Published By : Admin |
September 16, 2022 | 13:30 IST
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ಘನತೆವೆತ್ತವರೇ,
ಈ ವರ್ಷದ ಸವಾಲಿನ ಜಾಗತಿಕ ಮತ್ತು ಪ್ರಾದೇಶಿಕ ಪರಿಸರದಲ್ಲಿ ಎಸ್ಸಿಒದ ಪರಿಣಾಮಕಾರಿ ನಾಯಕತ್ವಕ್ಕಾಗಿ ನಾನು ಅಧ್ಯಕ್ಷ ಮಿರ್ಜಿಯೋಯೆವ್ ಅವರನ್ನು ಹೃತ್ಪೂರ್ವಕವಾಗಿ ಅಭಿನಂದಿಸುತ್ತೇನೆ.
ಇಂದು, ಇಡೀ ಜಗತ್ತು ಸಾಂಕ್ರಾಮಿಕ ರೋಗದ ನಂತರ ಆರ್ಥಿಕ ಚೇತರಿಕೆಯ ಸವಾಲುಗಳನ್ನು ಎದುರಿಸುತ್ತಿರುವಾಗ ಎಸ್ಸಿಒ ಪಾತ್ರವು ಬಹಳ ಮುಖ್ಯವಾಗಿದೆ. ಎಸ್ ಸಿ ಒ ಸದಸ್ಯ ರಾಷ್ಟ್ರಗಳು ಜಾಗತಿಕ ಜಿಡಿಪಿಯ ಸುಮಾರು 30 ಪ್ರತಿಶತದಷ್ಟು ಕೊಡುಗೆ ನೀಡುತ್ತವೆ ಮತ್ತು ವಿಶ್ವದ ಜನಸಂಖ್ಯೆಯ 40 ಪ್ರತಿಶತದಷ್ಟು ಜನರು ಎಸ್ಸಿಒ ದೇಶಗಳಲ್ಲಿ ವಾಸಿಸುತ್ತಿದ್ದಾರೆ. ಭಾರತವು ಎಸ್ಸಿಒ ಸದಸ್ಯರ ನಡುವೆ ಹೆಚ್ಚಿನ ಸಹಕಾರ ಮತ್ತು ಪರಸ್ಪರ ನಂಬಿಕೆಯನ್ನು ಬೆಂಬಲಿಸುತ್ತದೆ. ಉಕ್ರೇನ್ನಲ್ಲಿನ ಸಾಂಕ್ರಾಮಿಕ ಮತ್ತು ಬಿಕ್ಕಟ್ಟು ಜಾಗತಿಕ ಪೂರೈಕೆ ಸರಪಳಿಯಲ್ಲಿ ಅನೇಕ ಅಡೆತಡೆಗಳನ್ನು ಉಂಟುಮಾಡಿತು, ಈ ಕಾರಣದಿಂದಾಗಿ ಇಡೀ ಪ್ರಪಂಚವು ಹಿಂದೆಂದೂ ಕಾಣದಂತಹ ಇಂಧನ ಮತ್ತು ಆಹಾರ ಬಿಕ್ಕಟ್ಟನ್ನು ಎದುರಿಸುತ್ತಿದೆ. ನಮ್ಮ ಪ್ರದೇಶದಲ್ಲಿ ವಿಶ್ವಾಸಾರ್ಹ, ಚೇತರಿಸಿಕೊಳ್ಳಬಲ್ಲ ಮತ್ತು ವೈವಿಧ್ಯಮಯ ಪೂರೈಕೆ ಸರಪಳಿಗಳನ್ನು ಅಭಿವೃದ್ಧಿಪಡಿಸಲು ಎಸ್ ಸಿ ಒ ಪ್ರಯತ್ನಗಳನ್ನು ಮಾಡಬೇಕು. ಇದಕ್ಕೆ ಉತ್ತಮ ಸಂಪರ್ಕದ ಅಗತ್ಯವಿರುತ್ತದೆ, ಜೊತೆಗೆ ನಾವೆಲ್ಲರೂ ಪರಸ್ಪರ ಸಾರಿಗೆಯ ಸಂಪೂರ್ಣ ಹಕ್ಕುಗಳನ್ನು ನೀಡುವುದು ಸಹ ಮುಖ್ಯವಾಗಿದೆ.
ಘನತೆವೆತ್ತವರೇ,
ಭಾರತವನ್ನು ಉತ್ಪಾದನಾ ಕೇಂದ್ರವನ್ನಾಗಿ ಮಾಡುವಲ್ಲಿ ನಾವು ಪ್ರಗತಿ ಸಾಧಿಸುತ್ತಿದ್ದೇವೆ. ಭಾರತದ ಯುವ ಮತ್ತು ಪ್ರತಿಭಾವಂತ ಕಾರ್ಯಪಡೆಯು ನಮ್ಮನ್ನು ಸ್ವಾಭಾವಿಕವಾಗಿ ಸ್ಪರ್ಧಾತ್ಮಕವಾಗಿಸುತ್ತದೆ. ಭಾರತದ ಆರ್ಥಿಕತೆಯು ಈ ವರ್ಷ ಶೇಕಡಾ 7.5 ರಷ್ಟು ಬೆಳೆಯುವ ನಿರೀಕ್ಷೆಯಿದೆ, ಇದು ವಿಶ್ವದ ಅತಿದೊಡ್ಡ ಆರ್ಥಿಕತೆಗಳಲ್ಲಿ ಅತ್ಯಧಿಕವಾಗಿದೆ. ನಮ್ಮ ಜನಕೇಂದ್ರಿತ ಅಭಿವೃದ್ಧಿ ಮಾದರಿಯಲ್ಲಿ ತಂತ್ರಜ್ಞಾನದ ಸರಿಯಾದ ಬಳಕೆಗೆ ಹೆಚ್ಚಿನ ಗಮನ ನೀಡಲಾಗುತ್ತಿದೆ. ನಾವು ಪ್ರತಿಯೊಂದು ವಲಯದಲ್ಲೂ ನಾವೀನ್ಯತೆಯನ್ನು ಬೆಂಬಲಿಸುತ್ತಿದ್ದೇವೆ. ಇಂದು, ಭಾರತದಲ್ಲಿ 70,000 ಕ್ಕೂ ಹೆಚ್ಚು ನವೋದ್ಯಮಗಳಿವೆ, ಅವುಗಳಲ್ಲಿ 100 ಕ್ಕೂ ಹೆಚ್ಚು ಯುನಿಕಾರ್ನ್ಗಳಿವೆ. ನಮ್ಮ ಅನುಭವವು ಅನೇಕ ಇತರ ಎಸ್ ಸಿ ಒ ಸದಸ್ಯರಿಗೆ ಸಹ ಉಪಯುಕ್ತವಾಗಬಹುದು. ಈ ಉದ್ದೇಶಕ್ಕಾಗಿ, ಸ್ಟಾರ್ಟ್-ಅಪ್ಗಳು ಮತ್ತು ನಾವೀನ್ಯತೆಗಳ ಕುರಿತು ಹೊಸ ವಿಶೇಷ ಕಾರ್ಯಕಾರಿ ಗುಂಪನ್ನು ಸ್ಥಾಪಿಸುವ ಮೂಲಕ ಎಸ್ ಸಿ ಒ ಸದಸ್ಯ ರಾಷ್ಟ್ರಗಳೊಂದಿಗೆ ನಮ್ಮ ಅನುಭವವನ್ನು ಹಂಚಿಕೊಳ್ಳಲು ನಾವು ಸಿದ್ಧರಿದ್ದೇವೆ.
ಘನತೆವೆತ್ತವರೇ,
ಜಗತ್ತು ಇಂದು ಮತ್ತೊಂದು ಪ್ರಮುಖ ಸವಾಲನ್ನು ಎದುರಿಸುತ್ತಿದೆ ಮತ್ತು ಅದು ನಮ್ಮ ನಾಗರಿಕರ ಆಹಾರ ಭದ್ರತೆಯನ್ನು ಖಾತ್ರಿಪಡಿಸುವುದಾಗಿದೆ. ಈ ಸಮಸ್ಯೆಗೆ ಒಂದು ಸಂಭವನೀಯ ಪರಿಹಾರವೆಂದರೆ ಆಹಾರ ಧಾನ್ಯಗಳ ಕೃಷಿ ಮತ್ತು ಬಳಕೆಯನ್ನು ಉತ್ತೇಜಿಸುವುದು. ನವಣೆ ಒಂದು ಸೂಪರ್ಫುಡ್ ಆಗಿದ್ದು, ಸಾವಿರಾರು ವರ್ಷಗಳಿಂದ ಎಸ್ ಸಿ ಒ ದೇಶಗಳಲ್ಲಿ ಮಾತ್ರವಲ್ಲದೆ ಪ್ರಪಂಚದ ಅನೇಕ ಭಾಗಗಳಲ್ಲಿ ಬೆಳೆಯಲಾಗುತ್ತದೆ ಮತ್ತು ಆಹಾರದ ಬಿಕ್ಕಟ್ಟನ್ನು ಎದುರಿಸಲು ಸಾಂಪ್ರದಾಯಿಕ, ಪೌಷ್ಟಿಕ ಮತ್ತು ಕಡಿಮೆ-ವೆಚ್ಚದ ಪರ್ಯಾಯ ಆಹಾರ ಧಾನ್ಯವಾಗಿದೆ. 2023ನೇ ವರ್ಷವನ್ನು ಯುಎನ್ ಅಂತರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ಮಿಲ್ಲೆಟ್ ವರ್ಷ ಎಂದು ಆಚರಿಸಲಾಗುತ್ತದೆ. ನಾವು ಎಸ್ ಸಿ ಒ ಅಡಿಯಲ್ಲಿ 'ಮಿಲ್ಲೆಟ್ ಆಹಾರ ಉತ್ಸವ'ವನ್ನು ಆಯೋಜಿಸುವುದನ್ನು ಪರಿಗಣಿಸಬೇಕು.
ಭಾರತವು ಇಂದು ವಿಶ್ವದಲ್ಲಿ ವೈದ್ಯಕೀಯ ಮತ್ತು ಸ್ವಾಸ್ಥ್ಯ ಪ್ರವಾಸೋದ್ಯಮಕ್ಕೆ ಅತ್ಯಂತ ಮಿತವ್ಯಯದ ತಾಣವಾಗಿದೆ. ವಿಶ್ವ ಆರೋಗ್ಯ ಸಂಸ್ಥೆ ಗ್ಲೋಬಲ್ ಸೆಂಟರ್ ಫಾರ್ ಟ್ರೆಡಿಷನಲ್ ಮೆಡಿಸಿನ್ ಅನ್ನು ಗುಜರಾತ್ನಲ್ಲಿ ಏಪ್ರಿಲ್ 2022 ರಲ್ಲಿ ಉದ್ಘಾಟಿಸಲಾಯಿತು. ಇದು ವಿಶ್ವ ಆರೋಗ್ಯ ಸಂಸ್ಥೆಯ ಮೊದಲ ಮತ್ತು ಸಾಂಪ್ರದಾಯಿಕ ಔಷಧದ ಏಕೈಕ ಜಾಗತಿಕ ಕೇಂದ್ರವಾಗಿದೆ. ನಾವು ಎಸ್ ಸಿ ಒ ದೇಶಗಳಲ್ಲಿ ಸಾಂಪ್ರದಾಯಿಕ ಔಷಧದ ಮೇಲೆ ಸಹಕಾರವನ್ನು ಹೆಚ್ಚಿಸಬೇಕು. ಇದಕ್ಕಾಗಿ ಭಾರತವು ಸಾಂಪ್ರದಾಯಿಕ ಔಷಧದ ಹೊಸ ಎಸ್ ಸಿ ಒ ವರ್ಕಿಂಗ್ ಗ್ರೂಪ್ ಅನ್ನು ಪ್ರಾರಂಭಿಸುತ್ತದೆ.
ನನ್ನ ಮಾತನ್ನುಮುಗಿಸುವ ಮೊದಲು, ಇಂದಿನ ಸಭೆಯ ಅತ್ಯುತ್ತಮವಾಗಿ ನಡೆಸಿದಕ್ಕಾಗಿ ಮತ್ತು ಆತ್ಮೀಯ ಆತಿಥ್ಯಕ್ಕಾಗಿ ನಾನು ಮತ್ತೊಮ್ಮೆ ಅಧ್ಯಕ್ಷ ಮಿರ್ಜಿಯೋಯೆವ್ ಅವರಿಗೆ ಧನ್ಯವಾದ ಹೇಳಲು ಬಯಸುತ್ತೇನೆ.
हमारे धर्म का रहस्य...
क्या हमारे ऋषि मुनि पागल थे?
जो कौवों के लिए खीर बनाने को कहते थे? और कहते थे कि कौवों को खिलाएंगे तो हमारे पूर्वजों को मिल जाएगा?
नहीं, हमारे ऋषि मुनि क्रांतिकारी विचारों के थे।
*यह है सही कारण।*
तुमने किसी भी दिन पीपल और बरगद के पौधे लगाए हैं?
या किसी को लगाते हुए देखा है?
क्या पीपल या बड़ के बीज मिलते हैं?
इसका जवाब है ना.. नहीं....
बरगद या पीपल की कलम जितनी चाहे उतनी रोपने की कोशिश करो परंतु नहीं लगेगी।
कारण प्रकृति/कुदरत ने यह दोनों उपयोगी वृक्षों को लगाने के लिए अलग ही व्यवस्था कर रखी है।
यह दोनों वृक्षों के टेटे कौवे खाते हैं और उनके पेट में ही बीज की प्रोसेसीग होती है और तब जाकर बीज उगने लायक होते हैं। उसके पश्चात कौवे जहां-जहां बीट करते हैं, वहां वहां पर यह दोनों वृक्ष उगते हैं।
पीपल जगत का एकमात्र ऐसा वृक्ष है जो round-the-clock ऑक्सीजन छोड़ता है और बरगद के औषधि गुण अपरम्पार है।
देखो अगर यह दोनों वृक्षों को उगाना है तो बिना कौवे की मदद से संभव नहीं है इसलिए कौवे को बचाना पड़ेगा।
और यह होगा कैसे?
मादा कौआ भादो महीने में अंडा देती है और नवजात बच्चा पैदा होता है।
तो इस नयी पीढ़ी के उपयोगी पक्षी को पौष्टिक और भरपूर आहार मिलना जरूरी है इसलिए ऋषि मुनियों ने कौवों के नवजात बच्चों के लिए हर छत पर श्राघ्द के रूप मे पौष्टिक आहार की व्यवस्था कर दी।
जिससे कि कौवों की नई जनरेशन का पालन पोषण हो जाये......
इसलिए श्राघ्द करना प्रकृति के रक्षण के लिए नितांत आवश्यक है। घ्यान रखना जब भी बरगद और पीपल के पेड़ को देखो तो अपने पूर्वज तो याद आएंगे ही क्योंकि उन्होंने श्राद्ध दिया था इसीलिए यह दोनों उपयोगी पेड़ हम देख रहे हैं।
🏵सनातन धर्म🏵 पर उंगली उठाने वालों, पहले सनातन धर्म को जानो फिर उस पर ऊँगली उठाओ। जब आपके विज्ञान का (वि) भी नही था तब हमारे सनातन धर्म को पता था कि किस बीमारी का इलाज क्या है, कौन सी चीज खाने लायक है कौन सी नहीं...?
अथाह ज्ञान का भंडार है हमारा सनातन धर्म और उनके नियम, मैकाले के शिक्षा पद्धति में पढ़ के केवल अपने पूर्वजों, ऋषि मुनियों के नियमों पर ऊँगली उठाने के बजाय , उसकी गहराई को जानिये।
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In future leadership, SOUL's objective should be to instill both the Steel and Spirit in every sector to build Viksit Bharat: PM
February 21, 2025
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The School of Ultimate Leadership (SOUL) will shape leaders who excel nationally and globally: PM
Today, India is emerging as a global powerhouse: PM
Leaders must set trends: PM
In future leadership, SOUL's objective should be to instill both the Steel and Spirit in every sector to build Viksit Bharat: PM
India needs leaders who can develop new institutions of global excellence: PM
The bond forged by a shared purpose is stronger than blood: PM
His Excellency,
भूटान के प्रधानमंत्री, मेरे Brother दाशो शेरिंग तोबगे जी, सोल बोर्ड के चेयरमैन सुधीर मेहता, वाइस चेयरमैन हंसमुख अढ़िया, उद्योग जगत के दिग्गज, जो अपने जीवन में, अपने-अपने क्षेत्र में लीडरशिप देने में सफल रहे हैं, ऐसे अनेक महानुभावों को मैं यहां देख रहा हूं, और भविष्य जिनका इंतजार कर रहा है, ऐसे मेरे युवा साथियों को भी यहां देख रहा हूं।
साथियों,
कुछ आयोजन ऐसे होते हैं, जो हृदय के बहुत करीब होते हैं, और आज का ये कार्यक्रम भी ऐसा ही है। नेशन बिल्डिंग के लिए, बेहतर सिटिजन्स का डेवलपमेंट ज़रूरी है। व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण, जन से जगत, जन से जग, ये किसी भी ऊंचाई को प्राप्त करना है, विशालता को पाना है, तो आरंभ जन से ही शुरू होता है। हर क्षेत्र में बेहतरीन लीडर्स का डेवलपमेंट बहुत जरूरी है, और समय की मांग है। और इसलिए The School of Ultimate Leadership की स्थापना, विकसित भारत की विकास यात्रा में एक बहुत महत्वपूर्ण और बहुत बड़ा कदम है। इस संस्थान के नाम में ही ‘सोल’ है, ऐसा नहीं है, ये भारत की सोशल लाइफ की soul बनने वाला है, और हम लोग जिससे भली-भांति परिचित हैं, बार-बार सुनने को मिलता है- आत्मा, अगर इस सोल को उस भाव से देखें, तो ये आत्मा की अनुभूति कराता है। मैं इस मिशन से जुड़े सभी साथियों का, इस संस्थान से जुड़े सभी महानुभावों का हृदय से बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं। बहुत जल्द ही गिफ्ट सिटी के पास The School of Ultimate Leadership का एक विशाल कैंपस भी बनकर तैयार होने वाला है। और अभी जब मैं आपके बीच आ रहा था, तो चेयरमैन श्री ने मुझे उसका पूरा मॉडल दिखाया, प्लान दिखाया, वाकई मुझे लगता है कि आर्किटेक्चर की दृष्टि से भी ये लीडरशिप लेगा।
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साथियों,
आज जब The School of Ultimate Leadership- सोल, अपने सफर का पहला बड़ा कदम उठा रहा है, तब आपको ये याद रखना है कि आपकी दिशा क्या है, आपका लक्ष्य क्या है? स्वामी विवेकानंद ने कहा था- “Give me a hundred energetic young men and women and I shall transform India.” स्वामी विवेकानंद जी, भारत को गुलामी से बाहर निकालकर भारत को ट्रांसफॉर्म करना चाहते थे। और उनका विश्वास था कि अगर 100 लीडर्स उनके पास हों, तो वो भारत को आज़ाद ही नहीं बल्कि दुनिया का नंबर वन देश बना सकते हैं। इसी इच्छा-शक्ति के साथ, इसी मंत्र को लेकर हम सबको और विशेषकर आपको आगे बढ़ना है। आज हर भारतीय 21वीं सदी के विकसित भारत के लिए दिन-रात काम कर रहा है। ऐसे में 140 करोड़ के देश में भी हर सेक्टर में, हर वर्टिकल में, जीवन के हर पहलू में, हमें उत्तम से उत्तम लीडरशिप की जरूरत है। सिर्फ पॉलीटिकल लीडरशिप नहीं, जीवन के हर क्षेत्र में School of Ultimate Leadership के पास भी 21st सेंचुरी की लीडरशिप तैयार करने का बहुत बड़ा स्कोप है। मुझे विश्वास है, School of Ultimate Leadership से ऐसे लीडर निकलेंगे, जो देश ही नहीं बल्कि दुनिया की संस्थाओं में, हर क्षेत्र में अपना परचम लहराएंगे। और हो सकता है, यहां से ट्रेनिंग लेकर निकला कोई युवा, शायद पॉलिटिक्स में नया मुकाम हासिल करे।
साथियों,
कोई भी देश जब तरक्की करता है, तो नेचुरल रिसोर्सेज की अपनी भूमिका होती ही है, लेकिन उससे भी ज्यादा ह्यूमेन रिसोर्स की बहुत बड़ी भूमिका है। मुझे याद है, जब महाराष्ट्र और गुजरात के अलग होने का आंदोलन चल रहा था, तब तो हम बहुत बच्चे थे, लेकिन उस समय एक चर्चा ये भी होती थी, कि गुजरात अलग होकर के क्या करेगा? उसके पास कोई प्राकृतिक संसाधन नहीं है, कोई खदान नहीं है, ना कोयला है, कुछ नहीं है, ये करेगा क्या? पानी भी नहीं है, रेगिस्तान है और उधर पाकिस्तान है, ये करेगा क्या? और ज्यादा से ज्यादा इन गुजरात वालों के पास नमक है, और है क्या? लेकिन लीडरशिप की ताकत देखिए, आज वही गुजरात सब कुछ है। वहां के जन सामान्य में ये जो सामर्थ्य था, रोते नहीं बैठें, कि ये नहीं है, वो नहीं है, ढ़िकना नहीं, फलाना नहीं, अरे जो है सो वो। गुजरात में डायमंड की एक भी खदान नहीं है, लेकिन दुनिया में 10 में से 9 डायमंड वो है, जो किसी न किसी गुजराती का हाथ लगा हुआ होता है। मेरे कहने का तात्पर्य ये है कि सिर्फ संसाधन ही नहीं, सबसे बड़ा सामर्थ्य होता है- ह्यूमन रिसोर्स में, मानवीय सामर्थ्य में, जनशक्ति में और जिसको आपकी भाषा में लीडरशिप कहा जाता है।
21st सेंचुरी में तो ऐसे रिसोर्स की ज़रूरत है, जो इनोवेशन को लीड कर सकें, जो स्किल को चैनेलाइज कर सकें। आज हम देखते हैं कि हर क्षेत्र में स्किल का कितना बड़ा महत्व है। इसलिए जो लीडरशिप डेवलपमेंट का क्षेत्र है, उसे भी नई स्किल्स चाहिए। हमें बहुत साइंटिफिक तरीके से लीडरशिप डेवलपमेंट के इस काम को तेज गति से आगे बढ़ाना है। इस दिशा में सोल की, आपके संस्थान की बहुत बड़ी भूमिका है। मुझे ये जानकर अच्छा लगा कि आपने इसके लिए काम भी शुरु कर दिया है। विधिवत भले आज आपका ये पहला कार्यक्रम दिखता हो, मुझे बताया गया कि नेशनल एजुकेशन पॉलिसी के effective implementation के लिए, State Education Secretaries, State Project Directors और अन्य अधिकारियों के लिए वर्क-शॉप्स हुई हैं। गुजरात के चीफ मिनिस्टर ऑफिस के स्टाफ में लीडरशिप डेवलपमेंट के लिए चिंतन शिविर लगाया गया है। और मैं कह सकता हूं, ये तो अभी शुरुआत है। अभी तो सोल को दुनिया का सबसे बेहतरीन लीडरशिप डेवलपमेंट संस्थान बनते देखना है। और इसके लिए परिश्रम करके दिखाना भी है।
साथियों,
आज भारत एक ग्लोबल पावर हाउस के रूप में Emerge हो रहा है। ये Momentum, ये Speed और तेज हो, हर क्षेत्र में हो, इसके लिए हमें वर्ल्ड क्लास लीडर्स की, इंटरनेशनल लीडरशिप की जरूरत है। SOUL जैसे Leadership Institutions, इसमें Game Changer साबित हो सकते हैं। ऐसे International Institutions हमारी Choice ही नहीं, हमारी Necessity हैं। आज भारत को हर सेक्टर में Energetic Leaders की भी जरूरत है, जो Global Complexities का, Global Needs का Solution ढूंढ पाएं। जो Problems को Solve करते समय, देश के Interest को Global Stage पर सबसे आगे रखें। जिनकी अप्रोच ग्लोबल हो, लेकिन सोच का एक महत्वपूर्ण हिस्सा Local भी हो। हमें ऐसे Individuals तैयार करने होंगे, जो Indian Mind के साथ, International Mind-set को समझते हुए आगे बढ़ें। जो Strategic Decision Making, Crisis Management और Futuristic Thinking के लिए हर पल तैयार हों। अगर हमें International Markets में, Global Institutions में Compete करना है, तो हमें ऐसे Leaders चाहिए जो International Business Dynamics की समझ रखते हों। SOUL का काम यही है, आपकी स्केल बड़ी है, स्कोप बड़ा है, और आपसे उम्मीद भी उतनी ही ज्यादा हैं।
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साथियों,
आप सभी को एक बात हमेशा- हमेशा उपयोगी होगी, आने वाले समय में Leadership सिर्फ Power तक सीमित नहीं होगी। Leadership के Roles में वही होगा, जिसमें Innovation और Impact की Capabilities हों। देश के Individuals को इस Need के हिसाब से Emerge होना पड़ेगा। SOUL इन Individuals में Critical Thinking, Risk Taking और Solution Driven Mindset develop करने वाला Institution होगा। आने वाले समय में, इस संस्थान से ऐसे लीडर्स निकलेंगे, जो Disruptive Changes के बीच काम करने को तैयार होंगे।
साथियों,
हमें ऐसे लीडर्स बनाने होंगे, जो ट्रेंड बनाने में नहीं, ट्रेंड सेट करने के लिए काम करने वाले हों। आने वाले समय में जब हम Diplomacy से Tech Innovation तक, एक नई लीडरशिप को आगे बढ़ाएंगे। तो इन सारे Sectors में भारत का Influence और impact, दोनों कई गुणा बढ़ेंगे। यानि एक तरह से भारत का पूरा विजन, पूरा फ्यूचर एक Strong Leadership Generation पर निर्भर होगा। इसलिए हमें Global Thinking और Local Upbringing के साथ आगे बढ़ना है। हमारी Governance को, हमारी Policy Making को हमने World Class बनाना होगा। ये तभी हो पाएगा, जब हमारे Policy Makers, Bureaucrats, Entrepreneurs, अपनी पॉलिसीज़ को Global Best Practices के साथ जोड़कर Frame कर पाएंगे। और इसमें सोल जैसे संस्थान की बहुत बड़ी भूमिका होगी।
साथियों,
मैंने पहले भी कहा कि अगर हमें विकसित भारत बनाना है, तो हमें हर क्षेत्र में तेज गति से आगे बढ़ना होगा। हमारे यहां शास्त्रों में कहा गया है-
यत् यत् आचरति श्रेष्ठः, तत् तत् एव इतरः जनः।।
यानि श्रेष्ठ मनुष्य जैसा आचरण करता है, सामान्य लोग उसे ही फॉलो करते हैं। इसलिए, ऐसी लीडरशिप ज़रूरी है, जो हर aspect में वैसी हो, जो भारत के नेशनल विजन को रिफ्लेक्ट करे, उसके हिसाब से conduct करे। फ्यूचर लीडरशिप में, विकसित भारत के निर्माण के लिए ज़रूरी स्टील और ज़रूरी स्पिरिट, दोनों पैदा करना है, SOUL का उद्देश्य वही होना चाहिए। उसके बाद जरूरी change और रिफॉर्म अपने आप आते रहेंगे।
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साथियों,
ये स्टील और स्पिरिट, हमें पब्लिक पॉलिसी और सोशल सेक्टर्स में भी पैदा करनी है। हमें Deep-Tech, Space, Biotech, Renewable Energy जैसे अनेक Emerging Sectors के लिए लीडरशिप तैयार करनी है। Sports, Agriculture, Manufacturing और Social Service जैसे Conventional Sectors के लिए भी नेतृत्व बनाना है। हमें हर सेक्टर्स में excellence को aspire ही नहीं, अचीव भी करना है। इसलिए, भारत को ऐसे लीडर्स की जरूरत होगी, जो Global Excellence के नए Institutions को डेवलप करें। हमारा इतिहास तो ऐसे Institutions की Glorious Stories से भरा पड़ा है। हमें उस Spirit को revive करना है और ये मुश्किल भी नहीं है। दुनिया में ऐसे अनेक देशों के उदाहरण हैं, जिन्होंने ये करके दिखाया है। मैं समझता हूं, यहां इस हॉल में बैठे साथी और बाहर जो हमें सुन रहे हैं, देख रहे हैं, ऐसे लाखों-लाख साथी हैं, सब के सब सामर्थ्यवान हैं। ये इंस्टीट्यूट, आपके सपनों, आपके विजन की भी प्रयोगशाला होनी चाहिए। ताकि आज से 25-50 साल बाद की पीढ़ी आपको गर्व के साथ याद करें। आप आज जो ये नींव रख रहे हैं, उसका गौरवगान कर सके।
साथियों,
एक institute के रूप में आपके सामने करोड़ों भारतीयों का संकल्प और सपना, दोनों एकदम स्पष्ट होना चाहिए। आपके सामने वो सेक्टर्स और फैक्टर्स भी स्पष्ट होने चाहिए, जो हमारे लिए चैलेंज भी हैं और opportunity भी हैं। जब हम एक लक्ष्य के साथ आगे बढ़ते हैं, मिलकर प्रयास करते हैं, तो नतीजे भी अद्भुत मिलते हैं। The bond forged by a shared purpose is stronger than blood. ये माइंड्स को unite करता है, ये passion को fuel करता है और ये समय की कसौटी पर खरा उतरता है। जब Common goal बड़ा होता है, जब आपका purpose बड़ा होता है, ऐसे में leadership भी विकसित होती है, Team spirit भी विकसित होती है, लोग खुद को अपने Goals के लिए dedicate कर देते हैं। जब Common goal होता है, एक shared purpose होता है, तो हर individual की best capacity भी बाहर आती है। और इतना ही नहीं, वो बड़े संकल्प के अनुसार अपनी capabilities बढ़ाता भी है। और इस process में एक लीडर डेवलप होता है। उसमें जो क्षमता नहीं है, उसे वो acquire करने की कोशिश करता है, ताकि औऱ ऊपर पहुंच सकें।
साथियों,
जब shared purpose होता है तो team spirit की अभूतपूर्व भावना हमें गाइड करती है। जब सारे लोग एक shared purpose के co-traveller के तौर पर एक साथ चलते हैं, तो एक bonding विकसित होती है। ये team building का प्रोसेस भी leadership को जन्म देता है। हमारी आज़ादी की लड़ाई से बेहतर Shared purpose का क्या उदाहरण हो सकता है? हमारे freedom struggle से सिर्फ पॉलिटिक्स ही नहीं, दूसरे सेक्टर्स में भी लीडर्स बने। आज हमें आज़ादी के आंदोलन के उसी भाव को वापस जीना है। उसी से प्रेरणा लेते हुए, आगे बढ़ना है।
यानि ऐसा कोई शब्द नहीं, जिसमें मंत्र ना बन सके। ऐसी कोई जड़ी-बूटी नहीं, जिससे औषधि ना बन सके। कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं, जो अयोग्य हो। लेकिन सभी को जरूरत सिर्फ ऐसे योजनाकार की है, जो उनका सही जगह इस्तेमाल करे, उन्हें सही दिशा दे। SOUL का रोल भी उस योजनाकार का ही है। आपको भी शब्दों को मंत्र में बदलना है, जड़ी-बूटी को औषधि में बदलना है। यहां भी कई लीडर्स बैठे हैं। आपने लीडरशिप के ये गुर सीखे हैं, तराशे हैं। मैंने कहीं पढ़ा था- If you develop yourself, you can experience personal success. If you develop a team, your organization can experience growth. If you develop leaders, your organization can achieve explosive growth. इन तीन वाक्यों से हमें हमेशा याद रहेगा कि हमें करना क्या है, हमें contribute करना है।
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साथियों,
आज देश में एक नई सामाजिक व्यवस्था बन रही है, जिसको वो युवा पीढी गढ़ रही है, जो 21वीं सदी में पैदा हुई है, जो बीते दशक में पैदा हुई है। ये सही मायने में विकसित भारत की पहली पीढ़ी होने जा रही है, अमृत पीढ़ी होने जा रही है। मुझे विश्वास है कि ये नया संस्थान, ऐसी इस अमृत पीढ़ी की लीडरशिप तैयार करने में एक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। एक बार फिर से आप सभी को मैं बहुत-बहुत शुभकामनाएं देता हूं।
भूटान के राजा का आज जन्मदिन होना, और हमारे यहां यह अवसर होना, ये अपने आप में बहुत ही सुखद संयोग है। और भूटान के प्रधानमंत्री जी का इतने महत्वपूर्ण दिवस में यहां आना और भूटान के राजा का उनको यहां भेजने में बहुत बड़ा रोल है, तो मैं उनका भी हृदय से बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूं।
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साथियों,
ये दो दिन, अगर मेरे पास समय होता तो मैं ये दो दिन यहीं रह जाता, क्योंकि मैं कुछ समय पहले विकसित भारत का एक कार्यक्रम था आप में से कई नौजवान थे उसमें, तो लगभग पूरा दिन यहां रहा था, सबसे मिला, गप्पे मार रहा था, मुझे बहुत कुछ सीखने को मिला, बहुत कुछ जानने को मिला, और आज तो मेरा सौभाग्य है, मैं देख रहा हूं कि फर्स्ट रो में सारे लीडर्स वो बैठे हैं जो अपने जीवन में सफलता की नई-नई ऊंचाइयां प्राप्त कर चुके हैं। ये आपके लिए बड़ा अवसर है, इन सबके साथ मिलना, बैठना, बातें करना। मुझे ये सौभाग्य नहीं मिलता है, क्योंकि मुझे जब ये मिलते हैं तब वो कुछ ना कुछ काम लेकर आते हैं। लेकिन आपको उनके अनुभवों से बहुत कुछ सीखने को मिलेगा, जानने को मिलेगा। ये स्वयं में, अपने-अपने क्षेत्र में, बड़े अचीवर्स हैं। और उन्होंने इतना समय आप लोगों के लिए दिया है, इसी में मन लगता है कि इस सोल नाम की इंस्टीट्यूशन का मैं एक बहुत उज्ज्वल भविष्य देख रहा हूं, जब ऐसे सफल लोग बीज बोते हैं तो वो वट वृक्ष भी सफलता की नई ऊंचाइयों को प्राप्त करने वाले लीडर्स को पैदा करके रहेगा, ये पूरे विश्वास के साथ मैं फिर एक बार इस समय देने वाले, सामर्थ्य बढ़ाने वाले, शक्ति देने वाले हर किसी का आभार व्यक्त करते हुए, मेरे नौजवानों के लिए मेरे बहुत सपने हैं, मेरी बहुत उम्मीदें हैं और मैं हर पल, मैं मेरे देश के नौजवानों के लिए कुछ ना कुछ करता रहूं, ये भाव मेरे भीतर हमेशा पड़ा रहता है, मौका ढूंढता रहता हूँ और आज फिर एक बार वो अवसर मिला है, मेरी तरफ से नौजवानों को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।