The strong government of the NDA in 2014 worked to strengthen the national security of our country and as a result India’s repute on the world stage has grown steadily: PM Modi in Maharashtra
Our government drove the country’s development across two paths simultaneously; one, to improve the lives of our people and secondly, to create modern infrastructure for the 21st century India: PM Modi
The people of Maharashtra will no longer support the Congress and its Mahamilawati allies for giving derogatory statements about our armed forces: Prime Minister Modi

भारत माता की जय

भारत माता की जय

चुनाव के दिनों में मैं हमारी पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं से रिक्वेस्ट करता रहता हूं की चुनाव में हम सब कार्यकर्ता एक समान है, कोई प्रोटोकॉल की जरूरत नहीं होती है। लेकिन हमारे देवेंद्र जी प्रोटोकॉल के बड़े पक्के है इसीलिए वो इधर-उधर मेहनत कर के भी पहुंच जाते है। अभी उनको नंदुरबार जाना था तो फिर से वो इजाजत ले के दौड़े, मैं उनको समझाता था की भाई कोई जरूरत नहीं है सब जगह पर कहीं आप जाइए कहीं मैं चला जाऊंगा लेकिन वो प्रोटोकॉल का पालन करने वाले व्यक्ति है। लेकिन मैं हमेशा कहता हूं चुनाव के दिनों में हर एक की शक्ति का इतना उपयोग होता है की लेकिन वो बड़े शिष्ट कार्यकर्ता हैं।

मंच पर विराजमान महायुति के सभी वरिष्ठ नेतागण और इतनी बड़ी तादाद में आए हुए मेरे प्यारे भाइयो और बहनो। साथियो,  डिंडोरी, नासिक और धुले, सब दूर से आए हुए हमें आशीर्वाद देने आए हुए, आपके इस स्नेह के कारण अच्छों- अच्छों की घबराहट, उनका बीपी तेज हो गया होगा, वो बौखलाए जा रहे हैंआपने देखा होगा, मैंने तो देश की सुरक्षा, वंशवाद, भ्रष्टाचार, उन बातों को लेता हूं और दूसरी तरफ विकास की चर्चा करता हूं लेकिन कुछ लोगों को जैसे ही मैं वंशवाद बोलता हूं, भ्रष्टाचार बोलता हूं, देश की सुरक्षा की बात करता हूं। मैं  बोलता यहां हूं और उनको बिजली का करंट वहां लगता है।  और फिर करंट लगता है तो कैसा मुंह से कुछ ना कुछ निकलता है। ऐसा उनके मुंह से भी गाली-गलौज, ये दौर चुनाव के पहले दो चरण के बाद तो ये जरा और तेज हो गया है पहले दिन में 50 गाली देते थे अब 100 दे रहे हैं।  

पहले ऊंची आवाज में बोलते अब चीख-चीख कर बोल रहे हैं और उसका कारण क्या है, मालूम है? पहले दो चरण के मतदान ने देशभर से जो संदेश आ रहे हैं,  इनको अपनी जमीन खिसकती नजर आ रही है

साथियो, साल 2014 में महायुती भारतीय जनता पार्टी-एनडीए की एक मजबूत सरकार बनाने में आप सभी का बहुत बड़ा योगदान रहा है। आपके आशीर्वाद का ही असर है की आज दुनिया भर में भारत की साख नई उंचाई पर है, अब कोई भी भारत को आंख उठा कर देखने से पहले 100 बार सोचता है। ये आपको सही लगती है मेरी बात, मैंने जो कहा सही लगता है आपको?  मेरी बात में भरोसा है? आपको अगर याद होगा, जब मैं 2013 -2014 में जब मैं चुनाव लड़ रहा था, पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ रहा था, पहली बार देश के सामने अपनी बात लेकर के गया था तो सारे देश में खासकर के हमारे दिल्ली में एक जमात है। वो बैठ कर के दिन में एक सरकार बनाते हैं और तीसरे दिन गिराते हैं, तो उनके खेल चलते रहते हैं तो जैसे ही मेरा चुनाव लड़ना तय हुआ तो उन्होंने एक एजेंडा सेट किया। मोदी जहां जाएगा कोई भी इंटरव्यू करेगा तो उसको पूछेंगे की तुम्हें विदेश नीति तो मालूम नहीं है तुम गुजरात के बाहर कुछ जानते नहीं हो ये दुनिया के लोगों से तुम कैसे बात करोगे?  देश की विदेश नीति का क्या होगा? दुनिया में हिन्दुस्तान की इज्जत का क्या होगा?  ये सवाल मुझे पूछते थे। तब मैंने कहा देखो भाई मैं ज्यादा बहुत जनता नहीं हूं, नया हूं सिखने का प्रयास करूंगा लेकिन मैं  इतना वादा करता हूं  की हम न आंख झुकाकर बात करेंगे न आंख उठाकर के बात करेंगे, हम आंख में आंख मिलाकर बात करेंगे ये मैंने 2013-14 में कहा था। उस समय शायद मेरी बात लोगों को लगा हो की यार मोदी ने बड़ा शानदार डायलॉग मारा, ऐसा लगा होगा। लेकिन आज 5 साल के बाद क्या हर हिन्दुस्तानी दुनिया के 7 फुट वाला इंसान होगा तो भी, चमड़ी का कोई भी रंग होगा तो भी, आंख में आंख मिलाकर बात कर सकता है की नहीं कर सकता है? कर सकता है की नहीं कर सकता है?  

भाइयो-बहनो, ना सिर्फ सरकार, हर हिन्दुस्तानी सीना तान के खड़ा हुआ है। ये कैसे हुआ? ये इतना बड़ा दुनिया में जय-जय कार कैसे हुआ? इधर कुछ हो नहीं रहा है ये महिलाएं उधर देख रही हैं। ये कैसे हुआ? मोदी, मोदी, मोदी आप कर रहे हैं, मोदी ने नहीं किया है ये आपके एक वोट की ताकत है वोट की ताकत, आपने सही बटन दबाया दुनिया के सामने हिन्दुस्तान ताकत बन के खड़ा हो गया, ये ताकत है आपके वोट की। ये आपके एक वोट की ताकत है की आज भारत अपने सामने मौजूद चुनौतियों का डटकर मुकाबला कर रहा है। आप पिछले एक हफ्ते की घटनाओं को देख लीजिए, इस दौरान आस-पास के देशों में कई बम फूटे, कल भी श्रीलंका में सीरियल बम ब्लास्ट हुए, सैकड़ों लोग मारे गए और वो भी ईस्टर के पवित्र दिन, जब चर्च में लोग इकट्ठा होकर के दिव्यात्मा की अनुभूति कर रहे थे, दिव्यात्मा में लीन थे, शांति का संदेश दे रहे थे तब नर राक्षसों ने आ कर के उन्हें मौत के घाट उतार दिया। उनका कोई गुनाह नहीं था, कोई दोष नहीं था वे अपनी आस्था के अनुसार दिव्यात्मा का स्मरण करते हुए, उसके रास्ते पर चलने का संकल्प ले रहे थे

साथियो, आप याद कीजिए, 2014 से पहले भारत की स्थिति क्या थी। आए दिन देश के अलग-अलग कोने में बम धमाके होते थे की नहीं होते थे? कभी मुंबई में बम धमाका, कभी पुणे में बम धमाका, कभी हैदराबाद में बम धमाका, कभी काशी में बम धमाका, कभी अयोध्या में बम धमाका, कभी जम्मू में बम धमाका होता था की नहीं होता था? और तब यहां कांग्रेस और एनसीपी की सरकार और अपने को बड़ा खैर-खा मानने वाले लोग यहां बैठे थे सरकार में, बड़े अनुभवी बताने वाले बैठे थे। सरकार क्या करती थी उस समय? बम धमाके होते थे क्या करते थे ये लोग? श्रद्धांजलि सभाएं करते थे और क्या करते थे, शोक मनाते थे।  उनकी सरकार दुनियाभर में पाकिस्तान के नाम पर रोती रहती थी, देखिए पाकिस्तान हमारे देश में आ के ऐसा करता है, देखिए पाकिस्तान हमारे देश में ऐसा करता है। लेकिन आपके इस चौकीदार ने क्या किया? आपके इस चौकीदार ने कांग्रेस-एनसीपी सरकारों की इस डरपोक रीति- नीति को बदल दिया। हमने आतंक की फैक्ट्री में, आतंक की फैक्ट्री में घुस कर बिना किसी भेद-भाव सफा चट कर के आ गए, परिणाम आपके सामने है। आज आतंकवाद, जो कभी हिन्दुस्तान के हर कोने में बम धमाका करने की ताकत रखता था । धीरे-धीरे सिकुड़ता-सिकुड़ता जम्मू- कश्मीर के कुछ ही क्षेत्र में सिमट गया है और वहां भी कोई हफ्ता ऐसा नहीं जाता है हमारे जवान उनको खोज कर के रात भर गोलियां चलाते हैं और सुबह होते-होते खेल पूरा कर देते हैं। आज हर आतंकी को पता है कि अगर देश के किसी हिस्से में बम धमाका किया, तो ये मोदी है ये उन्हें पाताल में भी खोजकर सजा देगा,  और उनके आकाओं को भी खत्म कर के रहेगा।

भाइयो-बहनो, आपने जो मजबूत सरकार 2014 में बनाई थी, उसने सुरक्षा की गारंटी तो दी ही थी विकास का झंडा भी बुलंद किया है। हमारी सरकार ने देश के विकास को दो पटरियों पर एक साथ चलाया है। एक सामान्य मानवी के जीवन स्तर को ऊपर उठाना और दूसरा 21वीं सदी के लिए जैसा भारत हम बनाना चाहते हैं। विश्व स्तर की व्यवस्थाएं खड़ी करना चाहते हैं, उस प्रकार का इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास करना। एक तरफ हम देश के हर गरीब परिवार को हर वर्ष 5 लाख रुपए तक का मुफ्त इलाज सुनिश्चित कर रहे हैं। वही दूसरी तरफ हर 3 संसदीय सीट के बीच में एक मेडिकल कॉलेज और एक बड़ा अस्पताल बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। इतना ही नहीं देश के गांवों में डेढ़ लाख, हिंदुस्तान के अंदर 6 लाख करीब-करीब गांव हैं। डेढ़ लाख गांवों में आधुनिक वैलनेस सेंटर बनाए जा रहे हैं यानी 4 गांव के बीच में एक बड़ी व्यवस्था, इसका एक बहुत बड़ा अभियान हम चला रहे हैं। स्वास्थ्य केंद्र भी ऐसे, जहां शुरुआती जांच हर प्रकार की हो जाए और फिर अगर जरूरत पड़े, बड़े अस्पताल में जाने की आवश्यकता है तभी उसको जितना जल्द हो सके पता चल जाए और उसको बड़ी हॉस्पिटल पहुंचाया जाए ताकि 3 महीने के बाद पता चले,  4 महीने के बाद पता चले बीमारी का और तब तक बहुत कुछ खो चुका हो। ऐसी परिस्थिति पैदा न हो ये काम हम शुरू कर रहे हैं, कई गांवों में काम हो चुका है।

साथियो, एक तरफ हम तेज गति से गांव-गांव में सड़कें बना रहे हैं, वहीं देश के हर घर को रोशन करने के लिए मुफ्त बिजली कनेक्शन भी दे रहे हैं। एक तरफ हमने हर गरीब के बैंकों में खाते खुलवाए और दूसरी तरफ बैंकों के दरवाजे गरीबों के लिए, किसानों के लिए, पशुपालकों के लिए, मछुआरों के लिए खोल दिए। बिना गारंटी के ऋण आज स्वरोजगार के लिए आसानी से उपलब्ध है। एक तरफ हम डिजिटल लेन-देन के लिए देश को प्रोत्साहित कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ अब गांव-गांव में डाकघरों में भी बैंकों में हम बदलाव ला रहे हैं। डाकिये के माध्यम से बैंक की सेवाओं को भी गांव, गरीब के दरवाजे पर खड़ा कर रहे हैं। अरसे बाद डाकियों के वेतन में भी उचित वृद्धि का काम भी हमारी ही सरकार ने किया है। इतना ही नहीं साथियो एक तरफ हम भारत माला और सागर माला के माध्यम से दो गुणी गति से हाईवे का विस्तार कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ हम उड़ान योजना के माध्यम से नासिक जैसे शहरों में एयर कनेक्टिविटी बढ़ा रहे हैं।

साथियो, नासिक सहित पूरे महाराष्ट्र में समंदर के किनारे जो  बंदरगाह से कनेक्टिविटी है उसको मजबूत करने के लिए 200  से ज्यादा प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं। नासिक को ड्राई पोर्ट की सुविधा भी मिलनी तय है। नासिक, जालना, वर्धा और सांगली में मल्टी लॉजिस्टिक पार्क बनाए जा रहे हैं। इनसे व्यापर की सुविधा होगी, उद्योग कारखाने लगेंगे, फूड प्रोसेसिंग सेंटर के लिए नए रास्ते खुलेंगे, अंगूर जैसे फलों के एक्सपोर्ट में मदद मिलेगी और युवाओं को नए अवसर भी मिलेंगे।  

साथियो, देश के हर व्यक्ति तक विकास पहुंचे ये प्रयास हमने किया है, किसान हो या फिर आदिवासी जीवन के हर चरण के लिए कुछ न कुछ किया है। आदिवासी बच्चों की पढ़ाई के लिए देशभर में एकलव्य मॉडल स्कूल खोले जा रहे हैं। आदिवासी युवाओं के खेल कौशल को निखारने के लिए आदिवासी क्षेत्रों में खेल से जुड़ी सुविधाएं बनाई जा रही हैं। आदिवासी हस्तशिल्प का प्रचार-प्रसार करने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था को मजबूत किया गया है। आदिवासी साथियों की कमाई के लिए, वन उपजों को समर्थन मूल्य के दायरे में लाया गया है। वन उपजों का अधिक मूल्य मिले, इसके लिए वनधन केंद्र खोले जा रहे हैं।  

भाइयो और बहनो, अपने अन्नदाता, अपने किसानों के लिए हमारी सरकार ने बीज से बाजार तक एक मजबूत व्यवस्था तैयार करने का प्रयास किया है। 22 फसलों का लागत, लागत का डेढ़ गुणा समर्थन मूल्य देने का वादा हमारी सरकार ने पूरा किया है। यहां के किसानों को अब पीएम किसान सम्मान निधि से भी मदद मिलने का रास्ता खुला है। अनेक किसान परिवारों के खाते में पैसे आने शुरू हो चुके हैं। जिनको अभी नहीं मिले हैं उनको भी मिलना तय है। अब तो हमने फैसला किया है की 23 मई को, 23 मई को चुनाव के नतीजे आने वाले हैं, कल 23 अप्रैल है। मैं 23 मई की बात कर रहा हूं, 23मई को चुनाव के नतीजे आएंगे, फिर एक बार मोदी सरकार,फिर एक बार मोदी सरकार, 23 मई के बाद जब फिर एक बार मोदी सरकार आएगी तो महाराष्ट्र के सभी किसानों को ये मदद पहुंचाई जाएगी। अभी जो 5 एकड़ की जमीन का नियम है वो शर्त भी हटा दी जाएगी।  

साथियो, यहां के प्याज की खेती करने वाले किसानों की सुविधाएं बनाने पर भी सरकार का जोर है। सरकर द्वारा स्टोरेज की क्षमता बढ़ाने और प्याज के ट्रांसपोर्टेशन पर लगने वाले खर्च को कम करने का प्रयास किया जा रहा हैं। अभी मैं मंच पे पूछ रहा था क्यूंकि मैं गुजरात में था तो मेरा महाराष्ट्रीयन परिवारों में भोजन के लिए जाना-आना जरा ज्यादा होता था। तो साल में एक दिन वो एक त्यौहार बनाते थे और उस त्यौहार के दिन सब के सब लोग कांदा खाते थे, प्याज खाते थे, हर चीज प्याज की बनती थी पूरा दिन तो उस दिन मैं खास मराठी परिवार में जाता था तो मैं अभी इनको पूछ रहा था तो किसी ने कहा कोई चंपा षष्ठी बोलते हैं, अलग-अलग बोलते हैं। लेकिन देखिए समाज की व्यवस्था एक साथ प्याज को मार्केट देने का कैसा बढ़िया तरीका था। पूरे एक दिन में सभी लोग प्याज खाते थे और उसका परिणाम ये था ये प्याज को बहुत बड़ा मार्केट मिल जाता था। ऐसी एक परंपरा खड़ी हुई थी यानी हमारे पूर्वज कितने समझदार और दीर्घदृष्टि थे। मुझे गुजरात का अनुभव है और आदिवासियों में तो हमारे यहां आपके यहां पड़ोस में ही लोग है, ये अक्सर होता है। कहने का मतलब सामाजिक व्यवस्था में भी कृषि इकोनामी, एग्रीकल्चर इकोनामी इसका विशेष महत्व था।  

भाइयो और बहनो, मुझे पिछले दिनों जो पार्लियामेंट में आपके सारे विधायक और आपके एमपी हमारे सब मिलने आए थे और प्याज एक्सपोर्ट करने के विषय में विस्तार से मेरे से चर्चा की थी और जितने सुझाव दिए थे सारे मैंने लागू कर दिए थे। प्याज का एक्सपोर्ट बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने एक्सपोर्ट इंसेंटिव को भी बढ़ा कर दो गुणा कर दिया है।  

साथियो, कांग्रेस में आपको कांग्रेस की एक चालाकी के बारे में भी बताना चाहता हूं। ये चालाकी ये है बिचौलियों को फायदा पहुंचाने  के लिए फसलों की कीमत से खेल करना। आपने देखा भाइयो जैसे ही महंगाई जरा भी बढ़ती है, कांग्रेस अपने दरबारियों को मध्यम वर्ग की गृहणियों के पास भेज कर के इंटरव्यू करवाती है। और फिर वो चिल्लाती हैं दाम बढ़ गया, दाम बढ़ गया और पूरे  देश में चला देते हैं। उस वक़्त उसे किसान याद नहीं आता है और अगर दाम गिर जाते हैं। प्याज के दाम कम हो गए, टमाटर का दाम कम हो गए तो फिर क्या करते किसान के पास पहुंच जाते है और टीवी पर उनकी बाइट लेते हैं और किसान कहता है देखो हम लूट गए, लूट गए। ये ऐसे बदमाशी करते थे, महंगाई बढ़ी तो हाउस वाइफ को पूछो।  अगर प्याज, आलू , टमाटर का दाम गिरा तो किसान को पूछो लेकिन जो बिचौलिये, जो माल खा जाते हैं उनकी बात छुपा देते थे और आपकी मुसीबत का कारण उपभोक्ता नहीं है वो तो आवश्यक पैसे देने के लिए हमेशा तैयार होता है। आपकी मुसीबत का कारण किसान का पसीना नहीं है, आपकी मुसीबत का कारण ये बिचौलिये हैं बिचौलिये और मोदी ने लड़ाई जो लड़ी है ना ये बिचौलियों के खिलाफ लड़ी है। इतने वर्षों के राज में कांग्रेस ने किसान और उपभोक्ता के बीच सीधा संबंध कभी बनने नहीं दिया। अब हमारी सरकर बिचौलियों के राज को खत्म करने के लिए काम कर रही है। जैसे डेयरी सेक्टर में सरकारी संगठन होते हैं वैसे ही अन्य कृषि सेंटरों में फार्मर प्रोड्यूसर्स आर्गेनाईजेशन FPO  बनाए जा रहे हैं। देश में 22 हजार से ज्यादा ग्रामीण हाटों को विकसित किया जा रहा है। ये काम किसानों और ग्राहकों की बीच की दूरी को खत्म करेंगे और किसानों को उसकी मेहनत की उचित कीमत मिलेगी।  

साथियो, मुझे बताया गया है की कांग्रेस यहां नदियों के पानी को लेकर के तरह-तरह की अफवाह फैला रही है लोगों से झूठ  बोल कर के उन्हें गुमराह कर के वोट पाने का ये कांग्रेस का बहुत पुराना तरीका है। मैं इस क्षेत्र के लोगों से स्पष्ट कर देना चाहता हूं की आप लोगों की इच्छा के खिलाफ कोई कुछ नहीं करेगा और न ही कोई कुछ कर पाएगा। ये मैं आपको सार्वजनिक रूप से वादा करता हूं। इसीलिए जो कांग्रेस अफवाहएं फैला रही है, इतना ही नहीं HAL  के लिए अफवाहएं फैला रही है। अरे तुमने तो उसका गला घोट दिया सारे HAL  को खत्म कर दिया। हमने मेक इन इंडिया की तरह डिफेन्स की तरह हर चीज़ के उत्पादन बड़ा दिया है। नए- नए डिफेन्स कॉरिडोर बना रहे हैं, हम तो ताकत देने वाले है और मेरे शब्द लिखकर के रखिए 10 साल के भीतर-भीतर इसकी ताकत दो गुणा, तीन गुणा हो कर के रहने वाली है।  

साथियो, देश की सुरक्षा, सम्मान और स्वाभिमान की चौकीदारी आपके हाथ में है। आपको इस चौकीदार को मजबूत करना है।  डिंडोरी और धुले में कमल के निशान पर और नासिक में धनुष-बाण पर बटन दबाएंगे तो आपका हर वोट मोदी के खाते में आएगा।  

भाइयो-बहनो, आप मुझे कहिए हमारा देश मजबूत होना चाहिए  की नहीं होना चाहिए? आज की दुनिया में देश मजबूत होना जरुरी है की नहीं है? मजबूत देश के लिए मजबूत सरकार  चाहिए की नहीं चाहिए? मजबूत सरकार चाहिए की नहीं चाहिए? और मजबूत देश की सरकार चलाने के लिए मजबूत प्रधानमंत्री  भी होना चाहिए की नहीं होना चाहिए? मुझे बताइए आज ये जितने चेहरे आप देख रहे हो, उसमें किस पर भरोसा है आपका, किस पर भरोसा है, गांव में किसी को भी पूछ लीजिए किस पर भरोसा है? तो जिस पर भरोसा है उसको देश का कमान दोगे या जिस पर भरोसा ही नहीं है उस पर प्रयोग करोगे? आपको जिस पर भरोसा है उसकी ताकत बढ़ानी चाहिए की नहीं बढ़ानी चाहिए, इस चौकीदार को मजबूत करना चाहिए की नहीं करना चाहिए?  हर हिन्दुस्तानी चौकीदार बनना चाहिए की नहीं बनना चाहिए?  आप मेरे साथ संकल्प लेंगे, संकल्प लेंगे दोनों हाथ ऊपर कर के पूरी ताकत से बोलेंगे? मैं बोलूंगा उसके बाद आपको बोलना है चौकीदार। क्या बोलना है चौकीदार, क्या बोलना है चौकीदार।

अब मैं बोलूंगा आप बोलिए गांव-गांव है चौकीदार,  गांव-गांव है चौकीदार, भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में चौकीदार, देश की सुरक्षा में चौकीदार,  गांव-गांव है चौकीदार, शहर- शहर है चौकीदार, बच्चा- बच्चा चौकीदार, बड़े-बुजुर्ग भी चौकीदार, माता-बहने चौकीदार, घर-घर में है चौकीदार, खेत खलिहान में चौकीदार, बाग-बगान में चौकीदार, देश के अंदर चौकीदार, सरहद पर भी चौकीदार, डॉक्टर इंजीनियर चौकीदार, शिक्षक-प्रोफेसर चौकीदार, लेखक पत्रकार चौकीदार, कलाकार भी चौकीदार, किसान-कामगार चौकीदार, दुकानदार भी चौकीदार, वकील-व्यापारी चौकीदार, छात्र- छात्राएं चौकीदार, पूरा हिन्दुस्तान चौकीदार,  पूरा हिन्दुस्तान चौकीदार,  पूरा हिन्दुस्तान चौकीदार।

भारत माता की… जय

भारत माता की… जय

बहुत-बहुत धन्यवाद।

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!