Kolkata port represents industrial, spiritual and self-sufficiency aspirations of India: PM
I announce the renaming of the Kolkata Port Trust to Dr. Shyama Prasad Mukherjee Port: PM Modi
The country is greatly benefitting from inland waterways: PM Modi

नमस्‍ते। अमार प्रियो बंग्लार भाई ओ बोनेरा! इंगरेज़ी नॉबो बॉरसेर हार्दिक शुभोकामोना एबॉन्ग आसोनो मकर संक्रांति उपोलॉक्खे अपना देर शुभेच्छा !!

पश्चिम बंगाल के राजयपाल, श्रीमान जगदीप धनखड़ जी, केन्‍द्रीय मं‍त्रीपरिषद के मेरे सहयोगी मनसुख मांडविया जी, यहां उपस्थित भारत सरकार के अन्‍य मंत्रीगण, सांसदगण, और बड़ी संख्‍या में यहां पधारे पश्चिम बंगाल के मेरे बहनों और भाइयो।

मां गंगा के सानिध्य में, गंगासागर के निकट, देश की जलशक्ति के इस ऐतिहासिक प्रतीक पर, इस समारोह का हिस्सा बनना हम सबके लिए एक अनन्‍य सौभाग्य की बात है। आज का ये दिन कोलकाता पोर्ट ट्रस्‍ट के लिए, इससे जुड़े लोगों के लिए, यहां काम कर चुके साथियों के लिए तो बहुत ही महत्‍वपूर्ण अवसर है। भारत में port laid development को नई ऊर्जा देने का भी मैं समझता हूं इससे बड़ा कोई अवसर नहीं हो सकता। स्‍थापना के 150वें वर्ष में प्रवेश करने के लिए कोलकाता पोर्ट ट्रस्‍ट से जुड़े आप सभी साथियों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं, अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं।

साथियो, थोड़ी देर पहले यहां आज के इस पल की गवाही देने वाले डाक टिकट जारी किए गए। इसी के साथ इस ट्रस्‍ट के कर्मचारियों और यहां काम कर चुके हजारों पूर्व कर्मचारियों की पेंशन के लिए 500 करोड़ रुपए का चैक भी सौंपा गया। विशेष रूप से 100 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्‍ठ महानुभावों को सम्‍मानित करने का गौरव मुझे मिला। कोलकाता पोर्ट ट्रस्‍ट के माध्‍यम से राष्‍ट्र सेवा करने वाले ऐसे तमाम महानुभावों को और उनके परिवारों को मैं नमन करता हूं, उनके बेहतर भविष्‍य की कामना करता हूं।

साथियो, इस पोर्ट के विस्तार और आधुनिकीकरण के लिए आज सैकड़ों करोड़ रुपए के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स का लोकार्पण और शिलान्यास भी किया गया है। आदिवासी बेटियों की शिक्षा और कौशल विकास के लिए हॉस्टल और स्किल डेवलपमेंट सेंटर का भी शिलान्यास हुआ है। विकास की इन तमाम सुविधाओं के लिए भी पश्चिम बंगाल के सभी नागरिकों को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियो, कोलकाता पोर्ट सिर्फ जहाजों के आने-जाने का स्‍थान नहीं है, ये एक पूरे इतिहास को अपने-आप में समेटे हुए है। इस पोर्ट ने भारत को विदेशी राज से स्वराज पाते हुए देखा है। सत्याग्रह से लेकर स्वच्छाग्रह तक, इस पोर्ट ने देश को बदलते हुए देखा है। ये पोर्ट सिर्फ मालवाहकों का ही स्थान नहीं रहा, बल्कि देश और दुनिया पर छाप छोड़ने वाले ज्ञानवाहकों के चरण भी इस पोर्ट पर पड़े हैं। अनेक मनीषियों ने, अनेक अवसरों पर यहीं से दुनिया के अपने सफर की शुरूआत की थी।

एक प्रकार से कोलकाता का ये पोर्ट भारत की औद्योगिक, आध्यात्मिक और आत्मनिर्भरता की आकांक्षा का जीता-जागता प्रतीक है। ऐसे में जब ये पोर्ट 150वें साल में प्रवेश कर रहा है, तब इसको न्यू इंडिया के निर्माण का भी एक ऊर्जावान प्रतीक बनाना हम सबका दायित्‍व है।

पश्चिम बंगाल की, देश की इसी भावना को नमन करते हुए मैं कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट का नाम, भारत के औद्योगीकरण के प्रणेता, बंगाल के विकास का सपना लेकर जीने वाले और एक देश, एक विधान के लिए बलिदान देने वाले डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर करने की घोषणा करता हूं। अब ये पोर्ट डॉक्‍टर श्‍यामा प्रसाद मुखर्जी पोर्ट के नाम से जाना जाएगा।

साथियो, बंगाल के सपूत, डॉक्टर मुखर्जी ने देश में औद्योगीकरण की नींव रखी थी। चितरंजन लोकोमोटिव फैक्ट्री, हिन्दुस्तान एयरक्राफ्ट फैक्ट्री, सिंदरी फर्टिलाइज़र कारखाना और दामोदर वैली कॉर्पोरेशन; ऐसी अनेक बड़ी परियोजनाओं के विकास में डॉक्टर श्‍यामा प्रसादमुखर्जी का बहुत बड़ा योगदान रहा है। और आज के इस अवसर पर, मैं बाबा साहेब अंबेडकर को भी याद करता हूं, उन्हें नमन करता हूं। डॉक्टर मुखर्जी और बाबा साहेब अंबेडकर, दोनों ने स्वतंत्रता के बाद के भारत के लिए नई-नई नीतियां दी थीं, नया vision दिया था।

डॉक्‍टर मुखर्जी की बनाई पहली औद्योगिक नीति में देश के जल संसाधनों के उचित उपयोग पर जोर दिया गया था तो बाबा साहेब ने देश की पहली जल संसाधन नीति और श्रमिकों से जुड़े कानूनों के निर्माण को लेकर अपने अनुभवों का उपयोग किया। देश में नदी घाटी परियोजनाओं का, डैम्‍स का, पोर्ट्स का निर्माण तेजी से हो पाया तो इसका बड़ा श्रेय इन दोनों महान सपूतों को जाता है। इन दोनों व्‍यक्तित्‍वों ने देश के संसाधनों की शक्ति को समझा था, उसे देश की जरूरतों के मुताबिक उपयोग करने पर जोर दिया था।

यहीं कोलकाता में 1944 में नई water policy को लेकर हुई conference में बाबा साहेब ने कहा था कि भारत की water ways policy व्‍यापक होनी चाहिए। इसमें सिंचाई, बिजली और यातायात जैसे हर पहलू का समावेश होना चाहिए। लेकिन ये देश का दुर्भाग्य रहा कि डॉक्टर मुखर्जी और बाबा साहेब के सरकार से हटने के बाद, उनके सुझावों पर वैसा अमल नहीं किया गया, जैसा किया जाना चाहिए था।

साथियो, भारत की विशाल समुद्री सीमा लगभग 7,500 किलोमीटर लंबी है। दुनिया में समुद्र तट से जुड़ा होना आज भी बहुत बड़ी ताकत माना जाता है। Landlocked countries अपने-आप को कभी-कभी असहाय महसूस करती हैं। पुराने समय में भारत की भी एक बहुत बड़ी शक्ति थी। गुजरात के लोथल पोर्ट से लेकर कोलकाता पोर्ट तक देखें, तो भारत की लंबी कोस्ट लाइन coastline से पूरी दुनिया में व्यापार-कारोबार होता था और सभ्यता, संस्कृति का प्रसार भी होता था। साल 2014 के बाद भारत की इस शक्ति को फिर से मजबूत करने के लिए नए सिरे से सोचा गया, नई ऊर्जा के साथ काम शुरू किया गया।

साथियो, हमारी सरकार ये मानती है कि भारत के बंदरगाह भारत की समृद्धि के प्रवेशद्वार हैं। और इसलिए सरकार ने Coasts पर कनेक्टिविटी और वहां के इंफ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने के लिए सागरमाला कार्यक्रम शुरू किया। सागरमाला परियोजना के तहत देश में मौजूद पोर्ट का modernization और एक नए पोर्ट के development का काम लगातार किया जा रहा है। सड़क, रेलमार्ग, Interstate waterways और coastal transport को integrated किया जा रहा है। ये परियोजना coastal transport के जरिए माल ढुलाई को बढ़ाने में बहुत अहम भूमिका निभा रही है

इस योजना के तहत करीब 6 लाख करोड़ रुपए से अधिक के पौने 6 सौ प्रोजेक्ट्स की पहचान की जा चुकी है। इनमें से 3 लाख करोड़ रुपए से अधिक के 200 से ज्यादा प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है और लगभग सवा सौ पूरे भी हो चुके हैं।

साथियो, सरकार का प्रयास है कि transportation का पूरा framework आधुनिक और integrated हो। हमारे देश में टांसपोर्ट नीतियों में जो असंतुलन था, उसे भी दूर किया जा रहा है। इसमें भी पूर्वी भारत और नॉर्थ-ईस्‍ट को Inland waterway यानी नदी जलमार्ग आधारित योजनाओं से विशेष लाभ हो रहा है और आने वाले समय में जलशक्ति के माध्‍यम से पूरे नॉर्थ-ईस्‍ट को जोड़ने का नेटवर्क भारत के विकास में एक स्‍वर्णिम पृष्‍ठ के रूप में उभर करके आने वाला है।

बहनों और भाइयों, कोलकाता तो जल से जुड़े विकास के मामले में और भी भाग्यशाली है। कोलकाता पोर्ट देश की समुद्री परिधि में भी है और नदी के नट पर भी स्थित है। इस प्रकार से ये देश के भीतर और देश के बाहर के जलमार्गों की एक प्रकार से संगम स्थली है।

आप सभी भलीभांति जानते हैं कि हल्दिया और बनारस के बीच गंगा जी में जहाज़ों का चलन शुरु हो चुका है। और मैं काशी का एमपी हूं, इसलिए स्‍वाभिक रूप से आपसे सीधा जुड़ चुका हूं। देश के इस पहले आधुनिक Inland waterway को पूरी तरह से तैयार करने के लिए तेज़ी से काम चल रहा है।

इस वर्ष हल्दिया में multimodal terminal और फरक्का में navigational lock को तैयार करने का प्रयास है। साल 2021 तक गंगा में बड़े जहाज़ भी चल सकें, इसके लिए भी ज़रूरी गहराई बनाने का काम प्रगति पर है। इसके साथ-साथ गंगाजी को असम के पांडु में ब्रह्मापुत्र से जोड़ने वाले inland waterway-2 पर भी cargo transportation शुरू हो चुका है। नदी जलमार्ग की सुविधाओं के बनने से कोलकाता पोर्ट पूर्वी भारत के औद्योगिक सेंटर्स से तो जुड़ा ही है, नेपाल, बांग्लादेश, भूटान और म्यांमार जैसे देशों के लिए व्यापार और आसान हुआ है।

साथियों, देश के पोर्ट्स में आधुनिक सुविधाओं का निर्माण, connectivity की बेहतर व्यवस्था, management में सुधार जैसे अनेक कदमों के कारण कार्गो के clearance और उसके transportation से जुड़े समय में कमी आई है।

Turnaround time बीते 5 वर्ष में घटकर लगभग आधा हो गया है। ये एक बड़ा कारण है जिसके चलते भारत की ease of doing business की रैंकिंग में 79 rank का सुधार हुआ है।

साथियों, आने वाले समय में Water Connectivity के विस्तार का बहुत अधिक लाभ पश्चिम बंगाल को होगा, कोलकाता को होगा, यहां के किसानों, उद्योगों और श्रमिकों को होगा, यहां के मेरे मछुआरे भाइयों-बहनों को होगा।

हमारे मछुवारे भाई जल संपदा का पूरा इस्तेमाल कर पाएं, इसके लिए सरकार Blue Revolution Scheme चला रही है। इसके तहत उन्हें इस क्षेत्र में value addition करने के साथ ही ट्रॉलर्स के आधुनिकीकरण में भी मदद की जा रही है। किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से मछुआरों को अब बैंकों से सस्ता और आसान ऋण भी उपलब्ध हो रहा है। एक तरफ हमने अलग जलशक्ति मंत्रालय बनाया है, उसी को ताकत देने वाला और उसी से अधिकतम फायदा लेने वाली अलग fisheries ministry भी बनाई है। यानी विकास को हम कहां ले जाना चाहते हैं, किस दिशा में जाना चाहते हैं, उसका संकेत इन रचनाओं में भी समाहित है।

साथियो, Port laid development एक व्यापक ecosystem का विकास करता है। इस जल संपदा का उपयोग पर्यटन के लिए, समुद्री पर्यटन, नदी जल पर्यटन के लिए भी किया जा रहा है। आजकल लोग cruise के लिए विदेशों में चले जाते हैं। ये सारी चीजें हमारे यहां बहुत आसानी से विकास किया जा सकता है। ये सुखद संयोग है कि कल ही पश्चिम बंगाल की कला और संस्कृति से जुड़े बड़े सेंटर्स के आधुनिकीकरणकी शुरुआत हुई और आज यहां water tourism से जुड़ी बड़ी स्कीम launch हुई है।

River front development योजना से पश्चिम बंगाल के टूरिज्म उद्योग को नया आयाम मिलने वाला है। यहां 32 एकड़ ज़मीन पर जब गंगा जी के दर्शन के लिए आरामदायक सुविधाएं तैयार होंगी, तब इससे टूरिस्‍टों को भी लाभ मिलेगा।

बहनों और भाइयों, सिर्फ कोलकाता में ही नहीं, सरकार द्वारा पूरे देश में पोर्ट्स् से जुड़े शहरों और clusters में aquarium, water park, sea museums, cruise, और water sports के लिए ज़रूरी infrastructure बनाया जा रहा है।

केंद्र सरकार cruise आधारित पर्यटन को भी बढ़ावा दे रही है। देश में cruise ship की संख्या जो अभी डेढ़ सौ से, करीब-करीब 150 के आसपास है, अब उसको हम 1 हज़ार तक बढ़ाने का लक्ष्य लेकर काम कर रहे हैं। इस विस्तार का लाभ पश्चिम बंगाल को भी अवश्‍य मिलने वाला है, बंगाल की खाड़ी में स्थित द्वीपों को भी मिलने वाला है।

साथियों, पश्चिम बंगाल के विकास के लिए केंद्र सरकार की तरफ से हर संभव कोशिश की जा रही है। विशेषतौर पर गरीबों, दलितों, वंचितों, शोषितों और पिछड़ों के विकास के लिए समर्पित भाव से अनेक प्रयास किए जा रहे हैं।

पश्चिम बंगाल में लगभग 90 लाख गरीब बहनों को उज्जवला योजना के तहत गैस का कनेक्शन मिला है। इसमें भी 35 लाख से अधिक बहनें दलित और आदिवासी परिवार से हैं।

जैसे ही राज्य सरकार आयुष्मान भारत योजना, पीएम किसान सम्मान निधि के लिए स्वीकृति दे देगी; मैं नहीं जानता हूं कि देगी या नहीं देगी, लेकिन अगर दे देगी तो यहां के लोगों को इन योजनाओं का भी लाभ मिलने लगेगा।

और वैसे आपको बता दूं कि आयुष्मान भारत के तहत देश के करीब-करीब 75 लाख गरीब मरीज़ों को गंभीर बीमारी की स्थिति में मुफ्त इलाज मिल चुका है। और आप कल्‍पना कर सकते हैं जब गरीब बीमारी से जूझता है, तब जीने की भी आस छोड़ देता है। और जब गरीब को बीमारी से बचने का सहारा मिल जाता है तो उसके आशीर्वाद अनमोल होते हैं। आज मैं चैन की नींद सो पाता हूं क्‍योंकि ऐसे गरीब परिवार लगातार आशीर्वाद बरसाते रहते हैं।

इसी तरह पीएम किसान सम्मान निधि के तहत देश के 8 करोड़ से अधिक किसान परिवारों के बैंक खाते में लगभग 43 हज़ार करोड़ रुपए सीधे direct benefit transfer के तहत उनके खाते में जमा हो चुके हैं। कोई बिचौलिया नहीं, कोई cut नहीं, कोई syndicate नहीं; और जब सीधा पहुंचता है, cut मिलता नहीं, syndicate का चलता नहीं, ऐसी योजना कोई क्‍यों लागू करेगा।

देश के 8 करोड़ किसानों को इतनी बड़ी मदद, लेकिन मेरे दिल में हमेशा दर्द रहेगा, मैं हमेशा चाहूंगा, ईश्‍वर से प्रार्थना करूंगा कि नीति-निर्धारकों को इस पर सद्बुद्धि दे। और गरीबों को बीमारी में मदद के लिए आयुष्‍मान भारत योजना और किसानों की जिंदगी में सुख और शांति का रास्‍ता पक्‍का हो इसके लिए प्रधानमंत्री किसान सम्‍मान निधि का लाभ मेरे बंगाल के गरीबों को मिले, मेरे बंगाल के किसानों को मिले। आज बंगाल की जनता का मिजाज मैं जानता हूं, भलीभांति जानता हूं। बंगाल की जनता की ताकत है कि अब इन योजनाओं से लोगों को वंचित कोई नहीं रख पाएगा।

साथियों, पश्चिम बंगाल के अनेक वीर बेटे-बेटियों ने जिस गांव और गरीब के लिए आवाज़ उठाई, उनका विकास हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। ये किसी एक व्यक्ति की, किसी एक सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि पूरे भारतवर्ष का सामूहिक संकल्‍प भी है, सामूहिक दायित्व भी है और सामूहिक पुरुषार्थ भी है। मुझे विश्वास है कि 21वीं सदी के नए दशक में, जब दुनिया एक वैभवशाली भारत का इंतज़ार कर रही है, तब हमारे ये सामूहिक प्रयास दुनिया को कभी निराश नहीं करंगे, ये हमारे प्रयास ज़रूर रंग लाएंगे।

इसी आत्‍मविश्‍वास के साथ 130 करोड़ देशवासियों की संकल्‍पशक्ति और उनके सामर्थ्‍य पर अप्रतीम श्रद्धा होने के कारण मैं भारत के उज्‍ज्‍वल भविष्‍य को अपनी आंखों के सामने देख रहा हूं।

और इसी विश्‍वास के साथ आओ हम कर्तव्‍य पथ पर चलें, अपने कर्तव्‍यों का निर्वाह करने के लिए आगे आएं। 130 करोड़ देशवासी जब अपने कर्तव्‍यों का पालन करते हैं तो देश देखते ही देखते नई ऊंचाइयों को पार कर लेता है।

इसी विश्‍वास के साथ एक बार फिर कोलकाता पोर्ट ट्रस्ट के 150 वर्ष के लिए और विकास परियोजनाओं के लिए, आज के इस महत्‍वपूर्ण अवसर पर मैं आप सबको, पूरे पश्चिम बंगाल को, यहां की महान परम्‍परा को नमन करते हुए अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं, बहुत-बहुत बधाई हूं।

मेरे साथ ये धरती, प्रेरणा की धरती, देश का सामर्थ्‍य जगाने वाली धरती है। यहां से पूरी ताकत से हमारे सपनों को समेटता हुआ नारा हम बोलेंगे। दोनों हाथ ऊपर करके, मुट्ठी बंद करके पूरी ताकत से बोलेंगे-

भारत माता की – जय

भारत माता की – जय

भारत माता की – जय

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।