भारतीय चिकित्सा पद्धति के लिए विश्वसनीयता खड़ी करें: श्री मोदी
सफल चिकित्सक के व्यवसाय को अर्थप्रधान व्यवस्था के तराजु से तौला नहीं जा सकता
रोगी को सिर्फ पीड़ामुक्त करना ही चिकित्सा व्यवसाय की सफलता नहीं है बल्कि इसकी संवेदना में है
मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज नेशनल मेडिको ऑर्गेनाइजेशन द्वारा आयोजित NMOCON 2013 का शुभारम्भ करते हुए कहा कि चिकित्सक की सफलता उसकी सम्पदा के आधार पर नहीं बल्कि रोगी को रोगमुक्त करने की संवेदना में है। सफल चिकित्सक को सम्पदा के तराजु से नहीं बल्कि संवेदना से समझना चाहिए। चिकित्सक की रोगी के प्रति सेवा और नयी जिन्दगी देने की प्रतिबद्धता ही संवेदना का साक्षात्कार करवाती है और नयी ऊर्जा देती है। विभिन्न भारतीय चिकित्सा विज्ञान शिक्षा की शाखाओं के बारे में हमें पूरा विश्वास होना चाहिए। 1977 में गठित राष्ट्रवादी मानव सेवा को समर्पित चिकित्सकों की इस NMO राष्ट्रीय संस्था की आज से अहमदाबाद में दो दिन की इस चिकित्सा परिषद में 2200 से ज्यादा चिकित्सक उपस्थित थे।
स्वामी विवेकानन्द की 150 वीं जयंती के मौके पर विवेकानन्द की NMOCON 2013 आयोजित की गई है। इस पर आनन्द जताते हुए श्री मोदी ने कहा कि विवेकानन्दजी प्रवर्तमान परिस्थिति में बह जाने वाले व्यक्तित्व नहीं थे। हरेक क्षण में उनको संघर्ष करना पड़ा था। किसी भी स्थिति को सहजता से स्वीकार करने के बजाए उन्होंने प्रतिबद्धता से हवा का रुख बदलने के लिए संघर्ष किया था।चिकित्सक का सेवाकार्य दूसरों को जीवन देने की शक्ति का है। कोई भी चिकित्सक यह नहीं चाहता कि कोई रोगी जीवनभर रोगी बना रहे। सफल चिकित्सक की व्याख्या उनके पास मौजूद सम्पदा से नहीं बल्कि उन्होंने कितने लोगों को जीवनदान दिया है, उस पर होती है। एक रोगी को जीवनदान देने के लिए किस तरह खुद का जीवन खपाया उस पर सफल चिकित्सक की पहचान बनती है। उन्होंने कहा कि रोगी मात्र इंसान की सेवा नहीं है बल्कि NMO की राष्ट्र भावना को समर्पित चिकित्सक रोगी की सेवा में भारतभर की सेवा को आत्मसात करता है।
1962 के चीन युद्ध में भारत की पराजय की भूमिका पर दर्द व्यक्त करते हुए श्री मोदी ने कहा कि हमारी भारत माता की भूमि खोने की पीड़ा हम में संवेदना जगाती है। 150 वीं विवेकानन्द जयंती मनाने के अवसर पर विवेकानन्दजी का सपना सवा सौ वर्ष के बाद भी अधूरा है इसकी कितनी पीड़ा हमको है ? स्थिति बदले या ना बदले मगर विवेकानन्द का सपना पूरा ना होने का दर्द तो हम में होना ही चाहिए।
भारतमाता की पूजा करने के लिए 1897 में उन्होंने युवाओं का आह्वान किया था उसके बाद के 50 वर्ष में हिन्दुस्थान आजाद हुआ। आज की दम्भी धर्मनिरपेक्षता वाले परिबल विवेकानन्दजी के तत्कालीन पूज्य देवता छोड़कर मात्र भारत माता की भक्ति का आहवान का आंकलन किस प्रकार कर सकते हैं ? चिकित्सकों को चिकित्सा की शिक्षा प्राप्त करने में कितना संघर्ष करना पड़ता होगा, कितनी कठिन समस्याओं का सामना करना पड़ता होगा, इस पर चिंता जताते हुए श्री मोदी ने कहा कि जिस भावना और प्रेरणा से हमने सपने संजोए हैं उसे साकार करने के लिए पुरुषार्थ करने की ऊर्जा मिलती है। इसका आत्ममंथन करने का मुख्यमंत्री ने अनुरोध किया।
चिकित्सक बनने के लिए जो संघर्ष करना पड़ा और जिस तपस्या से गुजरना पड़ा उसे निरंतर याद रखते हुए मानव सेवा और समाज स्वास्थ्य की संवेदना रखने का अनुरोध करते हुए श्री मोदी ने कहा कि चिकित्सा व्यवसाय को आर्थिक पैमाने पर तौला नहीं जा सकता। शरीर के हिस्से को काटने या ऑपरेशन करने को रुपयों से तौला नहीं जा सकता। आम आदमी डॉक्टर को भगवान का स्वरूप मानता है। रोगी की जिन्दगी बचे तो कई लोगों के सपने साकार होंगे और कितनों की भावना पूरी होगी इसका ध्यान रखा जाना चाहिए।
इस अवसर पर NMO के राष्ट्रीय प्रमुख डॉ. पवन गुप्ता, राष्ट्रीय सचिव डॉ. सतीश मीढा ने अपने विचार रखे। प्रारम्भ में ऑर्गेनाइजेशन के सचिव डॉ. एमसी. पटेल ने स्वागत भाषण दिया। NMO गुजरात के प्रमुख डॉ. कमलेश उपाध्याय सहित कई पदाधिकारीगण, 2200 चिकित्सक, मेडिकल, डेंटल स्नातक, अनुस्नातक विद्यार्थी और चिकित्सक यहां उपस्थित रहे।