छोटा उदेपुर आदिवासी सम्मेलन में मुख्यमंत्री की घोषणा : नये छोटा उदेपुर जिले का गठन होगा

 

26 जनवरी से कार्यरत होगा गुजरात का 28वां जिला

 

आदिवासी-दलित-गरीब-महिला-युवाओं को ठगने वाले च्पंजेज् में फंसना नहीं : मुख्यमंत्री

 

आदिवासियों को जंगल की जमीन के वन अधिकार पत्र देने में गुजरात देश भर में अव्वल

 

आदिवासी क्षेत्र में सिंचाई सुविधा के दो महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट मंजूर

मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को छोटा उदेपुर में आयोजित आदिवासी महासम्मेलन में गुजरात के नये जिले के रूप में छोटा उदेपुर जिले के गठन की घोषणा की। राज्य का यह 28वां जिला आगामी 26 जनवरी, 2013 से कार्यरत होगा।

उन्होंने कहा कि नये छोटा उदेपुर जिले में कौन-सी तहसीलों और गांवों का समावेश हो सकता है, इस प्रशासनिक प्रक्रिया के लिए मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है। गिर-सोमनाथ के रूप में राज्य के 27वें जिले के गठन की घोषणा के पश्चात छोटा उदेपुर जिला गुजरात का 28वां जिला बनेगा। श्री मोदी ने कहा कि नये छोटा उदेपुर जिले के गठन के चलते जिला प्रशासनिक तंत्र का विकेन्द्रिकरण होने से जनता की सेवा के लिए प्रशासनिक प्रक्रिया और भी सरल और त्वरित बनेगी।

महासम्मेलन में मध्य गुजरात के वनवासी क्षेत्र में से विराट संख्या में आदिवासियों का सैलाब उमड़ पड़ा था। मेघराजा की मेहर से प्रसन्न आदिवासियों का अभिवादन करते हुए मुख्यमंत्री ने अंबाजी से उमरगाम तक 12 जिलों में फैले समग्र आदिवासी पट्टे में समग्र आदिवासी क्षेत्र के लिए 4,000 करोड़ रुपये के दो महत्वाकांक्षी सिंचाई प्रोजेक्ट को अमल में लाने की घोषणा की। इसकी रूपरेखा में श्री मोदी ने कहा कि आदिवासी पहाड़ी वन विस्तार में निवास करते हैं, उन्हें बरसात के भरोसे छोडऩे के बजाय टेक्नोलॉजी के जरिए सिंचाई का जल खेतों तक पहुंचाने की यह पूरी योजना है।

इसके तहत पहले प्रोजेक्ट में अंबाजी से उमरगाम तक के आदिवासी पूर्वी पट्टे में 500 करोड़ रुपये की लागत से 1064 नये चेकडैम, 1200 नये सामूहिक कूएं, 87 लिफ्ट इरिगेशन योजनाएं और 120 तालाबों का निर्माण शामिल है, जिससे आदिवासी किसानों को अतिरिक्त 13,000 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी।

दूसरा सिंचाई प्रोजेक्ट समुद्र में बह जाने वाले नर्मदा की बाढ़ के अतिरिक्त जल को रोक कर वड़ोदरा, पंचमहाल और दाहोद जिले के सिंचाई से वंचित आदिवासी किसानों के खेतों में पानी पहुंचाने के लिए 3500 करोड़ रुपये की लागत से शुरू किया जाएगा। इसके तहत 663 किमी. लंबी पाइपलाइन बिछाई जाएगी, जिसके जरिए नर्मदा की बाढ़ का पानी सिंचाई के लिए वहन किया जाएगा। इससे 75,000 हेक्टेयर आदिवासी क्षेत्रों में खेती के लिए सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी।

आदिवासी महासम्मेलन में आदिवासियों को जंगल की जमीन के वन अधिकार पत्रों का वितरण करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि समूचे देश में सर्वाधिक वन अधिकार पत्र आदिवासियों को देने वाला गुजरात प्रथम राज्य है।

गरीब कल्याण मेले के लाभार्थियों को भी सरकारी लाभ-सहायता के साधनों का वितरण करते हुए उन्होंने कहा कि, अब गरीबों-दलितों-पिछड़े वर्गों-आदिवासियों की आंखों में धूल झोंक कर धोखा देने वालों के च्पंजेज् में दलित, गरीब और वंचित फंसने वाले नहीं हैं। लिहाजा, मध्यम वर्ग के वोट बैंक को हथियाने के लिए प्रलोभन के रूप में कागजी वचन देने की धोखाधड़ी की जा रही है। लेकिन गुजरात का मध्यम वर्ग भी इस पंजे की पकड़ में आने वाला नहीं है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ठगाई करने वालों को आदिवासी बखूबी पहचान गए हैं और इसलिए ही इस सरकार पर भरोसा रखकर वे विकास में शामिल हो गए हैं, यह बात हमारी विरोधी पार्टी के गले में फांस की तरह चूभ रही है। उन्होंने कहा कि इतनी विशाल संख्या में सरकार की योजना का लाभ उठाने और समझने के लिए आदिवासी उमड़ पड़े हैं, यह बताता है कि गुजरात की इस सरकार पर आदिवासियों को कितना ज्यादा भरोसा है।

श्री मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने गुजरात के गरीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) जीवन यापन करने वाले 0-16 स्तर के सभी गरीबों को 16 लाख आवास आवंटित कर दिए हैं। और इस गरीब कल्याण मेले में 17-20 पॉइन्ट के बीपीएल परिवारों को अतिरिक्त 6 लाख आवास-भूखंड और निर्माण सहायता के लिए पहली किस्त की प्रति यूनिट 21,000 रुपये की रकम देने का अभियान चलाया है।

आदिवासियों की पेयजल सुविधा संबंधित राज्य सरकार के कामकाज की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 5900 गांवों और 11900 मोहल्लों को पीने का शुद्घ पानी पहुंचाया गया है। आज आदिवासियों के घरों में नल कनेक्शन की दर 76 फीसदी तक पहुंच गई है, जो 10 वर्ष पूर्व महज 4 फीसदी ही थी। उन्होंने कहा कि डेढ़ लाख झुग्गियों का विद्युतीकरण किया गया है, 3000 तालाबों को गहरा किया गया है और 13000 चेकडैमों का निर्माण किया गया है।

आदिवासियों के खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए सिंचाई की योजना पर अब तक 1225 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं और 8.75 लाख हेक्टेयर आदिवासी क्षेत्र में सिंचाई की सुविधा प्रदान की है।

श्री मोदी ने कहा कि बरसात ने जब गुजरात से मुंह फेर लिया था तब अकाल की पीड़ा को समझने के बजाय राजनैतिक रोटी सेंकने वाले लोगों ने मिठाईयां बांटी थी, क्योंकि उन्होंने सोचा था कि यदि अकाल पड़ेगा तो मोदी-सरकार बदनाम हो जाएगी। लेकिन मेघराजा ने पर्याप्त बारिश की मेहर बरसाकर उन लोगों को माकूल जवाब दे दिया।

उन्होंने कहा कि वनबंधु कल्याण पैकेज में आदिवासी क्षेत्रों में रहने वाले वनबंधुओं के सर्वांगीण कल्याण के लिए 40,000 करोड़ रुपये की योजना क्रियान्वित की जाएगी। आदिजाति विकास और वन मंत्री मंगूभाई पटेल ने कहा कि मुख्यमंत्री के नेतृत्व में समग्र गुजरात और आदिवासी समाज का अभूतपूर्व विकास हुआ है। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने स्वतंत्रता के लिए बलिदान देने वाले पाल-चितरिया, मानगढ़ और जांबुघोड़ा के गुमनाम आदिजाति शहीदों को इतिहास में स्थान दिया है।

जिला सह प्रभारी और विधि राज्य मंत्री प्रदीपसिंहजी जाडेजा ने कहा कि गुजरात सरकार ने सैटेलाइट टेक्नोलॉजी का उपयोग कर और बायसेग के माध्यम से देश में सबसे ज्यादा जंगल की जमीन के जुताई के अधिकार आदिवासियों को दिए हैं।

आदिजाति कल्याण राज्य मंत्री जशवंतसिंहजी भाभोर ने कहा कि आज आदिवासी बंधुओं को 9365 एकड़ जंगल की जमीन के अधिकार पत्र दिये गए हैं।

सांसद रामसिंह राठवा एवं विधायक गुलसिंहजी एवं अभेसिंह तड़वी ने रोष व्यक्त करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार की आदिवासी-गरीब विरोधी नीतियों ने वनबंधुओं को अब तक वंचित ही रखा है।

कार्यक्रम में संसदीय सचिव योगेशभाई पटेल, जिला पंचायत अध्यक्ष सुधाबेन परमार, विधायकगण, विविध संप्रदायों के संत, महंत, गुरुजन, जिला एवं शहर के पदाधिकारी-अधिकारी और विशाल तादाद में आदिवासी समुदाय मौजूद था।

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November 22, 2024

गुटेन आबेन्ड

स्टटगार्ड की न्यूज 9 ग्लोबल समिट में आए सभी साथियों को मेरा नमस्कार!

मिनिस्टर विन्फ़्रीड, कैबिनेट में मेरे सहयोगी ज्योतिरादित्य सिंधिया और इस समिट में शामिल हो रहे देवियों और सज्जनों!

Indo-German Partnership में आज एक नया अध्याय जुड़ रहा है। भारत के टीवी-9 ने फ़ाउ एफ बे Stuttgart, और BADEN-WÜRTTEMBERG के साथ जर्मनी में ये समिट आयोजित की है। मुझे खुशी है कि भारत का एक मीडिया समूह आज के इनफार्मेशन युग में जर्मनी और जर्मन लोगों के साथ कनेक्ट करने का प्रयास कर रहा है। इससे भारत के लोगों को भी जर्मनी और जर्मनी के लोगों को समझने का एक प्लेटफार्म मिलेगा। मुझे इस बात की भी खुशी है की न्यूज़-9 इंग्लिश न्यूज़ चैनल भी लॉन्च किया जा रहा है।

साथियों,

इस समिट की थीम India-Germany: A Roadmap for Sustainable Growth है। और ये थीम भी दोनों ही देशों की Responsible Partnership की प्रतीक है। बीते दो दिनों में आप सभी ने Economic Issues के साथ-साथ Sports और Entertainment से जुड़े मुद्दों पर भी बहुत सकारात्मक बातचीत की है।

साथियों,

यूरोप…Geo Political Relations और Trade and Investment…दोनों के लिहाज से भारत के लिए एक Important Strategic Region है। और Germany हमारे Most Important Partners में से एक है। 2024 में Indo-German Strategic Partnership के 25 साल पूरे हुए हैं। और ये वर्ष, इस पार्टनरशिप के लिए ऐतिहासिक है, विशेष रहा है। पिछले महीने ही चांसलर शोल्ज़ अपनी तीसरी भारत यात्रा पर थे। 12 वर्षों बाद दिल्ली में Asia-Pacific Conference of the German Businesses का आयोजन हुआ। इसमें जर्मनी ने फोकस ऑन इंडिया डॉक्यूमेंट रिलीज़ किया। यही नहीं, स्किल्ड लेबर स्ट्रेटेजी फॉर इंडिया उसे भी रिलीज़ किया गया। जर्मनी द्वारा निकाली गई ये पहली कंट्री स्पेसिफिक स्ट्रेटेजी है।

साथियों,

भारत-जर्मनी Strategic Partnership को भले ही 25 वर्ष हुए हों, लेकिन हमारा आत्मीय रिश्ता शताब्दियों पुराना है। यूरोप की पहली Sanskrit Grammer ये Books को बनाने वाले शख्स एक जर्मन थे। दो German Merchants के कारण जर्मनी यूरोप का पहला ऐसा देश बना, जहां तमिल और तेलुगू में किताबें छपीं। आज जर्मनी में करीब 3 लाख भारतीय लोग रहते हैं। भारत के 50 हजार छात्र German Universities में पढ़ते हैं, और ये यहां पढ़ने वाले Foreign Students का सबसे बड़ा समूह भी है। भारत-जर्मनी रिश्तों का एक और पहलू भारत में नजर आता है। आज भारत में 1800 से ज्यादा जर्मन कंपनियां काम कर रही हैं। इन कंपनियों ने पिछले 3-4 साल में 15 बिलियन डॉलर का निवेश भी किया है। दोनों देशों के बीच आज करीब 34 बिलियन डॉलर्स का Bilateral Trade होता है। मुझे विश्वास है, आने वाले सालों में ये ट्रेड औऱ भी ज्यादा बढ़ेगा। मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं, क्योंकि बीते कुछ सालों में भारत और जर्मनी की आपसी Partnership लगातार सशक्त हुई है।

साथियों,

आज भारत दुनिया की fastest-growing large economy है। दुनिया का हर देश, विकास के लिए भारत के साथ साझेदारी करना चाहता है। जर्मनी का Focus on India डॉक्यूमेंट भी इसका बहुत बड़ा उदाहरण है। इस डॉक्यूमेंट से पता चलता है कि कैसे आज पूरी दुनिया भारत की Strategic Importance को Acknowledge कर रही है। दुनिया की सोच में आए इस परिवर्तन के पीछे भारत में पिछले 10 साल से चल रहे Reform, Perform, Transform के मंत्र की बड़ी भूमिका रही है। भारत ने हर क्षेत्र, हर सेक्टर में नई पॉलिसीज बनाईं। 21वीं सदी में तेज ग्रोथ के लिए खुद को तैयार किया। हमने रेड टेप खत्म करके Ease of Doing Business में सुधार किया। भारत ने तीस हजार से ज्यादा कॉम्प्लायेंस खत्म किए, भारत ने बैंकों को मजबूत किया, ताकि विकास के लिए Timely और Affordable Capital मिल जाए। हमने जीएसटी की Efficient व्यवस्था लाकर Complicated Tax System को बदला, सरल किया। हमने देश में Progressive और Stable Policy Making Environment बनाया, ताकि हमारे बिजनेस आगे बढ़ सकें। आज भारत में एक ऐसी मजबूत नींव तैयार हुई है, जिस पर विकसित भारत की भव्य इमारत का निर्माण होगा। और जर्मनी इसमें भारत का एक भरोसेमंद पार्टनर रहेगा।

साथियों,

जर्मनी की विकास यात्रा में मैन्यूफैक्चरिंग औऱ इंजीनियरिंग का बहुत महत्व रहा है। भारत भी आज दुनिया का बड़ा मैन्यूफैक्चरिंग हब बनने की तरफ आगे बढ़ रहा है। Make in India से जुड़ने वाले Manufacturers को भारत आज production-linked incentives देता है। और मुझे आपको ये बताते हुए खुशी है कि हमारे Manufacturing Landscape में एक बहुत बड़ा परिवर्तन हुआ है। आज मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग में भारत दुनिया के अग्रणी देशों में से एक है। आज भारत दुनिया का सबसे बड़ा टू-व्हीलर मैन्युफैक्चरर है। दूसरा सबसे बड़ा स्टील एंड सीमेंट मैन्युफैक्चरर है, और चौथा सबसे बड़ा फोर व्हीलर मैन्युफैक्चरर है। भारत की सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री भी बहुत जल्द दुनिया में अपना परचम लहराने वाली है। ये इसलिए हुआ, क्योंकि बीते कुछ सालों में हमारी सरकार ने Infrastructure Improvement, Logistics Cost Reduction, Ease of Doing Business और Stable Governance के लिए लगातार पॉलिसीज बनाई हैं, नए निर्णय लिए हैं। किसी भी देश के तेज विकास के लिए जरूरी है कि हम Physical, Social और Digital Infrastructure पर Investment बढ़ाएं। भारत में इन तीनों Fronts पर Infrastructure Creation का काम बहुत तेजी से हो रहा है। Digital Technology पर हमारे Investment और Innovation का प्रभाव आज दुनिया देख रही है। भारत दुनिया के सबसे अनोखे Digital Public Infrastructure वाला देश है।

साथियों,

आज भारत में बहुत सारी German Companies हैं। मैं इन कंपनियों को निवेश और बढ़ाने के लिए आमंत्रित करता हूं। बहुत सारी जर्मन कंपनियां ऐसी हैं, जिन्होंने अब तक भारत में अपना बेस नहीं बनाया है। मैं उन्हें भी भारत आने का आमंत्रण देता हूं। और जैसा कि मैंने दिल्ली की Asia Pacific Conference of German companies में भी कहा था, भारत की प्रगति के साथ जुड़ने का- यही समय है, सही समय है। India का Dynamism..Germany के Precision से मिले...Germany की Engineering, India की Innovation से जुड़े, ये हम सभी का प्रयास होना चाहिए। दुनिया की एक Ancient Civilization के रूप में हमने हमेशा से विश्व भर से आए लोगों का स्वागत किया है, उन्हें अपने देश का हिस्सा बनाया है। मैं आपको दुनिया के समृद्ध भविष्य के निर्माण में सहयोगी बनने के लिए आमंत्रित करता हूँ।

Thank you.

दान्के !