देश के नीति निर्धारक शासकों ने निर्णय लेने का आत्मविश्वास और सामर्थ्य खो दिया है
आर्थिक संकटों के विषचक्र में से बाहर निकला जा सकता है, सही दिशा और नीति की जरूरत है: मुख्यमंत्री
गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने जी बिजनस बेस्ट मार्केट एनालिस्ट अवार्ड प्रदान करते करते हुए कहा कि वर्तमान आर्थिक संकटों के लिए देश के नीति निर्धारक शासकों ने आत्मविश्वास और निर्णय लेने का सामर्थ्य खो दिया है। जी मीडिया कॉर्पोरेशन और जी बिजनस टीवी ग्रुप चैनल के तत्वावधान में आज देर शाम अहमदाबाद में इंडियाज बेस्ट मार्केट एनालिस्ट अवार्ड 2013 का आयोजन किया गया। मुख्यमंत्री ने जी बैजनस के स्पेशल रिकग्नेशन अवार्ड, आनंद महिन्द्रा (महिन्द्रा ग्रुप), राजेश अदाणी (अदाणी ग्रुप), परिमल नथवाणी (रिलायंस ग्रुप), राकेश के. पटेल (निरमा ग्रुप) को प्रदान किये। आज की परिस्थितियों में शेयर बाजार की हालत ठीक नहीं है। इसका उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि देश की आर्थिक स्थिति वास्तव में चिंताजनक है, मगर गम्भीर चिंता यह है कि देश के निति निर्धारक शासकों ने आत्मविश्वास खो दिया है और वह निर्णय लेने का सामर्थ्य भी खो चुके हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि 9 वर्ष से जो निर्णय या दिशा तय नहीं कर सके वह सवा सौ करोड़ के देश को किस स्थिति में ले जाना चाहते हैं? केन्द्र सरकार और रुपये की कीमत के अवमुल्यन की प्रतियोगिता चल रही है। अटलजी की एनडीए सरकार ने देश का शासन छोड़ा था तब रुपये की कीमत डॉलर के सामने 48.4 थी जो आज 60 पर पहुंची है। आजादी के वक्त डॉलर और रुपये की कीमत समान थी और 1200 साल की गुलामी के बाद देश जब आजाद हुआ तब भी ब्रिटिश सरकार के पास भारत की लेनदारी शेष थी मतलब कि भारत कर्जदार नहीं बल्कि लेनदार था। नेहरु सरकार ने प्रथम पंचवर्षीय योजना के लिए अमेरिका और विश्व बैंक का ऋण लेने के लिए रुपये के अवमूल्यन को पहली बार स्वीकार किया था। इसका उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए आयात अगर बढ़ता रहे तो आर्थिक स्थिति कमजोर हो जाएगी। आज भारत में निर्यात और आयात का असंतुलन देखते हुए करंट डेफिसिट अकाउंट बढ़ता ही रहा है। एफडीआई और एफआईआई का निवेश घट रहा है, क्योंकि विदेशी पूंजी निवेशकों का भरोसा घट रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्टॉक मार्केट में इंस्टीट्युशनल इंवेस्टमेंट में इंटरेस्ट में उतार चढ़ाव का बहुत विपरीत असर पड़ता है। देश के वित्त मंत्री सोना नहीं खरीदने की सलाह देते हैं मगर उनके पास आम आदमी की बचत के निवेश का कोई विकल्प नहीं है। देश में 18 लाख करोड़ का सोना है परंतु रियल एस्टेट और गोल्ड में निवेश सिवाय के विषचक्र में देश के नागरिकों की पूंजी फंस गई है। देश में बचत करने का स्वभाव तो हर भारतीय में है परंतु मध्यम वर्ग और निम्न आय वर्ग जैसे समुदाय रियल एस्टेट या गोल्ड में निवेश करने में समर्थ नहीं है क्योंकि महंगाई में ही सभी बचत खत्म हो जाती है। और थोड़ी बहुत बचत के अवसर शेयर मार्केट की अस्थिरता के कारण नहीं हो पाते। देश की आर्थिक स्थिति अनिश्चित और चिंताजनक बन गई है। उन्होंने कहा कि आज पेट्रोलियम और गोल्ड के बाद इलेक्ट्रॉनिक कम्पॉनेंट के आयात में काफी बड़ा विदेशी धन खर्च होता है परंतु मेन्युफेक्चरिंग सेक्टर और तैयार पावर स्टेशनों के लिए कोयले के ईधन के अभाव में 20 हजार मेगावाट बिजली का उत्पादन तक नहीं हो पाता। केन्द्र की विफल आर्थिक नीति ने कई संकट पैदा किए हैं। 21 वीं सदी की भारत की आर्थिक विकास की नींव अटलजी सरकार ने डाली थी मगर युपीए के नौ साल के शासन इसे आगे बढ़ाने में देश के नीति निर्धारक विफल रहे हैं। देश के अर्थशास्त्री माने जाने वाले प्रधानमंत्री कहते हैं कि पैसा पेड़ पर नही लगता परंतु गुजरात का एक्स्पीरिएंस कहता है कि पैसा किसानों की मेहनत से खेत में और मजदूरों के पसीने से उत्पादन क्षेत्र में बढ़ता है। गुजरात ने साबित किया है कि निराशा का कोई वातावरण नहीं है। आजादी केसमय देश आजाद हुआ और आर्थिक आजादी की ओर हम विशवास से आगे बढ सकते हैं।जी मीडिया कॉर्पोरेशन के प्रमुख सुभाष चन्द्र गोयल ने मुख्यमंत्री का गर्मजोशी से स्वागत किया। समारोह में उद्योग व्यापार जगत के कई अग्रणी, फायनेंस सेक्टर और स्टॉक मार्केट के पदाधिकारी मौजूद रहे।