नमस्ते, साल मुबारक, भाई दूज की बहुत-बहुत शुभकामनाएं,
Good evening Wembley a big thank you. Big thank you for being here. This is a historic day for a great partnership and you are the heartbeat between two great nations’, two vibrant democracies, two wonderful people, we are celebrating this very special relationship in this very special venue with friends of India specially Excellency Prime Minister Cameron. I was told that London would be cold but not this much. Your wonderful and warm welcome make me feel at home. I am grateful to Prime Minister Cameron for his kind words and thanks every body
मै करीब 12 साल के बाद आज आपके बीच आया हूं। 12 साल में Thames में बहुत पानी बह चुका है। तब मैं जब आया था तो मुख्यमंत्री के रूप में आपसे मिला था और आज जब आपके बीच में आया हूं तो देशवासियों ने मुझे एक नई जिम्मेवारी दी है और उस नई जिम्मेवारी को पूरा करने के लिए भरपूर कोशिश कर रहा हूं और मेरे प्यारे देशवासियों में आपको विश्वास दिलाता हूं जो सपने आपने देखे हैं, जो सपने हर हिन्दुस्तानी ने देखे हैं, वे सपने पूरे करने का सामर्थ्य भारत में है, ये मैं भलीभांति अनुभव कर रहा हूं।
पिछले 18 महीने के अनुभव से मैं कह सकता हूं कि भारत को गरीब रहने का कोई कारण नहीं है। हमें बिना कारण गरीबी को पाल करके रखा है। और पता नहीं क्यों, आदतन हमें गरीबी को पुचकारने में जरा मजा आने लग गया है। भारत सामर्थ्यवान है, सवा सौ करोड़ देशवासी, 250 करोड़ भुजाएं, और वो देश जिसमें eight hundred million, 65 प्रतिशत जनसंख्या, 35 साल से कम उम्र की हो, भारत जवानी से लबालब भरा हुआ देश है और जिस देश के पास इतने युवा हों, वो देश अब पीछे नहीं रह सकता और वो देश विकास की इस यात्रा में अब रुक नहीं सकता है।
मैं दो दिन से यहां हूं, UK की सरकार ने, प्रधानमंत्री कैमरन ने जिस गर्मजोशी से स्वागत किया, सम्मान किया, उनके लिए मैं हृदय से उनका बहुत-बहुत आभारी हूं। लेकिन ये सम्मान किसी एक व्यक्ति का नहीं है, ये सम्मान सवा सौ करोड़ हिंदुस्तानियों का है। भारत की महान लोकतांत्रिक परंपराओं का देश है। प्रधानमंत्री कैमरन के साथ इसके पूर्व भी मुझे अनेक बार मिलने का, बातचीत करने का अवसर मिला है और मैंने अनुभव किया है, उनसे जब भी मिलना हुआ, वो ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय समुदाय के लिए इतनी तारीफ करते हैं, इतनी तारीफ करते हैं, इतना गौरवगान करते हैं, ऐसा लगता है जैसे वो यहां के भारतीय समुदाय के साथ पूरी तरह घुल-मिल गए हैं। भारतीय समुदाय के प्रति उनकी संवेदना साफ-साफ नजर आती है। मैं उनके भारतीयों के प्रति जो प्रेम है इसके लिए उनका अभिनंदन करता हूं, उनका धन्यवाद करता हूं और आप लोगों का उनके साथ जो नाता है और आपके माध्यम से उन्होंने भारत को जिस रूप से जाना है और उसके कारण भारत के प्रति भी उनके मन में वो ही आदर, वो ही लगाव हर बात में महसूस होता है। और कौन भारतीय होगा, जिसको इस बात का गर्व न हो कि आज ब्रिटिश पार्लियामेंट के सामने महात्मा गांधी खड़े हों, इससे बड़ा गर्व क्या होगा? ये लंदन की धरती, आजादी का जंग इस धरती पर भी भारतीय लोगों ने आ करके आजादी के जंग की लड़ाई को ताकत दी थी। उसमें एक थे श्यामजी कृष्ण वर्मा। 1930 में उनका स्वर्गवास हो गया। विद्वान थे, बैरिस्टर थे और यहां रह करके वे अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ते थे, भारत की आजादी के लिए लड़ाई लड़ते थे और उसके लिए यहां के Bar association ने उनको निकाल दिया था। वकालत करने की उनकी सनक को रद्द कर दिया गया था। आज मैं प्रधानमंत्री कैमरन का आभारी हूं कि करीब-करीब सौ साल के बाद उन्होंने घड़ी की सुई का उल्टा कर दिया। और कल मुझे श्यामजी कृष्ण वर्मा को, जो अब तो रहे नहीं लेकिन उनके सम्मान में, उनको फिर से बार की membership को continue करने वाला कागज मुझे सौंपा।
जब मैं गुजरात में था, 2003 में मैं यहां आया था। मैं यहां से जिनेवा पंडित श्यामजी वर्मा की अस्थि लेने के लिए जाने वाला था, श्यामजी कृष्ण वर्मा लंदन की धरती पर रह करके आजादी का जंग लड़ रहे थे। वीर सावरकर जैसे अनेक महापुरुषों को, मदनलाल ढींगरा जैसे तेजस्वी, ओजस्वी नौजवानों को वे यहां प्रोत्साहित करते थे। 1930 में उनका स्वर्गवास हुआ तो उनकी इच्छा व्यक्त की थी कि उनके स्वर्गवास के बाद उनकी अस्थि हिन्दुस्तान आजाद जब हो, तो आजाद हिन्दुस्तान में ले जाई जाएं। लेकिन 1930 से 2003 तक भारत से कोई आया नहीं वो अस्थि लेने के लिए। भारत मां के उस लाल की अस्थि ले जाने का सौभाग्य मुझे मिला और 2003 में मैं ले गया। और गुजरात में कच्छ मांडवी, जो उनका जन्म स्थान था वहां एक भव्य स्मारक बनाया है, उनके स्मृति चिह्न अस्थि वहां रखे हैं। आज मुझे यहां के bar का जो स्वीकृति पत्र फिर से मिला है, वो भी मैं गुजरात सरकार को सुपुर्द करूंगा और वो भी उस Museum में रखा जाएगा। और इसलिए मैं कहता हूं कि प्रधानमंत्री कैमरन ने घड़ी की सुई को उल्टा घुमाया है। मैं उनका आभारी हूं।
भारत जिस विकास यात्रा की ओर आगे बढ़ रहा है, हमारा देश दुनिया के लिए एक अजूबा है। प्रधानमंत्री बनने के बाद विश्व के जिन-जिन लोगों से मेरा मिलना हुआ है, एक बात अवश्य पूछते हैं, क्योंकि हर देश किसी न किसी समस्या से जूझ रहा है और इसलिए वे कभी-कभी मुझे पूछते हैं कि मोदी जी हमारा इतना छोटा देश, ये परेशानी, वो परेशानी; ये तकलीफ वो तकलीफ; ये समुदाय ऐसा करता है, वो समुदाय ऐसा करता है, वो लोग ऐसा करते हैं, अक्सर बातें करते हैं, फिर मुझे पूछते हैं कि मोदी जी ये बताइए ये आपका सवा सौ करोड़ का देश इतने प्यार से, इतने मिलजुल करके कैसे रहता है? लोगों को आश्चर्य है ऐसा देश जहां सौ भाषाएं हों, 1500 बोलियां हों, हजारों प्रकार के खानपान की पद्धतियां हों। दक्षिण से निकलें, उत्तर पहुंचते-पहुंचते सैंकड़ों प्रकार की वेशभूषा नजर आती हो, कितनी विविधताओं से भरा हुआ हमारा देश है और विविधता, ये हमारी विशेषता भी है; विविधता, ये हमारी आन, बान, शान भी है; विविधता, ये हमारी शक्ति भी है।
अब आप देखिए पंजाब के हमारे सिख भाई, कितनी त्याग और बलिदान की गाथाएं जुड़ी हुई हैं। भारत की आन, बान, शान के लिए कितने सिखों ने अपने सिर न्यौच्छावर कर दिए थे और सिख समाज की एक विशेषता रही है कि वे मां भारती की भी रक्षा करते रहे। मां भारती की रक्षा के लिए अपना खून बहाते रहे और आजाद हिंदुस्तान में भारत माता की संतानों का पेट भरने के लिए वे खेतों में अपना पसीना बहाते रहे और हिंदुस्तान भर का पेट भरने के लिए उन्होंने कभी कमी नहीं रखी।
मैं जब कल यहां आया, यहां के सिख समाज के सभी वरिष्ठ लोग मुझे मिलने आए थे। बहुत प्यार से बातें हुईं। हम दोनों ने मिल करके अपने दुखों को, अपने दर्दों को बांटा। उनके दिल पर जो गुजरती हैं बातें, उनकी भावनाओं का मैं आदर करता हूं, उनकी कठिनाई को मैं समझता हूं। और मैंने विश्वास दिलाया है कि जिन-जिन बातों को आप कर रहे हैं, मैं पूरी तरह उन चीजों में लगा हुआ हूं। आने वाले भविष्य में आपको उसके नतीजे भी नजर आ जाएंगे।
भारत की धरती पर कबीर और रहीम की बातें हम सबको प्रेरणा देती रही हैं। सूफी परंपरा, आज विश्व में जो आतंकवाद के नाम पर जो चीजें चल रही हैं, कभी मुझे लगता है अगर सूफी परंपरा बलवान हुई होती, इस्लाम में ही इस सूफी परंपरा का अगर प्रभाव पड़ा होता और जिसने सूफी परंपरा को समझा होता, वो कभी हाथ में बंदूक लेने का विचार नहीं करता। ऐसी विविधताओं से भरी दुनिया के सभी प्रमुख सम्प्रदाय हिंदुस्तान की धरती पर हैं। और सिर्फ कहने को नहीं, भारी मात्रा में समुदाय हैं। हमारे यहां ऋतुएं कितनी हैं, हमारे यहां विविधताएं कितनी हैं, हमारे यहां पेड-पौधे देखें, ये देश विविधताओं से, परमात्मा की कृपा से पुलकित हुआ है और आप उस देश के एक प्रकार से सच्चे Ambassador हैं। भारतीय समुदाय का व्यक्ति जहां गया, वहां सबके साथ रहने का, जीने के संस्कार ले करके गया। विविधताओं के बीच में भी सबके साथ कैसे जीया जाता है, अपनी पंरपराओं को बचाते हुए सबके साथ कैसे घुल-मिल करके जिंदगी जी सकते हैं, अगल-बगल में किसी को खंरोच भी न आ जाए उसके बाद भी गति तेज कर सकते हैं, लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं, ऊंचाईयां और बढ़ा सकते हैं, ये आपने दिखाया है। विश्व भर में फैले हुए भारतीय समाज ने ये संस्कार का परिचय करवाया है, ये शक्ति का परिचय करवाया है और उन्हीं के माध्यम से हिंदुस्तान की सही पहचान भी बनती है। और इसलिए विश्व भर में फैले हुए भारतीय समुदाय को भी इस महान परंपरा को आपके अपने व्यवहार से, अपने चरित्र से, अपने आचरण से दुनिया को अपने भारत की ताकत का परिचय करवाया है इसलिए आप सब मेरे भाई-बहन ह्दय के, ह्दय से अभिनंदन के अधिकारी हैं, बहुत-बहुत बधाई के अधिकारी हैं।
भाइयों-बहनों, आज विश्व में भारत की अपनी एक गरिमा, एक गौरव, उसका अनुभव आप भी करते होंगे। पूरी दुनिया आज भारत के प्रति बहुत आशा की नजर से देख रही है। भारत का नाम सुनते ही India सुनते ही आपको जिन-जिन विदेश में लोगों को मिलते हो, आपको भी महसूस होता है कि नहीं होता है? आपको भी ध्यान में आता है कि दुनिया का नजरिया बदलता है? पहले लोग मिलते हैं वे अब मिलते हैं तो बड़ी गर्मजोशी से मिलते हैं? पहले हाथ मिलाते थे अब हाथ पकड़ के रखते हैं? ये बदलाव जो है, ये बदलाव ही भारत की सफलता की एक निशानी के रूप में है।
विश्व आज भारत को एक शक्ति के रूप में पहचान रहा है, विश्व आज भारत को एक संभावनाओं की भूमि के रूप में देख रहा है और हमारी भी कोशिश है कि भारत का स्थान अब दुनिया में ओरों के साथ बराबरी का होना चाहिए और हम दुनिया से अब मेहरबानी नहीं चाहते, अगर हम चाहते हैं तो बराबरी चाहते हैं बराबरी। और मैं 18 महीनों के अनुभव से कह सकता हूं कि आज भारत के साथ जो भी बात करता है वो बराबरी से बात करता है। जुड़ना चाहता है तो win-win के फार्मूला के साथ जुड़ना चाहता है। आगे बढ़ना चाहता है तो कदम से कदम मिला करके आगे बढ़ना चाहता है। और ये आने वाले उत्तम भविष्य के शुभ संकेत के रूप में मैं देखता हूं।
विश्व जिन समस्याओं से जूझ रहा है उसमें दो प्रमुख समस्याएं हैं। सारी दुनिया के जितने भी नेता, जब भी मिलते हैं इन दो बातों से परेशानियों की चर्चा करते ही करते हैं, एक आतंकवाद, दूसरा ग्लोबल वार्मिग। आतंकवाद हो या ग्लोबल वार्मिंग हो, सारी मानव जाति को बचाने की जिम्मेवारी सभी देशों की है, मानवता में विश्वास करने वाले हर नागरिक की है और भारत इसके लिए सही रास्ता दिखा सकता है। महात्मा गांधी का जीवन, महात्मा गांधी के उपदेश, महात्मा गांधी का अहिंसा का शस्त्र, उसमें वो ताकत है, अगर आज के परिप्रेक्ष्य में विश्व गांधी को समझने का प्रयास करे तो आतंकवाद से मुक्ति का रास्ता भी मिल सकता है और ग्लोबल वार्मिंग से मुक्ति का भी रास्ता मिल सकता है क्योंकि गांधी इतने दीर्घ दृष्टा थे। और इसलिए भारत की वो भी जिम्मेवारी है कैसे संकट की घड़ी में मानवता के कल्याण के लिए विश्व को इन समस्याओं से बाहर निकलने के लिए भारत अपनी भूमिका निभा रहा है और आगे भी निभाता रहेगा, ये मैं आप मेरे देशवासियों को विश्वास दिलाता हूं।
देश आज विकास की नई ऊंचाईयों की ओर तेज गति से चल रहा है और मैं विश्वास से कहता हूं कि भारत ने जो गति पकड़ी है, भारत ने जो दिशा पकड़ी है; उस गति से, उस दिशा से बहुत ही जल्द हम उसके फल भी देखने शुरू करेंगे। आजादी के सत्तर साल के बाद आपको जान करके हैरानी होगी, आज भी हिंदुस्तान में 18 हजार गांव ऐसे हैं जहां बिजली का खंभा भी नहीं पहुंचा है। आप मुझे बताइए भाइयों-बहनों, क्या ये काम मुझे पूरा करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए? उन 18 हजार गांवों में, जहां बिजली नहीं पहुंची है, वहां बिजली पहुंचनी चाहिए कि नहीं पहुंचनी चाहिए? आजादी के सत्तर साल के बाद भी अगर मेरा देशवासी अंधेरे में जिंदगी जीने के लिए मजबूर है तो हमें प्रायश्चित करना चाहिए कि नहीं करना चाहिए? भाइयों-बहनों, मैंने बीड़ा उठाया है, आप मुझे आशीर्वाद देंगे? मैंने बीड़ा उठाया है, राज्यों से कहा है मुझे मदद कीजिए, आने वाले एक हजार दिवस में इन 18 हजार गांवों में बिजली पहुंचाने का संकल्प करके चला हूं।
जब मुझे पहली बार लाल किले की प्राचीर से हिंदुस्तान के तिरंगे झंडे के नीचे से देश को संबोधित करने का पहला अवसर मिला; बचपन में जिंदगी में कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन एक चाय बेचने वाला, गरीब परिवार का बेटा, लाल किले की प्राचीर से हिंदुस्तान का तिरंगा झंडा फहराता होगा। और उस दिन मैंने कहा था, स्वच्छ भारत का सपना मैंने देशवासियों के सामने रखा था। बहुतों को आश्चर्य हुआ था कि लाल किले पर से तो कितनी बड़ी-बड़ी बातें करनी चाहिए, कितनी बड़ी-बड़ी योजनाएं रखनी चाहिए, अखबारों में headline छप जाएं ऐसी चीजें बतानी चाहिए और ये मोदी कहां से आ गया, ये सफाई की बातें करने के लिए लाल किले का उपयोग कर रहा है। बहुतों को बुरा लगा था, लेकिन मुझे, मुझे अच्छा लगा था मेरा देश अगर साफ-सुथरा हो, गंदगी से मुक्त मेरी भारत माता हो, आपको आनंद होगा कि नहीं होगा? गरीब की जिंदगी में बदलाव आएगा कि नहीं आएगा? उस काम को मैंने शुरू किया है, उसमें पहला काम उठाया Toilet बनाने का और मैं, मैं ये विदेश में रहने वाले मेरे भारतीय भाइयों-बहनों का भी आभार व्यक्त करता हूं कि कई भारतीय भाई-बहन जो विदेश में रहते हैं, उन्होंने भी अपने गांवों में public toilet बनाने के लिए पैसे दिए, बनवाए।
हमारे यहां बालिकाएं 3 साल, 5 साल, 6 साल, 8 साल; दूसरी या तीसरी कक्षा में आती हैं तो स्कूल जाना छोड़ देती हैं। पता चला कारण क्या तो बच्चियों के लिए स्कूल में अलग toilet नहीं था। क्या 21वीं सदी में हमारी बेटियां अनपढ़ रहें, ये हमें मंजूर है क्या? क्या उनके साथ ये अन्याय है कि नहीं है? और इसलिए मैंने एक बीड़ा उठाया, एक निश्चित समय-सीमा में भारत के सभी स्कूलों में girls child के लिए अलग toilet बनना चाहिए और आज मैं खुशी से कह सकता हूं कि सबने मिल करके उस काम को पूरा कर दिया। क्या ये काम नहीं होने चाहिए थे क्या? पहले होने चाहिए थे कि नहीं होने चाहिए थे?
भाइयों-बहनों, हमारे देश में 40 प्रतिशत लोग ऐसे थे जिनका बैंक में account भी नहीं था। आज के युग में अगर बैंक खाते में कोई गरीब को बैंक के दरवाजे तक जाने की स्थिति न हो तो इससे बड़ी शर्मिंदगी क्या हो सकती है और इसलिए एक अभियान चलाया, सौ-डेढ़ सौ दिन के अंदर 19 करोड़ नए बैंक के खाते खुल गए। अगर हम व्यवस्थाएं बदलना चाहते हैं तो देश तैयार है, देश ने अपना मन बना लिया है और उसके कारण बदलाव नजर आने लगा है।
भाइयों-बहनों, भारत अपनी पुरानी समस्याओं से मुक्त हो ये तो जरूरी है लेकिन क्या मुसीबतों से मुक्ति पा करके बैठे रहने से चलेगा क्या? भारत को अपनी कठिनाइयों से तो मुक्ति लेनी है लेकिन भारत को आधुनिक भारत भी बनाना है, समृद्ध भारत भी बनाना है, विकास की नई ऊंचाइयों को भी पार करना है।
हमारे यहां रेलवे, रेलवे बहुत पुरानी हमारे यहां व्यवस्था है लेकिन जिस गति से रेलवे का विकास होना चाहिए, दूर-सुदूर क्षेत्रों में जहां रेल पहुंची नहीं वहां पहुंचाना चाहिए। बाबा आदम के जमाने से जिस गति से रेल चलती थी वो वक्त चला गया, अब तेज गति से चलने वाली रेल चाहिए। अच्छी सुविधा वाली रेल चाहिए और इसलिए हमने रेलवे में hundred percent foreign direct investment के लिए हमने दरवाजे खोल दिए हैं।
पहली बार, पहली बार London stock exchange में भारत की रेलवे Rupees bond ले करके आई है दोस्तों rupees bond। ये पहली बार हुआ है और हम तो जब bond की बात आती है तो सबसे पहले James bond की याद आती है। मनोरंजन की दुनिया मनोरंजन की दुनिया, entertainment के लिए James bond हम भली भांति परिचित हैं, उससे आगे जाएं तो जब bond की बात आती है तो brook bond tea की याद आती है। अगर James bond मनोरंजन देता है तो brook bond ताजगी देता है। Brook bond, tea bond, that’s bond लेकिन अब, अब न मनोरंजन से चलना है न सर्फ ताजगी से चलना है, अब तो विकास की राह पर जाना है और इसलिए James bond, Brook bond, Rupee bond, foreign direct investment में FDI और जब में FDI की बात करता हूं तो उसका एक महत्वपूर्ण पहलू तो है foreign direct investment लेकिन मेरे लिए दूसरा भी एक महत्वपूर्ण पहलू है Fast Develop India और इन दोनों को balance करते हुए हम आगे बढ़ना चाहते हैं। गत वर्ष की तुलना में आज foreign direct investment में 40 प्रतिशत वृद्धि हुई है। ये अपने-आप में इस बात का सबूत है कि विश्व का भारत के प्रति विश्वास बढ़ रहा है। और भारत के प्रति जो विश्वास बढ़ रहा है वो ही भारत को आगे बढ़ाने की एक सबसे बड़ी हमारी ताकत है और उस ताकत को ले करके हम आगे बढ़ना चाहते हैं।
Defence Sector, आज भी हमारी रक्षा के लिए हमें दुनिया की मदद पर निर्भर रहना पड़ता है, depended रहना पड़ता है, हमें शस्त्र बाहर से लाने पड़ते हैं, अरबों-खरबों रुपये हमारे बाहर चले जाते हैं। हमने बीड़ा उठाया है, अगर भारत के वीर भारत की रक्षा करते हैं, तो भारत के वीरों के हाथ में वो शस्त्र भी भारत के वीरों के हाथों से बना हुआ होना चाहिए। और इसलिए दुनिया से रक्षा के क्षेत्र में उपयोग आने वाले साधन, चाहे वो पनडुब्बियां हों, चाहे हेलीकॉप्टर हों, हवाई जहाज हों, टैंक हों, छोटे हथियार हों, ये भारत में निर्माण कैसे हो, उसके expertize भारत में कैसे आएं, technology हिंदुस्तान में कैसे आए? उस पर हम भारी मात्रा में बल दे रहे हैं और मैं आज आप को खुशखबरी सुनाता हूं, शस्त्रार्थ की दुनिया में जो भी बड़े-बड़े player हैं वे आज भारत के साथ बातचीत कर रहे हैं, भारत में आने के लिए दरवाजे खोज रहे हैं। और मैं विश्व को कहना चाहता हूं कि रक्षा के क्षेत्र में भारत आत्मनिर्भर बनना, मतलब विश्व की one-six th humanity हम दुनिया की one-sixth आबादी है। उनकी सुरक्षा मतलब विश्व की एक-छठवें वाली सुरक्षा की गारंटी बन जाती है। और वो अपने-आप में दुनिया को सुरक्षित रखने की एक ताकत भी देती है, एक नया विश्वास पैदा करती है। हम अपना तो भला करना चाहते हैं लेकिन हमारी भलाई में ओरों की भलाई भी होनी चाहिए।
मैने कहा था ग्लोबल वार्मिंग की चिंता। भारत ने बीड़ा उठाया है दो चीजों का। एक, हम दुनिया को सूर्यपुत्र राष्ट्र, वो देश जिनको सूर्य की शक्ति का अधिक लाभ मिलता है, जहां गर्मी रहती है, उजाला रहता है। पूरे विश्व के ऐसे देशों का हम एक संगठन करना चाहते हैं। भारत ने बीड़ा उठाया है कि दुनिया में 102 देश ऐसे हैं कि जिनको सहज रूप से सूर्य शक्ति का लाभ मिलता है वो एक प्रकार से सूर्यपुत्र राष्ट्र हैं। दुनिया में पेट्रोल वाले देशों का संगठन है, G-7 है, G-20 है, आसियान है, सब कुछ है, लेकिन सूर्यपुत्रों को कभी इकट्ठा किसी ने नहीं किया, हमने बीड़ा उठाया है दुनिया के सूर्यपुत्रों को इकट्ठा करने का। ये देश मिल करके Solar energy में research करें, renewable energy में research करें, सूर्य शक्ति का जीवन में कैसे सर्वाधिक उपयोग हो, प्रकृति की रक्षा हो। तो एक तो हम वैश्विक, इस व्यवस्था का नेतृत्व भारत करने जा रहा है और मैं देख रहा हूं, मैं पिछले कुछ दिनों से विश्व के नेताओं से बात कर रहा हूं, सब दूर से मुझे सकारात्मक समर्थन मिल रहा है और उसकी पहली प्राथमिक मीटिंग इसी महीने के अंत में हम पैरिस में करने जा रहे हैं। सभी देश के लोगों को इस एक अलग से मीटिंग करूंगा वहां मैं बुलाऊंगा उनको बात समझाने वाला हूं। भारत नेतृत्व कर सकता है, भारत नेतृत्व कर सकता है। इन बातों को करने के लिए भगवान सूर्य की हम पर कृपा है तो मैं दुनिया को भी उसमें जोड़ना चाहता हूं।
दूसरा काम, ये बात सही है कि भारत में अभी इन बातों को करने के लिए भगवान सूर्य की हम पर कृपा है। तो मैं दुनिया को भी उसमें जोड़ना चाहता हूं।
दूसरा काम, यह बात सही है कि भारत में भी हर जगह पर 24 घंटे बिजली नहीं पहुंची। 18 हजार गांव को मैंने बताया कि जहां खंभा भी नहीं है। लेकिन जहां बिजली है वहां अभी 24 घंटे नहीं है। हमने बीड़ा उठाया है, 2019, महात्मा गांधी के डेढ़ सौ साल हो रहे हैं। दो सपने हैं मेरे, एक सफाई का और दूसरा 24 घंटे बिजली पहुंचाने का और इसलिए हमने एक अभियान चलाया है, Solar Energy का, Wind Energy का, Renewable Energy का। Hundred Seventy five गीगावॉट Renewable Energy का काम शुरू किया है। भारत में जब भी बिजली की बात आती थी मेगावॉट की बात आती थी, मेगावॉट। मेगावॉट से ज्यादा हम कभी सोच ही नहीं पाते थे। पहली बार हिन्दुस्तान गीगावॉट पर सोचने लगा है। जब मैं विश्व के नेताओं से मिलता हूं और Hundred Seventy five गीगावॉट बिजली के लक्ष्य की बात करता हूं, Renewable Energy की सारे विश्व के नेता, उनको अचरज होता है, वह सोचते हैं आप ये कैसे सोच सकते हैं लेकिन मेरे देशवासियों आप के आशीर्वाद से मुझे पूरा भरोसा है कि भारत एक सूर्य शक्ति राष्ट्र बन सकता है, सूर्य शक्ति राष्ट्र बन सकता है। हम उसे बनाने की दिशा में और उसके बाद जो छोटे-छोटे टापू देश हैं जो जिदंगी और मौत के बिना गुजारा कर रहे हैं उनको लगता है कि Global Warming के कारण अगर समुद्र की सतह बढ़ गई, तो उनका टापू डूब जाएगा कहां जाएंगे। ऐसे सैंकड़ों टापुओं पर रहने वाले लोग, उनकी जिंदगी में खुशी लाने का काम हिन्दुस्तान की धरती पर हो सकता है और उस काम को हम कर रहे हैं दोस्तो।
आज दुनिया में कोई भी Institution होगी। चाहे World Bank हो, IMF हो, दुनिया की कोई भी Rating agency हो। हर कोई एक स्वर से कहता है कि भारत विश्व के बड़े देशों की, सबसे तेज गति से आगे बढ़ने वाली Economy है। बहुत तेज गति से बढ़ने वाली Economy है।
दुनिया में एक Transparency International इस प्रकार का रेटिंग करते हैं कि वो कौन देश हैं जहां भ्रष्टाचार कम है और भ्रष्टाचार कम हो रहा है। हम जानते हैं हमारे देश में ये बदनामी हमको है हमारे सिर पर लिखी हुई है। दीमक की तरह भ्रष्टाचार ने हमें तबाह करके रखा हुआ है। लेकिन क्या दीमक की दवाई नहीं है क्या और दवाई होनी चाहिए कि नहीं होनी चाहिए? जनता के पैसे का पाई-पाई का हिसाब जनता को मिलना चाहिए कि नहीं मिलना चाहिए या किसी के घर भरने के लिए जनता का धन होता है क्या? और इसलिए भाइयों और बहनों हमने कदम उठाए हैं उसका परिणाम यह हुआ है Transparency International नाम की Institution, उसने भारत को पहले की स्थिति से दस points आगे कर करके हमारे यहां भ्रष्टाचार कम हुआ है, उसको सर्टिफिकेट दे दिया है। पहली बार, पहली बार हम china से अच्छी स्थिति में आ गये हैं जो कभी नहीं आते थे। Ease doing business में हम दुनिया के आखिरी छोर पर खड़े थे। हमने कुछ कदम उठाएं, कुछ निर्णय किए, आज हम बहुत तेजी से हमारा नंबर ऊपर की ओर जा रहा है और देखते ही देखते सुफल उसके नज़र आने लगे हैं।
मेरा कहने का तात्पर्य है हमें आधुनिक भारत बनाना है। Clean India हो, Skill India हो, Digital India हो, इन सब एक क्षेत्रों में हम कार्यों को नई ऊचांइयों पर ले जाने की दिशा में एक भरपूर प्रयास कर रहे हैं।
लेकिन मेरे देशवासियों हम ये गलती कभी न करें कि जो हम टीवी के पर्दे पर देखते हैं बस वही हिन्दुस्तान है ऐसा सोचने की गलती कभी न करें। अखबार की Headline में जो है उतना ही हिन्दुस्तान है ऐसा नहीं है। हिन्दुस्तान बहुत बड़ा है। टीवी के पर्दे के बाहर भी सवा सौ करोड़ देशवासियों का हिन्दुस्तान बहुत गहरा हिन्दुस्तान है, बहुत ऊंचा हिन्दुस्तान है, बहुत ही उत्तम हिन्दुस्तान है और इसलिए न कभी आपने पढ़ा होगा, न कभी आपने सुना होगा।
भाइयों और बहनों राजस्थान में अलवर करके जगह है अलवर में इमरान खान नाम का एक व्यक्ति है। ये इमरान खान शिक्षा के लिए समर्पित व्यक्ति है। अलवर जैसे छोटे स्थान का इमरान खान उसने मोबाइल फोन की 50 Apps बनाई और वो भी विद्यार्थियों को काम आए ऐसी शिक्षा से संबंधित उसने App बनाई और बनाई इतना ही नही अलवर के इमरान खान ने खुद ने मिलाई हुई शिक्षा में स्टुडेंट को काम आने वाली ये 50 App उसने विद्यार्थियों के नाम मुफ्त में समर्पित कर दी। मेरा हिन्दुस्तान, वो अलवर के इमरान खान में मेरा हिन्दुस्तान है।
भाइयों और बहनों कुछ समय पहले हरियाणा, जहां हमारे यहां बेटा और बेटी के Ratio में बहुत बड़ा अन्तर है। मैंने एक अभियान चलाया वहां, ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ शुरूआत मैंने हरियाणा से की और उसका असर ऐसा था एक छोटे से गांव के सरपंच ने selfie with daughter ऐसा एक प्रयोग किया। मेरे ध्यान में आया, मैंने उसकी भी तारीफ की और मैं हैरान था कि सारी दुनिया में हर किसी के Mobile का Interest बन गया था। selfie with daughter. एक जनांदोलन खड़ा हो गया। दुनिया के बड़े-बड़े राजनेता हो, शिक्षा जगत के वरिष्ठ लोग हों, आर्थिक जगत के वरिष्ठ लोग हों, हर किसी ने अपनी बेटी के साथ selfie निकाल करके mobile phone पर circulate किया। मां-बेटियों का गौरव बढ़ाने का एक अभियान चल पड़ा। ये है मेरा हिन्दुस्तान ऐसे लाखों लोग है जो आदिवासियों के बीच जा करके, वहां की कठिनाई को भी जी करके, कोई शिक्षा में लगा है, कोई लोगों को हेल्थ की चिंता कर रहा है, कोई लोगों के संस्कार की चिंता कर रहा है। दूर-सुदूर गांवों में ऐसे अनेक तपस्वी लोग बैठे हैं जो जीवन में समाज सेवा का व्रत ले करके काम कर रहे है।
भाईयों-बहनों ऐसे कोटि-कोटि जनों की तपस्या, ऐसे कोटि-कोटि जनों का सामर्थ्य यहीं तो हैं जिसके भरोसे मैं कहता हूं हिन्दुस्तान बहुत आगे बढ़ने वाला है। हिन्दुस्तान दुनिया में विकास की नई ऊंचाईयों को पार करने वाला है।
भाईयों-बहनों मैं आज जब लंदन में आया हूं इतनी सारी मात्रा में हमारे प्रवासी भारतीय भाई-बहन बैठें हैं। मैं कुछ बातें आपको बताना चाहता हूं, OCI, OCI के कारण कुछ समस्याएं है ऐसा मेरी बातें मेरे ध्यान में आई हैं। उस प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा और OCI की समस्या से अब आपका मुक्ति मिल जाएगी। उसी प्रकार से OCI और PIO इसको merger कर दिया हमने, लेकिन कुछ लोगों को उसमें दिक्कत आ रही है। मैंने उसके लिए आदेश कर दिए है, उसको भी सरल कर दिया गया है। फिर भी आपकी कोई कठिनाईयां होगी, तो उसको address करने की व्यवस्था बन चुकी है।
Visa का Problem रहता था अब उसको Electronic Travel Authorization कर दिया गया है। उसके कारण आपको उस दिक्कत से भी मुक्ति दिलाई गई है। भारत सरकार ने मदद नाम का एक Online platform तैयार किया है। MADAD (मदद) उस Online platform पर जा करके आप अपनी आवश्यक चीजें प्राप्त कर सकते है। वीजा की Problem हो और कोई OCI का problem हो, PIO का Problem हो उसके लिए रास्ते, उसमें एक platform पर वो समस्या का समाधान का मार्ग आपको मिल जाए इसकी व्यवस्था की गई है।
एक E-Migration portal बनाया गया है। जिसके कारण एक स्थान पर से दूसरे स्थान पर जाने वाले व्यक्ति को प्राथामिक जानकारियों की जरूरत पड़ती है। ये E-Migration portal के द्वारा वो जानकारियां भी आपको उपलब्ध हो जाएंगी।
एक Indian community welfare fund, विश्व में रहने वाले भारतीयों को कभी-कभी संकट आ जाता है। उनको संकट से मदद करने के लिए एक Indian community welfare fund इसकी भी व्यवस्था कर दी गई है और जब मैं गुजरात में था तो लंदन से जो भी लोग मिलने आते थे मेरा गला पकड़ते थे हमारे मित्र सीबी पटेल आते थे। वो lead करते थे और मैं कहता था कि अब मैं तो गुजरात का मुख्यमंत्री हूं मैं क्या कर सकता हूं। अब मैं प्रधानमंत्री बन गया, तो ये मुझे कह रहे हैं कि मोदी जी बताओ अब तो मुख्यमंत्री नहीं हो, क्या करोगे। तो आज मैं लंदन की धरती पर आया हूं। 2003 में आया था। तब मैं एक काम यहां करके गया था। लंदन-अहमदाबाद के बीच में Direct flight तब अटल जी की सरकार थी। यहां के लोगों ने मुझे जो कहा मैंने उनको पहुंचाया और अटल जी ने उस काम कर दिया था। लेकिन बाद में क्या हुआ आप जानते हैं, कैसे हुआ मैं बताना नहीं चाहता, क्यों हुआ मुझे भी मालूम नहीं, किसने किया अब नाम देने की जरूरत क्या है। लेकिन मेरे प्यारे भाईयों-बहनों 15 दिसंबर से तो मेरे प्यारे देशवासियों 15 दिसंबर से लंदन-अहमदाबाद Direct flight शुरू हो जाएगी।
भाईयों-बहनों शायद दुनिया के किसी नेता को भी ऐसा सौभाग्य नहीं मिलता होगा। ये आपका आर्शीवाद, ये आपका प्यार ऐसी ठंड में भी इतनी बड़ी तादाद में आज आपने एक नया इतिहास बना दिया है।
यहां पर आपसे मेरे एक Request है जिसके पास सुई वाली घड़ी हो जरा घड़ी बाहर निकालिएं, आपकी सुई वाली घड़ी हो जरा बाहर निकालिएं। कितने बजे हैं पौने सात। मैं जरा आपको एक रहस्य बताना चाहता हूं। भारत और इंग्लैंड का नाता कितना गहरा है, भारत और इंग्लैंड के बीच में अपनापन कितना है, हमें भारत और इंग्लैंड के समय को देखने के लिए दो घड़ी रखने की जरूरत नहीं है। आप इसको उलटा कर दिजिए, आपको हिन्दुस्तान का time नजर आ जाएगा। आपकी घड़ी अगर आप सीधी करोगे तो UK का time है, उलटी करोगे इंडिया का time है। अब आपको कभी हिन्दुस्तान फोन करना हो तो हिसाब नहीं लगाना पड़ेगा कि साढ़े पांच घंटे वापिस जाएं, फिर समय तय करें। घड़ी को उलटा कर दो कि हां ठीक है भई इतना ही time हुआ होगा।
ये दुनिया के दो कोई भी देश के साथ ऐसा समीकरण नहीं है। इतना ही नहीं, इंग्लैंड और भारत का ये प्यार हमारे अड़ोस-पड़ोस में भी किसी को नहीं है। ये सौभाग्य, ये सौभाग्य सिर्फ हिन्दुस्तान और इंग्लैंड के बीच का है। भाईयों-बहनों जब तक सूरज-चांद रहेगा, जब तक समय की गति चलेगी, भारत और इंग्लैंड का नाता और मजबूत होता जाएगा। हम कंधे से कंधा मिला करके विकास की नई ऊचाईयों को पार करते चले जाएगें।
भाईयों-बहनों आपने मुझे बहुत प्यार दिया। मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूं। 12 साल के बाद आया हूं, लेकिन 12 साल में जो प्यार आपने समेट के रखा था, वो सारा प्यार की वर्षा आज आपने मेरे पर कर दी। ये प्यार, ये उमंग, ये विश्वास का प्रतीक है। ये आपकी उमंग और उत्साह, आपके भीतर जो सपने है उन सपनों का एहसास कराता है। और मैं मेरे प्यारे देशवासियों आपको विश्वास दिलाना चाहता हूं, आपके माध्यम से विश्वभर में फैले हुए मेरे भारतीय भाईयों-बहनों को विश्वास दिलाना चाहता हूं कि आपके passport का रंग कोई भी क्यों न हों, मेरा और आपका नाता उस खून के रंग के साथ जुड़ा हुआ है और जुड़ा रहेगा। आपके passport के रंग से आपके passport के रंग से तय नहीं होगा कि आप कौन है। हमारे लिए तो आप सब हमारे है। जितना अधिकार हिन्दुस्तान पर नरेंद्र मोदी का है उतना ही अधिकार आप सबका भी है। उस हमारी भारत मां के लिए, हम भी कोई संकल्प करें, हम भी भारत मां के जीवन के साथ जुड़ने का प्रयास करें, अपनी शक्ति, समय कभी न कभी मां भारती के लिए लगाने के लिए कभी न कभी सोचे। देश आपका इंतजार कर रहा है दोस्तों, देश आपकी प्रतीक्षा कर रहा है।
भारत, भारत आपको विश्वास दिलाता है कि आपके पास जो सामर्थ्य है उसमें खाद डालने का काम करने की ताकत भारत के गरीब से गरीब व्यक्ति में भी है। जो आपके सपनों को वटवृक्ष बना सकता है। आपके सपनों को पूरा करने के लिए उर्वरा धरती दे सकता है और उसके लिए मैं विश्वभर में फैले मेरे भारतीय भाईयो-बहनों को आग्रह से कहता हूं कि आइएं। देश आगे बढ़ रहा है, हम भी साथ-साथ चल पड़े, हम भी आगे बढ़े।
भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय, भारत माता की जय। बहुत-बहुत धन्यवाद!
Explore More
ನನ್ನ ಪ್ರಿಯ ದೇಶವಾಸಿಗಳಿಗೆ ನಮಸ್ಕಾರ. 2025 ಇನ್ನೇನು ಬಂದೆ ಬಿಟ್ಟಿತು, ನವ ಸಂವತ್ಸರ ಬಾಗಿಲು ತಟ್ಟುತ್ತಿದೆ. 2025ರ ಜನವರಿ 26 ರಂದು ನಮ್ಮ ಸಂವಿಧಾನ ಜಾರಿಗೆ ಬಂದು 75 ವರ್ಷಗಳು ತುಂಬುತ್ತವೆ. ನಮಗೆಲ್ಲರಿಗೂ ಇದು ಹೆಮ್ಮೆಯ ವಿಷಯ. ನಮ್ಮ ಸಂವಿಧಾನ ನಿರ್ಮಾತೃಗಳು ನಮಗೆ ಒಪ್ಪಿಸಿದ ಸಂವಿಧಾನವು ಎಲ್ಲಾ ಕಾಲದಲ್ಲು ಪ್ರಸ್ತುತವಾಗಿದೆ. ಸಂವಿಧಾನ ನಮಗೆ ದಿಕ್ಸೂಚಿಯಾಗಿದೆ, ಮಾರ್ಗದರ್ಶಕನಾಗಿದೆ. ಭಾರತದ ಸಂವಿಧಾನದಿಂದಾಗಿಯೇ ಇಂದು ನಾನು ಇಲ್ಲಿದ್ದೇನೆ, ನಿಮ್ಮೊಂದಿಗೆ ಮಾತನಾಡುತ್ತಿದ್ದೇನೆ. ಈ ವರ್ಷ, ನವೆಂಬರ್ 26 ರ ಸಂವಿಧಾನ ದಿನದಿಂದ ಒಂದು ವರ್ಷದ ಅವಧಿಯವರೆಗೆ ಜರುಗುವ ಅನೇಕ ಚಟುವಟಿಕೆಗಳು ಪ್ರಾರಂಭವಾಗಿವೆ. ದೇಶದ ನಾಗರಿಕರನ್ನು ಸಂವಿಧಾನದ ಪರಂಪರೆಯೊಂದಿಗೆ ಜೋಡಿಸಲು, constitution75.com ಎಂಬ ವಿಶೇಷ ವೆಬ್ಸೈಟ್ ಅನ್ನು ಸಹ ರಚಿಸಲಾಗಿದೆ. ಇದರಲ್ಲಿ ನೀವು ಸಂವಿಧಾನದ ಪೀಠಿಕೆಯನ್ನು ಓದಿ ನಿಮ್ಮ ವೀಡಿಯೊವನ್ನು ಅಪ್ಲೋಡ್ ಮಾಡಬಹುದು. ನೀವು ವಿವಿಧ ಭಾಷೆಗಳಲ್ಲಿ ಸಂವಿಧಾನವನ್ನು ಓದಬಹುದು ಮತ್ತು ಸಂವಿಧಾನದ ಬಗ್ಗೆ ಪ್ರಶ್ನೆಗಳನ್ನು ಕೇಳಬಹುದು. ‘ಮನದ ಮಾತಿನ’ ಕೇಳುಗರು, ಶಾಲಾ ವಿದ್ಯಾರ್ಥಿಗಳು, ಕಾಲೇಜಿಗೆ ಹೋಗುವ ಯುವಕರು, ಈ ವೆಬ್ಸೈಟ್ಗೆ ಖಂಡಿತಾ ಭೇಟಿ ನೀಡಿ ಮತ್ತು ಇದರಲ್ಲಿ ಪಾಲ್ಗೊಳ್ಳಿ ಎಂದು ನಾನು ಆಗ್ರಹಿಸುತ್ತೇನೆ.
ಸ್ನೇಹಿತರೇ, ಮುಂದಿನ ತಿಂಗಳು 13 ರಿಂದ ಪ್ರಯಾಗರಾಜ್ನಲ್ಲಿ ಮಹಾಕುಂಭವೂ ನಡೆಯಲಿದೆ. ಸದ್ಯ ಸಂಗಮದ ದಡದಲ್ಲಿ ಭರ್ಜರಿ ಸಿದ್ಧತೆಗಳು ನಡೆಯುತ್ತಿವೆ. ನನಗೆ ನೆನಪಿದೆ, ಕೆಲವೇ ದಿನಗಳ ಹಿಂದೆ, ನಾನು ಪ್ರಯಾಗರಾಜ್ಗೆ ಭೇಟಿ ನೀಡಿದಾಗ, ಹೆಲಿಕಾಪ್ಟರ್ನಿಂದ ಇಡೀ ಕುಂಭ ಜರುಗುವ ಪ್ರದೇಶವನ್ನು ವೀಕ್ಷಿಸಿ ನನಗೆ ತುಂಬಾ ಸಂತೋಷವಾಯಿತು. ಎಷ್ಟು ಬೃಹದಾದುದು! ಎಷ್ಟು ಸುಂದರ! ಎಂತಹ ಭವ್ಯತೆ!
ಸ್ನೇಹಿತರೇ, ಮಹಾಕುಂಭದ ವಿಶೇಷತೆ ಅದರ ಅಗಾಧತೆಯಲ್ಲಿ ಮಾತ್ರ ಅಡಗಿಲ್ಲ. ಅದರ ವೈವಿಧ್ಯತೆಯೂ ಕುಂಭದ ವಿಶೇಷತೆಯಾಗಿದೆ. ಈ ಕಾರ್ಯಕ್ರಮದಲ್ಲಿ ಕೋಟಿಗಟ್ಟಲೆ ಜನ ಒಗ್ಗೂಡುತ್ತಾರೆ. ಲಕ್ಷಗಟ್ಟಲೆ ಸಂತರು, ಸಾವಿರಾರು ಸಂಪ್ರದಾಯಗಳು, ನೂರಾರು ಪಂಥಗಳು, ಹಲವು ಅಖಾಡಗಳು, ಎಲ್ಲರೂ ಈ ಕಾರ್ಯಕ್ರಮದಲ್ಲಿ ಮೇಳೈಸುತ್ತಾರೆ. ಯಾವುದೇ ತಾರತಮ್ಯವಿಲ್ಲ, ಯಾರೂ ದೊಡ್ಡವರಲ್ಲ, ಯಾರೂ ಚಿಕ್ಕವರಲ್ಲ. ಅನೇಕತೆಯಲ್ಲಿ ಏಕತೆಯ ಇಂತಹ ದೃಶ್ಯ ಜಗತ್ತಿನ ಬೇರೆಲ್ಲೂ ಕಾಣಲು ಸಾಧ್ಯವಿಲ್ಲ. ಆದ್ದರಿಂದಲೇ ನಮ್ಮ ಕುಂಭ ಏಕತೆಯ ಮಹಾಕುಂಭವಾಗಿದೆ. ಈ ಬಾರಿಯ ಮಹಾಕುಂಭವು ಏಕತೆಯ ಮಹಾಕುಂಭದ ಮಂತ್ರಕ್ಕೆ ಪುಷ್ಟಿ ನೀಡಲಿದೆ. ನಾವು ಕುಂಭದಲ್ಲಿ ಭಾಗವಹಿಸಿದಾಗ, ಏಕತೆಯ ಸಂಕಲ್ಪದೊಂದಿಗೆ ಹಿಂತಿರುಗೋಣ ಎಂದು ನಾನು ನಿಮ್ಮೆಲ್ಲರನ್ನು ಕೇಳಿಕೊಳ್ಳುತ್ತೇನೆ. ಸಮಾಜದಲ್ಲಿನ ಒಡಕು ಮತ್ತು ದ್ವೇಷ ಭಾವನೆಯನ್ನು ತೊಡೆದುಹಾಕುವ ಪ್ರತಿಜ್ಞೆಯನ್ನೂ ತೆಗೆದುಕೊಳ್ಳೋಣ. ಕೆಲವೇ ಪದಗಳಲ್ಲಿ ಹೇಳುವುದಾದರೆ ನಾನು ಹೇಳಬಯಸುವುದು …
ಮಹಾಕುಂಭದ ಸಂದೇಶ, ಒಂದಾಗಲಿ ಸಂಪೂರ್ಣ ದೇಶ.
ಮಹಾಕುಂಭದ ಸಂದೇಶ, ಒಂದಾಗಲಿ ಸಂಪೂರ್ಣ ದೇಶ.
ಮತ್ತು ನಾನು ಅದನ್ನು ಬೇರೆ ರೀತಿಯಲ್ಲಿ ಹೇಳುವುದಾದರೆ, ನಾನು ಹೀಗೆ ಹೇಳುತ್ತೇನೆ ...
ಗಂಗೆಯ ನಿರಂತರ ಪ್ರವಾಹದಂತೆ ಇರಲಿ ಒಗ್ಗೂಡಿ ನಮ್ಮ ಸಮಾಜ ಇಬ್ಭಾಗವಾಗದಂತೆ.
ಗಂಗೆಯ ನಿರಂತರ ಪ್ರವಾಹದಂತೆ ಇರಲಿ ಒಗ್ಗೂಡಿ ನಮ್ಮ ಸಮಾಜ ಇಬ್ಭಾಗವಾಗದಂತೆ.
ಸ್ನೇಹಿತರೇ, ಈ ಬಾರಿ ದೇಶ ಮತ್ತು ಪ್ರಪಂಚದಾದ್ಯಂತದ ಭಕ್ತರು ಪ್ರಯಾಗರಾಜ್ನಲ್ಲಿ ಡಿಜಿಟಲ್ ಮಹಾಕುಂಭಕ್ಕೆ ಸಾಕ್ಷಿಯಾಗಲಿದ್ದಾರೆ. ಡಿಜಿಟಲ್ ನ್ಯಾವಿಗೇಷನ್ ಸಹಾಯದಿಂದ, ನೀವು ವಿವಿಧ ಘಾಟ್ಗಳು, ದೇವಾಲಯಗಳು, ಸಾಧುಗಳ ಅಖಾಡಾಗಳನ್ನು ತಲುಪುವ ಮಾರ್ಗವು ಲಭಿಸಲಿದೆ. ಈ ನ್ಯಾವಿಗೇಷನ್ ಸಿಸ್ಟಮ್ ನಿಮಗೆ ಪಾರ್ಕಿಂಗ್ ತಲುಪಲು ಸಹಾಯ ಮಾಡುತ್ತದೆ. ಮೊದಲ ಬಾರಿಗೆ, ಮಹಾಕುಂಭ ಆಯೋಜನೆಯಲ್ಲಿ ಕೃತಕ ಬುದ್ಧಿಮತ್ತೆಯ ಚಾಟ್ಬಾಟ್ ಅನ್ನು ಬಳಸಲಾಗುವುದು. AI ಚಾಟ್ಬಾಟ್ ಮೂಲಕ, ಕುಂಭಕ್ಕೆ ಸಂಬಂಧಿಸಿದ ಪ್ರತಿಯೊಂದು ರೀತಿಯ ಮಾಹಿತಿಯನ್ನು 11 ಭಾರತೀಯ ಭಾಷೆಗಳಲ್ಲಿ ಪಡೆಯಬಹುದು. ಈ ಚಾಟ್ಬಾಟ್ ಗೆ text ಟೈಪ್ ಮಾಡುವ ಮೂಲಕ ಅಥವಾ ಧ್ವನಿ ಮೂಲಕ ಯಾವುದೇ ರೀತಿಯ ಸಹಾಯವನ್ನು ಯಾಚಿಸಬಹುದು. ಕಾರ್ಯಕ್ರಮ ನಡೆಯುವ ಸಂಪೂರ್ಣ ಪ್ರದೇಶವನ್ನು AI ಚಾಲಿತ ಕ್ಯಾಮೆರಾಗಳಿಂದ ಅವರಿಸಲಾಗಿದೆ. ಕುಂಭದಲ್ಲಿ ಯಾರಾದರೂ ತಮ್ಮ ಬಂಧು ಬಳಗದಿಂದ ಬೇರ್ಪಟ್ಟರೆ, ಅವರನ್ನು ಹುಡುಕಲು ಈ ಕ್ಯಾಮೆರಾಗಳು ಸಹಾಯ ಮಾಡುತ್ತವೆ. ಭಕ್ತರು ಡಿಜಿಟಲ್ ಲಾಸ್ಟ್ & ಫೌಂಡ್ ಸೆಂಟರ್ ಸೌಲಭ್ಯವನ್ನೂ ಪಡೆಯಲಿದ್ದಾರೆ. ಸರ್ಕಾರದಿಂದ ಅನುಮೋದಿತ ಪ್ರವಾಸ ಪ್ಯಾಕೇಜ್ಗಳು, ವಸತಿ ಮತ್ತು ಹೋಂಸ್ಟೇಗಳ ಬಗ್ಗೆಯೂ ಭಕ್ತರಿಗೆ ಮೊಬೈಲ್ನಲ್ಲಿ ಮಾಹಿತಿ ನೀಡಲಾಗುವುದು. ನೀವೂ ಸಹ ಮಹಾಕುಂಭಕ್ಕೆ ತೆರಳಿದರೆ, ಈ ಸೌಲಭ್ಯಗಳ ಪ್ರಯೋಜನವನ್ನು ಪಡೆದುಕೊಳ್ಳಿ ಮತ್ತು ನಿಮ್ಮ ಸೆಲ್ಫಿಯನ್ನು #EktaKaMahaKumbh ಜೊತೆಗೆ ಅಪ್ಲೋಡ್ ಮಾಡಿ.
ಸ್ನೇಹಿತರೇ, ‘ಮನ್ ಕಿ ಬಾತ್’ ಅಂದರೆ ಎಂಕೆಬಿಯಲ್ಲಿ ಈಗ ನಾವು ಕೆಟಿಬಿಯ ಬಗ್ಗೆ ಮಾತನಾಡೋಣ, ಹಿರಿಯರಲ್ಲಿ, ಅನೇಕರಿಗೆ ಕೆಟಿಬಿ ಬಗ್ಗೆ ತಿಳಿದಿಲ್ಲ. ಆದರೆ ಮಕ್ಕಳನ್ನು ಕೇಳಿ, ಕೆಟಿಬಿ ಅವರಲ್ಲಿ ಬಹಳ ಸೂಪರ್ಹಿಟ್ ಆಗಿದೆ. ಕೆಟಿಬಿ ಎಂದರೆ ಕ್ರಿಶ್, ತ್ರಿಶ್ ಮತ್ತು ಬಾಲ್ಟಿಬಾಯ್. ಮಕ್ಕಳ ಮೆಚ್ಚಿನ ಅನಿಮೇಷನ್ ಸರಣಿಯ ಬಗ್ಗೆ ನಿಮಗೆ ತಿಳಿದಿರಬಹುದು, ಅದರ ಹೆಸರು ಕೆಟಿಬಿ – ಭಾರತ್ ಹೈ ಹಮ್ ಮತ್ತು ಈಗ ಅದರ ಎರಡನೇ ಸೀಸನ್ ಕೂಡ ಬಂದಿದೆ. ಈ ಮೂರು ಅನಿಮೇಷನ್ ಪಾತ್ರಗಳು ಬೆಳಕಿಗೆ ಬಾರದ ಭಾರತೀಯ ಸ್ವಾತಂತ್ರ್ಯ ಹೋರಾಟದ ನಾಯಕರು ಮತ್ತು ನಾಯಕಿಯರ ಬಗ್ಗೆ ನಮಗೆ ಹೇಳುತ್ತವೆ. ಇತ್ತೀಚಿಗೆ ಗೋವಾದ ಇಂಟರ್ನ್ಯಾಷನಲ್ ಫಿಲ್ಮ್ ಫೆಸ್ಟಿವಲ್ ಆಫ್ ಇಂಡಿಯಾದಲ್ಲಿ ವಿಶೇಷ ಶೈಲಿಯಲ್ಲಿ ಅದರ ಸೀಸನ್-2 ನ್ನು ಪ್ರಾರಂಭಿಸಲಾಯಿತು. ಈ ಸರಣಿಯು ಹಲವು ಭಾರತೀಯ ಭಾಷೆಗಳಲ್ಲಿ ಮಾತ್ರವಲ್ಲದೆ ವಿದೇಶಿ ಭಾಷೆಗಳಲ್ಲಿಯೂ ಪ್ರಸಾರವಾಗುತ್ತದೆ ಎಂಬುದು ಅತ್ಯಂತ ಅದ್ಭುತ ಸಂಗತಿ. ಇದನ್ನು ದೂರದರ್ಶನ ಮತ್ತು ಇತರ OTT ಪ್ಲಾಟ್ಫಾರ್ಮ್ಗಳಲ್ಲಿ ನೋಡಬಹುದು.
ಸ್ನೇಹಿತರೇ, ನಮ್ಮ ಅನಿಮೇಷನ್ ಚಲನಚಿತ್ರಗಳು, ಸಾಮಾನ್ಯ ಚಲನಚಿತ್ರಗಳು ಮತ್ತು ಟಿವಿ ಧಾರಾವಾಹಿಗಳ ಜನಪ್ರಿಯತೆಯು ಸೃಜನಶೀಲ ಉದ್ಯಮದಲ್ಲಿ ಭಾರತದ ಅದೆಷ್ಟು ಸಾಮರ್ಥ್ಯ ಹೊಂದಿದೆ ಎಂಬುದನ್ನು ತೋರಿಸುತ್ತದೆ. ಈ ಉದ್ಯಮವು ದೇಶದ ಪ್ರಗತಿಯಲ್ಲಿ ದೊಡ್ಡ ಕೊಡುಗೆಯನ್ನು ನೀಡುತ್ತಿದೆ ಅಲ್ಲದೆ ನಮ್ಮ ಆರ್ಥಿಕತೆಯನ್ನು ಮತ್ತಷ್ಟು ಎತ್ತರಕ್ಕೆ ಕೊಂಡೊಯ್ಯುತ್ತಿದೆ. ನಮ್ಮ ಚಲನಚಿತ್ರ ಮತ್ತು ಮನರಂಜನಾ ಉದ್ಯಮವು ತುಂಬಾ ದೊಡ್ಡದಾಗಿದೆ. ದೇಶದ ಹಲವು ಭಾಷೆಗಳಲ್ಲಿ ಚಲನಚಿತ್ರಗಳನ್ನು ತಯಾರಿಸಲಾಗುತ್ತದೆ ಮತ್ತು creative content ಸಿದ್ಧಗೊಳಿಸಲಾಗುತ್ತದೆ. ನಾನು ನಮ್ಮ ಚಲನಚಿತ್ರ ಮತ್ತು ಮನರಂಜನಾ ಉದ್ಯಮವನ್ನು ಅಭಿನಂದಿಸುತ್ತೇನೆ ಏಕೆಂದರೆ ಅದು ‘ಏಕ್ ಭಾರತ್ – ಶ್ರೇಷ್ಠ ಭಾರತ’ ಎಂಬ ಭಾವನೆಗೆ ಪುಷ್ಟಿ ನೀಡುತ್ತದೆ.
ಸ್ನೇಹಿತರೇ, 2024ರಲ್ಲಿ ನಾವು ಚಿತ್ರರಂಗದ ಅನೇಕ ಮಹಾನ್ ವ್ಯಕ್ತಿಗಳ 100 ನೇ ಜನ್ಮ ಜಯಂತಿಯನ್ನು ಆಚರಿಸುತ್ತಿದ್ದೇವೆ. ಈ ವ್ಯಕ್ತಿಗಳು ಭಾರತೀಯ ಚಿತ್ರರಂಗಕ್ಕೆ ವಿಶ್ವ ಮಟ್ಟದಲ್ಲಿ ಮನ್ನಣೆ ತಂದು ಕೊಟ್ಟರು. ರಾಜ್ ಕಪೂರ್ ಅವರು ಭಾರತದ ಸಾಫ್ಟ್ ಪವರ್ ಅನ್ನು ಚಲನಚಿತ್ರಗಳ ಮೂಲಕ ಜಗತ್ತಿಗೆ ಪರಿಚಯಿಸಿದರು. ರಫಿ ಸಾಹಬ್ ಅವರ ಧ್ವನಿಯಲ್ಲಿ ಎಂಥ ಮಾಂತ್ರಿಕತೆ ಇತ್ತೆಂದರೆ, ಎಲ್ಲರ ಹೃದಯವನ್ನು ಮುಟ್ಟುತ್ತಿತ್ತು. ಅವರ ಧ್ವನಿ ಅದ್ಭುತವಾಗಿತ್ತು. ಭಕ್ತಿಗೀತೆಗಳಾಗಲಿ, ಪ್ರಣಯ ಗೀತೆಗಳಾಗಲಿ, ನೋವಿನ ಗೀತೆಗಳಾಗಲಿ, ಪ್ರತಿಯೊಂದು ಭಾವಕ್ಕೆ ತಮ್ಮ ಕಂಠದಿಂದ ಅವರು ಜೀವ ತುಂಬುತ್ತಿದ್ದರು. ಇಂದಿಗೂ ಯುವ ಪೀಳಿಗೆ ಅವರ ಹಾಡುಗಳನ್ನು ಅಷ್ಟೇ ಪ್ರೀತಿಯಿಂದ ಕೇಳುತ್ತಾರೆ ಎಂದರೆ ಈ ಮೂಲಕ ಆ ಕಲಾವಿದನ ಹಿರಿಮೆಯನ್ನು ಅಳೆಯಬಹುದಾಗಿದೆ. ಇದೆ ಅಲ್ಲವೇ ಕಾಲಾತೀತವಾದ ಕಲೆಯಾ ಗುರುತು. ಅಕ್ಕಿನೇನಿ ನಾಗೇಶ್ವರ ರಾವ್ ಅವರು ತೆಲುಗು ಚಿತ್ರರಂಗವನ್ನು ಹೊಸ ಎತ್ತರಕ್ಕೆ ಕೊಂಡೊಯ್ದಿದ್ದಾರೆ. ಅವರ ಚಲನಚಿತ್ರಗಳು ಭಾರತೀಯ ಸಂಪ್ರದಾಯಗಳು ಮತ್ತು ಮೌಲ್ಯಗಳನ್ನು ಚೆನ್ನಾಗಿ ಪ್ರಸ್ತುತಪಡಿವೆ. ತಪನ್ ಸಿನ್ಹಾ ಅವರ ಚಿತ್ರಗಳು ಸಮಾಜಕ್ಕೆ ಹೊಸ ದೃಷ್ಟಿಕೋನ ನೀಡಿದವು. ಅವರ ಚಲನಚಿತ್ರಗಳು ಸಾಮಾಜಿಕ ಪ್ರಜ್ಞೆ ಮತ್ತು ರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ಏಕತೆಯ ಸಂದೇಶವನ್ನು ಒಳಗೊಂಡಿದ್ದವು. ಈ ಸೆಲೆಬ್ರಿಟಿಗಳ ಜೀವನ ನಮ್ಮ ಇಡೀ ಚಿತ್ರರಂಗಕ್ಕೆ ಸ್ಪೂರ್ತಿದಾಯಕ.
ಸ್ನೇಹಿತರೇ, ನಾನು ನಿಮಗೆ ಇನ್ನೊಂದು ಸಂತಸದಾ ಸುದ್ದಿಯನ್ನು ನೀಡಲು ಬಯಸುತ್ತೇನೆ. ಭಾರತದ ಸೃಜನಶೀಲ ಪ್ರತಿಭೆಯನ್ನು ವಿಶ್ವದೆದುರು ಪ್ರದರ್ಶಿಸಲು ಒಂದು ದೊಡ್ಡ ಅವಕಾಶ ಒದಗಿ ಬಂದಿದೆ. ಮುಂದಿನ ವರ್ಷ, ವಿಶ್ವ ಆಡಿಯೋ ವಿಷುಯಲ್ ಎಂಟರ್ಟೈನ್ಮೆಂಟ್ ಶೃಂಗಸಭೆ ಅಂದರೆ ವೇವ್ಸ್ ಶೃಂಗಸಭೆಯನ್ನು ನಮ್ಮ ದೇಶದಲ್ಲಿ ಮೊದಲ ಬಾರಿಗೆ ಆಯೋಜಿಸಲಾಗುವುದು. ವಿಶ್ವದ ಆರ್ಥಿಕ ಕ್ಷೇತ್ರದ ದಿಗ್ಗಜರು ಒಗ್ಗೂಡುವ ದಾವೋಸ್ ಬಗ್ಗೆ ನೀವೆಲ್ಲರೂ ಕೇಳಿರಬಹುದು. ಅದೇ ರೀತಿ, ವೇವ್ಸ್ ಶೃಂಗಸಭೆಯಲ್ಲಿ, ವಿಶ್ವದ ಮಾಧ್ಯಮ ಮತ್ತು ಮನರಂಜನಾ ಉದ್ಯಮದ ದಿಗ್ಗಜರು ಮತ್ತು ಸೃಜನಶೀಲ ಪ್ರಪಂಚದ ಜನರು ಭಾರತಕ್ಕೆ ಬರುತ್ತಾರೆ. ಭಾರತವನ್ನು ಜಾಗತಿಕ content creation ಕೇಂದ್ರವನ್ನಾಗಿ ಮಾಡುವ ನಿಟ್ಟಿನಲ್ಲಿ ಈ ಶೃಂಗಸಭೆಯು ಪ್ರಮುಖ ಹೆಜ್ಜೆಯಾಗಿದೆ. ಈ ಶೃಂಗಸಭೆಯ ತಯಾರಿಯಲ್ಲಿ ನಮ್ಮ ದೇಶದ ಯುವ creator ಗಳು ಕೂಡಾ ಸಂಪೂರ್ಣ ಉತ್ಸಾಹದಿಂದ ಭಾಗವಹಿಸುತ್ತಿದ್ದಾರೆ ಎಂದು ಹೇಳಲು ನನಗೆ ಹೆಮ್ಮೆಯಾಗುತ್ತಿದೆ. ನಾವು 5 ಟ್ರಿಲಿಯನ್ ಡಾಲರ್ ಆರ್ಥಿಕತೆಯತ್ತ ಸಾಗುತ್ತಿರುವಾಗ, ನಮ್ಮ creator economy ಹೊಸ ಶಕ್ತಿಯನ್ನು ತುಂಬುತ್ತಿದೆ. ನೀವು ಯುವ creators ಆಗಿರಬಹುದು ಅಥವಾ ಪ್ರಸಿದ್ಧ ಕಲಾವಿದರಾಗಿರಬಹುದು, ಬಾಲಿವುಡ್ ಅಥವಾ ಪ್ರಾದೇಶಿಕ ಸಿನಿಮಾ ಕ್ಷೇತ್ರದವರಾಗಿರಬಹುದು, ಟಿವಿ ಉದ್ಯಮದಲ್ಲಿ ವೃತ್ತಿಪರರು ಅಥವಾ ಅನಿಮೇಷನ್, ಗೇಮಿಂಗ್ ಅಥವಾ ಮನರಂಜನಾ ತಂತ್ರಜ್ಞಾನದಲ್ಲಿ ಪರಿಣಿತರಾಗಿರಬಹುದು , ನೀವೆಲ್ಲರೂ ವೇವ್ಸ್ ಶೃಂಗಸಭೆಯಲ್ಲಿ ಭಾಗವಹಿಸಿ ಎಂದು ನಾನು ಭಾರತದ ಸಂಪೂರ್ಣ ಮನರಂಜನೆ ಮತ್ತು ಸೃಜನಶೀಲ ಉದ್ಯಮವನ್ನು ಆಗ್ರಹಿಸುತ್ತೇನೆ .
ನನ್ನ ಪ್ರಿಯ ದೇಶವಾಸಿಗಳೇ, ಭಾರತೀಯ ಸಂಸ್ಕೃತಿಯ ಪ್ರಕಾಶ ಇಂದು ಪ್ರಪಂಚದ ಮೂಲೆ ಮೂಲೆಗಳಲ್ಲಿ ಹೇಗೆ ಹರಡುತ್ತಿದೆ ಎಂಬುದು ನಿಮಗೆಲ್ಲರಿಗೂ ತಿಳಿದಿದೆ. ನಮ್ಮ ಸಾಂಸ್ಕೃತಿಕ ಪರಂಪರೆಯ ಜಾಗತಿಕ ವಿಸ್ತರಣೆಗೆ ಸಾಕ್ಷಿಯಾಗಿರುವ ಮೂರು ಖಂಡಗಳಿಂದ ಅಂತಹ ಪ್ರಯತ್ನಗಳ ಬಗ್ಗೆ ಇಂದು ನಾನು ನಿಮಗೆ ಹೇಳಬಯಸುತ್ತೇನೆ. ಇವೆಲ್ಲವೂ ಒಂದಕ್ಕೊಂದು ಮೈಲುಗಟ್ಟಲೆ ದೂರದಲ್ಲಿದ್ದರೂ ಭಾರತದ ಬಗ್ಗೆ ತಿಳಿದುಕೊಳ್ಳುವ ಮತ್ತು ನಮ್ಮ ಸಂಸ್ಕೃತಿಯಿಂದ ಕಲಿಯುವ ಅವರ ಬಯಕೆ ಒಂದೇ ರೀತಿಯದ್ದಾಗಿದೆ.
ಸ್ನೇಹಿತರೇ, ವರ್ಣಚಿತ್ರಗಳ ಪ್ರಪಂಚ ಎಷ್ಟು ಬಣ್ಣಗಳಿಂದ ತುಂಬಿರುತ್ತದೆಯೋ ಅಷ್ಟೇ ಸುಂದರವಾಗಿರುತ್ತದೆ. ಟಿವಿ ಮೂಲಕ ‘ಮನದ ಮಾತು’ ವೀಕ್ಷಿಸುತ್ತಿರುವ ಸ್ನೇಹಿತರು ಈಗ ಟಿವಿಯಲ್ಲಿ ಕೆಲವು ವರ್ಣಚಿತ್ರಗಳನ್ನು ವೀಕ್ಷಿಸಬಹುದು. ಈ ವರ್ಣಚಿತ್ರಗಳಲ್ಲಿ ನಮ್ಮ ದೇವ ದೇವತೆಗಳು, ನೃತ್ಯ ಕಲೆಗಳು ಮತ್ತು ಶ್ರೇಷ್ಠ ವ್ಯಕ್ತಿಗಳನ್ನು ನೋಡಿ ನಿಮಗೆ ತುಂಬಾ ಸಂತೋಷವಾಗಬಹುದು. ಇವುಗಳಲ್ಲಿ ನೀವು ಭಾರತದಲ್ಲಿ ಕಂಡುಬರುವ ಪ್ರಾಣಿ ಪಕ್ಷಿಗಳಲ್ಲದೆ ಇನ್ನು ಬಹಳಷ್ಟು ವಿಷಯಗಳನ್ನು ನೋಡಬಹುದು. ಇವುಗಳಲ್ಲಿ ತಾಜ್ ಮಹಲ್ನ ಭವ್ಯವಾದ ವರ್ಣಚಿತ್ರವೂ ಸೇರಿದೆ, ಇದನ್ನು 13 ವರ್ಷದ ಬಾಲಕಿ ರಚಿಸಿದ್ದಾಳೆ. ಈ ಅಂಗವಿಕಲ ಬಾಲಕಿ ತನ್ನ ಬಾಯಿಯಿಂದಲೇ ಈ ಪ್ಯಾಟಿಂಗ್ ಅನ್ನು ಸಿದ್ಧಪಡಿಸಿದ್ದಾಳೆ ಎಂದು ತಿಳಿದು ನಿಮಗೆ ಆಶ್ಚರ್ಯವಾಗಬಹುದು. ಅತ್ಯಂತ ಕುತೂಹಲಕಾರಿ ಸಂಗತಿಯೆಂದರೆ, ಈ ಚಿತ್ರಗಳನ್ನು ನಿರ್ಮಿಸಿದವರು ಭಾರತದವರಲ್ಲ ಹೊರತು ಈಜಿಪ್ಟ್ನ ವಿದ್ಯಾರ್ಥಿಗಳು. ಕೆಲವೇ ವಾರಗಳ ಹಿಂದೆ ಈಜಿಪ್ಟ್ ನ ಸುಮಾರು 23 ಸಾವಿರ ವಿದ್ಯಾರ್ಥಿಗಳು ಚಿತ್ರಕಲಾ ಸ್ಪರ್ಧೆಯಲ್ಲಿ ಭಾಗವಹಿಸಿದ್ದರು. ಅಲ್ಲಿ ಅವರು ಭಾರತದ ಸಂಸ್ಕೃತಿ ಮತ್ತು ಉಭಯ ದೇಶಗಳ ಐತಿಹಾಸಿಕ ಸಂಬಂಧಗಳನ್ನು ಬಿಂಬಿಸುವ ಚಿತ್ರಗಳನ್ನು ಬರೆಯಬೇಕಿತ್ತು. ಈ ಸ್ಪರ್ಧೆಯಲ್ಲಿ ಭಾಗವಹಿಸಿದ ಎಲ್ಲಾ ಯುವಕರನ್ನು ನಾನು ಅಭಿನಂದಿಸುತ್ತೇನೆ. ಅವರ ಸೃಜನಶೀಲತೆ ಬಗ್ಗೆ ಎಷ್ಟು ಹೊಗಳಿದರೂ ಸಾಲದು.
ಸ್ನೇಹಿತರೇ, ಪರಾಗ್ವೆ, ದಕ್ಷಿಣ ಅಮೆರಿಕಾದಲ್ಲಿರುವ ಒಂದು ದೇಶ. ಅಲ್ಲಿ ವಾಸಿಸುವ ಭಾರತೀಯರ ಸಂಖ್ಯೆ ಸಾವಿರದಷ್ಟಿರಬಹುದು. ಪರಾಗ್ವೆಯಲ್ಲಿ ಒಂದು ಅದ್ಭುತ ಪ್ರಯತ್ನ ಮಾಡಲಾಗುತ್ತಿದೆ. ಎರಿಕಾ ಹ್ಯೂಬರ್, ಅಲ್ಲಿನ ಭಾರತೀಯ ರಾಯಭಾರ ಕಚೇರಿಯಲ್ಲಿ ಉಚಿತವಾಗಿ ಆಯುರ್ವೇದ ಸಮಾಲೋಚನೆ ಕೈಗೊಳ್ಳುತ್ತಿದ್ದಾರೆ. ಆಯುರ್ವೇದ ಸಲಹೆ ಪಡೆಯಲು ಅವರ ಬಳಿ ಹೆಚ್ಚಿನ ಸಂಖ್ಯೆಯಲ್ಲಿ ಸ್ಥಳೀಯರು ಆಗಮಿಸುತ್ತಿದ್ದಾರೆ. ಎರಿಕಾ ಹ್ಯೂಬರ್ ಎಂಜಿನಿಯರಿಂಗ್ ವ್ಯಾಸಂಗ ಮಾಡಿದ್ದರೂ, ಅವರಿಗೆ ಆಯುರ್ವೇದದತ್ತ ಹೆಚ್ಚು ಒಲವು. ಆಯುರ್ವೇದಕ್ಕೆ ಸಂಬಂಧಿಸಿದ ಕೋರ್ಸ್ಗಳನ್ನು ಮಾಡಿದ್ದ ಅವರು ಕಾಲಕ್ರಮೇಣ ಅದರಲ್ಲಿ ಪ್ರಾವೀಣ್ಯತೆ ಸಾಧಿಸಿದ್ದಾರೆ.
ಸ್ನೇಹಿತರೇ, ಪ್ರಪಂಚದ ಅತ್ಯಂತ ಪುರಾತನ ಭಾಷೆ ತಮಿಳು ಮತ್ತು ಪ್ರತಿಯೊಬ್ಬ ಭಾರತೀಯನಿಗೂ ಇದು ಹೆಮ್ಮೆಯ ವಿಷಯವಾಗಿದೆ. ಪ್ರಪಂಚದಾದ್ಯಂತದ ದೇಶಗಳಲ್ಲಿ ಇದನ್ನು ಕಲಿಯುವವರ ಸಂಖ್ಯೆ ನಿರಂತರವಾಗಿ ಹೆಚ್ಚುತ್ತಿದೆ. ಕಳೆದ ತಿಂಗಳ ಕೊನೆಯಲ್ಲಿ, ಫಿಜಿಯಲ್ಲಿ ಭಾರತ ಸರ್ಕಾರದ ಸಹಾಯದಿಂದ ತಮಿಳು ಬೋಧನಾ ಕಾರ್ಯಕ್ರಮ ಪ್ರಾರಂಭವಾಯಿತು. ಕಳೆದ 80 ವರ್ಷಗಳಲ್ಲಿ ತಮಿಳು ಭಾಷೆಯಲ್ಲಿ ತರಬೇತಿ ಪಡೆದ ಶಿಕ್ಷಕರು ಫಿಜಿಯಲ್ಲಿ ಈ ಭಾಷೆಯನ್ನು ಕಲಿಸುತ್ತಿರುವುದು ಪ್ರಥಮ ಬಾರಿಯಾಗಿದೆ. ಇಂದು ಫಿಜಿಯನ್ ವಿದ್ಯಾರ್ಥಿಗಳು ತಮಿಳು ಭಾಷೆ ಮತ್ತು ಸಂಸ್ಕೃತಿಯನ್ನು ಕಲಿಯಲು ಉತ್ಸುಕರಾಗಿರುವುದ್ದನ್ನು ಅರಿತು ನನಗೆ ಸಂತೋಷವಾಯಿತು.
ಸ್ನೇಹಿತರೇ, ಈ ವಿಷಯಗಳು, ಈ ಘಟನೆಗಳು ಕೇವಲ ಯಶಸ್ಸಿನ ಕಥೆಗಳು ಮಾತ್ರವಲ್ಲ, ನಮ್ಮ ಸಾಂಸ್ಕೃತಿಕ ಪರಂಪರೆಯ ಗಾಥೆಗಳೂ ಆಗಿವೆ . ಈ ಉದಾಹರಣೆಗಳು ನಾವು ಹೆಮ್ಮೆ ಪಡುವಂತೆ ಮಾಡುತ್ತವೆ. ಕಲೆಯಿಂದ ಆಯುರ್ವೇದದವರೆಗೆ ಮತ್ತು ಭಾಷೆಯಿಂದ ಸಂಗೀತದವರೆಗೆ, ಭಾರತದಲ್ಲಿಯಾ ಅದೆಷ್ಟೋ ವಿಷಯಗಳು ವಿಶ್ವಾದ್ಯಂತ ಪ್ರಭಾವ ಬೀರುತ್ತಿವೆ. ಸ್ನೇಹಿತರೇ, ಚಳಿಗಾಲದ ಈ ಋತುವಿನಲ್ಲಿ ದೇಶಾದ್ಯಂತ ಕ್ರೀಡೆ ಮತ್ತು ಸದೃಢತೆ ಕುರಿತಂತೆ ಅನೇಕ ಚಟುವಟಿಕೆಗಳು ನಡೆಯುತ್ತಿವೆ. ಜನರು ಫಿಟ್ನೆಸ್ ಅನ್ನು ತಮ್ಮ ದಿನಚರಿಯ ಭಾಗವನ್ನಾಗಿಸಿಕೊಂಡಿರುವುದು ನನಗೆ ಸಂತಸ ತಂದಿದೆ. ಕಾಶ್ಮೀರದಲ್ಲಿ ಸ್ಕೀಯಿಂಗ್ ನಿಂದ ಹಿಡಿದು ಗುಜರಾತ್ ನಲ್ಲಿ ಗಾಳಿಪಟ ಸ್ಪರ್ಧೆಯವರೆಗೂ ಪ್ರತಿಯೊಂದು ವಿಧದ ಕ್ರೀಡೆಯಲ್ಲಿ ಉತ್ಸಾಹ ಕಂಡು ಬರುತ್ತಿದೆ. #SundayOnCycle ಮತ್ತು #CyclingTuesday ನಂತಹ ಅಭಿಯಾನಗಳಿಂದ ಸೈಕ್ಲಿಂಗ್ ಗೆ ಸಾಕಷ್ಟು ಪ್ರಚಾರ ದೊರೆಯುತ್ತಿದೆ.
ಸ್ನೇಹಿತರೇ, ನಾನು ಈಗ ನಿಮಗೆ ವಿಶೇಷವಾದ ವಿಷಯವೊಂದನ್ನು ಹೇಳಲು ಬಯಸುತ್ತೇನೆ. ಇದು ನಮ್ಮ ದೇಶದಲ್ಲಿ ಉಂಟಾಗುತ್ತಿರುವ ಬದಲಾವಣೆ ಮತ್ತು ಯುವಜನತೆಯ ಉತ್ಸಾಹದ ಸಂಕೇತವಾಗಿದೆ. ನಮ್ಮ ಬಸ್ತರ್ ನಲ್ಲಿ ಒಂದು ವಿಶಿಷ್ಠ ಒಲಿಂಪಿಕ್ ಆರಂಭವಾಗಿದೆ ಎಂಬುದು ನಿಮಗೆ ಗೊತ್ತೇ! ಹೌದು, ಮೊದಲ ಬಾರಿಗೆ ಬಸ್ತರ್ ನಲ್ಲಿ ನಡೆದಿರುವ ಒಲಿಂಪಿಕ್ ನಿಂದ ಅಲ್ಲಿ ಹೊಸ ಕ್ರಾಂತಿ ಉದಯವಾಗುತ್ತಿದೆ. ಬಸ್ತರ್ ಒಲಿಂಪಿಕ್ಸ್ ನ ಕನಸು ನನಸಾಗುತ್ತಿರುವುದು ನನಗಂತೂ ಬಹಳ ಸಂತಸದ ವಿಷಯವಾಗಿದೆ. ಒಂದು ಕಾಲದಲ್ಲಿ ಮಾವೋವಾದಿಗಳ ಹಿಂಸಾಚಾರಕ್ಕೆ ಸಾಕ್ಷಿಯಾಗಿದ್ದ ಈ ಪ್ರದೇಶದಲ್ಲಿ ಈಗ ಒಲಿಂಪಿಕ್ಸ್ ನಡೆದಿರುವುದು ನಿಮಗೆ ಕೂಡಾ ಸಂತಸವೆನಿಸುತ್ತದೆ. ಬಸ್ತರ್ ಒಲಿಂಪಿಕ್ಸ್ ನ ಅದೃಷ್ಟರೂಪಿ ಬೊಂಬೆ – ‘ಕಾಡೆಮ್ಮೆ’ ಮತ್ತು ‘ಗುಡ್ಡಗಾಡಿನ ಮೈನಾ’ ಆಗಿದೆ. ಇದರಲ್ಲಿ ಬಸ್ತರ್ ನ ಶ್ರೀಮಂತ ಸಂಸ್ಕೃತಿಯ ನೋಟ ಕಂಡುಬರುತ್ತದೆ. ಈ ಬಸ್ತರ್ ಕ್ರೀಡಾ ಮಹಾಕುಂಭದ ಘೋಷ ವಾಕ್ಯ ಇದಾಗಿದೆ–
‘ಕರಸಾಯ ತಾ ಬಸ್ತರ್ ಬರಸಾಯೇ ತಾ ಬಸ್ತರ್’
ಅಂದರೆ‘ಆಡುತ್ತದೆ ಬಸ್ತರ್ – ಗೆಲ್ಲುತ್ತದೆ ಬಸ್ತರ್’ |
ಮೊದಲ ಬಾರಿಗೆ ಬಸ್ತರ್ ಒಲಿಂಪಿಕ್ ನಲ್ಲಿ 7 ಜಿಲ್ಲೆಗಳ ಒಂದು ಲಕ್ಷ 65 ಸಾವಿರ ಆಟಗಾರರು ಪಾಲ್ಗೊಂಡಿದ್ದಾರೆ. ಇದು ಕೇವಲ ಅಂಕಿ-ಅಂಶ ಮಾತ್ರವಲ್ಲ – ಇದು ನಮ್ಮ ಯುವಜನತೆಯ ಸಂಕಲ್ಪದ – ಬದ್ಧತೆಯ ಕಥೆಯಾಗಿದೆ. ಅಥ್ಲೆಟಿಕ್ಸ್, ಬಿಲ್ಲುಗಾರಿಕೆ, ಬ್ಯಾಡ್ಮಿಂಟನ್, ಫುಟ್ಬಾಲ್, ಹಾಕಿ, ವೈಟ್ ಲಿಫ್ಟಿಂಗ್, ಕರಾಟೆ, ಕಬಡ್ಡಿ, ಖೋ-ಖೋ, ಮತ್ತು ವಾಲೀಬಾಲ್ – ಹೀಗೆ ಪ್ರತಿಯೊಂದು ಆಟದಲ್ಲಿ ನಮ್ಮ ಯುವಜನತೆ ತಮ್ಮ ಪ್ರತಿಭೆಯನ್ನು ಪ್ರದರ್ಶಿಸಿದ್ದಾರೆ. ಕಾರಿ ಕಶ್ಯಪ್ ಅವರ ಕತೆಯು ನನ್ನಲ್ಲಿ ಬಹಳ ಸ್ಫೂರ್ತಿ ತುಂಬುತ್ತದೆ. ಒಂದು ಸಣ್ಣ ಗ್ರಾಮದಿಂದ ಬಂದಿರುವ ಕಾರೀ ಅವರು ಬಿಲ್ಲುಗಾರಿಕೆಯಲ್ಲಿ ಬೆಳ್ಳಿ ಪದಕ ವಿಜೇತರಾಗಿದ್ದಾರೆ. ಅವರು ಹೀಗೆ ಹೇಳುತ್ತಾರೆ – “ಬಸ್ತರ್ ಒಲಿಂಪಿಕ್ ನಮಗೆ ಕೇವಲ ಆಟದ ಮೈದಾನ ಮಾತ್ರವಲ್ಲದೇ ಜೀವನದಲ್ಲಿ ಮುಂದೆ ಸಾಗುವ ಅವಕಾಶವನ್ನೂ ನೀಡಿದೆ” ಸುಕ್ಮಾ ದ ಪಾಯಲ್ ಕವಾಸೀ ಅವರ ಮಾತುಗಳು ಕೂಡಾ ಬಹಳ ಸ್ಫೂರ್ತಿದಾಯಕವಾಗಿದೆ. Javelin ಎಸೆತದಲ್ಲಿ ಚಿನ್ನದ ಪದಕ ವಿಜೇತೆ ಪಾಯಲ್ ಹೀಗೆನ್ನುತ್ತಾರೆ – “ಶಿಸ್ತು ಮತ್ತು ಕಠಿಣ ಪರಿಶ್ರಮದಿಂದ ಯಾವುದೇ ಗುರಿ ಸಾಧನೆ ಅಸಂಭವವಲ್ಲ” ಸುಕ್ಮಾದ ದೋರನ್ ಪಾಲ್ ನ ಪುನೆಮ್ ಸನ್ನಾ ಅವರ ಕತೆಯಂತೂ ನವಭಾರತದ ಪ್ರೇರಣಾದಾಯಕ ಕತೆಯಾಗಿದೆ. ಒಂದೊಮ್ಮೆ ನಕ್ಸಲರ ಪ್ರಭಾವಕ್ಕೆ ಒಳಗಾಗಿದ್ದ ಪುನೇಮ್ ಅವರು ಇಂದು ಗಾಲಿಕುರ್ಚಿಯಲ್ಲಿ ಓಡಿ ಪದಕ ಗೆಲ್ಲುತ್ತಿದ್ದಾರೆ. ಅವರ ಧೈರ್ಯ ಮತ್ತು ಸಾಹಸ ಪ್ರತಿಯೊಬ್ಬರಿಗೂ ಸ್ಫೂರ್ತಿದಾಯಕವಾಗಿದೆ. ಕೋಡ್ ಗಾಂವ್ ನ ಬಿಲ್ಲುಗಾರ್ತಿ ರಂಜು ಸೋರಿ ಅವರನ್ನು ಬಸ್ತರ್ ಯೂತ್ ಐಕಾನ್ ಎಂದು ಆಯ್ಕೆ ಮಾಡಲಾಯಿತು. ಬಸ್ತರ್ ಒಲಿಂಪಿಕ್ ದೂರ ದೂರದ ಪ್ರದೇಶಗಳ ಯುವಜನತೆಗೆ ರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ವೇದಿಕೆ ತಲುಪುವ ಅವಕಾಶವನ್ನು ನೀಡುತ್ತಿದೆ ಎನ್ನುವುದು ಅವರು ಭಾವಿಸುತ್ತಾರೆ.
ಸ್ನೇಹಿತರೇ, ಒಲಿಂಪಿಕ್ ಕೇವಲ ಒಂದು ಕ್ರೀಡಾ ಆಯೋಜನೆ ಮಾತ್ರವಲ್ಲ. ಇದು ಅಭಿವೃದ್ಧಿ ಮತ್ತು ಕ್ರೀಡೆಯ ಸಂಗಮದ ವೇದಿಕೆಯಾಗಿದೆ. ಇಲ್ಲಿ ನಮ್ಮ ಯುವಜನತೆ ತಮ್ಮ ಪ್ರತಿಭೆಯನ್ನು ಮೆರೆಯುತ್ತಿದ್ದಾರೆ ಮತ್ತು ಒಂದು ನವ ಭಾರತ ನಿರ್ಮಾಣ ಮಾಡುತ್ತಿದ್ದಾರೆ.
ನೀವಿರುವ ಪ್ರದೇಶದಲ್ಲಿ ಇಂತಹ ಕ್ರೀಡಾಕೂಟಗಳಿಗೆ ಪ್ರೋತ್ಸಾಹಿಸಿ.
ಆಡುತ್ತದೆ ಭಾರತ – ಗೆಲ್ಲುತ್ತದೆ ಭಾರತದೊಂದಿಗೆ ನಿಮ್ಮ ಪ್ರದೇಶದ ಕ್ರೀಡಾ ಪ್ರತಿಭೆಗಳ ಗಾಥೆಗಳನ್ನು ಹಂಚಿಕೊಳ್ಳಿ.
ಸ್ಥಳೀಯ ಕ್ರೀಡಾ ಪ್ರತಿಭೆಗಳಿಗೆ ಮುನ್ನಡೆಯುವ ಅವಕಾಶ ನೀಡಿ ಎಂದು ನಾನು ನಿಮ್ಮೆಲ್ಲರಲ್ಲಿ ಮನವಿ ಮಾಡುತ್ತೇನೆ.
ನೆನಪಿಡಿ, ಕ್ರೀಡೆಗಳಿಂದ ಕೇವಲ ದೈಹಿಕ ಬೆಳವಣಿಗೆ ಮಾತ್ರವಲ್ಲದೇ, ಇದು ಕ್ರೀಡಾಕಾರ ಮನೋಭಾವದೊಂದಿಗೆ ಸಮಾಜವನ್ನು ಜೋಡಿಸುವ ಒಂದು ಪ್ರಬಲ ಮಾಧ್ಯಮವೂ ಆಗಿದೆ. ಚೆನ್ನಾಗಿ ಆಟವಾಗಿ – ಚೆನ್ನಾಗಿ ಆಟವಾಡಿ.
ನನ್ನ ಪ್ರೀತಿಯ ದೇಶವಾಸಿಗಳೇ, ಭಾರತದ ಎರಡು ದೊಡ್ಡ ಸಾಧನೆಗಳು ಇಂದು ವಿಶ್ವದ ಗಮನವನ್ನು ಸೆಳೆಯುತ್ತಿವೆ. ಇದನ್ನು ಕೇಳಿದರೆ ನೀವು ಕೂಡಾ ಹೆಮ್ಮೆ ಪಡುತ್ತೀರಿ - ಈ ಎರಡೂ ಯಶಸ್ಸುಗಳು ಸಾಧನೆಯಾಗಿರುವುದು ಆರೋಗ್ಯ ಕ್ಷೇತ್ರದಲ್ಲಿ. ಮೊದಲ ಯಶಸ್ತು ದೊರೆತಿರುವುದು ಮಲೇರಿಯಾ ವಿರುದ್ಧದ ಹೋರಾಟದಲ್ಲಿ. ಮಲೇರಿಯಾ ರೋಗವು ನಾಲ್ಕು ಸಾವಿರ ವರ್ಷಗಳಿಂದ ಮಾನವಕುಲಕ್ಕೆ ಒಂದು ದೊಡ್ಡ ಸವಾಲಾಗಿದೆ. ಸ್ವಾತಂತ್ರ್ಯದ ಸಮಯದಲ್ಲಿ ಕೂಡಾ ಇದು ನಮ್ಮ ಆರೋಗ್ಯ ಸಂಬಂಧಿತ ಸವಾಲುಗಳ ಪೈಕಿ ಒಂದೆನಿಸಿತ್ತು. ಒಂದು ತಿಂಗಳ ಶಿಶುವಿನಿಂದ ಹಿಡಿದು ಐದು ವರ್ಷ ವಯಸ್ಸಿನ ಮಕ್ಕಳ ಪ್ರಾಣ ಹರಣ ಮಾಡುವ ಎಲ್ಲಾ ಸಾಂಕ್ರಾಮಿಕ ರೋಗಗಳ ಪೈಕಿ ಮಲೇರಿಯಾ ರೋಗಕ್ಕೆ ಮೂರನೇ ಸ್ಥಾನ. ಇಂದು, ದೇಶವಾಸಿಗಳೆಲ್ಲಾ ಒಗ್ಗಟ್ಟಾಗಿ ಈ ಸವಾಲನ್ನು ಎದುರಿಸಿದ್ದಾರೆಂದು ನಾನು ಸಂತೋಷದಿಂದ ಹೇಳಬಲ್ಲೆ. ವಿಶ್ವ ಆರೋಗ್ಯ ಸಂಘಟನೆ -WHO ವರದಿ ಹೀಗೆನ್ನುತ್ತದೆ “ಭಾರತದಲ್ಲಿ 2015 ರಿಂದ 2023 ರ ಮಧ್ಯೆ ಮಲೇರಿಯಾ ರೋಗ ಮತ್ತು ಅದರಿಂದ ಸಂಭವಿಸುವ ಸಾವುಗಳ ಸಂಖ್ಯೆಯಲ್ಲಿ ಶೇಕಡಾ 80 ರಷ್ಟು ಕಡಿಮೆಯಾಗಿದೆ” ಇದು ಒಂದು ಸಣ್ಣ ಸಾಧನೆಯಲ್ಲ. ಅತ್ಯಂತ ಸಂತಸದ ವಿಷಯವೆಂದರೆ, ಈ ಯಶಸ್ಸು ಜನರ ಭಾಗೀದಾರಿಯಿಂದ ದೊರೆತಿದೆ. ಭಾರತ ಮೂಲೆ ಮೂಲೆಯಿಂದ, ಪ್ರತಿ ಜಿಲ್ಲೆಯಿಂದ, ಪ್ರತಿಯೊಬ್ಬರೂ ಆ ಅಭಿಯಾನದ ಭಾಗವಾಗಿದ್ದಾರೆ. ಅಸ್ಸಾಂನಲ್ಲಿ ಜೋರ್ ಹಾಟ್ ನ ಚಹಾ ತೋಟಗಳಲ್ಲಿ ನಾಲ್ಕು ವರ್ಷಗಳ ಹಿಂದಿನವರೆಗೂ ಮಲೇರಿಯಾ ರೋಗ ಜನರ ಚಿಂತೆಯ ಬಹು ದೊಡ್ಡ ಕಾರಣವಾಗಿತ್ತು. ಆದರೆ ಅದನ್ನು ನಿರ್ಮೂಲಸಲು ಚಹಾ ತೋಟದಲ್ಲಿ ವಾಸಿಸುವ ಜನರು ಒಗ್ಗಟ್ಟಿನಿಂದ ಮುಂದೆ ಬಂದಾಗ, ಇದರಲ್ಲಿ ಸಾಕಷ್ಟು ಯಶಸ್ಸು ದೊರೆಯಲಾರಂಭಿಸಿತು. ಅವರು ತಮ್ಮ ಈ ಪ್ರಯತ್ನದಲ್ಲಿ ತಂತ್ರಜ್ಞಾನದ ಜೊತೆಗೆ ಸಾಮಾಜಿಕ ಮಾಧ್ಯಮವನ್ನು ಬಹಳಷ್ಟು ಉಪಯೋಗಿಸಿದ್ದಾರೆ. ಇದೇ ರೀತಿ ಹರಿಯಾಣಾದ ಕುರುಕ್ಷೇತ್ರ ಜಿಲ್ಲೆಯು ಮಲೇರಿಯಾ ರೋಗದ ನಿಯಂತ್ರಣಕ್ಕಾಗಿ ಉತ್ತಮ ಮಾದರಿಯನ್ನು ಪ್ರಸ್ತುತಪಡಿಸಿದೆ. ಇಲ್ಲಿ ಮಲೇರಿಯಾ ರೋಗದ ಮೇಲೆ ನಿಗಾ ಇರಿಸುವುದಕ್ಕೆ ಜನರ ಸಹಭಾಗಿತ್ವ ಸಾಕಷ್ಟು ಯಶಸ್ವಿಯಾಗಿದೆ. ಬೀದಿ ನಾಟಕಗಳು ಮತ್ತು ರೇಡಿಯೋ ಮೂಲಕ ಇಂತಹ ಸಂದೇಶಗಳಿಗೆ ಒತ್ತು ನೀಡಲಾಯಿತು. ಸೊಳ್ಳೆಗಳ ಸಂತಾನೋತ್ಪತ್ತಿ ಕಡಿಮೆ ಮಾಡುವಲ್ಲಿ ಇವು ಸಾಕಷ್ಟು ಸಹಾಯಕವಾಯಿತು. ದೇಶಾದ್ಯಂತ ಇಂತಹ ಪ್ರಯತ್ನಗಳಿಂದಲೇ ನಾವು ಮಲೇರಿಯಾ ವಿರುದ್ಧದ ಹೋರಾಟವನ್ನು ಮತ್ತಷ್ಟು ವೇಗವಾಗಿ ಮುನ್ನಡೆಸಲು ಸಾಧ್ಯವಾಯಿತು.
ಸ್ನೇಹಿತರೇ, ನಾವು ನಮ್ಮ ತಿಳುವಳಿಕೆ ಮತ್ತು ಸಂಕಲ್ಪ ಶಕ್ತಿಯಿಂದ ಏನು ಬೇಕಾದರೂ ಸಾಧಿಸಬಹುದು ಎನ್ನುವುದಕ್ಕೆ ಮತ್ತೊಂದು ಉದಾಹರಣೆ ಎಂದರೆ ಅದು ಕ್ಯಾನ್ಸರ್ ವಿರುದ್ಧದ ಹೋರಾಟ. ವಿಶ್ವದ ಪ್ರಸಿದ್ಧ ಮೆಡಿಕಲ್ ಜರ್ನಲ್ ಲ್ಯಾನ್ಸೆಟ್ ನ ಅಧ್ಯಯನ ನಿಜಕ್ಕೂ ಬಹಳ ಭರವಸೆದಾಯಕವಾಗಿದೆ. ಈ ಪತ್ರಿಕೆಯ ಅನುಸಾರ ಈಗ ಭಾರತದಲ್ಲಿ ಸಕಾಲದಲ್ಲಿ ಕ್ಯಾನ್ಸರ್ ರೋಗಕ್ಕೆ ಚಿಕಿತ್ಸೆ ಆರಂಭಿಸುವ ಸಾಧ್ಯತೆ ಬಹಳಷ್ಟು ಹೆಚ್ಚಾಗಿದೆ. ಸಕಾಲದಲ್ಲಿ ಚಿಕಿತ್ಸೆ ಎಂದರೆ– ಕ್ಯಾನ್ಸರ್ ರೋಗಿಯ ಚಿಕಿತ್ಸೆ 30 ದಿನಗಳೊಳಗಾಗಿ ಆರಂಭವಾಗುವುದು ಎಂದರ್ಥ ಹಾಗೂ ಇದರಲ್ಲಿ ‘ಆಯುಷ್ಮಾನ್ ಭಾರತ್ ಯೋಜನೆ‘ ಬಹು ದೊಡ್ಡ ಪಾತ್ರ ನಿರ್ವಹಿಸಿದೆ. ಈ ಯೋಜನೆಯಿಂದಾಗಿ ಶೇಕಡಾ 90 ರಷ್ಟು ಕ್ಯಾನ್ಸರ್ ರೋಗಿಗಳು ಸಕಾಲದಲ್ಲಿ ತಮ್ಮ ಚಿಕಿತ್ಸೆ ಆರಂಭಿಸಲು ಸಾಧ್ಯವಾಗುತ್ತಿದೆ. ಹೀಗಾಗಿ ಈ ಮೊದಲು ಹಣದ ಕೊರತೆಯಿಂದಾಗಿ ಬಡ ರೋಗಿಗಳು ಕ್ಯಾನ್ಸರ್ ರೋಗಕ್ಕಾಗಿ ತಪಾಸಣೆ ಮತ್ತು ಅದರ ಚಿಕಿತ್ಸೆಗೆ ಹಿಂಜರಿಯುತ್ತಿದ್ದರು. ಈಗ ‘ಆಯುಷ್ಮಾನ್ ಭಾರತ್ ಯೋಜನೆ’ ಅವರಿಗೆ ಬಹು ದೊಡ್ಡ ಆಸರೆಯಾಗಿದೆ. ಈಗ ಅವರು ತಮ್ಮ ರೋಗಕ್ಕೆ ಚಿಕಿತ್ಸೆ ಪಡೆಯಲು ಮುಂದಾಗುತ್ತಿದ್ದಾರೆ. ಆಯುಷ್ಮಾನ್ ಭಾರತ್ ಯೋಜನೆಯು ಕ್ಯಾನ್ಸರ್ ರೋಗದ ಚಿಕಿತ್ಸೆಗೆ ಉಂಟಾಗುವ ಖರ್ಚಿನ ಆತಂಕವನ್ನು ಸಾಕಷ್ಟು ಕಡಿಮೆ ಮಾಡಿದೆ. ಇಂದು ಸಕಾಲದಲ್ಲಿ ಕ್ಯಾನ್ಸರ್ ರೋಗಕ್ಕೆ ಚಿಕಿತ್ಸೆ ಪಡೆದುಕೊಳ್ಳುವ ಕುರಿತು ಜನರು ಹಿಂದೆಂದಿಗಿಂತಲೂ ಹೆಚ್ಚು ಜಾಗರೂಕರಾಗಿದ್ದಾರೆ ಎನ್ನುವುದು ಉತ್ತಮ ವಿಚಾರವಾಗಿದೆ. ಈ ಸಾಧನೆಯು ನಮ್ಮ ಆರೋಗ್ಯರಕ್ಷಣೆ ವ್ಯವಸ್ಥೆಯಷ್ಟೇ, ನಮ್ಮ ವೈದ್ಯರು, ದಾದಿಯರು ಮತ್ತು ತಾಂತ್ರಿಕ ಸಿಬ್ಬಂದಿಯದ್ದೂ ಆಗಿದೆ, ಅಷ್ಟೇ ಅಲ್ಲ ನಿಮ್ಮೆಲ್ಲರದ್ದೂ, ನನ್ನ ನಾಗರಿಕ ಸೋದರ ಸೋದರಿಯರದ್ದೂ ಆಗಿದೆ. ಎಲ್ಲರ ಪ್ರಯತ್ನದಿಂದ ಕ್ಯಾನ್ಸರ್ ರೋಗವನ್ನು ಹಿಮ್ಮೆಟ್ಟಿಸುವ ಸಂಕಲ್ಪ ಮತ್ತಷ್ಟು ಬಲವಾಗಿದೆ. ಅರಿವು ಮೂಡಿಸಲು ಪ್ರಮುಖ ಕೊಡುಗೆ ನೀಡಿದ ಎಲ್ಲರಿಗೂ ಆ ಯಶಸ್ಸಿನ ಶ್ರೇಯ ಸಲ್ಲುತ್ತದೆ.
ಕ್ಯಾನ್ಸರ್ ವಿರುದ್ಧ ಹೋರಾಡಲು ಒಂದೇ ಒಂದು ಮಂತ್ರವಿದೆ – ಅದೆಂದರೆ ಅರಿವು, ಕ್ರಮ ಮತ್ತು ಭರವಸೆ – ಅವೇರ್ನೆಸ್, ಆಕ್ಷನ್ ಮತ್ತು ಅಶ್ಯೂರೆನ್ಸ್. ಅವೇರ್ನೆಸ್ ಎಂದರೆ ಕ್ಯಾನ್ಸರ್ ಮತ್ತು ಅದರ ಲಕ್ಷಣಗಳ ಕುರಿತ ಅರಿವು, ಆಕ್ಷನ್ ಎಂದರೆ ಸಮಯಕ್ಕೆ ಸರಿಯಾಗಿ ತಪಾಸಣೆ ಮತ್ತು ಚಿಕಿತ್ಸೆ, ಅಶ್ಯೂರೆನ್ಸ್ ಎಂದರೆ ರೋಗಿಗೆ ಪ್ರತಿಯೊಂದು ಸಹಾಯವೂ ಲಭ್ಯವಿದೆ ಎನ್ನುವ ಭರವಸೆ. ಬನ್ನಿ, ನಾವೆಲ್ಲರೂ ಒಗ್ಗಟ್ಟಾಗಿ ಕ್ಯಾನ್ಸರ್ ವಿರುದ್ಧದ ಈ ಹೋರಾಟವನ್ನು ವೇಗದಿಂದ ಮುನ್ನಡೋಸೋಣ ಮತ್ತು ಹೆಚ್ಚು ಹೆಚ್ಚು ರೋಗಿಗಳಿಗೆ ಸಹಾಯ ಮಾಡೋಣ.
ನನ್ನ ಪ್ರೀತಿಯ ದೇಶವಾಸಿಗಳೇ, ನಾನು ಇಂದು ನಿಮಗೆ ಒಡಿಶಾದ ಕಾಲಾಹಾಂಡಿಯಲ್ಲಿ ಅತ್ಯಂತ ಕಡಿಮೆ ನೀರು ಮತ್ತು ಕಡಿಮೆ ಸಂಪನ್ಮೂಲಗಳಿದ್ದರೂ ಕೂಡಾ ಅವಿರತ ಪ್ರಯತ್ನದಿಂದ ಸಾಧಿಸಿರುವ ಯಶಸ್ಸಿನ ಕತೆಯೊಂದನ್ನು ನಿಮಗೆ ಹೇಳಲು ಬಯಸುತ್ತೇನೆ. ಇದು ಕಾಲಾಹಾಂಡಿಯ ತರಕಾರಿ ಕ್ರಾಂತಿ. ಒಂದು ಕಾಲದಲ್ಲಿ ರೈತರು ಜಾಗ ತೊರೆದು ಬೇರೆಡೆಗೆ ಹೋಗಬೇಕಾಗಿತ್ತೋ ಅದೇ ಜಾಗ ಇಂದು, ಕಾಲಾಹಾಂಡಿಯ ಗೋಲಾ ಮುಂಡಾ ಬ್ಲಾಕ್ ನ ಒಂದು ತರಕಾರಿ ಹಬ್ ಆಗಿ ಪರಿವರ್ತನೆಯಾಗಿದೆ. ಈ ಪರಿವರ್ತನೆಯಾದದ್ದು ಹೇಗೆ? ಇದು ಕೇವಲ 10 ಮಂದಿ ರೈತರ ಒಂದು ಸಣ್ಣ ಗುಂಪಿನಿಂದ ಆರಂಭವಾಯಿತು. ಈ ಗುಂಪು ಒಂದುಗೂಡಿ ಒಂದು FPO - ‘ರೈತ ಉತ್ಪನ್ನ ಸಂಘ’ ಸ್ಥಾಪಿಸಿತು, ಕೃಷಿಯಲ್ಲಿ ಆಧುನಿಕ ತಂತ್ರಜ್ಞಾನದ ಬಳಕೆ ಶುರು ಮಾಡಿತು, ಮತ್ತು ಇಂದು ಅವರ ಈ FPO ಕೋಟಿಗಟ್ಟಲೆ ವಹಿವಾಟು ನಡೆಸುತ್ತಿದೆ. ಇಂದು 200 ಕ್ಕೂ ಅಧಿಕ ರೈತರು FPO ನೊಂದಿಗೆ ಜೋಡಣೆಯಾಗಿದ್ದಾರೆ, ಇದರಲ್ಲಿ 45 ಮಂದಿ ಮಹಿಳಾ ರೈತರೂ ಇದ್ದಾರೆ. ಇವರೆಲ್ಲರೂ ಸೇರಿ 200 ಎಕರೆ ಪ್ರದೇಶದಲ್ಲಿ ಟೊಮ್ಯಾಟೋ ಕೃಷಿ ಮಾಡುತ್ತಿದ್ದಾರೆ, 150 ಎಕರೆ ಜಾಗದಲ್ಲಿ ಹಾಗಲಕಾಯಿ ಬೆಳೆಯುತ್ತಿದ್ದಾರೆ. ಈಗ ಈ FPO ದ ವಾರ್ಷಿಕ ವಹಿವಾಟು ಕೂಡಾ ಅಧಿಕವಾಗಿ, ಒಂದೂವರೆ ಕೋಟಿಗೆ ತಲುಪಿದೆ. ಇಂದು ಕಾಲಾಹಾಂಡಿಯ ತರಕಾರಿಗಳು ಕೇವಲ ಒಡಿಶಾದ ಬೇರೆ ಬೇರೆ ಜಿಲ್ಲೆಗಳಲ್ಲಿ ಮಾತ್ರವಲ್ಲದೇ, ಬೇರೆ ರಾಜ್ಯಗಳಿಗೂ ತಲುಪುತ್ತಿವೆ, ಮತ್ತು ಅಲ್ಲಿನ ರೈತ ಈಗ ಆಲೂಗಡ್ಡೆ ಮತ್ತು ಈರುಳ್ಳಿಯ ಕೃಷಿಯ ಹೊಸ ತಂತ್ರಗಳನ್ನು ಕೂಡಾ ಕಲಿಯುತ್ತಿದ್ದಾನೆ.
ಸ್ನೇಹಿತರೇ, ಸಂಕಲ್ಪ ಶಕ್ತಿ ಮತ್ತು ಸಾಮೂಹಿಕ ಪ್ರಯತ್ನದಿಂದ ಏನೆಲ್ಲಾ ಸಾಧಿಸಬಹುದು ಎಂಬುದನ್ನು ಕಾಲಾಹಾಂಡಿಯ ಈ ಯಶಸ್ಸು ನಮಗೆ ಕಲಿಸುತ್ತದೆ. ನಾನು ನಿಮ್ಮೆಲ್ಲರಲ್ಲಿ ಮನವಿ ಮಾಡುವುದೇನೆಂದರೆ :-
- ನೀವಿರುವ ಪ್ರದೇಶದಲ್ಲಿ FPO ಅನ್ನು ಪ್ರೋತ್ಸಾಹಿಸಿ.
- ರೈತ ಉತ್ಪನ್ನ ಸಂಘಗಳೊಂದಿಗೆ ಸೇರಿಕೊಳ್ಳಿ ಮತ್ತು ಅವುಗಳನ್ನು ಬಲಪಡಿಸಿ.
ನೆನಪಿಡಿ – ಸಣ್ಣ ಆರಂಭದಿಂದಲೇ ಭಾರೀ ಪರಿವರ್ತನೆಗಳು ಸಾಧ್ಯವಾಗುತ್ತವೆ. ಅದಕ್ಕಾಗಿ ನಮಗೆ ದೃಢ ಸಂಕಲ್ಪ ಮತ್ತು ಒಗ್ಗಟ್ಟಿನ ಭಾವನೆಯ ಅಗತ್ಯವಿರುತ್ತದೆ.
ಸ್ನೇಹಿತರೇ, ಇಂದು ‘ಮನದ ಮಾತಿನಲ್ಲಿ’ ನಮ್ಮ ಭಾರತ ವಿವಿಧತೆಯಲ್ಲಿ ಏಕತೆ ಎಂಬ ಭಾವನೆಯಿಂದ ಯಾವರೀತಿ ಮುಂದೆ ಸಾಗುತ್ತಿದೆ ಎಂಬುದನ್ನು ಆಲಿಸಿದೆವು. ಅದು ಆಟದ ಮೈದಾನವಿರಲಿ, ಅಥವಾ ವಿಜ್ಞಾನ ಕ್ಷೇತ್ರವೇ ಆಗಲಿ, ಆರೋಗ್ಯ ಅಥವಾ ಶಿಕ್ಷಣ ಕ್ಷೇತ್ರವೇ ಆಗಲಿ, ಪ್ರತಿಯೊಂದು ಕ್ಷೇತ್ರದಲ್ಲಿ ಭಾರತ ಉನ್ನತ ಶಿಖರಗಳನ್ನು ತಲುಪುತ್ತಿದೆ. ನಾವು ಒಂದು ಕುಟುಂಬದಂತೆ ಒಂದುಗೂಡಿ ಪ್ರತಿಯೊಂದು ಸವಾಲನ್ನೂ ಎದುರಿಸಿದ್ದೇವೆ ಮತ್ತು ಹೊಸ ಸಾಧನೆಗಳನ್ನು ನಮ್ಮದಾಗಿಸಿಕೊಂಡಿದ್ದೇವೆ. 2014 ರಲ್ಲಿ ಆರಂಭವಾದ ‘ಮನದ ಮಾತಿನ’ 116 ಸಂಚಿಕೆಗಳಲ್ಲಿ ‘ಮನದ ಮಾತು’ ದೇಶದ ಸಾಮೂಹಿಕ ಶಕ್ತಿಯು ಜೀವಂತ ದಾಖಲೆಯಾಗಿರುವುದನ್ನು ನಾನು ನೋಡಿದ್ದೇನೆ. ತಾವೆಲ್ಲರೂ ಈ ಕಾರ್ಯಕ್ರಮವನ್ನು ತಮ್ಮದಾಗಿಸಿಕೊಂಡಿರುವಿರಿ. ಪ್ರತಿ ತಿಂಗಳೂ ನಿಮ್ಮ ನಿಮ್ಮ ಚಿಂತನೆಗಳು ಮತ್ತು ಪ್ರಯತ್ನಗಳನ್ನು ಹಂಚಿಕೊಳ್ಳುತ್ತಿದ್ದೀರಿ. ಕೆಲವೊಮ್ಮೆ ಯುವ ಆವಿಷ್ಕಾರಕನ ಚಿಂತನೆಯಿಂದ ಪ್ರಭಾವಿತನಾದರೆ, ಮತ್ತೊಮ್ಮೆ ಹೆಣ್ಣು ಮಗಳೊಬ್ಬಳ ಸಾಧನೆ ನನಗೆ ಹೆಮ್ಮೆ ತಂದಿದೆ. ನಿಮ್ಮೆಲ್ಲರ ಸಹಭಾಗಿತ್ವವೇ ದೇಶದ ಮೂಲೆ ಮೂಲೆಯಿಂದ ಸಕಾರಾತ್ಮಕ ಶಕ್ತಿಯನ್ನು ಒಟ್ಟುಗೂಡಿಸುತ್ತದೆ. 'ಮನದ ಮಾತು' ಈ ಸಕಾರಾತ್ಮಕ ಶಕ್ತಿ ವರ್ಧನೆಯ ವೇದಿಕೆಯಾಗಿ ಮಾರ್ಪಟ್ಟಿದೆ ಮತ್ತು ಈಗ, 2025 ಬಾಗಿಲು ತಟ್ಟುತ್ತಿದೆ. ಮುಂಬರುವ ವರ್ಷದಲ್ಲಿ ‘ಮನದ ಮಾತಿನ’ ಮೂಲಕ ನಾವೆಲ್ಲರೂ ಮತ್ತಷ್ಟು ಪ್ರೇರಣಾದಾಯಕ ಪ್ರಯತ್ನಗಳನ್ನು ಹಂಚಿಕೊಳ್ಳೋಣ. ದೇಶವಾಸಿಗಳ ಸಕಾರಾತ್ಮಕ ಚಿಂತನೆ ಮತ್ತು ಆವಿಷ್ಕಾರದ ಭಾವನೆಯಿಂದ ಭಾರತ ಹೊಸ ಶಿಖರಗಳನ್ನು ತಲುಪುತ್ತದೆ ಎಂಬ ವಿಶ್ವಾಸ ನನಗಿದೆ. ನೀವೆಲ್ಲರೂ ನಿಮ್ಮ ಸುತ್ತಮುತ್ತಲಿನ ವಿಶಿಷ್ಠ ಪ್ರಯತ್ನಗಳ ಬಗ್ಗೆ #Mannkibaat ನಲ್ಲಿ ಹಂಚಿಕೊಳ್ಳುತ್ತಿರಿ. ಮುಂದಿನ ವರ್ಷದ ಪ್ರತಿಯೊಂದು ಮನದ ಮಾತಿನಲ್ಲಿ ನಮ್ಮಲ್ಲಿ ಪರಸ್ಪರ ಹಂಚಿಕೊಳ್ಳಲು ಬಹಳಷ್ಟು ವಿಷಯಗಳಿರುತ್ತವೆ ಎಂದು ನನಗೆ ಗೊತ್ತು. ನಿಮ್ಮೆಲ್ಲರಿಗೂ 2025 ನೂತನ ವರ್ಷಕ್ಕಾಗಿ ಅನೇಕಾನೇಕ ಶುಭಾಕಾಂಕ್ಷೆಗಳು. ಆರೋಗ್ಯದಿಂದಿರಿ, ಸಂತೋಷದಿಂದಿರಿ. Fit India Movement ನೊಂದಿಗೆ ನೀವೆಲ್ಲರೂ ಸೇರಿಕೊಳ್ಳಿ, ನೀವೆಲ್ಲರೂ ಸದೃಢರಾಗಿರಿ. ಜೀವನದಲ್ಲಿ ಅಭಿವೃದ್ಧಿ ಹೊಂದುತ್ತಿರಿ. ಅನೇಕಾನೇಕ ಧನ್ಯವಾದ.
The Constitution is our guiding light: PM @narendramodi #MannKiBaat pic.twitter.com/w4IZwfSXa2
— PMO India (@PMOIndia) December 29, 2024
The Mahakumbh's specialty lies not just in its vastness but also in its diversity.#MannKiBaat pic.twitter.com/uhiLxSTORd
— PMO India (@PMOIndia) December 29, 2024
Kids' favourite KTB - Krish, Trish and Baltiboy is back with Season 2. It celebrates the unsung heroes of India's freedom struggle.#MannKiBaat pic.twitter.com/LaJNd0Zmqf
— PMO India (@PMOIndia) December 29, 2024
In 2024, we celebrate the 100th birth anniversary of many great film personalities.#MannKiBaat pic.twitter.com/Gj5Zre11FB
— PMO India (@PMOIndia) December 29, 2024
WAVES Summit is a key step in making India a hub for global content creation.#MannKiBaat pic.twitter.com/VNWSaS125c
— PMO India (@PMOIndia) December 29, 2024
The radiance of Indian culture is spreading across the world.#MannKiBaat pic.twitter.com/Oznb4pMJ48
— PMO India (@PMOIndia) December 29, 2024
Bastar Olympics showcases the spirit of youth and their talent.#MannKiBaat pic.twitter.com/uIAHq226MU
— PMO India (@PMOIndia) December 29, 2024
Powered by the collective effort of people, India has made remarkable progress in the fight against malaria.#MannKiBaat pic.twitter.com/SJHymYvsgV
— PMO India (@PMOIndia) December 29, 2024
Ayushman Bharat Yojana has greatly reduced financial burdens in cancer treatment.#MannKiBaat pic.twitter.com/VvUOiMBZzv
— PMO India (@PMOIndia) December 29, 2024
Odisha's Kalahandi has become a vegetable hub. Farmers formed an FPO and embraced modern farming methods.#MannKiBaat pic.twitter.com/cRnq7FdBzS
— PMO India (@PMOIndia) December 29, 2024