I am proud to be a 'bhagidar' of the pain suffered by the poor: PM Modi

Published By : Admin | July 28, 2018 | 17:45 IST
Our pledge to make lives of Indians simple and comfortable has become stronger in last 3 years: PM Modi
We are bound to build a system for future generations, where life will be based on 5 Es: Ease of Living, Education, Employment, Economy and Entertainment: PM
By 2022 we want to ensure that everyone has a house of their own: PM Modi
PM Modi takes a jibe at Congress president's 'chowkidar-bhagidar remark, says “I am proud to be a 'bhagidar' of the pain suffered by the poor”
Through Smart city mission, we want to prepare our cities to deal with the new challenges of new India: PM Modi
Previous governments in Uttar Pradesh prioritised own bungalows over homes for poor: PM Modi

देश के अलग-अलग कोने से आए हुए सभी प्‍यारे भाइयो और बहनों।

उत्‍तर प्रदेश से मैं सांसद हूं और इसलिए सबसे पहले तो उत्‍तर प्रदेश के प्रतिनिधि के रूप में मैं आप सबका हृदय से स्‍वागत करता हूं। देश के अलग-अलग कोने से आप पधारे हैं, मुझे विश्‍वास है कि आपने इस ऐतिहासिक नगरी का, उसके आतिथ्‍य का और लखनवी लहजे का भी आनंद लिया होगा। साथियो, आप सभी इसी बदलाव को अंगीकार करने वाले, जमीन पर चीजों को उतारने वाली टोली हैं। मेयर हो, कमीश्‍नर हो या फिर CEO हो; आप देश के उन शहरों के प्रति‍निधि हैं जो नई सदी, नए भारत और नई जेनरेशन की आशा और आकांक्षाओं के भी प्रतीक हैं। बीते तीन वर्षों से आप करोड़ों देशवासियों के सपनों को साकार करने में कंधे से कंधा मिला करके हमारे साथ जुटे हैं।

कुछ देर पहले मुझे यहां जो प्रदर्शनी लगी, उसे देखने का अवसर मिला। वहां देशभर में चल रहे प्रोजेक्‍टस के बारे में जानकारी दी गई। Smart City Mission में बेहतरीन काम करने वाले कुछ शहरों को पुरस्‍कृत भी किया गया है। इसके अलावा कुछ भाई-बहनों और बेटियों को उनके अपने मकान की चाबियां भी सौंपी गईं और चाबियां मिलने पर जो चमक उनके चेहरे पर थी, उज्‍ज्‍वल भविष्‍य का जो आत्‍मविश्‍वास उनकी आंखों से झलक रहा था, वो हम सभी के लिए एक बहुत बड़ी प्रेरणा है।

ऐसे अनेक लाभार्थियों से यहां मंच पर आने से पहले मुझे बातचीत करने का मौका मिला। देश के गरीब, बेघर भाई-बहनों के जीवन को बदलने का ये अवसर और बदलते हुए देखना; ये सचमुच में जीवन में एक बहुत बड़ा संतोष देने वाला अनुभव है। जिन शहरों को पुरस्‍कार मिले हैं, उन शहरों के हर नागरिक को और जिनको अपना घर मिला है, उन सभी परिवारजनों को मेरी तरफ से बहुत-बहुत बधाई है, बहुत-बहुत शुभकामनाएं हैं।

लेकिन आप लोगों ने मार्क किया होगा जब मैं अवार्ड दे रहा था, सब लोग आ रहे थे, मार्क नहीं किया होगा; सिर्फ दो ही पुरुष मेयर हैं बाकी सारी महिला मेयरे हैं। हमारी बहनों ने जिस जीवट के साथ इस काम को किया है जरा तालियां उन बहनों के लिए।

साथियो, शहर के गरीब, बेघर को पक्‍का घर देने का अभियान हो, सौ स्‍मार्ट सिटी का काम हो या फिर 500 AMRUT Cities हों; करोड़ों देशवासियों को जीवन को सरल, सुगम और सुरक्षित बनाने का हमारा संकल्‍प हर तीन साल बाद और अधिक मजबूत हुआ है। आज भी यहां उत्‍तर प्रदेश के शहरों को स्‍मार्ट बनाने वाली अनेक योजनाओं का शिलान्‍यास किया गया है और मुझे बताया गया है कि स्‍मार्ट सिटी मिशन के तहत देशभर में लगभग सात हजार करोड़ रुपये से ज्‍यादा की योजनाओं पर काम पूरा हो चुका है और 52 हजार करोड़ रुपये से ज्‍यादा की योजनाओं पर काम तेज गति से चल रहा है। इस मिशन का लक्ष्‍य है शहरों में रहने वाले गरीब, निम्‍न-मध्‍यम वर्ग और मध्‍यम वर्ग के लोगों के जीवन को आसान बनाना, उन्‍हें बेहतर नागरिक सुविधाएं देना। स्‍मार्ट सिटी में इन सुविधाओं को देने के लिए integrated command centers; ये उनकी आत्‍मा की तरह है; यहीं से पूरे शहर की व्‍यवस्‍थाओं का संचालन होना है, शहर की गतिविधियों पर नजर रखी जानी है।

साथियो, मिशन के तहत चयनित 100 शहरों में से 11 शहरों में integrated command and control centers ने काम करना शुरू कर दिया है और अगले कुछ महीनों में ही 50 और शहरों में ये काम पूरा करने का प्रयास चल रहा है। ये प्रयास परिणाम भी देने लगे हैं और मुझे बताया गया है कि गुजरात में राजकोट शहर में इस टेक्‍नोलॉजी की व्‍यवस्‍था से जो कुछ परिस्थिति बदली है, पिछली दो quarter में क्राइम रेट में काफी बड़ी मात्रा में कमी आई है। सीसीटीवी कैमरे की निगरानी की वजह से गंदगी फैलाने और सार्वजनिक जगह पर कू़ड़ा जलाने जैसी कई प्रवृत्तियों में भी इसके कारण कमी आई है।

भोपाल में प्रॉपर्टी टैक्‍स कलेक्‍शन में इसके कारण वृद्धि देखी गई है। अहमदाबाद में बीआरटीएस कॉरिडोर- उसमें फ्री वाई-फाई से बसों में आने-जाने वालों की संख्‍या अपने-आप बढ़ने लगी है। विशापत्‍तनम में सीसीटीवी और जीपीएस से बसों को online track किया जा रहा है। पुणे में लगभग सवा सौ जगहों पर emergency call bells लगाए गए हैं] जहां एक बटन दबाने भर से ही नजदीकी पुलिस स्‍टेशन को सूचना मिल जाती है। ऐसी अनेक व्‍यवस्‍थाएं आज काम करना शुरू कर चुकी हैं। बहुत जल्‍द ही स्‍मार्ट सिटी मिशन के तहत उत्‍तर प्रदेश के आगरा, कानपुर, इलाहाबाद, अलीगढ़, वाराणसी, झांसी, बरेली, सहारनपुर, मुरादाबाद और ये हमारा लखनऊ; इसमें भी ऐसी सुविधाएं, आपको उसका लाभ मिलना शुरू हो जाएगा।

भाइयो और बहनों transforming the landscape of Urban India का हमारा मिशन और लखनऊ का बड़ा नजदीकी रिश्‍ता है। लखनऊ शहर देश के शहरी जीवन को नई दिशा देने वाले महापुरुष श्रीमान अटल बिहारी वाजपेयी जी की कर्मभूमि रही है। हमारे प्रेरणा स्रोत और देश के पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमान अटल बिहारी वाजपेयी जी का ये लम्‍बे समय तक संसदीय क्षेत्र रहा है। आजकल अटल जी की तबियत ठीक नहीं है। उनके जल्‍द स्‍वस्‍थ होने की कामना पूरा देश कर रहा है। लेकिन अटलजी ने जो बीड़ा उठाया था उसको एक अलग बुलंदी देने की तरफ हमारी सरकार, करोड़ों हिन्‍दुस्‍तानी तेज गति से उसके साथ जुड़ करके आगे बढ़ रहे हैं।

साथियो, अटलजी ने एक प्रकार से लखनऊ को देश के शहरी जीवन के सुधार की प्रयोगशाला बनाया था। आज आप यहां लखनऊ में जो flyover, bio technology park, scientific convention centers, ये जो आ देख रहे हैं, ये लखनऊ के इर्द-गिर्द लगभग 1000 गांवों को लखनऊ से जोड़ने वाली जो सड़कें देख रहे हैं। ऐसे तमाम काम लखनऊ में उनके एमपी के रूप में, उनका जो vision था; उसका परिणाम है। आज देश के 12 शहरों में मेट्रो या तो चल रही है या फिर जल्‍द शुरू होने वाली है। यहां लखनऊ में भी मेट्रो के विस्‍तार का काम चल रहा है। Urban transport में बहुत बड़ा परिवर्तन लाने वाली इस व्‍यवस्‍था को सबसे पहले दिल्‍ली में जमीन पर उतारने का काम भी अटल बिहार वाजपेयी जी ने किया था। दिल्‍ली मेट्रो की सफलता आज पूरे देश में दोहराई जा रही है।

साथियो, अटलजी कहा करते थे कि बिना पुराने को संवारे नया भी नहीं संवरेगा। ये बात उन्‍होंने पुराने और नए लखनऊ के संदर्भ में कही थी। यही आज के हमारे AMRUT और उसका नाम भी अटलजी से जुड़ा हुआ है; ये ‘अमृत’ जो हम कह रहे हैं- ‘अमृत योजना’- उसका पूरा शब्‍द है Atal Mission for rejuvenation and urban transformation, और स्‍मार्ट सिटी मिशन के लिए ये हमारी प्रेरणा है।

इसी सोच के साथ अनेक शहरों में दशकों पुरानी व्‍यवस्‍थाओं को सुधारा जा रहा है। इन शहरों में सीवरेज की व्‍यवस्‍था, पीने के पानी की व्‍यवस्‍था, स्‍ट्रीट लाइट में सुधार, झील, तालाब और पार्कों के सौन्‍दर्यीकरण की व्‍यवस्‍था, इसको बल दिया जा रहा है।

सा‍थियो, शहर की झुग्गियों में खुले में जीवन बसर करने वाले गरीब, बेघर भाई-बहनों को उनका अपना घर देने की योजना आज चल रही है, इसकी शुरूआत भी अटलजी ने ही की थी। साल 2001 में बाल्मिकी-अम्‍बेडकर आवास योजना देशभर में अटलजी ने प्रारंभ की थी। यहीं, लखनऊ में ही इस योजना के तहत करीब 10 हजार भाई-बहनों को अपना मकान मिला था। आज जो योजनाएं चल रही हैं, उसके मूल में भावना वही है, लेकिन हमने speed, scale और quality of living को हम एक अलग स्‍तर पर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं। सरकार 2022 तक हर सिर पर छत देने का प्रयास कर रही है। जब आजादी के 75 साल हों, तब हिन्‍दुसतान में कोई परिवार ऐसा न हो, जिसका अपना घर न हो।

इसी लक्ष्‍य को ध्‍यान में रखते हुए बीते तीन वर्षों में शहरी इलाकों में 54 लाख मकान स्‍वीकृत किए जा चुके हैं। सिर्फ शहरों में ही नहीं, गांवों में भी एक करोड़ से अधिक मकान जनता को सौंपे जा चुके हैं। आज जो मकान बन रहे हैं उनमें शौचालय भी है, सौभाग्‍य योजना के तहत बिजली भी है, उजाला के तहत एलईडी बल्‍ब भी लगा है; यानी एक पूरा पैकेज उनको मिल रहा है। इन घरों के लिए सरकार ब्‍याज में राहत तो दे ही रही है, पहले के मुकाबले अब घरों का एरिया भी बढ़ा दिया गया है।

सा‍थियो, ये जो मकान दिए जा रहे हैं, ये सिर्फ गरीब बेघर के सिर पर छत ही नहीं है बल्कि महिलाओं के सशक्तिकरण का ये जीता-जागता सबूत है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत जो भी मकान दिए जा रहे हैं, माताओं और बहनों के नाम पर दिए जा रहे हैं। इस योजना के तहत करीब 87 लाख मकानों की रजिस्‍ट्री महिलाओं के नाम पर या फिर साझेदारी में की जा चुकी है। वरना हमारी सामाजिक व्‍यवस्‍था कैसी रही- किसी भी परिवार में जाइए, जमीन किसके नाम पर- पति के नाम पर, पिता के नाम पर, बेटे के नाम पर। घर किसके नाम पर- पति के नाम पर, बेटे के नाम पर। स्‍कूटर लाया किसके नाम पर- बेटे के नाम पर; उस महिला के नाम पर कुछ नहीं है।

स्थिति को हमने बदला है। और पहले वो हमारे यहां तो कहा भी जाता था- अब गली से गुजरने वाले से ये नहीं पूछेंगे कि फलां मकान का मालिक कौन है बल्कि ये पूछेंगे कि इस मकान की मालकिन कौन है? ये बदलाव समाज की सोच में आने वाला है।

मैं योगीजी और उनकी सरकार को बधाई देता हूं कि वो गरीब के जीवन स्‍तर को ऊपर उठाने वाली इस योजना को तेज गति से आगे बढ़ा रहे हैं। वरना मुझे इससे पहले की सरकार का भी अनुभव है। 2014 के बाद योगीजी आने तक वो दिन कैसे रहे हैं, मैं भलीभांति जानता हूं और मैं जनता को बार-बार याद दिलाता हूं। गरीबों के घर के लिए कैसे हमें केंद्र से बार-बार चिट्ठियां लिखनी पड़ती थीं, जब भी मिलना हो तो बात करनी पड़ती थी- अरे भाई कुछ करो, हम पैसे देने को तैयार हैं। उनको आग्रह करना पड़ता था। लेकिन वो सरकारें ही ऐसी थीं, वो लोग भी ऐसे ही थे। वो अपनी कार्य-परम्‍परा को छोड़ने के लिए तैयार ही नहीं होते थे। उन्‍हें तो one point programme था, अपने बंगले को सजाना-संवारना। अब उसमें फुरसत मिले तभी तो गरीब का घर बनेगा ना।

आज एक और बात कहना चाहता हूं, और उत्‍तर प्रदेश ने मुझे सांसद बनाया है तो ये बात मुझे उत्‍तर प्रदेश के लोगों से तो शेयर करनी चाहिए क्‍योंकि आपका हक बनता है। आपने सुना होगा इन दिनों मुझ पर एक इल्‍जाम लगाया गया है। और इल्‍जाम ये है कि मैं चौकीदार नहीं हूं, मैं भागीदार हूं।

लेकिन मेरे उत्‍तर प्रदेश के भाइयो-बहनों और मेरे देशवासियों, मैं इस इल्‍जाम को ईनाम मानता हूं और मुझे गर्व है कि मैं भागीदार हूं। मैं देश के गरीबों के दुख का भागीदार हूं, मैं मेहनतकश मजदूरों का भागीदार हूं, मैं हर दुखियारी मां की तकलीफों का भागीदार हूं। मैं भागीदार हूं उस मां की पीड़ा का जो इधर-उधर से लकड़ी और गोबर बीनकर चूल्‍हे के धुंए में अपनी आंखों और सेहत को खराब करती है। मैं उस हर मां का चूल्‍हा बदल देना चाहता हूं।

मैं भागीदार हूं उस किसान के दर्द का जिसकी फसल सूखे में या पानी में बर्बाद हो जाती है और वो हताश हो जाता है। मैं उस किसान की आर्थिक सुरक्षा करने का भागीदार हूं।

मैं भागीदार हूं अपने उन बहादुर जवानों के उस जुनून का जो सियाचिन और कारगिल की हड्डी गला देने वाली ठंड से ले करके जैसलमेर और कच्‍छ की चमड़ी झुलसाने वाले तपते रेगिस्‍तान में हमारी सुरक्षा के लिए अपना सब कुछ न्‍यौच्‍छावर करने को तैयार रहते हैं।

मैं भागीदार हूं उस गरीब परिवार की पीड़ा का जो अपने घर में बीमार पड़े व्‍यक्ति का इलाज कराने में अपनी जमीन तक बेचने को मजबूर हो जाता है। मैं उस परिवार के लिए सोचता हूं और उसकी सेवा के लिए काम करता हूं।

मैं भागीदार हूं, मैं भागीदार हूं उस कोशिश का जो इसलिए है कि गरीबों के सिर पर छत हो, उन्‍हें घर मिले, उस घर में उन्‍हें शौचालय मिले, पीने के लिए साफ पानी मिले, बिजली मिले। उन्‍हें बीमार होने पर सस्‍ती दवाइयां और इलाज मिले, बच्‍चों को शिक्षा मिलें।

मैं भागीदार हूं, उस कोशिश को जिससे हमारे युवाओं को हुनर मिले, नौकरियां मिलें, अपना रोजगार करने में मदद मिले। हमारे हवाई चप्‍पल पहनने वाले साधारण नागरिक को हवाई यात्रा की सुविधा मिले, ये मैं देखना चाहता हूं।

मुझे गर्व है कि मैं भागीदार हूं, जैसा कि मुझे गर्व है कि मैं एक गरीब मां का बेटा हूं। गरीबी ने मुझे ईमानदारी और हिम्‍मत दी है। गरीबी की मार ने मुझे जिंदगी जीना सिखाया है। मैंने गरीबी की मार को झेला है, गरीब का दुख-दर्द मैंने करीब से देखा है। हमारे यहां कहा जाता है- ‘जिसके पांव न फटी बिवाई, सो क्‍या जाने पीर पराई।‘ जिसने भोगा है वही तकलीफ जानता है और तकलीफ का जमीन से जुड़ा समाधान जानता है।

इससे पहले मुझ पर यह भी इल्‍जाम लगाया गया था कि मैं चायवाला, मैं अपने देश का प्रधान सेवक कैसे हो सकता हूं? लेकिन ये निर्णय वो लोग नहीं ले सकते हैं, ये निर्णय देश की सवा सौ करोड़ की जनता लेगी। साथियो, भागीदारी को अपमानित करने वाले, यही सोच आज के हमारे शहरों की समस्‍याओं की जड़ में भी उसी सोच के नतीजे हैं, उसी की बू आ रही है।

स्‍मार्ट सिटी के लिए हमारे पास प्रेरणाएं भी थीं और पुरुषार्थ करने वाले लोग भी थे। आज खुदाई में मिलने वाले पुराने शहर उदाहरण हैं कि किस प्रकार हमारे पूर्वज शहरों की रचना करते थे। किस प्रकार से उस जमाने में, सदियों पहले, एक प्रकार की उस युग की स्‍मार्ट सिटी के पेरोकार भी रहे हैं और शिल्‍पकार भी रहे हैं। लेकिन राजनीति की इच्‍छाशक्ति और सम्‍पूर्णता की सोच के अभाव ने एक बड़ा नुकसान किया।

आजादी के बाद जब नए सिरे से राष्‍ट्र निर्माण का दायित्‍व हमारे कंधे पर था, जब जनसंख्‍या का उतना दबाव भी नहीं था; तब हमारे शहरों को भविष्‍य की आवश्‍यकताओं के हिसाब से बसाने का एक बहुत बड़ा अवसर था। आज जितनी दिक्‍कतें उस समय नहीं थीं, अगर उसी समय प्‍लान-वे में काम किया होता तो आज जो मुसीबतें झेलनी पड़ रही हैं, वो नहीं झेलनी पड़तीं। लेकिन बेतरतीब तरीके से शहरों को जो जहां जिसको फैलना था फैलने दिया गया। जाओ, देखो, मेरा घर भरो, तुम अपना कहीं जाओ। एक प्रकार से कंक्रीट का एक जंगल विकसित होने दिया गया। इसका परिणाम आज हिन्‍दुस्‍तान का हर शहर भुगत रहा है।

साथियो, एक पूरी पीढ़ी इन अव्‍यवस्‍थाओं से जूझते हुए निकल गई और कहीं-कहीं तो दो-दो, तीन-तीन पीढ़ियां निकल गईं और दूसरी इसके कटु अनुभवों का बोझ ले करके चल रही है। और जानकार लोंगों की उम्‍मीद है और वो जाता रहे हैं कि आज लगभग साढ़े सात प्रतिशत की रफ्तार से विकसित होता भारत आने वाले वर्षों में और तेजी से आगे बढ़ने वाला है। ऐसे में देश का वो हिस्‍सा जिसकी जीडीपी में 65 प्रतिशत से अधिक की हिस्‍सेदारी है, जो एक प्रकार से ग्रोथ का इंजन है, वो अगर अव्‍यवस्थित रहें तो हमारी कैसी रुकावटें खड़ी होंगी ये हम अंदाज लगा सकते हैं और इसलिए इन व्‍यवस्‍थाओं को व्‍यवस्थित करना अनिवार्य है।

लटकते तार, गंदा पानी उगलते सीवर, घंटों तक लगते ट्रैफिक जाम; ऐसी तमाम अव्‍यवस्‍थाएं 21वीं सदी के भारत का परिभाषित नहीं कर सकतीं। इसी सोच के साथ तीन वर्ष पहले इस मिशन की नींव रखी गई थी। देश के 100 शहरों को इसके लिए चुना गया और तय किया गया कि दो लाख करोड़ से अधिक के निवेश से इन्‍हें विकसित किया गया जाएगा। विकास भी ऐसा कि जहां शरीर नया हो लेकिन आत्‍मा वही हो, संस्‍कृति जहां की पहचान होगी; स्‍मार्टनेस, ये उसकी जिंदगी होगी। ऐसे जीवंत शहर विकसित करने की तरफ हम तेज गति से आगे बढ़ रहे हैं।

साथियों, हमारी सरकार के लिए स्‍मार्ट सिटी सिर्फ एक प्रोजेक्‍ट नहीं है बल्कि हमारे लिए एक मिशन है। Mission to transformation, mission to transform, mission to transform the nation, ये मिशन हमारे शहरों को न्‍यू इंडिया की नई चुनौतियों से निपटने के लिए तैयार करेगा। 21वीं सदी के भारत में विश्‍वस्‍तरीय intelligent urban centers खड़ा करेगा। ये देश के उस युवा की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्‍व करते हैं जो सिर्फ बेहतर नहीं बल्कि बेस्‍ट चाहते हैं। ये हमारी जिम्‍मेदारी है, ये हमारी प्रतिबद्धता है कि इसी जेनेरेशन के लिए भविष्‍य की व्‍यवस्‍थाओं का निर्माण हो। यहां जीवन Five E पर आधारित हो और Five E यानी Ease of living, Education, Employment, Economy and Entertainment.

और जब भी मैं आप जैसे लोगों जैसे शहर के मेयर से, म्‍युनिसिपल कमीश्‍नर या CEO से बातचीत करता हूं तो एक नई आशा सामने आती है। स्‍मार्ट सिटी मिशन की प्रक्रिया का ढांचा जन-सहभाग, जन-आकांक्षा और जन-दायित्‍व; इन तीनों पर आधारित है। अपने शहर में इस तरह की योजनाएं शुरू हों, ये शहर के लोगों ने खुद तय किया है। उनके ही विचार शहरों के स्‍मार्ट सिटी विजन के आधार बने हैं और इन पर आज तेज गति से काम चल रहा है।

मुझे इस बात की भी प्रसन्‍नता है कि न सिर्फ यहां नई व्‍यवस्‍थाओं का निर्माण हो रहा है बल्कि फंडिंग की वैकल्पिक व्‍यवस्‍था भी की जा रही है। पुणे, हैदराबाद और इंदौर ने म्‍युनिसिपल बॉन्‍ड के माध्‍यम से लगभग साढ़े पांच सौ करोड़ रुपये जुटाए। अब लखनऊ और गाजियाबाद में भी बहुत जल्‍द ये प्रक्रिया शुरू होने जा रही है। ये म्‍युनिसिपल बॉन्‍ड्स सरकारों पर आर्थिक निर्भरता को भी कम करने का काम करेंगे। मेरा बाकी शहरों से भी आग्रह है वो इस प्रकार के initiative के लिए आगे आएं।

साथियो, शहरों का स्‍मार्ट होना, सिस्‍टम का टेक्‍नोलॉजी से जुड़ना, ये ease of living को सुनिश्चित कर रहे हैं। आज आप अनुभव कर सकते हैं कि किस प्रकार सेवाएं ऑनलाइन हुई हैं, जिसके कारण अब सामान्‍य जन को कतार में खड़ा नहीं होना पड़ता। ये कतारें भी तो करप्‍शन की जड़ थीं। आज आपको कोई बिल भरना हो, किसी सुविधा के लिए एप्‍लाई करना हो, कोई सर्टिफिकेट चाहिए, या फिर छात्रवृत्ति, पेंशन, प्रॉविडेंट फंड जैसी अनेक सुविधाएं आज ऑनलाइन हैं; यानि आज governance भी स्‍मार्ट हो रहा है जिससे transparency सुनिश्चित हुई है। और इसकी वजह से करप्‍शन में बहुत बड़ी कमी आ रही है।

साथियो, smart, secure, sustainable और transparent व्‍यवस्‍थाएं देश के करोड़ों लोगों के जीवन में परिवर्तन ला रही हैं। ये जो भी सिस्‍टम बनाया जा रहा है ये सबके लिए है। इसमें ऊंच-नीच, पंत, सम्‍प्रदाय, छोटे-बड़े, ऐसी कोई सीमाएं नहीं हैं, न वो आधार है; सिर्फ और सिर्फ विकास, यही एक मंत्र है। कोई भेद नहीं, कोई भेदभाव नहीं। जन भागीदारी, राज्‍यों की भागीदारी, स्‍थानीय निकायों की भागीदारी से ये सब कुछ संभव हो सकता है। ‘सबका साथ-सबका विकास’ और टीम इंडिया की ही भावना न्‍यू इंडिया के संकल्‍प को सिद्ध करने वाली है।

और मैं आज योगीजी से जब बात कर रहा तो उन्‍होंने एक अच्‍छी खबर सुनाई। देखिए, कुछ बातें ऐसी हैं जो देश में अगर हम हमारे देश के नागरिकों पर भरोसा करें, कैसा अद्भुत काम कर सकते हैं। और दुर्भाग्‍य है कि पहले नेताओं को वोट लेते समय नागरिक याद आते थे। अगर हम सचमुच में नागरिकों की शक्ति और सद्भावनाओं को देखें और उसको टटोलें तो कैसा परिणाम मिलता है, योगीजी मुझे बता रहे थे। आपको मालूम है मैंने एक बार 15 अगस्‍त पर लालकिले से कहा था- कि अगर आप कमाते-धमाते हैं, एक गैस की सब्सिडी में क्‍या रखा है, क्‍यों लेते हो वो गैस की सब्सिडी? इस देश में सब्सिडी राजनीति से ऐसी जुड़ गई है, कोई ऐसी बात कहने की हिम्‍मत नहीं करता; हमने की और देश को गर्व होना चाहिए करीब-करीब सवा करोड़ परिवारों ने गैस सब्सिडी छोड़ दी।

अब वो तो बात लालकिले से बोला था लेकिन देश का मिजाज देखिए- रेलवे वालों ने अपना जो रिजर्वेशन फॉर्म होता है उसमें एक कॉलम बनाई है अभी, नई-नई कॉलम बनाई है, अभी कुछ महीने पहले बनाई है। ज्‍यादा एडवरटाइजमेंट भी नहीं किया है, ऐसे ही लिख दिया है। और उसमें हमें मालूम है कि रेलवे में जो सीनियर सिटिजन यात्रा करते हैं उनको concession मिलता है, सब्सिडी मिलती है। क्‍या कमाते-धमाते हैं, कुछ नहीं, आपकी उम्र इतनी हो गई आपको ये लाभ मिलेगा। उन्‍होंने लिखा- कि अगर आपको, आप कमाते-धमाते हैं और अगर आप ये जो सब्सिडी है, छोड़ना चाहते हैं, इस कॉलम में Tick mark करिए। मैं- जान करके मुझे खुशी हुई, इतने कम समय में कोई एडवरटाइजमेंट नहीं, किसी नेता का बयान नहीं, कुछ नहीं; इस देश के 40 लाख से ज्‍यादा लोगों ने रेलवे यात्रा की अपनी सब्सिडी छोड़ दी; ये छोटी बात नहीं है।

आज मुझे योगीजी ने बताया कि उत्‍तर प्रदेश में गांवों में जो लोगों को आवास मिले थे पुराने, कुछ लोगों की आर्थिक स्थिति बदली, कुछ लोग वहां से कुछ शहर में चले गए बेटे रोजी-रोटी कमाने गए तो, वहां settle हो गए। और उत्‍तर प्रदेश सरकार ने request की लोगों को कि अगर आपकी स्थिति में बदलाव आया है और आपके पास पहले सरकार का दिया हुआ मकान है; अगर आप वो मकान सरकार को वापिस दें तो हम किसी गरीब को allot करना चाहते हैं। मेरे लिए इतनी खुशी की बात है कि मेरे उत्‍तर प्रदेश के गांवों के 46 हजार (forty six thousand) लोगों ने अपने घर वापिस दे दिए। ये छोटी बात नहीं है जी।

हमारे देश में ऐसी मानसिकता बनी हुई थी कि जैसे सब लोग चोर हैं, सब ऐसा करोगे। ये तो, कोई जरूरत नहीं है, हम देश के नागरिकों पर भरोसा करें, देश चलाने के लिए हमसे भी ज्‍यादा ताकत मेरे देशवासियों में है, ये हम में विश्‍वास होना चाहिए। देश को बदलने के लिए किस प्रकार से लोग आगे आ रहे हैं, एक ईमानदारी का माहौल बना है। पहले की तुलना में अब ज्‍यादा लोग टैक्‍स देने के लिए आ रहे हैं। नगर के अंदर सुविधाएं अगर दिखती हैं तो लोग टैक्‍स देने के लिए तैयार हो रहे हैं। उसको भरोसा हुआ है कि पाई-पाई सही जगह पर खर्च होगी, खुद के बंगलों पर खर्च नहीं होगी तो देश का सामान्‍य मानवी पैसे देने के लिए तैयार हो गया है।

और इसलिए सब फिर से एक बार आप सभी को इस मिशन के लिए, जो काम आप लोगों ने किया है और जो हमारे देश नगर निगम से सभी महानुभाव आए हैं, उनको भी। मुझे विश्‍वास है कि अगली बार और भी शहर आगे आएंगे, जो आगे निकल चुके हैं-निकल चुके हैं लेकिन नए लोग आगे आएंगे। नए शहरों में क्षमता पड़ी है, लीडरशिप दीजिए। वहां के कमीश्‍नर हों, वहां के मेयर हों, वहां के CEO हों- जरा जी-जान से एक टारगेट तय कीजिए। आपको भी सम्‍मानित करने के लिए मैं इंतजार कर रहा हूं। अब मुझे आपको सम्‍मानित करने का मौका दीजिए। मैं हिन्‍दुस्तान के सभी शहरों को निमंत्रित करता हूं, मैं समाने से आपका सम्‍मान करना चाहता हूं, मुझे आपका सम्‍मान करने का अवसर दीजिए, इतना उत्‍तम काम करके आइए।

फिर एक बार सफल होने वालों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं, सफलता के लिए प्रयत्‍न करने वालों को भी बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

बहुत-बहुत धन्‍यवाद।

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Text of PM Modi's address at the Parliament of Guyana
November 21, 2024

Hon’ble Speaker, मंज़ूर नादिर जी,
Hon’ble Prime Minister,मार्क एंथनी फिलिप्स जी,
Hon’ble, वाइस प्रेसिडेंट भरत जगदेव जी,
Hon’ble Leader of the Opposition,
Hon’ble Ministers,
Members of the Parliament,
Hon’ble The चांसलर ऑफ द ज्यूडिशियरी,
अन्य महानुभाव,
देवियों और सज्जनों,

गयाना की इस ऐतिहासिक पार्लियामेंट में, आप सभी ने मुझे अपने बीच आने के लिए निमंत्रित किया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। कल ही गयाना ने मुझे अपना सर्वोच्च सम्मान दिया है। मैं इस सम्मान के लिए भी आप सभी का, गयाना के हर नागरिक का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं। गयाना का हर नागरिक मेरे लिए ‘स्टार बाई’ है। यहां के सभी नागरिकों को धन्यवाद! ये सम्मान मैं भारत के प्रत्येक नागरिक को समर्पित करता हूं।

साथियों,

भारत और गयाना का नाता बहुत गहरा है। ये रिश्ता, मिट्टी का है, पसीने का है,परिश्रम का है करीब 180 साल पहले, किसी भारतीय का पहली बार गयाना की धरती पर कदम पड़ा था। उसके बाद दुख में,सुख में,कोई भी परिस्थिति हो, भारत और गयाना का रिश्ता, आत्मीयता से भरा रहा है। India Arrival Monument इसी आत्मीय जुड़ाव का प्रतीक है। अब से कुछ देर बाद, मैं वहां जाने वाला हूं,

साथियों,

आज मैं भारत के प्रधानमंत्री के रूप में आपके बीच हूं, लेकिन 24 साल पहले एक जिज्ञासु के रूप में मुझे इस खूबसूरत देश में आने का अवसर मिला था। आमतौर पर लोग ऐसे देशों में जाना पसंद करते हैं, जहां तामझाम हो, चकाचौंध हो। लेकिन मुझे गयाना की विरासत को, यहां के इतिहास को जानना था,समझना था, आज भी गयाना में कई लोग मिल जाएंगे, जिन्हें मुझसे हुई मुलाकातें याद होंगीं, मेरी तब की यात्रा से बहुत सी यादें जुड़ी हुई हैं, यहां क्रिकेट का पैशन, यहां का गीत-संगीत, और जो बात मैं कभी नहीं भूल सकता, वो है चटनी, चटनी भारत की हो या फिर गयाना की, वाकई कमाल की होती है,

साथियों,

बहुत कम ऐसा होता है, जब आप किसी दूसरे देश में जाएं,और वहां का इतिहास आपको अपने देश के इतिहास जैसा लगे,पिछले दो-ढाई सौ साल में भारत और गयाना ने एक जैसी गुलामी देखी, एक जैसा संघर्ष देखा, दोनों ही देशों में गुलामी से मुक्ति की एक जैसी ही छटपटाहट भी थी, आजादी की लड़ाई में यहां भी,औऱ वहां भी, कितने ही लोगों ने अपना जीवन समर्पित कर दिया, यहां गांधी जी के करीबी सी एफ एंड्रूज हों, ईस्ट इंडियन एसोसिएशन के अध्यक्ष जंग बहादुर सिंह हों, सभी ने गुलामी से मुक्ति की ये लड़ाई मिलकर लड़ी,आजादी पाई। औऱ आज हम दोनों ही देश,दुनिया में डेमोक्रेसी को मज़बूत कर रहे हैं। इसलिए आज गयाना की संसद में, मैं आप सभी का,140 करोड़ भारतवासियों की तरफ से अभिनंदन करता हूं, मैं गयाना संसद के हर प्रतिनिधि को बधाई देता हूं। गयाना में डेमोक्रेसी को मजबूत करने के लिए आपका हर प्रयास, दुनिया के विकास को मजबूत कर रहा है।

साथियों,

डेमोक्रेसी को मजबूत बनाने के प्रयासों के बीच, हमें आज वैश्विक परिस्थितियों पर भी लगातार नजर ऱखनी है। जब भारत और गयाना आजाद हुए थे, तो दुनिया के सामने अलग तरह की चुनौतियां थीं। आज 21वीं सदी की दुनिया के सामने, अलग तरह की चुनौतियां हैं।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद बनी व्यवस्थाएं और संस्थाएं,ध्वस्त हो रही हैं, कोरोना के बाद जहां एक नए वर्ल्ड ऑर्डर की तरफ बढ़ना था, दुनिया दूसरी ही चीजों में उलझ गई, इन परिस्थितियों में,आज विश्व के सामने, आगे बढ़ने का सबसे मजबूत मंत्र है-"Democracy First- Humanity First” "Democracy First की भावना हमें सिखाती है कि सबको साथ लेकर चलो,सबको साथ लेकर सबके विकास में सहभागी बनो। Humanity First” की भावना हमारे निर्णयों की दिशा तय करती है, जब हम Humanity First को अपने निर्णयों का आधार बनाते हैं, तो नतीजे भी मानवता का हित करने वाले होते हैं।

साथियों,

हमारी डेमोक्रेटिक वैल्यूज इतनी मजबूत हैं कि विकास के रास्ते पर चलते हुए हर उतार-चढ़ाव में हमारा संबल बनती हैं। एक इंक्लूसिव सोसायटी के निर्माण में डेमोक्रेसी से बड़ा कोई माध्यम नहीं। नागरिकों का कोई भी मत-पंथ हो, उसका कोई भी बैकग्राउंड हो, डेमोक्रेसी हर नागरिक को उसके अधिकारों की रक्षा की,उसके उज्जवल भविष्य की गारंटी देती है। और हम दोनों देशों ने मिलकर दिखाया है कि डेमोक्रेसी सिर्फ एक कानून नहीं है,सिर्फ एक व्यवस्था नहीं है, हमने दिखाया है कि डेमोक्रेसी हमारे DNA में है, हमारे विजन में है, हमारे आचार-व्यवहार में है।

साथियों,

हमारी ह्यूमन सेंट्रिक अप्रोच,हमें सिखाती है कि हर देश,हर देश के नागरिक उतने ही अहम हैं, इसलिए, जब विश्व को एकजुट करने की बात आई, तब भारत ने अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान One Earth, One Family, One Future का मंत्र दिया। जब कोरोना का संकट आया, पूरी मानवता के सामने चुनौती आई, तब भारत ने One Earth, One Health का संदेश दिया। जब क्लाइमेट से जुड़े challenges में हर देश के प्रयासों को जोड़ना था, तब भारत ने वन वर्ल्ड, वन सन, वन ग्रिड का विजन रखा, जब दुनिया को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हुए, तब भारत ने CDRI यानि कोएलिशन फॉर डिज़ास्टर रज़ीलिएंट इंफ्रास्ट्रक्चर का initiative लिया। जब दुनिया में pro-planet people का एक बड़ा नेटवर्क तैयार करना था, तब भारत ने मिशन LiFE जैसा एक global movement शुरु किया,

साथियों,

"Democracy First- Humanity First” की इसी भावना पर चलते हुए, आज भारत विश्वबंधु के रूप में विश्व के प्रति अपना कर्तव्य निभा रहा है। दुनिया के किसी भी देश में कोई भी संकट हो, हमारा ईमानदार प्रयास होता है कि हम फर्स्ट रिस्पॉन्डर बनकर वहां पहुंचे। आपने कोरोना का वो दौर देखा है, जब हर देश अपने-अपने बचाव में ही जुटा था। तब भारत ने दुनिया के डेढ़ सौ से अधिक देशों के साथ दवाएं और वैक्सीन्स शेयर कीं। मुझे संतोष है कि भारत, उस मुश्किल दौर में गयाना की जनता को भी मदद पहुंचा सका। दुनिया में जहां-जहां युद्ध की स्थिति आई,भारत राहत और बचाव के लिए आगे आया। श्रीलंका हो, मालदीव हो, जिन भी देशों में संकट आया, भारत ने आगे बढ़कर बिना स्वार्थ के मदद की, नेपाल से लेकर तुर्की और सीरिया तक, जहां-जहां भूकंप आए, भारत सबसे पहले पहुंचा है। यही तो हमारे संस्कार हैं, हम कभी भी स्वार्थ के साथ आगे नहीं बढ़े, हम कभी भी विस्तारवाद की भावना से आगे नहीं बढ़े। हम Resources पर कब्जे की, Resources को हड़पने की भावना से हमेशा दूर रहे हैं। मैं मानता हूं,स्पेस हो,Sea हो, ये यूनीवर्सल कन्फ्लिक्ट के नहीं बल्कि यूनिवर्सल को-ऑपरेशन के विषय होने चाहिए। दुनिया के लिए भी ये समय,Conflict का नहीं है, ये समय, Conflict पैदा करने वाली Conditions को पहचानने और उनको दूर करने का है। आज टेरेरिज्म, ड्रग्स, सायबर क्राइम, ऐसी कितनी ही चुनौतियां हैं, जिनसे मुकाबला करके ही हम अपनी आने वाली पीढ़ियों का भविष्य संवार पाएंगे। और ये तभी संभव है, जब हम Democracy First- Humanity First को सेंटर स्टेज देंगे।

साथियों,

भारत ने हमेशा principles के आधार पर, trust और transparency के आधार पर ही अपनी बात की है। एक भी देश, एक भी रीजन पीछे रह गया, तो हमारे global goals कभी हासिल नहीं हो पाएंगे। तभी भारत कहता है – Every Nation Matters ! इसलिए भारत, आयलैंड नेशन्स को Small Island Nations नहीं बल्कि Large ओशिन कंट्रीज़ मानता है। इसी भाव के तहत हमने इंडियन ओशन से जुड़े आयलैंड देशों के लिए सागर Platform बनाया। हमने पैसिफिक ओशन के देशों को जोड़ने के लिए भी विशेष फोरम बनाया है। इसी नेक नीयत से भारत ने जी-20 की प्रेसिडेंसी के दौरान अफ्रीकन यूनियन को जी-20 में शामिल कराकर अपना कर्तव्य निभाया।

साथियों,

आज भारत, हर तरह से वैश्विक विकास के पक्ष में खड़ा है,शांति के पक्ष में खड़ा है, इसी भावना के साथ आज भारत, ग्लोबल साउथ की भी आवाज बना है। भारत का मत है कि ग्लोबल साउथ ने अतीत में बहुत कुछ भुगता है। हमने अतीत में अपने स्वभाव औऱ संस्कारों के मुताबिक प्रकृति को सुरक्षित रखते हुए प्रगति की। लेकिन कई देशों ने Environment को नुकसान पहुंचाते हुए अपना विकास किया। आज क्लाइमेट चेंज की सबसे बड़ी कीमत, ग्लोबल साउथ के देशों को चुकानी पड़ रही है। इस असंतुलन से दुनिया को निकालना बहुत आवश्यक है।

साथियों,

भारत हो, गयाना हो, हमारी भी विकास की आकांक्षाएं हैं, हमारे सामने अपने लोगों के लिए बेहतर जीवन देने के सपने हैं। इसके लिए ग्लोबल साउथ की एकजुट आवाज़ बहुत ज़रूरी है। ये समय ग्लोबल साउथ के देशों की Awakening का समय है। ये समय हमें एक Opportunity दे रहा है कि हम एक साथ मिलकर एक नया ग्लोबल ऑर्डर बनाएं। और मैं इसमें गयाना की,आप सभी जनप्रतिनिधियों की भी बड़ी भूमिका देख रहा हूं।

साथियों,

यहां अनेक women members मौजूद हैं। दुनिया के फ्यूचर को, फ्यूचर ग्रोथ को, प्रभावित करने वाला एक बहुत बड़ा फैक्टर दुनिया की आधी आबादी है। बीती सदियों में महिलाओं को Global growth में कंट्रीब्यूट करने का पूरा मौका नहीं मिल पाया। इसके कई कारण रहे हैं। ये किसी एक देश की नहीं,सिर्फ ग्लोबल साउथ की नहीं,बल्कि ये पूरी दुनिया की कहानी है।
लेकिन 21st सेंचुरी में, global prosperity सुनिश्चित करने में महिलाओं की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसलिए, अपनी G-20 प्रेसीडेंसी के दौरान, भारत ने Women Led Development को एक बड़ा एजेंडा बनाया था।

साथियों,

भारत में हमने हर सेक्टर में, हर स्तर पर, लीडरशिप की भूमिका देने का एक बड़ा अभियान चलाया है। भारत में हर सेक्टर में आज महिलाएं आगे आ रही हैं। पूरी दुनिया में जितने पायलट्स हैं, उनमें से सिर्फ 5 परसेंट महिलाएं हैं। जबकि भारत में जितने पायलट्स हैं, उनमें से 15 परसेंट महिलाएं हैं। भारत में बड़ी संख्या में फाइटर पायलट्स महिलाएं हैं। दुनिया के विकसित देशों में भी साइंस, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स यानि STEM graduates में 30-35 परसेंट ही women हैं। भारत में ये संख्या फोर्टी परसेंट से भी ऊपर पहुंच चुकी है। आज भारत के बड़े-बड़े स्पेस मिशन की कमान महिला वैज्ञानिक संभाल रही हैं। आपको ये जानकर भी खुशी होगी कि भारत ने अपनी पार्लियामेंट में महिलाओं को रिजर्वेशन देने का भी कानून पास किया है। आज भारत में डेमोक्रेटिक गवर्नेंस के अलग-अलग लेवल्स पर महिलाओं का प्रतिनिधित्व है। हमारे यहां लोकल लेवल पर पंचायती राज है, लोकल बॉड़ीज़ हैं। हमारे पंचायती राज सिस्टम में 14 लाख से ज्यादा यानि One point four five मिलियन Elected Representatives, महिलाएं हैं। आप कल्पना कर सकते हैं, गयाना की कुल आबादी से भी करीब-करीब दोगुनी आबादी में हमारे यहां महिलाएं लोकल गवर्नेंट को री-प्रजेंट कर रही हैं।

साथियों,

गयाना Latin America के विशाल महाद्वीप का Gateway है। आप भारत और इस विशाल महाद्वीप के बीच अवसरों और संभावनाओं का एक ब्रिज बन सकते हैं। हम एक साथ मिलकर, भारत और Caricom की Partnership को और बेहतर बना सकते हैं। कल ही गयाना में India-Caricom Summit का आयोजन हुआ है। हमने अपनी साझेदारी के हर पहलू को और मजबूत करने का फैसला लिया है।

साथियों,

गयाना के विकास के लिए भी भारत हर संभव सहयोग दे रहा है। यहां के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश हो, यहां की कैपेसिटी बिल्डिंग में निवेश हो भारत और गयाना मिलकर काम कर रहे हैं। भारत द्वारा दी गई ferry हो, एयरक्राफ्ट हों, ये आज गयाना के बहुत काम आ रहे हैं। रीन्युएबल एनर्जी के सेक्टर में, सोलर पावर के क्षेत्र में भी भारत बड़ी मदद कर रहा है। आपने t-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप का शानदार आयोजन किया है। भारत को खुशी है कि स्टेडियम के निर्माण में हम भी सहयोग दे पाए।

साथियों,

डवलपमेंट से जुड़ी हमारी ये पार्टनरशिप अब नए दौर में प्रवेश कर रही है। भारत की Energy डिमांड तेज़ी से बढ़ रही हैं, और भारत अपने Sources को Diversify भी कर रहा है। इसमें गयाना को हम एक महत्वपूर्ण Energy Source के रूप में देख रहे हैं। हमारे Businesses, गयाना में और अधिक Invest करें, इसके लिए भी हम निरंतर प्रयास कर रहे हैं।

साथियों,

आप सभी ये भी जानते हैं, भारत के पास एक बहुत बड़ी Youth Capital है। भारत में Quality Education और Skill Development Ecosystem है। भारत को, गयाना के ज्यादा से ज्यादा Students को Host करने में खुशी होगी। मैं आज गयाना की संसद के माध्यम से,गयाना के युवाओं को, भारतीय इनोवेटर्स और वैज्ञानिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए भी आमंत्रित करता हूँ। Collaborate Globally And Act Locally, हम अपने युवाओं को इसके लिए Inspire कर सकते हैं। हम Creative Collaboration के जरिए Global Challenges के Solutions ढूंढ सकते हैं।

साथियों,

गयाना के महान सपूत श्री छेदी जगन ने कहा था, हमें अतीत से सबक लेते हुए अपना वर्तमान सुधारना होगा और भविष्य की मजबूत नींव तैयार करनी होगी। हम दोनों देशों का साझा अतीत, हमारे सबक,हमारा वर्तमान, हमें जरूर उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएंगे। इन्हीं शब्दों के साथ मैं अपनी बात समाप्त करता हूं, मैं आप सभी को भारत आने के लिए भी निमंत्रित करूंगा, मुझे गयाना के ज्यादा से ज्यादा जनप्रतिनिधियों का भारत में स्वागत करते हुए खुशी होगी। मैं एक बार फिर गयाना की संसद का, आप सभी जनप्रतिनिधियों का, बहुत-बहुत आभार, बहुत बहुत धन्यवाद।