QuotePM Modi speaks at the 10th Annual Convention of the Central Information Commission
QuoteRTI is not only about the right to know but also the right to question. This will increase faith in democracy: PM
QuoteGovt's 'Digital India' is complimentary to RTI, putting information online brings transparency, which in turn, builds trust: PM
QuoteMore openness in government will help citizens. In this day and age there is no need for secrecy: PM
QuoteAim of RTI must be to bring about a positive change in governance: PM
QuoteThe voice of people is supreme in a democracy: PM Narendra Modi

उपस्थित सभी महानुभव,

आज हम सूचना के अधिकार के संबंध में आज 10 वर्ष पूर्ण कर रहे हैं। इस व्‍यवस्‍था में विश्‍वास पैदा करने के लिए इस व्‍यवस्‍था को आगे बढ़ाने में जिन-जिन लोगों ने योगदान दिया है, उन सबको मैं धन्‍यवाद करता हूं और बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

यह बात सही है कि सूचना के अधिकार से सबसे पहली बात सामान्‍य से सामान्‍य व्‍यक्ति को जानने का अधिकार हो, लेकिन वहां सीमित न हो। उसे सत्‍ता को question करने का भी अधिकार हो। और यही लोकतंत्र की बुनियाद है। और हम उस दिशा में जितनी तेज गति से काम करेंगे, उतना लोकतंत्र के प्रति लोगों का विश्‍वास और बढ़ेगा। लोगों की जागरूकता, एक प्रकार से शासन को भी ताकत देती है और न सिर्फ शासन को राष्‍ट्र की भी एक बहुत बड़ी अमानत बनती, है जागरूक समाज का होना। ऐसी कुछ व्‍यवस्‍था होती है, जो इन व्‍यवस्‍थाओं को पनपाती है, पुरस्‍कृत करती है, प्रोत्‍साहित करती है और परिणाम तक पहुंचाती है।

जो जानकारी मिलती है उस हिसाब से कहते हैं कि 1766 में सबसे पहले स्‍वीडन में इसका प्रारंभ हुआ। लिखित रूप में प्रारंभ हुआ। informally तो शायद कई व्‍यवस्‍थाओं में यह चलता होगा। लेकिन यही व्‍यवस्‍था अमेरिका में आते-आते 1966 हो गया। दो सौ साल लगे। कुछ देशों ने कानून पारित किए। लेकिन पारित करने के लागू करने के बीच दो साल का फासला रखा, ताकि लोगों को educate कर पाएं। शासन व्‍यवस्‍था को aware कर सके। और एक mature way में व्‍यवस्‍था विकसित हो। हमारे देश का अनुभव अलग है। हम लोगों ने निर्णय किया और काम करते-करते उसको सुधारते गए, ठीक करते गए और empower करते गए। और यह प्रक्रिया निरंतर चलती रहेगी तभी जा करके institution और अधिक strengthen होती है और आने वाले दिनों में इसके लिए निरंतर प्रयास होता है।

एक बात निश्‍चित है कि जो Digital India का सपना है वो एक प्रकार से आरटीआई की जो भावना है उसके साथ पूरक है। क्‍योंकि जब चीजें online होने लगती है, तो अपने आप transparency आती है। और शासन और जनता के बीच trust होना चाहिए और trust through transparency होता है। अगर transparency है तो trust आता ही है। और इसलिए Digital India का जो सपना है, वो चीजों को जितना online करते जाएंगे, जितना open करते जाएंगे, सवालिया निशान कम होते जाएंगे। अब अभी पिछले दिनों coal का auction हुआ।

अब हमें मालूम है कि पहले कोयले को ले करके कितना बड़ा तूफान मच गया। कितने बड़े सवाल खड़े हुए। सुप्रीम कोर्ट तक को उसमें involve होना पड़ा। RTI से जुड़े हुए लोग भी इसमें काफी मेहनत करते रहे। अभी इस सरकार के सामने विषय आया, तो हमने सारी चीजें online की, online की इतना ही नहीं, एक बड़े screen पर, एक public place पर जहां कोई भी आसकता है देख सकता है, सारी process देख रहा था। हर शाम को कहां पहुंच इसका पता करता था। मीडिया के लोग भी आ करके बैठते थे। अब इस व्‍यवस्‍था में मैं नहीं मानता हूं कि फिर कभी किसी को RTI की जरूरत पड़ेगी, क्‍योंकि मैं मानता हूं कि जो RTI से मिलने वाला था वो पहले उसके सामने था। अभी हमने FM Radio का Auction किया, वो भी उसी प्रकार से online किया। spectrum का auction किया वो भी उसी प्रकार से किया। और जब auction चल रहा था, online सब लोग आते थे। हफ्ते, दस दिन तक चलता था। मीडिया के लोग भी बैठते थे। और भी लोग बैठते थे। कोई भी व्‍यक्ति उसको कर सकता था।

क्‍यों न हम transparency proactively क्‍यों न करे। किसी को जानने के लिए प्रयास करना पड़े कि किसी को जानकारी सहज रूप से मिले। शासन लोकतंत्र में उसका प्रयास हो रहना चाहिए कि सहज रूप से उसको जानकारी मिलनी चाहिए। हमारे यहां कुछ चीजें तो ऐसी पुरानी घर कर गई थी। धीरे-धीरे उसको बदलने में समय लगता है। अब जैसे आपको कहीं apply करना है और अपने certificate का Xerox देते हैं तो वो मंजूर नहीं होता है। किसी gestated officer या किसी political leader से जब तक ठप्‍पा नहीं मरवाते हो उसको मान्‍यता नहीं मिलती है। अब यह सालों से चल रहा था। हमने आ करके निर्णय किया कि भई नागरिक पर हम भरोसा करे। वो एक बार कहता तो सच मान ले और जब final उसका होगा, तब original certificate ले करके आ जाएगा, देख लेना। और आज वो व्‍यवस्‍था लागू हो गई। कहने का तात्‍पर्य यह है कि हम नागरिक पर भरोसा करके व्‍यवस्‍थाओं को चलाए। नागरिकों पर शक करके हम चीजों को चलाएंगे, तो फिर हम भी अपने आप को कहीं न कहीं छुपाने की कोशिश करते रहेंगे। एक openness, governance में जितना openness आएगा, उतना परिणाम सामान्‍य नागरिक को भी ताकतवर बनाता है।

सरकार का और भी स्‍वभाव बना हुआ है। साइलो में भी काम करना और इतना ही नहीं एक ही कमरे में चार अफसर बैठे हो, बड़ी कोशिश करता है कि बगल वाला फाइल देखें नहीं। अब यह जो secrecy की मानसिकता किसी जमाने में रही होगी, उस समय के कुछ कारण होंगे, लेकिन आज मैं यह नहीं मानता हूं कि इस प्रकार की अवस्‍था रहेगी। अगर खुलापन है, खुली बात है, भई यह चार काम करने है, चर्चा करके करने है। तो मैं समझता हूं कि उसके कारण एक सरलता भी आती है और speed भी आती है। एक-आध चीज की कमी रहती है, तो अपना साथी बताता है कि अरे भई तुम देखो यह पहलू जरा देख लो। तो एकदम से काम में.. कोई जरूर नहीं कि वो फाइल पर लिख करके कहता है, ऐसे बातों में कहता है कि देखो भई यह पहलू देखना पड़ेगा। तो अपने आप सुधार हो जाता है। तो सुधार करने के लिए हमारे मूलभूत स्‍वभाव में भी शासन थे। यह बहुत अपेक्षा रहती है कि उसमें यह बदलाव लाना चाहिए और हम उस दिशा में प्रयास कर रहे हैं। मुझे विश्‍वास है कि यह प्रयास परिणामकारी होगा।

आज मैं समझता हूं कि RTI की एक सीमा है। वो सीमा यह है कि जिसको जानकारी चाहिए, जानकारी तो मिलती है। कुछ बातें मीडिया को काम आ जाती है। कुछ बातें किसी को न्‍याय तक सीमित रह जाती है। process का पता चलता है। लेकिन अभी भी product का पता नहीं चलता। मैं इस रूप में कह रहा हूं कि मान लीजिए एक Bridge का contract दिया गया, तो RTI वाला पूछेगा तो उसको पता चलेगा फाइल कैसे शुरू हुई, tendering कैसे हुआ, noting क्‍या था, साइट कैसे select हुआ, यह सब चीजें मिलेगी। लेकिन वो Bridge कैसे बना, ठीक बना कि नहीं बना। उसमें कमियां है कि ठीक हुआ, समय पर हुआ कि नहीं हुआ। इन चीजों की तरफ अब ध्‍यान देने का समय आया है। तो हम process पर जितना ध्‍यान देते हैं RTI के द्वारा एक समय वो भी चाहिए कि जब product पर भी उतना ही transparency लाए, तब जा करके बदलाव आता है। वरना वो जानकारियां सिर्फ एक संतोष के लिए होती है। आखिरकर RTI का उपयोग Governance में बदलाव लाने के लिए सबसे पहले होना चाहिए।

और इसलिए जब विजय जी मुझे मिले थे, तो मैंने बातों-बातों में उनको कहा था कि जो लोग हमें सवाल पूछते हैं क्‍या हमने उसका Analysis किया है कि भई रेलवे के संबंध में कितने सवाल आते हैं? Home के संबंध में कितने सवाल आते हैं। फलाने विषय में कितने सवाल आते हैं। Analysis वो department है जहां हजारों की तादाद में सवाल आते हैं। यह department जहां सौ से ज्‍यादा नहीं आते हैं। फिर हमने उसका analysis करना चाहिए यह जो सवाल आते हैं, उसके मूल में कोई policy paralyses तो नहीं है। हम identify कर सकते हैं। अगर हम इस RTI को सिर्फ जवाब देने तक सीमित रखे तो शासन व्‍यवस्‍था को लाभ नहीं होता है। उस नागरिक ने सवाल पूछा है मतलब शासन व्‍यवस्‍था में कहीं न कहीं कोई बात है, जो पूछने की जरूरत पड़ी है। अगर व्‍यवस्‍था इतनी sensitive होती है। और जो सवाल आए उनका हम analysis करते हैं, तो हमें पता चलेगा कि policy matter के कारण यह समस्‍या बार-बार उठ रही है, लोग सवाल पूछ रहे हैं। तो Government को High level पर सोचना चाहिए कि policy matter में क्‍या फर्क लाना चाहिए। एक RTI क्‍या छोटा सा सवाल भी आपको policy बदलने के लिए मजबूर कर सकता है और कभी-कभार वो इतना सटीक बात पूछता है कि ध्‍यान में आता है कि यह तरफ हमारा ध्‍यान नहीं गया। इसलिए Good Governance के लिए RTI कैसे उपयोग में आए, सिर्फ जवाब देने से RTI Good Governance नहीं ला सकता है। वो सिर्फ विवादों के लिए काम आ सकता है। परिस्थिति पलटने के लिए नहीं काम आ सकता है।

दूसरा मैंने सुझाव दिया कि एक तो part यह होता है कि भई policy के कारण, दूसरा होता है person के कारण, कि भई जो व्‍यक्ति वहां बैठा है उसके nature में ही है। इसलिए ऐसी स्थिति पैदा होती है वो जवाब नहीं देता है, ढीलापन रखता है, ऐसे ही चलता है। तो फिर person पर सोचने का सवाल आएगा भई। एक ही person से संबंधित इतने सारे issue क्‍यों खड़े होते हैं, तो कहीं न कहीं कोई कमी होगी, उसको ठीक कैसे किया जाए? उस पर सोचना चाहिए। कहीं पर ऐसा होगा कि जिसे पता चलेगा कि भई लोगों ने सवाल पूछे है लेकिन finance के resource crunch के कारण वो नहीं हो पा रहा है। या कोई काम ऐसा होगा कि जिसके कारण लोकल कोई न कोई व्‍यवस्‍था होगी, जो रूकावटें डाल रही है। जब हम इन सवालों का perfect analysis करें और उसमें से सरकार की कमियां ढूंढे नागरिकों के सवालों में से ही सरकार की कमियां उजागर हो सकती है, व्‍यवस्‍था की कमियां उजागर हो सकती है, process की कमियां उजागर हो सकती है। और उसको ठीक करने के लिए उसमें से हमें एक रास्‍ता भी मिल सकता है। और इसलिए मैं चाहूंगा कि आप जब इस पर डिबेट करने वाले हैं हम RTI को एक Good Governance की ओर जाने का एक साधन के रूप में कैसे इस्‍तेमाल करें? और यह हो सकता है।

मैं इन दिनों एक कार्यक्रम करता हूं भारत सरकार में आने के बाद – प्रगति। एक साथ सभी chief secretaries और सभी secretaries भारत सरकार के और मैं 12-15 issue लेता हूं। और उससे ध्‍यान में आता है। सवाल तो मैं वो लेता हूं किसी नागरिक की चिट्ठी के आधार पर पकड़ता हूं। किसी ने मुझे लिखा कि भई फौजियों को pension में problem है। तो मैंने उस विषय को उठाया। सबको बुलाया, बिठाया, सब वीडियो पर होते हैं मीटिंग नहीं करते हैं। मैं तो एक छोटे कमरे में बैठता हूं। लेकिन उसका कारण बनता है, परिस्थिति आती है तुरंत ध्‍यान में आता है कि भई इस विषय को हैंडल करना पड़ेगा। किसी ने मुझे लिखा भी था post office में 15 दिन बीत गए, 20 दिन बीत गए टपाल नहीं आई थी। मैंने प्रगति में ले लिया, तुरंत पता चला क्‍या कारण था उनका। कहां पर यह slow process चल रहा था।

कहने का तात्‍पर्य यह है कि हम नागरिकों की आवाज को अगर हम महत्‍व दें। जब मैं गुजरात में था तो मैंने एक प‍द्धति बनाई थी। जो MLA सवाल पूछते हैं, मेरा अनुभव है कि MLA यानी जनप्रतिनिधि किसी भी दल का क्‍यों न हो, लेकिन उसकी हर बात को तव्‍वजू देनी चाहिए, महत्‍व देना चाहिए। किसी भी दल का क्‍यों न हो। क्‍योंकि वो अपने क्षेत्र के संबंध में कोई बात बताता है मतलब वो जनहित के लिए ही बताता है, मान करके चलना चाहिए। लेकिन जब House के अंदर जवाब देते हैं, तो by and large मीडिया centric process चलता है। एक प्रकार से House में, कल मीडिया में क्‍या छपेगा, टीवी पर क्‍या दिखेगा, वही dominate करने लग गया है। और इसलिए House में तो हर कोई अपना score settle करने वाला जवाब देता है। अब क्‍या करे मजबूरी हो गई है राजनीति की कि भई दूसरे दिन मीडिया में खबर खराब न आए। तो वो अपना.... और वो कर भी लेता और जीत भी जाता है। वो बात अलग है। लेकिन मैंने एक process शुरू किया था। Assembly सत्र पूरा होने के बाद जितने भी question आते थे। हर department को कहता था हर question का Analysis करो और मुझे action taken रिपोर्ट दो। भले किसी का भी सवाल हो, House में आपने जो भी जवाब दिया ठीक है। अगर उसने कहा है कि भई वहां road नहीं बना है मुझे result चाहिए। और उसके कारण शासन में electives के प्रति एक sensitivity पैदा हुई थी। मैं मानता हूं ऐसी sensitivity RTI के सवालों के साथ हमको जोड़ती है। अगर यह पूरे देश में शासकीय व्‍यवस्‍था में प्रगति में बहुत कुछ कर सकते हैं। और उस दिशा में हम प्रयास कर रहे हैं।

एक यह भी बात है कि जब हम RTI की बात करते हैं तो यह मत है कि यह सारा communication जो है, information access करने की जो प्रक्रिया है। वो एक तो transparent होनी चाहिए, Timely होनी चाहिए and Trouble fee होनी चाहिए। यह हम जितना.. क्‍योंकि समय बीतने के बाद अगर हम जानकारी देते हैं तो न वो शासन को सुधारती है और न शासन को accountable बनाती है। फिर स्थिति कि अब क्‍या करे भई, वहां तो भवन बन गया अब वो भवन कैसे तोड़ सकते हैं। क्‍या करे भई वहां तो लोग रहने के लिए आए गए। उनको कैसे निकाल सकते हैं। अगर Timely information देते तो हो सकता है कि गलत निर्णय रूक जाता, तुरंत हम ध्‍यान में आते। और इसलिए transparency भी हो, Timely भी हो, Trouble free भी हो। यह हम बल देंगे, तो हम इस कानून बनाए लेकिन उस कानून का ज्‍यादा अच्‍छे से उपयोग कर सकते। ज्‍यादा अच्‍छा परिणाम ला सकते हैं।

आज मैंने देखा है कि गांव के अंदर.. यह ठीक है हर बात में कुछ मात्रा में कोई न कोई शंका को अशंका का कारण रहता होगा लेकिन larger interest में यह बहुत उपकारक है, बहुत उपयोगी है। मैंने राज्‍य का शासन चलाया इसलिए मुझे मालूम है कि गरीब व्‍यक्ति RTI का कैसे उपयोग करता है। अगर गांव के अंदर किसी ने गलत encroachment कर दिया है और वो बड़ा दबदबा वाला इंसान है तो शासन कुछ कर नहीं पाता है। और एक गरीब आदमी RTI को एक सवाल पूछ देता है, आ जाता है, तो शासन को मजबूर हो करके encroachment हटाना पड़ता है। और जनता की या शासन की जो जमीन है वो खुली करवानी पड़ती है। ऐसे कई उदाहरण मैंने देखे हैं। गांव का भी एक छोटा व्‍यक्ति.. ।

हम जब गुजरात में थे तो एक प्रयोग किया था। और वो गुजरात मॉडल के रूप में जाना जाता था tribal के लिए। हम tribal को सीधे पैसा दे देते थे। और tribal को कहते थे तुम अपनी requirement के अनुसार एक कमिटी योजना बनाए और वो अपना काम हो, क्‍योंकि सरकार योजना बनाती गांधी नगर में बैठके। वो चाहती कि कुंआ खोदेंगे। गांवा वाला कहता है कि मुझे कुंआ नहीं चाहिए, मुझे स्‍कूल चाहिए और हम कुंए के लिए पैसा देते हैं, उसे स्‍कूल चाहिए उसके बजाय हमने गांव वालों को दिया। लेकिन गांव में ग्राम सभा के अंदर उनको सारा ब्‍यौरा देना पड़ता था और बोर्ड पर लिखकर रखना पड़ता था कि हमने इस काम के लिए इतना पैसा लगाया। गांव का सामान्‍य व्‍यक्ति भी पूछ लेता था पंच के प्रधान को कि भई तुम कह रहे हो दो सौ रुपया यहां लगाया, वो चीज तो दिखती नहीं, बताओ। और Transparency आती थी। हम जितना openness लाते हैं, उतनी Transparency की गारंटी बनती है। और इसलिए RTI एक माध्‍यम है Transparency की ओर जाने का, लेकिन At the same time RTI से सीख करके हमने शासन व्‍यवस्‍था में Transparency लाने की आवश्‍यकता है। और मुझे विश्‍वास है कि अगर गलत इरादे से कोई काम नहीं है तो कभी कोइे तकलीफ नहीं होती है, कोई दिक्‍कत नहीं होती है। सही काम सही परिणाम भी देते हैं। और जैसा मैंने कहा सिर्फ process नहीं। हमें आने वाले दिनों में product की quality पर भी ध्‍यान देना पड़ेगा। उसको भी हम किस प्रकार से सोंचे। ताकि हर चीज का हिसाब-किताब देना पड़े। क्‍योंकि जनता के पैसा से चलती है सरकार। सारे निर्माण कार्य होते हैं जनता के पैसों से होते हैं। और जनता सर्वपरि होती है लोकतंत्र में। उसके हितों की चिंता और उस व्‍यवस्‍था को मजबूत करने की दिशा में हम प्रयास करते रहेंगे। तो मैं समझता हूं कि बहुत ही उपकारक होगा।

आज पूरा दिनभर आप लोग बैठने वाले हैं। मुझे विश्‍वास है कि इस बंधन में राज्‍य के भी सभी अधिकारी यहां पर आए हुए हैं। तो उस मंथन में से जो भी अच्‍छे सुझाव आएंगे वो सरकार के ध्‍यान में आएंगे। उसमें से कितना अच्‍छा कर सकते हैं प्रयास जरूर रहेगा, लेकिन हम चाहेंगे कि जनता जितनी ताकतवर बनती है, नागरिक जितना ताकतवर बनता है वो ताकत सचमुच में देश की ही ताकत होती है। उसी को हम बल दें। इसी एक अपेक्षा के साथ बहुत-बहुत शुभकामनाएं। धन्‍यवाद।

Explore More
78ನೇ ಸ್ವಾತಂತ್ರ್ಯ ದಿನಾಚರಣೆಯ ಸಂದರ್ಭದಲ್ಲಿ ಕೆಂಪು ಕೋಟೆಯಿಂದ ಪ್ರಧಾನಮಂತ್ರಿ ಶ್ರೀ ನರೇಂದ್ರ ಮೋದಿ ಅವರು ಮಾಡಿದ ಭಾಷಣದ ಕನ್ನಡ ಅನುವಾದ

ಜನಪ್ರಿಯ ಭಾಷಣಗಳು

78ನೇ ಸ್ವಾತಂತ್ರ್ಯ ದಿನಾಚರಣೆಯ ಸಂದರ್ಭದಲ್ಲಿ ಕೆಂಪು ಕೋಟೆಯಿಂದ ಪ್ರಧಾನಮಂತ್ರಿ ಶ್ರೀ ನರೇಂದ್ರ ಮೋದಿ ಅವರು ಮಾಡಿದ ಭಾಷಣದ ಕನ್ನಡ ಅನುವಾದ
A chance for India’s creative ecosystem to make waves

Media Coverage

A chance for India’s creative ecosystem to make waves
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
Today, India's youth are demonstrating our immense potential to the world, through their dedication and innovation: PM Modi in Rozgar Mela
April 26, 2025
QuoteWhen the youth actively contribute to nation-building, the country experiences accelerated development and earns recognition on the global stage: PM
QuoteToday, India's youth are demonstrating to the world, through their dedication and innovation, the immense potential that we possess: PM
QuoteIn this budget, the government has announced the Manufacturing Mission, with a goal to promote the 'Make in India' initiative and provide opportunity for India's youth: PM
QuoteManufacturing Mission will support millions of MSMEs and small entrepreneurs. It will also open up new employment opportunities nationwide: PM
QuoteWAVES 2025 places the nation's youth at its core, providing young creators with such a platform for the first time: PM
QuoteFor innovators in media, gaming, and entertainment, WAVES is an unprecedented opportunity to showcase their talent: PM
QuoteIndia’s women power is reaching new heights in fields ranging from bureaucracy to space and science, the government is also focusing on empowering rural women: PM

नमस्कार।

आज केंद्र सरकार के विभिन्न विभागों में 51000 से ज्यादा युवाओं को पक्की सरकारी नौकरी के पत्र दिए गए हैं। आज भारत सरकार के अलग अलग विभागों में आप युवाओं के नए दायित्वों की शुरूआत हुई है। आपका दायित्व देश के आर्थिक तंत्र को मजबूत करना है, आपका दायित्व देश की आंतरिक सुरक्षा को मजबूत करना है, आपका दायित्व देश में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण का है, आपका दायित्व श्रमिकों के जीवन में मुलभूत बदलाव लाने का है। अपने कार्यों को आप जितनी ईमानदारी से पूरा करेंगे, उसका उतना ही सकारात्मक प्रभाव विकसित भारत की यात्रा में नजर आएगा। मुझे विश्वास है, आप अपने दायित्वों को पूरी निष्ठा से निभाएंगे।

साथियों,

किसी भी राष्ट्र की प्रगति और उसकी सफलता की नींव उस राष्ट्र के युवा होते हैं। जब युवा राष्ट्र के निर्माण में भागीदार होते हैं, तो राष्ट्र तेज विकास भी करता है और विश्व में अपनी पहचान भी बनाता है। भारत का युवा आज अपने परिश्रम और इनोवेशन से दुनिया को ये दिखा रहा है कि, हम में कितना सामर्थ्य है। हमारी सरकार हर कदम पर ये सुनिश्चित कर रही है कि, देश के युवाओं के लिए रोजगार-स्वरोजगार के अवसर बढ़ें। Skill India, Startup India, Digital India जैसे अनेक अभियान इस दिशा में युवाओं के लिए नए अवसर बना रहे हैं। इन अभियानों के माध्यम से हम भारत के युवाओं को अपनी प्रतिभा दिखाने के लिए खुला मंच दे रहे हैं। इसी का नतीजा है कि, इस दशक में हमारे युवाओं ने टेक्नोलॉजी, डेटा और इनोवेशन के क्षेत्र में भारत को दुनिया में बहुत आगे पहुंचा दिया है। आज UPI, ONDC, और GeM, Govt. e-Marketplace जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म, इनकी सफलता ये दिखाती है कि हमारे युवा किस तरह डिजिटल अर्थव्यवस्था में बदलाव का नेतृत्व कर रहे हैं। आज भारत में सबसे ज्यादा रियल टाइम डिजिटल ट्रांजैक्शन्स हो रहे हैं, और इसका बड़ा श्रेय हमारे युवाओं को जाता है।

|

साथियों,

इस बजट में सरकार ने मैन्यूफैक्चरिंग मिशन की घोषणा की है। इसका उद्देश्य है- मेक इन इंडिया को बढ़ावा देना और भारत के युवाओं को ग्लोबल स्टैंडर्ड वाले प्रॉडक्ट बनाने का मौका देना। इससे ना केवल देश की लाखों MSMEs को, हमारे लघु उद्यमियों को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि पूरे देश में रोजगार के नए अवसर भी खुलेंगे। आज का ये समय, भारत के युवाओं के लिए अभूतपूर्व अवसरों का समय है। हाल ही में IMF ने कहा है कि, भारत दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना रहेगा। इस विश्वास के, इस ग्रोथ के कई पहलू हैं। और सबसे बड़ा पहलू ये है कि आने वाले दिनों में हर सेक्टर में नौकरियों में बढ़ोतरी होगी, रोजगार बढ़ेंगे। हाल के दिनों में, ऑटोमोबाइल और फुटवियर इंडस्ट्रीज में, हमारे प्रॉडक्शन और एक्सपोर्ट्स ने नए रिकॉर्ड बनाए हैं। ये सेक्टर ऐसे हैं, जो बड़ी संख्या में युवाओं को रोजगार दे रहे हैं। पहली बार खादी और ग्राम उद्योग, इनके प्रोडक्ट्स ने एक लाख 70 हजार करोड़ रुपये का टर्नओवर पार किया है। करीब-करीब पोने दो लाख करोड़। इससे खासकर ग्रामीण इलाकों में लाखों नए रोजगार पैदा हुए हैं। अभी कुछ ही दिन पहले Inland Water Transport में भी देश की एक और उपलब्धि सामने आई है। 2014 से पहले हमारे देश में एक साल में Inland Water Transport, उसके द्वारा करीब 18 मिलियन टन कार्गो मूवमेंट ही किया जाता था, only 18 मिलियन टन । जबकि इस साल Inland Water Transport द्वारा कार्गो मूवमेंट 18 से बढ़कर के 145 मिलियन टन से भी ज्यादा हो गया है। भारत को ये सफलता इसलिए मिली है, क्योंकि भारत ने इस दिशा में लगातार नीतियां बनाई हैं, निर्णय लिए हैं। पहले देश में नेशनल वॉटरवेज की संख्या भी सिर्फ 5 थी। अब भारत में नेशनल वॉटरवेज की संख्या बढ़कर, 5 से बढ़कर 110 के पार हो गई है। पहले इन वॉटरवेज की ऑपरेशनल लंबाई 2700 किलोमीटर के आसपास थी। यानी करीब-करीब ढाई हजार किलोमीटर से थोड़ा ज्यादा। अब ये भी बढ़कर करीब-करीब 5 हजार किलोमीटर हो गई है। ऐसी सारी उपलब्धियों की वजह से देश में युवाओं के लिए नए-नए अवसर बन रहे हैं।

साथियों,

कुछ ही दिन बाद मुंबई में वर्ल्ड ऑडियो विजुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट यानी WAVES 2025 का आयोजन होने जा रहा है। इस आयोजन के केंद्र में भी देश के युवा हैं। देश के young creators को पहली बार इसी तरह का मंच मिल रहा है। मीडिया, गेमिंग और एंटरटेनमेंट फील्ड के innovators के लिए ये प्रतिभा दिखाने का अभूतपूर्व अवसर है। ये एक ऐसा प्लेटफॉर्म होगा, जहां entertainment से जुड़े स्टार्टअप्स को investors और industry leaders से जुड़ने का मौका मिलेगा। ये दुनिया के सामने अपने आइडियाज को शोकेस करने का सबसे बड़ा मंच होगा। युवाओं को AI, एक्स-आर और immersive media को जानने-समझने का मौका मिलेगा। इसके लिए कई तरह की वर्कशॉप्स आयोजित किए जाएंगे। WAVES से भारत के डिजिटल कंटेट फ्यूचर को नई ऊर्जा मिलने जा रही है।

|

साथियों,

आज भारत के युवाओं की सफलता में सबसे सराहनीय बात है- उसकी इंक्लूसिविटी, सर्वसमावेशी भाव। भारत आज जो कीर्तिमान गढ़ रहा है, उसमें हर वर्ग की भागीदारी बढ़ रही है! और हमारी बेटियाँ अब दो कदम आगे ही चल रही हैं। अभी कुछ ही दिन पहले UPSC का रिज़ल्ट आया है। उसमें भी टॉप 2 position बेटियों ने हासिल की है। टॉप-5 में 3 टॉपर बेटियां हैं। हमारी नारीशक्ति ब्यूरोक्रेसी से लेकर स्पेस और साइंस के क्षेत्र में नई बुलंदियों को छू रही है। सरकार का विशेष ध्यान ग्रामीण महिलाओं के सशक्तिकरण पर भी है। सेल्फ हेल्प ग्रुप, बीमा सखी, बैंक सखी और कृषि सखी जैसी पहल ने ग्रामीण महिलाओं के लिए नए अवसर तैयार किए हैं। आज देश में हजारों महिलाएं ड्रोन दीदी बनकर अपने परिवार और गांव की समृद्धि सुनिश्चित कर रही हैं। आज देश में 90 लाख से ज्यादा सेल्फ हेल्प ग्रुप बने हैं, और 10 करोड़ से ज्यादा महिलाएं उनके साथ जुड़कर काम कर रही हैं। इन सेल्फ हेल्प ग्रुप्स का सामर्थ्य बढ़ाने के लिए हमारी सरकार ने इनके बजट में 5 गुना बढ़ोतरी की है। इन समूहों को बिना गारंटी 20 लाख रुपए तक का लोन देने की व्यवस्था बनाई गई है। मुद्रा योजना में भी सबसे ज्यादा लाभार्थी महिलाएं ही हैं। आज देश में 50 हजार से ज्यादा स्टार्टअप्स में महिलाएं निदेशक के रूप में काम कर रही हैं। हर सेक्टर में ऐसा बदलाव विकसित भारत के संकल्प को मजबूती दे रहा है, रोजगार और स्वरोजगार के मौके बढ़ा रहा है।

साथियों,

आप सभी ने यह पद अपनी मेहनत और लगन से प्राप्त किया है। अब समय है, कि आप अपने जीवन के अगले पड़ावों को न केवल अपने लिए, बल्कि देश के लिए भी समर्पित करें। जन सेवा की भावना सर्वोपरि होनी चाहिए। जब आप अपनी सेवा को सर्वोच्च मानकर काम करेंगे, तो आपके कार्यों में वो ताकत होगी जो देश को नई दिशा देगी। आपके कर्तव्य पालन, आपके इनोवेशन और आपकी निष्ठा से ही भारत के हर नागरिक का जीवन बेहतर बनेगा।

साथियों,

आप जब किसी जिम्मेदार पद पर पहुँचते हैं, तो एक नागरिक के रूप में भी आपके कर्तव्य, आपका रोल और अहम हो जाता है। आप सभी को इस दिशा में भी जागरूक रहना चाहिए। और हमें भी एक नागरिक के नाते योगदान देने में पीछे नहीं रहना चाहिए। अब जैसे मैं उदाहरण बताता हूं, इस समय देश में ‘एक पेड़ माँ के नाम’ इसका बड़ा इतना बड़ा अभियान चल रहा है। आप आज जहां पहुंचे हैं, आप जीवन की जो नई शुरुआत कर रहे हैं, इसमें आपकी माँ की सबसे बड़ी भूमिका होगी। आप भी अपनी माँ के नाम पेड़ लगाएँ, प्रकृति की सेवा करके अपनी कृतज्ञता व्यक्त करें। आप जिस ऑफिस में काम करेंगे, वहाँ ज्यादा से ज्यादा लोगों को इस अभियान से जोड़ें। आपके सेवाकाल की शुरुआत में ही, जून के महीने में, अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस भी आ रहा है। ये एक बहुत बड़ा अवसर है। इतने बड़े अवसर पर, आप सफल जीवन की शुरुआत के साथ ही योग के माध्यम से स्वस्थ जीवन की भी शुरुआत करिए। आपका स्वास्थ्य आपके लिए तो जरूरी है ही,ये आपकी work efficiency और देश की productivity के लिए भी उतना ही अहम है।

|

आप अपने सामर्थ्य को बढ़ाने के लिए मिशन कर्मयोगी की, उसकी भी भरपूर मदद लेते रहिएगा। आपके कार्य का मकसद केवल पद प्राप्त करना नहीं है। आपका पद भारत के हर नागरिक की सेवा करने और देश की प्रगति में अपना योगदान देने के लिए है। अभी कुछ दिन पहले सिविल सर्विसेस डे पर मैंने एक मंत्र दिया था और मैंने कहा था, कि हम सरकार में जितने भी लोग हैं, हमारे लिए तो एक ही मंत्र सर्वोपरि होना चाहिए, और वो मंत्र है - नागरिक देवो भव: नागरिक देवो भव:। नागरिक की सेवा ही आपके लिए, हम सबके लिए देव पूजा के समान है। इस मंत्र को भी हमेशा-हमेशा याद रखिएगा। मुझे विश्वास है कि हम अपने सामर्थ्य और ईमानदारी से एक ऐसा भारत बनाएंगे, जो विकसित भी होगा, समृद्ध भी होगा।

|

मेरी आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं, आपके परिवारजनों को भी बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं और जैसे आपके सपने हैं, वैसे 140 करोड़ देशवासियों के भी सपने हैं। जैसे आपको अपने सपनों के लिए अवसर मिला है, अब इस अवसर का उपयोग 140 करोड़ देशवासियों के सपनों को पूरा करने में आपके अहम योगदान से जुड़ा है। मुझे पूरा विश्वास है, आप पद की शोभा बढ़ाएंगे, देशवासियों का गौरव बढ़ाएंगे और आपके जीवन को धन्य बनाने के लिए आप समय और शक्ति का सदुपयोग करेंगे। इसी शुभकामनाओं के साथ आप सबको बहुत-बहुत बधाई।