपया भेजना शुरू किया। प्रधानमंत्री आवास योजना कार्यक्रम की प्रगति की monitoring के लिए ये जो घर बन रहे हैं, जो आवास बन रहे हैं। उनकी Geo ट्रेकिंगकी व्‍यवस्‍था की है।ताकि पारदर्शिता बनी रहे। इन कामों को DISHA पोर्टल से भी जोड़ा गया है। जहां ये देखा जा सकता है कि आप monitor कर सकते हैं। मैं मेरे ऑफिस से monitor कर सकता हूं कि कितना काम हुआ है कहां-कहां हुआ है। उसका पूरा detail मैं मेरे दफ्तर में बैठकर के भी देख सकता हूं।

यूपीए के कार्यकाल में लाभार्थियों का चयन जो पूरानी राजनेताओं ने तैयार की हुई बीपीएल सूची से किया जाता था लेकिन आज हम लोगों ने Socio EconomicCaste Census के माध्‍यम से करना शुरू किया उसके कारण पहले जो छूट जाते थे। अब उनको भी हमनें जोड़ दिया है। और इसके कारण अधिक से अधिक लोगों को जोड़ करके उनको लाभ मिला है। हर क्षेत्र, हर वर्ग के लोगों को इसका लाभ मिल रहा है।

घर सिर्फ जरूरतों से नहीं, घर सम्‍मान से भी जुड़ा होता है, स्‍वाभिमान से जुड़ा होता है। और एक बार अपना घर बन जाता है। तो घर के हर सदस्‍य की सोच भी बदलती है। आगे बढ़ने का नया हौंसला पैदा होता है।

हमारा प्रयास है कि हर परिवार की इस जरूरत को पूरा करना और उसके सम्‍मान को बढ़ाना और इसलिए प्रधानमंत्री आवास योजना का फोकस विशेष रूप से समाज के कमजोर वर्गों और महिलाओं पर ही हमनें केंद्रित किया है। आदिवासी हों, दलित हों, पिछड़े हों, एससी, एसटी, ओबीसी, माइनोरटी और हमारें दिव्‍यांग भाई-बहन उनको हम प्राथमिकता दे रहे हैं।

इस तरह योजनाबद्ध तरीके से व्‍यापक स्‍तर पर किए जा रहे प्रयासों का ही परिणाम है कि आज तेजी से घरों का निर्माण हो रहा है। हम जमीन से जुड़े लोग हैं। सामान्‍य जन की समस्‍याओं को, उनकी पीड़ा को हम भली-भांति जानते हैं, समझते हैं और यही कारण है कि हम लोगों की जरूरतों को ध्‍यान में रखकर के काम कर रहे हैं। सरकारों में ऐसा चलता आया है। कि हर योजना अलग-अलग काम करती है। पहला मंत्रालयों के बीच, दो विभागों के बीच, दो योजनाओं के बीच समन्‍वय ही नहीं होता। 

प्रधानमंत्री आवास योजना में विभिन्‍न सरकारी योजनाओं को एक साथ लाया गया है, जोड़ा गया है। निर्माण और रोजगार के लिए इसे मनेरगा से जोड़ा गया। घर में शौचालय, बिजली, पानी और एलपीजी गैस की सुविधा हो इसका ध्‍यान अलग से रखा गया। घर में शौचालय हो इसके लिए स्‍वच्‍छ भारत मिशन से जोड़ा गया। घर में बिजली की सुविधा हो इसके लिए पंडित दीनदयाल उपाध्‍याय ग्राम ज्योति  योजना और सौभाग्‍य योजना को इसके साथ लिंक कर दिया गया। पानी की सुविधा के लिए इसे ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम से जोड़ा गया। एलपीजी की व्‍यवस्‍था हो इसके लिए उज्‍ज्‍वला योजना को इससे जोड़ा गया। ये आवास योजना सिर्फ एक घर तक सीमित नहीं है। बल्कि ये सशक्तिकरण का भी माध्‍यम है। शहरों में जिनको मकान का लाभ मिला है। उनमें 70 प्रतिशत महिलाओं के नाम पर है।

आज जब पहले के मुकाबले कहीं ज्‍यादा घर बन रहे हैं तो इससे रोजगार के अवसर भी पैदा हो रहे हैं।

स्‍थानीय स्‍तर पर ईंट, रेत, सीमेंट से लेकर हर प्रकार की निर्माण साम्रगी का व्‍यापार बढ़ रहा है। स्‍थानीय श्रमिकों, कारीगरों को भी काम मिल रहा है। इसके साथ-साथ गांव में गुणवत्‍तापूर्वक कार्य के लिए सरकार ने एक लाख राज मिस्त्रियों को प्रशिक्षण देने का काम शुरू किया है, masons का और आपको ये जान करके भी खुशी होगी कि और कई राज्‍यों में राज मिस्‍त्री की तरह रानी मिस्त्रियों को भी प्रशिक्षित किया जा रहा है। ये महिला सशक्तिकरण की ओर एक बहुत बड़ा कदम है।

शहरी क्षेत्रों में ज्‍यादा से ज्‍यादा लोगों को इस योजना के तहत सम्मिलित करने के लिए सरकार ने चार मॉडल पर काम किया। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शहरी क्षेत्रों में लाभार्थियों को घर बनाने या उसका विस्‍तार करने के लिए प्रतिघर डेढ़ लाख रुपये की सहायता की जा रही है।

लिंक सब्सिडी स्‍कीम के तहत घर बनाने हेतु किए गए लोन पर ब्‍याज में 3 से 6 प्रतिशत की सब्सिडी दी जा रही है। एरिया में redevelopment के लिए सरकार प्रति घर 1 लाख रुपये की सहायता दे रही है। या पब्लिक सेक्‍टर के साथ पार्टनरशिप में किफायती आवास, affordable housing के लिए आर्थिक रूप से पिछड़े लोगों को प्रति घर डेढ़ लाख रुपये की सहायता दी जा रही है। पहले देखने को मिलता था कि बिल्‍डर्स पैसा तो ले लेते थे। लेकिन सालों तक एक ईंट भी नहीं लगती थी। गरीब और मध्‍यम वर्ग का फायदा हो। घर खरीददारों के हितों की रक्षा की जा सके। मध्‍यम वर्गीय परिवार जिंदगी की सारी कमाई मकान बनवाने के लिए लगाता है उसको कोई लूट न ले जाए। इसके लिए हमने RERA- Real Estate Regulation Act लागू किया। इस कानून से पारदर्शिता आने के साथ-साथ खरीददार को उनका हक मिल रहा है। और बिल्‍डर्स भी खरीददार से किसी भी प्रकार का धोखा करने से डरते हैं।

आज देश में ऐसे कई उदाहरण हैं जिनकी आशाओं और आंकाक्षाओं को इस योजना ने पंख लगाए हैं। घर होने से समृद्धि और सुरक्षा तो बढ़ती ही है। और स्‍वास्‍थ्‍य भी अच्‍छा रहता है। अपना घर होना सबकी पहली प्राथमिकता होती है, पहले भी होती थी। लेकिन दुर्भाग्‍य की बात थी कि पहले ये सबसे आखिर में पूरी होती थी। और कभी-कभी अधूरी ही रह जाती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं है।

हम सब हमेशा सुनते आए हैं। एक जिंदगी बीत जाती है अपना घर बनाने में। सुनी है ये कहावत, पूरी जिंदगी बीत जाती है अपना घर बनाने में। पर अब ये सरकार दूसरी है। अब कहावत भी बदल रही है, देश बदल रहा है कहावत भी बदल रही है। और कहावत को बदलने का समय आ गया है। अब समय आ गया है जब हमारे अंदर से आवाज उठेगी कि अब जिंदगी बीतती है अपने ही आशियाने में।

मैं मानता हूं कि जब इतनी बड़ी व्‍यवस्‍था है तो अभी भी कुछ लोग होंगे जिनकी पुरानी आदतें बदली नहीं होंगी। और इसलिए मेरी आप लोगों से अपील है कि इस योजना के तहत किसी भी तरह का लाभ पहुंचाने के लिए अगर आपसे कोई पैसा या कोई अनावश्‍यक मांग कर रहा हो। तो आप बेहिचक इसकी शिकायत करे। इसके लिए आप कलेक्‍टर या मिनिस्‍टर के पास अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं।

मैंने पहले भी कहा है कि भारत के सपने और आंकाक्षाएं इतने भर से ही पूरे नहीं होती। हमनें एक मजबूत जमीन तैयार की है। और हमारे सामने एक असीम आसमान है। सबके लिए घर, सबके लिए बिजली, सबके लिए बैंक, सबके लिए बीमा, सबके लिए गैस कनेक्‍शन, ये इस न्‍यू इंडिया की संम्‍पूर्णता की तस्‍वीर होगी।  

आधुनिक सुविधाओं से जुड़े गांवों और समाज की दिशा में हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। और इसलिए कितनी बड़ी तादाद में भाईयो बहनों से आज मुझे मौका मिला है बात करने का.... एक छोटा सा विडिया मैं आपको दिखाना चाहता हूं। उसके बाद मैं आपको भी सुनना चाहता हूं।

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।