We must never forget the innovative spirit that our ancestors were blessed with: PM Modi 
Curiosity relating to Yoga was increasing among people: PM Modi 
Let us try to integrate as many people as possible when we are marking the International Day of Yoga: PM 
New health policy of the Government covers various aspects of health and wellness: PM 
Swachhata one of the most important aspects of preventive healthcare: PM

विशाल संख्या में पधारे प्यारे भाईयो और बहनों,

आज, ये मेरा सौभाग्‍य था कि केदारनाथ जा करके बाबा के दर्शन करने का मुझे सौभाग्‍य मिला, और वहां से आप सबके बीच आने का और आप सबके आशीर्वाद पाने का सौभाग्‍य मिला। मुझे पता नहीं था, बाबा ने surprise दे दिया। बड़ी भावुकता के साथ मुझे विशेष सम्‍मान से आभूषित किया, अलंकृत किया। मैं स्‍वामी जी का, इस पतंजलि पूरे परिवार का अंत:करणपूर्वक आभार व्‍यक्‍त करता हूं।

लेकिन, जिन लोगों के बीच में मेरा लालन-पालन हुआ है, जिन लोगों ने मुझे संस्‍कारित किया है, मुझे शिक्षा-दीक्षा दी है, उससे मैं इस बात को भली-भांति समझता हूं कि जब आपको सम्‍मान मिलता है, तो उसका मतलब ये होता है कि आपसे ये, ये, ये प्रकार की अपेक्षाएं हैं, जरा भी आगे-पीछे मत हो; इसको पूरा करो। तो एक प्रकार से मेरे सामने मुझे क्‍या करना चाहिए, कैसे जीना चाहिए, इसका एक do's and don'ts का बड़ा दस्‍तावेज गुरूजी ने रख दिया है।

लेकिन सम्‍मान के साथ-साथ आप सबके आशीर्वाद, सवा सौ करोड़ देशवासियों के आशीर्वाद की ताकत पर मेरा पूरा भरोसा है। मेरा अपने पर उतना भरोसा नहीं है, मुझ पर इतना भरोसा नहीं है, जितना की मुझे आपके और देशवासियों के आशीर्वाद की ताकत पर भरोसा है। और इसलिए वो आशीर्वाद ऊर्जा का स्रोत है, संस्‍कार उसकी मर्यादाओं में बांध करके रखते हैं, और राष्‍ट्र के लिए समर्पित जीवन जीने के लिए नित्‍य नई प्रेरणा मिलती रहती है।

मैं आज जब आपके बीच में आया हूं, तो आप भी भली-भांति अनुभव करते होंगे कि आप ही के परिवार का कोई सदस्‍य आपके बीच में आया है। और मैं यहां पर पहली बार नहीं आया हूं, आप लोगों बीच बार-बार आने का मुझे सौभाग्‍य मिला है, एक परिवार के सदस्‍य के नाते आने का सौभाग्‍य मिला है। और ये भी मेरा सौभाग्‍य रहा है कि मैंने स्‍वामी रामदेव जी को, किस प्रकार से वो दुनिया के सामने उभर करके आते गए; बहुत निकट से मुझे देखने का सौभाग्‍य मिला है। उनका संकल्‍प और संकल्‍प के प्रति समर्पण, यही उनकी सफलता की सबसे बड़ी जड़ी-बूटी है। और ये जड़ी-बूटी बालकृष्‍ण आचार्य जी की खोजी हुई जड़ी-बूटी नहीं है; ये स्‍वामी जी ने खुद ने खोजी हुई जड़ी-बूटी है। बालकृष्‍ण जी की जड़ी-बूटी शरीर को स्‍वस्‍थ रखने के लिए काम आती हैं, लेकिन स्‍वामी रामदेव जी वाली जड़ी-बूटी हर संकटों को पार कर-करके नैया को आगे बढ़ाने की ताकत देने वाली होती है।

आज मुझे Research Centre के उद्घाटन का सौभाग्‍य मिला। हमारे देश का, अगर भूतकाल की तरफ थोड़ी नजर करें; तो एक बात साफ ध्‍यान में आती है, हम इतने छाये हुए थे, इतने पहुंचे हुए थे, इतनी ऊंचाइयों को प्राप्‍त किए हुए थे, कि जब दुनिया ने इसे देखा तो उनके लिए तो वहां तक पहुंचना शायद संभव नहीं लगता था और इसलिए उन्‍होंने मार्ग अपनाया था, जो हमारा श्रेष्‍ठ है उसे ध्‍वस्‍त करने का, उसको नेस्‍तनाबूद करने का। और गुलामी का पूरा कालखंड, हमारी पूरी शक्ति, हमारे ऋषि, मुनि, संत, आचार्य, किसान, वैज्ञानिक, हर किसी को; जो श्रेष्‍ठ था उसको बचाए रखने के लिए 1000, 1200 साल के गुलामी कालखंड में उनकी शक्ति खत्‍म कर दी।

आजादी के बाद जो बचा था उसे पनपाते, उसे पुरष्‍कत करते, समयानुकूल परिवर्तन करते, नए रंग-रूप के साथ सज्‍जा करते, और आजाद भारत की सांस के बीच उसे विश्‍व के सामने हम प्रस्‍तुत करते; लेकिन वो नहीं हुआ। गुलामी के कालखंड में नष्‍ट करने का प्रयास हुआ, आजादी का एक लम्‍बा कालखंड ऐसा गया जिसमें इन श्रेष्‍ठताओं को भुलाने का प्रयास हुआ। दुश्‍मनों ने नष्‍ट करने की कोशिश की, उससे तो हम लड़ पाये, निकल पाये, बचा पाये, लेकिन अपनों ने जब भुलाने का प्रयास किया तो हमारी तीन-तीन पीढि़यां दुविधा के कालखंड में जिंदगी गुजारती रहीं।

मैं आज बड़े गर्व के साथ कहता हूं, बड़े संतोष के साथ कहता हूं कि अब भुलाने का वक्‍त नहीं है, जो श्रेष्‍ठ है उसका गौरव करने का वक्‍त है, और यही वक्‍त है जो विश्‍व में भारत की आन-बान-शान का परिचय करवाता है। लेकिन हम इस बात को न भूलें कि भारत दुनिया में इस ऊंचाई पर कैसे था। वो इसलिए था कि हजारों वर्ष पूर्व हमारे पूर्वजों ने लगातार innovation में अपनी जिंदगी खपाई थी। नई-नई खोज करना, नई-नई चीजों को प्राप्‍त करना, और मानव-जाति के कल्‍याण के लिए उसको प्रस्‍तुत करना समय, अनुकूल ढालते रहना। जब से innovation की, research की उदासीनता हमारे भीतर घर कर गई हम दुनिया के सामने प्रभाव पैदा करने में असमर्थ होने लगे।

कई वर्षों के बाद जब IT Revaluation आया, जब हमारे देश के 18, 20, 22 साल के बच्‍चे mouse के साथ खेलते-खेलते दुनिया को अचरज करने लगे, तब फिर से दुनिया का ध्‍यान हमारी तरफ गया। IT ने दुनिया को प्रभावित किया। हमारे देश के 18, 20 साल की उम्र के नौजवानों ने विश्‍व को प्रभावित कर दिया। Research, Innovation, इसकी क्‍या ताकत होती है, हमने अपनी आंखों के सामने देखा है। आज पूरा विश्‍व Holistic Health Care, इसके विषय में बड़ा संवेदनशील है, सजग है। लेकिन रास्‍ता नहीं मिल रहा है। भारत के ऋषि-मुनियों की महान परम्‍परा, योग, उस पर विश्‍व का आकर्षण पैदा हुआ है, वे शांति की तलाश में हैं। वो बाहर की दुनिया से तंग आ करके भीतर की दुनिया को जानना, परखने के लिए प्रयास कर रहे हैं।

ऐसे समय हम लोगों का कर्तव्‍य बन जाता है कि आधुनिक स्‍वरूप में Research & Analysis के साथ योग एक ऐसा विज्ञान है; तन और मन की तंदुरूस्‍ती के लिए, आत्‍मा की चेतना के लिए, ये शास्‍त्र कितना सहज उपलब्‍ध हो सकता है। मैं बाबा रामदेव जी को अभिनंदन करता हूं, उन्‍हें योग एक आंदोलन बना दिया। सामान्‍य मानवी में विश्‍वास पैदा कर दिया कि योग के लिए हिमालय की गुफाओं में जाने की जरूरत नहीं है, अपने घर में kitchen के बगल में बैठ करके भी योग कर सकते हो, फुटपाथ पर भी कर सकते हो, मैदान में भी कर सकते हो, बगीचे में भी कर सकते हो, मंदिर के परिसर में भी कर सकते हो।

ये बहुत बड़ा बदलाव आया है। और आज उसका परिणाम है कि 21 जून को जब विश्‍व अंतर्राष्‍ट्रीय योग दिवस मनाता है, दुनिया के हर देश में योग का उत्‍सव मनाया जाता है, अधिकतम लोग उसमें जुड़ें, उसके लिए प्रयास होता है। मुझे विश्‍व के जितने लोगों से मिलना होता है, मेरा अनुभव है कि देश की बात करेंगे, विकास की बात करेंगे, Investment की चर्चा करेंगे, राजनीतिक परिदृश्‍य की चर्चा करेंगे, लेकिन एक बात अवश्‍य करते हैं, मेरे साथ योग के संबंध में तो एक-दो सवाल जरूर पूछते हैं। ये जिज्ञासा पैदा हुई है।

हमारे आयुर्वेद की ता‍कत, थोड़ा-बहुत तो हमने ही उसे नुकसान पहुंचा दिया। आधुनिक विज्ञाण का जो medical science है उनको लगा कि आपकी सारे बातें कोई शास्‍त्र आधारित नहीं हैं; आयुर्वेद वालों को लगा कि आपकी दवाइयों में दम नहीं है, अब आप लोगों को ठीक कर देते हो लेकिन ठीक होते नहीं हैं। तुम बड़े कि हम बड़े, इसी लड़ाई में सारा समय बीतता गया। अच्‍छा होता कि हमारी सभी ज्ञान, आधुनिक से आधुनिक ज्ञान भी, उसको भी हमारी इन परम्‍पराओं के साथ जोड़ करके आगे बढ़ाया होता तो शायद मानवता की बहुत बड़ी सेवा हुई होती।

मुझे खुशी है पतंजलि योग विद्यापीठ के माध्‍यम से बाबा रामदेव जी ने जो अभियान चलाया, आंदोलन चलाया है, उसमें आयुर्वेद का महिमा-मंडन, वहां अपने-आपको सीमित नहीं रखा है। दुनिया जो भाषा में समझती है, research के जिन आधारों पर समझती है, medical science में प्रस्‍थापित व्‍यवस्‍थाओ के तहत समझती है; बाबा रामदेव ने बीड़ा उठाया है, उसी भाषा में भारत के आयुर्वेद को वो ले करके आएंगे और दुनिया को प्रेरित करेंगे। एक प्रकार से ये हिन्‍दुस्‍तान की सेवा कर रहे हैं। हजारों साल से हमारे ऋषियों-मुनियों ने तपस्‍या की है, जो प्राप्‍त किया है वो दुनिया को बांटने के लिए निकले हैं, वैज्ञानिक अधिष्‍ठान पर निकले हुए हैं, और मुझे विश्‍वास है और आज मैंने जो Research Centre देखा, कोई भी आधुनिक Research Centre देखिए; बिल्‍कुल उसकी बराबरी में खड़ा हुआ है, मां गंगा के किनारे पर ये काम।

और इसलिए मैं बाबा को हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं। भारत सरकार, जब अटल जी की सरकार थी देश में, तब हमारे देश में एक Health Policy आई थी। इतने सालों के बाद जब हमारी सरकार बनी, तो‍ फिर से हम देश के लिए एक Health Policy ले करके आए हैं। Holistic Health Care का view ले करके आए हैं। और अब दुनिया सिर्फ Healthy रहना चाहती है ऐसा नहीं है, बीमारी न हो वहां तक अटकना नहीं चाहती है; अब लोगों को Wellness चाहिए, और इसलिए solution भी holistic देने पड़ेंगे। Preventive Health Care पर बल देना पड़ेगा, और Preventive Health Care का उत्‍तम से उत्‍तम रास्‍ता जो है, और सस्‍ते से सस्‍ता रास्‍ता है, वो है स्‍वच्‍छता। और स्‍वच्‍छता में कौन क्‍या करता है, वो बाद पे छोड़े हम। हम तय करें, सवा सौ करोड़ देशवासी तय करें‍ कि मैं गंदगी नहीं करूंगा। कोई बड़ा संकल्‍प लेने की जरूरत नहीं, इसमें जेल जाने की जरूरत नहीं है, फांसी पर लटकने की जरूरत नहीं है, देश के लिए सीमा पर जा करके जवानों की तरह मरने-मिटने की जरूरत नहीं है; छोटा सा काम- मैं गंदगी नहीं करूंगा।

आपको कल्‍पना है एक डॉक्‍टर जितनी जिंदगी बचा लेता है, उससे ज्‍यादा बच्‍चों की जिंदगी आप गंदगी न करके बचा सकते हैं। आप एक गरीब को दान-पुण्‍य दे करके जितना पुण्‍य कमाते हो, गंदगी न करके एक गरीब जब स्‍वस्‍थ रहता है, तो आपका दान रुपयों में देते हैं, उससे भी ज्‍यादा मूल्‍यवान हो जाता है। और मुझे खुशी है कि देश की जो नई पीढ़ी है, आने वाली पीढ़ी; छोटे-छोटे बालक, हर घर में वो झगड़ा करते हैं। अगर परिवार के वृद्ध व्‍यक्ति ने, बुजुर्ग ने कोई एक अगर छोटी सी चीज फेंक दी, कार में जा रहे हैं अगर पानी का bottle बाहर फेंक दिया तो बेटा कार रुकवाता है, छोटा पोता- पांच साल का, कार रुकवाता है, ठहरो, मोदी दादा ने मना किया है ये bottle वापिस ले आओ; ये माहौल बन रहा है। छोटे-छोटे बालक भी मेरे इस स्‍वच्‍छता आंदोलन के सिपाही बन गए हैं। और इसलिए Preventive Health Care, इसको हम जितना बल देंगे, हम हमारे देश के गरीबों की सबसे ज्‍यादा सेवा करेंगे।

गंदगी कोई नहीं करता है, गंदगी हम करते हैं। और हमीं फिर गंदगी पर भाषण देते हैं। अगर एक बार हम देशवासी गंदगी न करने का फैसला कर लें, इस देश से बीमारी को निकालने में, तदुरूस्‍ती को लाने के लिए हमें कोई सफलता पाने में रुकावटें नहीं आएंगी।

हमारी उदासीनता इतनी है कि हम इतना बड़ा हिमालय, हिमालय की जड़ी-बूटी, भगवान रामचंद्र जी और लक्ष्‍मण जी की घटना से परिचित, हनुमान जी जड़ी-बूटी के लिए क्‍या-क्‍या नहीं करते थे, वो सारी बातें परिचित, और हम इतने सहज हो गए थे कि दुनिया के देश, जिनको जड़ी-बूटी क्‍या होती है, ये मालूम नहीं था; लेकिन जब उनको पता कि इसका बड़ा commercial value है, दुनिया के और देशों ने patent करवा दिया। हल्‍दी का patent भी कोई और देश करवा देता है, इमली का patent भी कोई और देश करवा देता है। हमारी ये उदासीनता, अपनी शक्ति को भुला देने की आदतें, इसने हमारा बहुत नुकसान किया है।

आज विश्‍व में Herbal Medicine, उसका एक बहुत बड़ा मार्केट खड़ा हुआ है। लेकिन जितनी मात्रा में दुनिया में इस Herbal Medicine को पहुंचाने में भारत को जो ताकत दिखानी चाहिए, अभी बहुत कुछ करने की बाकी है।

इस पतंजलि संस्‍थान के द्वारा ये जो Research और Innovation हो रहे हैं, ये दुनिया के लोगों को Holistic और Wellness के लिए जो structure है, उनको ये दवाइयां आने वाले दिनों में काम आएंगी। हमारे देश में बहुत वर्षों पहले भारत सरकार ने आयुर्वेद का प्रचार कैसे हो, उसके लिए एक हाथी कमीशन बिठाया था, जयसुखलाल हाथी करके, उनका एक कमीशन बिठाया था। उस कमीशन ने जो रिपोर्ट दी थी, वो रिपोर्ट बड़ी interesting थी। उस रिपोर्ट के प्रारंभ में लिखा है कि हमारे आयुर्वेद इसलिए लोगों तक नहीं पहुंचता है क्‍योंकि उसकी जो पद्धति है, वो आज के युग के अनुकूल नहीं है। वो इतनी सारी थैला-भर जड़ी-बूटी देंगे और फिर कहेंगे इसको उबालना, इतने पानी में उबालना, फिर इतना रस रहेगा, एक चम्‍मच में लेना, फिर इसमें फलाना जोड़ना, ढिकना जोड़ना; और फिर लेना। तो जो सामान्‍य व्‍यक्ति होता है उसको लगता है कि भई ये कौन कूड़ा-कचरा करेगा, उसके बजाय चलो भाई medicine ले लें, दवाई की गोली खा लें, अपनी गाड़ी चल जाएगी। और इसलिए उन्‍होंने कहा था कि सबसे पहली आवश्‍यकता है, बहुत साल पहले का report है ये। सबसे पहली आवश्‍यकता है आयुर्वेदी दवाओं का packaging. अगर उसका packaging, modern दवाइयों की तरह कर देंगे, तो लोग ये Holistic Health Care की तरफ मुड़ जाएंगे। और आज हम देख रहे हैं कि हमें वो उबालने वाली जड़ी-बूटियां कहीं लेने के लिए जानी नहीं पड़ती है, हर चीज ready-made मिलती है।

मैं समझता हूं कि आचार्य जी ने अपने-आपको इसमें खपाया हुआ है। और आज जिस किताब का लोकापर्ण करने का मुझे अवसर मिला, मुझे विश्‍वास है कि दुनिया का इस किताब पर ध्‍यान जाएगा। Medical Science से जुड़े हुए लोगों का ध्‍यान जाएगा। प्रकृतिदत्‍त व्‍यवस्‍था कितनी सामर्थ्‍यवान है, उस सामर्थ्‍य को अगर हम समझते हैं तो जीवन कितना उज्‍ज्‍वल हो सकता है, ये अगर व्‍यक्ति को एक खिड़की खोल करके दे देता है, आगे बढ़ने के लिए बहुत बड़ा अवसर दे देता है।

मुझे विश्‍वास है कि बालकृष्‍ण जी की ये साधना, बाबा रामदेव का mission mode में स‍मर्पित ये काम और भारत की महान उज्‍ज्‍वल परम्‍परा, उसको आधुनिक रूप-रंग के साथ, वैज्ञानिक अधिष्‍ठान के साथ आगे बढ़ाने का जो प्रयास है, वो भारत के लिए विश्‍व में अपनी एक जगह बनाने का आधार बन सकता है। दुनिया का बहुत बड़ा वर्ग है जो योग से जुड़ा है, आयुर्वेद से भी जुड़ना चाहता है, हम उस दिशा में प्रयास करेंगे।

मैं फिर एक बार आप सबके बीच आने का मुझे सौभाग्‍य मिला, विशेष रूप से मुझे सम्‍मानित किया, मैं सिर झुका करके बाबा को प्रणाम करता हूं, आप सबका अभिनंदन करता हूं, और मेरी तरफ से बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं। धन्‍यवाद।

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PM to participate in ‘Odisha Parba 2024’ on 24 November
November 24, 2024

Prime Minister Shri Narendra Modi will participate in the ‘Odisha Parba 2024’ programme on 24 November at around 5:30 PM at Jawaharlal Nehru Stadium, New Delhi. He will also address the gathering on the occasion.

Odisha Parba is a flagship event conducted by Odia Samaj, a trust in New Delhi. Through it, they have been engaged in providing valuable support towards preservation and promotion of Odia heritage. Continuing with the tradition, this year Odisha Parba is being organised from 22nd to 24th November. It will showcase the rich heritage of Odisha displaying colourful cultural forms and will exhibit the vibrant social, cultural and political ethos of the State. A National Seminar or Conclave led by prominent experts and distinguished professionals across various domains will also be conducted.