भारत दुनिया का सबसे बड़ा रिन्यूएबल एनर्जी विस्तार कार्यक्रम लागू कर रहा है, जिसका लक्ष्य कुल उत्पादन क्षमता को पांच गुना बढ़ाना है। प्रधानमंत्री मोदी ने 2030 तक 500 गीगावाट रिन्यूएबल एनर्जी कैपेसिटी स्थापित करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। इस लक्ष्य को हासिल करने में भारत के प्रचुर सोलर एनर्जी रिसोर्सेज और स्वदेशी टेक्नोलॉजी का महत्वपूर्ण योगदान मिल रहा है। साथ ही, यह पहल कार्बन उत्सर्जन को कम करने में भी मदद कर रही है। यह सब प्रधानमंत्री मोदी के आत्मनिर्भर भारत के विजन का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य भारत को एनर्जी के मामले में आत्मनिर्भर बनाना है, ताकि उसे अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए आयात पर निर्भर न रहना पड़े।

सोलर और विंड एनर्जी से बिजली उत्पादन को बढ़ावा देने से कोयला आधारित उत्पादन से दूरी बनाने में मदद मिल रही है। साथ ही, इलेक्ट्रिसिटी चार्ज्ड बैटरी का उपयोग, पेट्रोल और डीजल जैसे लिक्विड फ्यूल्स पर निर्भरता को कम कर रहा है। जीरो-कार्बन हाइड्रोजन में भारतीय उद्योग को कार्बन उत्सर्जन कम करने और आयातित ईंधन पर निर्भरता कम करने की क्षमता है। कुल मिलाकर ये प्रयास न केवल पर्यावरणीय दृष्टिकोण से लाभदायक हैं, बल्कि भारत को ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

नवंबर 2021 में ग्लासगो, यूके में आयोजित UN फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) के 26वें सेशन (COP26) में प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के क्लाइमेट एक्शन प्लान (CAP) को तेज करने की इच्छा जाहिर की थी। उन्होंने विश्व के सामने भारत के क्लाइमेट एक्शन प्लान के पांच प्रमुख बिंदुओं को प्रस्तुत किया, जिन्हें "पंचामृत" नाम दिया गया।

प्रधानमंत्री मोदी ने भारत के लिए पांच सूत्रीय लक्ष्य और 2070 तक नेट-जीरो कार्बन उत्सर्जन की प्रतिबद्धता के अलावा, एक सस्टेनेबल लाइफ स्टाइल अपनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया और ग्लोबल क्लीन एनर्जी कम्युनिटी द्वारा और अधिक साहसिक कदम उठाकर "पर्यावरण के लिए जीवनशैली" (LiFE) को एक ग्लोबल मिशन बनाने के विचार पर जोर दिया। सितंबर 2023 में G20 समिट के दौरान, नई दिल्ली डिक्लेरेशन में भारत की 'पर्यावरण के लिए जीवनशैली मिशन' (LiFE) पहल को लागू करने और यूनाइटेड नेशन सस्टेनेबल डेवलपमेंट लक्ष्यों (SDGs) को प्राप्त करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता व्यक्त की गई। इसी के साथ, "ग्रीन डेवलपमेंट पैक्ट" को अपनाकर G20 ने सस्टेनेबल और ग्रीन डेवलपमेंट के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को पुनः पुष्टि की है।

2015 में आयोजित COP21 में, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में "मिशन इनोवेशन" (MI) और "इंटरनेशनल सोलर अलायंस" की घोषणा की गई थी। उसी वर्ष उन्हें यूनाइटेड नेशन द्वारा "चैंपियंस ऑफ अर्थ अवार्ड 2018" से भी सम्मानित किया गया था। "मिशन इनोवेशन" शब्द की रचना स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ने की थी। यह 23 देशों और यूरोपियन कमीशन (यूरोपियन यूनियन की ओर से) की एक वैश्विक पहल है, जिसका उद्देश्य क्लीन एनर्जी क्रांति को तेज करना और पेरिस एग्रीमेंट के लक्ष्यों और नेट जीरो की राह पर आगे बढ़ना है। भारत इस पहल का एक संस्थापक सदस्य है। मिशन इनोवेशन के पहले चरण (2015-2020) की शुरुआत 30 नवंबर, 2015 को COP21 में ही की गई थी। इस चरण में भारत ने "स्मार्ट ग्रिड", "ऑफ-ग्रिड इलेक्ट्रिसिटी पहुंच" और "सस्टेनेबल बायो फ्यूल" जैसे तीन महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अग्रणी भूमिका निभाई और कई वर्कशॉप का आयोजन भी किया।

भारत में ग्रीन डेवलपमेंट को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार ने कई नीतिगत पहल की हैं, जैसे हाई एफिशिएंसी सोलर एनर्जी मॉड्यूल के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना, रिन्यूएबल खरीद दायित्व और कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग स्कीम। प्रमुख बायो फ्यूल उत्पादक और उपभोक्ता देशों - भारत, ब्राजील और अमेरिका द्वारा संयुक्त रूप से गठित ग्लोबल बायोफ्यूल एलायंस (GBA) 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन प्राप्त करने के भारत के लक्ष्य को हासिल करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। यह एलायंस, बायो फ्यूल रिसर्च अनुसंधान एवं डेवलपमेंट, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और मार्केट डेवलपमेंट में सहयोग को बढ़ावा देकर इस लक्ष्य को पूरा करने में सहायक होगा।

एनर्जी इंडिपेंडेंस आर्थिक रूप से लाभदायक है। इलेक्ट्रिक व्हीकल की ओर रुझान होने से 2047 तक कंज्यूमर्स को कुल मिलाकर 2.5 ट्रिलियन डॉलर की बचत हो सकती है।

भारत, क्लीन एनर्जी अपनाने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज गति से रिन्यूएबल एनर्जी कैपेसिटी बढ़ाकर और प्रधानमंत्री मोदी द्वारा COP26 में की गई "पंचामृत" घोषणा के महत्वाकांक्षी लक्ष्यों को पूरा करने की राह पर है। क्लाइमेट चेंज की वैश्विक चुनौती से निपटने में भारत सबसे आगे है। उसने 2030 तक उत्सर्जन तीव्रता को 2005 के स्तरों की तुलना में 33-35% कम करने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। पिछले नौ वर्षों में भारत ने क्लाइमेट चेंज के खिलाफ उल्लेखनीय प्रगति की है और 2030 पेरिस एग्रीमेंट के लक्ष्य से काफी पहले ही रिन्यूएबल सोर्सेज से 40% एनर्जी प्रोडक्शन का अपना लक्ष्य हासिल कर लिया है।

15 अगस्त 2021 को लाल किले की प्राचीर से अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में प्रधानमंत्री ने न केवल पारंपरिक रिन्यूएबल एनर्जी सोर्सेज जैसे सोलर और हाइड्रोइलेक्ट्रिक पर जोर दिया, बल्कि हाइड्रोजन एनर्जी में भी बड़ी प्रगति की घोषणा की। इस दिशा में भारत ने लागत-प्रतिस्पर्धी ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन को सक्षम बनाने के लिए नेशनल हाइड्रोजन एनर्जी मिशन भी शुरू किया है। क्लीन एनर्जी विकल्पों की ओर बढ़ते रुझान को और मजबूत बनाते हुए, भारत की एनर्जी-मिक्स स्ट्रेटेजी में मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी में वृद्धि, एनर्जी यूज दक्षता में सुधार और उत्पादन-आधारित प्रोत्साहनों सहित हाइड्रोजन को बढ़ावा देना शामिल है। प्रधानमंत्री 2G इथेनॉल पायलट, टॉपिकल रीजन के लिए कम्फर्ट क्लाइमेट बॉक्स, हाइड्रोजन वैली और हीटिंग तथा कूलिंग वर्चुअल रिपोजिटरी जैसी इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज पर भी ध्यान दे रहे हैं।

भारत, दुनिया के उन चुनिंदा देशों में से एक है जिसने कूलिंग जरूरतों को पूरा करने के लिए एक लॉन्ग-टर्म विजन (2017-18 से 2037-38 तक) के साथ एक कूलिंग एक्शन प्लान (CAP) तैयार किया है। CAP रेजिडेंशियल और कमर्शियल बिल्डिंग्स, कोल्ड चेन आदि से कूलिंग की मांग को कम करने के लिए संभावित कार्यों की पहचान करता है, जिसमें बिल्डिंग डिजाइन और टेक इनोवेशन के पहलुओं को शामिल किया गया है जो एनर्जी एफिशिएंसी से समझौता नहीं करते हैं।

प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत आज ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन में एक प्रमुख ग्लोबल लीडर के रूप में उभरने की अनूठी स्थिति में है। यह न केवल अपने प्रचुर रिन्यूएबल एनर्जी रिसोर्सेज और दुनिया में सबसे कम रीजनरेशन कॉस्ट में से एक होने के लाभों के कारण है, बल्कि इसकी रिसर्च और डेवलपमेंट (R&D) इकोसिस्टम और हाइड्रोजन प्रोडक्शन, ट्रांसपोर्ट, इलेक्ट्रोलाइज़ मैन्युफैक्चरिंग, सपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर, फ्यूल सेल EV, स्टोरेज और यूटिलाइजेशन जैसे क्षेत्रों में क्रॉस-कटिंग R&D के लिए डिज़ाइन किए गए ढांचे के कारण भी है।

अनुमान है कि 2047 तक भारत के बिजली उत्पादन में न्यूक्लियर सोर्सेज का योगदान लगभग 9% होगा। एटॉमिक एनर्जी डिपार्टमेंट का लक्ष्य 2030 तक 20 गीगावाट न्यूक्लियर एनर्जी जनरेशन कैपेसिटी हासिल करना है, जो एक महत्वपूर्ण उपलब्धि होगी और भारत को अमेरिका तथा फ्रांस के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा एटॉमिक एनर्जी उत्पादक बना देगा। इस तेजी से विकास का श्रेय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को जाता है, जिन्होंने आजादी के बाद पहली बार एक ही आदेश में दस रिएक्टरों को मंजूरी दी और जॉइंट वेंचर के तहत न्यूक्लियर इनस्टॉलेशन को विकसित करने की अनुमति दी। परिणामस्वरूप, आज भारत फंक्शनल रिएक्टरों की संख्या में दुनिया में छठा और अंडर कंस्ट्रक्शन रिएक्टरों को मिलाकर कुल रिएक्टरों की संख्या में दूसरा सबसे बड़ा देश है।

संसद द्वारा पारित अनुसंधान नेशनल रिसर्च फाउंडेशन (NRF) बिल, 2023, पूरे भारत के विश्वविद्यालयों, कॉलेजों, रिसर्च संस्थानों और रिसर्च एवं डेवलपमेंट लैब्स में रिसर्च और इनोवेशन की संस्कृति को बढ़ावा देगा। इसकी कुल अनुमानित लागत पांच वर्षों में 50,000 करोड़ रुपये है और इससे भारत में क्लीन एनर्जी रिसर्च और मिशन इनोवेशन को और गति मिलेगी। इसकी 70% तक फंडिंग गैर-सरकारी स्रोतों से आएगी।

140 करोड़ की आबादी के साथ, भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था को रफ़्तार देने के लिए भारी मात्रा में एनर्जी की आवश्यकता है। एक दशक पहले बिजली की कमी वाले देश से, भारत को एनर्जी में-आत्मनिर्भर बनाने के प्रयास 2014 से जारी हैं। सस्टेनेबल डेवलपमेंट लक्ष्यों को ध्यान में रखते हुए, भारत का पावर जनरेशन मिक्स तेजी से रिन्यूएबल एनर्जी की ओर बढ़ रहा है। आज, भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा रिन्यूएबल एनर्जी प्रोड्यूसर है, जिसकी स्थापित बिजली क्षमता का 40% (157.32 गीगावाट) नॉन-बायो फ्यूल सोर्सेज से आता है।

दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में, भारत 2047 तक क्लीन टेक्नोलॉजी के माध्यम से एनर्जी इंडिपेंडेंस हासिल कर सकता है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के "आत्मनिर्भर भारत" अभियान के तहत बड़े पैमाने पर रिन्यूएबल एनर्जी कैपेसिटी बढ़ाने से लेकर इलेक्ट्रिक व्हीकल को अपनाने तक कई कदम उठाए जा रहे हैं, जिससे आयात पर अरबों डॉलर की बचत होगी। क्लीन एनर्जी न केवल भारत के एनर्जी खर्च को कम करेगी बल्कि उसे मुद्रास्फीति से भी बचाएगी, क्योंकि रिन्यूएबल एनर्जी सोर्सेज, इलेक्ट्रिक व्हीकल बैटरी और हाइड्रोजन इंफ्रास्ट्रक्चर ऐसी कैपिटल एसेट्स हैं जिनकी लागत तेजी से घट रही है।

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प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में दिल्ली का विकास
April 12, 2024

दिल्ली को राष्ट्रों के सम्मानित ध्वजों को फहराने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है: G20 समिट की मेजबानी के लिए दिल्ली की तैयारियों पर पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के पिछले दस वर्षों ने एक नए भारत के निर्माण की दिशा में काम शुरू किया है; गांव से शहर तक, पानी से बिजली तक, घर से स्वास्थ्य तक, शिक्षा से रोजगार तक, जाति से वर्ग तक - एक व्यापक योजना, जो हर दरवाजे तक विकास और समृद्धि ला रही है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, इस बदलावकारी दशक में, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा संचालित इस डेवलपमेंटल मोमेंटम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनकर उभरा है।

यह शहर, उस इंफ्रास्ट्रक्चर में बदलाव के केंद्र में रहा है जिसने पूरे देश को एक नया रूप दिया है। आज अटल सेतु, चिनाब ब्रिज, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और जोजिला टनल जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर के चमत्कार भारत के निरंतर विकसित होते परिदृश्य को दर्शाते हैं।

ट्रांसपोर्ट नेटवर्क को नया रूप देने, शहरी सुविधाओं को उन्नत करने और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, मोदी सरकार ने कई बदलावकारी पहल शुरू की हैं। रेलवे, हाईवेज से लेकर एयरपोर्ट्स तक, ये इनिशिएटिव, देश भर में इंक्लूजिव और सस्टेनेबल डेवलपमेंट को गति देने में महत्वपूर्ण रहे हैं।

मेट्रो रेल नेटवर्क के प्रभावशाली विस्तार ने भारत में शहरी आवागमन में क्रांति ला दी है। 2014 में मात्र 5 शहरों से, मेट्रो रेल नेटवर्क अब देश भर के 21 शहरों में सेवा प्रदान करता है - 2014 के 248 किलोमीटर से बढ़कर 2024 तक यह 945 किलोमीटर हो जाएगा, साथ ही 26 अतिरिक्त शहरों में 919 किलोमीटर लाइनें निर्माणाधीन हैं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में दिल्ली मेट्रो फेज-4 के दो नए कॉरिडोर; लाजपत नगर से साकेत जी-ब्लॉक और इंद्रलोक से इंद्रप्रस्थ को मंजूरी दी है। दोनों लाइनों की संयुक्त लंबाई 20 किलोमीटर से अधिक है और परियोजना की लागत 8,000 करोड़ रुपये से अधिक है (केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से फंडेड)। इंद्रलोक-इंद्रप्रस्थ लाइन हरियाणा के बहादुरगढ़ क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसके अतिरिक्त, दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) कॉरिडोर पर चलने वाली भारत की पहली नमो भारत ट्रेन; रीजनल कनेक्टिविटी बढ़ाने और इसके ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को उन्नत करने की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को और रेखांकित करती है।

इसके अलावा, भारतमाला परियोजना में लगभग 35,000 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग गलियारों के विकास के माध्यम से बेहतर लॉजिस्टिक्स दक्षता और कनेक्टिविटी की परिकल्पना की गई है। इस योजना के तहत 25 ग्रीनफील्ड हाई-स्पीड कॉरिडोर की योजना बनाई गई है, जिनमें से चार दिल्ली की बढ़ती इंफ्रास्ट्रक्चर क्षमता से जुड़ेंगे: दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे, दिल्ली-सहारनपुर-देहरादून एक्सप्रेसवे और शहरी विस्तार सड़क-II। दिल्ली के लिए स्वीकृत कुल परियोजना लंबाई 203 किलोमीटर है, जिसके लिए 18,000 करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया गया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार ने एयरपोर्ट्स की क्षमता बढ़ाने और भीड़भाड़ कम करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। IGI एयरपोर्ट दिल्ली देश का पहला ऐसा एयरपोर्ट बन गया है, जिसमें चार रनवे और एक एलिवेटेड टैक्सीवे है। हाल ही में विस्तारित अत्याधुनिक टर्मिनल 1 का भी उद्घाटन किया गया है। इसके अलावा, आगामी नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेवर) दिल्ली एयरपोर्ट की भीड़भाड़ कम करने में और योगदान देगा, जो सालाना लाखों यात्रियों को सेवा प्रदान करेगा।

इसके अलावा, नए संसद भवन के उद्घाटन ने शहर के स्वरूप में सभ्यतागत और आधुनिक दोनों तरह के अर्थ जोड़ दिए हैं। यशोभूमि (India International Convention & Expo Centre) के उद्घाटन ने दिल्ली को भारत का सबसे बड़ा सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र दिया है, जो मिश्रित उद्देश्य वाला पर्यटन अनुभव प्रदान करता है। यशोभूमि के साथ, विश्व स्तरीय सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र ‘भरत मंडपम’, दुनिया को भारत का दर्शन कराता है।

वेलफेयर की बात करें तो, मोदी सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनका लाभ अब तक विकास और प्रगति के हाशिये पर पड़े लोगों को मिला है। दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय रही है। इसी को हल करने के लिए, मोदी सरकार ने बलात्कार के लिए सजा की मात्रा बढ़ाकर आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 को मजबूत किया, जिसमें 12 वर्ष से कम उम्र की बच्ची के साथ बलात्कार के लिए मृत्युदंड भी शामिल है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2018 में एक अलग महिला सुरक्षा प्रभाग की स्थापना की। वन-स्टॉप सेंटर, सखी निवास, सेफ सिटी प्रोजेक्ट, निर्भया फंड, शी-बॉक्स, यौन अपराधों के लिए जांच ट्रैकिंग सिस्टम और Cri-MAC (Crime Multi-Agency Center) आदि महिला सुरक्षा के प्रति सरकार के अभियान में महत्वपूर्ण हैं।

इसके अलावा, स्वच्छ भारत मिशन, पीएम-उज्ज्वला योजना, पीएम-मातृ वंदना योजना और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ने भारत में नारी शक्ति को और सशक्त बनाया है।

जैसे-जैसे भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन रहा है, दिल्ली भी इस विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। आज दिल्ली में 13,000 से अधिक DPIIT-मान्यता प्राप्त स्टार्टअप काम कर रहे हैं, साथ ही सरकार PM MUDRA योजना के माध्यम से स्वरोजगार को बढ़ावा दे रही है, जिसके तहत वित्त वर्ष 2023-24 (26.01.2024 तक) के लिए 3,000 करोड़ रुपये से अधिक के 2.3 लाख से अधिक लोन स्वीकृत किए गए हैं।

पीएम-स्वनिधि, जो स्ट्रीट वेंडर्स को बिना किसी गारंटी के लोन मुहैया कराता है, दिल्ली में 1.67 लाख से ज़्यादा लाभार्थियों को मदद कर रहा है। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी के दौरान नए रोजगार के सृजन और रोजगार के नुकसान की भरपाई के लिए एंप्लॉयर्स को प्रोत्साहित करने के लिए 2020 में शुरू की गई आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के तहत, दिल्ली में 2.2 लाख से ज़्यादा एंप्लॉयी लाभान्वित हुए।

इसके अलावा, पीएम आवास योजना (शहरी) के तहत दिल्ली में लगभग 30,000 घरों को मंजूरी दी गई है और उनका निर्माण पूरा हो चुका है।

दिल्ली के लोगों के लिए वायु प्रदूषण एक सतत समस्या रही है। इस वास्तविकता को समझते हुए, केंद्र सरकार ने देश भर में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की रणनीति के रूप में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम शुरू किया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार के कार्यकाल ने दिल्ली में विभिन्न मोर्चों पर उल्लेखनीय बदलाव लाए हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट से लेकर गवर्नेंस रिफॉर्म्स तक, शिक्षा से लेकर रोजगार तक, सरकार की पहलों ने राजधानी शहर पर एक अमिट छाप छोड़ी है। जैसे-जैसे दिल्ली प्रोग्रेस और डेवलपमेंट के अपने सफर पर आगे बढ़ रही है, मोदी सरकार का योगदान आने वाले वर्षों में इसके भविष्य की दिशा को आकार देने के लिए तैयार है।