• सॉलिड वेस्ट जेनरेशन (SWG) में भारत विश्व रैंकिंग में सातवें स्थान पर है।

• भारत में SWG की वर्तमान दर 0.34 किलोग्राम प्रति व्यक्ति प्रति दिन है, जिसके 2025 तक बढ़कर 0.7 किलोग्राम प्रतिदिन होने की उम्मीद है।

• भारत 2030 तक 165 मिलियन टन कचरा उत्पन्न करेगा।

• दुनिया के महासागरों में 8 मिलियन टन प्लास्टिक कचरे में से, मेघना-ब्रह्मपुत्र-गंगा नदी प्रणाली 73 हजार टन के करीब डंप करती है, जिससे यह दुनिया में समुद्री प्लास्टिक कचरे में योगदान देने वाली छठी सबसे प्रदूषित नदी प्रणाली बन जाती है।

ये वेस्ट मैनेजमेंट के संबंध में भारत के कुछ चौंकाने वाले आंकड़े हैं।

भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। पीएम मोदी ने जोर देकर कहा है कि 'आत्मनिर्भर भारत' विजन, भारत को तेज समावेशी और टिकाऊ विकास की राह पर ले जाएगा। 'आत्मनिर्भर भारत' का उद्देश्य देश और उसके नागरिकों को 'आत्मनिर्भर बनाना है, और इसका विजन सस्टेनेबिलिटी में निहित है।

इसके अलावा, सर्कुलर इकोनॉमी अब भारत के लिए कोई विकल्प नहीं है। बढ़ती आबादी, शहरीकरण, पर्यावरणीय चुनौतियों और अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के साथ, एक सर्कुलर इकोनॉमी की ओर बढ़ना भारत के लिए अनिवार्य हो गया है। लेकिन यदि भारत सस्टेनेबिलिटी के सिद्धांत का पालन किए बिना बढ़ता है, तो ऐसी ग्रोथ काल्पनिक होगी, क्योंकि यह अस्थिर होगी। इसलिए, भारत के आर्थिक विकास को सर्कुलरिटी, वेस्ट और प्रदूषण को समाप्त करने, उत्पादों और सामग्रियों को प्रसारित करने (उनके उच्चतम मूल्य पर), और regenerating nature के सिद्धांतों के साथ जुड़ना चाहिए।

"भारत सर्कुलर इकोनॉमी को शहरी विकास के लिए एक अहम टूल बना रहा है।” प्रधानमंत्री मोदी, बजट के बाद वेबिनार भाषण, 2023

सर्कुलर इकोनॉमी, रिसोर्सेज के अधिकतम उपयोग या रीयूज को बढ़ावा देते हुए अपव्यय को कम करने/समाप्त करने पर केंद्रित एक आर्थिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है। यह उत्पादों और प्रक्रियाओं के समग्र दृष्टिकोण को अपनाने के महत्व पर जोर देता है। भारत को औद्योगिक उत्पादकता, प्रतिस्पर्धात्मकता और संसाधनों के कुशल उपयोग को बढ़ाने के लिए सर्कुलर इकोनॉमी के सिद्धांतों के साथ जुड़ी प्रथाओं को अपनाना चाहिए। एक बड़ी और तेजी से बढ़ती आबादी के साथ एक संसाधन-गहन अर्थव्यवस्था होने के नाते, भारत में सर्कुलर इकोनॉमी में वैश्विक नेता बनने की विशाल क्षमता है।

भारत द्वारा एक सर्कुलर इकोनॉमी मार्ग को अपनाने से पर्याप्त पर्यावरणीय लाभ और कंजेशन में कमी आ सकती है, जिससे प्रदूषण कम हो सकता है। यह, बदले में, आर्थिक विकास को उत्प्रेरित करने की क्षमता रखता है। ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने और जिम्मेदार खपत और उत्पादन के संबंध में सतत विकास लक्ष्यों को पूरा करने के भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (NDC) लक्ष्यों को देखते हुए एक सर्कुलर इकोनॉमी की ओर बढ़ना महत्वपूर्ण है। सर्कुलर इकोनॉमी प्रधानमंत्री मोदी द्वारा वैश्विक समुदाय के लिए प्रस्तावित मिशन लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट (LiFE) का एक प्रमुख स्तंभ भी है, जिसका उद्देश्य व्यक्तियों को पर्यावरण के अनुकूल टिकाऊ जीवन शैली अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है।

सतत विकास को प्राप्त करने में उत्पादक जिम्मेदारी और संसाधन दक्षता तक विस्तारित सर्कुलर इकोनॉमी के महत्व को वर्ष 2023 में G20 समिट में दिल्ली डिक्लेरेशन में रेखांकित किया गया था। इस महत्वपूर्ण घटना में संसाधन दक्षता और सर्कुलर इकोनॉमी उद्योग गठबंधन (RECEIC) का शुभारंभ देखा गया, जो पर्यावरण के अनुकूल अपशिष्ट प्रबंधन को बढ़ावा देने, 2030 तक अपशिष्ट उत्पादन को काफी कम करने और शून्य-अपशिष्ट पहल के महत्व पर जोर देने के लिए एक सामूहिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है।

मोदी सरकार देश को तेज गति के विकास पथ पर ले जाते हुए पर्यावरण अनुकूल, टिकाऊ आर्थिक नीति ढांचे के माध्यम से भारत को एक सर्कुलर इकोनॉमी की ओर बढ़ाने के लिए आंदोलन चला रही है। इसने कई नियमों को अधिसूचित किया है, जिसमें प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट , ई-वेस्ट मैनेजमेंट, कंस्ट्रक्शन और डेमोलिशन वेस्ट मैनेजमेंट पर नियम और एक सर्कुलर इकोनॉमी को बढ़ावा देने के लिए मेटल्स रीसाइक्लिंग पर नीति शामिल है।

सरकार के थिंक टैंक NITI आयोग ने सतत आर्थिक वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न पहलों की सिफारिश की है। एक रैखिक से एक सर्कुलर इकोनॉमी में भारत के बदलाव में तेजी लाने के लिए, NITI आयोग ने वेस्ट मैनेजमेंट में 11 फोकस क्षेत्रों की पहचान की है। फोकस क्षेत्रों में 11 nd-of-life products शामिल हैं, जो काफी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं या नए क्षेत्रों के रूप में उभर रहे हैं जिन्हें समग्र रूप से संबोधित किया जाना चाहिए। इस निकाय द्वारा एक संसाधन के रूप में कचरे का उपयोग करने से संबंधित चुनौतियों से निपटने और भारत में एक एडवांस रीसाइक्लिंग इंडस्ट्री विकसित करने के लिए एक कॉम्प्रिहेंसिव पॉलिसी फ्रेमवर्क विकसित करने के लिए ठोस कदम सुझाए गए हैं।

2014 में पीएम मोदी द्वारा स्वच्छ भारत मिशन-शहरी (SBM-U) के शुभारंभ के साथ नगरपालिका सॉलिड और लिक्विड वेस्ट में सर्कुलर इकोनॉमी एजेंडा के सिद्धांतों को एक महत्वपूर्ण प्रोत्साहन मिला है। मिशन तीन मौलिक सिद्धांतों या 3R (reduce, reuse, recycle) पर आधारित है। इसने उल्लेखनीय सफलता हासिल की है क्योंकि भारत ने अपनी सॉलिड वेस्ट ट्रीटमेंट कैपेसिटी को 2014 में 18% से बढ़ाकर 68% से अधिक कर दिया है। इस्पात उद्योग और अन्य क्षेत्रों में उत्पन्न फ्लाई ऐश और स्लैग के उपयोग में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है।

एक सर्कुलर इकोनॉमी में स्विच करने से उद्योग प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने, GDP में योगदान करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के कई फायदे और विशाल क्षमता हैं। 2050 तक, भारत की सर्कुलर इकोनॉमी 2 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। CII ने अपने 'नेशनल सर्कुलर इकोनॉमी फ्रेमवर्क' (NCEF) में कहा कि 2050 तक करीब 10 मिलियन नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है।

एक सर्कुलर इकोनॉमी में ट्रांजीशन के लिए मैक्रो-इकोनॉमिक स्तर की योजना बनाने और विभिन्न हितधारकों को एक साथ लाने की आवश्यकता होती है। मोदी सरकार का दृष्टिकोण स्पष्ट है: सर्कुलर इकोनॉमी समय की मांग है, और यह सर्कुलर इकोनॉमी के 7R को अपनाने की वकालत करती है, जिसमें Reduce, Reuse, Recycle, Redesign, Remanufacturer, Refurbish, and Repair शामिल हैं। इन सिद्धांतों को नए उद्यमों, बिजनेस पार्कों और इंडस्ट्रियल क्लस्टर्स के डिजाइन का मार्गदर्शन करना चाहिए। सर्कुलर इकोनॉमी के लिए एक स्टेबल और सपोर्टिव पॉलिसी इकोसिस्टम के साथ, भारत में क्लाइमेट चेंज के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करते हुए एक मैन्युफैक्चरिंग पावरहाउस के रूप में उभरने की क्षमता है।

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प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में दिल्ली का विकास
April 12, 2024

दिल्ली को राष्ट्रों के सम्मानित ध्वजों को फहराने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है: G20 समिट की मेजबानी के लिए दिल्ली की तैयारियों पर पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के पिछले दस वर्षों ने एक नए भारत के निर्माण की दिशा में काम शुरू किया है; गांव से शहर तक, पानी से बिजली तक, घर से स्वास्थ्य तक, शिक्षा से रोजगार तक, जाति से वर्ग तक - एक व्यापक योजना, जो हर दरवाजे तक विकास और समृद्धि ला रही है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, इस बदलावकारी दशक में, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा संचालित इस डेवलपमेंटल मोमेंटम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनकर उभरा है।

यह शहर, उस इंफ्रास्ट्रक्चर में बदलाव के केंद्र में रहा है जिसने पूरे देश को एक नया रूप दिया है। आज अटल सेतु, चिनाब ब्रिज, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और जोजिला टनल जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर के चमत्कार भारत के निरंतर विकसित होते परिदृश्य को दर्शाते हैं।

ट्रांसपोर्ट नेटवर्क को नया रूप देने, शहरी सुविधाओं को उन्नत करने और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, मोदी सरकार ने कई बदलावकारी पहल शुरू की हैं। रेलवे, हाईवेज से लेकर एयरपोर्ट्स तक, ये इनिशिएटिव, देश भर में इंक्लूजिव और सस्टेनेबल डेवलपमेंट को गति देने में महत्वपूर्ण रहे हैं।

मेट्रो रेल नेटवर्क के प्रभावशाली विस्तार ने भारत में शहरी आवागमन में क्रांति ला दी है। 2014 में मात्र 5 शहरों से, मेट्रो रेल नेटवर्क अब देश भर के 21 शहरों में सेवा प्रदान करता है - 2014 के 248 किलोमीटर से बढ़कर 2024 तक यह 945 किलोमीटर हो जाएगा, साथ ही 26 अतिरिक्त शहरों में 919 किलोमीटर लाइनें निर्माणाधीन हैं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में दिल्ली मेट्रो फेज-4 के दो नए कॉरिडोर; लाजपत नगर से साकेत जी-ब्लॉक और इंद्रलोक से इंद्रप्रस्थ को मंजूरी दी है। दोनों लाइनों की संयुक्त लंबाई 20 किलोमीटर से अधिक है और परियोजना की लागत 8,000 करोड़ रुपये से अधिक है (केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से फंडेड)। इंद्रलोक-इंद्रप्रस्थ लाइन हरियाणा के बहादुरगढ़ क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसके अतिरिक्त, दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) कॉरिडोर पर चलने वाली भारत की पहली नमो भारत ट्रेन; रीजनल कनेक्टिविटी बढ़ाने और इसके ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को उन्नत करने की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को और रेखांकित करती है।

इसके अलावा, भारतमाला परियोजना में लगभग 35,000 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग गलियारों के विकास के माध्यम से बेहतर लॉजिस्टिक्स दक्षता और कनेक्टिविटी की परिकल्पना की गई है। इस योजना के तहत 25 ग्रीनफील्ड हाई-स्पीड कॉरिडोर की योजना बनाई गई है, जिनमें से चार दिल्ली की बढ़ती इंफ्रास्ट्रक्चर क्षमता से जुड़ेंगे: दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे, दिल्ली-सहारनपुर-देहरादून एक्सप्रेसवे और शहरी विस्तार सड़क-II। दिल्ली के लिए स्वीकृत कुल परियोजना लंबाई 203 किलोमीटर है, जिसके लिए 18,000 करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया गया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार ने एयरपोर्ट्स की क्षमता बढ़ाने और भीड़भाड़ कम करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। IGI एयरपोर्ट दिल्ली देश का पहला ऐसा एयरपोर्ट बन गया है, जिसमें चार रनवे और एक एलिवेटेड टैक्सीवे है। हाल ही में विस्तारित अत्याधुनिक टर्मिनल 1 का भी उद्घाटन किया गया है। इसके अलावा, आगामी नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेवर) दिल्ली एयरपोर्ट की भीड़भाड़ कम करने में और योगदान देगा, जो सालाना लाखों यात्रियों को सेवा प्रदान करेगा।

इसके अलावा, नए संसद भवन के उद्घाटन ने शहर के स्वरूप में सभ्यतागत और आधुनिक दोनों तरह के अर्थ जोड़ दिए हैं। यशोभूमि (India International Convention & Expo Centre) के उद्घाटन ने दिल्ली को भारत का सबसे बड़ा सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र दिया है, जो मिश्रित उद्देश्य वाला पर्यटन अनुभव प्रदान करता है। यशोभूमि के साथ, विश्व स्तरीय सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र ‘भरत मंडपम’, दुनिया को भारत का दर्शन कराता है।

वेलफेयर की बात करें तो, मोदी सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनका लाभ अब तक विकास और प्रगति के हाशिये पर पड़े लोगों को मिला है। दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय रही है। इसी को हल करने के लिए, मोदी सरकार ने बलात्कार के लिए सजा की मात्रा बढ़ाकर आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 को मजबूत किया, जिसमें 12 वर्ष से कम उम्र की बच्ची के साथ बलात्कार के लिए मृत्युदंड भी शामिल है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2018 में एक अलग महिला सुरक्षा प्रभाग की स्थापना की। वन-स्टॉप सेंटर, सखी निवास, सेफ सिटी प्रोजेक्ट, निर्भया फंड, शी-बॉक्स, यौन अपराधों के लिए जांच ट्रैकिंग सिस्टम और Cri-MAC (Crime Multi-Agency Center) आदि महिला सुरक्षा के प्रति सरकार के अभियान में महत्वपूर्ण हैं।

इसके अलावा, स्वच्छ भारत मिशन, पीएम-उज्ज्वला योजना, पीएम-मातृ वंदना योजना और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ने भारत में नारी शक्ति को और सशक्त बनाया है।

जैसे-जैसे भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन रहा है, दिल्ली भी इस विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। आज दिल्ली में 13,000 से अधिक DPIIT-मान्यता प्राप्त स्टार्टअप काम कर रहे हैं, साथ ही सरकार PM MUDRA योजना के माध्यम से स्वरोजगार को बढ़ावा दे रही है, जिसके तहत वित्त वर्ष 2023-24 (26.01.2024 तक) के लिए 3,000 करोड़ रुपये से अधिक के 2.3 लाख से अधिक लोन स्वीकृत किए गए हैं।

पीएम-स्वनिधि, जो स्ट्रीट वेंडर्स को बिना किसी गारंटी के लोन मुहैया कराता है, दिल्ली में 1.67 लाख से ज़्यादा लाभार्थियों को मदद कर रहा है। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी के दौरान नए रोजगार के सृजन और रोजगार के नुकसान की भरपाई के लिए एंप्लॉयर्स को प्रोत्साहित करने के लिए 2020 में शुरू की गई आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के तहत, दिल्ली में 2.2 लाख से ज़्यादा एंप्लॉयी लाभान्वित हुए।

इसके अलावा, पीएम आवास योजना (शहरी) के तहत दिल्ली में लगभग 30,000 घरों को मंजूरी दी गई है और उनका निर्माण पूरा हो चुका है।

दिल्ली के लोगों के लिए वायु प्रदूषण एक सतत समस्या रही है। इस वास्तविकता को समझते हुए, केंद्र सरकार ने देश भर में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की रणनीति के रूप में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम शुरू किया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार के कार्यकाल ने दिल्ली में विभिन्न मोर्चों पर उल्लेखनीय बदलाव लाए हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट से लेकर गवर्नेंस रिफॉर्म्स तक, शिक्षा से लेकर रोजगार तक, सरकार की पहलों ने राजधानी शहर पर एक अमिट छाप छोड़ी है। जैसे-जैसे दिल्ली प्रोग्रेस और डेवलपमेंट के अपने सफर पर आगे बढ़ रही है, मोदी सरकार का योगदान आने वाले वर्षों में इसके भविष्य की दिशा को आकार देने के लिए तैयार है।