ನವದೆಹಲಿಯಲ್ಲಿಂದು ಜರುಗಿದ ಮಹಾತ್ಮಾ ಗಾಂಧಿ ಅಂತರರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ನೈರ್ಮಲ್ಯ ಸಮಾವೇಶದ (ಎಮ್.ಜಿ.ಐ.ಎಸ್.ಸಿ) ಸಮಾರೋಪ ಸಭೆಯಲ್ಲಿ ಪ್ರಧಾನಮಂತ್ರಿ ಶ್ರೀ ನರೇಂದ್ರ ಮೋದಿ ಅವರು ಭಾಷಣ ಮಾಡಿದರು. ವಿಶ್ವದಾದ್ಯಂತ ಎಲ್ಲಡೆಯ ನೈರ್ಮಲ್ಯ ಸಚಿವರು ಮತ್ತು ವಾಷ್ ( ಜಲ, ನೈರ್ಮಲ್ಯ ಮತ್ತು ಶುಚಿತ್ವ ) ಕ್ಷೇತ್ರದ ಇತರ ನಾಯಕರನ್ನು ನಾಲ್ಕು ದಿನಗಳ ಎಮ್.ಜಿ.ಐ.ಎಸ್.
ಸಿ ಅಂತರರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ಸಮಾವೇಶದ ಸನಿಹಕ್ಕೆ ತಂದಿದೆ. ಪ್ರಧಾನಮಂತ್ರಿ ಅವರು ಡಿಜಿಟಲ್ ವಸ್ತುಪ್ರದರ್ಶನಕ್ಕೆ ಭೇಟಿನೀಡಿದರು, ಹಾಗೂ ವಿಶ್ವಸಂಸ್ಥೆಯ ಮಹಾಪ್ರಧಾನ ಕಾರ್ಯದರ್ಶಿ ಶ್ರೀ ಅಂಟನಿಯೊ ಗುಟೆರ್ರೆಸ್ ಅವರೂ ಜೊತೆಗಿದ್ದರು. ಮಹಾತ್ಮಾಗಾಂಧಿ ಅವರ ಅಚ್ಚುಮೆಚ್ಚಿನ “ವೈಷ್ಣವ ಜನ ತೊ” ಹಾಡು ಆಧಾರಿತ ಸಮಿಶ್ರ ಗಾನ ಸಿಡಿ ಮತ್ತು ಸ್ಮರಣಾ ಅಂಚೆ ಚೀಟಿಗಳನ್ನು ವೇದಿಕೆಯಲ್ಲಿದ್ದ ಗಣ್ಯರು ಬಿಡುಗಡೆ ಮಾಡಿದರು.
ಪ್ರಧಾನಮಂತ್ರಿ ಅವರು ತಮ್ಮ ಭಾಷಣದಲ್ಲಿ, “ಮಹಾತ್ಮಾ ಗಾಂಧಿ ಅವರು ಶುಚಿತ್ವಕ್ಕೆ ಸದಾ ಮಹತ್ವದ ಸ್ಥಾನನೀಡಿದ್ದರು” ಎಂದರು. 1945ರಲ್ಲಿ ಪ್ರಕಟವಾದ ಗ್ರಾಮೀಣ ನೈರ್ಮಲ್ಯತೆ ಪ್ರಧಾನ ವಿಷಯವಾಗಿರುವ ಮಹಾತ್ಮಾ ಗಾಂಧಿ ಅವರ “ಸಕಾರಾತ್ಮಕ ಕಾರ್ಯಕ್ರಮಗಳು” ಎಂಬ ಪುಸ್ತಕವನ್ನು ಪ್ರಧಾನಮಂತ್ರಿ ಅವರು ಈ ಸಂದರ್ಭದಲ್ಲಿ ನೆನಪಿಸಿಕೊಂಡರು.
आजादी की लड़ाई लड़ते हुए गांधी जी ने एक बार कहा था कि वो स्वतंत्रता और स्वच्छता में से स्वच्छता को प्राथमिकता देंगे।
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उन्होंने साल 1945 में प्रकाशित अपने 'Constructive Programme' में जिन जरूरी बातों का जिक्र किया था, उनमें ग्रामीण स्वच्छता भी एक महत्वपूर्ण सेक्शन था: PM
अगर आप बहुत बारीकी से गौर करेंगे, मनन करेंगे, तो पाएंगे कि जब हम अस्वच्छता को दूर नहीं करते तो वही अस्वच्छता हम में परिस्थितियों को स्वीकार करने की प्रवृत्ति पैदा करने लगती है: PM
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कोई चीज गंदगी से घिरी हुई है और वहां पर उपस्थित व्यक्ति अगर उसे बदलता नहीं है, सफाई नहीं करता है, तो फिर वो उस गंदगी को स्वीकार करने लगता है।
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कुछ समय बाद ऐसी स्थिति हो जाती है कि वो गंदगी उसे गंदगी लगती ही नहीं। यानि एक तरह से अस्वच्छता व्यक्ति कि चेतना को जड़ कर देती है: PM
जब व्यक्ति गंदगी को स्वीकार नहीं करता, उसे साफ करने के लिए प्रयत्न करता है, तो उसकी चेतना भी चलायमान हो जाती है।
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उसमें एक आदत आती है कि वो परिस्थितियों को ऐसे ही स्वीकार नहीं करेगा: PM
आज मैं आपके सामने स्वीकार करता हूं कि अगर मैंने गांधी जी को, उनके विचारों को, इतनी गहराई से नहीं समझा होता, तो हमारी सरकार की प्राथमिकताओं में भी स्वच्छता अभियान कभी नहीं आ पाता।
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मुझे पूज्य बापू से ही प्रेरणी मिली, और उन्हीं के मार्गदर्शन से स्वच्छ भारत अभियान भी शुरू हुआ: PM
आज मुझे गर्व है कि गांधी जी के दिखाए मार्ग पर चलते हुए सवा सौ करोड़ भारतवासियों ने स्वच्छ भारत अभियान को दुनिया का सबसे बड़ा जन आंदोलन बना दिया है: PM
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इसी जनभावना का परिणाम है कि 2014 से पहले ग्रामीण स्वच्छता का जो दायरा लगभग 38 प्रतिशत था, आज 94 प्रतिशत हो चुका है।
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भारत में खुले में शौच से मुक्त- ODF गांवों की संख्या 5 लाख को पार कर चुकी है।
भारत के 25 राज्य खुद को खुले में शौच से मुक्त घोषित कर चुके हैं: PM
4 साल पहले, खुले में शौच करने वाली वैश्विक आबादी का 60% हिस्सा भारत में था,
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आज ये 20% से भी कम हो चुका है।
इन चार वर्षों में सिर्फ शौचालय ही नहीं बने, गांव-शहर ODF ही नहीं बने बल्कि 90% से अधिक शौचालयों का नियमित उपयोग भी हो रहा है: PM
आज जब मैं सुनता हूं, देखता हूं, कि स्वच्छ भारत अभियान ने भारत के लोगों का मिज़ाज बदल दिया है, किस तरह से भारत के गांवों में बीमारियां कम हुई हैं, इलाज पर होने वाला खर्च कम हुआ है, तो बहुत संतोष मिलता है: PM
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समृद्ध दर्शन, पुरातन प्रेरणा, आधुनिक तकनीक और प्रभावी कार्यक्रमों के सहारे आज भारत Sustainable Development Goals के लक्ष्यों को हासिल करने की तरफ भारत तेज़ी से आगे बढ़ रहा है।
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हमारी सरकार पर Sanitation के साथ ही Nutrition पर भी समान रूप से बल दे रही है: PM
साथियों, मैं इस बात के लिए आपको बधाई देना चाहता हूं कि चार दिन के इस सम्मलेन के बाद, हम सब इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि, विश्व को स्वच्छ बनाने के लिए 4P आवश्यक हैं।
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ये चार मंत्र हैं:
Political Leadership
Public Funding
Partnerships
People’s participation: PM