ಸಮಾಜದ ಎಲ್ಲಾ ವರ್ಗಗಳಲ್ಲೂ ಅಟಲ್ ಜಿ ಒಬ್ಬ ಅಚ್ಚುಮೆಚ್ಚಿನ ಮತ್ತು ಗೌರವಾನ್ವಿತ ವ್ಯಕ್ತಿಯಾಗಿದ್ದಾರೆ: ಪ್ರಧಾನಿ ಮೋದಿ
ಸ್ಪೀಕರ್ ಆಗಿ, ಅಟಲ್ ಜೀ ಅಸಮರ್ಥನಾಗಿದ್ದನು. ನಮ್ಮ ರಾಷ್ಟ್ರದ ನಿರ್ಮಾಣದ ಅತ್ಯುತ್ತಮ ಆಡುಭಾಷೆಗಳಲ್ಲಿ ಅವರು ಒಬ್ಬರಾಗಿದ್ದಾರೆ: ಪ್ರಧಾನಿ:
ಅಟಲ್ಜೀ ಅವರ ವೃತ್ತಿಜೀವನದ ಬಹುಭಾಗವು ವಿರೋಧ ಬೆಂಚುಗಳಲ್ಲಿ ವೆಚ್ಚವಾಯಿತು ಆದರೆ ರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ಹಿತಾಸಕ್ತಿಯ ಬಗ್ಗೆ ಅವರು ಮಾತನಾಡಿದರು ಮತ್ತು ಪಕ್ಷದ ಸಿದ್ಧಾಂತದೊಂದಿಗೆ ಎಂದಿಗೂ ಧಕ್ಕೆಯುಂಟು ಮಾಡಲಿಲ್ಲ :ಪ್ರಧಾನಿ
ಅಟಲ್ ಜಿ ಪ್ರಜಾಪ್ರಭುತ್ವವನ್ನು ಸರ್ವೋಚ್ಚವಾಗಲಿ ಎಂದು ಬಯಸಿದ್ದರು: ಪ್ರಧಾನಿ ಮೋದಿ

अटल जी हमारे बीच नहीं है। यह बात हमारा मन मानने को तैयार नहीं होता है। शायद ही ऐसी कोई घटना हुई हो कि किसी व्‍यक्ति का राजनीतिक मंच पर आठ-नौ साल तक कहीं नजर न आना, बीमारी की वजह से सारी गतिविधि सार्वजनिक जीवन की समाप्‍त हो गई, लेकिन उसके बाद इतने वर्षों के बाद, इतने बड़े gap के बाद एक प्रकार से सार्वजनिक जीवन में एक पीढ़ी बदल जाती है लेकिन उनकी विदाई को जिस प्रकार से देश ने आदर दिया, सम्‍मान दिया, देशवासियों ने उनकी विदाई को महसूस किया, यही उनके जीवन की सबसे बड़ी तपस्‍या का प्रकाशपुंज के रूप में हम अनुभव कर सकते हैं। विश्‍व के जो political analyst होंगे, वे कभी न कभी इस बात का जरूर विस्‍तार से विवेचन करेंगे कि सिद्धांतो के बल पर खड़ा हुआ एक राजनीतिक दल कार्यकर्ताओं के सामान्‍य संगठन के छोटे-छोटे लोगों के भरोसे, एक तरफ संघर्ष करते रहना, दूसरी तरफ संगठन करते रहना, तीसरी तरफ जनसामान्‍य को अपने विचारों से आकर्षित करना, प्रभावित करना, जन-जन को आंदोलित करना यह सारी बातें करते-करते brick by brick इतना बड़ा संगठन का निर्माण हो और शायद दुनिया में इतना बड़ा देश, इतनी बड़ी लोकतांत्रित व्‍यवस्‍था, एक तरफ सौ सवा सौ साल से established राजनीतिक मंच और दूसरी तरफ नया सा एक राजनीतिक दल और इतने कम समय में देश में इतना प्रभुत्‍व पैदा करे, इतना उसका विस्‍तार हो, संगठन की दृष्टि से दुनिया का सबसे बड़ा दल बन जाए, इसके मूल में जन संघ के कालखंड में, भारतीय जनता पार्टी के कालखंड में, उसके प्रारंभिक वर्षों में अटल जी जैसे एक पूरी टीम का उसको नेतृत्‍व मिला।

कंधे से कंधा मिला करके छोटे से छोटे कार्यकर्ताओं के साथ दूर-सुदूर इलाकों में जा करके काम किया गया, जनता से सीधा संवाद करने का प्रयास किया। और एक प्रकार से अटल जी की वाणी, वो सिर्फ भारतीय जनता पार्टी की आवाज नहीं बनी थी। इस देश का एक तीन-चार दशक का समय ऐसा हुआ कि अटल जी की वाणी भारत के सामान्‍य मानवी की आशा और आकांक्षाओं की वाणी बन चुकी है। अटल जी बोल रहे हैं मतलब देश बोल रहा है। अटल जी बोल रहे हैं मतलब देश सुन रहा है। अटल जी बोल रहे हैं, मतलब अपनी भावनाओं को नहीं, देश के जन-जन की भावनाओं को समेट कर उसको अभिव्‍यक्ति दे रहे हैं। और उसने सिर्फ लोगों को आकर्षित किया, प्रभावित किया, इतना नहीं, लोगों के मन में विश्‍वास पैदा हुआ । और यह विश्‍वास शब्‍द समूह से नहीं था, उसके पीछे एक पांच-छह दशक की लंबी जीवन की साधना थी। आज राजनीतिक दल मानचित्र ऐसा है, दो-पांच साल के लिए भी अगर किसी को सत्‍ता के बाहर रहना पड़े तो वो इतना बैचेन हो जाता है, इतना परेशान हो जाता है, वो ऐसे हाथ-पैर उठा-पटक करता है कि क्‍या कर लूं मैं। चाहे वो तहसील क्षेत्र का नेता हो, District क्षेत्र का नेता हो, राज्‍य स्‍तर का नेता हो, national leader हो। कोई कल्‍पना कर सकता है कि इतने सालों तक एक तपस्‍वी की तरह, एक साधक की तरह विपक्ष में बैठ करके, हर पल जन सामान्‍य की आवाज बनाते रहना और जिंदगी उसी को जीते रहना यह असामान्‍य घटना है, वरना क्‍या अटल जी के जीवन में ऐसे पल नहीं आए होंगे कि जब राजनीतिक अस्थिरता के समय किसी ने कहा हो कि हमारे साथ आ जाओ। आपके सिवा कौन है, आइये हम आपको leader बना देते हैं, आइये हम आपको यह दे देते हैं।

बहुत कुछ हुआ होगा। मैं अनुमान करता हूं, मेरे पास जानकारी नहीं है, लेकिन जैसा मैं राजनीतिक चित्र देखता हूं, उसमें सब कुछ हुआ होगा। लेकिन भीतर का वो मेटल था। उसने विचारों के साथ अपने जीवन का नाता जोड़ा था। और उसी के कारण उन्‍होंने ऐसे किसी लोभ, लालच, प्रलोभन की अवस्‍था को शरण नहीं किया। और जब देशहित की जरूरत थी। लोकतंत्र बढ़ा कि मेरा संगठन बढ़ा, लोकतंत्र बढ़ा कि मेरा दल बढ़ा, लोकतंत्र बढ़ा कि मेरा नेतृत्‍व बढ़ा इसका जब कसौटी का समय आया तो यह दीर्घ दृष्टिता नेतृत्‍व का सामर्थ्‍य था कि उसने लोकतंत्र को प्राथमिकता दी, दल को आहूत कर दिया। जिस जन-संघ को अपने खून-पसीने से सीचा था, ऐसे जनसंघ को जनता पार्टी में किसी भी प्रकार की अपेक्षा के बिना विलीन कर दिया। एक मात्र उद्देश्‍य लोकतंत्र अमर रहे। हम रहे या न रहे यह करके दिखाया और जनता पार्टी में सिद्धांतों के नाम पर जब कोसा जाने लगा, ऐसा लग रहा था लोकतंत्र के लिए देश के लिए उपयोगिता को खत्‍म करने का षड़यंत्र हो रहा है। तब उन्‍होंने हाथ जोड़ करके नमस्‍ते करके कह दिया, आपका रास्‍ता आपको मुबारक, हम मूल्यों से समाधान नहीं कर सकते, हम देश के लिए मर सकते हैं, लेकिन अपने लिए मूल्‍य का समाधान करने वाले हम लोग नहीं है और निकल पड़े । फिर से एक बार, कमल का बीज बोया और आज हर हिन्‍दुस्‍तान के कौने में कमल हम अनुभव कर रहे हैं। और दीर्घ-दृष्‍टता जीवन कैसे था अंधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा। अभी तो एक दल जन्‍म ले रहा है, अभी तो जन्‍म को कुछ घंटे भी नहीं हुए हैं। लेकिन वो कितना बड़ा आत्‍मविश्‍वास होगा भारत के जन संघ पर, कितना बड़ा भरोसा होगा अपने विचारो, अपनी साधना पर, अपनी तपस्‍या पर, अपने कार्यकर्ताओं के पुरूषार्थ पर कितनी बड़ी श्रद्धा होगी कि उस व्‍यक्ति के मुंह से निकलता है – अंधेरा छटेगा , सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा और वो उनकी भविष्‍यवाणी कहिये या भीतर से निकला हुआ संदेश कहिये आज हम अनुभव करते हैं। राष्‍ट्र जीवन के अंदर विविधता, यह मैं समझता हूं हमारी गौरव गरिमा को बढ़ाने का एक बहुत बड़ा सम्बल है लेकिन उसको बरकरार रखना ये हमारा दायित्‍व भी है। राजनीतिक विचारों और राजनीतिक नेतृत्‍व की विविधता यह भी भारत के लिए, एक भारत की ताकत में कुछ न कुछ value addition करती है।

एक ही प्रकार के नेता, एक ही प्रकार की सोच, एक ही प्रकार की बोलचाल यह भारत की विविधता के लिए ठीक नहीं बैठती। और इसलिए हम सबने मिल करके सभी विचार-धाराओं से पले-बढ़े जिस-जिसने देश के लिए दिया है, जहां-जहां से नेतृत्‍व किया हो, कट्टरवाद विवाद किया होगा, आमने-सामने खड़े हो रहे होंगे। एक-दूसरे को परास्‍त करने के लिए खपां दिया होगा जीवन। फिर भी देश के लिए जीएं हैं। यह सब भारत की विविधता को यह नेतृत्‍व की ताकत भी value addition करती है, अटल जी उसमें से एक हैं। उस विविधता को बढ़ाने वाला एक विविधतापूर्ण व्‍यक्तित्‍व है। उसको भी भारत के राष्‍ट्र जीवन में, भारत के सामाजिक जीवन में, भारत के राजनीतिक जीवन में वहीं स्‍थान उपलब्‍ध होना चाहिए और ऐसे अनेकों को उपलब्‍ध होना चाहिए और वहीं देश को समृद्ध करता है। आने वाली पीढि़यों को प्रेरणा देता है। पीढि़यों को इस रास्‍ते से चलूं या उस रास्‍ते से चलूं इसका लेखाजोखा करने का अवसर मिलता है। और मुझे विश्‍वास है कि अटल जी का जीवन आने वाली पीढि़यों को सार्वजनिक जीवन के लिए, व्‍यक्तिगत जीवन के लिए, राष्‍ट्र जीवन के लिए समर्पण भाव के लिए, one life one mission कैसे काम किया जा सकता है इसके लिए हमेशा-हमेशा प्रेरणा देता रहेगा। कल अटल जी की उनकी विदाई के बाद की पहली जन्‍म जयंती है। और उसके एक दिन पूर्व आज भारत सरकार की तरफ से एक स्‍मृति सिक्‍का 100 रुपये का आप सब के बीच, देशवासियों के बीच एक स्‍मृति के रूप में आज देने का अवसर मिला है। मैं नहीं मानता हूं कि यह 100 रुपये का सिक्‍का ही सिक्‍का है, क्‍योंकि अटल जी का सिक्‍का हम लोगों के दिलों पर पचास साल से ज्‍यादा समय चला है और जिसका सिक्‍का आगे भी चलने वाला है। और इसलिए जिसका जीवन भी एक सिक्‍का बन करके हमारी जिदंगी को चलाता रहा है, हम लोगों को प्रेरणा देता रहा है, उसको आज हम मेटल के अंदर भी चिरंजीव बनाने का एक छोटा सा प्रयास कर रहे हैं। यह भी अटल जी के प्रति आदर व्‍यक्‍त करने का एक छोटा सा प्रयास है और इसके लिए हम सभी एक संतोष की अनुभूति करते हैं।

कल अटल जी की जन्‍म जयंती है, 25 दिसम्‍बर। सदैव अटल, एक स्‍मृति स्‍थल वहीं पर कल जा करके राजघाट के पास में ही, हम सबको अटल जी के बिना एक-एक पल काटना है। उस समय यह स्‍मृति स्‍थल हमें भी सदैव अटल बनाए रखेगा और व्‍यक्ति के जीवन में अटल बने रहना जितना ताकतवर होता है, उतना ही राष्‍ट्र जीवन और समाज जीवन में भी सदैव अटल होना, यही हमारा संकल्‍प होना है। इस संकल्‍प को हम फिर एक बार कल वहां जा करके दौहराएंगे, अपने आप को समर्पित करेंगे और उसी अटल भावना को ले करके, उसी अटल विश्‍वास को ले करके, वही अटल सपने ले करके, वहीं अटल चरैवेती चरैवेती का मंत्र लेते हुए, जन सामान्‍य के लिए कुछ न कुछ करने का संकल्‍प ले करके चल पड़ेंगे। इसी भावना के साथ आज सबका मैं हृदय से आभार व्‍यक्‍त करता हूं कि आप समय निकाल करके आए। हम सब अटल जी को, जिन्‍होंने अटल जी को अपने दिल में बिठाया हुआ है, लेकिन जो उन्‍होंने हमने चाहा है उसे पूरा करने में हम कोई कमी न रखे इसी एक भाव के साथ मैं आदरपूर्वक अटल जी को नमन करता हूं। बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।