Railways connect every citizen of India. Poorest of the poor benefit due to it: PM Modi
NDA government has accorded topmost priority to the railways: PM Modi
We want to make our rail network modern: PM Modi
We want our railways to bring a qualitative difference in the lives of citizens: PM
Budget allocation has increased, doubling work, gauge conversion work is happening faster: PM
Railway gives 'Gati' and 'Pragati' to the nation: PM

प्यारे भाईयों और बहनों,

हमारे देश में रेलवे, देश के सामान्‍य जन से जुड़ी हुई व्‍यवस्‍था है। गरीब से गरीब परिवार को भी रेलवे एक सहारा रही है। लेकिन दुर्भाग्‍य से रेलवे को उसके नसीब पर छोड़ दिया गया है। और गत 30 वर्ष में खास करके जबकि दिल्‍ली में मिली-जुली सरकारें रहती थीं और उसमें एक प्रकार से जो साथी दल रहते थे, वे तब मंत्रिपरिषद में जुड़ते थे या सरकार को समर्थन देते थे अगर उनको रेल मंत्रालय मिले तो। यानी एक प्रकार से रेल मंत्रालय सरकारें बनाने के लिए रेवड़ी बांटने के लिए काम आता था। ये कड़वा सत्‍य है और उसका परिणाम ये आया कि जिस भी राजनीतिक दल के व्‍यक्ति के पास रेलवे गई उसे रेलवे की चिंता कम रही; बाकी क्‍या रहा होगा मुझे कहने की जरूरत नहीं है।

इस सरकार ने रेलवे को प्राथमिकता दी है, रेलवे का विस्‍तार हो; रेलवे का विकास हो; रेलवे आधुनिक बने और रेलवे जन-सामान्‍य की जिंदगी में एक qualitative change के साथ मददगार कैसे बने? और आपने पिछले ढाई साल में रेलवे के कार्यकलाप को देखा होगा तो आपको ये ध्‍यान में आता होगा पहले की तुलना में बजट double कर दिया गया ये छोटी बात नहीं है। और रेलवे का उपयोग गरीब से गरीब को भी होता है इसलिए इतना बड़ा बजट रेलवे के लिए खर्च करने का तय किया। पहले अगर दिन में doubling का काम सालभर कुछ किलोमीटर होता था तो आज doubling का काम पहले से दो गुना, तीन गुना हो रहा है।

पहले रेलवे में gaze conversion का काम Meter Gaze  से Broad Gaze  बनाना, Narrow Gaze से  Broad Gaze बनाना; ये काम आखिरी तबके में रहता था, उसको priority दी गई। पहले की तुलना में उसको अनेक गुना अधिक सफलता पाई। रेलवे डीजल इंजन से चले, कोयले से चले, environment के प्रश्‍न, डीजल से चले तो दुनिया भर से विदेश से डीजल import करना पड़े। Environment की भी रक्षा हो; विदेशी मुद्रा भी न जाए; डीजल से रेलवे को जल्‍दी से जल्‍दी Electrification की तरफ कैसे ले जाया जाए; बहुत बड़ी मात्रा में, तेज गति से आज रेल लाइनों का Electrification हो रहा है, रेल इंजन Electric इंजन बनाने का काम हो रहा है। आजाद हिन्‍दुस्‍तान में सबसे बड़ा Foreign Direct Investment रेलवे के क्षेत्र में आया है और दो बड़े Loco Engineering Manufacture के काम के लिए वो काम आने वाला है। भविष्‍य में वो पूरे रेलवे की गति बदलने वाले इंजन बनाने का काम होने वाला है।

इन सारी बातों के साथ-साथ सफाई से ले करके रेलवे में सुविधा उसको बल दिया गया, Bio-Toilet; वरना हम जानते हैं कि स्‍टेशन पर रेल की पटरियां गंदगी से भरी रहती हैं। बहुत तेजी से उस पर काम, बल दिया, बहुत बड़ा खर्चा है। लेकिन ये तत्‍काल न दिखे लेकिन लम्‍बे अर्से तक बड़ा लाभ करने वाला है।

स्‍वास्‍थ्‍य की दृष्टि से एक परिवर्तन का प्रयास, उस दिशा में बड़ा बल दिया है। रेल की गति कैसे बढ़े? वरना पहले से चल रहा है चलती थी, चलती थी; बैठे हैं उतर जा सकते हैं फिर दौड़ करके चढ़ जा सकते हैं; ये सब बदला जा सकता है। Special Mission Mode में काम चल रहा है कि Exiting जो व्‍यवस्‍थाएं हैं उसमें क्‍या सुधार करें ताकि रेल की गति बढ़ाई जाए। Technology में परिवर्तन ला रहे हैं, विश्‍व भर से Technology की दृष्टि से लोगों को जोड़ रहे हैं कि safety एक बहुत बड़ी चिन्‍ता का विषय है और चुनौती भी है।

विश्‍व में Technological परिवर्तन इतना हुआ है कि रेलवे को सुरक्षित बनाया जा सकता है। बहुत बड़ी मात्रा में बजट खर्च करके compartment हो तो उसको भी किस प्रकार से सुरक्षा दी जाए उसके लिए चिन्‍ता और व्‍यवस्‍थाएं आगे बढ़ रही हैं। Freight Corridor, रेल दुनिया में 70 प्रतिशत cargo, माल-सामान रेल से जाता है, 30 प्रतिशत रोड से जाता है। हमीं एक ऐसे देश हैं कि जहां 15-20% रेल से जाता है, 70-80% रोड से जाता है। और जब रोड से Cargo जाता है तो बहुत महंगा हो जाता है। अगर कोई सोचे कि गुजरात में पैदा होने वाला नमक जम्‍मू-कश्‍मीर तक जाएं और By Road जाएं तो वो इतना महंगा हो जाएगा कोई खरीद नहीं सकता। और इसलिए रेल के माध्‍यम से जितना ज्‍यादा Cargo Transport होगा, गरीब से गरीब व्‍यक्ति को सस्‍ता मिलेगा। और इसलिए Cargo को बढ़ाने की दिशा में काम चल रहा है।

मैंने रेलवे के लोगों को काम दिया था आते ही, मैंने कहा नमक जो रेलवे का Container होता है उसकी अपना weight 16 टन होता है और फिर उसमें मुश्किल से दो टन, तीन टन नमक आता है, मैंने कहा 16 टन का Container 6 टन का हो जाता है क्‍या? अगर वो 6 टन का हो जाए तो 12 टन नमक जाएगा और नमक जाएगा तो नमक जहां पहुंचेगा वहां मुफ्त में मिलना शुरू हो जाएगा और नमक पैदा करने वालों का नमक भी बहुत जल्‍दी पहुंच पाएगा। रेलवे ने design तैयार की है, नमक ले जाने के लिए कैसे Container हों ताकि weight कम हो। यानी एक-एक चीज को बारीकी से बदलाव करने की दिशा में रेलवे कार्यरत है।

और मुझे विश्‍वास है कि बहुत तेज गति से रेल बदल जाएगी। सामान्‍य मानवी को सुविधा तो बढ़ेगी, दूर-सुदूर इलाकों में रेलवे पहुंचेगी, भारत के बंदरों (बंदरगाहों) के साथ रेल जुड़ेगी, भारत की खदानों के साथ रेल जुड़ेगी, भारत के उपभोक्‍ता के साथ रेल जुड़ेगी लेकिन साथ-साथ आर्थिक दृष्टि से भी। रेलवे स्‍टेशन जो भी हैं, Heart of the City में हैं। वो जमीन इतनी valuable है लेकिन आसमान खाली पड़ा है। तो बड़ी समझदारी का विषय है कि भले ही नीचे रेल जाए अरे ऊपर एक दस मंजिला, 25 मंजिला चीजें बना दो, वहां पर Mall हो, Theater हो, Hotel हो, बाजार हो, रेल के ऊपर चलता रहेगा; नीचे रेल चलती जाएगी। जगह का double उपयोग होगा, रेल को Income बढ़ेगी, Investment करने वाले Investment करने आएंगे। गुजरात में हम लोगों ने सफल प्रयोग किया, Bus station का Public private partnership Model के आधार पर development किया। आज गरीब से गरीब बस अड्डे पर जाता है, उसको वही सुविधा मिलती है जो अमीर लोग Airport पर जाते हैं, वो गुजरात ने करके दिखाया है।

आने वाले दिनों में हिन्‍दुस्‍तान में हजारों रेलवे स्‍टेशन हैं, जिसका इस प्रकार का Development हो सकता है। आप सबको याद होगा जिस दिन ये महात्‍मा मन्दिर का शिलान्‍यास किया था, Golden Jubilee Year था गुजरात का, 2010 में; और पहली मई के दिन इसी जगह पर बोलते हुए मैंने कहा था कि महात्‍मा मन्दिर आज जो नींव डाली गई है और मैं साफ देख रहा हूं एक दिन ऐसा आएगा जब इसी महात्‍मा मन्दिर में विश्‍व के दिग्‍गज लोग बैठ करके विश्‍व शांति की चर्चा करते होंगे।

महात्‍मा गांधी के नाम से जुड़ा हुआ महात्‍मा मंदिर, लेकिन उस महात्‍मा मंदिर को तो हमने बना दिया इतना तेजी से बना दिया, अब उन व्‍यवस्‍थाओं की जरूरत है कि इस प्रकार के दुनिया के दिग्‍गज आ करके ठहरें, ये रेलवे स्‍टेशन पर जो होटल बन रहा है इसमें आने वाले लोग स्‍वाभाविक रूप से महात्‍मा मंदिर के Convention Centre का उपयोग करेंगे; रुकेंगे यहां meeting करेंगे वहां और Helipad Ground पर प्रदर्शनी होगी। यानी एक प्रकार से पूरा Corridor, रेलवे हो, महात्‍मा मंदिर हो, Helipad का इलाका हो, ये पूरा का पूरा एक पूरे हिन्‍दुस्‍तान की business activity का एक magnetic centre की संभावना मैं देख रहा हूं। और इसलिए रेलवे स्‍टेशन पर बन रहा Infrastructure रेलवे तो जा ही रही थी, जमीन पड़ी थी लेकिन उसका इसके साथ जोड़ करके उपयोग करना और जिसके कारण महात्‍मा मंदिर पर 365 दिन में 300 दिन तक busy रहे, ऐसी उसके साथ सीधी-सीधी संभावना बनी है। विश्‍व स्‍तर के कोई कार्यक्रम बनने हैं उसके लिए भी संभावना इसके साथ पैदा हो रही है और रेलवे के विकास का भी ये आधार बनती है।

ये हिन्‍दुस्‍तान का पहला प्रकल्‍प आज गांधीनगर शुरू हो रहा है। आने वाले दिनों में हिन्‍दुस्‍तान के और स्‍थान पर भी आगे बढ़ेगा। हमारे सुरेश प्रभु जी ने रेलवे स्‍टेशनों पर Wi-Fi की सुविधा दी है। Digital India का जो सपना है उसका पूरा करने की दिशा में काम हो रहा है। कुछ लोगों को ये हिन्‍दुस्‍तान के गरीब लोग हैं उनको क्‍या समझ और आपको हैरानी होगी भारत की रेलवे में 60-70 प्रतिशत लोग Online Ticket Purchase करते हैं, Sixty-Seventy Percent हुआ? Online Ticket Purchase करते हैं, ये हिन्‍दुस्‍तान की ताकत है।

सामान्‍य मानवी जो रेल जाता है वो भी आज Online Railway की Ticket booking करा रहा है और ले रहा है। Wi-Fi के कारण अनुभव है कि आज हिन्‍दुस्तान में और विश्‍व के सब लोगों का analyze है, Google के लोग आए तो वो चर्चा कर रहे थे, भारत के रेलवे स्‍टेशन पर Wi-Fi की जो capacity है वो शायद दुनिया में सबसे ज्‍यादा है, स्‍टेशन के इलाके में। और उसका परिणाम ये हुआ है कि बहुत सारे Students जो Online पढ़ाई करना पसंद करते हैं, चीजें download कर-करके education के लिए उपयोग करते हैं, वो कोशिश करते हैं कि रेलवे स्‍टेशन पर पहुंचा जाए और अपने Computer, Laptop पर बैठ करके वो मुफ्त का काम हो जाता है और उसको दुनिया की जो चीज चाहिए, उपलब्‍ध हो जाती है। यानी एक व्‍यवस्‍था कैसे बदलाव ला सकती है इसका उदाहरण ढाई साल के अंदर हिन्‍दुस्‍तान की रेलवे ने करके दिखाया है।

उसी के तहत आज गुजरात में पूरे देश के लिए उपयोगी ऐसा एक प्रकल्‍प का प्रारम्‍भ हो रहा है जो आने वाले दिनों में हिन्‍दुस्‍तान के और शहरों में भी होगा और रेलवे को नई ऊंचाइयों पर ले जाना, रेलवे को सामान्‍य मानवी की सुविधा का एक माध्‍यम बनाना और रेलवे है जो देश को गति भी देती है, रेलवे है जो देश को प्र‍गति भी देती है। मुझे मैं गुजरात के लोगों को, गांधीनगर के लोगों को और आज Vibrant Summit की पूर्व संध्‍या पर ये नजराना देते हुए बहुत गर्व और संतोष का भाव अनुभव करता हूं।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

Explore More
78ನೇ ಸ್ವಾತಂತ್ರ್ಯ ದಿನಾಚರಣೆಯ ಸಂದರ್ಭದಲ್ಲಿ ಕೆಂಪು ಕೋಟೆಯಿಂದ ಪ್ರಧಾನಮಂತ್ರಿ ಶ್ರೀ ನರೇಂದ್ರ ಮೋದಿ ಅವರು ಮಾಡಿದ ಭಾಷಣದ ಕನ್ನಡ ಅನುವಾದ

ಜನಪ್ರಿಯ ಭಾಷಣಗಳು

78ನೇ ಸ್ವಾತಂತ್ರ್ಯ ದಿನಾಚರಣೆಯ ಸಂದರ್ಭದಲ್ಲಿ ಕೆಂಪು ಕೋಟೆಯಿಂದ ಪ್ರಧಾನಮಂತ್ರಿ ಶ್ರೀ ನರೇಂದ್ರ ಮೋದಿ ಅವರು ಮಾಡಿದ ಭಾಷಣದ ಕನ್ನಡ ಅನುವಾದ
PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII

Media Coverage

PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।