QuoteFor decades, one party devoted all their energies to serving one family- PM Modi attacks Congress
QuoteIndia did not get democracy due to Pandit Nehru alone, as Congress wants us to believe: PM Modi
QuoteThe NDA Government has changed the work culture in the nation. Projects are now executed in a timely manner: PM Modi
QuoteOur Government is giving wings to the aspirations of India's youth and middle class: PM Modi
QuoteGovernment's efforts to eliminate corruption & black money are hurting a select group of people, says PM Modi
QuoteThe workings of previous government and nobody else are 100% responsible for the NPA mess: PM

आदरणीय अध्‍यक्ष महोदया जी, माननीय राष्‍ट्रपति जी के अभिभाषण पर उन्‍हें आभार व्‍यक्‍त करने के लिए मैं सदन में आपके बीच आभार प्रस्‍ताव का समर्थन करते हुए कुछ बातें जरूर कहना चाहूंगा। कल सदन में राष्‍ट्रपति जी के अभिभाषण के धन्‍यवाद प्रस्‍ताव पर कई मान्‍य  सदस्‍यों ने अपने विचार वयक्‍त किए। श्रीमान मल्लिका अुर्जन जी, श्रीमान मोहम्‍मद सलीम जी, श्रीमान विनोद कुमार जी, श्रीमान नरसिम्‍हन धोटा जी, श्री तारिक अनवर जी, श्री प्रेम सिंह जी, श्री अनवर रजा जी, जयप्रकाश नारायण यादव जी, कल्‍याण बैनर्जी, श्री पी. वेणु गोपाल, आनंदराव अडसुल जी, आर. के. भारती मोहन जी, करीब 34 मान्‍य सदस्‍यों ने अपने विचार व्‍यक्‍त किए। विस्‍तार से चर्चा हुई। किसी ने पक्ष में कहा, किसी ने विपक्ष में कहा। लेकिन यह सार्थक चर्चा इस सदन में हुई और राष्‍ट्रपति जी का भाषण किसी दल का नहीं होता है। देश की आशा-आकांक्षाओं की अभिव्‍यक्ति का और उस दिशा में हो रहे कार्य का एक आलेख होता है। और उस दृष्टि से राष्‍ट्रपति जी के भाषण का सम्‍मान होना चाहिए। सिर्फ विरोध के खातिर विरोध करना कितना उचित है।

सभापति महोदया जी, हमारे देश में राज्‍यों की रचना आदरणीय अटल बिहार वाजपेयी जी ने भी की थी। तीन नये राज्‍यों का निर्माण हुआ था और उन तीन राज्‍यों के निर्माण में चाहे उत्‍तर प्रदेश में से उत्‍तराखंड बना हो, मध्‍य प्रदेश में से छत्‍तीसगढ़ बना हो, बिहार में से झारखंड बना हो, लेकिन उस सरकार की दीर्घ दृष्टि थी कि कोई भी समस्‍या के बिना तीनों राज्‍य अलग होते ही अगर जो भी बंटवारा करना था तो बंटवारा, अफसरों के तबादले करने थे तो अफसरों के तबादले सारी चीजें smoothly हुई। नेतृत्‍व अगर दीर्घ द्रष्‍टया हो, राजनीतिक स्‍वार्थ की हड़बड़ाहट में निर्णय नहीं होते हो, तो कितने स्‍वस्‍थ निर्णय होते हैं। इसका उदाहरण अटल बिहारी वाजपेयी जी ने जो तीन राज्‍यों का निर्माण किया था, आज देश अनुभव कर रहा है। आपके चरित्र में हैं जब भारत का विभाजन किया आपने, देश के टुकड़े किए और जो जहर बोया। आज आजादी के 70 साल के बाद एक दिन ऐसा नहीं जाता है कि आपके उस पाप की सजा सवा सौ करोड़ हिंदुस्‍तानी न भुगत रहे हो।

आपने देश के टुकड़े किए वो भी उस तरीके से किए। आपने चुनाव को ध्‍यान में रखते हुए हड़बड़ी में संसद के दरवाजे बंद करके सदन ऑर्डर में नहीं था, तब भी आंध्र के लोगों की भावनाओं का आदर किए बिना तेलंगाना बनाने के पक्ष में हम भी थे। तेलंगाना आगे बढ़े उसके पक्ष में आज भी हम है। लेकिन आंध्र के साथ उस दिन आपने जो बीज बोये, आपने जो चुनाव के लिए हड़बड़ी में किया। यह उसी का नतीजा है कि आज चार साल के बाद भी समस्‍याएं सुलगती रहती हैं और इसलिए आपको यह प्रकार की चीजें शोभा नहीं देती।

सभापति महोदया जी, कल मैं कांग्रेस पार्टी के नेता श्रीमान खड़गे जी का भाषण सुन रहा था। मैं यह समझ नहीं पा रहा था कि वे ट्रेजरी बेंच को संबोधित कर रहे थे, कर्नाटक के लोगों को संबोधित कर रहे थे कि अपने ही दल के नीति निर्धारकों को खुश करने का प्रयास कर रहे थे। और जब उन्‍होंने कल बशीर बद्र की शायरी से शुरू किया। खड़गे जी ने बशीर बद्र जी की शायरी सुनाई। और मैं आशा करता हूं कि उन्‍होंने जो शायरी सुनाई है, वो कर्नाटक के मुख्‍यमंत्री महोदय ने जरूरी सुनी होगी। कल उस शायरी में उन्‍होंने कहा कि –

‘दुश्‍मनी जमकर करो, लेकिन यह गुंजाइश रहे

जब कभी हम दोस्‍त हो जाएं, तो शर्मिंदा न हो’ 

मैं जरूरत मानता हूं कि कर्नाटक के मुख्‍यमंत्री जी ने आपकी यह गुहार सुन ली होगी, लेकिन श्रीमान खड़गे जी जिस बशीर बद्र की शायरी का आपने जिक्र किया, अच्‍छा होता उस शायरी में जो शब्‍द आप बोल रहे हैं उसके बिल्‍कुल पहले वाली लाइन उसको भी अगर याद कर लेते तो शायद इस देश को यह पता जरूर चलता कि आप कहां खड़े हैं। उसी शायरी में बशीर बद्र जी ने आगे कहा है –

‘जी चाहता है सच बोले, जी बहुत चाहता है सच बोले,

क्‍या करे हौसला नहीं होता।’ 

मैं नहीं जानता हूं कि कर्नाटक के चुनाव के बाद खड़गे जी उस सही जगहें पर होंगे कि नहीं होंगे और इसलिए एक प्रकार से यह farewell speech भी उनकी हो सकती है। और इसलिए आमतौर पर सदन में जब पहली बार कोई सदस्‍य बोलते हैं तो हर कोई सम्‍मान से  और उसी प्रकार से जो farewell की speech होती है, वो भी करीब-करीब सम्‍मान से देखी जाती है। अच्‍छा होता कल कुछ माननीय सदस्‍यों ने संयम बरता होता और आदरणीय खड़गे जी की बात को उसी सम्‍मान के साथ सुना होता, तो अच्‍छा होता। लोकतंत्र के लिए बहुत आवश्‍यक है। विरोध करने का हक है, लेकिन सदन को मान में लेने का हक नहीं है।

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कल अध्‍यक्ष महोदया, मैं देख रहा हूं कि जब भी हमारे विपक्ष में कुछ लोग हमारी किसी बात की आलोचना करने जाते हैं, तो तथ्‍य तो कम होते हैं। लेकिन हमारे जमाने में ऐसा था, हमारे जमाने में ऐसा किया था, हम यह करते थे ज्‍यादातर उसी कैसेट को बजाया जाता है। लेकिन यह न भूलें कि भारत आजाद हुआ, उसके बाद भी जो देश आजाद हुए वो हमसे भी तेज गति से काफी आगे बढ़ चुके हैं। हम नहीं बढ़ पाए मानना पड़ेंगा और आपने मां भारती के टुकड़े कर दिए उसके बावजूद भी यह देश आपके साथ रहा था। आप उस जमाने में देश पर राज कर रहे थे। प्रारंभिक तीन-चार दशक विपक्ष का एकमात्र से नाममात्र का विपक्ष था। वो समय था, जब मीडिया का व्‍याप भी बहुत कम था और जो था वो भी ज्‍यादातर देश का भला होगा इस आशा से शासन के साथ चलता था। रेडियो पूरी तरह आप ही के गीत गाता था और कोई स्‍वर वहां सुनाई नहीं देता था। और बाद में जब टीवी आया तो वो टीवी भी आप ही को पूरी तरह समर्पित था। उस समय न्‍यायपालिका में भी judiciary की top position पर भी नियुक्तियां कांग्रेस पार्टी करती थी। पार्टी के द्वारा तय होता था यानि इतनी luxury आपको। उस समय कोर्ट में न कोई पीआईएल होता था न कोई NGO की ऐसी भरमार होती थी। आप जिन विचारों से पले-बढ़े हो, वैसा ही माहौल उस समय देश में उपको उपलब्‍ध था।  विरोध का नामो-निशान नहीं था। पंचायत से पार्लियामेंट तक आप ही का झंडा फहर रहा था, लेकिन आपने पूरा समय एक परिवार के गीतगाने में खपा दिया। देश के इतिहास को भुला करके एक ही परिवार को देश याद रखें, सारी शक्ति उसी में लगाई। उस समय देश का जज्‍बा आजादी के बाद के दिन थे। देश को आगे ले जाने का जज्‍बा था, आपने कुछ जिम्‍मेदारी के साथ काम किया होता, तो एक देश की जनता में सामर्थ्‍य था देश को कहां से कहां तक पहुंचा देते। लेकिन आप अपनी ही धुन बजाते रहे। और यह मानना पड़ेगा कि आपने सही दिशा रखी होती, सही नीतियां बनाई होती, अगर नियत साफ होती, तो यह देश आज जहां है, उससे कई गुना आगे और अच्‍छा होता। इसको इंकार नहीं कर सकते। यह दुर्भाग्‍य रहा है देश का कि कांग्रेस पार्टी के नेताओं को यही लगता है कि भारत नाम के देश का जन्‍म 15 अगस्‍त, 1947 को हुआ। जैसे इसके पहले देश था ही नहीं। और कल मैं हैरान था, इसको मैं अहंकार कहूं, या नसमझी कहूं, या वर्षा ऋतु के समय अपनी कुर्सी बचाने का प्रयास कहूं। जब यह कहा गया कि देश को नेहरू ने लोकतंत्र  दिया, देश को कांग्रेस ने लोकतंत्र दिया। अरे खड़गे साहब, कुछ तो कम करो। जरा मैं पूछना चाहता हूं आप लोकतंत्र की बा करते हैं। आपको पता होगा यह हमारा देश, जब आप जो लोकतंत्र की बात  करते हैं, हमारा देश जब लिच्‍छवी साम्राज्‍य था, जब बुध परंपराएं थी, तब भी हमारे देश में लोकतंत्र की गूंज थी। यह कांग्रेस और नेहरू जी ने लोकतंत्र नहीं दिया।

बौद्ध संघ एक ऐसी व्‍यवस्‍था थी जो चर्चा, विचार विमर्श और वोटिंग के आधार पर निर्णय करने की प्रक्रिया चलाता था और श्रीमान खड़गे जी, आप तो कर्नाटक से आते हो कम से कम एक परिवार की भक्ति करके कर्नाटक के चुनाव के बाद शायद आपके यहां बैठने की जगह बची रहे, लेकिन कम से कम जगत गुरू बश्‍वेश्‍वर जी का तो अपमान मत करो। आपको पता होना चाहिए, आप कर्नाटक से आते हो कि जगत गुरू बश्‍वेश्‍वर थे, जिन्‍होंने उस जमाने में अुनभव मंडपम नाम की व्‍यवस्‍था की, 12वीं शताब्‍दी में, और गांव के सारे निर्णय लोकतांत्रिक तरीके से होता था। और इतना ही नहीं women empowerment का काम हुआ था उस सदन के, उस सभा के अंदर महिलाओं का होना अनिवार्य हुआ करता था। यह जगत गुरू बश्‍वेश्‍वर जी के कालखंड में लोकतंत्र को प्रस्‍तावित करने का काम 12वीं शताब्‍दी में इस देश हुआ था। लोकतंत्र हमारी रगों में हैं, हमारी परंपरा में है। और बिहार के अंदर इतिहास गवाह है लिच्‍छवी साम्राज्‍य के समय इस प्रकार से हमारे यहां, अगर हम प्राचीन इतिहास की तरह गौर करे, तो हमारे यहां गणराज्‍य की व्‍यवस्‍थाएं हुआ करती थी, ढ़ाई हजार साल पहले,  यह भी लोकतंत्र की परंपरा थी। सहमति और असहमति को हमारे यहां मान्‍यता थी। आप लोकतंत्र की बात करते हो, श्रीमान मनमोहन जी की सरकार में मंत्री रहे हुए और आप ही के पार्टी के नेता उन्‍होंने अभी-अभी जब आपकी पार्टी के भीतर चुनाव चल रहा था, तो उन्‍होंने मीडिया को क्‍या कहा था। उन्‍होंने कहा था जहांगीर की जगह पर शाहजहां आए, शाहजहां की जगह औरंगजैब आए। क्‍या वहां चुनाव हुआ था क्‍या? तो हमारे यहां भी आ गए। आप लोकतंत्र की बात करते हो। आप लोकतंत्र की चर्चा करते हो। मैं जरा पूछना चाहता हूं, वो कौन सा लोकतंत्र की चर्चा करते हैं, जब आपके पूर्व प्रधानमंत्री श्रीमान राजीव गांधी हैदराबाद के एयरपोर्ट पर उतरते हैं। वहां पर आप ही के पार्टी के चुने हुए मुख्‍यमंत्री, schedule caste के मुख्‍यमंत्री एयरपोर्ट पर receive करने आए थे और लोकतंत्र में विश्‍वास की बातें करने वाले लोग जिस नेहरू जी के नाम पर आप लोकतंत्र की सारी परंपरा समर्पित कर रहे हो। श्रीमान राजीव गांधी ने हैदराबाद एयरपोर्ट पर उतर करके एक दलित मुख्‍यमंत्री उनको खुलेआम अप‍मानित किया था। एक चुने हुए जनप्रतिनिधि मुख्‍यमंत्री टी अंजैया का अपमान किया आप लोकतंत्र की बातें करते हो, अरे आप लोकतंत्र की चर्चा करते हो तब सवाल यह उठता है और यह तेलगूदेशम पार्टी यह एंटी रामाराव उस अपमान की आग में से पैदा हुए थे। टी अंजैया का अपमान हुआ उनका सम्‍मान करने के लिए रामाराव को अपना फिल्‍म क्षेत्र छोड़ करके आंध्र की जनता की सेवा के लिए मैदान में आना पड़ा।

आप लोकतंत्र की बात समझा रहे हो। इस देश में 90 बार, 90 से अधिक बार धारा-356 का दुरूपयोग करते हुए राज्‍य सरकारों को उन राज्‍यों में उभरती हुई पार्टियों को आपने उखाड़  के फैंक दिया। आपने पंजाब में अकाली दल के साथ क्‍या किया? आपने तमिलनाडु में क्‍या किया? आपने केरल में क्‍या किया? इस देश के लोकतंत्र को आपने पनपने नहीं दिया। आप अपने परिवार के लोकतंत्र को लोकतंत्र मानते हो। और देश को आप गुमराह कर रहे हो। इतना ही नहीं कांग्रेस पार्टी का लोकतंत्र, जब आत्‍मा की आवाज़ उठती है, तो उनका लोकतंत्र दबोच जाता है। आप जानते हैं कांग्रेस पार्टी ने राष्‍ट्रपति के उम्‍मीदवार के रूप में नीलम संजीव रेड्डी को पंसद किया था। और रातो-रात उनका पीठ पर छुरा भौंक दिया गया। अतिकृत उम्‍मीदवार का पराजित कर दिया गया। और यह भी तो देखिए इतफाक से वे भी आंध्र से आते थे। टी अंजैया के साथ किया आपने संजीव रेड्डी के साथ किया। आप लोकतंत्र की बात बताते हो? इतना ही नहीं अभी का डॉक्‍टर मनमोहन सिंह जी इस देश के प्रधानमंत्री कैबिनेट का निर्णय किया लोकतंत्र की महत्‍वपूर्ण संस्‍था संविधान के द्वारा बनी हुई संस्‍था आप ही की पार्टी की सरकार और आपकी पार्टी के एक पदाधिकारी पत्रकार वार्ता बुला करके कैबिनेट के निर्णय को प्रेस के सामने टुकड़े कर दे। आपके मुंह में लोकतंत्र शोभा नहीं देता है। और इसलिए कृपा करके आप हमें लोकतंत्र के पाठ मत पढ़ाइये।

मैं जरा एक और इतिहास की एक बात आज बता रहा हूं। क्‍या सत्‍य नहीं है देश में कांग्रेस में नेतृत्‍व करने के लिए चुनाव हुआ । 15 कांग्रेस कमेटियां, उसमें से 12 कांग्रेस कमेटियों ने सरदार वल्‍लभ भाई पटेल को चुना था। तीन लोगों ने नोटा किया था। किसी को भी वोट नहीं देने का निर्णय किया था। उसके बावजूद नेतृत्‍व सरदार वल्‍लभ भाई पटेल को नहीं दिया गया। वो कौन सा लोकतंत्र था? पंडित नेहरू को बिठा दिया गया। अगर देश के पहले प्रधानमंत्री सरदार वल्‍लभ भाई पटेल होते, तो मेरा कश्‍मीर का यह हिस्‍सा आज पाकिस्‍तान के पास न होता।

अभी दिसंबर में क्‍या कांग्रेस पार्टी के अध्‍यक्ष का चुनाव था या ताजपोशी थी। आप ही के पार्टी के नौजवान ने आवाज़ उठाई, वो अपना उम्‍मीदवारी पत्र भरना चाहता था। आपने उसको भी रोक दिया। आप लोकतंत्र की बातें करते हो। मैं जानता हूं यह आवाज़ दबाने के लिए इतनी कोशिश नाकाम रहने वाली है। सुनने की हिम्‍मत चाहिए, और इसलिए अध्‍यक्ष महोदया, हमारी सरकार की विशेषता है ऐसे एक वर्क कल्‍चर को लाए, जिस वर्क कल्‍चर में सिर्फ घोषणाएं करके अखबार की सुर्खियों में छा जाना, सिर्फ योजनाएं घोषित करके जनता के आंख में धूल झोंक देना, यह हमारा कल्‍चर नहीं है।  हम उन चीजों को हाथ लगाते हैं जिसको पूरा करने का प्रयास हो। और जो अच्‍छी चीजें हैं वो किसी भी सरकार की, किसी की भी क्‍यों न हो अगर वो अटकी है, देश का नुकसान हो रहा है, तो उसको ठीक-ठाक करके पूरा करने का प्रयास करते हैं, क्‍योंकि लोकतंत्र में सरकारें आती-जाती हैं, देश बना रहता है और उस सिद्धांत को हम मानने वाले व्‍यक्ति हैं। क्‍या यह सत्‍य नहीं हैं। यही मुलाजिम, यही फाइलें, यही कार्यशैली और क्‍या कारण था कि पिछली सरकार में हर रोज 11 किलोमीटर नेशनल हाईवे बनते थे। आज एक दिन में 22 किलोमीटर नेशनल हाईवे बने हैं। रोड आप भी बनाते हैं, रोड हम भी बनाते हैं। पिछली सरकार के आखिरी तीन सालों में 80 हजार किलोमीटर सड़कें बनी। हमारी सरकार के तीन साल में एक लाख 20 हजार किलोमीटर सड़के बनी। पिछली सरकार के आखिरी तीन वर्षों में लगभग 1100 किलोमीटर नई रेल लाइन का निर्माण हुआ। सरकार के इन तीन वर्षों में 2100 किलोमीटर हुआ। पिछली सरकार के आखिरी तीन वर्षों में ढाई हजार किलोमीटर रेल लाइन का बिजलीकरण हुआ। इस सरकार के तीन सालों में चार हजार तीन सौ किलोमीटर से ज्‍यादा काम हुआ। 2011 के बाद पिछली सरकार 2014 तक आप फिर कहेंगे, यह तो योजना हमारी थी, यह तो कल्‍पना हमारी थी, इसकी क्रेडिट तो हमारी है, यह गीत गाएंगे, सच्‍चाई क्‍या है? ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क, आपके कार्य करने के तरीके क्‍या थे? जब तक रिश्‍तेदारों का मेल न बैठे या अपनों का मेल न बैठे, गाड़ी आगे चलती नहीं थी। 2011 के बाद से 2014 तक आपने सिर्फ 59 पंचायतों में ऑप्टिकल फाइबर पहुंचाया। 2011 से 2014 तीन साल। हमने आने के बाद इतने कम समय में एक लाख से अधिक पंचायतों में ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क पहुंचा दिया। कहां तीन साल में 60 से भी कम गांव और कहां तीन में एक लाख से भी ज्‍यादा गांव, कोई हिसाब ही नहीं है जी। और इसलिए पिछली सरकार शहरी आवास योजना 939 शहरों में लागू किए थे। आज प्रधानमंत्री आवास योजना urban 4320 शहरों में लागू की थी। आप एक हजार से भी कम हम 4000 से भी ज्‍यादा। पिछली सरकार के आखिरी तीन वर्षों में कुल 12 हजार मेगावाट की renewable energy की नई क्षमता जोड़ी गई। इस सरकार के तीन सालों में 22 हजार मेगावाट से भी ज्‍यादा जोड़ी गई। Shipping Industry कार्गो हेंडलिंग में आपके समय negative growth था। इस सरकार ने तीन साल में 11 प्रतिशत से ज्‍यादा growth  करके दिखाया है। अगर आप जमीन से जुड़े होते, तो शायद आपकी हालात न होती। मुझे अच्‍छा लगा हमारे खड़गे जी ने, दो चीजें एक तो रेलवे और दूसरा कर्नाटक और खड़गे जी का एकदम सीना फूल जाता है। आपने बीदर कलबुर्गी रेल लाइन का जिक्र किया। जरा देश को इस सच्‍चाई का पता होना चाहिए। यह बात कांग्रेस के मुंह से कभी किसी ने सुनी नहीं होगी, कभी नहीं बोले होंगे। उद्घाटन समारोह में भी नहीं बोले होंगे, शिलान्‍यास में भी नहीं बोले होंगे। सत्‍य स्‍वीकार करिये कि यह बीदर कलबुर्गी 110 किलोमीटर की नई रेल लाइन का प्रोजेक्‍ट अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में मंजूर हुआ था। और 2013 तक आपकी सरकार रही, आप स्‍वयं रेल मंत्री रहे यह आप ही के parliamentary Constituency का इलाका है और उसके बावजूद भी इतने सालों में, अटल जी की सरकार के बाद कितने साल हुए अंदाज लगाइये सिर्फ 37 किलोमीटर का काम हुआ, 37 किलोमीटर। और वो काम भी तब हुआ जब येदियुरप्‍पा जी मुख्‍यमंत्री थे और उन्‍होंने initiative लिया। उन्‍होंने भारत सरकार ने जो मांगा देने के लिए सहमति दे दी। तब जाकर आपकी सरकार ने अटल जी के सपने को आगे बढ़ाने का काम चालू किया। और वो भी जब चुनाव आया तो आपको लगा कि यह रेल चल पड़े तो अच्‍छा होगा। 110 किलोमीटर होनी थी साढ़े तीस किलोमीटर के टुकड़े पर जा करके झंडी फहरा करके आ गए। और हमने आ करके इतने कम समय में 72 किलोमीटर का जो बाकी काम था पूरा किया। और यह हमने नहीं सोचा कि विपक्ष के नेता की  parliamentary Constituency है इसको अभी गड्ढे में डालो देखा जाएगा। ऐसा पाप हम नहीं करते। आपका इलाका था, लेकिन काम देश का था। हमने देश का काम मान करके उसको पूरा किया। और उस पूरी योजना का लोकार्पण मैंने किया तो भी आपको दर्द हो रहा है। इस दर्द की दवा शायद देश की जनता ने बहुत पहले कर दी है।

अध्‍यक्ष महोदया, दूसरी एक चर्चा कर रहे हैं बाड़मेर की रिफाइनरी की। चुनाव प्राप्‍त करने के लिए, चुनाव के पहले पत्‍थर पर नाम जड़ जाएगा तो गाड़ी चल जाएगी। आपने बाड़मेर रिफाइनरी पर जाकर पत्‍थर जड़ लिए, नाम लिखवा दिया, लेकिन जब हम आ करके कागजात देखे तो जो वो शिलान्‍यास हुआ था रिफाइनरी का वो सारा का सारा कागज़ पर था जमीन पर न मंजूरी थी, न जमीन थी, न भारत सरकार के साथ कोई Final Agreement था। और चुनाव को ध्‍यान में रखते हुए आपने वहां भी पत्‍थर जड़ दिया। आपकी गलतियों को ठीक करते उस योजना को सही स्‍वरूप देने में भारत सरकार को, राजस्‍थान सरकार को इतनी माथापच्‍ची करनी पड़ी, तब बड़ी मुश्किल से उसको नि‍काल पाए और आज उस काम को प्रारंभ कर दिया है।

असम में एक धोला सादिया ब्रिज, यह धोला सादिया ब्रिज जब हमने उद्घाटन किया तो जरा कुछ लोगों को तकलीफ हो गई और कह दिया यह तो हमारा था बड़ा आसान है। यह कभी नहीं बोले हैं जब उस ब्रिज का काम आगे बढ़ रहा था, कभी सदन में सवाल उठे हैं, कभी यह कहने की ईमानदारी नहीं दिखाई कि यह काम भी अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में निर्णित हुआ था और वो भी हमारे बीजेपी के एक विधायक उन्‍होंने विस्‍तार से अध्‍ययन करके मांग की थी और अटल जी ने उस मांग को माना था और उसमें से यह बना था। और 2014 में हमारी सरकार बनने के बाद नॉर्थ ईस्‍ट उत्‍तर पर्व के इलाकों को हमने प्राथमिकता दी और उसको तेज गति से आगे बढ़ाने का काम हमने किया और तब जा करके वो ब्रिज बना। इतना ही नहीं मैं गर्व से कह सकता हूं यह सरकार है जो देश में आज सबसे लंबी सुरंग, सबसे लंबी गैस पाइप लाइन, सबसे लंबा समुद्र के अंदर ब्रिज, सबसे तेज ट्रेन यह सारे निर्णय यही सरकार कर सकती है और समय सीमा में आगे बढ़ा रही है। इसी कालखंड में 104 सेटेलाइट छोड़ने का विक्रम भी इसी कालखंड में होता है।

इस बात का इन्‍कार नहीं किया जा सकता जो राष्‍ट्रपति जी ने अपने अभिभाषण में उल्‍लेखन किया और मैं कहना चाहूंगा लोकतंत्र कैसे होता है। शासन में रहे हुए हरेक का सम्‍मान कैसा होता है। लालकिले पर से भाषण निकाल दीजिए। आजादी के सभी कांग्रेस के नेताओं के लालकिले से भाषण निकाल दीजिए एक भाषण में किसी ने यह कहा हो कि देश में जो प्रगति हो रही है, उसमें सभी सरकारों का योगदान है। भूतपूर्व सरकारों का योगदान है, ऐसा एक वाक्‍य लालकिले पर से कांग्रेस के नेताओं ने बोला हो, तो जरा इतिहास खोल करके ले आइये। यह नरेंद्र मोदी लालकिले पर से कहता है कि देश आज जहां है पुरानी सभी सरकारों का भी योगदान है, राज्‍य सरकारों का भी योगदान है और देशवासियों का योगदान है। खुलेआम स्‍वीकार करने की हमारी हिम्‍मत है और यह हमारे चरित्र में हैं।

मैं आज बताना चाहता हूं गुजरात में जब मुख्‍यमंत्री था, तो उस मुख्‍यमंत्री के कालखंड में गुजरात की Golden Jubilee का Year था। हमने  Golden Jubilee Year मनाने में जो कार्यक्रम किए एक कार्यक्रम क्‍या किया, जितने भी राज्‍यपाल श्री के भाषण थे governor के, गवर्नर के भाषण क्‍या होते हैं, जैसे राष्‍ट्रपति का भाषण उस सरकार की गतिविधियों का उल्‍लेख करता है। गवर्नर का भाषण उस काल के राज्‍य सरकार के किए गए कामों का बयान करता है। सरकारें कांग्रेस की रही थी, गुजरात बनने के बाद। लेकिन हमने गुजरात बना तब से लेकर 50 साल तक की यात्रा में जितने भी गवर्नरों के भाषण थे, जिसमें सभी सरकारों के काम का ब्‍योरा था, उसका ग्रंथ प्रसिद्ध किया और उसको archives में रखने का काम किया। लोकतंत्र इसको कहते हैं। आप मेहरबानी करके, हर कुछ आप ही ने किया है, आपके यह परिवार ने किया है। इस मानसिकता के कारण आज वहां जाकर बैठने की नौबत आई है आपको। आपने देश को स्‍वीकार नहीं किया है और इसलिए आज यह कारण है कि दोगुनी रफ्तार से सड़के बन रही है। रेलवे लाइनें तेज गति से आगे बढ़ रही है, पोर्ट डेवलपमेंट हो रहे हैं, गैस पाइपलाइन बिछ रही है, बंद पड़े fertilizer plant उसको खोलने का काम चल रहा है, करोड़ों घरों में शौचालय बन रहे हैं और रोजगार के नये अवसर उपलब्‍ध हो रहे हैं।

मैं जरा कांग्रेस के मित्रों से पूछना चाहता हूं, रोजगारी और बेरोजगारी की आलोचना करने वाले उनसे मैं जरा पूछना चाहता हूं। आप जब बेरोजगारी का आंकड़ा देते हैं, तो आप भी जानते हैं, देश भी जानता है, मैं भी जानता है कि आप बेरोजगारी का आंकड़ा पूरे देश का देते हैं। अगर बेरोजगारी का आंकड़ा पूरे देश का है, तो रोजगारी का आंकड़ा भी पूरे देश का बनता है। अब आपको हमारी बात पर भरोसा नहीं होगा, मैं जरा कुछ कहना चाहता हूं और आप रिकॉर्ड के पास रहिए, पश्चिम बंगाल की सरकार, कर्नाटक की सरकार, ओडि़शा की सरकार और केरल की सरकार हम तो है नहीं वहां, न कोई एनडीए है। इन चार सरकारों ने स्‍वयं ने जो घोषित किया है, उस हिसाब से पिछले तीन-चार वर्ष में इन चार सरकारों का दावा है कि वहां करीब-करीब एक करोड़ लोगों को रोजगार मिला है। क्‍या आप उनको भी इंकार करोगे क्‍या? क्‍या आप उस रोजगार को रोजगार नहीं मानोगे क्‍या? बेरोजगारी देश की और पूरे देश में रोजगारी का काम, और मैं इसमें देश के आर्थिक रूप से समृद्ध राज्‍यों की चर्चा नहीं कर रहा, भाजपा की सरकारों की चर्चा नहीं कर रहा हूं, एनडीए की सरकारों की चर्चा नहीं कर रहा हूं, मैं उन सरकारों की चर्चा कर रहा हूं जो सरकार में आपके लोग बैठे हैं और रोजगार के claim वो कर रहे हैं। या तो आप नकार कर दीजिए कि आपकी कर्नाटक सरकार रोजगार के जो आंकड़े बोल रही है, झूठे बोल रही है। बोलो।

और इसलिए देश को गुमराह करने की कोशिश मत कीजिए और ऐसे देश के सभी राज्‍यों के रोजगार भारत सरकार ने जो प्रयास किया है उसकी योजनाएं और आप जानते हैं एक साल में 70 लाख नये ईपीएफ में नाम रजिस्‍टर हुए हैं और यह 18 से 25 साल के नौजवान है बेटे-बेटियां हैं और इनका नाम जुड़ा है। क्‍या यह रोजगार नहीं है क्‍या? इतना ही नहीं जो कोई डॉक्‍टर बने, कोई इंजीनियर बने, कोई lawyer बने, कोई chartered accountant बने। इन्‍होंने अपने कारोबार प्रारंभ किए। अपनी कंपनियों में लोगों को काम दिया। खुद का रोजगार बढ़ाया। आप इसको गिनने को तैयार नहीं है। और आप जानते हैं, भलीभांति जानते हैं formal sector में सिर्फ 10 प्रतिशत रोजगार होता है, informal sector में 90 percent होता है। और आज informal को भी formal में लाने के लिए हमने कई ऐसे incentive और कई योजनाएं बनाने की दिशा में सफलतापूर्वक प्रयास किया है। इतना ही नहीं, आज देश का मध्‍यम वर्गीय परिवार का नौजवान वो नौकरी की भीख मांगने वालों में से नहीं है, वो सम्‍मान से जीना चाहता है, वो अपने बलबूते पर जीना चाहता है। मैंने ऐसे कई आईएएस अफसर देखे हैं कभी मैं पूछता हूं कि आपकी संतान क्‍या करती है? ज्‍यादातर मैं सोचता हूं कि शायद वो भी बाबू बनेंगे। लेकिन आजकल वो मुझे कह रहे हैं कि सर जमाना बदल गया है। हमारे पिताजी के सामने हम थे तो हम सरकारी नौकरी खोजते-खोजते यहां पहुंच गए। आज हमारे बच्‍चों को हम कहते हैं कि बेटा यहां आ जाओ, वो मना करता है और वो कहता है कि मैं तो स्‍टार्टअप चालू करूंगा।  वो विदेश से पढ़ करके आया है, बोले मैं स्‍टार्टअप चालू करूंगा। सब दूर देश के नौजवानों में यह aspiration है और भारत के नेतृत्‍व में कोई भी दल हो देश के मध्‍यमवर्गीय तेज और तर्रार जो नौजवान है, उनके aspiration को बल देना चाहिए, उनको निराश करने का काम नहीं करना चाहिए और प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, skill development योजना, entrepreneurship training की योजना या सारी बातें देश के मध्‍यम वर्ग के ऊर्जावान नौजवानों को उसे aspiration को बल देने के लिए हम प्रयास कर रहे हैं और उसी का परिणाम है कि प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत 10 करोड़ से ज्‍यादा Loan की स्‍वीकृति हुई है। यह आंकड़ा कम नहीं है और अभी तक यह 10 करोड़ लोन स्‍वीकृति में कहीं किसी की अटकी हुई, कोई बीच में दलाल आया, उसकी कोई शिकायत नहीं आई है। और यह भी तो इस सरकार के वर्ग कल्‍चर का परिणाम है। यह भी उस कल्‍चर का परिणाम है, कोई बिचौलिया नहीं आया। और उसका कारण था कि हमने जो प्रोडक्‍ट बनाई है, नीति नियम बनाए हैं, उसी का वो परिणाम था कि उसको बिना कोई गारंटी बैंक में जा करके उसको धन मिल सकता है। और यह 10 करोड़ लोन स्‍वीकृत हुई है, उसमें चार लाख करोड़ रुपये से ज्‍यादा पैसा दिया गया है। इतना ही नहीं यह लोन प्राप्‍त करने वाले लोग हैं उसमें तीन करोड़ लोग बिल्‍कुल नये उद्यमी हैं, जिनको कभी ऐसा अवसर नहीं आया जीवन में ऐसे लोग हैं क्‍या यह भारत की रोजगारी बढ़ाने का काम नहीं हो रहा है, लेकिन आपने आंखे बंद करके रखी है। और इसलिए आप सब अपने गीत गाने से ऊपर आ नहीं पा रहे हैं, और यह मानसिकता आपको वहीं रहने देगी। और यह भी अटल जी ने कहा है वो ही सच्‍चाई है कि आप छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता, अटल जी ने कहा कि ‘छोटे मन से कोई बड़ा नहीं होता और टूटे मन से कोई खड़ा नहीं होता’ और इसलिए आप वहीं रह जाओगे, वहीं पर गुजारा करना है आपको।

मैं जरा पूछना चाहता हूं यह सब हमारे जमाने के, हमारे जमाने के गीत गाते रहते हैं। 80 के दशक में हमारे देश में यह गूंज सुनाई दे रही थी, 21वीं सदी आ रही है, 21वीं सदी आ रही, 21वीं सदी आ रही है। और उस समय यह कांग्रेस के नेता हर किसी को 21वीं सदी का एक पर्चा दिखाते थे। नौजवान नेता थे, नये-नये आए थे, अपने नाना से भी ज्‍यादा सीटें जीत करके आए थे और देश की जनता 21वीं सदी, 21वीं सदी.. और मैंने उस समय एक कार्टून देखा था, बड़ा ही interesting cartoon था कि रेल के पास प्‍लेटफॉर्म पर एक नौजवान खड़ा है और सामने से ट्रेन आ रही है। ट्रेन पर लिखा था 21वीं शताब्‍दी और यह नौजवान उस तरफ दौड़ रहा है। एक बुजुर्ग ने कहा खड़े रहो वो तो आने ही वाली है, तुम्‍हें कुछ करने की जरूरत नहीं है। 80 के दशक में 21वीं शताब्‍दी के सपने दिखाए जाते थे। सारे देर 21वीं सदी के भाषण सुनाए जा रहे थे और 21वीं सदी बात करने वाली सरकार इस देश में Aviation Policy तक नहीं ले पाई। अगर 21वीं सदी में Aviation Policy नहीं होगी, वो कैसी 21वीं सदी का आपने सोचा था? बेलगाड़ी वाली, यही आप चल रहे हैं।

भाइयों-बहनों, अध्‍यक्ष महोदया, एक Aviation Policy हमने बनाई और आज छोटे-छोटे शहरों में जो छोटी-छोटी हवाई पट्टियां पड़ी हुई थी, इसका हमने उपयोग किया और 16 नई हवाई पट्टियां जहां जहाज आना-जाना शुरू हो गया। 80 से ज्‍यादा Aviation के लिए संभावनाएं पड़ी हुई है, उस पर हम कार्य कर रहे हैं। tier-2, tier-3 इन शहरों में हवाई जहाज उड़ने वाले हैं। और आज देश में यह सुन करके यह तकलीफ होगी, आज देश में करीब-करीब साढ़े चार सौ जहाज, हवाई जहाज operational हैं। करीब-कीरब साढ़े चार सौ। आपको जान करके खुशी होगी कि हमारे इस initiative का परिणाम है कि इस वर्ष नौ सौ से ज्‍यादा नये हवाई जहाज खरीदने के order हिन्दुस्‍तान से गए हैं और इसलिए मैं मानता हूं और यह सफलता इसलिए नहीं मिली है कि सिर्फ हम निर्णय करते हैं। हम Technology का भरपूर उपयोग करते हैं, हम monitoring करते हैं। और रोड़ के काम को भी और रेल के काम को भी हम ड्रोन से देख रहे हैं। हम सेटेलाइट टेक्‍नोलॉजी के द्वारा, हम tagging कर रहे हैं। इतना ही नहीं अगर टॉयलेट बने तो mobile phone पर उसकी तस्‍वीर tag की जाती है। और इस प्रकार से हर चीज को सेटेलाइट की टेक्‍नोलॉजी का उपयोग करते हुए आगे बढ़ाने का हमने काम किया है और उसके कारण मॉनिटरिंग के कारण गति भी आई है। monitoring के कारण transparency को भी ताकत मिली है।

मैं हैरान हूं अगर आधार मुझे बराबर याद है, जब हम चुनाव जीत करके आए। आप ही की तरफ से आशंकाएं पैदा की गई थी कि मोदी आधार को खत्‍म कर देगा। यह हमारी योजना है मोदी पटक देगा, मोदी आधार को आने नहीं देगा। आप मान करके चले थे और इसलिए आपने मोदी पर हमला बुलाने के लिए आधार का इसलिए उपयोग किया था कि मोदी लाएगा नहीं। लेकिन जब मोदी ने उसको वैज्ञानिक तरीके से लाया और उसका वैज्ञानिक उपयोग करने के रास्‍ते खोजे जो आपकी कल्‍पना तक में नहीं थे, और जब आधार लागू हो गया, अच्‍छे ढंग से लागू हो गया। गरीब से गरीब व्‍यक्ति को अच्‍छी तरह उसका लाभ मिलने लगा, तो आपको आधार का implementation बुरा लगने लग गया। चट भी मेरी, पट भी मेरी। यह खेल चलता है क्‍या? और इसलिए आज 115 करोड़ से ज्‍यादा आधार बन चुके हैं। करीब केंद्र सरकार की चार सौ योजनाएं Direct benefit transfer scheme से गरीबों के खाते में सीधे पैसे जाने लगे हैं। 57 हजार करोड़ रुपया, अरे आपने ऐसी-ऐसी विधवाओं को पेंशन दिया है, जो बेटी का जन्‍म नहीं हुआ, वो कागज़ पर विधवा हो जाती है। सालों तक पेंशन जाता है, पैसे जाते हैं, और मलाई खाने वाले बिचौलिए मलाई खाते हैं। विधवा के नाम पर, बुजुर्गों के नाम, दिव्‍यांगों के नाम पर, सरकारी खजाने से निकले पैसे बिचौलियों के जेब में गए हैं और राजनीति चलती रही है। आज आधार के कारण Direct benefit transfer से आप दुखी है, ऐसा नहीं है। आपका दुख का कारण है यह जो बिचौलियों की चाल थी, वो बिचौलियों की चाल खत्‍म हुई है और इसलिए जो रोजगार गया है बिचौलियों का गया है। जो रोजगार गया है, बेईमानों का गया है, जो रोजगार गया है देश को लूटने वालों का गया है।

अध्‍यक्ष महोदया, चार करोड़ गरीब और मध्‍यम वर्ग के परिवारों को मुफ्त बिजली कनेक्‍शन देने का सौभाग्‍य हम लाए हैं। आप कहेंगे कि लोगों के घरों में बिजली देने की योजना हमारे समय हुई थी। होगी, लेकिन क्‍या बिजली थी? क्‍या ट्रांसमिशन लाइनें थी? अरे 18 हजार गांव तक खम्‍बे तक नहीं लगे थे, 18वीं शताब्‍दी में जीने के लिए वो मजबूर हुआ था और आज आप यह कह रहे हैं कि हमारी योजना थी। और हम किसी भी development के लिए टुकड़ों में नहीं देखते। हम एक holistic integrated approach और दूरदृष्टि के साथ और दूरगामी परिणाम देने वाली योजना के साथ हम चीजों को आगे करते हैं। सिर्फ बिजली का विषय मैं बताना चाहता हूं। आपको पता चलेगा कि सरकार के काम करने का तरीका क्‍या है। हम किस तरीके से काम करते हैं। बिजली व्‍यवस्‍था सुधारने के लिए चार करोड़ घरों में, देश में कुल घर है 25 करोड़, चार करोड़ घरों में आज भी बिजली न होना मतलब कि करीब-करीब 20 percent लोग आज भी अंधेरे में जिंदगी गुजार रहे हैं। यह गर्व करने जैसा विषय नहीं है। और आपने यह हमें विरासत में दिया है, जिसको पूरा करने का हम प्रयास कर रहे हैं। लेकिन कैसे कर रहे हैं। हम बिजली व्‍यवस्‍था सुधारने के लिए चार अलग-अलग चरणों में चीजों को हमने हाथ लगाया। एक बिजली उत्‍पादन प्रोडक्‍शन, transmission, distribution और चौथा आता है connection। और यह सारी चीजें एक साथ हम आगे बढ़ा रहे हैं। सबसे पहले हमने बिजली के प्रोडक्‍शन बढ़ाने पर बल दिया। सौर ऊर्जा हो, हाइड्रो ऊर्जा हो, थर्मल हो, न्‍यूक्लिअर हो, जो भी क्षेत्र से बिजली हो सकती है और उस पर हमने बल दे करके बिजली का उत्‍पादन बढ़ाया। transmission network में हमने तेज गति से वृद्धि की। पिछले तीन सालों में डेढ़ लाख करोड़ रुपये से अधिक प्रोजेक्‍ट पर काम किया। यह पिछली सरकार के आखिरी तीन वर्षों की तुलना में 83 percent ज्‍यादा है। हमने स्‍वतंत्रता के बाद देश में कुल स्‍थापित transmission line इसमें 2014 के बाद 31 percent यानी आजादी के बाद जो था, उसमें 31 percent अकेले हमने आ करके बढ़ाया। transformer capacity पिछले तीन साल में 49 percent हमने बढ़ाई है। कश्‍मीर से कन्‍या कुमारी, कच्‍छ से कामरो, निर्बाध रूप से बिजली को transmission करने के लिए सारा नेटवर्क का काम हमने खड़ा कर दिया। power distribution system मजबूत करने के लिए 2015 में उज्‍जवल डिस्‍कॉम इंश्‍योरेंस योजना यानी कि उदय योजना और राज्‍यों को साथ ले करके MOU करके आगे बढ़ाई है। बिजली डिस्‍ट्रीब्‍यूशन कंपनियों में बेहतर ऑपरेशन और फाइनेंशनल मैनेजमेंट साबित हो, उस पर हमने बल दिया है। इसके बाद कनेक्‍शन के लिए घर में बिजली पहुंचाने के लिए सौभाग्‍य योजना launch की है। एक तरफ बिजली पहुंचाना, दूसरी तरफ बिजली बचाना, हमने 28 करोड़ एलईडी बल्‍ब बांटे। मध्‍यम वर्ग का परिवार जो घर में बिजली का उपयोग करता है। 28 करोड़ बिजली के बल्‍ब पहुंचने के कारण 15 हजार करोड़ रुपया बिजली का बिल बचा है, जो मध्‍यम वर्ग के परिवार के जेब में बचा है। देश के मध्‍यम वर्ग को लाभ हुआ है। हमने wastage of time भी बचाया है, हमने wastage of money को भी रोकने के लिए ईमानदारी का प्रयास किया है।

अध्‍यक्ष महोदया, यहां पर किसानों के नाम पर राजनीति करने के भरपूर प्रयास चल रहे हैं और उनको भी मददगार लोग मिल जाते हैं। यह सच्‍चाई है कि आजादी के 70 साल के बाद भी हमारे किसान जो उत्‍पादन करते हैं करीब-करीब एक लाख करोड़ रुपयों का यह जो उत्‍पादित चीजें हैं फल हो, फूल हो, स‍ब्‍जी हो, अन्‍न हो यह खेत से लेकर स्‍टोर तक और बाजार के साथ जो सप्‍लाई चेंज चाहिए उसकी कमी के कारण वो सम्‍पदा बर्बाद हो जाती है। हमने प्रधानमंत्री किसान सम्‍पदा योजना शुरू की और हम उस infrastructure को बल दे रहे हैं कि किसान जो पैदावर करता है उसको रख-रखाव की व्‍यवस्‍था मिले, कम खर्चें से मिले और उसकी फसल बर्बाद न हो, उसकी गारंटी तैयार है।

सरकार ने सप्‍लाई चेन में नई infrastructure को तैयार करने में मदद करने का फैसला किया है। और इसके बाद जो एक लाख करोड़ बचेगें वो देश को किसानों को food processing में लगे हुए मध्‍यम वर्ग के नौजवानों को गांव में ही कृषि आ‍धारित उद्योगों के लिए अवसर की संभावना पैदा हुई है। हमारे देश में जितना कृषि का महत्‍व है उतना ही पशु-पालन का, वो एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। हमारे देश में पशु-पालन के क्षेत्र में आवश्‍यक प्रबंधन के अभाव में सालाना 40 हजार करोड़ रूपये का नुकसान होता है। हमनें पशुओं की चिंता करना कामधेनु योजना के द्वारा इन पशुओं का रख-रखाव की चिंता करने के लिए, उनके आरोग्‍य की चिंता करने के लिए एक बड़ा aggressive काम शुरू किया है। और उसके कारण कामधेनु योजना का लाभ देश के पशु-पालन को और जो किसान पशु-पालन करता है। उनको एक बहुत बड़ी राहत मिलने वाली है। हम दोगुना 22 में इनकम करने की बात करते हैं। 80 में 21वीं सदी की बात करना वो तो मंजूर था लेकिन मोदी अगर आज 2018 में आजादी के 75 साल वाले 2022 को याद करे तो आपको तकलीफ हो रही है। कि मोदी 22 की बात क्‍यों करता है। आप 80 में 21वीं सदी के गीत गाते थे। देश को दिखाते रहते थे। और जब मेरी सरकार निर्धारित काम के सा‍थ 2022 आजादी के 75 साल एक inspiration एक प्रेरणा उसको लेकर के अगर काम कर रही है। तो आपको उसकी भी तकलीफ हो रही है। और किसानों की आय दोगुना करना। आप शंकाओं में इसलिए जीते हैं कि आपने कभी बड़ा सोचा ही नहीं, छोटे मन से कुछ होता नहीं, छोटे मन से कुछ होता नहीं। आप किसान की आय दोगुना करनी क्‍या हम उसकी लागत में कमी नहीं कर सकते। Soil Health Card के द्वारा ये संभव हुआ है, Solar Pump के द्वारा ये संभव हुआ है। Urea Neem coating के कारण ये संभव हुआ है। ये सारी चीजें किसान की लागत कम करने के लिए काम आने वाली चीजे हैं ऐसी अनेक चीजों को हमनें आगे बढ़ाया है। उसी प्रकार से किसान को अपने किसानी कारोबार के साथ हमनें bamboo का निर्णय किया। अगर वो अपने खेत के किनारे पर bamboo लगाएगा। और आज उस bamboo का assured market है। आज देश हजारों करोड़ रूपये का bamboo import करता है। आपकी एक गलत नीति के कारण। क्‍या आपने bamboo को tree कह दिया, पेड़ कह दिया और उसके कारण कोई bamboo काट नहीं सकता था। मेरे north east के लोग परेशान हो गए। हममें हिम्‍मत है कि हमने bamboo को grass की category में लाकर के रखा। वो किसान की आय बढ़ाएगा। अपने खेत पर किनारे पर अगर वो bamboo लगाता है। उसकी छाया के कारण किसान को तकलीफ नहीं होती है। उसकी अतिरिक्‍त Income बढ़ेगी। हम दूध के उत्‍पादन को बढ़ाना चाहते हैं। प्रति पशु हमारे यहां दूध का उत्‍पादन होता है। उसको बढ़ाया जा सकता है। हम मधुमक्‍खी पालन पर बल देना चाहते हैं। आपको हैरानी होगी मधुमक्‍खी पालन में करीब-करीब 40 प्रतिशत वृद्धि हुई। मद export करने में हुए और बहुत कम लोगों को मालूम होगा। आज दुनिया holistic healthcare, ease of living इसपे बल दे रहा है और इसीलिए उसको chemical wax  से बचकर के  bee wax के लिए आज पूरी दुनिया में bee wax का बहुत बड़ा market है। और हमारा किसान खेती के साथ मधुमक्‍खी का पालन करेगा। तो bee wax के कारण उसको एक उत्‍तम प्रकार का और आय में भी बदलाव होगा। हम ये भी जानते हैं कि मधुमक्‍खी फसल को उगाने में भी एक नई ताकत देती है। अनेक ऐसे क्षेत्र हैं और ये सारे काम दूध उत्‍पादन, poetry farm, fisheries हो, bamboo होए value edition ये सारी चीजें हैं। जो किसान की आय को डबल करती है। हम जानते हैं कि जो लोग सोचते थे आधार कभी आएगा नहीं- आ गया, उनको ये भी परेशानी थी कि जीएसटी नहीं आएगी और हम सरकार को डुबोते रहेंगे। अब जीएसटी आ गई, आ गई तो क्‍या करें तो नया खेल खेलो, ये खेल चल रहा है। कोई देश की राजनीतिक नेतागिरी देश को निराश करने का काम कभी नहीं करती। लेकिन कुछ लोगों ने इस काम का रास्‍ता अपनाया है। आज सिर्फ जीएसटी के कारण logistic में जो फायदा हुआ है। हमारी ट्रक पहले जितना समय जाता था उसका wastage जाम के कारण, टोल टैक्‍स के कारण। आज उसका वो बच गया। और हमारी transportation की capacity को 60 प्रतिशत डिलीवरी की ताकत नई आई है। जो काम पांच छह दिन में एक ट्रक जाकर करता था1 वो आज ढाई-तीन दिन में पूरा कर रहा है। ये देश को बहुत बड़ा फायदा हो रहा है। हमारे देश में मध्‍यम वर्ग भारत को आगे ले जाने में उसकी बहुत बड़ी भूमिका है। मध्‍यम वर्ग को निराश करने के लिए भ्रम फैलाने के प्रयास हो रहे हैं। हमारे देश का मध्‍यम वर्ग का व्‍यक्ति good governance चाहता है। बेहतरीन व्‍यवस्‍थाएं चाहता है। वो अगर ट्रेन की टिकट ले तो ट्रेन में उसके हक की सुविधा चाहता है। अगर वो कॉलेज में बच्‍चे को पढ़ने के लिए भेजे तो उसको अच्‍छी शिक्षा चाहता है। बच्‍चों को स्‍कूल भेजे तो स्‍कूल में अच्‍छी शिक्षा चाहता है। वो खाना खरीदने जाए तो खाने की quality अच्‍छी मिले ये मध्‍यम वर्ग का व्‍यक्ति चाहता है। और सरकार का ये काम है। कि पढ़ाई की बेहतर संस्‍थान हों, उचित मूल्‍य पर उसको घर मिले, अच्‍छी सड़कें मिलें, ट्रांसपोर्ट की बेहतर सुविधाएं मिलें, आधुनिक Urban Infrastructure हो, मध्‍यम वर्ग की आशा-आंकाक्षाओं को पूरा करने के लिए ease of living के लिए ये सरकार डेढ़ साल से कदम उठा रही है। हमनें और ये सुनकर के हैरान हो जाएगें ये लोग entry level income tax दुनिया में 5 प्रतिशत की दर पर सबसे अगर कम कहीं है तो भारत हिन्‍दुस्‍तान में है। जो गरीबों को किसी समृद्ध देश में भी नहीं है, समृद्ध देश में भी नहीं है वो हमारे यहां है। 2000 के पहले बजट में टैक्‍स से छूट की सीमा पचास हजार रूपया बढ़ाकर ढाई लाख रूपया कर दिया गया था। इस वर्ष बजट में चालीस हजार रूपये का standard deduction हमनें मंजूर कर दिया है। senior citizen को टैक्‍स में छूट का भी प्रावधान किया है। मध्‍यम वर्ग को करीब 12 हजार करोड़ रूपये का सालाना नया फायदा ये जुड़ता जाए ये काम हमारी सरकार ने किया है। प्रधानमंत्री आवास योजना शहरी 31 हजार करोड़ से ज्‍यादा खर्च हमनें किया है। ब्‍याज में पहली बार इस देश में मध्‍यम वर्ग के लोगों को ब्‍याज में राहत देने का काम इस सरकार ने किया है। नए एम्‍स, नई आईआईटी, नए IIM 11 बड़े शहरों में मेट्रो 32 लाख से ज्‍यादा street LED light कर दी गई है। और इसलिए नए उद्यमों MSME ये कोई इंकार नहीं कर सकता। MSME क्षेत्र के साथ जुड़े लोग ये मध्‍यम वर्ग और उच्‍च मध्‍यम वर्ग है। ढाई सौ करोड़ के turnover पर हमनें टैक्‍स रेट 30 प्रतिशत से कम करके 25 प्रतिशत करके मध्‍यम वर्ग के समाज की बहुत बड़ी सेवा की है। 5 प्रतिशत दिया है। 2 करोड़ रूपये तक कारोबार करने वाले सभी व्‍यापारियों को केवल बैंकिग जनों के माध्‍यम से लेन-देन करते हैं। सरकार उनकी आय को turnover का 8 प्रतिशत नहीं 6 प्रतिशत मानती है। यानि उन्‍हें टैक्‍स पर 2 प्रतिशत का लाभ होता  है। जीएसटी में डेढ़ करोड़ रूपये तक की turnover वाले कारोबार को composition scheme दी और turnover का केवल एक प्रतिशत का भुगतान ये भी दुनिया में सबसे कम हिन्‍दुस्‍तान में करने वाली ये सरकार है।

माननीय अध्‍यक्ष महोदया, जनधन योजना 31 करोड़ से ज्‍यादा गरीबों के बैंक अकांउट खुलना, 18 करोड़ से ज्‍यादा गरीबों को स्‍वास्‍थ्‍य सुरक्षा की बीमा योजना का लाभ हो, 90 पैसे प्रतिदिन यो एक रूपया महीना इतना अच्‍छा प्रोडेक्‍ट वाला बीमा हमनें देश को, गरीबों को दिया। और आप, आपको ये जानकर के ये संतोष होगा कि इतने कम समय में ऐसे गरीब परिवारों के ऊपर आफत आई तो Insurance की योजना के कारण ऐसे परिवारों को दो हजार करोड़ रूपया उनके घर में पहुंच गया। ये, ये असामान्‍य काम हुआ है।

उज्‍ज्‍वला योजना के तहत तीन करोड़ तीस लाख मां-बहनों को, गरीब मां-बहन, अरे गैस का कनेक्‍शन के लिए ये एमपीओ के कुर्ते पकड़ कर चलना पड़ता था। हम सामने से जाकर के ये गैस कनेक्‍शन दे रहे हैं और अब संख्‍या हमनें 8 करोड़ करने का निर्णय किया है। 

आयुषमान भारत योजना मैं हैरान हूं क्‍या देश के गरीब को स्‍वास्‍थ्‍य सुविधा मिलनी चाहिए कि नहीं मिलनी चाहिए। गरीब पैसो के अभाव में इलाज करवाने नहीं जाता है, वो मृत्‍यु को पसंद करता है। लेकिन बच्‍चों के लिए वो कर्ज छोड़कर के जाना नहीं चाहता है। क्‍या ऐसे गरीब निम्‍न वर्ग के परिवारों की रक्षा करने का निर्णय गलत हो सकता है क्‍या? हां आपको लगता है कि इस प्रोडेक्‍ट में कोई बदलाव  करना है तो अच्‍छे positive सुधार लेकर के आइए। मैं स्‍वयं समय देने के लिए तैयार हूं। ताकि देश के गरीबों को पांच लाख रूपये तक सालाना खर्च करें उसके काम आए सरकार लेकिन आप उसके लिए भी इस प्रकार के बयानबाजी कर रहे हैं। अच्‍छी योजना है, जरूर मुझे सुझाइए, हम मिल-बैठकर के नकी करेंगे, तय करेंगे।

अध्‍यक्ष महोदया जी, हमारी सरकार ने जो कदम उठाए हैं। उतने सरकार के जमात के भी सोचने के तौर तरीके में बदलाव किया है। जनधन योजना गरीब का आत्‍मविश्‍वास बढ़ाया है। बैंक में पैसे जमा कर रहा है। रूपये डेबिट कार्ड उपयोग कर रहा है। वो भी अपने-आपको समृद्ध परिवारों की बराबरी में देखने लगा है। स्‍वच्‍छ भारत मिशन महिलाओं के अंदर एक बहुत बड़ा आत्‍मविशवास पैदा करने का काम किया है। अनेक प्रकार की पीड़ाओं से उसको मुक्ति देने का कारण बना है। उज्‍जवला योजना गरीब माताओं को धुएं से मुक्ति दिलाने का काम कहा। पहले हमारा श्रमिक या तो अच्‍छी नौकरी पाने के लिए पुरानी नौकरी छोड़ने की हिम्‍मत नहीं करता था, क्‍योंकि पुराने जमा पैसे डूब जाएंगे। हमने उनके unclaimed 27 हजार करोड़ रुपया universal account number दे करके उस तक पहुंचाने का काम किया है और आगे गरीब मजदूर जहां जाएगा, उसका बैंक अकाउंट भी साथ-साथ चलता जाएगा। यह काम किया है। भ्रष्‍टाचार और कालाधन। अभी भी आपको रात को नींद नहीं आती। मैं जानता हूं आपकी बैचेनी भ्रष्‍टाचार के कारण जमानत पर जीने वाले लोग भ्रष्‍टाचार के कामों से बचने वाले नहीं हैं, कोई भी बचने वाला नहीं है। पहली बार हुआ है देश में, चार-चार पूर्व मुख्‍यमंत्री भारत की न्‍यायपालिका ने उनको दोषित घोषित कर दिया है और जेल में जिंदगी गुजारने के लिए मजबूर होना पड़ा है। यह हमारा commitment है। देश को जिन्‍होंने लूटा है उनको देश को लौटाना पड़ेगा और इस काम में मैं कभी पीछे हटने वाला नहीं हूं। मैं लड़ने वाला इंसान हूं, इसलिए देश में आज एक ईमानदारी का माहौल बना है। एक ईमानदारी का उत्‍सव है। अधिक लोग आज आगे आ रहे हैं, Income Tax देने के लिए आ रहे हैं। उनको भरोसा है कि शासन के पास खजाने में जो पैसा जाएगा, पाई-पाई का हिसाब मिलेगा, सही उपयोग होगा। यह काम हो रहा है।

आज मैं एक विषय को जरा विस्‍तार से कहना चाहता हूं। कुछ लोगों को झूठ बोलो, जोर से झूठ बोलो, बार-बार झूठ बोलो, यह फैशन हो गया है। हमारे वित्‍त मंत्री ने बार-बार इस बात को कहा है, तो भी उनकी मदद करने चाहने वाले लोग, सत्‍य को दबा देते हैं और झूठ बोलने वाले लोग चौराहे पर खड़े रह करके जोरों से झूठ बोलते रहते हैं। और वो मसला है एनपीए का, मैं इस सदन के माध्‍यम से, अध्‍यक्ष महोदया आपके माध्‍यम से आज देश को भी कहना चाहता हूं कि आखिर एनपीए का मामला है क्‍या? देश को पता चलना चाहिए कि एनपीए के पीछे यह पुरानी सरकार के कारोबार है और शत-प्रतिशत पुरानी सरकार जिम्‍मेदार है, एक प्रतिशत भी कोई और नहीं है। आप देखिए उन्‍होंने ऐसी बैंकिंग नीतियां बनाई कि जिसमें बैंकों पर दबाव डाले गए टेलिफोन जाते थे, अपने चहेतों को लोन मिलता था। वो लोन पैसा नहीं दे पा रहे थे। बैंक, नेता, सरकार, बिचौलिये मिल करके उसका restructure करते थे। बैंक से गया पैसा कभी बैंक में आता नहीं था। कागज पर आता-जाता, आता-जाता चल रहा था और देश, देश लूटा जा रहा था। उन्‍होंने अरबों-खरबों रुपया दे दिया। हमने बाद में आ करके, आते ही हमारे ध्‍यान में विषय आया, अगर मुझे राजनीति करनी होती, तो मैं पहले ही दिन देश के सामने वो सारे तथ्‍य रख देता, लेकिन ऐसे समय बैंकों की दुर्दशा की बात देश के अर्थतंत्र को तबाह कर देती। देश में एक ऐसे संकट का माहौल आ जाता उससे निकलना मुश्किल हो जाता और इसलिए आपके पापों को देखते हुए, सबूत होते हुए मैंने मौन रखा, मेरे देश की भलाई के लिए। आपके आरोप मैं सहता रहा, देश की भलाई के लिए। लेकिन अब बैंकों को हमने आवश्‍यक ताकत दी है, अब समय आ गया है कि देश के सामने सत्‍य आना चाहिए। यह एनपीए आपका पाप था और मैं यह आज इस पवित्र सदन में खड़ा रह करके कह रहा हूं। मैं लोकतंत्र के मंदिर में खड़ा रह करके कह रहा हूं। हमारी सरकार आने के बाद एक भी लोन हमने ऐसी नहीं दी है जिसको एनपीए की नौबत आई हो। और आपने छुपाया, आपने क्‍या किया, आपने आंकड़े गलत दिए, जब तक आप थे, आपने बताया एनपीए 36 percent हैं। हमने जब देखा और 2014 में हमने कहा कि भई झूठ नहीं चलेगा सच कहो, जो होगा देखा जाएगा और जब सारे कागजात खंगालना शुरू किया तो आपने जो देश को बताया था वो गलत आंकड़ा था, 82 percent एनपीए था, 82 percent. मार्च 2008 में बैंकों द्वारा दिया गया कुल advance 18 लाख करोड़ रुपये और हमने छह साल में आप देखिए क्‍या हाल हो गया, 8 में 18 लाख करोड़ और आप जब तक मार्च 2000 तक बैठे थे, यह 18 लाख करोड़ पहुंच गया 52 लाख करोड़ रुपया, जो देश के गरीब का पैसा आपने लूटा था। और लगातार हम restructure करते रहे कागज पर हां, लोन आ गया, लोन दे दिया। आप ऐसे ही उनको बचाते रहे, क्‍योंकि बीच में बिचौलिए थे, क्‍योंकि वो आपको चहेते थे, क्‍योंकि आपको उसमें कोई न कोई हित छिपा हुआ था। और इसलिए आपने यह काम किया। हमने यह तय किया कि जो भी तकलीफा होगी सहेंगे, लेकिन साफ-सफाई और मेरा स्‍वच्‍छता अभियान सिर्फ चौराहें तक नहीं है। मेरा स्‍वच्‍छता अभियान इस देश के नागरिकों के हक के लिए इन आचार-विचार में भी है। और इसलिए हमने इस काम को किया है।

हमने योजना बनाई चार साल लगे रहे। हमने recapitalisation पर काम किया है। हमने दुनियाभर के अनुभव पर अध्‍ययन किया है और देश की बैंकिंग सेक्‍टर को ताकत भी दी है। ताकत देने के बाद की आज मैं पहली बार चार साल आपके झूठ को झेलता रहा। आज मैं देश के सामने पहली बार यह जानकारी दे रहा हूं। 18 लाख से 52 लाख, 18 लाख करोड़ से 52 लाख करोड़ लूटा दिया आपने, और आज जो पैसे बढ़ रहे हैं वो उस समय के आपके पाप का ब्‍याज है। यह हमारी सरकार के दिए हुए पैसे नहीं है। यह जो आंकड़ा बदला है, वो 52 लाख करोड़ पर ब्‍याज जो लग रहा है उसका है। और देश कभी इस पाप के लिए आपको माफ नहीं करेगा और कभी न कभी तो यह चीजें इसका हिसाब देश को आपको देना पड़ेगा।

मैं देख रहा हूं, हिट और रन वाली राजनीति चल रही है, कीचड़ फैंकों और भाग जाओ, जितना ज्‍यादा कीचड़ उछालोगे कमल उतना ही ज्‍यादा खिलने वाला है और उछालो, जितना उछालना है, उछालो और इसलिए मैं जरा कहना चाहता हूं अब इसमें मैं कोई आरोप नहीं करना चाहता, लेकिन देश तय करेगा कि क्‍या है? आपने कतर से गैस लेने का 20 साल का कॉन्‍ट्रेक्‍ट किया था, और जिस नाम से गैस का कॉन्‍ट्रेक्‍ट किया था हमने आ करके कतर से बात की, हमने अपना पक्ष रखा, भारत सरकार बंधी हुई थी, आप जो सौदा कर गए थे हमको उसको निभाना था, क्‍योंकि देश की सरकार की अपनी एक विवशता होती है। लेकिन हमने उनको तथ्‍यों के सामने रखा, हमने उनको विवश किया और मेरे देशवासियों को खुशी होगी अध्‍यक्ष महोदया, यह पवित्र सदन में मुझे यह कहते हुए संतोष हो रहा है कि हमने कतार को renegotiation किया और गैस की जो हम खरीदी करते थे करीब-करीब आठ हजार करोड़ रुपये देश का हमने बचाया।

आपने आठ हजार करोड़ ज्‍यादा दिया था। क्‍यों दिया, किसके लिए दिया, कैसे दिया, क्‍या इसके लिए सवाल या निशान खड़े हो सकते हैं, वो देश तय करेगा, मुझे नहीं कहना है। उसी प्रकार से मैं यह भी कहना चाहूंगा ऑस्‍ट्रेलिया के अंदर गैस के लिए भारत सरकार का एक सौदा हुआ था। गैस उनसे लिया जाता था हमने उनसे भी negotiation किया, लम्‍बे समय का किया और आपने ऐसा क्‍यों नहीं किया, हमने चार हजार करोड़ रुपया उसमें भी बचाया। देश के हक का पैसा हमने बचाया, क्‍यों दिया, किसने दिया, कब दिया, किसके लिए दिया, किस हेतु से दिया, यह सारे सवालों के जवाब आपको कभी देंगे नहीं, मुझे मालूम है, देश की जनता जवाब मांगने वाली है।

छोटा सा विषय एलईडी बल्‍ब कोई मुझे बताए, क्‍या कारण था कि आपके समय में वो बल्‍ब तीन सौ, साढ़े तीन सौ रुपये में बिकता था। भारत सरकार तीन सौ, साढ़े तीन सौ में खरीदती थी। क्‍या कारण है कि वही बल्‍ब, कोई टेक्‍नोलॉजी में फर्क नहीं। कोई क्‍वालिटी में फर्क नहीं। देने वाली कंपनी वही, साढ़े तीन सौ का बल्‍ब, 40 रुपये में कैसे आने लगा। जरा कहना पड़ेगा, आपको कहना पड़ेगा, आपको जवाब देना पड़ेगा। मुझे बताइये सोलर एनर्जी क्‍या कारण है कि आपके समय सोलर पावर यूनिट 12 रुपया, 13 रुपया, 14 रुपया, 15 रुपया लूटो, जिसको भी लूटना है लूटो, बस हमारा ख्‍याल रखो। इसी मंत्र को ले करके चला। आज वही सोलर पावर दो रुपया, तीन रुपये के बीच में आ गया है। लेकिन उसके बावजूद  हम आप पर भ्रष्‍टाचार के आरोप नहीं लगाते। देश को लगाना है, लगाएगा। मैं उसमें अपने आप को संयमित रखना चाहता हूं। लेकिन यह हकीकत बोल रही है कि क्‍या हो रहा था और इसलिए, और आज विश्‍व में भारत का मान-सम्‍मान बढ़ा। आज भारत के पासपोर्ट की ताकत सारी दुनिया में जहां हिन्दुस्‍तानी हिन्‍दुस्‍तान का पासपोर्ट ले करके जाता है, सामने मिलने वाला आंख ऊंची करके गर्व के साथ देखता है। आपको शर्म आती है, विदेशों में जा करके देश की गलती गलत तरीके से पेश कर रहे हो। जब देश डोकलाम की लड़ाई लड़ रहा था, खड़ा था, आप चीन के लोगों से बात कर रहे थे। आपको याद होना चाहिए ससंदीय प्रणाली, लोकतंत्र, देश, विपक्ष, एक जिम्‍मेदार पक्ष क्‍या होता है? शिमला करार जब हुआ इंदिरा गांधी जी ने बैनजीर बुटो जी के साथ करार किया। हमारी पार्टी का इकरार था, लेकिन इतिहास गवाह है अटल बिहारी वाजपेयी इंदिरा जी का समय मांगा, इंदिरा जी को मिलने गए और उनको बताया कि देशहित में यह गलत हो रहा है, बस हमने बाहर आ करके उस समय देश का कोई नुकसान नहीं होने दिया था। देश की हमारी जिम्‍मेदारी होती थी। जब हमारी सेना का जवान सर्जिकल स्‍ट्राइक करता है, आप सवालिया निशान खड़ा करते हैं। मैं समझता हूं जब देश में एक कॉमन वेल्‍थ गेम हुआ इस देश में एक कॉमन वेल्‍थ गेम हुआ, अभी भी कैसी-कैसी चीजें लोगों के मन में सवालिया निशान बनी हैं। इस सरकार में आने के बाद 54 देशों का इंडिया अफ्रीका summit हुआ। ब्रिक्‍स समिट हुआ, फीफा अंडर-17 का वर्ल्‍ड कप हुआ। इतनी बड़ी-बड़ी योजनाएं हुई, अरे अभी 26 जनवरी को आसियान के 10 देश के मुखिया आ करके बैठे थे और मेरा तिरंगा लहरा रहा है। आपने सोचा नहीं था कभी, अरे जिस दिन नयी सरकार का शपथ हुआ और सार्क देशों के मुखिया आ करके बैठ गए तो आपके मन में सवाल था कि 70 साल में हमें क्‍यों समझ में नहीं आया छोटा मन बड़ी बात नहीं कर सकता है।

अध्‍यक्ष महोदया, एक न्‍यू इंडिया का सपना, उसको ले करके देश आगे बढ़ना चाहता हैं। महात्‍मा गांधी ने यंग इंडिया की बात कहीं थी, स्‍वामी विवेकानंद जी ने नये भारत की बात कही थी, हमारे राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने जब पद पर थे तब भी नये भारत का सपना सबके सामने रखा था। आओ हम सब मिल करके नया भारत बनाने के संकल्‍प को पूर्ण करने के लिए अपनी जिम्‍मेदारियों का निर्वाह करे। लोकतंत्र में आलोचनाएं लोकतंत्र की ताकत है। यह होना चाहिए, तभी तो अमृत निकलता है, लेकिन लोकतंत्र झूठे आरोप करने का अधिकार नहीं देता है। अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए देश को निराश करने का हक नहीं देता है। और इसलिए मैं आशा करता हूं कि राष्‍ट्रपति जी के अभिभाषण को बोलने वालों ने बोल लिया, अब जरा आराम से उसको पढ़े। पहली बार पढ़ने पर समझ में नहीं आया, तो दोबारा पढ़े। भाषा समझ नहीं आई है, तो किसी की मदद लें। लेकिन जो black-white में सत्‍य लिखा गया है, उसको नकारने का काम न करें। इसी एक अपेक्षा के साथ राष्‍ट्र‍पति के अभिभाषण पर जिन-जिन मान्‍य सदस्‍यों ने अपने विचार व्‍यक्‍त किए, मैं उनको अभिनंदन करता हूं और मैं सबको कहता हूं कि सर्वसम्‍मति से राष्‍ट्रपति जी के अभिभाषण को हम स्‍वीकार करे। इसी अपेक्षा के साथ आपने जो समय दिया, मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं, धन्‍यवाद।

  • krishangopal sharma Bjp January 13, 2025

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹
  • krishangopal sharma Bjp January 13, 2025

    नमो नमो 🙏 जय भाजपा 🙏🌷🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌷🌹🌷🌷🌹🌷🌷🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷🌹🌷
  • Mukesh Kaushik December 13, 2024

    भारत में बदलाव आय है, अब शासन प्रशासन की जिम्मेदारियां भी तय करें जिससे "हम भारत के लोग" कार्य करवाने के लिए धक्के ना खाएं
  • Vinodsah Vinodsah October 18, 2024

    vinod Kumar and
  • Reena chaurasia August 31, 2024

    बीजेपी
  • Naresh Singh March 13, 2024

    very happy
  • Kishor choudhari January 03, 2024

    जय हो
  • Babla sengupta December 23, 2023

    Babla sengupta
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ಪ್ರತಿಯೊಬ್ಬ ಭಾರತೀಯನ ರಕ್ತ ಕುದಿಯುತ್ತಿದೆ: ಮನ್ ಕಿ ಬಾತ್ ನಲ್ಲಿ ಪ್ರಧಾನಿ ಮೋದಿ

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Urban areas are our growth centres, we will have to make urban bodies growth centres of economy: PM Modi in Gandhinagar
May 27, 2025
QuoteTerrorist activities are no longer proxy war but well thought out strategy, so the response will also be in a similar way: PM
QuoteWe believe in ‘Vasudhaiva Kutumbakam’, we don’t want enemity with anyone, we want to progress so that we can also contribute to global well being: PM
QuoteIndia must be developed nation by 2047,no compromise, we will celebrate 100 years of independence in such a way that whole world will acclaim ‘Viksit Bharat’: PM
QuoteUrban areas are our growth centres, we will have to make urban bodies growth centres of economy: PM
QuoteToday we have around two lakh Start-Ups ,most of them are in Tier2-Tier 3 cities and being led by our daughters: PM
QuoteOur country has immense potential to bring about a big change, Operation sindoor is now responsibility of 140 crore citizens: PM
QuoteWe should be proud of our brand “Made in India”: PM

भारत माता की जय! भारत माता की जय!

क्यों ये सब तिरंगे नीचे हो गए हैं?

भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!

मंच पर विराजमान गुजरात के गवर्नर आचार्य देवव्रत जी, यहां के लोकप्रिय मुख्यमंत्री श्रीमान भूपेंद्र भाई पटेल, केंद्र में मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी मनोहर लाल जी, सी आर पाटिल जी, गुजरात सरकार के अन्य मंत्री गण, सांसदगण, विधायक गण और गुजरात के कोने-कोने से यहां उपस्थित मेरे प्यारे भाइयों और बहनों,

मैं दो दिन से गुजरात में हूं। कल मुझे वडोदरा, दाहोद, भुज, अहमदाबाद और आज सुबह-सुबह गांधी नगर, मैं जहां-जहां गया, ऐसा लग रहा है, देशभक्ति का जवाब गर्जना करता सिंदुरिया सागर, सिंदुरिया सागर की गर्जना और लहराता तिरंगा, जन-मन के हृदय में मातृभूमि के प्रति अपार प्रेम, एक ऐसा नजारा था, एक ऐसा दृश्य था और ये सिर्फ गुजरात में नहीं, हिन्‍दुस्‍तान के कोने-कोने में है। हर हिन्दुस्तानी के दिल में है। शरीर कितना ही स्वस्थ क्यों न हो, लेकिन अगर एक कांटा चुभता है, तो पूरा शरीर परेशान रहता है। अब हमने तय कर लिया है, उस कांटे को निकाल के रहेंगे।

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साथियों,

1947 में जब मां भारती के टुकड़े हुए, कटनी चाहिए तो ये तो जंजीरे लेकिन कांट दी गई भुजाएं। देश के तीन टुकड़े कर दिए गए। और उसी रात पहला आतंकवादी हमला कश्मीर की धरती पर हुआ। मां भारती का एक हिस्सा आतंकवादियों के बलबूते पर, मुजाहिदों के नाम पर पाकिस्तान ने हड़प लिया। अगर उसी दिन इन मुजाहिदों को मौत के घाट उतार दिया गया होता और सरदार पटेल की इच्छा थी कि पीओके वापस नहीं आता है, तब तक सेना रूकनी नहीं चाहिए। लेकिन सरदार साहब की बात मानी नहीं गई और ये मुजाहिदीन जो लहू चख गए थे, वो सिलसिला 75 साल से चला है। पहलगाम में भी उसी का विकृत रूप था। 75 साल तक हम झेलते रहे हैं और पाकिस्तान के साथ जब युद्ध की नौबत आई, तीनों बार भारत की सैन्य शक्ति ने पाकिस्तान को धूल चटा दी। और पाकिस्तान समझ गया कि लड़ाई में वो भारत से जीत नहीं सकते हैं और इसलिए उसने प्रॉक्सी वार चालू किया। सैन्‍य प्रशिक्षण होता है, सैन्‍य प्रशिक्षित आतंकवादी भारत भेजे जाते हैं और निर्दोष-निहत्थे लोग कोई यात्रा करने गया है, कोई बस में जा रहा है, कोई होटल में बैठा है, कोई टूरिस्‍ट बन कर जा रहा है। जहां मौका मिला, वह मारते रहे, मारते रहे, मारते रहे और हम सहते रहे। आप मुझे बताइए, क्या यह अब सहना चाहिए? क्या गोली का जवाब गोले से देना चाहिए? ईट का जवाब पत्थर से देना चाहिए? इस कांटे को जड़ से उखाड़ देना चाहिए?

साथियों,

यह देश उस महान संस्कृति-परंपरा को लेकर चला है, वसुधैव कुटुंबकम, ये हमारे संस्कार हैं, ये हमारा चरित्र है, सदियों से हमने इसे जिया है। हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं। हम अपने पड़ोसियों का भी सुख चाहते हैं। वह भी सुख-चैन से जिये, हमें भी सुख-चैन से जीने दें। ये हमारा हजारों साल से चिंतन रहा है। लेकिन जब बार-बार हमारे सामर्थ्य को ललकारा जाए, तो यह देश वीरों की भी भूमि है। आज तक जिसे हम प्रॉक्सी वॉर कहते थे, 6 मई के बाद जो दृश्य देखे गए, उसके बाद हम इसे प्रॉक्सी वॉर कहने की गलती नहीं कर सकते हैं। और इसका कारण है, जब आतंकवाद के 9 ठिकाने तय करके 22 मिनट में साथियों, 22 मिनट में, उनको ध्वस्त कर दिया। और इस बार तो सब कैमरा के सामने किया, सारी व्यवस्था रखी थी। ताकि हमारे घर में कोई सबूत ना मांगे। अब हमें सबूत नहीं देना पड़ रहा है, वो उस तरफ वाला दे रहा है। और मैं इसलिए कहता हूं, अब यह प्रॉक्सी वॉर नहीं कह सकते इसको क्योंकि जो आतंकवादियों के जनाजे निकले, 6 मई के बाद जिन का कत्ल हुआ, उस जनाजे को स्टेट ऑनर दिया गया पाकिस्तान में, उनके कॉफिन पर पाकिस्तान के झंडे लगाए गए, उनकी सेना ने उनको सैल्यूट दी, यह सिद्ध करता है कि आतंकवादी गतिविधियां, ये प्रॉक्सी वॉर नहीं है। यह आप की सोची समझी युद्ध की रणनीति है। आप वॉर ही कर रहे हैं, तो उसका जवाब भी वैसे ही मिलेगा। हम अपने काम में लगे थे, प्रगति की राह पर चले थे। हम सबका भला चाहते हैं और मुसीबत में मदद भी करते हैं। लेकिन बदले में खून की नदियां बहती हैं। मैं नई पीढ़ी को कहना चाहता हूं, देश को कैसे बर्बाद किया गया है? 1960 में जो इंडस वॉटर ट्रीटी हुई है। अगर उसकी बारीकी में जाएंगे, तो आप चौक जाएंगे। यहाँ तक तय हुआ है उसमें, कि जो जम्मू कश्मीर की अन्‍य नदियों पर डैम बने हैं, उन डैम का सफाई का काम नहीं किया जाएगा। डिसिल्टिंग नहीं किया जाएगा। सफाई के लिए जो नीचे की तरफ गेट हैं, वह नहीं खोले जाएंगे। 60 साल तक यह गेट नहीं खोले गए और जिसमें शत प्रतिशत पानी भरना चाहिए था, धीरे-धीरे इसकी कैपेसिटी काम हो गई, 2 परसेंट 3 परसेंट रह गया। क्या मेरे देशवासियों को पानी पर अधिकार नहीं है क्या? उनको उनके हक का पानी मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए क्या? और अभी तो मैंने कुछ ज्यादा किया नहीं है। अभी तो हमने कहा है कि हमने इसको abeyance में रखा है। वहां पसीना छूट रहा है और हमने डैम थोड़े खोल करके सफाई शुरू की, जो कूड़ा कचरा था, वह निकाल रहे हैं। इतने से वहां flood आ जाता है।

साथियों,

हम किसी से दुश्मनी नहीं चाहते हैं। हम सुख-चैन की जिंदगी जीना चाहते हैं। हम प्रगति भी इसलिए करना चाहते हैं कि विश्व की भलाई में हम भी कुछ योगदान कर सकें। और इसलिए हम एकनिष्ठ भाव से कोटि-कोटि भारतीयों के कल्याण के लिए प्रतिबद्धता के साथ काम कर रहे हैं। कल 26 मई था, 2014 में 26 मई, मुझे पहली बार देश के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लेने का अवसर मिला। और तब भारत की इकोनॉमी, दुनिया में 11 नंबर पर थी। हमने कोरोना से लड़ाई लड़ी, हमने पड़ोसियों से भी मुसीबतें झेली, हमने प्राकृतिक आपदा भी झेली। इन सब के बावजूद भी इतने कम समय में हम 11 नंबर की इकोनॉमी से चार 4 नंबर की इकोनॉमी पर पहुंच गए क्योंकि हमारा ये लक्ष्य है, हम विकास चाहते हैं, हम प्रगति चाहते हैं।

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और साथियों,

मैं गुजरात का ऋणी हूं। इस मिट्टी ने मुझे बड़ा किया है। यहां से मुझे जो शिक्षा मिली, दीक्षा मिली, यहां से जो मैं आप सबके बीच रहकर के सीख पाया, जो मंत्र आपने मुझे दिए, जो सपने आपने मेरे में संजोए, मैं उसे देशवासियों के काम आए, इसके लिए कोशिश कर रहा हूं। मुझे खुशी है कि आज गुजरात सरकार ने शहरी विकास वर्ष, 2005 में इस कार्यक्रम को किया था। 20 वर्ष मनाने का और मुझे खुशी इस बात की हुई कि यह 20 साल के शहरी विकास की यात्रा का जय गान करने का कार्यक्रम नहीं बनाया। गुजरात सरकार ने उन 20 वर्ष में से जो हमने पाया है, जो सीखा है, उसके आधार पर आने वाले शहरी विकास को next generation के लिए उन्होंने उसका रोडमैप बनाया और आज वो रोड मैप गुजरात के लोगों के सामने रखा है। मैं इसके लिए गुजरात सरकार को, मुख्यमंत्री जी को, उनकी टीम को हृदय से बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

हम आज दुनिया की चौथी इकोनॉमी बने हैं। किसी को भी संतोष होगा कि अब जापान को भी पीछे छोड़ कर के हम आगे निकल गए हैं और मुझे याद है, हम जब 6 से 5 बने थे, तो देश में एक और ही उमंग था, बड़ा उत्साह था, खासकर के नौजवानों में और उसका कारण यह था कि ढाई सौ सालों तक जिन्होंने हम पर राज किया था ना, उस यूके को पीछे छोड़ करके हम 5 बने थे। लेकिन अब चार बनने का आनंद जितना होना चाहिए उससे ज्यादा तीन कब बनोगे, उसका दबाव बढ़ रहा है। अब देश इंतजार करने को तैयार नहीं है और अगर किसी ने इंतजार करने के लिए कहा, तो पीछे से नारा आता है, मोदी है तो मुमकिन है।

और इसलिए साथियों,

एक तो हमारा लक्ष्य है 2047, हिंदुस्तान विकसित होना ही चाहिए, no compromise… आजादी के 100 साल हम ऐसे ही नहीं बिताएंगे, आजादी के 100 साल ऐसे मनाएंगे, ऐसे मनाएंगे कि दुनिया में विकसित भारत का झंडा फहरता होगा। आप कल्पना कीजिए, 1920, 1925, 1930, 1940, 1942, उस कालखंड में चाहे भगत सिंह हो, सुखदेव हो, राजगुरु हो, नेताजी सुभाष बाबू हो, वीर सावरकर हो, श्यामजी कृष्ण वर्मा हो, महात्मा गांधी हो, सरदार पटेल हो, इन सबने जो भाव पैदा किया था और देश की जन-मन में आजादी की ललक ना होती, आजादी के लिए जीने-मरने की प्रतिबद्धता ना होती, आजादी के लिए सहन करने की इच्छा शक्ति ना होती, तो शायद 1947 में आजादी नहीं मिलती। यह इसलिए मिली कि उस समय जो 25-30 करोड़ आबादी थी, वह बलिदान के लिए तैयार हो चुकी थी। अगर 25-30 करोड़ लोग संकल्पबद्ध हो करके 20 साल, 25 साल के भीतर-भीतर अंग्रेजों को यहां से निकाल सकते हैं, तो आने वाले 25 साल में 140 करोड़ लोग विकसित भारत बना भी सकते हैं दोस्तों। और इसलिए 2030 में जब गुजरात के 75 वर्ष होंगे, मैं समझता हूं कि हमने अभी से 30 में होंगे, 35… 35 में जब गुजरात के 75 वर्ष होंगे, हमने अभी से नेक्स्ट 10 ईयर का पहले एक प्लान बनाना चाहिए कि जब गुजरात के 75 होंगे, तब गुजरात यहां पहुंचेगा। उद्योग में यहां होगा, खेती में यहां होगा, शिक्षा में यहां होगा, खेलकूद में यहां होगा, हमें एक संकल्प ले लेना चाहिए और जब गुजरात 75 का हो, उसके 1 साल के बाद जो ओलंपिक होने वाला है, देश चाहता है कि वो ओलंपिक हिंदुस्तान में हो।

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और इसलिए साथियों,

जिस प्रकार से हमारा यह एक लक्ष्य है कि हम जब गुजरात के 75 साल हो जाए। और आप देखिए कि जब गुजरात बना, उस समय के अखबार निकाल दीजिए, उस समय की चर्चाएं निकाल लीजिए। क्या चर्चाएं होती थी कि गुजरात महाराष्ट्र से अलग होकर क्या करेगा? गुजरात के पास क्या है? समंदर है, खारा पाठ है, इधर रेगिस्तान है, उधर पाकिस्तान है, क्या करेगा? गुजरात के पास कोई मिनरल्स नहीं, गुजरात कैसे प्रगति करेगा? यह ट्रेडर हैं सारे… इधर से माल लेते हैं, उधर बेचते हैं। बीच में दलाली से रोजी-रोटी कमा करके गुजारा करते हैं। क्‍या करेंगे ऐसी चर्चा थी। वही गुजरात जिसके पास एक जमाने में नमक से ऊपर कुछ नहीं था, आज दुनिया को हीरे के लिए गुजरात जाना जाता है। कहां नमक, कहां हीरे! यह यात्रा हमने काटी है। और इसके पीछे सुविचारित रूप से प्रयास हुआ है। योजनाबद्ध तरीके से कदम उठाएं हैं। हमारे यहां आमतौर पर गवर्नमेंट के मॉडल की चर्चा होती है कि सरकार में साइलोज, यह सबसे बड़ा संकट है। एक डिपार्टमेंट दूसरे से बात नहीं करता है। एक टेबल वाला दूसरे टेबल वाले से बात नहीं करता है, ऐसी चर्चा होती है। कुछ बातों में सही भी होगा, लेकिन उसका कोई सॉल्यूशन है क्या? मैं आज आपको बैकग्राउंड बताता हूं, यह शहरी विकास वर्ष अकेला नहीं, हमने उस समय हर वर्ष को किसी न किसी एक विशेष काम के लिए डेडिकेट करते थे, जैसे 2005 में शहरी विकास वर्ष माना गया। एक साल ऐसा था, जब हमने कन्या शिक्षा के लिए डेडिकेट किया था, एक वर्ष ऐसा था, जब हमने पूरा टूरिज्म के लिए डेडिकेट किया था। इसका मतलब ये नहीं कि बाकी सब काम बंद करते थे, लेकिन सरकार के सभी विभागों को उस वर्ष अगर forest department है, तो उसको भी अर्बन डेवलपमेंट में वो contribute क्या कर सकता है? हेल्थ विभाग है, तो अर्बन डेवलपमेंट ईयर में वो contribute क्या कर सकता है? जल संरक्षण मंत्रालय है, तो वह अर्बन डेवलपमेंट में क्या contribute कर सकता है? टूरिज्म डिपार्टमेंट है, तो वह अर्बन डेवलपमेंट में क्या contribute कर सकता है? यानी एक प्रकार से whole of the government approach, इस भूमिका से ये वर्ष मनाया और आपको याद होगा, जब हमने टूरिज्म ईयर मनाया, तो पूरे राज्य में उसके पहले गुजरात में टूरिज्म की कल्पना ही कोई नहीं कर सकता था। विशेष प्रयास किया गया, उसी समय ऐड कैंपेन चलाया, कुछ दिन तो गुजारो गुजरात में, एक-एक चीज उसमें से निकली। उसी में से रण उत्‍सव निकला, उसी में से स्टैच्यू ऑफ यूनिटी बना। उसी में से आज सोमनाथ का विकास हो रहा है, गिर का विकास हो रहा है, अंबाजी जी का विकास हो रहा है। एडवेंचर स्पोर्ट्स आ रही हैं। यानी एक के बाद एक चीजें डेवलप होने लगीं। वैसे ही जब अर्बन डेवलपमेंट ईयर मनाया।

और मुझे याद है, मैं राजनीति में नया-नया आया था। और कुछ समय के बाद हम अहमदाबाद municipal कॉरपोरेशन सबसे पहले जीते, तब तक हमारे पास एक राजकोट municipality हुआ करती थी, तब वो कारपोरेशन नहीं थी। और हमारे एक प्रहलादभाई पटेल थे, पार्टी के बड़े वरिष्ठ नेता थे। बहुत ही इनोवेटिव थे, नई-नई चीजें सोचना उनका स्वभाव था। मैं नया राजनीति में आया था, तो प्रहलाद भाई एक दिन आए मिलने के लिए, उन्होंने कहा ये हमें जरा, उस समय चिमनभाई पटेल की सरकार थी, तो हमने चिमनभाई और भाजपा के लोग छोटे पार्टनर थे। तो हमें चिमनभाई को मिलकर के समझना चाहिए कि यह जो लाल बस अहमदाबाद की है, उसको जरा अहमदाबाद के बाहर जाने दिया जाए। तो उन्होंने मुझे समझाया कि मैं और प्रहलाद भाई चिमनभाई को मिलने गए। हमने बहुत माथापच्ची की, हमने कहा यह सोचने जैसा है कि लाल बस अहमदाबाद के बाहर गोरा, गुम्‍मा, लांबा, उधर नरोरा की तरफ आगे दहेगाम की तरफ, उधर कलोल की तरफ आगे उसको जाने देना चाहिए। ट्रांसपोर्टेशन का विस्तार करना चाहिए, तो सरकार के जैसे सचिवों का स्वभाव रहता है, यहां बैठे हैं सारे, उस समय वाले तो रिटायर हो गए। एक बार एक कांग्रेसी नेता को पूछा गया था कि देश की समस्याओं का समाधान करना है तो दो वाक्य में बताइए। कांग्रेस के एक नेता ने जवाब दिया था, वो मुझे आज भी अच्छा लगता है। यह कोई 40 साल पहले की बात है। उन्होंने कहा, देश में दो चीजें होनी चाहिए। एक पॉलीटिशियंस ना कहना सीखें और ब्यूरोक्रेट हां कहना सीखे! तो उससे सारी समस्या का समाधान हो जाएगा। पॉलीटिशियंस किसी को ना नहीं कहता और ब्यूरोक्रेट किसी को हां नहीं कहता। तो उस समय चिमनभाई के पास गए, तो उन्‍होंने पूछा सबसे, हम दोबारा गए, तीसरी बार गए, नहीं-नहीं एसटी को नुकसान हो जाएगा, एसटी को कमाई बंद हो जाएगी, एसटी बंद पड़ जाएगी, एसटी घाटे में चल रही है। लाल बस वहां नहीं भेज सकते हैं, यह बहुत दिन चला। तीन-चार महीने तक हमारी माथापच्ची चली। खैर, हमारा दबाव इतना था कि आखिर लाल बस को लांबा, गोरा, गुम्‍मा, ऐसा एक्सटेंशन मिला, उसका परिणाम है कि अहमदाबाद का विस्तार तेजी से उधर सारण की तरफ हुआ, इधर दहेगाम की तरफ हुआ, उधर कलोल की तरह हुआ, उधर अहमदाबाद की तरह हुआ, तो अहमदाबाद की तरफ जो प्रेशर, एकदम तेजी से बढ़ने वाला था, उसमें तेजी आई, बच गए छोटी सी बात थी, तब जाकर के, मैं तो उस समय राजनीति में नया था। मुझे कोई ज्यादा इन चीजों को मैं जानता भी नहीं था। लेकिन तब समझ में आता था कि हम तत्कालीन लाभ से ऊपर उठ करके सचमुच में राज्य की और राज्य के लोगों की भलाई के लिए हिम्मत के साथ लंबी सोच के साथ चलेंगे, तो बहुत लाभ होगा। और मुझे याद है जब अर्बन डेवलपमेंट ईयर मनाया, तो पहला काम आया, यह एंक्रोचमेंट हटाने का, अब जब एंक्रोचमेंट हटाने की बात आती हे, तो सबसे पहले रुकावट बनता है पॉलिटिकल आदमी, किसी भी दल का हो, वो आकर खड़ा हो जाता है क्योंकि उसको लगता है, मेरे वोटर है, तुम तोड़ रहे हो। और अफसर लोग भी बड़े चतुर होते हैं। जब उनको कहते हैं कि भई यह सब तोड़ना है, तो पहले जाकर वो हनुमान जी का मंदिर तोड़ते हैं। तो ऐसा तूफान खड़ा हो जाता है कि कोई भी पॉलिटिशयन डर जाता है, उसको लगता है कि हनुमान जी का मंदिर तोड़ दिया तो हो… हमने बड़ी हिम्मत दिखाई। उस समय हमारे …..(नाम स्पष्ट नहीं) अर्बन मिनिस्टर थे। और उसका परिणाम यह आया कि रास्ते चौड़े होने लगे, तो जिसका 2 फुट 4 फुट कटता था, वह चिल्लाता था, लेकिन पूरा शहर खुश हो जाता था। इसमें एक स्थिति ऐसी बनी, बड़ी interesting है। अब मैंने तो 2005 अर्बन डेवलपमेंट ईयर घोषित कर दिया। उसके लिए कोई 80-90 पॉइंट निकाले थे, बडे interesting पॉइंट थे। तो पार्टी से ऐसी मेरी बात हुई थी कि भाई ऐसा एक अर्बन डेवलपमेंट ईयर होगा, जरा सफाई वगैरह के कामों में सब को जोड़ना पड़ेगा ऐसा, लेकिन जब ये तोड़ना शुरू हुआ, तो मेरी पार्टी के लोग आए, ये बड़ा सीक्रेट बता रहा हूं मैं, उन्होंने कहा साहब ये 2005 में तो अर्बन बॉडी के चुनाव है, हमारी हालत खराब हो जाएगी। यह सब तो चारों तरफ तोड़-फोड़ चल रही है। मैंने कहा यार भई यह तो मेरे ध्यान में नहीं रहा और सच में मेरे ध्यान में वो चुनाव था ही नहीं। अब मैंने कार्यक्रम बना दिया, अब साहब मेरा भी एक स्वभाव है। हम तो बचपन से पढ़ते आए हैं- कदम उठाया है तो पीछे नहीं हटना है। तो मैंने मैंने कहा देखो भाई आपकी चिंता सही है, लेकिन अब पीछे नहीं हट सकते। अब तो ये अर्बन डेवलपमेंट ईयर होगा। हार जाएंगे, चुनाव क्या है? जो भी होगा हम किसी का बुरा करना नहीं चाहते, लेकिन गुजरात में शहरों का रूप रंग बदलना बहुत जरूरी है।

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साथियों,

हम लोग लगे रहे। काफी विरोध भी हुआ, काफी आंदोलन हुए बहुत परेशानी हुई। यहां मीडिया वालों को भी बड़ा मजा आ गया कि मोदी अब शिकार आ गया हाथ में, तो वह भी बड़ी पूरी ताकत से लग गए थे। और उसके बाद जब चुनाव हुआ, देखिए मैं राजनेताओं को कहता हूं, मैं देश भर के राजनेता मुझे सुनते हैं, तो देखना कहता हूं, अगर आपने सत्यनिष्ठा से, ईमानदारी से लोगों की भलाई के लिए निर्णय करते हैं, तत्कालीन भले ही बुरा लगे, लोग साथ चलते हैं। और उस समय जो चुनाव हुआ 90 परसेंट विक्ट्री बीजेपी की हुई थी, 90 परसेंट यानी लोग जो मानते हैं कि जनता ये नहीं और मुझे याद है। अब यह जो यहां अटल ब्रिज बना है ना तो मुझे, यह साबरमती रिवर फ्रंट पर, तो पता नहीं क्यों मुझे उद्घाटन के लिए बुलाया था। कई कार्यक्रम थे, तो मैंने कहा चलो भई हम भी देखने जाते हैं, तो मैं जरा वो अटल ब्रिज पर टहलने गया, तो वहां मैंने देखा कुछ लोगों ने पान की पिचकारियां लगाई हुई थी। अभी तो उद्घाटन होना था, लेकिन कार्यक्रम हो गया था। तो मेरा दिमाग, मैंने कहा इस पर टिकट लगाओ। तो ये सारे लोग आ गए साहब चुनाव है, उसी के बाद चुनाव था, बोले टिकट नहीं लगा सकते मैंने कहा टिकट लगाओ वरना यह तुम्हारा अटल ब्रिज बेकार हो जाएगा। फिर मैं दिल्ली गया, मैंने दूसरे दिन फोन करके पूछा, मैंने कहा क्या हुआ टिकट लगाने का एक दिन भी बिना टिकट नहीं चलना चाहिए।

साथियों,

खैर मेरा मान-सम्मान रखते हैं सब लोग, आखिर के हमारे लोगों ने ब्रिज पर टिकट लगा दिया। आज टिकट भी हुआ, चुनाव भी जीते दोस्तों और वो अटल ब्रिज चल रहा है। मैंने कांकरिया का पुनर्निर्माण का कार्यक्रम लिया, उस पर टिकट लगाया तो कांग्रेस ने बड़ा आंदोलन किया। कोर्ट में चले गए, लेकिन वह छोटा सा प्रयास पूरे कांकरिया को बचा कर रखा हुआ है और आज समाज का हर वर्ग बड़ी सुख-चैन से वहां जाता है। कभी-कभी राजनेताओं को बहुत छोटी चीजें डर जाते हैं। समाज विरोधी नहीं होता है, उसको समझाना होता है। वह सहयोग करता है और अच्छे परिणाम भी मिलते हैं। देखिए शहरी शहरी विकास की एक-एक चीज इतनी बारीकी से बनाई गई और उसी का परिणाम था और मैं आपको बताता हूं। यह जो अब मुझ पर दबाव बढ़ने वाला है, वो already शुरू हो गया कि मोदी ठीक है, 4 नंबर तो पहुंच गए, बताओ 3 कब पहुंचोगे? इसकी एक जड़ी-बूटी आपके पास है। अब जो हमारे ग्रोथ सेंटर हैं, वो अर्बन एरिया हैं। हमें अर्बन बॉडीज को इकोनॉमिक के ग्रोथ सेंटर बनाने का प्लान करना होगा। अपने आप जनसंख्या के कारण वृद्धि होती चले, ऐसे शहर नहीं हो सकते हैं। शहर आर्थिक गतिविधि के तेजतर्रार केंद्र होने चाहिए और अब तो हमने टीयर 2, टीयर 3 सीटीज पर भी बल देना चाहिए और वह इकोनॉमिक एक्टिविटी के सेंटर बनने चाहिए और मैं तो पूरे देश की नगरपालिका, महानगरपालिका के लोगों को कहना चाहूंगा। अर्बन बॉडी से जुड़े हुए सब लोगों से कहना चाहूंगा कि वे टारगेट करें कि 1 साल में उस नगर की इकोनॉमी कहां से कहां पहुंचाएंगे? वहां की अर्थव्यवस्था का कद कैसे बढ़ाएंगे? वहां जो चीजें मैन्युफैक्चर हो रही हैं, उसमें क्वालिटी इंप्रूव कैसे करेंगे? वहां नए-नए इकोनॉमिक एक्टिविटी के रास्ते कौन से खोलेंगे। ज्यादातर मैंने देखा नगर पालिका की जो नई-नई बनती हैं, तो क्या करते हैं, एक बड़ा शॉपिंग सेंटर बना देते हैं। पॉलिटिशनों को भी जरा सूट करता है वह, 30-40 दुकानें बना देंगे और 10 साल तक लेने वाला नहीं आता है। इतने से काम नहीं चलेगा। स्टडी करके और खास करके जो एग्रो प्रोडक्ट हैं। मैं तो टीयर 2, टीयर 3 सीटी के लिए कहूंगा, जो किसान पैदावार करता है, उसका वैल्यू एडिशन, यह नगर पालिकाओं में शुरू हो, आस-पास से खेती की चीजें आएं, उसमें से कुछ वैल्यू एडिशन हो, गांव का भी भला होगा, शहर का भी भला होगा।

उसी प्रकार से आपने देखा होगा इन दिनों स्टार्टअप, स्टार्टअप में भी आपके ध्यान में आया होगा कि पहले स्‍टार्टअप बड़े शहर के बड़े उद्योग घरानों के आसपास चलते थे, आज देश में करीब दो लाख स्टार्टअप हैं। और ज्यादातर टीयर 2, टीयर 3 सीटीज में है और इसमें भी गर्व की बात है कि उसमें काफी नेतृत्व हमारी बेटियों के पास है। स्‍टार्टअप की लीडरशिप बेटियों के पास है। ये बहुत बड़ी क्रांति की संभावनाओं को जन्म देता है और इसलिए मैं चाहूंगा कि अर्बन डेवलपमेंट ईयर के जब 20 साल मना रहे हैं और एक सफल प्रयोग को हम याद करके आगे की दिशा तय करते हैं तब हम टीयर 2, टीयर 3 सीटीज को बल दें। शिक्षा में भी टीयर 2, टीयर 3 सीटीज काफी आगे रहा, इस साल देख लीजिए। पहले एक जमाना था कि 10 और 12 के रिजल्ट आते थे, तो जो नामी स्कूल रहते थे बड़े, उसी के बच्चे फर्स्ट 10 में रहते थे। इन दिनों शहरों की बड़ी-बड़ी स्कूलों का नामोनिशान नहीं होता है, टीयर 2, टीयर 3 सीटीज के स्कूल के बच्चे पहले 10 में आते हैं। देखा होगा आपने गुजरात में भी यही हो रहा है। इसका मतलब यह हुआ कि हमारे छोटे शहरों के पोटेंशियल, उसकी ताकत बढ़ रही है। खेल का देखिए, पहले क्रिकेट देखिए आप, क्रिकेट तो हिंदुस्तान में हम गली-मोहल्ले में खेला जाता है। लेकिन बड़े शहर के बड़े रहीसी परिवारों से ही खेलकूद क्रिकेट अटका हुआ था। आज सारे खिलाड़ी में से आधे से ज्यादा खिलाड़ी टीयर 2, टीयर 3 सीटीज गांव के बच्चे हैं जो खेल में इंटरनेशनल खेल खेल कर कमाल करते हैं। यानी हम समझें कि हमारे शहरों में बहुत पोटेंशियल है। और जैसा मनोहर जी ने भी कहां और यहां वीडियो में भी दिखाया गया, यह हमारे लिए बहुत बड़ी opportunity है जी, 4 में से 3 नंबर की इकोनॉमी पहुंचने के लिए हम हिंदुस्तान के शहरों की अर्थव्यवस्था पर अगर फोकस करेंगे, तो हम बहुत तेजी से वहां भी पहुंच पाएंगे।

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साथियों,

ये गवर्नेंस का एक मॉडल है। दुर्भाग्य से हमारे देश में एक ऐसे ही इकोसिस्टम ने जमीनों में अपनी जड़े ऐसी जमा हुई हैं कि भारत के सामर्थ्य को हमेशा नीचा दिखाने में लगी हैं। वैचारिक विरोध के कारण व्यवस्थाओं के विकास का अस्वीकार करने का उनका स्वभाव बन गया है। व्यक्ति के प्रति पसंद-नापसंद के कारण उसके द्वारा किये गए हर काम को बुरा बता देना एक फैशन का तरीका चल पड़ा है और उसके कारण देश की अच्‍छी चीजों का नुकसान हुआ है। ये गवर्नेंस का एक मॉडल है। अब आप देखिए, हमने शहरी विकास पर तो बल दिया, लेकिन वैसा ही जब आपने दिल्‍ली भेजा, तो हमने एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट, एस्पिरेशनल ब्लॉक पर विचार किया कि हर राज्य में एकाध जिला, एकाध तहसील ऐसी होती है, जो इतना पीछे होता है, कि वो स्‍टेट की सारी एवरेज को पीछे खींच ले जाता है। आप जंप लगा ही नहीं सकते, वो बेड़ियों की तरह होता है। मैंने कहा, पहले इन बेड़ियों को तोड़ना है और देश में 100 के करीब एस्पिरेशनल डिस्ट्रिक्ट उनको identify किया गया। 40 पैरामीटर से देखा गया कि यहां क्या जरूरत है। अब 500 ब्‍लॉक्‍स identify किए हैं, whole of the government approach के साथ फोकस किया गया। यंग अफसरों को लगाया गया, फुल टैन्‍यूर के साथ काम करें, ऐसा लगाया। आज दुनिया के लिए एक मॉडल बन चुका है और जो डेवलपिंग कंट्रीज हैं उनको भी लग रहा है कि हमारे यहां विकास के इस मॉडल की ओर हमें चलना चाहिए। हमारा academic world भारत के इन प्रयासों और सफल प्रयासों के विषय में सोचे और जब academic world इस पर सोचता है तो दुनिया के लिए भी वो एक अनुकरणीय उदाहरण के रूप में काम आता है।

साथियों,

आने वाले दिनों में टूरिज्म पर हमें बल देना चाहिए। गुजरात ने कमाल कर दिया है जी, कोई सोच सकता है। कच्छ के रेगिस्तान में जहां कोई जाने का नाम नहीं लेता था, वहां आज जाने के लिए बुकिंग नहीं मिलती है। चीजों को बदला जा सकता है, दुनिया का सबसे बड़ा ऊंचा स्टैच्यू, ये अपने आप में अद्भुत है। मुझे बताया गया कि वडनगर में जो म्यूजियम बना है। कल मुझे एक यूके के एक सज्‍जन मिले थे। उन्होंने कहा, मैं वडनगर का म्यूजियम देखने जा रहा हूं। यह इंटरनेशनल लेवल में इतने global standard का कोई म्यूजियम बना है और भारत में काशी जैसे बहुत कम जगह है कि जो अविनाशी हैं। जो कभी भी मृतप्राय नहीं हुए, जहां हर पल जीवन रहा है, उसमें एक वडनगर हैं, जिसमें 2800 साल तक के सबूत मिले हैं। अभी हमारा काम है कि वह इंटरनेशनल टूरिस्ट मैप पर कैसे आए? हमारा लोथल जहां हम एक म्यूजियम बना रहे हैं, मैरीटाइम म्यूजियम, 5 हजार साल पहले मैरीटाइम में दुनिया में हमारा डंका बजता था। धीरे-धीरे हम भूल गए, लोथल उसका जीता-जागता उदाहरण है। लोथल में दुनिया का सबसे बड़ा मैरीटाइम म्यूजियम बन रहा है। आप कल्पना कर सकते हैं कि इन चीजों का कितना लाभ होने वाला है और इसलिए मैं कहता हूं दोस्तों, 2005 का वो समय था, जब पहली बार गिफ्ट सिटी के आईडिया को कंसीव किया गया और मुझे याद है, शायद हमने इसका launching Tagore Hall में किया था। तो उसके बड़े-बड़े जो हमारे मन में डिजाइन थे, उसके चित्र लगाए थे, तो मेरे अपने ही लोग पूछ रहे थे। यह होगा, इतने बड़े बिल्डिंग टावर बनेंगे? मुझे बराबर याद है, यानी जब मैं उसका मैप वगैरह और उसका प्रेजेंटेशन दिखाता था केंद्र के कुछ नेताओं को, तो वह भी मुझे कह रहे थे अरे भारत जैसे देश में ये क्या कर रहे हो तुम? मैं सुनता था आज वो गिफ्ट सिटी हिंदुस्तान का हर राज्य कह रहा है कि हमारे यहां भी एक गिफ्ट सिटी होना चाहिए।

साथियों,

एक बार कल्पना करते हुए उसको जमीन पर, धरातल पर उतारने का अगर हम प्रयास करें, तो कितने बड़े अच्छे परिणाम मिल सकते हैं, ये हम भली भांति देख रहे हैं। वही काल खंड था, रिवरफ्रंट को कंसीव किया, वहीं कालखंड था जब दुनिया का सबसे बड़ा स्टेडियम बनाने का सपना देखा, पूरा किया। वही कालखंड था, दुनिया का सबसे ऊंचा स्टैच्यू बनाने के लिए सोचा, पूरा किया।

भाइयों और बहनों,

एक बार हम मान के चले, हमारे देश में potential बहुत हैं, बहुत सामर्थ्‍य है।

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साथियों,

मुझे पता नहीं क्यों, निराशा जैसी चीज मेरे मन में आती ही नहीं है। मैं इतना आशावादी हूं और मैं उस सामर्थ्य को देख पाता हूं, मैं दीवारों के उस पार देख सकता हूं। मेरे देश के सामर्थ्य को देख सकता हूं। मेरे देशवासियों के सामर्थ्य को देख सकता हूं और इसी के भरोसे हम बहुत बड़ा बदलाव ला सकते हैं और इसलिए आज मैं गुजरात सरकार का बहुत आभारी हूं कि आपने मुझे यहां आने का मौका दिया है। कुछ ऐसी पुरानी-पुरानी बातें ज्यादातर ताजा करने का मौका मिल गया। लेकिन आप विश्वास करिए दोस्तों, गुजरात की बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। हम देने वाले लोग हैं, हमें देश को हमेशा देना चाहिए। और हम इतनी ऊंचाई पर गुजरात को ले जाए, इतनी ऊंचाई पर ले जाएं कि देशवासियों के लिए गुजरात काम आना चाहिए दोस्तों, इस महान परंपरा को हमें आगे बढ़ाना चाहिए। मुझे विश्वास है, गुजरात एक नए सामर्थ्य के साथ अनेक विद नई कल्पनाओं के साथ, अनेक विद नए इनीशिएटिव्स के साथ आगे बढ़ेगा मुझे मालूम है। मेरा भाषण शायद कितना लंबा हो गया होगा, पता नहीं क्या हुआ? लेकिन कल मीडिया में दो-तीन चीजें आएंगी। वो भी मैं बता देता हूं, मोदी ने अफसरों को डांटा, मोदी ने अफसरों की धुलाई की, वगैरह-वगैरह-वगैरह, खैर वो तो कभी-कभी चटनी होती है ना इतना ही समझ लेना चाहिए, लेकिन जो बाकी बातें मैंने याद की है, उसको याद कर करके जाइए और ये सिंदुरिया मिजाज! ये सिंदुरिया स्पिरिट, दोस्‍तों 6 मई को, 6 मई की रात। ऑपरेशन सिंदूर सैन्य बल से प्रारंभ हुआ था। लेकिन अब ये ऑपरेशन सिंदूर जन-बल से आगे बढ़ेगा और जब मैं सैन्य बल और जन-बल की बात करता हूं तब, ऑपरेशन सिंदूर जन बल का मतलब मेरा होता है जन-जन देश के विकास के लिए भागीदार बने, दायित्‍व संभाले।

हम इतना तय कर लें कि 2047, जब भारत के आजादी के 100 साल होंगे। विकसित भारत बनाने के लिए तत्काल भारत की इकोनॉमी को 4 नंबर से 3 नंबर पर ले जाने के लिए अब हम कोई विदेशी चीज का उपयोग नहीं करेंगे। हम गांव-गांव व्यापारियों को शपथ दिलवाएं, व्यापारियों को कितना ही मुनाफा क्यों ना हो, आप विदेशी माल नहीं बेचोगे। लेकिन दुर्भाग्य देखिए, गणेश जी भी विदेशी आ जाते हैं। छोटी आंख वाले गणेश जी आएंगे। गणेश जी की आंख भी नहीं खुल रही है। होली, होली रंग छिड़कना है, बोले विदेशी, हमें पता था आप भी अपने घर जाकर के सूची बनाना। सचमुच में ऑपरेशन सिंदूर के लिए एक नागरिक के नाते मुझे एक काम करना है। आप घर में जाकर सूची बनाइए कि आपके घर में 24 घंटे में सुबह से दूसरे दिन सुबह तक कितनी विदेशी चीजों का उपयोग होता है। आपको पता ही नहीं होता है, आप hairpin भी विदेशी उपयोग कर लेते हैं, कंघा भी विदेशी होता है, दांत में लगाने वाली जो पिन होती है, वो भी विदेशी घुस गई है, हमें मालूम तक नहीं है। पता ही नहीं है दोस्‍तों। देश को अगर बचाना है, देश को बनाना है, देश को बढ़ाना है, तो ऑपरेशन सिंदूर यह सिर्फ सैनिकों के जिम्‍मे नहीं है। ऑपरेशन सिंदूर 140 करोड़ नागरिकों की जिम्‍मे है। देश सशक्त होना चाहिए, देश सामर्थ्‍य होना चाहिए, देश का नागरिक सामर्थ्यवान होना चाहिए और इसके लिए हमने वोकल फॉर लोकल, वन डिस्ट्रिक्ट वन प्रोडक्ट, मैं मेरे यहां, जो आपके पास है फेंक देने के लिए मैं नहीं कह रहा हूं। लेकिन अब नया नहीं लेंगे और शायद एकाध दो परसेंट चीजें ऐसी हैं, जो शायद आपको बाहर की लेनी पड़े, जो हमारे यहां उपलब्ध ना हो, बाकि आज हिंदुस्तान में ऐसा कुछ नहीं। आपने देखा होगा, आज से पहले 25 साल 30 साल पहले विदेश से कोई आता था, तो लोग लिस्ट भेजते थे कि ये ले आना, ये ले आना। आज विदेश से आते हैं, वो पूछते हैं कि कुछ लाना है, तो यहां वाले कहते हैं कि नहीं-नहीं यहां सब है, मत लाओ। सब कुछ है, हमें अपनी ब्रांड पर गर्व होना चाहिए। मेड इन इंडिया पर गर्व होना चाहिए। ऑपरेशन सिंदूर सैन्‍य बल से नहीं, जन बल से जीतना है दोस्तों और जन बल आता है मातृभूमि की मिट्टी में पैदा हुई हर पैदावार से आता है। इस मिट्टी की जिसमें सुगंध हो, इस देश के नागरिक के पसीने की जिसमें सुगंध हो, उन चीजों का मैं इस्तेमाल करूंगा, अगर मैं ऑपरेशन सिंदूर को जन-जन तक, घर-घर तक लेकर जाता हूं। आप देखिए हिंदुस्तान को 2047 के पहले विकसित राष्ट्र बनाकर रहेंगे और अपनी आंखों के सामने देखकर जाएंगे दोस्तों, इसी इसी अपेक्षा के साथ मेरे साथ पूरी ताकत से बोलिए,

भारत माता की जय! भारत माता की जय!

भारत माता की जय! जरा तिरंगे ऊपर लहराने चाहिए।

भारत माता की जय! भारत माता की जय! भारत माता की जय!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

वंदे मातरम! वंदे मातरम! वंदे मातरम!

धन्यवाद!