Published By : Admin | December 27, 2023 | 20:29 IST
Share
ಪ್ರಧಾನಮಂತ್ರಿ ಶ್ರೀ ನರೇಂದ್ರ ಮೋದಿ ಅವರ ಅಧ್ಯಕ್ಷತೆಯಲ್ಲಿಂದು ನಡೆದ ಆರ್ಥಿಕ ವ್ಯವಹಾರಗಳ ಸಂಪುಟ ಸಮಿತಿಯು, ಗಂಗಾ ನದಿಗೆ ಅಡ್ಡಲಾಗಿ 4556 ಮೀಟರ್ ಉದ್ದದ, 6 ಪಥದ ಎತ್ತರದ ಮಟ್ಟದ / ಹೆಚ್ಚುವರಿ ಡೋಸ್ ಕೇಬಲ್ ಸ್ಟೇಡ್ ಸೇತುವೆ ನಿರ್ಮಾಣಕ್ಕೆ (ಹಾಲಿ ಇರುವ ದಿಘಾ-ಸೋನೆಪುರ್ ರೈಲು ಮತ್ತು ರಸ್ತೆ ಸೇತುವೆಯ ಪಶ್ಚಿಮ ಭಾಗಕ್ಕೆ ಸಮಾನಾಂತರವಾಗಿ) ಮತ್ತು ಬಿಹಾರ ರಾಜ್ಯದ ಪಾಟ್ನಾ ಮತ್ತು ಸರನ್ (ಎನ್.ಎಚ್.-139ಡಬ್ಲ್ಯೂ) ಜಿಲ್ಲೆಗಳಲ್ಲಿ ಇಪಿಸಿ ಮಾದರಿಯಲ್ಲಿ ಎರಡೂ ಬದಿಗಳಲ್ಲಿ ಅದರ ಪ್ರವೇಶಕ್ಕೆ ತನ್ನ ಅನುಮೋದನೆ ನೀಡಿದೆ.
ಇದಕ್ಕೆ ತಗಲುವ ವೆಚ್ಚ:
ಯೋಜನೆಯ ಒಟ್ಟು ವೆಚ್ಚ 3,064.45 ಕೋಟಿ ರೂ.ಗಳಾಗಿದ್ದು, ಇದರಲ್ಲಿ ಸಿವಿಲ್ ನಿರ್ಮಾಣ ವೆಚ್ಚ 2,233.81 ಕೋಟಿ ರೂ.
ಇಲ್ಲ. ಫಲಾನುಭವಿಗಳ ಸಂಖ್ಯೆ:
ಈ ಸೇತುವೆಯು ಸಂಚಾರವನ್ನು ವೇಗವಾಗಿ ಮತ್ತು ಸುಲಭಗೊಳಿಸುತ್ತದೆ, ಇದರ ಪರಿಣಾಮವಾಗಿ ರಾಜ್ಯದ, ವಿಶೇಷವಾಗಿ ಉತ್ತರ ಬಿಹಾರದ ಒಟ್ಟಾರೆ ಅಭಿವೃದ್ಧಿಗೆ ಕಾರಣವಾಗುತ್ತದೆ.
ವಿವರಗಳು:
ದಿಘಾ (ಗಂಗಾ ನದಿಯ ಪಾಟ್ನಾ ಮತ್ತು ದಕ್ಷಿಣ ದಂಡೆಯಲ್ಲಿದೆ) ಮತ್ತು ಸೋನೆಪುರ್ (ಸರನ್ ಜಿಲ್ಲೆಯ ಗಂಗಾ ನದಿಯ ಉತ್ತರ ದಂಡೆ) ಪ್ರಸ್ತುತ ಲಘು ವಾಹನಗಳ ಸಂಚಾರಕ್ಕೆ ಮಾತ್ರ ರೈಲು ಮತ್ತು ರಸ್ತೆ ಸೇತುವೆಯಿಂದ ಸಂಪರ್ಕ ಹೊಂದಿವೆ. ಆದ್ದರಿಂದ, ಪ್ರಸ್ತುತ ರಸ್ತೆಯನ್ನು ಸರಕು ಮತ್ತು ಸರಕುಗಳ ಸಾಗಣೆಗೆ ಬಳಸಲಾಗುವುದಿಲ್ಲ, ಇದು ಪ್ರಮುಖ ಆರ್ಥಿಕ ದಿಗ್ಬಂಧನವಾಗಿದೆ. ದಿಘಾ ಮತ್ತು ಸೋನೆಪುರ್ ನಡುವೆ ಈ ಸೇತುವೆಯನ್ನು ಒದಗಿಸುವ ಮೂಲಕ ನಿರ್ಬಂಧವನ್ನು ತೆಗೆದುಹಾಕಲಾಗುವುದು; ಸೇತುವೆ ನಿರ್ಮಾಣವಾದ ನಂತರ ಸರಕು ಮತ್ತು ಸರಕುಗಳನ್ನು ಸಾಗಿಸಬಹುದು, ಇದು ಪ್ರದೇಶದ ಆರ್ಥಿಕ ಸಾಮರ್ಥ್ಯವನ್ನು ಅನಾವರಣಗೊಳಿಸುತ್ತದೆ.
ಈ ಸೇತುವೆಯು ಪಾಟ್ನಾದಿಂದ ಗೋಲ್ಡನ್ ಚತುಷ್ಪಥ ಕಾರಿಡಾರ್ಗೆ ಔರಂಗಾಬಾದ್ ಮತ್ತು ಸೋನೆಪುರ್ (ಎನ್ಎಚ್ -31), ಛಾಪ್ರಾ, ಮೋತಿಹರಿ (ಪೂರ್ವ-ಪಶ್ಚಿಮ ಕಾರಿಡಾರ್ ಹಳೆಯ ಎನ್ಎಚ್ -27), ಬೆಟ್ಟಿಯಾ (ಎನ್ಎಚ್ -727) ಮೂಲಕ ಬಿಹಾರದ ಉತ್ತರ ಭಾಗದಲ್ಲಿ ನೇರ ಸಂಪರ್ಕವನ್ನು ಒದಗಿಸುತ್ತದೆ. ಈ ಯೋಜನೆಯು ಬುದ್ಧ ಸರ್ಕ್ಯೂಟ್ ನ ಒಂದು ಭಾಗವಾಗಿದೆ. ಇದು ವೈಶಾಲಿ ಮತ್ತು ಕೇಶರಿಯಾದಲ್ಲಿರುವ ಬುದ್ಧ ಸ್ತೂಪಕ್ಕೆ ಉತ್ತಮ ಸಂಪರ್ಕವನ್ನು ಒದಗಿಸುತ್ತದೆ. ಅಲ್ಲದೆ, ಎನ್ಎಚ್ -139 ಡಬ್ಲ್ಯೂ ಪೂರ್ವ ಚಂಪಾರಣ್ ಜಿಲ್ಲೆಯ ಕೇಸರಿಯಾದಲ್ಲಿ ಅತ್ಯಂತ ಪ್ರಸಿದ್ಧ ಅರೆರಾಜ್ ಸೋಮೇಶ್ವರ ನಾಥ್ ದೇವಾಲಯ ಮತ್ತು ಪ್ರಸ್ತಾವಿತ ವಿರಾಟ್ ರಾಮಾಯಣ ಮಂದಿರ (ವಿಶ್ವದ ಅತಿದೊಡ್ಡ ಧಾರ್ಮಿಕ ಸ್ಮಾರಕ) ಗೆ ಸಂಪರ್ಕವನ್ನು ಒದಗಿಸುತ್ತದೆ.
ಈ ಯೋಜನೆಯು ಪಾಟ್ನಾದಲ್ಲಿ ಬೀಳುತ್ತಿದೆ ಮತ್ತು ರಾಜ್ಯ ರಾಜಧಾನಿಯ ಮೂಲಕ ಉತ್ತರ ಬಿಹಾರ ಮತ್ತು ಬಿಹಾರದ ದಕ್ಷಿಣ ಭಾಗಕ್ಕೆ ಉತ್ತಮ ಸಂಪರ್ಕವನ್ನು ಒದಗಿಸುತ್ತದೆ. ಈ ಸೇತುವೆಯು ವಾಹನಗಳ ಚಲನೆಯನ್ನು ವೇಗವಾಗಿ ಮತ್ತು ಸುಲಭಗೊಳಿಸುತ್ತದೆ, ಇದರ ಪರಿಣಾಮವಾಗಿ ಈ ಪ್ರದೇಶದ ಒಟ್ಟಾರೆ ಅಭಿವೃದ್ಧಿಯಾಗುತ್ತದೆ. ಆರ್ಥಿಕ ವಿಶ್ಲೇಷಣೆಯ ಫಲಿತಾಂಶಗಳು ಮೂಲ ಪ್ರಕರಣದಲ್ಲಿ 17.6% ಇಐಆರ್ಆರ್ ಅನ್ನು ತೋರಿಸಿದೆ ಮತ್ತು 13.1% ಕೆಟ್ಟ ಪ್ರಕರಣವಾಗಿದೆ, ಇದು ದೂರ ಮತ್ತು ಪ್ರಯಾಣದ ಸಮಯದ ಉಳಿತಾಯಕ್ಕೆ ಕಾರಣವಾಗಬಹುದು.
ಅನುಷ್ಠಾನ ಕಾರ್ಯತಂತ್ರ ಮತ್ತು ಗುರಿಗಳು:
ನಿರ್ಮಾಣ ಮತ್ತು ಕಾರ್ಯಾಚರಣೆಗಳ ಗುಣಮಟ್ಟವನ್ನು ಖಚಿತಪಡಿಸಿಕೊಳ್ಳಲು 5 ಡಿ-ಬಿಲ್ಡಿಂಗ್ ಇನ್ಫಾರ್ಮೇಶನ್ ಮಾಡೆಲಿಂಗ್ (ಬಿಐಎಂ), ಬ್ರಿಡ್ಜ್ ಹೆಲ್ತ್ ಮಾನಿಟರಿಂಗ್ ಸಿಸ್ಟಮ್ (ಬಿಎಚ್ಎಂಎಸ್), ಮಾಸಿಕ ಡ್ರೋನ್ ಮ್ಯಾಪಿಂಗ್ನಂತಹ ಇತ್ತೀಚಿನ ತಂತ್ರಜ್ಞಾನವನ್ನು ಬಳಸಿಕೊಂಡು ಇಪಿಸಿ ಮೋಡ್ನಲ್ಲಿ ಕೆಲಸವನ್ನು ಜಾರಿಗೆ ತರಲಾಗುವುದು.
ನಿಗದಿತ ದಿನಾಂಕದಿಂದ ೪೨ ತಿಂಗಳಲ್ಲಿ ಕೆಲಸವನ್ನು ಪೂರ್ಣಗೊಳಿಸುವ ಗುರಿ ಹೊಂದಲಾಗಿದೆ.
ಉದ್ಯೋಗ ಸೃಷ್ಟಿ ಸಾಮರ್ಥ್ಯ ಸೇರಿದಂತೆ ಪ್ರಮುಖ ಪರಿಣಾಮ:
ಈ ಯೋಜನೆಯು ವೇಗದ ಪ್ರಯಾಣವನ್ನು ಒದಗಿಸುವ ಮತ್ತು ಬಿಹಾರದ ಉತ್ತರ ಮತ್ತು ದಕ್ಷಿಣ ಭಾಗಗಳ ನಡುವೆ ಉತ್ತಮ ಸಂಪರ್ಕವನ್ನು ಒದಗಿಸುವ ಗುರಿಯನ್ನು ಹೊಂದಿದೆ. ಹೀಗಾಗಿ, ಇಡೀ ಪ್ರದೇಶದ ಸಾಮಾಜಿಕ-ಆರ್ಥಿಕ ಬೆಳವಣಿಗೆಯನ್ನು ಉತ್ತೇಜಿಸುತ್ತದೆ.
ಯೋಜನೆಯ ನಿರ್ಮಾಣ ಮತ್ತು ನಿರ್ವಹಣಾ ಅವಧಿಯಲ್ಲಿ ನಡೆಸಲಾದ ವಿವಿಧ ಚಟುವಟಿಕೆಗಳು ನುರಿತ ಮತ್ತು ಕೌಶಲ್ಯರಹಿತ ಕಾರ್ಮಿಕರಿಗೆ ನೇರ ಉದ್ಯೋಗವನ್ನು ಸೃಷ್ಟಿಸುವ ನಿರೀಕ್ಷೆಯಿದೆ.
ವ್ಯಾಪ್ತಿಗೆ ಒಳಪಡುವ ರಾಜ್ಯಗಳು/ಜಿಲ್ಲೆಗಳು:
ಈ ಸೇತುವೆಯು ಬಿಹಾರದ ಗಂಗಾ ನದಿಗೆ ಅಡ್ಡಲಾಗಿ ದಕ್ಷಿಣ ದಿಕ್ಕಿನಲ್ಲಿ ಪಾಟ್ನಾ ಮತ್ತು ಉತ್ತರದಲ್ಲಿ ಸರನ್ ಎಂಬ ಎರಡು ಜಿಲ್ಲೆಗಳನ್ನು ಸಂಪರ್ಕಿಸುತ್ತದೆ.
ಹಿನ್ನೆಲೆ:
2021 ರ ಜುಲೈ 8 ರ ಗೆಜೆಟ್ ಅಧಿಸೂಚನೆಯ ಮೂಲಕ ಸರ್ಕಾರವು "ಪಾಟ್ನಾ (ಏಮ್ಸ್) ಬಳಿ ಎನ್ಎಚ್ -139 ನೊಂದಿಗೆ ಜಂಕ್ಷನ್ನಿಂದ ಪ್ರಾರಂಭವಾಗುವ ಮತ್ತು ಬಿಹಾರ ರಾಜ್ಯದ ಬೆಟ್ಟಿಯಾ ಬಳಿ ಎನ್ಎಚ್ -727 ನೊಂದಿಗೆ ಜಂಕ್ಷನ್ನಲ್ಲಿ ಕೊನೆಗೊಳ್ಳುವ ಹೆದ್ದಾರಿ" ಅನ್ನು ಎನ್ಎಚ್ -139 (ಡಬ್ಲ್ಯೂ) ಎಂದು ಘೋಷಿಸಿದೆ.
The Cabinet has approved the construction of a new 6-lane bridge across River Ganga, connecting Digha and Sonepur in Bihar. This project will boost connectivity, spur economic growth and benefit lakhs of people across Bihar. https://t.co/MiivGjPXBKhttps://t.co/bsizx6bjkK
Delighted to take part in the Odisha Parba in Delhi, the state plays a pivotal role in India's growth and is blessed with cultural heritage admired across the country and the world: PM
The culture of Odisha has greatly strengthened the spirit of 'Ek Bharat Shreshtha Bharat', in which the sons and daughters of the state have made huge contributions: PM
We can see many examples of the contribution of Oriya literature to the cultural prosperity of India: PM
Odisha's cultural richness, architecture and science have always been special, We have to constantly take innovative steps to take every identity of this place to the world: PM
We are working fast in every sector for the development of Odisha,it has immense possibilities of port based industrial development: PM
Odisha is India's mining and metal powerhouse making it’s position very strong in the steel, aluminium and energy sectors: PM
Our government is committed to promote ease of doing business in Odisha: PM
Today Odisha has its own vision and roadmap, now investment will be encouraged and new employment opportunities will be created: PM
जय जगन्नाथ!
जय जगन्नाथ!
केंद्रीय मंत्रिमंडल के मेरे सहयोगी श्रीमान धर्मेन्द्र प्रधान जी, अश्विनी वैष्णव जी, उड़िया समाज संस्था के अध्यक्ष श्री सिद्धार्थ प्रधान जी, उड़िया समाज के अन्य अधिकारी, ओडिशा के सभी कलाकार, अन्य महानुभाव, देवियों और सज्जनों।
ओडिशा र सबू भाईओ भउणी मानंकु मोर नमस्कार, एबंग जुहार। ओड़िया संस्कृति के महाकुंभ ‘ओड़िशा पर्व 2024’ कू आसी मँ गर्बित। आपण मानंकु भेटी मूं बहुत आनंदित।
मैं आप सबको और ओडिशा के सभी लोगों को ओडिशा पर्व की बहुत-बहुत बधाई देता हूँ। इस साल स्वभाव कवि गंगाधर मेहेर की पुण्यतिथि का शताब्दी वर्ष भी है। मैं इस अवसर पर उनका पुण्य स्मरण करता हूं, उन्हें श्रद्धांजलि देता हूँ। मैं भक्त दासिआ बाउरी जी, भक्त सालबेग जी, उड़िया भागवत की रचना करने वाले श्री जगन्नाथ दास जी को भी आदरपूर्वक नमन करता हूं।
ओडिशा निजर सांस्कृतिक विविधता द्वारा भारतकु जीबन्त रखिबारे बहुत बड़ भूमिका प्रतिपादन करिछि।
साथियों,
ओडिशा हमेशा से संतों और विद्वानों की धरती रही है। सरल महाभारत, उड़िया भागवत...हमारे धर्मग्रन्थों को जिस तरह यहाँ के विद्वानों ने लोकभाषा में घर-घर पहुंचाया, जिस तरह ऋषियों के विचारों से जन-जन को जोड़ा....उसने भारत की सांस्कृतिक समृद्धि में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। उड़िया भाषा में महाप्रभु जगन्नाथ जी से जुड़ा कितना बड़ा साहित्य है। मुझे भी उनकी एक गाथा हमेशा याद रहती है। महाप्रभु अपने श्री मंदिर से बाहर आए थे और उन्होंने स्वयं युद्ध का नेतृत्व किया था। तब युद्धभूमि की ओर जाते समय महाप्रभु श्री जगन्नाथ ने अपनी भक्त ‘माणिका गौउडुणी’ के हाथों से दही खाई थी। ये गाथा हमें बहुत कुछ सिखाती है। ये हमें सिखाती है कि हम नेक नीयत से काम करें, तो उस काम का नेतृत्व खुद ईश्वर करते हैं। हमेशा, हर समय, हर हालात में ये सोचने की जरूरत नहीं है कि हम अकेले हैं, हम हमेशा ‘प्लस वन’ होते हैं, प्रभु हमारे साथ होते हैं, ईश्वर हमेशा हमारे साथ होते हैं।
साथियों,
ओडिशा के संत कवि भीम भोई ने कहा था- मो जीवन पछे नर्के पडिथाउ जगत उद्धार हेउ। भाव ये कि मुझे चाहे जितने ही दुख क्यों ना उठाने पड़ें...लेकिन जगत का उद्धार हो। यही ओडिशा की संस्कृति भी है। ओडिशा सबु जुगरे समग्र राष्ट्र एबं पूरा मानब समाज र सेबा करिछी। यहाँ पुरी धाम ने ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ की भावना को मजबूत बनाया। ओडिशा की वीर संतानों ने आज़ादी की लड़ाई में भी बढ़-चढ़कर देश को दिशा दिखाई थी। पाइका क्रांति के शहीदों का ऋण, हम कभी नहीं चुका सकते। ये मेरी सरकार का सौभाग्य है कि उसे पाइका क्रांति पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का अवसर मिला था।
साथियों,
उत्कल केशरी हरे कृष्ण मेहताब जी के योगदान को भी इस समय पूरा देश याद कर रहा है। हम व्यापक स्तर पर उनकी 125वीं जयंती मना रहे हैं। अतीत से लेकर आज तक, ओडिशा ने देश को कितना सक्षम नेतृत्व दिया है, ये भी हमारे सामने है। आज ओडिशा की बेटी...आदिवासी समुदाय की द्रौपदी मुर्मू जी भारत की राष्ट्रपति हैं। ये हम सभी के लिए बहुत ही गर्व की बात है। उनकी प्रेरणा से आज भारत में आदिवासी कल्याण की हजारों करोड़ रुपए की योजनाएं शुरू हुई हैं, और ये योजनाएं सिर्फ ओडिशा के ही नहीं बल्कि पूरे भारत के आदिवासी समाज का हित कर रही हैं।
साथियों,
ओडिशा, माता सुभद्रा के रूप में नारीशक्ति और उसके सामर्थ्य की धरती है। ओडिशा तभी आगे बढ़ेगा, जब ओडिशा की महिलाएं आगे बढ़ेंगी। इसीलिए, कुछ ही दिन पहले मैंने ओडिशा की अपनी माताओं-बहनों के लिए सुभद्रा योजना का शुभारंभ किया था। इसका बहुत बड़ा लाभ ओडिशा की महिलाओं को मिलेगा। उत्कलर एही महान सुपुत्र मानंकर बिसयरे देश जाणू, एबं सेमानंक जीबन रु प्रेरणा नेउ, एथी निमन्ते एपरी आयौजनर बहुत अधिक गुरुत्व रहिछि ।
साथियों,
इसी उत्कल ने भारत के समुद्री सामर्थ्य को नया विस्तार दिया था। कल ही ओडिशा में बाली जात्रा का समापन हुआ है। इस बार भी 15 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा के दिन से कटक में महानदी के तट पर इसका भव्य आयोजन हो रहा था। बाली जात्रा प्रतीक है कि भारत का, ओडिशा का सामुद्रिक सामर्थ्य क्या था। सैकड़ों वर्ष पहले जब आज जैसी टेक्नोलॉजी नहीं थी, तब भी यहां के नाविकों ने समुद्र को पार करने का साहस दिखाया। हमारे यहां के व्यापारी जहाजों से इंडोनेशिया के बाली, सुमात्रा, जावा जैसे स्थानो की यात्राएं करते थे। इन यात्राओं के माध्यम से व्यापार भी हुआ और संस्कृति भी एक जगह से दूसरी जगह पहुंची। आजी विकसित भारतर संकल्पर सिद्धि निमन्ते ओडिशार सामुद्रिक शक्तिर महत्वपूर्ण भूमिका अछि।
साथियों,
ओडिशा को नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए 10 साल से चल रहे अनवरत प्रयास....आज ओडिशा के लिए नए भविष्य की उम्मीद बन रहे हैं। 2024 में ओडिशावासियों के अभूतपूर्व आशीर्वाद ने इस उम्मीद को नया हौसला दिया है। हमने बड़े सपने देखे हैं, बड़े लक्ष्य तय किए हैं। 2036 में ओडिशा, राज्य-स्थापना का शताब्दी वर्ष मनाएगा। हमारा प्रयास है कि ओडिशा की गिनती देश के सशक्त, समृद्ध और तेजी से आगे बढ़ने वाले राज्यों में हो।
साथियों,
एक समय था, जब भारत के पूर्वी हिस्से को...ओडिशा जैसे राज्यों को पिछड़ा कहा जाता था। लेकिन मैं भारत के पूर्वी हिस्से को देश के विकास का ग्रोथ इंजन मानता हूं। इसलिए हमने पूर्वी भारत के विकास को अपनी प्राथमिकता बनाया है। आज पूरे पूर्वी भारत में कनेक्टिविटी के काम हों, स्वास्थ्य के काम हों, शिक्षा के काम हों, सभी में तेजी लाई गई है। 10 साल पहले ओडिशा को केंद्र सरकार जितना बजट देती थी, आज ओडिशा को तीन गुना ज्यादा बजट मिल रहा है। इस साल ओडिशा के विकास के लिए पिछले साल की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा बजट दिया गया है। हम ओडिशा के विकास के लिए हर सेक्टर में तेजी से काम कर रहे हैं।
साथियों,
ओडिशा में पोर्ट आधारित औद्योगिक विकास की अपार संभावनाएं हैं। इसलिए धामरा, गोपालपुर, अस्तारंगा, पलुर, और सुवर्णरेखा पोर्ट्स का विकास करके यहां व्यापार को बढ़ावा दिया जाएगा। ओडिशा भारत का mining और metal powerhouse भी है। इससे स्टील, एल्युमिनियम और एनर्जी सेक्टर में ओडिशा की स्थिति काफी मजबूत हो जाती है। इन सेक्टरों पर फोकस करके ओडिशा में समृद्धि के नए दरवाजे खोले जा सकते हैं।
साथियों,
ओडिशा की धरती पर काजू, जूट, कपास, हल्दी और तिलहन की पैदावार बहुतायत में होती है। हमारा प्रयास है कि इन उत्पादों की पहुंच बड़े बाजारों तक हो और उसका फायदा हमारे किसान भाई-बहनों को मिले। ओडिशा की सी-फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में भी विस्तार की काफी संभावनाएं हैं। हमारा प्रयास है कि ओडिशा सी-फूड एक ऐसा ब्रांड बने, जिसकी मांग ग्लोबल मार्केट में हो।
साथियों,
हमारा प्रयास है कि ओडिशा निवेश करने वालों की पसंदीदा जगहों में से एक हो। हमारी सरकार ओडिशा में इज ऑफ डूइंग बिजनेस को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है। उत्कर्ष उत्कल के माध्यम से निवेश को बढ़ाया जा रहा है। ओडिशा में नई सरकार बनते ही, पहले 100 दिनों के भीतर-भीतर, 45 हजार करोड़ रुपए के निवेश को मंजूरी मिली है। आज ओडिशा के पास अपना विज़न भी है, और रोडमैप भी है। अब यहाँ निवेश को भी बढ़ावा मिलेगा, और रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। मैं इन प्रयासों के लिए मुख्यमंत्री श्रीमान मोहन चरण मांझी जी और उनकी टीम को बहुत-बहुत बधाई देता हूं।
साथियों,
ओडिशा के सामर्थ्य का सही दिशा में उपयोग करके उसे विकास की नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया जा सकता है। मैं मानता हूं, ओडिशा को उसकी strategic location का बहुत बड़ा फायदा मिल सकता है। यहां से घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाजार तक पहुंचना आसान है। पूर्व और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए ओडिशा व्यापार का एक महत्वपूर्ण हब है। Global value chains में ओडिशा की अहमियत आने वाले समय में और बढ़ेगी। हमारी सरकार राज्य से export बढ़ाने के लक्ष्य पर भी काम कर रही है।
साथियों,
ओडिशा में urbanization को बढ़ावा देने की अपार संभावनाएं हैं। हमारी सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है। हम ज्यादा संख्या में dynamic और well-connected cities के निर्माण के लिए प्रतिबद्ध हैं। हम ओडिशा के टियर टू शहरों में भी नई संभावनाएं बनाने का भरपूर हम प्रयास कर रहे हैं। खासतौर पर पश्चिम ओडिशा के इलाकों में जो जिले हैं, वहाँ नए इंफ्रास्ट्रक्चर से नए अवसर पैदा होंगे।
साथियों,
हायर एजुकेशन के क्षेत्र में ओडिशा देशभर के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद की तरह है। यहां कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय इंस्टीट्यूट हैं, जो राज्य को एजुकेशन सेक्टर में लीड लेने के लिए प्रेरित करते हैं। इन कोशिशों से राज्य में स्टार्टअप्स इकोसिस्टम को भी बढ़ावा मिल रहा है।
साथियों,
ओडिशा अपनी सांस्कृतिक समृद्धि के कारण हमेशा से ख़ास रहा है। ओडिशा की विधाएँ हर किसी को सम्मोहित करती है, हर किसी को प्रेरित करती हैं। यहाँ का ओड़िशी नृत्य हो...ओडिशा की पेंटिंग्स हों...यहाँ जितनी जीवंतता पट्टचित्रों में देखने को मिलती है...उतनी ही बेमिसाल हमारे आदिवासी कला की प्रतीक सौरा चित्रकारी भी होती है। संबलपुरी, बोमकाई और कोटपाद बुनकरों की कारीगरी भी हमें ओडिशा में देखने को मिलती है। हम इस कला और कारीगरी का जितना प्रसार करेंगे, उतना ही इस कला को संरक्षित करने वाले उड़िया लोगों को सम्मान मिलेगा।
साथियों,
हमारे ओडिशा के पास वास्तु और विज्ञान की भी इतनी बड़ी धरोहर है। कोणार्क का सूर्य मंदिर… इसकी विशालता, इसका विज्ञान...लिंगराज और मुक्तेश्वर जैसे पुरातन मंदिरों का वास्तु.....ये हर किसी को आश्चर्यचकित करता है। आज लोग जब इन्हें देखते हैं...तो सोचने पर मजबूर हो जाते हैं कि सैकड़ों साल पहले भी ओडिशा के लोग विज्ञान में इतने आगे थे।
साथियों,
ओडिशा, पर्यटन की दृष्टि से अपार संभावनाओं की धरती है। हमें इन संभावनाओं को धरातल पर उतारने के लिए कई आयामों में काम करना है। आप देख रहे हैं, आज ओडिशा के साथ-साथ देश में भी ऐसी सरकार है जो ओडिशा की धरोहरों का, उसकी पहचान का सम्मान करती है। आपने देखा होगा, पिछले साल हमारे यहाँ G-20 का सम्मेलन हुआ था। हमने G-20 के दौरान इतने सारे देशों के राष्ट्राध्यक्षों और राजनयिकों के सामने...सूर्यमंदिर की ही भव्य तस्वीर को प्रस्तुत किया था। मुझे खुशी है कि महाप्रभु जगन्नाथ मंदिर परिसर के सभी चार द्वार खुल चुके हैं। मंदिर का रत्न भंडार भी खोल दिया गया है।
साथियों,
हमें ओडिशा की हर पहचान को दुनिया को बताने के लिए भी और भी इनोवेटिव कदम उठाने हैं। जैसे....हम बाली जात्रा को और पॉपुलर बनाने के लिए बाली जात्रा दिवस घोषित कर सकते हैं, उसका अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रचार कर सकते हैं। हम ओडिशी नृत्य जैसी कलाओं के लिए ओडिशी दिवस मनाने की शुरुआत कर सकते हैं। विभिन्न आदिवासी धरोहरों को सेलिब्रेट करने के लिए भी नई परम्पराएँ शुरू की जा सकती हैं। इसके लिए स्कूल और कॉलेजों में विशेष आयोजन किए जा सकते हैं। इससे लोगों में जागरूकता आएगी, यहाँ पर्यटन और लघु उद्योगों से जुड़े अवसर बढ़ेंगे। कुछ ही दिनों बाद प्रवासी भारतीय सम्मेलन भी, विश्व भर के लोग इस बार ओडिशा में, भुवनेश्वर में आने वाले हैं। प्रवासी भारतीय दिवस पहली बार ओडिशा में हो रहा है। ये सम्मेलन भी ओडिशा के लिए बहुत बड़ा अवसर बनने वाला है।
साथियों,
कई जगह देखा गया है बदलते समय के साथ, लोग अपनी मातृभाषा और संस्कृति को भी भूल जाते हैं। लेकिन मैंने देखा है...उड़िया समाज, चाहे जहां भी रहे, अपनी संस्कृति, अपनी भाषा...अपने पर्व-त्योहारों को लेकर हमेशा से बहुत उत्साहित रहा है। मातृभाषा और संस्कृति की शक्ति कैसे हमें अपनी जमीन से जोड़े रखती है...ये मैंने कुछ दिन पहले ही दक्षिण अमेरिका के देश गयाना में भी देखा। करीब दो सौ साल पहले भारत से सैकड़ों मजदूर गए...लेकिन वो अपने साथ रामचरित मानस ले गए...राम का नाम ले गए...इससे आज भी उनका नाता भारत भूमि से जुड़ा हुआ है। अपनी विरासत को इसी तरह सहेज कर रखते हुए जब विकास होता है...तो उसका लाभ हर किसी तक पहुंचता है। इसी तरह हम ओडिशा को भी नई ऊचाई पर पहुंचा सकते हैं।
साथियों,
आज के आधुनिक युग में हमें आधुनिक बदलावों को आत्मसात भी करना है, और अपनी जड़ों को भी मजबूत बनाना है। ओडिशा पर्व जैसे आयोजन इसका एक माध्यम बन सकते हैं। मैं चाहूँगा, आने वाले वर्षों में इस आयोजन का और ज्यादा विस्तार हो, ये पर्व केवल दिल्ली तक सीमित न रहे। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ें, स्कूल कॉलेजों का participation भी बढ़े, हमें इसके लिए प्रयास करने चाहिए। दिल्ली में बाकी राज्यों के लोग भी यहाँ आयें, ओडिशा को और करीबी से जानें, ये भी जरूरी है। मुझे भरोसा है, आने वाले समय में इस पर्व के रंग ओडिशा और देश के कोने-कोने तक पहुंचेंगे, ये जनभागीदारी का एक बहुत बड़ा प्रभावी मंच बनेगा। इसी भावना के साथ, मैं एक बार फिर आप सभी को बधाई देता हूं।