India is a youthful nation. 800 million people are below the age of 35: PM Modi
It is important for the youth of India to be connected with latest technology, says PM Modi
GST demonstrates the strength of democracy. The credit for implementation of GST goes to 125 crore people of India: PM

नौजवान साथिओं,

आज एक साथ कई प्रकल्‍पों के लिए इस कार्यक्रम में मुझे सम्मिलित होने का अवसर मिला है। उत्‍तर प्रदेश में सरकार के द्वारा जिस उमंग और उत्‍साह के साथ, स्‍पष्‍ट दृष्टिकोण के साथ विकास की यात्रा चल रही है; देश के हर कोने में उत्‍तर प्रदेश की पल-पल की घटनाओं की तरफ लोगों का ध्‍यान है, बड़ी उत्‍सुक्‍ता है। और योगी जी के नेतृत्‍व में एक के बाद एक जो कदम उठाए जा रहे हैं, परिश्रम की पराकाष्‍ठा करते हुए, कई वर्षों की जो बीमारियां हैं, लम्‍बे अर्से के जो अवरोध हैं; उसे दूर करते हुए उत्‍तर प्रदेश को तेजी से आगे बढ़ाने के उनके प्रयास, योगी जी को उनकी टीम को मैं बहुत-बहुत बधाई देता हूं; उनका बहुत-बहुत अभिनंदन करता हूं।

आज मुझे कुछ समय Drug Research Institute में बिताने का अवसर मिला। हमारे वैज्ञानिक मानवता के लिए ऐसे Drugs जो सस्‍ते भी हों, कारगर भी हों और side-effect के बिना त्‍वरित उपचार करने वाले हो, उसके संशोधन में अपनी पूरी जिंदगी laboratory में खपा रहे हैं। वैज्ञानिक एक प्रकार से आधुनिक ऋषि होते हैं और आधुनिक ऋषि की तरह वो अपने लक्ष्‍य को समर्पित हो करके मानव को किस प्रकार से मुसीबतों से मुक्‍त किया जाए, शारीरिक पीड़ा से मुक्‍त किया जाए, परम्‍परागत ज्ञान-विज्ञान को आधुनिक साधनों के माध्‍यम से, आधुनिक व्‍यवस्‍थाओं के माध्‍यम से और अधिक सटीक कैसे बनाया जाये; उस पर वो काम कर रहे हैं।

आज मानव के सामने, खास करके आरोग्‍य के क्षेत्र में अनेक चुनौतियां हैं। एक दवाई बनाने में सालों बीत जाते हैं, सैंकड़ो वैज्ञानिक खप जाते हैं, लेकिन उसके पहले नए प्रकार की बीमारी जन्‍म ले लेती है। एक प्रकार से स्‍पर्धा चलती है। लेकिन विज्ञान की मदद से, innovation के सहारे हमने इस दोषों को परास्‍त करना है, बीमारियों को परास्‍त करना है और गरीब से गरीब व्‍यक्ति को सस्‍ते से सस्‍ती और कारगर दवाई कैसे उपलब्‍ध हो, इस चुनौतियों को हमने स्‍वीकार करके विजयी होना है।

आज मुझे इस Technical University के भवन के लोकार्पण का भी अवसर मिला है। डॉक्‍टर एपीजे अब्‍दुल कलाम के साथ इसका नाम जुड़ा हुआ है। मैं नहीं मानता हूं कि तकनीकी जगत के लिए डॉक्‍टर एपीजे अब्‍दुल कलाम से बड़ा कोई प्रेरणा का नाम हो सकता है। Science is Universal but Technology Must Be Local. और यहीं पर हमारी कसौटी है। विज्ञान के सिद्धान्‍त प्रतिपादित हो चुके हैं। विज्ञान का ज्ञान उपलब्‍ध है, लेकिन हमारी युवा पीढ़ी से उन चीजों की अपेक्षा है कि उपलब्‍ध संसाधनों के माध्‍यम से जब Technology मानव जीवन को बड़ी प्रभावित कर रही है, तब हम Technology में वो कौन से संशोधन करें, कौन से आविष्‍कार करें, जो हमारे सामान्‍य मानवी की Quality of Life में बदलाव लाएं। हम दुनिया में गर्व कर रहे हैं कि भारत, जिसके पास Eight Hundred Million नौजवानों की फौज है, 35 से कम उम्र के नौजवानों का ये देश है, उसके पास दिमाग भी है। अगर हाथ में हुनर हो, विज्ञान अधिष्‍ठान हो, और Technology का आविष्‍कार हो तो मेरा देश का नौजवान विश्‍व में अपना डंका बजाने का सामर्थ्‍य रखता है। लेकिन हम उस Technology के सहारे उतनी प्रगति नहीं कर सकते। जो पिछली शताब्दियों में बहुत बड़ा रोल कर गई होगी, लेकिन आने वाली शताब्‍दी में शायद वो उपकारक न भी हो। और इसलिए Technology को समय से आगे चलना पड़ता है, उसे दूर का देखना पड़ता है। और भारत के नौजवानों में वो सामर्थ्‍य है, उस सामर्थ्‍य को ले करके हम Technology के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों को कैसे पार करें।


आज भी हमारा देश Defense के लिए, सुरक्षा के लिए, हमारी फौज के लिए हर छोटी-मोटी चीज विदेशों से हम लाते हैं। क्‍या हम बहुत जल्‍द Defense के Sector में भारत को आत्‍मनिर्भर नहीं बना सकते हैं? क्‍या देश की सुरक्षा के लिए जिन संसाधनों की आवश्‍कता है, जिस Technology की आवश्‍यकता है, जिस equipment की आवश्‍यकता है, उसे भारत में ही नए-नए आविष्‍कार के साथ हम क्‍यों न करें। सुरक्षा के क्षेत्र में भारत आत्‍मनिर्भर कैसे बने, इस सपनों को ले करके हम आगे बढ़ रहे हैं। और इसलिए हमने कई नीतिगत परिवर्तन किए हैं। Defense Sector में 100 Percent Foreign Direct Investment को हमने Open किया। हमने भारत के कारोबारियों को Partnership के लिए Open Up किया है। हमने भारत सरकार जो चीजें बाहर से लेती है, अगर हिन्‍दुस्‍तान में बनी हुई लेगी तो उसको विशेष प्रोत्‍साहन की सूची तैयार की है। और ये सारे अवसर Technology से जुड़ी हुई युवा पीढ़ी के लिए हैं।

वैसा ही एक दूसरा क्षेत्र है। आज Medical Science एक प्रकार से Technology Driven है। अब डॉक्‍टर तय नहीं करता है कि आपको कौन सी बीमारी है, मशीन तय करता है कि आप किस बीमारी से ग्रस्‍त हैं। आपके शरीर में कहां तकलीफ है, कहां कमी है, कैसी तकलीफ है; वो मशीन तय करता है। और बाद में डॉक्‍टर उस मशीन की रिपोर्ट के आधार पर आपके लिए आरोग्‍य का रोडमैप क्‍या होगा, दवाइयां कौन सी होंगी, ऑपरेशन करना है या नहीं करना है; उसके फैसले करता है। लेकिन ये Medical Equipment, उसका Manufacturing, भारत इतना बड़ा देश है, उसको इतनी बड़ी Requirement है। हमारी Technology Field के Students क्‍यों न सोचें कि हम वो Start Up शुरू करेंगे, हम उस विषय पर खोज करेंगे, हम भारत के अंदर ही आरोग्‍य के क्षेत्र में जिस Equipment की Requirement है उस Requirement को पूरा करने के लिए नई खोज के साथ नए निर्माण की दिशा में जाएंगे।


‘Make in India’ ये पूरा Concept हिन्‍दुस्‍तान के Technology से जुड़े हुए हमारे नौजवानों को एक नया अवसर देने के लिए, Start Up India, Stand Up India, Skill India, मुद्रा योजना, चाहे Finance की व्‍यवस्‍था करनी हो, चाहे Technological Support की व्‍यवस्‍था हो, चाहे Human Resource Development में Skill को प्रधान्‍य देना हो, चाहे Technical Knowledge में नई ऊंचाइयों को पार करना हो, एक प्रकार से Comprehensive Approach के साथ देश को, देश के पास जो Technical ज्ञान है, जो Technical महारत है, जो हमारी University के पास होगी, हमारी नौजवान पीढ़ी के पास होगी; इन सबको संतुलित करते हुए, संकलित करते हुए, देश को एक नई ऊंचाइयों पर ले जाना है। और इस देश ने दिखाया है, जब भी हिन्‍दुस्‍तान के युवा लोगों को अवसर मिला है, उन्‍होंने चुनौतियों को पार भी किया है और नए सीमांकन भी प्रस्‍थापित किए हैं।

Mars पर जाने के लिए दुनिया के बड़े-बड़े देशों ने प्रयास किया। पहले Trial में दुनिया का कोई देश Mars और Orbit में नहीं जा सका था। हिन्‍दुस्‍तान दुनिया का पहला देश था जो पहले Trial में Mars और Orbit में पहुंचा था। और दुनिया को तब अचरज हो गया कि भारत के युवा वैज्ञानिकों ने ये Mars की यात्रा इतनी सस्‍ते में की। लखनऊ में अगर आपको टैक्‍सी में जाना है, ऑटो रिक्‍शा में जाना है तो एक किलोमीटर का 10 रुपया तो लगता ही होगा। हम Mars पर पहुंचे, एक किलोमीटर का सिर्फ सात रुपये का खर्चा किया। और हमारा Mars पर जाने का जो Total Budget था वो Hollywood की फिल्‍म का जो खर्चा होता है उससे कम खर्चे में हमारे देश के वैज्ञानिक Mars पर पहुंच चुके।

ये सामर्थ्‍य है हमारी युवा पीढ़ी में, ये सामर्थ्‍य है हमारे देश के talented नौजवानों में, technicians में, वैज्ञानिकों में, पिछले दिनों जब भारत ने एक साथ 104 सेटेलाइट छोड़े दुनिया के लिए आश्‍चर्य था कि एक साथ 104 सेटेलाइट छोड़ने की ताकत इस देश के वैज्ञानिकों में है। इस सामर्थ्‍य को लेकर के आगे बढ़ना है और उस अर्थ में आज ये Technical University और उसके साथ जुड़े हुए सारे संबद्ध colleges उसको कैसे आगे बढ़ाएं? मैं जानता हूं उत्‍तर प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में काम करना कितना कठिन है। हमारे गर्वनर श्रीमान राम नाइक जी चांसलर के रूप में University में discipline कैसे आए, University में समय सीमा में काम कैसे हो, इस पर देर रात काम कर रहे थे। उत्‍तर प्रदेश के 28 Universities में से 24 Universities को अब वो समय पर exam हो, समय पर convocation हो, इसको कराने में सफल हुए हैं। ये discipline बहुत आवश्‍यक होती है। लेकिन राम नाइक जी बहुत ही focus काम करने के आदी हैं जिस चीज को हाथ में लेते हैं उसको पूरा करके रहते हैं और इसलिए उत्‍तर प्रदेश की Universities में rules and regulations, नियम परम्‍पराएं, discipline विद्यार्थियों के समय की बर्बादी न हो उस पर बड़ी बारीकी से नजर रखते हुए उसको आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। अब योगी जी की सरकार आ गई है तो उनको और सुविधा हो गई है। काम को और सरलता से बढ़ा रहे हैं।


आज मेरे लिए खुशी की बात है कि प्रधानमंत्री आवास योजना के लिए कुछ परिवारों को उस आवास के निमत उनकी परवानगी के संबध में एक प्रमाणपत्र दिया गया है। 2022 में भारत आजादी के 75 साल मनाएगा। आजादी के दीवानों ने सपने देखे थे, तब वो फांसी के तख्‍त पर चढ़े थे। जवानी जेलों में खपा दी थी। एक सुखी समृद्ध हिन्‍दुस्‍तान देखना चाहते थे। आजाद हिन्‍दुस्‍तान देखना चाहते थे। उन्‍होंने अपना सर्वस्‍व न्‍यौच्‍छावार किया था। 2022 में आजादी के 75 साल होंगे। क्‍या सवा सौ करोड़ देशवासियों की जिम्‍मेवारी नहीं है कि देश के दीवानों के सपनों को पूरा करने के लिए हम हिन्‍दुस्‍तान को नई ऊंचाइयों पर ले जाएं। क्‍या सवा सौ करोड़ देशवासी मिलकर के इस देश को आगे नहीं ले जा सकते हैं? मेरा आत्‍मविश्‍वास है कि सवा सौ करोड़ देशवासियों में वो सामर्थ्‍य है कि हिन्‍दुस्‍तान को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकते हैं। हमने सपना संजोया है कि 2022 जब आजादी के 75 साल हों, हिन्‍दुस्‍तान के गरीब से गरीब के पास उसका अपना रहने के लिए घर हो, उसको अपनी छत हो और घर भी वो हो जिसमें शौचालय हो, बिजली हो, पानी हो, नजदीक में बच्‍चों को पढ़ने के लिए शिक्षा की व्‍यवस्‍था हो और उस सपने को पूरा करने के लिए पूरे देश में एक अभियान चलाएं ग्रामीण आवास का, शहरी आवास का और उसी के तहत कुछ माताओं को आज आवास मिले उनको घर मिले उसके लिए एक सम्‍मति पत्र सरकार की तरफ से दिया गया और एक मां कह रही थी। अब अच्‍छा हुआ बोले मेरा मकान बन जाएगा, बच्‍चों की शादी कराऊंगी और आपको शादी में बुलाऊंगी। उनका इतना उत्‍साह था। सपने जब सच होने लगते हैं तब इंसान किसी भी अवस्‍था में क्‍यों न हो कुछ कर गुजरने का माजा पैदा होता है वो मैंने उस मां की बातों से देखा है। शब्‍द उनके थे लेकिन वो भाव बड़ी प्रेरणा देती थी।

आज बिजली ऊर्जा ये विकास के लिए बहुत महत्‍वपूर्ण है technology जीवन की life में ऊर्जा का अपना एक सामर्थ्‍य है। renewable energy के द्वारा solar energy के द्वारा देश में एक नई क्रांति लाने का प्रयास चल रहा है। LED bulb घर-घर पहुंचाकर के बिजली बचाने का एक बहुत बड़ा अभियान चल रहा है। करीब 22 करोड़ से भी ज्‍यादा LED के bulb पिछले एक साल के भीतर-भीतर घरों में लग चुके हैं और उसके कारण बिजली उससे भी ज्‍यादा मिलती है लेकिन खर्चा LED bulb के कारण, जिन परिवारों में LED bulb का उपयोग हो रहा है उससे जो बिजली के बिल की बचत हो रही है, वो करीब करीब 12 से 13 हजार करोड़ रुपये की बचत है। ये सामान्‍य मानवीय के पैसे बच रहे हैं। आज 400 KV का transmission line का यहां मैं लोकार्पण कर रहा हूं। ये जो मध्‍य भाग है कानपुर तक का पूरा उन्नाव समेत सारा, वहां पर एक quality बिजली, जो यहां के औद्योगिक जीवन को मदद करेगी, जो यहां के घर में जो बिजली चाहिए वो मदद मिलेगी। और आपके यहां तो बिजली वितरण में भी VIP कोटा रहता था मैंने सुना है। कुछ district बड़े VIP रहते थे वहां बिजली का एक प्रकार रहता था और कुछ district ऐसे थे ये… मैं योगी जी की बधाई करता हूं, अभिनंदन करता हूं उनका कि उन्‍होंने सभी 75 जिलों को एक समान रूप से बिजली के कारोबार का मदद करने का निर्णय किया। शासन का यही काम होता है। कुछ को विशेष लाभ और कुछ को कुछ नहीं। इसको खत्‍म करने में कितनी दिक्‍कत आती है, मैं जानता हूं लेकिन मुझे विश्‍वास है योगी जी ये करके रहेंगे, उन्‍होंने ये तय किया है परिणाम लाकर रहेंगे।


भाइयों बहनों, विकास की नई ऊंचाइयों को पार करने का देश प्रयास कर रहा है। जीवन के हर क्षेत्र में विकास की नई ऊंचाइयों को पार करना है। सवा सौ करोड़ देश, इन सवा सौ करोड़ देशवासियों का ताकत आज पूरा विश्‍व ये मानता है कि दुनिया की बड़ी economy में सबसे तेज गति से आगे बढ़ना वाला कोई देश है तो उस देश का नाम हिन्‍दुस्‍तान है। पूरा विश्‍व आज भारत को गौरव की तरफ देख रहा है। अब हम सब सवा सौ करोड़ देशवासी मिलकर के तय करें, हम उत्‍तर प्रदेश के नागरिक मिलकर के तय करें, आप देखिए बदलाव कैसा आता है।

1 जुलाई से जीएसटी का प्रारंभ हो रहा है। इस देश के लिए बड़े गर्व की बात है। इस देश के सभी राजनीतिक दल, इस देश के सभी राजनीतिक नेता, कितना ही विरोध क्‍यों न हो। इस देश की सभी राज्‍य सरकारें, केंद्र सरकार मिलकर के एक ऐसा ऐतिहासिक काम करने जा रहें हैं जो 1 जुलाई से देश की अर्थव्‍यवस्‍था में एक बहुत बड़ा परिवर्तन आने वाला है। ये अपने आपमें बहुत बड़ी सिद्धी है। भारत के Federal Structure की सिद्धी है। भारत के राजनीतिक दलों की maturity की सिद्धी है। दल से ऊपर देश, ये हिन्‍दुस्‍तान के सभी राजनीतिक दलों ने दिखा दिया है। मैं सभी राजनीतिक दलों का आभारी हूं, मैं सभी राज्‍य सरकारों का आभारी हूं, मैं सभी विधानसभाओं का आभारी हूं, लोकसभा का, राज्‍यसभा का आभारी हूं। सबने मिलकर के इस जीएसटी लागू करने के लिए प्रयास सफलतापूर्वक किया। अब मुझे विश्‍वास है कि 1 जुलाई के बाद नागरिकों के सहयोग से, खासकर के छोटे-मोटे व्‍यापारियों के सहयोग से, हम सफलतापूर्वक जीएसटी में आगे बढ़ेंगे तब दुनिया के लिए बहुत बड़ा अजूबा होगा कि इतना बड़ा देश इस प्रकार से transformation कर सकता है। भारत के लोकतंत्र की ताकत की पहचान होगी दुनिया को कि इस देश के सभी दल, सभी भिन्‍न-भिन्‍न विचारधारा वाले दल देश हित में कंधे से कंधा मिलाकर के कितना बड़ा फैसला करते हैं, ये दुनिया के सामने एक अजूबा की तरह दिखने वाला है। ये भारत के लोकतंत्र की ताकत है, भारत के लोकतंत्र की maturity की ताकत है। भारत के लोकतंत्र में राजनीतिक दलों की leadership की maturity की ताकत है कि संभव हुआ है। और इसलिए इसकी credit न मोदी को जाती है न एक सरकार को जाती है। ये सवा सौ करोड़ देशवासियों को जाती है। भारत के mature लोकतंत्र को जाता है। देश के सभी राजनीतिक दलों को जाता है, देश की सभी विधानसभाओं को जाता है, लोकसभा और राज्‍यसभा को जाता है।


अब इतना बड़ा काम हुआ है। हम उसे समझे, कठिनाईयां है तो सरकार ने सारी व्‍यवस्‍था की है। इन कठिनाइयों को दूर करने के पूरे प्रयास जारी रहेंगे, लेकिन एक सफल यात्रा और अधिक अच्‍छी तरह सफल हो उसके लिए 1 जुलाई से सभी देश के विशेषकर के व्‍यापारी कौम, ये उसको अपने कंधें पर उठाएं, दो कदम आगे चलें और सरलता पूर्वक उसको पार करने में देश का नेतृत्‍व ये हमारे व्‍यापारी आलम करें और करेंगे ऐसा मेरा विश्‍वास है।

इसी एक अपेक्षा के साथ, मैं आप सबको इस कैंपस में पढ़ने वाले, इस कैंपस से जुड़े हुए सभी नौजवानों को हृ़दय से बहुत शुभकामनाएं देता हूं, सफलता के लिए बहुत-बहुत अभ्‍यर्थना करता हूं।

धन्‍यवाद

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Text of PM’s address at the Odisha Parba
November 24, 2024
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM

जय जगन्नाथ!

जय जगन्नाथ!

केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।

ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।

मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।

ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।

साथियों,

ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।

साथियों,

ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।

साथियों,

उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।

साथियों,

ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।

साथियों,

इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।

साथियों,

ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।

साथियों,

एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।

साथियों,

ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।

साथियों,

ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।

साथियों,

हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।

साथियों,

ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।

साथियों,

ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।

साथियों,

हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।

साथियों,

ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।

साथियों,

हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।

साथियों,

ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।

साथियों,

हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।

साथियों,

कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।

साथियों,

आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।

आप सबका बहुत-बहुत धन्यवाद।

जय जगन्नाथ!