The Congress and its ‘Mahamilawati’ allies spent decades ruling the country but could not eradicate poverty from the country: PM Modi
The reason that people do not trust the false promises made by the Congress anymore is because they have seen its past track-record: PM Modi in M.P.
In the past months, thepeople of M.P. have witnessed how the state government of Congress has totally failed to meet the expectations of the people: Prime Minister Modi

भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय
क्रांतिवीरों की इस धरती से मैं मध्य प्रदेश के सभी साथियो को नमन करता हूं। सागर में उमड़ा ये जनसागर नए हिंदुस्तान के निर्माण के लिए आपकी प्रबल भावना की अभिव्यक्ति है। जब भी आप सभी साथियों के जोश और जुनून को मैं देखता हूं तो कई बार सोचता हूं कि उनका क्या होता होगा, जो दिन रात मोदी हटाओ, मोदी हटाओ की रट लगाए बैठे हैं। एक कामगार के प्रति आपका ये प्रेम आपका ये विश्वास नए भारत की इच्छाशक्ति को दिखाता है। साथियो, विशेष तौर पर वो युवा साथी जो 20वीं सदी के आखिर में या 21वीं सदी में पैदा हुए हैं। नए भारत के लिए उनका उत्साह उनकी उम्मीदें आज चरम पर है। वो अतीत से प्रेरणा लेते हैं। अतीत का बोझ ढो कर के नहीं चलते हैं। यहीं कारण है कि वंश और विरासत से देश की अपनी जागीर समझने वालों की दाल नए भारत में नहीं गल रही है। साथियो, आजादी के बाद महामिलावटी के कांग्रेस के राज्य में पीढ़ियां बीत गई, दशकों बीत गए, लेकिन हमारे देश मे मूलभूत सुविधाओं की कमी बनी रही। देश के साथ कांग्रेस की अपराधी लापरवाही का ही परिणाम है कि जो काम आजादी के बाद पहले 25 साल में पूरा हो जाना चाहिए था। उसके लिए हमें 21वीं सदी में पूरी शक्ति लगानी पड़ रही है।

भाइयो-बहनो, आप मुझे बताइए आजादी के 25 साल में हर भारतीय के पास अपना खुद का पक्का घर हो जाना चाहिए था या नहीं? होना चाहिए था या नहीं? आजादी के 25 साल में पहले 25 साल में हर भारतीय के घर में बिजली का कनेक्शन होना चाहिए था कि नहीं चाहिए था? आजादी के 25 साल में हर भारतीय के पास शौचालय की सुविधा होनी चाहिए थी कि नहीं? हमारी माताओं को और बहनों को साफ-सुथरी जिंदगी और स्वच्छता मिलनी चाहिए थी कि नहीं? आजादी के 25 साल में हर भारतीय के पास अपना बैंक खाता होना चाहिए था या नहीं? आजादी के 25 साल में हर भारतीय की रसोई धुएं से मुक्त होनी चाहिए थी कि नहीं? आजादी के पहले 25 साल में हर भारतीय के लिए बेहतर स्वास्थ्य सुविधा सुनिश्चित होनी चाहिए थी कि नहीं? भाइयो-बहनो, जो काम 20वीं सदी में आजादी के पहले 25 साल में नहीं हो सके, उसे अब हमारी सरकार 21वीं सदी में आजादी के 75 साल से पहले पूरा करने का लक्ष्य लेकर के काम कर रही है। साल 2022 तक जब आजादी के 75 साल होंगे हर बेघर के पास उसका अपना पक्का घर हो। हर गरीब के पास शौचालय की सुविधा हो, हर घर में बिजली हो। हर घर में रसोई गैस उपल्बध हो। हर गरीब के पास आयुष्मान भारत का कार्ड हो। हर गांव सड़क से जुड़ा हो। ऐसी तमाम सुविधाओं के लिए हम दिन-रात एक कर रहे हैं। भाइयो-बहनो, कांग्रेस और उसके साथियो ने जो-जो काम समय पर नहीं किया, उसे पूरा करने में आज देश की जो ऊर्जा देश का जो पैसा, देश का जो संसाधन लग रहा है। उसके गुनहगार कौन है? कौन है गुनहगार? कौन है गुनहगा? कौन है गुनहगार? कौन है गुनहगार? सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस वाले जिम्मेदार हैं। मैं ये भी दावे के साथ कह सकता हूं कि अगर कांग्रेस सत्ता में रहती तो ये काम भारत की आजादी के 100 साल तक भी पूरा नहीं करती। ये मैं विश्वास से कहता हूं। साथियो, कांग्रेस के नामदारों ने अपने वंश का फायदा करने के लिए देश की कई पीढ़ियों के साथ अन्याय किया है। देश ने उन्हें जो समय दिया था, उसका उपयोग नामदारों ने अपने भ्रष्टाचार और काले धन के भंडार को बढ़ाने के लिए किया। साथियो, मैंने कहीं पढ़ा कि राजस्थान के कांग्रेस के मुख्यमंत्री ने कहा कि मोदी तो एक्टर है एक्टर। अब जिस पार्टी के नामदारों को रिमोर्ट की इतनी आदत हो तो उसे हर कोई एक्टर ही नजर आएगा। चाहे रिमोर्ट से सरकार चलानी हो, या फिर रिमोर्ट से वीडियो गेम खेलना हो, एक्टर से आगे ये लोग कुछ सोच ही नहीं पाते, और इसलिए, इसलिए एक प्राइम मिनिस्टर इन वेटिंग के समझदार होने के इंतजार में, प्राइम मिनिस्टर इन वेटिंग, कांग्रेस ने दस साल तक मुझे जो एक्टर कह रहे हैं उनको पता होना चाहिए कि उन्होंने दस साल तक एक एक्टिंग प्राइम मिनिस्टर थोप दिया था।

 साथियो, क्रिकेट में जब दिन का खेल पूरा होने का समय आखिरी ओवर बाकी हो एक दो और कोई आउट होता है तो जो आखिरी नंबर का होता है उस खिलाड़ी को लाया जाता है। और वो नाइट वॉचमैन का काम करता है। नाइट वॉचमैन भेजते हैं। जो अच्छे खिलाड़ी हैं उनको नहीं भेजते हैं। कांग्रेस को भी 2004 में उन्होंने सोचा नहीं था अचानक मौका मिल गया, और जब अचानक मौका मिल गया तो राजकुमार की संभालने की स्थिति नहीं थी। खुद परिवार को राजकुमार पर भरोसा नहीं था, कांग्रेस को भरोसा नहीं था और इसलिए राजकुमार तैयार होने तक परिवार का वफादार वॉचमैन बिठाने की योजना बनी। और उन्होंने सोचा राजकुमार आज सिखेंगे, कल सिखेंगे। सब इंतजार करते रहे, भरपूर ट्रेनिंग देने की कोशिश भी की गई। लेकिन सबकुछ बेकार हो गया। लेकिन इस कोशिश में देश के दस साल तबाह हो गए। बर्बाद हो गए। एक्टिंग पीएम रिमोर्ट उनके पास नहीं था, कहीं और था देश की चिंता छोड़ वो कुर्सी की चिंता में ही लगे रहे। दस साल देश ने ऐसी सरकार देखी की हर तरफ हताशा निराशा फैल गई। आखिरकार 2014 में इन लोगों को देश की जनता ने निकालकर बाहर कर दिया। साथियो, 21वी सदी के एक पूरे दशक को कांग्रेस ने व्यर्थ गंवा दिया। अटल जी की सरकार ने 2004 में करीब-करीब 8 प्रतिशत विकास दर और बहुत कम महंगाई दर ऐसा भारत 2004 में कांग्रेस को सुपुर्द किया था। 2014 में इन्होंने करीब 5 प्रतिशत की विकास दर और दस प्रतिशत की औसत महंगाई दर का भारत हमारे नसीब में छोड़ कर के गए। एक ऐसा भारत जिसको दुनिया करप्शन से जोड़ती थी, आतंक और हिंसा से जोड़ती थी। बेटियों के लिए असुरक्षित मानती थी। भाइयो-बहनो, ऐसी स्थिति से बाहर निकालने के लिए आपने केंद्र में भाजपा के नेतृत्व में एक मजबूत सरकार बनाई, और आज परिणाम आपके सामने है। और इसलिए भाइयो-बहनो, आज मैं आपसे 2019 के लिए आशीर्वाद मांगने आया हूं। साथ साथ, 2014 से 2019 तक आपने मुझे देश की सेवा करने का मौका दिया, इसके लिए आपका धन्यवाद करने के लिए भी आया हूं। 

 भाइयो-बहनो, भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है। कांग्रेस के समय में जो महंगाई दर डबल डिजिट में थी, अब उसे तीन या चार प्रतिशत पर कट्रोल कर दिया है। मोबाइल फोन से लेकर तेज रफ्तार ट्रेन तक आज भारत में ही बन रही है। साथियो, यहीं बात उनको पचती नहीं है। वो रात रात सोचते हैं कि ये चायवाला इतना टिक कैसे गया? और देश को इतना आगे कैसे ले जा रहा है? यहीं सवाल उनको खाए जा रहा है। भाइयो-बहनो, मैं ईश्वर में आपार श्रद्धा रखने वाला इंसान हूं। हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी ईश्वर को ही सत्य का स्वरुप मानते थे। इसलिए इंसान कितना ही झूठ बोले, झूठी कहानी गढ़े, विदेश एक्सपर्ट से ट्रेनिंग लेकर नए नए शब्द बनाए। लेकिन आखिर कभी न कभी सच बाहर निकल ही आता है। ईश्वर अपनी शक्ति दिखा ही देता है। विदेशी विद्वानों और ताकतों के बल पर बनाया झूठ का किला आखिर ढह गया। सच सामने आ गया। क्या सच बाहर आया मैं बताता हूं आपको। कांग्रेस के नामदार ने स्वीकार कर लिया है कि मोदी पर जो झूठे आरोप लगाए जा रहे थे, जो हमले किए जा रहे थे। उसका एक मात्र लक्ष्य यहीं था, एक मात्र कारण यहीं था कि मोदी की छवि पर दाग लगाना। मोदी की छवि को धूमिल करना। उन्होंने खुद कल एक इंटरव्यू में बोल दिया है। तभी तो मैं कहता हूं कि मैं अकेला नहीं हूं, मेरे साथ ईश्वर है। अरे, नामदार अरे जिसको मां भारती के कण कण ने खड़ा किया हो, उस पर जितने कीचड़ उछालोगे उतने ही कमल ज्यादा खिलेंगे। भाइयो-बहनो, आपने भी मीडिया में देखा होगा कि इस चौकीदार को गाली देते देते खुद नामदार का अपना किरदार खुलता जा रहा है। साथियो, नामदार ने इंग्लैंड में एक कंपनी बनाई, जिसका नाम भी उनके कारनामों से बराबर मिलता जुलता है। कंपनी का नाम था बैकऑप्स, बैकऑप्स यानी की बैक ऑफिस ऑपरेशन। ये उनकी कंपनी का नाम था। ये कभी सामने से ऑपरेशन नहीं करते, ये पर्दे के पीछे से ही ऑपरेशन करते हैं। पर्दे के पीछे चलने वाली इस कंपनी को 2009 में बंद कर दिया गया। लेकिन अब पता चला कि उस कंपनी में जो नामदार के पार्टनर थे उनको 2011 में सबमरीन पनडुब्बी बनाने का ठेका मिल गया। भारत सरकार की तरफ से, सरकार उनकी, कभी वो कंपनी उनकी थी। कंपनी का मालिक उनका दोस्त था। अब कांग्रेस के नामदार से जनता पूछ रही है आपको और आपके पार्टनर को तो सिर्फ दलाली का अनुभव था या लाइजनिंग का अनुभव था, ये सबमरीन पनडुब्बी बनाने वाली लाइन में आप कैसे घुस गए। किसने मौका दिया। जब से ये कारनामा सामने आय़ा है। तब से नामदार और सारे राग दरबारी कोपभवन में चले गए हैं। साथियो, बोफोर्स तोप, हेलीकॉप्टर और सबमरीन पनडुब्बी, जितना खोदोगे जल हो, थल हो, नभ हो नामदारों के घोटाले के सूत्र खुलते ही जा रहे हैं, और मिशेल मामा तो अभी राज उगल ही रहा है।

भाइयो-बहनो, कांग्रेस का मतलब ही है, झूठ, प्रपंच, और धोखा। यहां मध्य प्रदेश में तो इन्होंने हद ही कर दी है। कर्ज माफी के नाम पर किसानों से वोट ले लिया और फिर मुकर गए। मैं मीडिया में एक रिपोर्ट देख रहा था यहां के कांग्रेस नेता बड़ी शान से ये स्वीकार कर रहे थे कि उन्होंने बड़ी सफाई से कर्ज माफी पर किसानों से झूठ बोला है। इनके इसी धोखे की वजह से किसानों को बैंकों के नोटिस आ रहे हैं, और जेल जाने की नौबत आ गई है। भाइयो-बहनो, किसानों को धोखा देने गरीबों से अन्याय, आदिवासियों से अन्याय की इनकी पुरानी आदत हिंदुस्तान भलिभांति जानता है। मैं आपको बताता हूं, जब मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था, ये कांग्रेस वाले कैसे कारनामे करते थे, उसका मैं अनुभव बताता हं। जब मैं गुजरात में था तो ये लोग क्या करते थे चुनाव से पहले, एक बार उन्होंने आदिवासियों को भड़काया, और आदिवासियों में जाकर के फॉर्म बांट रहे थे, और फॉर्म भी ऐसे बनाए थे जैसे सरकारी फॉर्म हो, और लोगों से फॉर्म भरवाते थे कि ये फॉर्म भर दो आपको चुनाव के बाद जमीन मिल जाएगी, और बदले में आदिवासियों से 100 -200 रुपये मार लेते थे। वो हल्ला शुरू हुआ, सरकार जाग गई, सरकार ने देखा सब झूठा है फॉर्म झूठे, योजना झूठी बेइमानी ऊपर से दो सौ रुपया मार लिया, सब पकड़ा गया। उसके बाद दूसरा चुनाव आया तो दूसरा खेल खेला। जहां कांग्रेस का कार्यालय था उसके बाहर नजदीक के मैदान में उन्होंने कार्डबोर्ड का एक मकान बनाया। बहुत सुंदर दिखने वाला कलरफुल मकान पूरा मकान खड़ा कर दिया। और फॉर्म बनाए और गरीबों के घर जा जाकर के फॉर्म भरवाए कि देखों ये जो हमने मकान बनाए है न ये नमूना है ऐसा मकान बनाकर आपको देंगे। फॉर्म भरवाए गरीब ने बेचारे ने मान लिया, अच्छा मकान मिलने वाला है। और बदले में 100 रुपये लिए और कहा बस आप वोट हमें दे दीजिए मकान आपका पक्का। इन दिनों अभी राजस्थान में सब पकड़ा गया है। मध्य प्रदेश में जरूर करते होंगे। राजस्थान में सारा उनका कारनामा पकड़ा गया। उन्होंने क्या किया? चेक जैसा फॉर्म बनाया, 72 हजार रुपया लिखा हुआ और गरीबों को कहा कि आप फॉर्म भरिए आपका 72 हजार रुपया आना शुरू हो जाएगा। भाइयो, सब लोग सरकारी दफ्तर में गए तो पता चला कि कांग्रेस की झूठी योजना, झूठे लोग, झूठे फॉर्म और कांग्रेस ने वोट के लिए खेल खेला था। मैं पक्का कहता हूं कि ये मध्य प्रदेश में भी ये कांग्रेस की यही चलता होगा। आप सब सतर्क रहिए, ये वोट के लिए कर्जमाफी जैसा झूठ बोलना, नौजवानों को बेकारी भत्ता देना ये सारा झूठ और इस प्रकार के फॉर्म भरना ये झूठ करना, ये फॉर्ड करना, ये कांग्रेस के स्वभाव में है। मैं आपको सावधान करने आया हूं।

 

साथियो, जब किसी राज्य में, हमने बहुत सरकारें देखी है। न देश में कहीं पर हमने दो सीएम देखें हैं, न देश ने कभी दो पीएम देखे हैं। पहली बार मध्य प्रदेश में ढाई सीएम की सरकार है। अब जब ढाई सीएम की सरकार है। तो ये किस दिशा में जाएगी भाई। ये मध्य प्रदेश को कहां लेकर जाएंगे ? शासन किसका आदेश माने यहीं पचा नहीं है। मैं तो कहूंगा कि धन मोह और पुत्र होम में फंसे मध्य प्रदेश के नेताओं को सागर के झील लाखा बंजारा जी के त्याग से जरूर सीखना चाहिए। बीजेपी सरकार ने औद्योगिकीकरण का जो माहौल बनाया था उसे बर्बाद कर दिया और ट्रांसफर का उद्योग खूब फल फूल रहा है। ट्रांसफर करो और कमाओ, बीजेपी की सरकार ने बहुत मुश्किल से यहां की कानून व्यवस्था को सुधारा था। आज एमपी में छोटे-छोटे बच्चों का दिन दहाड़े अपहरण हो रहा है। डकैत फिर से सक्रिय हो रहे हैं। बेटियों के साथ अत्याचार की खबरें तो आय दिन छपती रहती है। साथियो, यहीं कांग्रेस का कुशासन है जिसने पूरी दुनिया में भारत को बदनाम किया। पाकिस्तान भी भारत की इस कमजोरी को भांप गया था, मजबूर सरकार की मजबूरी को समझ गया था। यहीं कारण है कि आय दिन पाकिस्तान के आतंकी भारत में आकर बम धमाके करते थे। और फिर भारत को ही धमकाते थे, कांग्रेस की मजबूर सरकार दुनियाभर में जाती थी और रोती थी पाकिस्तान ने ऐसा किया, पाकिस्तान ने ऐसा किया, पाकिस्तान ने ऐसा किया। रोते रहते थे। भाइयो-बहनो, भाजपा की अगुवाई वाली मजबूत एनडीए सरकार राष्ट्र रक्षा के लिए एक पुख्ता रणनीति के साथ मैदान में है। और ये चौकीदार पूरी तरह चौकन्ना है। आतंक के आकाओं को अब स्पष्ट हो गया है कि अब नया हिंदुस्तान अब घर में घुसकर मारता है। मारना चाहिए कि नहीं चाहिए ? घर में घुसकर मारना चाहिए कि नहीं चाहिए? सिर्फ शहीदों अमर रहो के नारे लगाकर के चुप हो जाएगे क्या? शहीदों के खून के कतरे कतरे का बदला लेंगे कि नहीं लेंगे? शहीदों के खून को बेकार जाने देंगे क्या? एक एक रक्त के बिंदू का बदला लेना ये चौकीदार शपथ लेकर आया है। मुझे आपका आशीर्वाद चाहिए भाइयो। मुझे आपका आशीर्वाद चाहिए।

साथियो, पाकिस्तान के लाडले, सुपर लाडले आतंकी मसूद अजहर उस पर जो बैन लगा है न, उस पर जो प्रतिबंध लगे हैं। दुनिया के देशों ने मिलकर के भारत की बात को मानकर के पाकिस्तान के मुंह पर चांटा मारा है। लेकिन ये तो अभी पड़ाव है, ये तो अभी शुरुआत है, अभी हिसाब बाकी है। मसूद अजहर हो, हाफिज सईद हो। या पाकिस्तान में पल रहे दूसरे आतंकी इनका हिसाब 130 भारतीयों को चुकता करना है। अब पाकिस्तान को तय करना है कि उसको कौन सा रास्ता चाहिए। भाइयो-बहनो, आतंकवाद और नक्सलवाद देश को खाए जा रहा है। आतंकवाद और नक्सलवाद से देश को मुक्ति दिलाने के लिए घोटालों और दलालों से आजादी के लिए गरीब के जीवन को आसान बनाने के लिए, किसान की आय दोगुनी करने के लिए। पानी से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए। सागर और विदिशा वालों को मैं एक ही प्राधना करता हूं। आपके सपने को साकार करने के लिए कमल के सामने बटन दबाकर 2014 का रिकॉर्ड तोड़ना है। और आप जब कमल के निशान के सामने बटन दबाएंगे तब मन में संकल्प कीजिए कि आपकी उंगली जिस कमल को दबा रही है वो एक दो पांच सेकेंड आपका जागरूक निर्णय इस देश के गरीबों को घर देगा। आपका एक जागरूक निर्णय आपकी तीन या पांच सेकेंड पांच साल के लिए आतंकवाद को खत्म करने के लिए इस चौकीदार को काम में लगाए रखेगा। भाइयो-बहनो, आप जब कमल के निशान पर बटन दबाएंगे तो आपका एक एक वोट मोदी के खाते में जाएगा। 

भाइयो-बहनो, अब चुनाव का आखिरी पड़ाव चल रहा है, कल पांचवें चरण का मतदान है। जहां पर मतदान है वहां के सभी मतदाताओं को मेरी तरफ से बहुत शुभकामनाएं है, और गर्मी कितनी ही क्यों न हो वे भारी मतदान करे। ये मेरी उनसे प्रार्थना है। और आपसे मेरा अनुरोध है, आप मुझे बताइए, आप चाहते हैं हिंदुस्तान मजबूत हो, देश मजबूत होना चाहिए, भारत मजबूत होना चाहिए, भारत मजबूत होने के लिए सरकार मजबूत होनी चाहिए, आपका मजबूती में भरोसा है, आप मजबूती के लिए तैयार है। मजबूती के लिए सरकार मजबूत बनाएंगे। इस चौकीदार को मजबूत बनाएंगे। इस चौकीदार को मजबूत बनाने के लिए आपका पोलिंग बूथ मजबूत बनाएंगे। आपका पोलिंग बूथ मजबूत बनाएंगे। पोलिंग बूथ में कमल खिलाएंगे। चुनाव तक घर घर जाएंगे, मतदाताओं को निकालेंगे, मतदान कराएंगे। पूरी ताकत से लगेंगे।

भारत माता की जय, भारत माता की जय , भारत माता की जय
बहुत बहुत धन्यवाद

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!