Quote'Minimum Government, Maximum Governance' and 'Sabka Saath, Sabka Vikas' form the basis of New India: PM Modi
QuoteOur Government is keen to fulfil the aspirations of the people: PM Modi
QuoteA combination of technology and human sensitivities is ensuring greater 'ease of living': PM Modi

यहां मौजूद सभी वरिष्‍ठ महानुभाव, देवियों और सज्‍जनों।

सबसे पहले मैं दैनिक जागरण के हर पाठक को, अखबार के प्रकाशन और अखबार को घर-घर तक पहुंचाने के कार्य से जुड़े हर व्‍यक्ति को, विशेषकर हॉकर बंधुओं को आपकी संपादकीय टीम को हीरक जंयती पर बहुत-बहुत बधाई देता हूं, बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।

बीते 75 वर्ष से आप निरंतर देश के करोड़ों लोगों का सूचना और सरोकार से जोड़े हुए हैं। देश के पुनर्निर्माण में दैनिक जागरण ने महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है। देश को जागरूक करने में आप अहम रोल अदा करते रहे हैं। भारत छोड़ो आंदोलन की पृष्‍ठभूमि में जो कार्य आपने शुरू किया, वो आज नए भारत की नई उम्‍मीदों, नए संकल्‍पों और नए संस्‍कारों को आगे बढ़ाने में सहयोग कर रहा है। मैं दैनिक जागरण पढ़ने वालों में से एक हूं। शायद शुरुआत वहीं से होती है। अपने अनुभव के आधार पर मैं कह सकता हूं कि बीते दशकों में दैनिक जागरण ने देश और समाज में बदलाव लाने की मुहिम को शक्ति दी है।

बीते चार वर्षों में आपके समूह और देश के तमाम मीडिया संस्‍थानों ने राष्‍ट्र निर्माण के मजबूत स्‍तंभ के तौर पर अपने दायित्‍व का बखूबी निर्वहन किया है। चाहे वो बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ अभियान हो, चाहे स्‍वच्‍छ भारत अभियान हो। ये अगर जन-आदोंलन बने हैं। तो इसमें मीडिया की भी एक सकारात्‍मक भूमिका रही है। दैनिक जागरण भी इसमें अपना प्रभावी योगदान देने के लिए हमेशा आगे रहा है। हाल में ही वीडियो कॉन्‍फ्रेंस के माध्‍यम से, मुझे आप सभी से संवाद करने का अवसर मिला था। तब मुझे बताया गया था कि स्‍वच्‍छता के लिए कैसे आप सभी पूरे समर्पण से कार्य कर रहे हैं।

साथियों, समाज में मीडिया का ये रोल आने वाले समय में और भी महत्‍वपूर्ण होने वाला है। आज डिजिटल क्रांति ने मीडिया को, अखबारों को और विस्‍तार दिया है और मेरा मानना है कि नया मीडिया नए भारत की नींव को और ताकत देगा।

साथियों, नए भारत की जब भी हम बात करते हैं। तो minimum government maximum governance और सबका साथ सबका विकास इसके मूल में, इसी मूलमंत्र को लेकर के हम बात करते हैं। हम एक ऐसी व्‍यवस्‍था की बात करते हैं जो जनभागीदारी से योजना का निर्माण भी हो और जनभागीदारी से ही उन पर अमल भी हो। इसी सोच को हमनें बीते चार वर्षों से आगे बढ़ाया है। केंद्र सरकार की अनेक योजनाओं को जनता अपनी जिम्‍मेदारी समझ कर आगे बढ़ा रही हैं। सरकार, सरोकार और सहकार ये भावना देश में मजबूत हुई है।       

देश का युवा आज विकास में खुद को stake holder मानने लगा है। सरकारी योजनाओं को अपनेपन के भाव से देखा जाने लगा है। उसको लगने लगा है कि उसकी आवाज सुनी जा रही है और यही कारण है कि सरकार और सिस्‍टम पर विश्‍वास आज अभूतपूर्व स्‍तर पर है। ये विश्‍वास तब जगता है जब सरकार तय लक्ष्‍य हासिल करते हुए दिखती है। पारदर्शिता के साथ काम करती हुई नजर आती है।

साथियों, जागरण फोरम में आप अनेक विषयों पर चर्चा करने वाले हैं। बहुत से सवाल उठाए जाएंगे, बहुत से जवाब भी खोजे जाएंगे। एक प्रश्‍न आपके मंच पर मैं भी उठा रहा हूं। और प्रश्‍न मेरा है लेकिन उसके साथ पूरे देश की भावनाएं जुड़ी हुई हैं। आप भी अक्‍सर सोचते होंगे, हैरत में पड़ते होंगें कि आखिर हमारा देश पिछड़ा क्‍यों रह गया। आजादी के इतने दशकों के बाद.. ये कसक आपके मन में भी होगी कि हम क्‍यों पीछे रह गए। हमारे पास विशाल उपजाऊ भूमि है, हमारे नौजवान बहुत प्रतिभाशाली और मेहनती भी हैं, हमारे पास प्राकृतिक संसाधनों की कभी कोई कमी नहीं रही। इतना सब कुछ होने के बावजूद हमारा देश आगे क्‍यों नहीं बढ़़ पाया। क्‍या कारण है कि छोटे-छोटे देश भी जिनकी संख्‍या बहुत कम है, जिनके पास प्राकृतिक संपदा भी लगभग न के बराबर है। ऐसे देश भी बहुत कम समय में हमसे आगे निकल गए हैं।

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ये हमारे देश‍वासियों की क्षमता है कि हमारा चंद्रयान चांद तक पहुंच गया। हमने बहुत कम लागत में मंगल मिशन जैसा महायज्ञ पूरा किया। लेकिन क्‍या कारण है कि इस देश के करोड़ों लोगों के गांव तक सड़क भी नहीं पहुंची है।

साथियों, भारतवासियों के इनोवेशन से दुनिया जगमगा रही है। लेकिन क्‍या कारण रहा है कि करोड़ों भारतीयों को बिजली भी नहीं मिल पाती थी, आखिर हमारे देश के लोग छह दशक से ज्‍यादा समय तक बुनियादी सुविधाओं के लिए भी क्‍यों तरसते रहे। बड़े-बड़े लोग सत्‍ता में आए, बड़े-बड़े स्‍वर्णिम वाले लोग भी सत्‍ता में आए और चले भी गए। लेकिन दशकों तक जो लोग छोटी-छोटी समस्‍याओं से जूझ रहे थे, उनकी समस्‍याओं का समाधान नहीं हो सका।

साथियों, मंजिलों की कमी नहीं थी, कमी नीयत की थी, पैसों की कमी नहीं थी, passion की कमी थी, solution की कमी नहीं थी, संवेदना की कमी थी, सामर्थ्‍य की कमी नहीं थी, कमी थी कार्य संस्‍कृति की। बहुत आसानी से कुछ लोग कबीरदास जी के उस ध्‍येय को बिगाड़ करके मजाक बना देते हैं। जिसमें उन्‍होंने कहा था कल करे सो आज कर, आज करे सो अब लेकिन सोचिए अगर ये भाव हमारी कार्य संस्‍कृति में दशकों पहले आ गया होता तो आज देश की तस्‍वीर क्‍या होती।   

साथियों, हाल ही में मैंने एलिफेंटा तक under water cables के जरिए बिजली पहुंचाने का एक वीडियो बहुत वायरल हो रहा था। मेरी भी नजर पड़ी, उम्‍मीद है आपने भी देखा होगा। कल्‍पना कीजिए मुंबई से थोड़ी ही दूरी पर बसे लोगों को कैसा लगता होगा, जब वो खुद अंधेरे में रात-दिन गुजारते हुए, मुंबई की चकाचौंध को देखते होंगे, उस अंधेरे में 70 साल गुजार देने की कल्‍पना करके देखिए। अभी कुछ दिन पहले ही मुझे एक व्‍यक्ति ने पत्र लिख करके धन्‍यवाद दिया, उसने पत्र इसलिए लिखा क्‍योंकि मेघालय पहली बार ट्रेन से जुड़ गया है। क्‍या आप कल्‍पना कर सकते हैं कि हमारे सत्‍ता में आने से पहले मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा भारत के रेल मैप में नहीं थे। सोचिए किसने किस तरह इन राज्‍यों के लोगों की जिंदगी पर असर डाला होगा।  

साथियों, पहले देश किस दिशा में किस रफ्तार से चल रहा था और आज किस दिशा में और किस तेजी के साथ, रफ्तार से आगे जा रहा है। ये मेरे मीडिया के साथियों के लिए अध्‍ययन का और मंथन का विषय भी हो सकता है। कब करेंगे वो हम नहीं जानते। सोचिए आखिर क्‍यों आजादी के 67 साल तक केवल 38 प्रतिशत ग्रामीण घरों में ही शौचालय बने और कैसे.... सवाल का जवाब यहां शुरू होता है, कैसे, केवल चार साल में 95 प्रतिशत घरों में, ग्रामीण घरों में शौचालय उपलब्‍ध करा दिया गया। सोचिए... आखिर क्‍यों आजादी के 67 साल बाद तक केवल 55 प्रतिशत बस्तियां टोले और गांव तक ही सड़क पहुंची थी और कैसे... केवल चार साल में... सड़क संपर्क को बढ़ाकर 90 फीसदी से ज्‍यादा बस्तियों, गांवों, टोलों तक पहुंचा दिया गया। आखिर सोचिए... क्‍यों आजादी के 67 साल बाद तक केवल 55 प्रतिशत घरों में ही गैस का कनेक्‍शन था और अब कैसे केवल चार साल में गैस कनेक्‍शन का दायरा 90 प्रतिशत घरों तक पहुंचा दिया गया है। सोचिए... आखिर क्‍यों आजादी के बाद के 67 वर्षों तक केवल 70 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों तक ही बिजली की सुविधा पहुंची थी। और अब कैसे... बीते चार वर्षों में 95 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों तक बिजली पहुंच गई है। साथियों इस तरह के सवाल पूछते-पूछते घंटों निकल सकते हैं, व्‍यवस्‍थाओं में अपूर्णता से संपूर्णता की तरफ बढ़ते हमारे देश ने पिछले चार, साढ़े चार वर्षों में जो प्रगति की है वो अभूतपूर्व है।

साथियों, सोचिए... आखिर क्‍यों आजादी के 67 वर्षों तक देश के सिर्फ 50 प्रतिशत परिवारों के पास ही बैंक के खाते थे। ऐसा कैसे हुआ कि आज देश का लगभग हर परिवार बैंकिग सेवा से जुड़ गया है। सोचिए... कि आखिर ऐसा क्‍यों था कि आजादी के 67 वर्षों तक बमुश्किल चार करोड़ नागरिक ही इनकम टैक्‍स रिटर्न भर रहे थे। सवा सौ करोड़ का देश... चार करोड़, केवल चार वर्ष में ही तीन करोड़ नए नागरिक इनकम टैक्‍स के नेटवर्क से जुड़ गए हैं।  सोचिए... कि आखिर क्‍यों ऐसा था कि जब तक जीएसटी नहीं लागू हुआ था हमारे देश में इनडायेरक्‍ट टैक्‍स सिस्‍टम से 66 लाख उद्धमी ही रजिस्‍टर थे। और अब जीएसटी लागू होने के बाद 54 लाख नए लोगों ने रजिस्‍टर करवाया।

साथियों, आखिर पहले की सरकारें ऐसा क्‍यों नहीं कर सकी और अब जो हो रहा है वो कैसे हो रहा है। लोग वही है, bureaucracy  वही है, संस्‍थाएं भी वही है, फाइल का जाने का रास्‍ता भी वही है, टेबल कुर्सी कलम वो सब कुछ वही है फिर भी ये बदलाव क्‍यों आया। इस बात का ये सबूत है कि देश बदल सकता है। और मैं आपको ये भी दिलाना चाहता हूं कि जो भी बदलाव आया है, जो भी परिवर्तन आ रहा है, गति आई है वो तब तक नहीं आती जब तक बिल्‍कुल जमीनी स्‍तर पर जाकर फैसले नहीं कर लिए जाते, उन पर अमल नहीं किया जाता।

आप कल्‍पना करिए... अगर देश के नागरिकों को दशकों पहले ही मूलभूत आवश्‍यकताएं उपलब्‍ध करा दी गई होती तो हमारा देश कहां से कहां पहुंच गया होता। देश के नागरिकों के लिए ये सब करना मेरे लिए सौभाग्‍य की बात है। लेकिन ये उतना ही दुर्भाग्‍यपूर्ण है कि देश को इसके लिए इतने वर्षों तक तरसना पड़ा।

साथियों, जब हमारे देश के गरीब, शोषित और वंचितों को सारी मूलभूत सुविधाएं  उपलब्‍ध हो जाएंगी.. उन्‍हें शौचालय, बिजली, बैंक अकाउंट्स, गैस कनेक्‍शनस, शिक्षा, अरोग्‍य जैसी चीजों की चिंताओं से मुक्ति मिल जाएगी तो फिर मेरे देश के गरीब खुद ही अपनी गरीबी को परास्‍त कर देंगे। ये मेरा विश्‍वास है। वो गरीबी से बाहर निकल आएंगे और देश भी गरीबी से बाहर निकल आएगा। बीते चार वर्षों में आप इस परिवर्तन को होते हुए देख भी रहे हैं। आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं, लेकिन ये सब पहले नहीं हुआ। और पहले इसलिए नहीं हुआ क्‍योंकि गरीबी कम हो जाएगी तो गरीबी हटाओ का नारा कैसे दे पाएंगे। पहले इसलिए नहीं हुआ, क्‍योंकि जब मूलभूत सुविधाएं सबको मिल जाएंगी तो वोट बैंक की पॉलिटिक्‍स कैसे हो जाएगी। तुष्टिकरण कैसे होगा।

भाईयो और बहनों, आज जब हम देश के शत-प्रतिशत लोगों को करीब-करीब सभी मूलभूत सुविधाएं देने के लिए करीब पहुंच गए हैं तो भारत दूसरे युग में छलांग लगाने के लिए भी तैयार है। हम करोड़ों भारतीयों के aspirations उनकी आंकाक्षाओं को पूरा करने के लिए तत्‍पर हैं। आज हम न्‍यू इंडिया के संकल्‍प से सिद्धि की यात्रा की ओर अग्रसर हैं। इस यात्रा में जिस प्रकार टेक्‍नोलॉजी का इस्‍तेमाल भारत कर रहा है। वो दुनिया के विकासशील और पिछड़े देशों के लिए भी एक मॉडल बन रहा है।

साथियों, आज भारत में connectivity से लेकर communication तक competition से लेकर convenience जीवन के हर पहलू को तकनीक से जोड़ने का प्रयास हो रहा है। तकनीक और मानवीय संवेदनाओं की शक्ति से ease of leaving सुनिश्चित की जा रही है। हमारी व्‍यवस्‍थाएं तेजी से नए विश्‍व की जरूरतों के लिए तैयार हो रही हैं। सोलर पावर हो, बायोफ्यूल हो इस पर आधुनिक व्‍यवस्‍थाओं को तैयार किया जा रहा है।

देश में आज 21वीं सदी की आवश्‍यकताओं को देखते हुए next generation infrastructure तैयार हो रहा है। highway हो, Railway हो, Airway हो,  Waterway हो चौतरफा काम किया जा रहा है। हाल में आपने देखा किस प्रकार वाराणसी और कोलकाता के बीच Waterway की नई सुविधा कार्यरत हो गई है। इसी तरह देश में बनी बिना इंजन ड्राइवर वाली ट्रेन... ट्रेन 18 और उसका ट्रायल तो आपके अखबारों में हैडलाइन में रहा है। हवाई सफर की तो स्थिति ये हो गई है कि आज एसी डिब्‍बों में चलने वाले यात्रियों से ज्‍यादा लोग अब हवाई जहाज में उड़ने लगे हैं। ये इसलिए हो रहा है क्‍योंकि सरकार छोटे-छोटे शहरों को टियर-2सीटीज, टियर-3सीटीज को भी उड़ान योजना से जोड़ रही है। नए एयरपोर्ट और एयर रूट विकसित कर रही है। व्‍यवस्‍था में हर तरफ बदलाव कैसे आ रहा है, इसको समझना बहुत जरूरी है। एलपीजी सेलेंडर रिफिल के लिए पहले कई दिन लग जाते थे अब सिर्फ एक दो दिन में ही मिलना शुरू हो गया है। पहले इनकम टैक्‍स रिफंड मिलने में महीनों लग जाते थे। ये भी अब कुछ हफ्तों में होने लगा है। पासपोर्ट बनवाना भी पहले महीनों का काम था अब वही काम एक दो हफ्ते में हो जाता है। बिजली, पानी का कनेक्‍शन अब आसानी से मिलने लगा है। सरकार की अधिकतर सेवाएं अब ऑनलाइन हैं, मोबाइल फोन पर हैं। इसके पीछे की भावना एक ही है कि सामान्‍यजन को व्‍यवस्‍थाओं से उलझना न पड़ें, जूझना न पड़े, कतारें न लगे, करप्‍शन की संभावनाएं कम हो और रोजमर्रा की परेशानी से मुक्ति मिले।   

साथियों, सरकार न सिर्फ सेवाओं को द्वार-द्वार तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध है बल्कि योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों तक जरूर पहुंचे इसके लिए भी सरकार गंभीर प्रयास कर रही है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मिल रहे घर हों, उज्‍ज्‍वला योजना के तहत मिल रहे गैस के कनेक्‍शन हों, सौभाग्‍य योजना के तहत बिजली का कनेक्‍शन हों, शौचालय की सुविधा हो। ऐसी तमाम योजनाओं के लाभार्थियों तक सरकार खुद जा रही है, उनकी पहचान कर रही है, उन्‍हें ये सुविधाएं लेने के लिए प्रोत्‍साहित कर रही है। देश के 50 करोड़ से अधिक गरीबों के स्‍वास्‍थ्‍य को सुरक्षाकवच देने वाली प्रधानमंत्री जन-अरोग्‍य योजना PMJAY यानि आयुष्‍मान भारत योजना तो वेलफेयर और फेयरप्‍ले का बेहतरीन उदाहरण है।

डिजिटल तकनीक automation और मानवीय संवेदनशीलता को कैसे जनसामान्‍य के भले के लिए उपयोग किया जा सकता है। ये आयुष्‍मान भारत में दिखता है। इस योजना के लाभार्थियों की पहचान पहले की गई। फिर उनकी जानकारी को, डेटा को तकनीक के माध्‍यम से जोड़ा गया और फिर गोल्‍डन कार्ड जारी किए जा रहे हैं। गोल्‍डन कार्ड और आयुष्‍मान मित्र यानी तकनीक और मानवीय संवेदना के संगम से गरीब से गरीब को स्‍वास्‍थ्‍य का लाभ बिल्‍कुल मुफ्त मिल रहा है।  

साथियों, अभी इस योजना को 100 दिन भी नहीं हुए हैं, सिर्फ तीन महीने से कम समय हुआ है और अब तक देश के साढ़े चार लाख गरीब जिसका लाभ उठा चुके हैं, या अभी अस्‍पताल में इलाज करा रहे हैं। गर्भवती महिलाओं की सर्जरी से लेकर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों तक का इलाज आयुष्‍मान भारत की वजह से संभव हुआ है।

इस हाल में बैठे हुए, इस चकाचौंध से दूर अनेक लोगों के बारे में सोचिए... कि ये लोग कौन हैं ये श्रमिक हैं, ये कामगार हैं, किसान हैं, खेत और कारखानें में मजदूरी करने वाले लोग हैं, ठेला चलाने वाले, रिक्‍शा चलाने वाले लोग हैं। कपड़े सिलने का काम करने वाले लोग हैं। कपड़े धोकर जीवन-यापन करने वाले लोग हैं। गांव और शहरों के वो लोग जो गंभीर बीमारी का इलाज सिर्फ इसलिए टालते रहते थे क्‍योंकि उनके सामने एक बहुत बड़ा सवाल हमेशा रहता था... अपनी दवा पर खर्च करें या परिवार के लिए दो वक्‍त की रोटी पर खर्च करें। अपनी दवा पर खर्च करें या बच्‍चों की पढ़ाई पर खर्च करें। गरीबों को इस सवाल का जवाब आयुष्‍मान भारत योजना के तौर पर मिल चुका है।

साथियों, गरीब के सशक्तिकरण का माध्‍यम बनाने का ये काम सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं रहने वाला है। इसको आने वाले समय में विस्‍तार दिया जाना है। हमारा प्रयास है कि बिचौलियों को तकनीक के माध्‍यम से हटाया जाए। उत्‍पादक और उपभोक्‍ता को जितना संभव हो उतना पास लाया जाए। भ्रष्‍टाचार चाहे किसी भी स्‍तर पर हो हमारी नीति स्‍पष्‍ट भी है और सख्‍त भी है। इस सेक्‍टर में किए जा रहे हमारे इन प्रयासों को दुनिया भी देख रही है। और इसलिए भारत को संभावनाओं का देश बताया जा रहा है।

साथियों, जैसा कि आप सभी जानते हैं पिछले दिनों अर्जेंटीना में जी-20 का सम्‍मेलन हुआ उस सम्‍मेलन में आए नेताओं से मेरी बातचीत हुई। हमनें अपनी बाते भी दुनिया की ताकतवर अर्थव्‍यस्‍थाओं के बीच रखी। जो आर्थिक अपराध करने वाले हैं, भगोड़े हैं उनको दुनिया में कहीं भी सुरक्षित पनाहगाह न मिले इसके लिए भारत ने कुछ सुझाव अंतरर्राज्‍य समुदाय के बीच रखे। मुझे ये विश्‍वास है कि हमारी ये मुहिम आज नहीं तो कल कभी न कभी रंग लाएगी।

साथियों, इस विश्‍वास के पीछे एक बड़ा कारण ये है कि आज भारत की बात को दुनिया सुन रही है, समझने का प्रयास कर रही है, हमारे दुनिया के तमाम देशों से रिश्‍तें बहुत मधुर हुए हैं। उसके परिणाम आप सभी और पूरा देश देख भी रहा है, अनुभव भी कर रहा है। अभी तीन-चार दिन पहले ही इसका एक और उदाहरण आपने देखा है, ये सब संभव हो रहा है हमारे आत्‍मविश्‍वास के कारण, हमारे देश के आत्‍मविश्‍वास के कारण।

साथियों, आज बड़े लक्ष्‍यों, कड़े और बड़े फैसलों का अगर साहस सरकार कर पाती है तो उसके पीछे एक मजबूत सरकार है। पूर्ण बहुमत से चुनी हुई सरकार है। न्‍यू इंडिया के लिए सरकार का फोकस- सामर्थ्‍य, संसाधन, संस्‍कार, परंपरा, संस्‍कृति और सुरक्षा पर है। विकास की पंच धारा, जो विकास की गंगा को आगे बढ़ाएगी। ये विकास की पंच धारा- बच्‍चों की पढ़ाई, युवा को कमाई, बुजुर्गों को दवाई, किसानों को सिंचाई, जन-जन की सुनवाई। ये पांच धाराएं इसी को केंद्र में रखते हुए सरकार विकास की गंगा को आगे बढ़ा रही है।

नए भारत के नए सपनों को साकार करने में दैनिक जागरण की, पूरे मीडिया जगत की भी एक महत्‍वपूर्ण भूमिका रहने वाली है। सिस्‍टम से सवाल करना ये आपकी जिम्‍मेवारी है और आपका अधिकार भी है। मीडिया के सुझावों और आपकी आलोचनाओं का तो मैं हमेशा स्‍वागत करता रहा हूं। अपनी स्‍वतंत्रता को बनाए रखते हुए, अपनी निष्‍पक्षता को बनाए रखते हुए दैनिक जागरण समूह राष्‍ट्र निर्माण के प्रहरी के तौर पर निरंतर कार्य करता रहेगा। इसी उम्‍मीद इसी विश्‍वास के साथ मैं अपनी बात समाप्‍त करता हूं। आप सभी को 75 वर्ष पूरे करने के लिए फिर से बधाई और उज्‍ज्‍वल भविष्‍य के लिए अनेक-अनेक शुभकामनाएं देते हुए मेरी वाणी को विराम देता हूं। बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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Prime Minister hosts the President of Chile H.E. Mr. Gabriel Boric Font in Delhi
April 01, 2025
QuoteBoth leaders agreed to begin discussions on Comprehensive Partnership Agreement
QuoteIndia and Chile to strengthen ties in sectors such as minerals, energy, Space, Defence, Agriculture

The Prime Minister Shri Narendra Modi warmly welcomed the President of Chile H.E. Mr. Gabriel Boric Font in Delhi today, marking a significant milestone in the India-Chile partnership. Shri Modi expressed delight in hosting President Boric, emphasizing Chile's importance as a key ally in Latin America.

During their discussions, both leaders agreed to initiate talks for a Comprehensive Economic Partnership Agreement, aiming to expand economic linkages between the two nations. They identified and discussed critical sectors such as minerals, energy, defence, space, and agriculture as areas with immense potential for collaboration.

Healthcare emerged as a promising avenue for closer ties, with the rising popularity of Yoga and Ayurveda in Chile serving as a testament to the cultural exchange between the two countries. The leaders also underscored the importance of deepening cultural and educational connections through student exchange programs and other initiatives.

In a thread post on X, he wrote:

“India welcomes a special friend!

It is a delight to host President Gabriel Boric Font in Delhi. Chile is an important friend of ours in Latin America. Our talks today will add significant impetus to the India-Chile bilateral friendship.

@GabrielBoric”

“We are keen to expand economic linkages with Chile. In this regard, President Gabriel Boric Font and I agreed that discussions should begin for a Comprehensive Economic Partnership Agreement. We also discussed sectors like critical minerals, energy, defence, space and agriculture, where closer ties are achievable.”

“Healthcare in particular has great potential to bring India and Chile even closer. The rising popularity of Yoga and Ayurveda in Chile is gladdening. Equally crucial is the deepening of cultural linkages between our nations through cultural and student exchange programmes.”