Shri Modi addresses BJP Karyakarta Sammelan in Kolkata

Published By : Admin | April 9, 2013 | 16:44 IST

मंच पर विराजमान भारतीय जनता पार्टी के सभी वरिष्ठ नेतागण और जुस्से से भरे हुए कार्यकर्ता भाइयों और बहनों..! ये मेरा सौभाग्य है कि मुझे उस एतिहासिक भवन में आकर के आपके बीच बातचीत करने का अवसर मिला है, जिस भवन की स्मृतियाँ गुरूदेव के साथ, सुभाष बाबू के साथ जुड़ी हुई हैं और उसके कारण एक अलग प्रकार के वाइब्रेशन की अनुभूति होती है, जब इन महापुरूषों का स्मरण करते हैं। ऐसे अनेक महापुरूष जिन्होंने देश के लिए जीवन खपा दिया और बंगाल ने त्याग और तपस्या के क्षेत्र में एक बहुत ऊंची मिसाल कायम की है। रामकृष्ण परमहंस की धरती, श्यामा प्रसाद मुखर्जी की धरती, स्वामी विवेकानंद जी की धरती, अनेक तपस्वी, तेजस्वी महापुरूषों की धरती... इस धरती को मैं नमन करता हूँ..! 15 अप्रैल को आप नववर्ष मनाने जा रहे हैं। आपके नववर्ष के लिए मेरी बहुत-बहुत शुभकामनाएं..! और इस नववर्ष से आने वाले नववर्ष तक आपको इतनी ताकत मिले, आपको इतना जन समर्थन मिले, आपके शब्दों का इतना सामर्थ्य बढ़े, आपके परिश्रम की इतनी पराकाष्ठा हो कि शासक कोई भी क्यों ना हो, आपकी बात सुनने के लिए मजबूर हो। ये सामर्थ्य आपको प्राप्त हो, ऐसी मैं आप सबको शुभकामना देता हूँ..!

भाइयों-बहनों, आप जानते हैं कि मैं वर्षों तक संगठन के कार्य से जुड़ा था। संगठन के कार्य हेतु अनेक बार पश्चिम बंगाल का भी प्रवास किया था। कार्यकर्ताओं के साथ घंटों तक बातें करने का मुझे अवसर मिलता था। देश भर में संगठन के कार्य के लिए भ्रमण करने का सौभाग्य मिला था। अब दायित्व बदल गया और उसके कारण मैं गुजरात में अपनी शक्ति और समय लगा रहा हूँ। लेकिन जब भी मैं गुजरात के कार्यकर्ताओं से बात करता हूँ, तो मैं हमेशा उन प्रदेशों के कार्यकर्ताओं का जिक्र करता हूँ जिन प्रदेशों में भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को इतने कष्ट झेलने पड़ते हैं। राजनैतिक प्रतिस्पर्धी दुश्मन की तरह उनके साथ व्यवहार करते हैं। लोकतंत्र के नियमों का कोई पालन ना करते हुए, विपक्ष को खत्म कैसे करना है उसी का षडयंत्र करते रहते हैं। और उसके बावजूद भी सीने पर अनेक वार झेलते हुए, भारत माता का जयकार करते हुए, सालों से कार्यकर्ताओं ने अपने जीवन खपा दिए। उनके अपने परिवारों को खपा दिया है। और उन कार्यकर्ताओं की श्रेणी में चाहे केरल हो, चाहे नार्थ ईस्ट के प्रदेश हों, चाहे कश्मीर की धरती हो, या फिर चाहे वो मेरा बंगाल हो... ये सब कार्यकर्ता देशभर के कार्यकर्ताओं की प्रेरणा होते हैं..! आपको लगता होगा कि गुजरात में तीन बार विजयी हो गए तो नरेन्द्र मोदी कुछ बन गए। मित्रों, हम गुजरात के कार्यकर्ता आज भी आपके तप और तपस्या का स्मरण करके दौड़ने की ताकत पाते हैं। आपसे हमें प्रेरणा मिलती है क्योंकि आपके सामने कई वर्षों तक दूर-दूर तक सत्ता नजर नहीं आई है। जमानत बच जाए तो भी बहुत है, ये पता होने के बाद भी एक विचार के लिए, एक आदर्श के लिए, माँ भारती के कल्याण के इस यज्ञ में कुछ आहूति देने के लिए दो-दो चार-चार पीढ़ी खप गई..! आपका ये त्याग और तपश्चर्या, मेरे बंगाल के कार्यकर्ताओं का ये पसीना कभी ना कभी तो रंग लाएगा..! मुझे विश्वास है मित्रों, एक ऐसा समय आएगा, जब चारों तरफ से निराश हुआ बंगाल का नागरिक आपको सीने से लगाएगा, आपको सिर-आंखों पर बैठाएगा। ये बंगाल की भूमि है, जो बराबर तराशती है और एक बार तराशने का मार्ग स्वीकार किया तो लंबे अर्से तक आपको अवसर भी देती है। इस भूमि की ये विशेषता है।

भाइयों-बहनों, राजनीति का रूप बदल चुका है। आज से दस साल पहले राजनीति जिस ढंग से चल रही थी, अब उस ढंग से राजनीति करना किसी के बस का रोग नहीं है। आज हिन्दुस्तान में कोई भी नेता हो, कोई भी दल हो, कोई भी विचार हो, किसी भी प्रकार के आचार हो लेकिन सबको, चाहते हुए या ना चाहते हुए, विकास की बात करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। जनता जर्नादन के सामने जा कर के विकास के मुद्दों पर विश्वास पैदा करने की कोशिश करनी पड़ती है। और भाइयों-बहनों, मैं आज भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता के रूप में एक बड़े संतोष के साथ अपने साथियों के सामने सिर झुकाकर कहना चाहता हूँ कि हिन्दूस्तान की राजनीति में ये मूलभूत परिवर्तन लाने का यश अगर किसी को जाता है, तो वो गुजरात की धरती को जाता है। विकास के मुद्दे पर राजनीति हो सकती है। सामान्य मानवी शासन क्यों बनाता है, सरकार किसके लिए होती है..? कोई अमीर बीमार हो जाए तो उसको सरकारी अस्पताल की जरूरत होती है क्या? उसके घर तो दुनिया भर के डॉक्टर आकर के कतार में खड़े हो जाते हैं। अस्पताल की जरूरत होती है गरीब आदमी को। किसी अमीर के बेटे को पढ़ना है तो सैकड़ों शिक्षक आकर के घर के दरवाजे पर खड़े हो जाएंगे। सरकार का काम होता है गरीब बच्चों को शिक्षा देना। जो रूपयों से खेलते हैं उनको कठिनाइयों का पता नहीं होता है, लेकिन जो नौजवान अपनी विधवा माँ के सपनों को पूरा करने के लिए रात-रात भर फुटपाथ की लाइट के नीचे बैठ कर के पढ़ाई करता है, उस बच्चे को अपनी माँ के सपनों को पूरा करने के लिए रोजगार चाहिए, और ये रोजगार की चिंता करना सरकार का काम है। इन मूलभूत विषयों पर देश के शासकों को आने के लिए हमने मजबूर किया है और इसके कारण भारत सरकार को हर पल अपने किये हुए कामों का हिसाब देना पड़ता है। मित्रों, क्या कारण है कि इतने कम समय में दिल्ली में बैठी हुई सरकार के प्रति इतनी नफरत पैदा हो गई..! मीडिया के मित्रों ने दिल्ली की सरकार को कोई कम मदद नहीं की है। जितना बचा सकते हैं बचाया, जितनी मदद कर सकते हैं कर रहे हैं..! इस देश के अंदर हमेशा शासन के साथ जुड़ जाने वाला एक वेस्टेड इन्ट्रेस्ट ग्रुप है। उन्होंने क्या कुछ नहीं किया इस सरकार की इज्जत बचाने के लिए। ढेर सारी कोशिशें की, लेकिन उसके बावजूद भी हिन्दुस्तान के चप्पे-चप्पे में, हिन्दुस्तान के जन-जन के मन में ये दिल्ली में बैठी हुई सरकार के प्रति नफरत क्यों हैं, इतना आक्रोश क्यों है..? मित्रों, मैं राजनीति में तो बड़ी देर से आया, लेकिन सालों तक जिंदगी सांस्कृतिक और सामाजिक कामों में लगाई थी। राजनीति में नहीं था, लेकिन अभ्यास करने का स्वभाव था, देखता था। मित्रों, मैं अनुभव के आधार पर कहता हूँ और एक राजनीति शास्त्र के विद्यार्थी के रूप में कहता हूँ कि इस दिल्ली के तख्त पर आजादी के बाद शायद ये पहली सरकार ऐसी है जिसके प्रति इतनी भयंकर घृणा और नफरत का माहौल है। मित्रों, कभी शासन के प्रति राजी-नाराजी होना एक बात है। कभी किसी एक छोटी सी घटना पर गुस्सा होना स्वाभाविक है। लेकिन नफरत, घृणा, अविश्वास की स्थिति इस देश में पहले कभी नहीं आई थी, जो आज आई है। और इसके लिए संपूर्ण रूप से कांग्रेस पार्टी जिम्मेदार है। कांग्रेस पार्टी इस हद तक अपने स्वार्थ को लेकर के आगे बढ़ रही है कि कुछ भी बुरा हो जाए, और मान लीजिए वो बुरा नॉन यू.पी.ए. स्टेट में होता है तो उछल-उछल कर के उस राज्य को बदनाम करने में पूरी शक्ति लगा देते हैं और अगर यू.पी.ए. स्टेट में कहीं होता है या सेंट्रल गवर्नमेंट में होता है तो बेशर्मी के साथ सारे पाप अपने साथी पक्षों के सिर पर डाल देते हैं। बड़ी चतुराई है उनकी, जैसे उनका तो कोई गुनाह ही नहीं है, उनकी तो कोई जिम्मेवारी ही नहीं है, उनका तो कोई दायित्व ही नहीं है..! भाइयों-बहनों, क्या हम लोगों के रहते हुए ऐसी कांग्रेस पार्टी इस देश में रहनी चाहिए..? सत्ता के गलियारों में उसको प्रवेश मिलना चाहिए..? देश का शासन करने का अवसर मिलना चाहिए..? क्या उसको धरती पर से उखाड़ फैंकना हमारा कर्तव्य नहीं है..? भाइयों-बहनों, पूरे देश के अंदर कौन सत्ता में आए कौन ना आए इसके लिए नहीं, लेकिन देश को बर्बादी से बचाने के लिए कांग्रेस मुक्त हिन्दुस्तान बनाने का हमारा सपना होना चाहिए..!

भाइयों-बहनों, क्या कारण है कि जब भी विकास की चर्चा होती है, तो गुजरात का जिक्र होता है..! क्या कारण है? जो लोग गुजरात को प्रेम करते हैं, जिनके दिल में गुजरात के प्रति नाराजगी नहीं है, वे क्या कहते हैं? देखो, गुजरात में ऐसा हुआ..! देखो, गुजरात ने क्या किया..! और जिनको गुजरात पंसद नहीं है, वे क्या कहते हैं..? वे कहतें हैं कि देखिए, इसमें हम गुजरात से भी आगे हैं..! यानि पंसद हो तो भी और पसंद ना हो तो भी, पैरामीटर गुजरात है। अच्छा किया तो कहना पड़ता है गुजरात से अच्छा किया, बुरा किया तो हिसाब लगता है कि भाई, गुजरात तक हम क्यों पहुंच नहीं पाए हैं..! ये स्थिति क्यों पैदा हुई..? मैं देश के पॉलिटिकल पंडितों को निमंत्रण देता हूँ। बंगाल की धरती तो विद्घान लोगों की धरती है, सच्चाई और ईमानदारी के साथ रहने का साहस रखने वाले लोग आज भी बंगाल की धरती पर हैं। क्या समय की मांग नहीं है, स्थितियों का तकाजा नहीं है कि हम इस देश की राजनैतिक गतिविधियों के मॉडल का अध्ययन करें? अब कोई चीज छिपी हुई नहीं है। इस देश ने करीब-करीब 50 साल तक कांग्रेस पार्टी का शासन देख लिया है। इस देश ने केरल, बंगाल और त्रिपुरा में कम्युनिस्टों का शासन देख लिया है। इस देश ने परिवारवाद वाली पार्टीओं का शासन देख लिया है। इस देश ने प्रादेशिक पक्षों के द्वारा चल रही सरकारें देख लीं है। इस देश ने भारतीय जनता पार्टी की सरकारें भी देख लीं है। एक प्रकार से पिछले साठ वर्षों में पाँच अलग-अलग प्रकार की सरकारों के मॉडल इस देश में कार्यरत रहे हैं। उन सभी सरकारों का उत्तम से उत्तम समय उठा लिया जाए, पचास-सौ पैरामीटर तय किये जाएं और किस सरकार ने अपने पाँच साल के कार्यकाल में क्या काम किया, जनता की भलाई के लिए क्या काम किया, विकास के लिए क्या काम किया, शुचिता की दृष्टि से क्या काम किया, समाज का विश्वास पाने की दिशा में क्या काम किया..! अलग-अलग मापदंड लेकर के इसको तय किया जाए और फिर लेखा-जोखा लिया जाए, तो सच्चे अर्थ में देश की भलाई के लिए काम करने वाली कौन सी सरकारें हैं, सामान्य मानवी की भलाई के लिए काम करने वाली कौन सी सरकारें हैं इसका लेखा-जोखा हो जाएगा..! और मित्रों, मैं बिल्कुल विश्वास से कहता हूँ कि जिस दिन इन पाँच प्रकार की सरकारों के मॉडल का इवेल्यूशन होगा, भारतीय जनता पार्टी उत्तम से उत्तम पर्फॉर्मर के रूप में देश के सामने आएगी..!

आप मुझे बताईए मित्रों, इतने सालों तक कांग्रेस पार्टी ने दिल्ली में राज किया। पंचायत से पार्लियामेंट तक एक ही दल का शासन था। विरोध पक्ष तो था ही नहीं। पाँच-पन्द्रह लोग आपस में मिलकर मुश्किल से जीतकर आते थे। वो दिन थे जब मीडिया इतना वाइब्रेंट नहीं था, वो दिन थे जब ज्यूडिशियल एक्टिविज्म नहीं था, वो दिन थे जब एन.जी.ओ. की भरमार नहीं थी, वो दिन थे जब कोर्ट में पी.आई.एल. करके तुफान खड़ा करने की परंपरा नहीं थी। तीन दशक पूरी तरह ऐसे गए हैं कि जिसमें कांग्रेस को कोई पूछने वाला नहीं था। वो जो करें वो आखिरी, ऐसा माहौल था। इतना अच्छा अवसर मिलने के बाद भी, इतनी सुविधा रहने के बाद भी, रूकावटों का नामोंनिशान ना होने के बादजूद भी, क्या कारण था कि कांग्रेस पार्टी इस देश को कुछ नहीं दे पाई..! आज हम लोग अगर सत्ता में हैं तो कभी सी.बी.आई. आकर के धमकती है, कोई हफ्ता ऐसा नहीं गया कि कोई पी.आई.एल. सुप्रीम कोर्ट में ना की गई हो, मीडिया के मित्रों के माध्यम से कोई हमला ना हुआ हो, एन.जी.ओं. ने कोई तूफान ना खड़ा किया हो, विपक्ष काम को रोकने के लिए पूरी ताकत से लगा हुआ हो... इतने विरोध-अवरोध के बीच चाहे डॉ. रमन सिंह जी की छत्तीसगढ़ की सरकार हो, चाहे शिवराज सिंह जी की मध्य प्रदेश की सरकार हो, चाहे हिमाचल में प्रेम कुमार धूमल जी की सरकार हो, चाहे राजस्थान में वसुंधरा राजे जी की सरकार हो, चाहे कर्नाटक में शेट्टर की सरकार हो, चाहे गोवा में मनोहर पारिकर जी की सरकार हो... जहाँ-जहाँ भारतीय जनता पार्टी को सरकारें चलाने का अवसर मिला है, एक भी सरकार पर भ्रष्टाचार के कोई गंभीर आरोप नहीं लगे हैं। उन सरकारों के कार्यकाल को देखा जाए। जनता की भलाई के उत्तम से उत्तम निर्णय किये हैं और उत्तम से उत्तम प्रकार से उन्होंने डिलीवरी देकर के दिखाया है।

कम्युनिस्टों ने बंगाल में सरकार चलाई, बताने की जरूरत नहीं है, क्या हालत कर दी है..? तबाह कर दिया इस प्रदेश को, बर्बाद कर दिया..! केरल को क्या दिया उन्होंने..? चुनाव जीतने के नए-नए तौर तरीके खोजने में ही वो पाँच साल लगे रहते हैं। पूरी शक्ति, सरकारी अधिकारियों की अपॉइंटमेंट तक, चुनाव जीतने के लिए काम कौन आएगा, उसी को लेकर के चलते रहे हैं। अपने विरोधियों को प्रताड़ित करना, उनको परेशान करना, उनको जिंदगी से हाथ धोने पड़े, सार्वजनिक जीवन छोड़ना पड़े... यहाँ तक उन पर जुल्म करना, यही काम इन लोगों ने किए हैं..! और उसके बावजूद भी जनता की आशा-आकांक्षा को पूर्ण करने वाले कोई परिणाम नजर नहीं आते हैं। मित्रों, मजदूरों की भलाई का नाम लेकर सरकार चलाने वाले ये लोग हैं, मैं उनको पूछना चाहता हूँ। अभी-अभी भारत सरकार का एक रिपोर्ट आया है। वो रिपोर्ट ये कह रहा है कि पूरे हिन्दुस्तान में कम से कम नौजवान बेरोजगार कहीं हैं, तो वो राज्य का नाम गुजरात है। और जहाँ ये यू.पी.ए. वाली सरकारें हैं, जहाँ ये कम्यूनिस्टों की सरकारें हैं वहाँ सबसे अधिक नौजवान बेरोजगार हैं। क्या दिया आपने..? और इसलिए भाइयो-बहनों, अध्ययन करके, बारिकियों की जानकारियों के साथ, देश की युवा पीढ़ी को, देश के नागरिकों को प्रशिक्षित करना हमारा दायित्व है कि भले ही हम छोटे होंगे, भले आज कगार में हमारी उपस्थिति कम होगी, लेकिन हमने जो रास्ता चुना है उस रास्ते ने कई राज्यों का भला किया है और बंगाल का भी भला हम कर सकते हैं, जनता में इस बात का विश्वास हम पैदा कर सकते हैं।

मित्रों, कांग्रेस पार्टी में एक विवाद चल रहा है कि एक ‘पावर सेंटर’ हो कि दो ‘पावर सेंटर’ हो..! मुझे समझ नहीं आता है कि इस विवाद से हम क्या समझें..! आप मुझे बताइए मित्रों, कि ये पावर सेंटर बाद की बात है, कहीं पावर नजर आ रहा है..? पावर हो तो फिर कितने पावर सेंटर हो ये बाद में चर्चा करें, अभी तो पावर ही नजर नहीं आ रहा है..! और सिर्फ बैटरी बदलने से गाड़ी चलने वाली नहीं है। मित्रों, आप यहीं बंगाल में कांग्रेस के सौ कार्यकर्ताओं को मिलिए। मैं ये पत्रकार मित्रों से एक छोटी सी प्रार्थना करके जाना चाहता हूँ। और मुझे विश्वास है कि बंगाल के पत्रकार मेरे प्रति बहुत ही प्रेम रखते हैं, वो जरूर ये मेरा काम करेंगे..! आप कांग्रेस के सौ कार्यकर्ताओं का सहज रूप में एक इंटरव्यू लीजिए। छोटा-मोटा कोई भी हो, एक सवाल पूछिए। उसको पूछिए, देश का नेता कौन है..? मैं कांग्रेस के लोगों का इन्टरव्यू करने के लिए कह रहा हूँ। मित्रों, आप देखना सौ में से एक भी व्यक्ति डॉ. मनमोहन सिंह जी का नाम नहीं बोलेगा..! जो पार्टी अपने प्रधानमंत्री को नेता मानने को तैयार ना हो, जो पार्टी अपने प्रधानमंत्री को देश का नेता मानने को तैयार ना हो, पार्टी का नेता मानने को तैयार ना हो, वो प्रधानमंत्री देश का नेतृत्व कैसे कर सकते हैं..? उनकी अपनी पार्टी उनको स्वीकार नहीं कर रही है..! आप पूछ लीजिए, मुझे बंगाल के पत्रकारों की ईमानदारी पर विश्वास है कि वो जरूर जाएंगे, पूछ कर के आएंगे और कल अखबार में छापेंगे भी..! क्या हालत करके रखी है, दोस्तों..! कोई भी ऐसा क्षेत्र है, जहाँ पर कांग्रेस के मित्र विश्वास से कह सके कि हमने ये काम किया..? एक नेता तो जहाँ भी जाते हैं तो ये कहते हैं कि हमने मोबाइल दिया..! आपमें से सबके पास मोबाइल है ना... आपको किसी ने गिफ्ट में दिया है..? सीधा बैंक में ट्रान्सफर हो करके आया था..? अपनी जेब के पैसों से लाए हो ना..? फिर भी बताइए, ये कितना बड़ा झूठ बोलते हैं कि मोबाइल फोन हमने दिया..! आप इनकी हिम्मत देखिए और ये देश देखिए कि उनको सवाल नहीं पूछ रहा है कि भाई, तुम ये कैसे कह रहे हो कि ये मोबाइल फोन हमने दिया है..? एक बार मेरे यहाँ चुनाव में उनके एक नेता आए थे और उन्होंने एक भाषण दिया कि देखिए, आपकी जेब में जो मोबाइल फोन है वो हमने दिया है..! तो उसके बाद मेरा भी एक जगह पर भाषण था। मैंने कहा, मोबाइल दिया या ना दिया ये तो भगवान जाने, लेकिन चार्जर का क्या? बिजली तो है नहीं, वो चार्ज कहाँ करवाएगा? पहले बिजली तो दो..!

मित्रों, ये कैसे देश चला रहे हैं..? उनको लगता है कि तिजोरी लुटा देने का मतलब है आर्थिक प्रगति की ओर जाना..! यहाँ बैठा हुआ कोई भी व्यक्ति, आपके पास अगर पाँच हजार रूपया है तो पाँच हजार रूपये में तीन दिन में बढ़िया -बढ़िया मिष्टी दही ले आए, रसगुल्ले ले आए, संदेश ले आए, और पाँच हजार रूपया उड़ा दिया..! आप मुझे बताइए कि आपके पाँच हजार रूपये का ये सही मैनेजमेंट है क्या..? पेट भरा, मीठा लगा, अच्छा भी लगा लेकिन ये सही मैनेजमेंट है क्या? लेकिन कोई और व्यक्ति अगर पाँच हजार में से सात हजार कैसे हो, दस हजार कैसे हो, फिर दस हजार में से दो हजार किसी अच्छे काम में खर्च करें, फिर पाँच हजार के आठ हजार हो, फिर उसमें से तीन हजार खर्च करें... इसको आयोजन कहते हैं की नहीं कहते? मित्रों, दिल्ली की सरकार उड़ाने में लगी हुई है और रूपये आपके जा रहे हैं..! ये लोग जनता जर्नादन के पैसे को उड़ा रहे हैं और जनता कब तक चुप रहेगी..? अपने राजनैतिक स्वार्थ की पूर्ति के लिए हिन्दुस्तान की जनता ने दिन-रात मेहनत करके जो टैक्स चुकाए हैं, उन टैक्स के पैसों को राष्ट्र के विकास में उपयोग करने के बजाए अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए खर्च किया जा रहा है, और ये देश के साथ सबसे बड़ा धोखा है। कभी-कभी क्या कहते हैं कि हमने आर.टी.आई. का कानून दिया। अभी चार दिन पहले मैंने पढ़ा कि भारत के प्रधानमंत्री के कार्यालय में किसी नागरिक ने चिट्ठी लिख कर कुछ जानकारी माँगी और देश के प्रधानमंत्री के कार्यालय से उस जानकारी देने से मना कर दिया गया..! अगर आप मना करते हो तो आर.टी.आई. के नाम पर गीत गाने का अधिकार आपको किसने दिया..? आप जानकारी तो देते नहीं हैं और अगर आप जानकारी देते नहीं हो तो जानकारी देने के कानून के नाम पर आप रोजी-रोटी कमाने निकले हो..? भाइयों-बहनों, आज देश की हालत ऐसी है, मैं कल दिल्ली में एक सेमिनार में था, ‘मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस’। तो मैंने काफी देर तक अपना भाषण सुनाया और बोलते-बोलते मुझे विचार आया कि दिल्ली में ये सब बोलने से क्या मतलब है..? मैंने कहा भाई, विषय तो है ‘मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस’, लेकिन आज तो देश में ‘नो गवर्नमेंट, नो गवर्नेंस’, तो उसका क्या करें..? सरकार की अनुभूति ही नहीं हो रही है, मित्रों। ना कोई अच्छी खबर आती है, ना कोई सुनवाई की व्यवस्था है। मैं कभी-कभी कांग्रेस के मित्रों को पूछता हूँ कि हटाओ यार, बाकी सब छोड़ो, पिछले एक साल में देश के लिए दस अच्छे काम किये हों तो जरा बता दो मुझे..! अच्छे से कांग्रेसी मित्र बता नहीं पाते हैं..! ज्यादा से ज्यादा तिजोरी हमने कैसे लुटाई इसकी गिनती करते हैं..! भाइयों-बहनों, अगर ये ही स्थिति रही तो क्या होगा..!

मित्रों, आप देखिए, कॉमनवैल्थ गेम्स का कौभांड हुआ। दुनिया की सबसे ताकतवर सरकार कोई थी तो दिल्ली में थी। सबसे बड़ी सरकार थी तो दिल्ली में थी। ऊपर-नीचे जितनी सरकारों के लेयर हैं, सारी की सारी उनकी सरकारें थी। सब कुछ उनका होने के बाद भी सारी दुनिया में हमारी नाक कट गई और कॉमनवेल्थ गेम्स के अंदर अरबों-खरबों रूपये का भ्रष्टाचार हो गया। और उसके बावजूद भी उनका तो कोई दायित्व ही नहीं..! जैसे रेनकोट पहन कर के बाथरूम में नहा रहे हो..! मैं हैरान हूँ, मित्रों..! और देश से पहली दफा मैं पूछ रहा हूँ कि इनको कैसे माफ किया जा सकता है..! कैसे इनके पापों को स्वीकार किया जा सकता है..!

मित्रों, इस देश के अंदर इन दिनों एक चर्चा चल रही है कि ग्रोथ रेट डाउन हो गया है, ग्रोथ रेट डाउन हो गया है..! क्यों हो गया, भाई..? आपको यदि विकास दर चाहिए तो आपको आर्थिक गतिविधि चाहिए। कृषि में काम होना चाहिएम, मैन्यूफैक्चरिंग में काम होना चाहिए, सर्विस सेक्टर में काम होना चाहिए..! लेकिन कारखाने कैसे चलेंगे यहाँ..? अगर बिजली नहीं है तो कारखाने कैसे चलेंगे? कारखाने नहीं चलेंगे तो नौजवानों को रोजगार कहाँ से मिलेगा..? कारखाने नहीं चलेंगे तो इकोनॉमी कैसे मोबालाइज होगी..? मोमेंटम कहाँ से आएगा..? और कारखाने चल क्यों नहीं रहे हैं, तो कहेंगे कि बिजली नहीं है। बिजली क्यों नहीं है..? क्या बिजली के कारखाने नहीं है..? बिजली के कारखाने हैं, अरबों-खरबों रूपए लग चुके हैं। कारखाने खड़े पड़े हैं, लेकिन बिजली पैदा नहीं करते। बिजली पैदा क्यों नहीं करते..? क्योंकि कोयल नहीं है..! कोयला क्यों नहीं है, क्योंकि कोयला खदान में है। कोयला खदान में क्यों है..? क्योंकि अभी हमने पॉलिसी तैयार नहीं की है..! कितने साल हो गए? तीन साल हो गए..! कब करोगे, 2014 तक तो रहने वाले नहीं हो..! आप मुझे ये बताईए मित्रों, ये सारी जिम्मेवारियाँ उनकी है कि नहीं..? आज देश में एक तरफ अंधेरा है, लोगों को बिजली नहीं मिल रही, बिजली नहीं मिलने के कारण कारखाने बंद हो रहे हैं और दूसरी तरफ 30,000 मेगावॉट बिजली पैदा करने की क्षमता वाले कारखाने फ्यूल के अभाव में बंद पड़े हुए हैं। कौन जिम्मेदार..? जितना पैसा लगना था लग गए, कारखाने खड़े हो गए... कोयला नहीं है। ये कोयला नहीं होने के कारण ये हालत हो गई है। और मित्रों, हिन्दुस्तान की सरकार की हालत देखिए..! हमारे अड़ौस-पड़ौस के छोटे-छोटे देश जहाँ पर कोयले की खदान है, जब हिन्दुस्तान में कोयला आना बंद हो गया और कोयले की कोई परमिशन नहीं मिल रही है, तो व्यापारियों ने तय किया कि भाई, चलो इंडोनेशिया से या ऑस्ट्रेलिया से, अलग छोटे-मोटे देशों से कोयला लाएंगे, अफ्रिकन कंट्री से कोयला लाएंगे..! भारत सरकार की इस पॉलिसी पैरालिसिस के कारण उन देशों को पता चल गया कि हिन्दुस्तान में बिजली के कारखाने बंद पड़े हैं, उन्हें कोयले की जरूरत है और हिन्दुस्तान की सरकार कोयला दे नहीं पाएगी, तो रातोंरात उन्होंने दाम बढ़ा दिए। और ये दिल्ली में बैठी हुई सरकार छोटे-छोटे देशों पर भी दबाव नहीं पैदा कर सकती कि आपने जो दाम पर सौदा किया था उस दाम से आपको कोयला देना पड़ेगा और हिन्दुस्तान को कोयला देने से आप मुकर नहीं सकते, इतना कहने की ताकत ये दिल्ली की सरकार में नहीं है। हर छोटा मोटा देश दबा देता है, मैं हैरान हूँ..! और ऐसा होता क्यों है..? क्या उनके जो साथी दल है उनके कारण हो रहा है..? कांग्रेस जिम्मेवारी लेने को तैयार नहीं है। ये इसलिए हो रहा है, दुनिया आपको इसलिए सुनती नहीं है क्योंकि खुद कांग्रेस का विदेश मंत्री यू.एन.ओ. के अंदर जब भाषण करने के लिए खड़ा होता है और किसी दूसरे देश का कागज पढ़ने लग जाता है, तो पूरे विश्व को लगता है कि यार, सच में ये तो गए बीते लोग हैं, ये सब गॉन केस है, फ़ाइल कर दो..! मित्रों, विश्व के नक्शे पर हिन्दुस्तान की ऐसी बेइज्जती कभी नहीं हुई, जितनी बेइज्जती इस सरकार के कारण हुई है..! सारी दुनिया में अपना नाम खराब होता चला जा रहा है। विश्व में कोई हम पर विश्वास नहीं करता। आपका अच्छा व्यापार हो, अच्छी प्रोडक्ट हो तो भी विदेशों के बायर आपके साथ व्यापार करने से डर रहे हैं। आप स्वतंत्र होने के बावजूद डर रहे हैं, क्यों..? क्योंकि उनको भरोसा नहीं है कि भारत सरकार की नीति कब बदल जाएगी और बायर ने जो सौदा किया है वो फुलफिल नहीं होगा, तो हमारे पैसे डूब जाएंगे..! भाइयो-बहनों, ये स्थिति है..!

मित्रों, बिच में हमने देखा, गरीबों को अन्न नहीं मिल रहा है। राशन कार्ड है, गेहूँ नहीं मिल रहे हैं, चावल नहीं मिल रहे हैं, केरोसीन नहीं मिल रहा है और दूसरी तरफ अखबारों में और टी.वी. पर खबरें आ रही हैं कि बोरियाँ की बोरियाँ पानी में भीग रही हैं, सड़ रही हैं..! देश के किसान ने परिश्रम से पैदा किया हुआ अन्न सड़ रहा है। किसी ने पी.आई.एल. कर दी, तो सुप्रीम कोर्ट ने डंडा चलाया कि सारे अनाज के जो भंडार भरे पड़े हैं, अगर उसको संभाल नहीं सकते हो तो गरीबों को बाँट दो। ये दिल्ली की सरकार ने गरीबों को नहीं बाँटा। दिन-रात कहते हैं कि हम सुप्रीम कोर्ट जो कहती है वो करते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पचासों बार कहा लेकिन उन्होंने नहीं किया। और किया तो क्या किया..? भाइयों-बहनों, सुप्रीम कोर्ट संवेदना के साथ ये कहती है कि ये अन्न गरीबों को बाँटो, मगर दिल्ली में बैठी ये सरकार कहती है कि हम गरीबों में नहीं बाँटेंगे..! और किया तो क्या किया..? शराब बनाने वाले जो ठेकेदार थे, उन शराब के ठेकेदारों को 65 पैसे के दाम से ये अन्न दे दिया गया..! आप कहो, क्या इन पर भरोसा कर सकते हैं..? और इसलिए भाइयो-बहनों, समय का तकाजा है, समय की माँग है कि हम सभी भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता देश के सामान्य मानवी के आशा-आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए, आजादी के लिए शहीद होने वाले महापुरूषों ने जो सपने संजोए थे उन सपनों को पूरा करने के लिए, स्वामी विवेकानंद जी की 150 वीं जयंती जब देश मना रहा है तब विवेकानंद जी के उन सपनों को पूरा करने के लिए, भारतीय जनता पार्टी के एक-एक कार्यकर्ता को इस देश में से कांग्रेस पार्टी का उखाड़ फैंकने का संकल्प करके आगे बढ़ना चाहिए..! इस देश को तोड़ने वाली, इस देश को कठिनाइयों में डालने वाली सारी शक्तियों को परास्त करने का संकल्प करना होगा। और मित्रों, मैं विश्वास से कहता हूँ, वक्त बहुत तेजी से बदल रहा है। कांग्रेस पार्टी के मित्रों को पता तक नहीं है, हमेशा कांग्रेस पार्टी का झंडा ले कर घूमने वालों को पता नहीं है, वेस्टेड इंटरेस्ट ग्रुप को पता नहीं है कि कितनी तेजी से कांग्रेस पार्टी का डिटीरीओरेशन हो रहा है..! राजी-नाराजी के तराजू से हिन्दुस्तान की राजनीति का विश्लेषण करने का वक्त चला गया है। अब तक हिन्दुस्तान में जो पॉलिटिकल एनालिसिस हुए हैं वो सरकार या पक्ष या नेता के सामने राजी-नाराजी का माहौल कैसा है उसके आधार पर हुए हैं, पहली बार हिन्दुस्तान की राजनीति में नफरत और घृणा के मापदंड पर ये कांग्रेस पार्टी को तोला जाएगा..! ऐसी नफरत, ऐसी घृणा, ऐसा गुस्सा आज देश के कोने-कोने में है। कोई समस्या ऐसी नहीं है जिसको सुलझाने कि दिशा में उन्होंने कोई प्रमाणिक प्रयास किया हो, दो कदम भी चले हो..!

और इसलिए भाइयो-बहनों, माँ भारती की सेवा करने में लगे हुए भारतीय जनता पार्टी के लक्षावधी कार्यकर्ता अपने सामर्थ्य से, अपनी शक्ति से आने वाली हर चुनौती का सामना करते हुए, विजय का विश्वास लेकर के, गाँव-गाँव, गली-गली कमल खिलाने का सपना ले कर के, जिस धरती पर डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म हुआ, जिन्होंने सपने संजोए हैं ऐसे श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपनों को पूरा करने के लिए आओ, हम अपनी पूरी ताकत से काम करें, हम कोई कमी ना रखें..! और जो लोग अपने आपको बड़े शहंशाह मानते हैं, उन सभी से मेरा आग्रह पूर्वक निवेदन है, ये मान कर चलिए कि ‘यावत चंद्र दिवाकरो’ आपका राज चलने वाला नहीं है..! जो बंगाल में मेरे भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं को परेशान कर रहे हैं उस सरकार के मुलाजिमों से भी मैं कहना चाहता हूँ कि लोकतंत्र में हर एक नागरिक का अधिकार होता है, उसको दबाने की कोशिश करने से कभी कोई सफलता किसीको दिला नहीं सकते..! भारतीय जनता पार्टी, बंगाल का कार्यकर्ता खूंखार से खूंखार ताकतों के खिलाफ लड़ कर के आज भी आगे बढ़ सकता है। रुकना, थकना, झुकना ये हमारा चरित्र नहीं है, ये हमारे संस्कार नहीं हैं। हम भाजपा के कार्यकर्ता मौत को मुट्ठी में लेकर निकले हुए लोग हैं। माँ भारती के कल्याण के लिए निकले हुए लोग हैं। हमें कोई चुनौती ना दें..! और अगर ये कोशिशें होती रहेंगी तो भारतीय जनता पार्टी और अधिक ताकत से आगे बढ़ेगी..!

आज कल मैं देख रहा हूँ कि मेरा कहीं पर भी कोई भाषण होता है, तो यहाँ मेरा भाषण पूरा हो जाए उससे पहले प्रधानमंत्री कार्यालय से ट्वीट करके उसके जवाब दिए जाते हैं..! ये प्रधानमंत्री कार्यालय से होता है और तुरंत, यानि अभी तो मेरा भाषण पूरा हुआ नहीं और मैं मंच से वहाँ बैठने जाऊँगा तब तक तो दो-तीन चीजें छोड़ देते हैं वहाँ..! और सरासर झूठ, सरासर झूठ... कौन पूछने वाला है? ये ही चल रहा है..! मेरे कांग्रेस के मित्रों, देश की जनता की समझदारी पर शक मत किया करो। ये देश की जनता को पूरी समझ है कि सच क्या है..? दूध का दूध और पानी का पानी कैसे होता है, ये देश की जनता भली-भांति जानती है। कांग्रेस की कोशिशों से कुछ निकलने वाला नहीं है और सत्य सीना तान कर के प्रकट हो कर के रहेगा इसी विश्वास के साथ हम आगे बढ़ें..! मित्रों, आपने मेरा सम्मान किया, प्यार दिया, इसके लिए मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूँ..!

धन्यवाद..!

Explore More
78ನೇ ಸ್ವಾತಂತ್ರ್ಯ ದಿನಾಚರಣೆಯ ಸಂದರ್ಭದಲ್ಲಿ ಕೆಂಪು ಕೋಟೆಯಿಂದ ಪ್ರಧಾನಮಂತ್ರಿ ಶ್ರೀ ನರೇಂದ್ರ ಮೋದಿ ಅವರು ಮಾಡಿದ ಭಾಷಣದ ಕನ್ನಡ ಅನುವಾದ

ಜನಪ್ರಿಯ ಭಾಷಣಗಳು

78ನೇ ಸ್ವಾತಂತ್ರ್ಯ ದಿನಾಚರಣೆಯ ಸಂದರ್ಭದಲ್ಲಿ ಕೆಂಪು ಕೋಟೆಯಿಂದ ಪ್ರಧಾನಮಂತ್ರಿ ಶ್ರೀ ನರೇಂದ್ರ ಮೋದಿ ಅವರು ಮಾಡಿದ ಭಾಷಣದ ಕನ್ನಡ ಅನುವಾದ
Cabinet extends One-Time Special Package for DAP fertilisers to farmers

Media Coverage

Cabinet extends One-Time Special Package for DAP fertilisers to farmers
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
The Constitution is our guiding light: PM Modi
A special website named constitution75.com has been created to connect the citizens of the country with the legacy of the Constitution: PM
Mahakumbh Ka Sandesh, Ek Ho Poora Desh: PM Modi in Mann Ki Baat
Our film and entertainment industry has strengthened the sentiment of 'Ek Bharat - Shreshtha Bharat': PM
Raj Kapoor ji introduced the world to the soft power of India through films: PM Modi
Rafi Sahab’s voice had that magic which touched every heart: PM Modi remembers the legendary singer during Mann Ki Baat
There is only one mantra to fight cancer - Awareness, Action and Assurance: PM Modi
The Ayushman Bharat Yojana has reduced the financial problems in cancer treatment to a great extent: PM Modi

ನನ್ನ ಪ್ರಿಯ ದೇಶವಾಸಿಗಳಿಗೆ ನಮಸ್ಕಾರ. 2025 ಇನ್ನೇನು ಬಂದೆ ಬಿಟ್ಟಿತು, ನವ ಸಂವತ್ಸರ  ಬಾಗಿಲು ತಟ್ಟುತ್ತಿದೆ. 2025ರ ಜನವರಿ 26 ರಂದು ನಮ್ಮ ಸಂವಿಧಾನ ಜಾರಿಗೆ ಬಂದು 75 ವರ್ಷಗಳು ತುಂಬುತ್ತವೆ. ನಮಗೆಲ್ಲರಿಗೂ ಇದು ಹೆಮ್ಮೆಯ ವಿಷಯ. ನಮ್ಮ ಸಂವಿಧಾನ ನಿರ್ಮಾತೃಗಳು ನಮಗೆ ಒಪ್ಪಿಸಿದ ಸಂವಿಧಾನವು ಎಲ್ಲಾ ಕಾಲದಲ್ಲು ಪ್ರಸ್ತುತವಾಗಿದೆ. ಸಂವಿಧಾನ ನಮಗೆ ದಿಕ್ಸೂಚಿಯಾಗಿದೆ, ಮಾರ್ಗದರ್ಶಕನಾಗಿದೆ. ಭಾರತದ ಸಂವಿಧಾನದಿಂದಾಗಿಯೇ  ಇಂದು ನಾನು ಇಲ್ಲಿದ್ದೇನೆ, ನಿಮ್ಮೊಂದಿಗೆ ಮಾತನಾಡುತ್ತಿದ್ದೇನೆ. ಈ ವರ್ಷ, ನವೆಂಬರ್ 26 ರ ಸಂವಿಧಾನ ದಿನದಿಂದ ಒಂದು ವರ್ಷದ ಅವಧಿಯವರೆಗೆ ಜರುಗುವ ಅನೇಕ ಚಟುವಟಿಕೆಗಳು ಪ್ರಾರಂಭವಾಗಿವೆ. ದೇಶದ ನಾಗರಿಕರನ್ನು ಸಂವಿಧಾನದ ಪರಂಪರೆಯೊಂದಿಗೆ ಜೋಡಿಸಲು, constitution75.com ಎಂಬ ವಿಶೇಷ ವೆಬ್‌ಸೈಟ್ ಅನ್ನು ಸಹ ರಚಿಸಲಾಗಿದೆ. ಇದರಲ್ಲಿ ನೀವು ಸಂವಿಧಾನದ ಪೀಠಿಕೆಯನ್ನು ಓದಿ ನಿಮ್ಮ ವೀಡಿಯೊವನ್ನು ಅಪ್‌ಲೋಡ್ ಮಾಡಬಹುದು. ನೀವು ವಿವಿಧ ಭಾಷೆಗಳಲ್ಲಿ ಸಂವಿಧಾನವನ್ನು ಓದಬಹುದು ಮತ್ತು ಸಂವಿಧಾನದ ಬಗ್ಗೆ ಪ್ರಶ್ನೆಗಳನ್ನು ಕೇಳಬಹುದು. ‘ಮನದ  ಮಾತಿನ’ ಕೇಳುಗರು, ಶಾಲಾ ವಿದ್ಯಾರ್ಥಿಗಳು, ಕಾಲೇಜಿಗೆ ಹೋಗುವ ಯುವಕರು, ಈ ವೆಬ್‌ಸೈಟ್‌ಗೆ ಖಂಡಿತಾ ಭೇಟಿ ನೀಡಿ ಮತ್ತು ಇದರಲ್ಲಿ ಪಾಲ್ಗೊಳ್ಳಿ ಎಂದು ನಾನು ಆಗ್ರಹಿಸುತ್ತೇನೆ.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ, ಮುಂದಿನ ತಿಂಗಳು 13 ರಿಂದ ಪ್ರಯಾಗರಾಜ್‌ನಲ್ಲಿ ಮಹಾಕುಂಭವೂ ನಡೆಯಲಿದೆ. ಸದ್ಯ ಸಂಗಮದ ದಡದಲ್ಲಿ ಭರ್ಜರಿ ಸಿದ್ಧತೆಗಳು ನಡೆಯುತ್ತಿವೆ. ನನಗೆ ನೆನಪಿದೆ, ಕೆಲವೇ ದಿನಗಳ ಹಿಂದೆ, ನಾನು ಪ್ರಯಾಗರಾಜ್‌ಗೆ ಭೇಟಿ ನೀಡಿದಾಗ, ಹೆಲಿಕಾಪ್ಟರ್‌ನಿಂದ ಇಡೀ ಕುಂಭ ಜರುಗುವ ಪ್ರದೇಶವನ್ನು ವೀಕ್ಷಿಸಿ ನನಗೆ ತುಂಬಾ ಸಂತೋಷವಾಯಿತು. ಎಷ್ಟು ಬೃಹದಾದುದು! ಎಷ್ಟು ಸುಂದರ! ಎಂತಹ ಭವ್ಯತೆ!

ಸ್ನೇಹಿತರೇ, ಮಹಾಕುಂಭದ ವಿಶೇಷತೆ ಅದರ ಅಗಾಧತೆಯಲ್ಲಿ ಮಾತ್ರ ಅಡಗಿಲ್ಲ. ಅದರ ವೈವಿಧ್ಯತೆಯೂ ಕುಂಭದ ವಿಶೇಷತೆಯಾಗಿದೆ. ಈ ಕಾರ್ಯಕ್ರಮದಲ್ಲಿ ಕೋಟಿಗಟ್ಟಲೆ ಜನ ಒಗ್ಗೂಡುತ್ತಾರೆ. ಲಕ್ಷಗಟ್ಟಲೆ ಸಂತರು, ಸಾವಿರಾರು ಸಂಪ್ರದಾಯಗಳು, ನೂರಾರು ಪಂಥಗಳು, ಹಲವು ಅಖಾಡಗಳು, ಎಲ್ಲರೂ ಈ ಕಾರ್ಯಕ್ರಮದಲ್ಲಿ ಮೇಳೈಸುತ್ತಾರೆ. ಯಾವುದೇ ತಾರತಮ್ಯವಿಲ್ಲ, ಯಾರೂ ದೊಡ್ಡವರಲ್ಲ, ಯಾರೂ ಚಿಕ್ಕವರಲ್ಲ. ಅನೇಕತೆಯಲ್ಲಿ ಏಕತೆಯ ಇಂತಹ ದೃಶ್ಯ ಜಗತ್ತಿನ ಬೇರೆಲ್ಲೂ ಕಾಣಲು ಸಾಧ್ಯವಿಲ್ಲ. ಆದ್ದರಿಂದಲೇ ನಮ್ಮ ಕುಂಭ ಏಕತೆಯ ಮಹಾಕುಂಭವಾಗಿದೆ. ಈ ಬಾರಿಯ ಮಹಾಕುಂಭವು ಏಕತೆಯ ಮಹಾಕುಂಭದ ಮಂತ್ರಕ್ಕೆ ಪುಷ್ಟಿ ನೀಡಲಿದೆ. ನಾವು ಕುಂಭದಲ್ಲಿ ಭಾಗವಹಿಸಿದಾಗ,  ಏಕತೆಯ ಸಂಕಲ್ಪದೊಂದಿಗೆ ಹಿಂತಿರುಗೋಣ ಎಂದು ನಾನು ನಿಮ್ಮೆಲ್ಲರನ್ನು ಕೇಳಿಕೊಳ್ಳುತ್ತೇನೆ. ಸಮಾಜದಲ್ಲಿನ ಒಡಕು ಮತ್ತು ದ್ವೇಷ ಭಾವನೆಯನ್ನು ತೊಡೆದುಹಾಕುವ ಪ್ರತಿಜ್ಞೆಯನ್ನೂ ತೆಗೆದುಕೊಳ್ಳೋಣ. ಕೆಲವೇ ಪದಗಳಲ್ಲಿ ಹೇಳುವುದಾದರೆ ನಾನು ಹೇಳಬಯಸುವುದು …

ಮಹಾಕುಂಭದ ಸಂದೇಶಒಂದಾಗಲಿ ಸಂಪೂರ್ಣ ದೇಶ.

ಮಹಾಕುಂಭದ ಸಂದೇಶಒಂದಾಗಲಿ ಸಂಪೂರ್ಣ ದೇಶ.

ಮತ್ತು ನಾನು ಅದನ್ನು ಬೇರೆ ರೀತಿಯಲ್ಲಿ ಹೇಳುವುದಾದರೆನಾನು ಹೀಗೆ ಹೇಳುತ್ತೇನೆ ...

ಗಂಗೆಯ ನಿರಂತರ ಪ್ರವಾಹದಂತೆ ಇರಲಿ ಒಗ್ಗೂಡಿ ನಮ್ಮ ಸಮಾಜ ಇಬ್ಭಾಗವಾಗದಂತೆ.

ಗಂಗೆಯ ನಿರಂತರ ಪ್ರವಾಹದಂತೆ ಇರಲಿ ಒಗ್ಗೂಡಿ ನಮ್ಮ ಸಮಾಜ ಇಬ್ಭಾಗವಾಗದಂತೆ.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ, ಈ ಬಾರಿ ದೇಶ ಮತ್ತು ಪ್ರಪಂಚದಾದ್ಯಂತದ ಭಕ್ತರು ಪ್ರಯಾಗರಾಜ್‌ನಲ್ಲಿ ಡಿಜಿಟಲ್ ಮಹಾಕುಂಭಕ್ಕೆ ಸಾಕ್ಷಿಯಾಗಲಿದ್ದಾರೆ. ಡಿಜಿಟಲ್ ನ್ಯಾವಿಗೇಷನ್ ಸಹಾಯದಿಂದ, ನೀವು ವಿವಿಧ ಘಾಟ್‌ಗಳು, ದೇವಾಲಯಗಳು, ಸಾಧುಗಳ ಅಖಾಡಾಗಳನ್ನು ತಲುಪುವ ಮಾರ್ಗವು ಲಭಿಸಲಿದೆ. ಈ ನ್ಯಾವಿಗೇಷನ್ ಸಿಸ್ಟಮ್ ನಿಮಗೆ ಪಾರ್ಕಿಂಗ್ ತಲುಪಲು ಸಹಾಯ ಮಾಡುತ್ತದೆ. ಮೊದಲ ಬಾರಿಗೆ, ಮಹಾಕುಂಭ ಆಯೋಜನೆಯಲ್ಲಿ ಕೃತಕ ಬುದ್ಧಿಮತ್ತೆಯ ಚಾಟ್‌ಬಾಟ್ ಅನ್ನು ಬಳಸಲಾಗುವುದು. AI ಚಾಟ್‌ಬಾಟ್ ಮೂಲಕ, ಕುಂಭಕ್ಕೆ ಸಂಬಂಧಿಸಿದ ಪ್ರತಿಯೊಂದು ರೀತಿಯ ಮಾಹಿತಿಯನ್ನು 11 ಭಾರತೀಯ ಭಾಷೆಗಳಲ್ಲಿ ಪಡೆಯಬಹುದು.  ಈ ಚಾಟ್‌ಬಾಟ್‌ ಗೆ text ಟೈಪ್ ಮಾಡುವ ಮೂಲಕ ಅಥವಾ ಧ್ವನಿ ಮೂಲಕ ಯಾವುದೇ ರೀತಿಯ ಸಹಾಯವನ್ನು ಯಾಚಿಸಬಹುದು. ಕಾರ್ಯಕ್ರಮ ನಡೆಯುವ ಸಂಪೂರ್ಣ ಪ್ರದೇಶವನ್ನು AI ಚಾಲಿತ ಕ್ಯಾಮೆರಾಗಳಿಂದ ಅವರಿಸಲಾಗಿದೆ. ಕುಂಭದಲ್ಲಿ ಯಾರಾದರೂ ತಮ್ಮ ಬಂಧು ಬಳಗದಿಂದ ಬೇರ್ಪಟ್ಟರೆ, ಅವರನ್ನು ಹುಡುಕಲು ಈ ಕ್ಯಾಮೆರಾಗಳು ಸಹಾಯ ಮಾಡುತ್ತವೆ. ಭಕ್ತರು ಡಿಜಿಟಲ್ ಲಾಸ್ಟ್ & ಫೌಂಡ್ ಸೆಂಟರ್ ಸೌಲಭ್ಯವನ್ನೂ ಪಡೆಯಲಿದ್ದಾರೆ. ಸರ್ಕಾರದಿಂದ ಅನುಮೋದಿತ ಪ್ರವಾಸ ಪ್ಯಾಕೇಜ್‌ಗಳು, ವಸತಿ ಮತ್ತು ಹೋಂಸ್ಟೇಗಳ ಬಗ್ಗೆಯೂ ಭಕ್ತರಿಗೆ ಮೊಬೈಲ್‌ನಲ್ಲಿ ಮಾಹಿತಿ ನೀಡಲಾಗುವುದು.  ನೀವೂ ಸಹ ಮಹಾಕುಂಭಕ್ಕೆ ತೆರಳಿದರೆ, ಈ ಸೌಲಭ್ಯಗಳ ಪ್ರಯೋಜನವನ್ನು ಪಡೆದುಕೊಳ್ಳಿ ಮತ್ತು ನಿಮ್ಮ ಸೆಲ್ಫಿಯನ್ನು #EktaKaMahaKumbh ಜೊತೆಗೆ ಅಪ್‌ಲೋಡ್ ಮಾಡಿ.     

ಸ್ನೇಹಿತರೇ, ‘ಮನ್ ಕಿ ಬಾತ್’ ಅಂದರೆ ಎಂಕೆಬಿಯಲ್ಲಿ ಈಗ ನಾವು ಕೆಟಿಬಿಯ ಬಗ್ಗೆ ಮಾತನಾಡೋಣ, ಹಿರಿಯರಲ್ಲಿ, ಅನೇಕರಿಗೆ ಕೆಟಿಬಿ ಬಗ್ಗೆ ತಿಳಿದಿಲ್ಲ. ಆದರೆ ಮಕ್ಕಳನ್ನು ಕೇಳಿ, ಕೆಟಿಬಿ ಅವರಲ್ಲಿ ಬಹಳ ಸೂಪರ್ಹಿಟ್ ಆಗಿದೆ. ಕೆಟಿಬಿ ಎಂದರೆ ಕ್ರಿಶ್, ತ್ರಿಶ್ ಮತ್ತು ಬಾಲ್ಟಿಬಾಯ್. ಮಕ್ಕಳ ಮೆಚ್ಚಿನ ಅನಿಮೇಷನ್ ಸರಣಿಯ ಬಗ್ಗೆ ನಿಮಗೆ ತಿಳಿದಿರಬಹುದು, ಅದರ ಹೆಸರು ಕೆಟಿಬಿ – ಭಾರತ್ ಹೈ ಹಮ್ ಮತ್ತು ಈಗ ಅದರ ಎರಡನೇ ಸೀಸನ್ ಕೂಡ ಬಂದಿದೆ. ಈ ಮೂರು ಅನಿಮೇಷನ್ ಪಾತ್ರಗಳು ಬೆಳಕಿಗೆ ಬಾರದ ಭಾರತೀಯ ಸ್ವಾತಂತ್ರ್ಯ ಹೋರಾಟದ ನಾಯಕರು ಮತ್ತು ನಾಯಕಿಯರ ಬಗ್ಗೆ ನಮಗೆ ಹೇಳುತ್ತವೆ. ಇತ್ತೀಚಿಗೆ ಗೋವಾದ ಇಂಟರ್ನ್ಯಾಷನಲ್ ಫಿಲ್ಮ್ ಫೆಸ್ಟಿವಲ್ ಆಫ್ ಇಂಡಿಯಾದಲ್ಲಿ ವಿಶೇಷ ಶೈಲಿಯಲ್ಲಿ ಅದರ ಸೀಸನ್-2 ನ್ನು ಪ್ರಾರಂಭಿಸಲಾಯಿತು. ಈ ಸರಣಿಯು ಹಲವು ಭಾರತೀಯ ಭಾಷೆಗಳಲ್ಲಿ ಮಾತ್ರವಲ್ಲದೆ ವಿದೇಶಿ ಭಾಷೆಗಳಲ್ಲಿಯೂ ಪ್ರಸಾರವಾಗುತ್ತದೆ ಎಂಬುದು ಅತ್ಯಂತ ಅದ್ಭುತ ಸಂಗತಿ. ಇದನ್ನು ದೂರದರ್ಶನ ಮತ್ತು ಇತರ OTT ಪ್ಲಾಟ್‌ಫಾರ್ಮ್‌ಗಳಲ್ಲಿ ನೋಡಬಹುದು.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ, ನಮ್ಮ ಅನಿಮೇಷನ್ ಚಲನಚಿತ್ರಗಳು, ಸಾಮಾನ್ಯ ಚಲನಚಿತ್ರಗಳು ಮತ್ತು ಟಿವಿ ಧಾರಾವಾಹಿಗಳ ಜನಪ್ರಿಯತೆಯು ಸೃಜನಶೀಲ ಉದ್ಯಮದಲ್ಲಿ ಭಾರತದ ಅದೆಷ್ಟು ಸಾಮರ್ಥ್ಯ ಹೊಂದಿದೆ ಎಂಬುದನ್ನು ತೋರಿಸುತ್ತದೆ. ಈ ಉದ್ಯಮವು ದೇಶದ ಪ್ರಗತಿಯಲ್ಲಿ ದೊಡ್ಡ ಕೊಡುಗೆಯನ್ನು ನೀಡುತ್ತಿದೆ ಅಲ್ಲದೆ ನಮ್ಮ ಆರ್ಥಿಕತೆಯನ್ನು ಮತ್ತಷ್ಟು ಎತ್ತರಕ್ಕೆ ಕೊಂಡೊಯ್ಯುತ್ತಿದೆ. ನಮ್ಮ ಚಲನಚಿತ್ರ ಮತ್ತು ಮನರಂಜನಾ ಉದ್ಯಮವು ತುಂಬಾ ದೊಡ್ಡದಾಗಿದೆ. ದೇಶದ ಹಲವು ಭಾಷೆಗಳಲ್ಲಿ ಚಲನಚಿತ್ರಗಳನ್ನು ತಯಾರಿಸಲಾಗುತ್ತದೆ ಮತ್ತು creative content ಸಿದ್ಧಗೊಳಿಸಲಾಗುತ್ತದೆ. ನಾನು ನಮ್ಮ ಚಲನಚಿತ್ರ ಮತ್ತು ಮನರಂಜನಾ ಉದ್ಯಮವನ್ನು ಅಭಿನಂದಿಸುತ್ತೇನೆ ಏಕೆಂದರೆ ಅದು ‘ಏಕ್ ಭಾರತ್ – ಶ್ರೇಷ್ಠ ಭಾರತ’ ಎಂಬ ಭಾವನೆಗೆ ಪುಷ್ಟಿ ನೀಡುತ್ತದೆ.   

ಸ್ನೇಹಿತರೇ, 2024ರಲ್ಲಿ ನಾವು ಚಿತ್ರರಂಗದ ಅನೇಕ ಮಹಾನ್ ವ್ಯಕ್ತಿಗಳ 100 ನೇ ಜನ್ಮ ಜಯಂತಿಯನ್ನು ಆಚರಿಸುತ್ತಿದ್ದೇವೆ. ಈ ವ್ಯಕ್ತಿಗಳು ಭಾರತೀಯ ಚಿತ್ರರಂಗಕ್ಕೆ ವಿಶ್ವ ಮಟ್ಟದಲ್ಲಿ ಮನ್ನಣೆ ತಂದು ಕೊಟ್ಟರು. ರಾಜ್ ಕಪೂರ್ ಅವರು ಭಾರತದ ಸಾಫ್ಟ್ ಪವರ್ ಅನ್ನು ಚಲನಚಿತ್ರಗಳ ಮೂಲಕ ಜಗತ್ತಿಗೆ ಪರಿಚಯಿಸಿದರು. ರಫಿ ಸಾಹಬ್ ಅವರ ಧ್ವನಿಯಲ್ಲಿ ಎಂಥ ಮಾಂತ್ರಿಕತೆ ಇತ್ತೆಂದರೆ, ಎಲ್ಲರ ಹೃದಯವನ್ನು ಮುಟ್ಟುತ್ತಿತ್ತು. ಅವರ ಧ್ವನಿ ಅದ್ಭುತವಾಗಿತ್ತು. ಭಕ್ತಿಗೀತೆಗಳಾಗಲಿ, ಪ್ರಣಯ ಗೀತೆಗಳಾಗಲಿ, ನೋವಿನ ಗೀತೆಗಳಾಗಲಿ, ಪ್ರತಿಯೊಂದು ಭಾವಕ್ಕೆ ತಮ್ಮ ಕಂಠದಿಂದ ಅವರು ಜೀವ ತುಂಬುತ್ತಿದ್ದರು. ಇಂದಿಗೂ ಯುವ ಪೀಳಿಗೆ ಅವರ ಹಾಡುಗಳನ್ನು ಅಷ್ಟೇ ಪ್ರೀತಿಯಿಂದ ಕೇಳುತ್ತಾರೆ ಎಂದರೆ ಈ ಮೂಲಕ ಆ ಕಲಾವಿದನ ಹಿರಿಮೆಯನ್ನು ಅಳೆಯಬಹುದಾಗಿದೆ. ಇದೆ ಅಲ್ಲವೇ ಕಾಲಾತೀತವಾದ ಕಲೆಯಾ ಗುರುತು. ಅಕ್ಕಿನೇನಿ ನಾಗೇಶ್ವರ ರಾವ್ ಅವರು ತೆಲುಗು ಚಿತ್ರರಂಗವನ್ನು ಹೊಸ ಎತ್ತರಕ್ಕೆ ಕೊಂಡೊಯ್ದಿದ್ದಾರೆ. ಅವರ ಚಲನಚಿತ್ರಗಳು ಭಾರತೀಯ ಸಂಪ್ರದಾಯಗಳು ಮತ್ತು ಮೌಲ್ಯಗಳನ್ನು ಚೆನ್ನಾಗಿ ಪ್ರಸ್ತುತಪಡಿವೆ. ತಪನ್ ಸಿನ್ಹಾ ಅವರ ಚಿತ್ರಗಳು ಸಮಾಜಕ್ಕೆ ಹೊಸ ದೃಷ್ಟಿಕೋನ ನೀಡಿದವು. ಅವರ ಚಲನಚಿತ್ರಗಳು ಸಾಮಾಜಿಕ ಪ್ರಜ್ಞೆ ಮತ್ತು ರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ಏಕತೆಯ ಸಂದೇಶವನ್ನು ಒಳಗೊಂಡಿದ್ದವು. ಈ ಸೆಲೆಬ್ರಿಟಿಗಳ ಜೀವನ ನಮ್ಮ ಇಡೀ ಚಿತ್ರರಂಗಕ್ಕೆ ಸ್ಪೂರ್ತಿದಾಯಕ.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ, ನಾನು ನಿಮಗೆ ಇನ್ನೊಂದು ಸಂತಸದಾ  ಸುದ್ದಿಯನ್ನು ನೀಡಲು ಬಯಸುತ್ತೇನೆ. ಭಾರತದ ಸೃಜನಶೀಲ ಪ್ರತಿಭೆಯನ್ನು ವಿಶ್ವದೆದುರು ಪ್ರದರ್ಶಿಸಲು ಒಂದು ದೊಡ್ಡ ಅವಕಾಶ ಒದಗಿ ಬಂದಿದೆ. ಮುಂದಿನ ವರ್ಷ, ವಿಶ್ವ ಆಡಿಯೋ ವಿಷುಯಲ್ ಎಂಟರ್‌ಟೈನ್‌ಮೆಂಟ್ ಶೃಂಗಸಭೆ ಅಂದರೆ ವೇವ್ಸ್ ಶೃಂಗಸಭೆಯನ್ನು ನಮ್ಮ ದೇಶದಲ್ಲಿ ಮೊದಲ ಬಾರಿಗೆ ಆಯೋಜಿಸಲಾಗುವುದು. ವಿಶ್ವದ ಆರ್ಥಿಕ ಕ್ಷೇತ್ರದ ದಿಗ್ಗಜರು ಒಗ್ಗೂಡುವ ದಾವೋಸ್ ಬಗ್ಗೆ ನೀವೆಲ್ಲರೂ ಕೇಳಿರಬಹುದು. ಅದೇ ರೀತಿ, ವೇವ್ಸ್ ಶೃಂಗಸಭೆಯಲ್ಲಿ, ವಿಶ್ವದ ಮಾಧ್ಯಮ ಮತ್ತು ಮನರಂಜನಾ ಉದ್ಯಮದ ದಿಗ್ಗಜರು ಮತ್ತು ಸೃಜನಶೀಲ ಪ್ರಪಂಚದ ಜನರು ಭಾರತಕ್ಕೆ ಬರುತ್ತಾರೆ. ಭಾರತವನ್ನು ಜಾಗತಿಕ content creation ಕೇಂದ್ರವನ್ನಾಗಿ ಮಾಡುವ ನಿಟ್ಟಿನಲ್ಲಿ ಈ ಶೃಂಗಸಭೆಯು ಪ್ರಮುಖ ಹೆಜ್ಜೆಯಾಗಿದೆ. ಈ ಶೃಂಗಸಭೆಯ ತಯಾರಿಯಲ್ಲಿ ನಮ್ಮ ದೇಶದ ಯುವ creator ಗಳು ಕೂಡಾ ಸಂಪೂರ್ಣ ಉತ್ಸಾಹದಿಂದ ಭಾಗವಹಿಸುತ್ತಿದ್ದಾರೆ ಎಂದು ಹೇಳಲು ನನಗೆ ಹೆಮ್ಮೆಯಾಗುತ್ತಿದೆ. ನಾವು 5 ಟ್ರಿಲಿಯನ್ ಡಾಲರ್ ಆರ್ಥಿಕತೆಯತ್ತ ಸಾಗುತ್ತಿರುವಾಗ, ನಮ್ಮ creator  economy ಹೊಸ ಶಕ್ತಿಯನ್ನು ತುಂಬುತ್ತಿದೆ. ನೀವು ಯುವ creators ಆಗಿರಬಹುದು ಅಥವಾ ಪ್ರಸಿದ್ಧ ಕಲಾವಿದರಾಗಿರಬಹುದು, ಬಾಲಿವುಡ್ ಅಥವಾ ಪ್ರಾದೇಶಿಕ ಸಿನಿಮಾ ಕ್ಷೇತ್ರದವರಾಗಿರಬಹುದು, ಟಿವಿ ಉದ್ಯಮದಲ್ಲಿ ವೃತ್ತಿಪರರು ಅಥವಾ ಅನಿಮೇಷನ್, ಗೇಮಿಂಗ್ ಅಥವಾ ಮನರಂಜನಾ ತಂತ್ರಜ್ಞಾನದಲ್ಲಿ ಪರಿಣಿತರಾಗಿರಬಹುದು , ನೀವೆಲ್ಲರೂ ವೇವ್ಸ್ ಶೃಂಗಸಭೆಯಲ್ಲಿ ಭಾಗವಹಿಸಿ ಎಂದು ನಾನು ಭಾರತದ ಸಂಪೂರ್ಣ ಮನರಂಜನೆ ಮತ್ತು ಸೃಜನಶೀಲ ಉದ್ಯಮವನ್ನು ಆಗ್ರಹಿಸುತ್ತೇನೆ .

ನನ್ನ ಪ್ರಿಯ ದೇಶವಾಸಿಗಳೇ, ಭಾರತೀಯ ಸಂಸ್ಕೃತಿಯ ಪ್ರಕಾಶ ಇಂದು ಪ್ರಪಂಚದ ಮೂಲೆ ಮೂಲೆಗಳಲ್ಲಿ ಹೇಗೆ ಹರಡುತ್ತಿದೆ ಎಂಬುದು ನಿಮಗೆಲ್ಲರಿಗೂ ತಿಳಿದಿದೆ. ನಮ್ಮ ಸಾಂಸ್ಕೃತಿಕ ಪರಂಪರೆಯ ಜಾಗತಿಕ ವಿಸ್ತರಣೆಗೆ ಸಾಕ್ಷಿಯಾಗಿರುವ ಮೂರು ಖಂಡಗಳಿಂದ ಅಂತಹ ಪ್ರಯತ್ನಗಳ ಬಗ್ಗೆ ಇಂದು ನಾನು ನಿಮಗೆ ಹೇಳಬಯಸುತ್ತೇನೆ. ಇವೆಲ್ಲವೂ ಒಂದಕ್ಕೊಂದು ಮೈಲುಗಟ್ಟಲೆ ದೂರದಲ್ಲಿದ್ದರೂ ಭಾರತದ  ಬಗ್ಗೆ ತಿಳಿದುಕೊಳ್ಳುವ ಮತ್ತು ನಮ್ಮ ಸಂಸ್ಕೃತಿಯಿಂದ ಕಲಿಯುವ ಅವರ ಬಯಕೆ ಒಂದೇ ರೀತಿಯದ್ದಾಗಿದೆ.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ, ವರ್ಣಚಿತ್ರಗಳ ಪ್ರಪಂಚ ಎಷ್ಟು ಬಣ್ಣಗಳಿಂದ ತುಂಬಿರುತ್ತದೆಯೋ ಅಷ್ಟೇ ಸುಂದರವಾಗಿರುತ್ತದೆ. ಟಿವಿ ಮೂಲಕ ‘ಮನದ ಮಾತು’ ವೀಕ್ಷಿಸುತ್ತಿರುವ ಸ್ನೇಹಿತರು ಈಗ ಟಿವಿಯಲ್ಲಿ ಕೆಲವು ವರ್ಣಚಿತ್ರಗಳನ್ನು ವೀಕ್ಷಿಸಬಹುದು. ಈ ವರ್ಣಚಿತ್ರಗಳಲ್ಲಿ ನಮ್ಮ ದೇವ ದೇವತೆಗಳು, ನೃತ್ಯ ಕಲೆಗಳು ಮತ್ತು ಶ್ರೇಷ್ಠ ವ್ಯಕ್ತಿಗಳನ್ನು ನೋಡಿ ನಿಮಗೆ ತುಂಬಾ ಸಂತೋಷವಾಗಬಹುದು. ಇವುಗಳಲ್ಲಿ ನೀವು ಭಾರತದಲ್ಲಿ ಕಂಡುಬರುವ ಪ್ರಾಣಿ ಪಕ್ಷಿಗಳಲ್ಲದೆ ಇನ್ನು ಬಹಳಷ್ಟು ವಿಷಯಗಳನ್ನು ನೋಡಬಹುದು. ಇವುಗಳಲ್ಲಿ ತಾಜ್ ಮಹಲ್‌ನ ಭವ್ಯವಾದ ವರ್ಣಚಿತ್ರವೂ ಸೇರಿದೆ, ಇದನ್ನು 13 ವರ್ಷದ ಬಾಲಕಿ ರಚಿಸಿದ್ದಾಳೆ. ಈ ಅಂಗವಿಕಲ ಬಾಲಕಿ ತನ್ನ ಬಾಯಿಯಿಂದಲೇ ಈ ಪ್ಯಾಟಿಂಗ್ ಅನ್ನು ಸಿದ್ಧಪಡಿಸಿದ್ದಾಳೆ ಎಂದು ತಿಳಿದು ನಿಮಗೆ ಆಶ್ಚರ್ಯವಾಗಬಹುದು. ಅತ್ಯಂತ ಕುತೂಹಲಕಾರಿ ಸಂಗತಿಯೆಂದರೆ, ಈ ಚಿತ್ರಗಳನ್ನು ನಿರ್ಮಿಸಿದವರು ಭಾರತದವರಲ್ಲ ಹೊರತು ಈಜಿಪ್ಟ್‌ನ ವಿದ್ಯಾರ್ಥಿಗಳು. ಕೆಲವೇ ವಾರಗಳ ಹಿಂದೆ ಈಜಿಪ್ಟ್ ನ ಸುಮಾರು 23 ಸಾವಿರ ವಿದ್ಯಾರ್ಥಿಗಳು ಚಿತ್ರಕಲಾ ಸ್ಪರ್ಧೆಯಲ್ಲಿ ಭಾಗವಹಿಸಿದ್ದರು. ಅಲ್ಲಿ ಅವರು ಭಾರತದ ಸಂಸ್ಕೃತಿ ಮತ್ತು ಉಭಯ ದೇಶಗಳ ಐತಿಹಾಸಿಕ ಸಂಬಂಧಗಳನ್ನು ಬಿಂಬಿಸುವ ಚಿತ್ರಗಳನ್ನು ಬರೆಯಬೇಕಿತ್ತು. ಈ ಸ್ಪರ್ಧೆಯಲ್ಲಿ ಭಾಗವಹಿಸಿದ ಎಲ್ಲಾ ಯುವಕರನ್ನು ನಾನು ಅಭಿನಂದಿಸುತ್ತೇನೆ. ಅವರ ಸೃಜನಶೀಲತೆ ಬಗ್ಗೆ  ಎಷ್ಟು ಹೊಗಳಿದರೂ ಸಾಲದು.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ, ಪರಾಗ್ವೆ, ದಕ್ಷಿಣ ಅಮೆರಿಕಾದಲ್ಲಿರುವ ಒಂದು ದೇಶ. ಅಲ್ಲಿ ವಾಸಿಸುವ ಭಾರತೀಯರ ಸಂಖ್ಯೆ ಸಾವಿರದಷ್ಟಿರಬಹುದು. ಪರಾಗ್ವೆಯಲ್ಲಿ ಒಂದು ಅದ್ಭುತ ಪ್ರಯತ್ನ ಮಾಡಲಾಗುತ್ತಿದೆ. ಎರಿಕಾ ಹ್ಯೂಬರ್, ಅಲ್ಲಿನ ಭಾರತೀಯ ರಾಯಭಾರ ಕಚೇರಿಯಲ್ಲಿ ಉಚಿತವಾಗಿ ಆಯುರ್ವೇದ ಸಮಾಲೋಚನೆ ಕೈಗೊಳ್ಳುತ್ತಿದ್ದಾರೆ. ಆಯುರ್ವೇದ ಸಲಹೆ ಪಡೆಯಲು ಅವರ ಬಳಿ ಹೆಚ್ಚಿನ ಸಂಖ್ಯೆಯಲ್ಲಿ ಸ್ಥಳೀಯರು ಆಗಮಿಸುತ್ತಿದ್ದಾರೆ. ಎರಿಕಾ ಹ್ಯೂಬರ್ ಎಂಜಿನಿಯರಿಂಗ್ ವ್ಯಾಸಂಗ ಮಾಡಿದ್ದರೂ, ಅವರಿಗೆ ಆಯುರ್ವೇದದತ್ತ ಹೆಚ್ಚು ಒಲವು. ಆಯುರ್ವೇದಕ್ಕೆ ಸಂಬಂಧಿಸಿದ ಕೋರ್ಸ್‌ಗಳನ್ನು ಮಾಡಿದ್ದ ಅವರು ಕಾಲಕ್ರಮೇಣ ಅದರಲ್ಲಿ ಪ್ರಾವೀಣ್ಯತೆ ಸಾಧಿಸಿದ್ದಾರೆ.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ, ಪ್ರಪಂಚದ ಅತ್ಯಂತ ಪುರಾತನ ಭಾಷೆ ತಮಿಳು ಮತ್ತು ಪ್ರತಿಯೊಬ್ಬ ಭಾರತೀಯನಿಗೂ ಇದು ಹೆಮ್ಮೆಯ ವಿಷಯವಾಗಿದೆ. ಪ್ರಪಂಚದಾದ್ಯಂತದ ದೇಶಗಳಲ್ಲಿ ಇದನ್ನು ಕಲಿಯುವವರ ಸಂಖ್ಯೆ ನಿರಂತರವಾಗಿ ಹೆಚ್ಚುತ್ತಿದೆ. ಕಳೆದ ತಿಂಗಳ ಕೊನೆಯಲ್ಲಿ, ಫಿಜಿಯಲ್ಲಿ ಭಾರತ ಸರ್ಕಾರದ ಸಹಾಯದಿಂದ ತಮಿಳು ಬೋಧನಾ ಕಾರ್ಯಕ್ರಮ ಪ್ರಾರಂಭವಾಯಿತು. ಕಳೆದ 80 ವರ್ಷಗಳಲ್ಲಿ ತಮಿಳು ಭಾಷೆಯಲ್ಲಿ ತರಬೇತಿ ಪಡೆದ ಶಿಕ್ಷಕರು ಫಿಜಿಯಲ್ಲಿ ಈ ಭಾಷೆಯನ್ನು ಕಲಿಸುತ್ತಿರುವುದು ಪ್ರಥಮ ಬಾರಿಯಾಗಿದೆ. ಇಂದು ಫಿಜಿಯನ್ ವಿದ್ಯಾರ್ಥಿಗಳು ತಮಿಳು ಭಾಷೆ ಮತ್ತು ಸಂಸ್ಕೃತಿಯನ್ನು ಕಲಿಯಲು ಉತ್ಸುಕರಾಗಿರುವುದ್ದನ್ನು ಅರಿತು ನನಗೆ ಸಂತೋಷವಾಯಿತು.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ, ಈ ವಿಷಯಗಳು, ಈ ಘಟನೆಗಳು ಕೇವಲ ಯಶಸ್ಸಿನ ಕಥೆಗಳು ಮಾತ್ರವಲ್ಲ, ನಮ್ಮ ಸಾಂಸ್ಕೃತಿಕ ಪರಂಪರೆಯ ಗಾಥೆಗಳೂ ಆಗಿವೆ . ಈ ಉದಾಹರಣೆಗಳು ನಾವು ಹೆಮ್ಮೆ ಪಡುವಂತೆ ಮಾಡುತ್ತವೆ. ಕಲೆಯಿಂದ ಆಯುರ್ವೇದದವರೆಗೆ ಮತ್ತು ಭಾಷೆಯಿಂದ ಸಂಗೀತದವರೆಗೆ, ಭಾರತದಲ್ಲಿಯಾ ಅದೆಷ್ಟೋ ವಿಷಯಗಳು ವಿಶ್ವಾದ್ಯಂತ ಪ್ರಭಾವ ಬೀರುತ್ತಿವೆ. ಸ್ನೇಹಿತರೇ, ಚಳಿಗಾಲದ ಈ ಋತುವಿನಲ್ಲಿ ದೇಶಾದ್ಯಂತ ಕ್ರೀಡೆ ಮತ್ತು ಸದೃಢತೆ ಕುರಿತಂತೆ ಅನೇಕ ಚಟುವಟಿಕೆಗಳು ನಡೆಯುತ್ತಿವೆ. ಜನರು ಫಿಟ್ನೆಸ್ ಅನ್ನು ತಮ್ಮ ದಿನಚರಿಯ ಭಾಗವನ್ನಾಗಿಸಿಕೊಂಡಿರುವುದು ನನಗೆ ಸಂತಸ ತಂದಿದೆ. ಕಾಶ್ಮೀರದಲ್ಲಿ ಸ್ಕೀಯಿಂಗ್ ನಿಂದ ಹಿಡಿದು ಗುಜರಾತ್ ನಲ್ಲಿ ಗಾಳಿಪಟ ಸ್ಪರ್ಧೆಯವರೆಗೂ ಪ್ರತಿಯೊಂದು ವಿಧದ ಕ್ರೀಡೆಯಲ್ಲಿ ಉತ್ಸಾಹ ಕಂಡು ಬರುತ್ತಿದೆ. #SundayOnCycle ಮತ್ತು #CyclingTuesday ನಂತಹ ಅಭಿಯಾನಗಳಿಂದ ಸೈಕ್ಲಿಂಗ್ ಗೆ ಸಾಕಷ್ಟು ಪ್ರಚಾರ  ದೊರೆಯುತ್ತಿದೆ.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ, ನಾನು ಈಗ ನಿಮಗೆ ವಿಶೇಷವಾದ ವಿಷಯವೊಂದನ್ನು ಹೇಳಲು ಬಯಸುತ್ತೇನೆ. ಇದು ನಮ್ಮ ದೇಶದಲ್ಲಿ ಉಂಟಾಗುತ್ತಿರುವ ಬದಲಾವಣೆ ಮತ್ತು ಯುವಜನತೆಯ ಉತ್ಸಾಹದ ಸಂಕೇತವಾಗಿದೆ.  ನಮ್ಮ ಬಸ್ತರ್ ನಲ್ಲಿ ಒಂದು ವಿಶಿಷ್ಠ ಒಲಿಂಪಿಕ್ ಆರಂಭವಾಗಿದೆ ಎಂಬುದು ನಿಮಗೆ ಗೊತ್ತೇ! ಹೌದು, ಮೊದಲ ಬಾರಿಗೆ ಬಸ್ತರ್ ನಲ್ಲಿ ನಡೆದಿರುವ ಒಲಿಂಪಿಕ್ ನಿಂದ ಅಲ್ಲಿ ಹೊಸ ಕ್ರಾಂತಿ ಉದಯವಾಗುತ್ತಿದೆ. ಬಸ್ತರ್ ಒಲಿಂಪಿಕ್ಸ್ ನ ಕನಸು ನನಸಾಗುತ್ತಿರುವುದು ನನಗಂತೂ ಬಹಳ ಸಂತಸದ ವಿಷಯವಾಗಿದೆ. ಒಂದು ಕಾಲದಲ್ಲಿ ಮಾವೋವಾದಿಗಳ ಹಿಂಸಾಚಾರಕ್ಕೆ ಸಾಕ್ಷಿಯಾಗಿದ್ದ ಈ ಪ್ರದೇಶದಲ್ಲಿ ಈಗ ಒಲಿಂಪಿಕ್ಸ್ ನಡೆದಿರುವುದು ನಿಮಗೆ ಕೂಡಾ ಸಂತಸವೆನಿಸುತ್ತದೆ.  ಬಸ್ತರ್ ಒಲಿಂಪಿಕ್ಸ್ ನ ಅದೃಷ್ಟರೂಪಿ ಬೊಂಬೆ – ‘ಕಾಡೆಮ್ಮೆ’ ಮತ್ತು ‘ಗುಡ್ಡಗಾಡಿನ ಮೈನಾ ಆಗಿದೆ. ಇದರಲ್ಲಿ ಬಸ್ತರ್ ನ ಶ್ರೀಮಂತ ಸಂಸ್ಕೃತಿಯ ನೋಟ ಕಂಡುಬರುತ್ತದೆ. ಈ ಬಸ್ತರ್ ಕ್ರೀಡಾ ಮಹಾಕುಂಭದ ಘೋಷ ವಾಕ್ಯ ಇದಾಗಿದೆ–

ಕರಸಾಯ ತಾ ಬಸ್ತರ್ ಬರಸಾಯೇ ತಾ ಬಸ್ತರ್

ಅಂದರೆಆಡುತ್ತದೆ ಬಸ್ತರ್ – ಗೆಲ್ಲುತ್ತದೆ ಬಸ್ತರ್ |

ಮೊದಲ ಬಾರಿಗೆ ಬಸ್ತರ್ ಒಲಿಂಪಿಕ್ ನಲ್ಲಿ 7 ಜಿಲ್ಲೆಗಳ ಒಂದು ಲಕ್ಷ 65 ಸಾವಿರ ಆಟಗಾರರು ಪಾಲ್ಗೊಂಡಿದ್ದಾರೆ. ಇದು ಕೇವಲ ಅಂಕಿ-ಅಂಶ ಮಾತ್ರವಲ್ಲ – ಇದು ನಮ್ಮ ಯುವಜನತೆಯ ಸಂಕಲ್ಪದ – ಬದ್ಧತೆಯ ಕಥೆಯಾಗಿದೆ. ಅಥ್ಲೆಟಿಕ್ಸ್, ಬಿಲ್ಲುಗಾರಿಕೆ, ಬ್ಯಾಡ್ಮಿಂಟನ್, ಫುಟ್ಬಾಲ್, ಹಾಕಿ, ವೈಟ್ ಲಿಫ್ಟಿಂಗ್, ಕರಾಟೆ, ಕಬಡ್ಡಿ, ಖೋ-ಖೋ, ಮತ್ತು ವಾಲೀಬಾಲ್ – ಹೀಗೆ ಪ್ರತಿಯೊಂದು ಆಟದಲ್ಲಿ ನಮ್ಮ ಯುವಜನತೆ ತಮ್ಮ ಪ್ರತಿಭೆಯನ್ನು ಪ್ರದರ್ಶಿಸಿದ್ದಾರೆ. ಕಾರಿ ಕಶ್ಯಪ್ ಅವರ ಕತೆಯು ನನ್ನಲ್ಲಿ ಬಹಳ ಸ್ಫೂರ್ತಿ ತುಂಬುತ್ತದೆ. ಒಂದು ಸಣ್ಣ ಗ್ರಾಮದಿಂದ ಬಂದಿರುವ ಕಾರೀ ಅವರು ಬಿಲ್ಲುಗಾರಿಕೆಯಲ್ಲಿ ಬೆಳ್ಳಿ ಪದಕ ವಿಜೇತರಾಗಿದ್ದಾರೆ. ಅವರು ಹೀಗೆ ಹೇಳುತ್ತಾರೆ – “ಬಸ್ತರ್ ಒಲಿಂಪಿಕ್ ನಮಗೆ ಕೇವಲ ಆಟದ ಮೈದಾನ ಮಾತ್ರವಲ್ಲದೇ ಜೀವನದಲ್ಲಿ ಮುಂದೆ ಸಾಗುವ ಅವಕಾಶವನ್ನೂ ನೀಡಿದೆ ಸುಕ್ಮಾ ದ ಪಾಯಲ್ ಕವಾಸೀ ಅವರ ಮಾತುಗಳು ಕೂಡಾ ಬಹಳ ಸ್ಫೂರ್ತಿದಾಯಕವಾಗಿದೆ. Javelin ಎಸೆತದಲ್ಲಿ ಚಿನ್ನದ ಪದಕ ವಿಜೇತೆ ಪಾಯಲ್ ಹೀಗೆನ್ನುತ್ತಾರೆ – “ಶಿಸ್ತು ಮತ್ತು ಕಠಿಣ ಪರಿಶ್ರಮದಿಂದ ಯಾವುದೇ ಗುರಿ ಸಾಧನೆ ಅಸಂಭವವಲ್ಲ” ಸುಕ್ಮಾದ ದೋರನ್ ಪಾಲ್ ನ ಪುನೆಮ್ ಸನ್ನಾ ಅವರ ಕತೆಯಂತೂ ನವಭಾರತದ ಪ್ರೇರಣಾದಾಯಕ ಕತೆಯಾಗಿದೆ. ಒಂದೊಮ್ಮೆ ನಕ್ಸಲರ ಪ್ರಭಾವಕ್ಕೆ ಒಳಗಾಗಿದ್ದ ಪುನೇಮ್ ಅವರು ಇಂದು ಗಾಲಿಕುರ್ಚಿಯಲ್ಲಿ ಓಡಿ ಪದಕ ಗೆಲ್ಲುತ್ತಿದ್ದಾರೆ. ಅವರ ಧೈರ್ಯ ಮತ್ತು ಸಾಹಸ ಪ್ರತಿಯೊಬ್ಬರಿಗೂ ಸ್ಫೂರ್ತಿದಾಯಕವಾಗಿದೆ. ಕೋಡ್ ಗಾಂವ್ ನ ಬಿಲ್ಲುಗಾರ್ತಿ ರಂಜು ಸೋರಿ ಅವರನ್ನು ಬಸ್ತರ್ ಯೂತ್ ಐಕಾನ್ ಎಂದು ಆಯ್ಕೆ ಮಾಡಲಾಯಿತು. ಬಸ್ತರ್ ಒಲಿಂಪಿಕ್ ದೂರ ದೂರದ ಪ್ರದೇಶಗಳ ಯುವಜನತೆಗೆ ರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ವೇದಿಕೆ ತಲುಪುವ ಅವಕಾಶವನ್ನು ನೀಡುತ್ತಿದೆ ಎನ್ನುವುದು ಅವರು ಭಾವಿಸುತ್ತಾರೆ.   

ಸ್ನೇಹಿತರೇ, ಒಲಿಂಪಿಕ್ ಕೇವಲ ಒಂದು ಕ್ರೀಡಾ ಆಯೋಜನೆ ಮಾತ್ರವಲ್ಲ. ಇದು ಅಭಿವೃದ್ಧಿ ಮತ್ತು ಕ್ರೀಡೆಯ ಸಂಗಮದ ವೇದಿಕೆಯಾಗಿದೆ. ಇಲ್ಲಿ ನಮ್ಮ ಯುವಜನತೆ ತಮ್ಮ ಪ್ರತಿಭೆಯನ್ನು ಮೆರೆಯುತ್ತಿದ್ದಾರೆ ಮತ್ತು ಒಂದು ನವ ಭಾರತ ನಿರ್ಮಾಣ ಮಾಡುತ್ತಿದ್ದಾರೆ.

ನೀವಿರುವ ಪ್ರದೇಶದಲ್ಲಿ ಇಂತಹ ಕ್ರೀಡಾಕೂಟಗಳಿಗೆ ಪ್ರೋತ್ಸಾಹಿಸಿ.

ಆಡುತ್ತದೆ ಭಾರತ – ಗೆಲ್ಲುತ್ತದೆ ಭಾರತದೊಂದಿಗೆ ನಿಮ್ಮ ಪ್ರದೇಶದ ಕ್ರೀಡಾ ಪ್ರತಿಭೆಗಳ ಗಾಥೆಗಳನ್ನು ಹಂಚಿಕೊಳ್ಳಿ.

ಸ್ಥಳೀಯ ಕ್ರೀಡಾ ಪ್ರತಿಭೆಗಳಿಗೆ ಮುನ್ನಡೆಯುವ ಅವಕಾಶ ನೀಡಿ ಎಂದು ನಾನು ನಿಮ್ಮೆಲ್ಲರಲ್ಲಿ ಮನವಿ ಮಾಡುತ್ತೇನೆ.

ನೆನಪಿಡಿ, ಕ್ರೀಡೆಗಳಿಂದ ಕೇವಲ ದೈಹಿಕ ಬೆಳವಣಿಗೆ ಮಾತ್ರವಲ್ಲದೇ, ಇದು ಕ್ರೀಡಾಕಾರ ಮನೋಭಾವದೊಂದಿಗೆ ಸಮಾಜವನ್ನು ಜೋಡಿಸುವ ಒಂದು ಪ್ರಬಲ ಮಾಧ್ಯಮವೂ ಆಗಿದೆ. ಚೆನ್ನಾಗಿ ಆಟವಾಗಿ – ಚೆನ್ನಾಗಿ ಆಟವಾಡಿ.

ನನ್ನ ಪ್ರೀತಿಯ ದೇಶವಾಸಿಗಳೇ, ಭಾರತದ ಎರಡು ದೊಡ್ಡ ಸಾಧನೆಗಳು ಇಂದು ವಿಶ್ವದ ಗಮನವನ್ನು ಸೆಳೆಯುತ್ತಿವೆ. ಇದನ್ನು  ಕೇಳಿದರೆ ನೀವು ಕೂಡಾ ಹೆಮ್ಮೆ ಪಡುತ್ತೀರಿ - ಈ ಎರಡೂ ಯಶಸ್ಸುಗಳು  ಸಾಧನೆಯಾಗಿರುವುದು ಆರೋಗ್ಯ ಕ್ಷೇತ್ರದಲ್ಲಿ.  ಮೊದಲ ಯಶಸ್ತು ದೊರೆತಿರುವುದು ಮಲೇರಿಯಾ ವಿರುದ್ಧದ ಹೋರಾಟದಲ್ಲಿ. ಮಲೇರಿಯಾ ರೋಗವು ನಾಲ್ಕು ಸಾವಿರ ವರ್ಷಗಳಿಂದ ಮಾನವಕುಲಕ್ಕೆ ಒಂದು ದೊಡ್ಡ ಸವಾಲಾಗಿದೆ. ಸ್ವಾತಂತ್ರ್ಯದ ಸಮಯದಲ್ಲಿ ಕೂಡಾ ಇದು ನಮ್ಮ ಆರೋಗ್ಯ ಸಂಬಂಧಿತ ಸವಾಲುಗಳ ಪೈಕಿ ಒಂದೆನಿಸಿತ್ತು. ಒಂದು ತಿಂಗಳ ಶಿಶುವಿನಿಂದ ಹಿಡಿದು ಐದು ವರ್ಷ ವಯಸ್ಸಿನ ಮಕ್ಕಳ ಪ್ರಾಣ ಹರಣ ಮಾಡುವ ಎಲ್ಲಾ ಸಾಂಕ್ರಾಮಿಕ ರೋಗಗಳ ಪೈಕಿ ಮಲೇರಿಯಾ ರೋಗಕ್ಕೆ ಮೂರನೇ ಸ್ಥಾನ. ಇಂದು, ದೇಶವಾಸಿಗಳೆಲ್ಲಾ ಒಗ್ಗಟ್ಟಾಗಿ ಈ ಸವಾಲನ್ನು ಎದುರಿಸಿದ್ದಾರೆಂದು ನಾನು ಸಂತೋಷದಿಂದ ಹೇಳಬಲ್ಲೆ. ವಿಶ್ವ ಆರೋಗ್ಯ ಸಂಘಟನೆ -WHO ವರದಿ ಹೀಗೆನ್ನುತ್ತದೆ “ಭಾರತದಲ್ಲಿ 2015 ರಿಂದ 2023 ರ ಮಧ್ಯೆ ಮಲೇರಿಯಾ ರೋಗ ಮತ್ತು ಅದರಿಂದ ಸಂಭವಿಸುವ ಸಾವುಗಳ ಸಂಖ್ಯೆಯಲ್ಲಿ ಶೇಕಡಾ 80 ರಷ್ಟು ಕಡಿಮೆಯಾಗಿದೆ” ಇದು ಒಂದು ಸಣ್ಣ ಸಾಧನೆಯಲ್ಲ. ಅತ್ಯಂತ ಸಂತಸದ ವಿಷಯವೆಂದರೆ, ಈ ಯಶಸ್ಸು ಜನರ ಭಾಗೀದಾರಿಯಿಂದ ದೊರೆತಿದೆ. ಭಾರತ ಮೂಲೆ ಮೂಲೆಯಿಂದ, ಪ್ರತಿ ಜಿಲ್ಲೆಯಿಂದ, ಪ್ರತಿಯೊಬ್ಬರೂ ಆ ಅಭಿಯಾನದ ಭಾಗವಾಗಿದ್ದಾರೆ. ಅಸ್ಸಾಂನಲ್ಲಿ ಜೋರ್ ಹಾಟ್ ನ ಚಹಾ ತೋಟಗಳಲ್ಲಿ ನಾಲ್ಕು ವರ್ಷಗಳ ಹಿಂದಿನವರೆಗೂ ಮಲೇರಿಯಾ ರೋಗ ಜನರ ಚಿಂತೆಯ ಬಹು ದೊಡ್ಡ ಕಾರಣವಾಗಿತ್ತು. ಆದರೆ ಅದನ್ನು ನಿರ್ಮೂಲಸಲು ಚಹಾ ತೋಟದಲ್ಲಿ ವಾಸಿಸುವ ಜನರು ಒಗ್ಗಟ್ಟಿನಿಂದ ಮುಂದೆ ಬಂದಾಗ, ಇದರಲ್ಲಿ ಸಾಕಷ್ಟು ಯಶಸ್ಸು ದೊರೆಯಲಾರಂಭಿಸಿತು. ಅವರು ತಮ್ಮ ಈ ಪ್ರಯತ್ನದಲ್ಲಿ ತಂತ್ರಜ್ಞಾನದ ಜೊತೆಗೆ ಸಾಮಾಜಿಕ ಮಾಧ್ಯಮವನ್ನು ಬಹಳಷ್ಟು ಉಪಯೋಗಿಸಿದ್ದಾರೆ. ಇದೇ ರೀತಿ ಹರಿಯಾಣಾದ ಕುರುಕ್ಷೇತ್ರ ಜಿಲ್ಲೆಯು ಮಲೇರಿಯಾ ರೋಗದ ನಿಯಂತ್ರಣಕ್ಕಾಗಿ ಉತ್ತಮ ಮಾದರಿಯನ್ನು ಪ್ರಸ್ತುತಪಡಿಸಿದೆ. ಇಲ್ಲಿ ಮಲೇರಿಯಾ ರೋಗದ ಮೇಲೆ ನಿಗಾ ಇರಿಸುವುದಕ್ಕೆ ಜನರ ಸಹಭಾಗಿತ್ವ ಸಾಕಷ್ಟು ಯಶಸ್ವಿಯಾಗಿದೆ. ಬೀದಿ ನಾಟಕಗಳು ಮತ್ತು ರೇಡಿಯೋ ಮೂಲಕ ಇಂತಹ ಸಂದೇಶಗಳಿಗೆ ಒತ್ತು ನೀಡಲಾಯಿತು. ಸೊಳ್ಳೆಗಳ ಸಂತಾನೋತ್ಪತ್ತಿ ಕಡಿಮೆ ಮಾಡುವಲ್ಲಿ ಇವು ಸಾಕಷ್ಟು ಸಹಾಯಕವಾಯಿತು. ದೇಶಾದ್ಯಂತ ಇಂತಹ ಪ್ರಯತ್ನಗಳಿಂದಲೇ ನಾವು ಮಲೇರಿಯಾ ವಿರುದ್ಧದ ಹೋರಾಟವನ್ನು ಮತ್ತಷ್ಟು ವೇಗವಾಗಿ ಮುನ್ನಡೆಸಲು ಸಾಧ್ಯವಾಯಿತು.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ, ನಾವು ನಮ್ಮ ತಿಳುವಳಿಕೆ ಮತ್ತು ಸಂಕಲ್ಪ ಶಕ್ತಿಯಿಂದ ಏನು ಬೇಕಾದರೂ ಸಾಧಿಸಬಹುದು ಎನ್ನುವುದಕ್ಕೆ ಮತ್ತೊಂದು ಉದಾಹರಣೆ ಎಂದರೆ ಅದು ಕ್ಯಾನ್ಸರ್ ವಿರುದ್ಧದ ಹೋರಾಟ. ವಿಶ್ವದ ಪ್ರಸಿದ್ಧ ಮೆಡಿಕಲ್ ಜರ್ನಲ್ ಲ್ಯಾನ್ಸೆಟ್ ನ ಅಧ್ಯಯನ ನಿಜಕ್ಕೂ ಬಹಳ ಭರವಸೆದಾಯಕವಾಗಿದೆ. ಈ ಪತ್ರಿಕೆಯ ಅನುಸಾರ ಈಗ ಭಾರತದಲ್ಲಿ ಸಕಾಲದಲ್ಲಿ ಕ್ಯಾನ್ಸರ್ ರೋಗಕ್ಕೆ ಚಿಕಿತ್ಸೆ ಆರಂಭಿಸುವ ಸಾಧ್ಯತೆ ಬಹಳಷ್ಟು ಹೆಚ್ಚಾಗಿದೆ.  ಸಕಾಲದಲ್ಲಿ ಚಿಕಿತ್ಸೆ ಎಂದರೆ– ಕ್ಯಾನ್ಸರ್ ರೋಗಿಯ ಚಿಕಿತ್ಸೆ 30 ದಿನಗಳೊಳಗಾಗಿ ಆರಂಭವಾಗುವುದು ಎಂದರ್ಥ ಹಾಗೂ ಇದರಲ್ಲಿ ‘ಆಯುಷ್ಮಾನ್ ಭಾರತ್ ಯೋಜನೆ‘ ಬಹು ದೊಡ್ಡ ಪಾತ್ರ ನಿರ್ವಹಿಸಿದೆ. ಈ ಯೋಜನೆಯಿಂದಾಗಿ ಶೇಕಡಾ 90 ರಷ್ಟು ಕ್ಯಾನ್ಸರ್ ರೋಗಿಗಳು ಸಕಾಲದಲ್ಲಿ ತಮ್ಮ ಚಿಕಿತ್ಸೆ ಆರಂಭಿಸಲು ಸಾಧ್ಯವಾಗುತ್ತಿದೆ. ಹೀಗಾಗಿ ಈ ಮೊದಲು ಹಣದ ಕೊರತೆಯಿಂದಾಗಿ ಬಡ ರೋಗಿಗಳು ಕ್ಯಾನ್ಸರ್ ರೋಗಕ್ಕಾಗಿ ತಪಾಸಣೆ ಮತ್ತು ಅದರ ಚಿಕಿತ್ಸೆಗೆ ಹಿಂಜರಿಯುತ್ತಿದ್ದರು. ಈಗ ‘ಆಯುಷ್ಮಾನ್ ಭಾರತ್ ಯೋಜನೆ’ ಅವರಿಗೆ ಬಹು ದೊಡ್ಡ ಆಸರೆಯಾಗಿದೆ. ಈಗ ಅವರು ತಮ್ಮ ರೋಗಕ್ಕೆ ಚಿಕಿತ್ಸೆ ಪಡೆಯಲು ಮುಂದಾಗುತ್ತಿದ್ದಾರೆ. ಆಯುಷ್ಮಾನ್ ಭಾರತ್ ಯೋಜನೆಯು ಕ್ಯಾನ್ಸರ್ ರೋಗದ ಚಿಕಿತ್ಸೆಗೆ ಉಂಟಾಗುವ ಖರ್ಚಿನ ಆತಂಕವನ್ನು ಸಾಕಷ್ಟು ಕಡಿಮೆ ಮಾಡಿದೆ. ಇಂದು ಸಕಾಲದಲ್ಲಿ ಕ್ಯಾನ್ಸರ್ ರೋಗಕ್ಕೆ ಚಿಕಿತ್ಸೆ ಪಡೆದುಕೊಳ್ಳುವ ಕುರಿತು ಜನರು ಹಿಂದೆಂದಿಗಿಂತಲೂ ಹೆಚ್ಚು ಜಾಗರೂಕರಾಗಿದ್ದಾರೆ ಎನ್ನುವುದು ಉತ್ತಮ ವಿಚಾರವಾಗಿದೆ. ಈ ಸಾಧನೆಯು ನಮ್ಮ ಆರೋಗ್ಯರಕ್ಷಣೆ ವ್ಯವಸ್ಥೆಯಷ್ಟೇ, ನಮ್ಮ ವೈದ್ಯರು, ದಾದಿಯರು ಮತ್ತು ತಾಂತ್ರಿಕ ಸಿಬ್ಬಂದಿಯದ್ದೂ ಆಗಿದೆ, ಅಷ್ಟೇ ಅಲ್ಲ ನಿಮ್ಮೆಲ್ಲರದ್ದೂ, ನನ್ನ ನಾಗರಿಕ ಸೋದರ ಸೋದರಿಯರದ್ದೂ ಆಗಿದೆ. ಎಲ್ಲರ ಪ್ರಯತ್ನದಿಂದ ಕ್ಯಾನ್ಸರ್ ರೋಗವನ್ನು ಹಿಮ್ಮೆಟ್ಟಿಸುವ ಸಂಕಲ್ಪ ಮತ್ತಷ್ಟು ಬಲವಾಗಿದೆ. ಅರಿವು ಮೂಡಿಸಲು ಪ್ರಮುಖ ಕೊಡುಗೆ ನೀಡಿದ ಎಲ್ಲರಿಗೂ ಆ ಯಶಸ್ಸಿನ ಶ್ರೇಯ ಸಲ್ಲುತ್ತದೆ.

ಕ್ಯಾನ್ಸರ್ ವಿರುದ್ಧ ಹೋರಾಡಲು ಒಂದೇ ಒಂದು ಮಂತ್ರವಿದೆ – ಅದೆಂದರೆ ಅರಿವು, ಕ್ರಮ ಮತ್ತು ಭರವಸೆ – ಅವೇರ್ನೆಸ್, ಆಕ್ಷನ್ ಮತ್ತು ಅಶ್ಯೂರೆನ್ಸ್. ಅವೇರ್ನೆಸ್ ಎಂದರೆ ಕ್ಯಾನ್ಸರ್ ಮತ್ತು ಅದರ ಲಕ್ಷಣಗಳ ಕುರಿತ ಅರಿವು, ಆಕ್ಷನ್ ಎಂದರೆ ಸಮಯಕ್ಕೆ ಸರಿಯಾಗಿ ತಪಾಸಣೆ ಮತ್ತು ಚಿಕಿತ್ಸೆ, ಅಶ್ಯೂರೆನ್ಸ್ ಎಂದರೆ ರೋಗಿಗೆ ಪ್ರತಿಯೊಂದು ಸಹಾಯವೂ ಲಭ್ಯವಿದೆ ಎನ್ನುವ ಭರವಸೆ. ಬನ್ನಿ, ನಾವೆಲ್ಲರೂ ಒಗ್ಗಟ್ಟಾಗಿ ಕ್ಯಾನ್ಸರ್ ವಿರುದ್ಧದ ಈ ಹೋರಾಟವನ್ನು ವೇಗದಿಂದ ಮುನ್ನಡೋಸೋಣ ಮತ್ತು ಹೆಚ್ಚು ಹೆಚ್ಚು ರೋಗಿಗಳಿಗೆ ಸಹಾಯ ಮಾಡೋಣ.

ನನ್ನ ಪ್ರೀತಿಯ ದೇಶವಾಸಿಗಳೇ, ನಾನು ಇಂದು ನಿಮಗೆ ಒಡಿಶಾದ ಕಾಲಾಹಾಂಡಿಯಲ್ಲಿ ಅತ್ಯಂತ ಕಡಿಮೆ ನೀರು ಮತ್ತು ಕಡಿಮೆ ಸಂಪನ್ಮೂಲಗಳಿದ್ದರೂ ಕೂಡಾ ಅವಿರತ ಪ್ರಯತ್ನದಿಂದ ಸಾಧಿಸಿರುವ ಯಶಸ್ಸಿನ ಕತೆಯೊಂದನ್ನು ನಿಮಗೆ ಹೇಳಲು ಬಯಸುತ್ತೇನೆ. ಇದು ಕಾಲಾಹಾಂಡಿಯ ತರಕಾರಿ ಕ್ರಾಂತಿ. ಒಂದು ಕಾಲದಲ್ಲಿ ರೈತರು ಜಾಗ ತೊರೆದು ಬೇರೆಡೆಗೆ ಹೋಗಬೇಕಾಗಿತ್ತೋ ಅದೇ ಜಾಗ ಇಂದು, ಕಾಲಾಹಾಂಡಿಯ ಗೋಲಾ ಮುಂಡಾ ಬ್ಲಾಕ್ ನ ಒಂದು ತರಕಾರಿ ಹಬ್ ಆಗಿ ಪರಿವರ್ತನೆಯಾಗಿದೆ. ಈ ಪರಿವರ್ತನೆಯಾದದ್ದು ಹೇಗೆ? ಇದು ಕೇವಲ 10 ಮಂದಿ ರೈತರ ಒಂದು ಸಣ್ಣ ಗುಂಪಿನಿಂದ ಆರಂಭವಾಯಿತು. ಈ ಗುಂಪು ಒಂದುಗೂಡಿ ಒಂದು FPO - ‘ರೈತ ಉತ್ಪನ್ನ ಸಂಘ’ ಸ್ಥಾಪಿಸಿತು, ಕೃಷಿಯಲ್ಲಿ ಆಧುನಿಕ ತಂತ್ರಜ್ಞಾನದ ಬಳಕೆ ಶುರು ಮಾಡಿತು, ಮತ್ತು ಇಂದು ಅವರ ಈ FPO ಕೋಟಿಗಟ್ಟಲೆ ವಹಿವಾಟು ನಡೆಸುತ್ತಿದೆ. ಇಂದು 200 ಕ್ಕೂ ಅಧಿಕ ರೈತರು FPO ನೊಂದಿಗೆ ಜೋಡಣೆಯಾಗಿದ್ದಾರೆ, ಇದರಲ್ಲಿ 45 ಮಂದಿ ಮಹಿಳಾ ರೈತರೂ ಇದ್ದಾರೆ. ಇವರೆಲ್ಲರೂ ಸೇರಿ 200 ಎಕರೆ ಪ್ರದೇಶದಲ್ಲಿ ಟೊಮ್ಯಾಟೋ ಕೃಷಿ ಮಾಡುತ್ತಿದ್ದಾರೆ, 150 ಎಕರೆ ಜಾಗದಲ್ಲಿ ಹಾಗಲಕಾಯಿ ಬೆಳೆಯುತ್ತಿದ್ದಾರೆ. ಈಗ ಈ FPO ದ ವಾರ್ಷಿಕ ವಹಿವಾಟು ಕೂಡಾ ಅಧಿಕವಾಗಿ, ಒಂದೂವರೆ ಕೋಟಿಗೆ ತಲುಪಿದೆ. ಇಂದು ಕಾಲಾಹಾಂಡಿಯ ತರಕಾರಿಗಳು ಕೇವಲ ಒಡಿಶಾದ ಬೇರೆ ಬೇರೆ ಜಿಲ್ಲೆಗಳಲ್ಲಿ ಮಾತ್ರವಲ್ಲದೇ, ಬೇರೆ ರಾಜ್ಯಗಳಿಗೂ ತಲುಪುತ್ತಿವೆ, ಮತ್ತು ಅಲ್ಲಿನ ರೈತ ಈಗ ಆಲೂಗಡ್ಡೆ ಮತ್ತು ಈರುಳ್ಳಿಯ ಕೃಷಿಯ ಹೊಸ ತಂತ್ರಗಳನ್ನು ಕೂಡಾ ಕಲಿಯುತ್ತಿದ್ದಾನೆ.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ, ಸಂಕಲ್ಪ ಶಕ್ತಿ ಮತ್ತು ಸಾಮೂಹಿಕ ಪ್ರಯತ್ನದಿಂದ ಏನೆಲ್ಲಾ ಸಾಧಿಸಬಹುದು ಎಂಬುದನ್ನು ಕಾಲಾಹಾಂಡಿಯ ಈ ಯಶಸ್ಸು ನಮಗೆ ಕಲಿಸುತ್ತದೆ. ನಾನು ನಿಮ್ಮೆಲ್ಲರಲ್ಲಿ ಮನವಿ ಮಾಡುವುದೇನೆಂದರೆ :-

  • ನೀವಿರುವ ಪ್ರದೇಶದಲ್ಲಿ FPO ಅನ್ನು ಪ್ರೋತ್ಸಾಹಿಸಿ.
  • ರೈತ ಉತ್ಪನ್ನ ಸಂಘಗಳೊಂದಿಗೆ ಸೇರಿಕೊಳ್ಳಿ ಮತ್ತು ಅವುಗಳನ್ನು ಬಲಪಡಿಸಿ. 

ನೆನಪಿಡಿ – ಸಣ್ಣ ಆರಂಭದಿಂದಲೇ ಭಾರೀ ಪರಿವರ್ತನೆಗಳು ಸಾಧ್ಯವಾಗುತ್ತವೆ. ಅದಕ್ಕಾಗಿ ನಮಗೆ ದೃಢ ಸಂಕಲ್ಪ ಮತ್ತು ಒಗ್ಗಟ್ಟಿನ ಭಾವನೆಯ ಅಗತ್ಯವಿರುತ್ತದೆ.

ಸ್ನೇಹಿತರೇ, ಇಂದು ‘ಮನದ ಮಾತಿನಲ್ಲಿ’ ನಮ್ಮ ಭಾರತ ವಿವಿಧತೆಯಲ್ಲಿ ಏಕತೆ ಎಂಬ ಭಾವನೆಯಿಂದ ಯಾವರೀತಿ ಮುಂದೆ ಸಾಗುತ್ತಿದೆ ಎಂಬುದನ್ನು ಆಲಿಸಿದೆವು. ಅದು ಆಟದ ಮೈದಾನವಿರಲಿ, ಅಥವಾ ವಿಜ್ಞಾನ ಕ್ಷೇತ್ರವೇ ಆಗಲಿ, ಆರೋಗ್ಯ ಅಥವಾ ಶಿಕ್ಷಣ ಕ್ಷೇತ್ರವೇ ಆಗಲಿ, ಪ್ರತಿಯೊಂದು ಕ್ಷೇತ್ರದಲ್ಲಿ ಭಾರತ ಉನ್ನತ ಶಿಖರಗಳನ್ನು ತಲುಪುತ್ತಿದೆ. ನಾವು ಒಂದು ಕುಟುಂಬದಂತೆ ಒಂದುಗೂಡಿ ಪ್ರತಿಯೊಂದು ಸವಾಲನ್ನೂ ಎದುರಿಸಿದ್ದೇವೆ ಮತ್ತು ಹೊಸ ಸಾಧನೆಗಳನ್ನು ನಮ್ಮದಾಗಿಸಿಕೊಂಡಿದ್ದೇವೆ. 2014 ರಲ್ಲಿ ಆರಂಭವಾದ ‘ಮನದ ಮಾತಿನ’ 116 ಸಂಚಿಕೆಗಳಲ್ಲಿ ‘ಮನದ ಮಾತು’ ದೇಶದ ಸಾಮೂಹಿಕ ಶಕ್ತಿಯು ಜೀವಂತ ದಾಖಲೆಯಾಗಿರುವುದನ್ನು ನಾನು ನೋಡಿದ್ದೇನೆ.  ತಾವೆಲ್ಲರೂ ಈ ಕಾರ್ಯಕ್ರಮವನ್ನು ತಮ್ಮದಾಗಿಸಿಕೊಂಡಿರುವಿರಿ. ಪ್ರತಿ ತಿಂಗಳೂ ನಿಮ್ಮ ನಿಮ್ಮ ಚಿಂತನೆಗಳು ಮತ್ತು ಪ್ರಯತ್ನಗಳನ್ನು ಹಂಚಿಕೊಳ್ಳುತ್ತಿದ್ದೀರಿ. ಕೆಲವೊಮ್ಮೆ ಯುವ ಆವಿಷ್ಕಾರಕನ ಚಿಂತನೆಯಿಂದ ಪ್ರಭಾವಿತನಾದರೆ, ಮತ್ತೊಮ್ಮೆ ಹೆಣ್ಣು ಮಗಳೊಬ್ಬಳ ಸಾಧನೆ ನನಗೆ ಹೆಮ್ಮೆ ತಂದಿದೆ. ನಿಮ್ಮೆಲ್ಲರ ಸಹಭಾಗಿತ್ವವೇ ದೇಶದ ಮೂಲೆ ಮೂಲೆಯಿಂದ ಸಕಾರಾತ್ಮಕ ಶಕ್ತಿಯನ್ನು ಒಟ್ಟುಗೂಡಿಸುತ್ತದೆ. 'ಮನದ ಮಾತು' ಈ ಸಕಾರಾತ್ಮಕ ಶಕ್ತಿ ವರ್ಧನೆಯ ವೇದಿಕೆಯಾಗಿ ಮಾರ್ಪಟ್ಟಿದೆ ಮತ್ತು ಈಗ, 2025 ಬಾಗಿಲು ತಟ್ಟುತ್ತಿದೆ. ಮುಂಬರುವ ವರ್ಷದಲ್ಲಿ ‘ಮನದ ಮಾತಿನ’ ಮೂಲಕ ನಾವೆಲ್ಲರೂ ಮತ್ತಷ್ಟು ಪ್ರೇರಣಾದಾಯಕ ಪ್ರಯತ್ನಗಳನ್ನು ಹಂಚಿಕೊಳ್ಳೋಣ. ದೇಶವಾಸಿಗಳ ಸಕಾರಾತ್ಮಕ ಚಿಂತನೆ ಮತ್ತು ಆವಿಷ್ಕಾರದ ಭಾವನೆಯಿಂದ ಭಾರತ ಹೊಸ ಶಿಖರಗಳನ್ನು ತಲುಪುತ್ತದೆ ಎಂಬ ವಿಶ್ವಾಸ ನನಗಿದೆ. ನೀವೆಲ್ಲರೂ ನಿಮ್ಮ ಸುತ್ತಮುತ್ತಲಿನ ವಿಶಿಷ್ಠ ಪ್ರಯತ್ನಗಳ ಬಗ್ಗೆ #Mannkibaat  ನಲ್ಲಿ ಹಂಚಿಕೊಳ್ಳುತ್ತಿರಿ. ಮುಂದಿನ ವರ್ಷದ ಪ್ರತಿಯೊಂದು ಮನದ ಮಾತಿನಲ್ಲಿ ನಮ್ಮಲ್ಲಿ ಪರಸ್ಪರ ಹಂಚಿಕೊಳ್ಳಲು ಬಹಳಷ್ಟು ವಿಷಯಗಳಿರುತ್ತವೆ ಎಂದು ನನಗೆ ಗೊತ್ತು. ನಿಮ್ಮೆಲ್ಲರಿಗೂ 2025 ನೂತನ ವರ್ಷಕ್ಕಾಗಿ ಅನೇಕಾನೇಕ ಶುಭಾಕಾಂಕ್ಷೆಗಳು. ಆರೋಗ್ಯದಿಂದಿರಿ, ಸಂತೋಷದಿಂದಿರಿ. Fit India Movement ನೊಂದಿಗೆ ನೀವೆಲ್ಲರೂ ಸೇರಿಕೊಳ್ಳಿ, ನೀವೆಲ್ಲರೂ ಸದೃಢರಾಗಿರಿ. ಜೀವನದಲ್ಲಿ ಅಭಿವೃದ್ಧಿ ಹೊಂದುತ್ತಿರಿ. ಅನೇಕಾನೇಕ ಧನ್ಯವಾದ.