सिख धर्म विभिन्न धर्मों के प्रति सहिष्णुता, समानता, सामाजिक न्याय और मानव सेवा को बढ़ावा देता है। इसकी मूल शिक्षाएं आध्यात्मिक भक्ति और ईश्वर के प्रति श्रद्धा पर बल देती हैं, साथ ही दैनिक जीवन में नम्रता, करुणा, ईमानदारी और दान का पालन करने पर जोर देती हैं। सिख गुरु, गुरु नानक देव जी, हमारे देश के कई मुद्दों को दूरदृष्टि से देख पाए थे और उन्होंने कट्टरवाद को रोकने, लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और पर्यावरण की रक्षा करने की वकालत की थी।

प्रधानमंत्री मोदी गुरु नानक जी की शिक्षाओं के सम्माननीय अनुयायी हैं। उन्होंने राष्ट्र के नाम अपने कई संबोधनों में इस बात को दोहराया है कि सिख परंपरा के सभी गुरुओं का योगदान अद्वितीय है और अगले 1000 वर्षों में भी इसकी बराबरी नहीं की जा सकती। अन्याय के खिलाफ संघर्ष और बलिदान का बेहतरीन उदाहरण गुरुओं के राष्ट्र की स्वतंत्रता के लिए किए गए त्यागों में साफ देखा जा सकता है।

प्रधानमंत्री मोदी के कार्यकाल में ही, स्वतंत्रता के बाद पहली बार, राष्ट्र को सिख समुदाय द्वारा किए गए विभिन्न प्रकार के बलिदानों और विभाजन के बाद राष्ट्र की गौरव को बनाए रखने में उनके अनगिनत योगदानों के बारे में अधिक जानकारी मिली। सिख गुरुओं के साहस और कर्तव्यनिष्ठा से प्रेरित होकर, उन्होंने इसे न्यू इंडिया की भावना में शामिल किया।

पिछले दशक में, प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सिख धर्म के मूल्यों को मनाने और बढ़ावा देने और सिख कल्याण को बढ़ाने के लिए कई उल्लेखनीय पहल की गई हैं। गुरु तेग बहादुर जी का 400वां प्रकाश पर्व, गुरु नानक देव जी का 550वां प्रकाश पर्व, और गुरु गोविंद सिंह जी का 350वां प्रकाश पर्व धूमधाम से मनाया गया। लंगर पर जीएसटी में छूट, करतारपुर साहिब कॉरिडोर का निर्माण, सुल्तानपुर लोधी को एक विरासत शहर बनाना, ब्रिटिश यूनिवर्सिटी में गुरु नानक देव जी के नाम पर एक चेयर स्थापित करना, और सिख तीर्थयात्रियों को पाकिस्तान यात्रा के लिए सुविधाएं प्रदान करना, ये सभी पहल सिख समुदाय के प्रति प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिबद्धता और सिख धर्म के मूल्यों को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों को दर्शाती हैं।

2019 के नवंबर में करतारपुर कॉरिडोर का उद्घाटन सिख समुदाय के लिए एक निर्णायक कदम साबित हुआ। इसने पाकिस्तान में स्थित गुरुद्वारा दरबार साहिब में भारतीय सिख तीर्थयात्रियों के लिए दर्शन को सहज बना दिया, जहां गुरु नानक देव जी ने अपने अंतिम वर्ष व्यतीत किए थे। इसके अलावा, ऐतिहासिक सिख स्थलों के विकास और संरक्षण को प्रधानमंत्री मोदी की सरकार द्वारा प्राथमिकता दी गई है। ऐसे ही एक परियोजना का उदाहरण है तख्त श्री हरमंदिर साहिब का जीर्णोद्धार, जिसे पटना साहिब गुरुद्वारा के नाम से भी जाना जाता है, जो सिखों के लिए अत्यंत पवित्र है।

1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों को न्याय दिलाने और उनके घावों को भरने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने महत्वपूर्ण पहल की हैं। उन्होंने एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया, 300 से अधिक मामलों को फिर से खोला और दोषियों को दंड दिलवाया। उन्होंने जलियांवाला बाग स्मारक को उसके पूर्व गौरव को लौटाने का आदेश दिया और 3,328 पीड़ित परिवारों को ₹5 लाख प्रति परिवार की वित्तीय सहायता प्रदान की। इसके अलावा, "नागरिकता संशोधन अधिनियम" के माध्यम से अफगानिस्तान और पाकिस्तान में उत्पीड़न का सामना करने वाले सिख भाई-बहनों को नागरिकता प्रदान करने का मार्ग प्रशस्त किया।

2022 में, मोदी सरकार ने 26 दिसंबर को वीर बाल दिवस के रूप में घोषित किया। यह वीरता और बलिदान के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है, खासकर गुरु गोबिंद सिंह जी के चार साहिबजादों की शहादत को याद करते हुए। यह दिन हर भारतीय को उनके साहस और भारत की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने के संकल्प की याद दिलाता है।

प्रवासी भारतीयों के राजनयिक विशेषज्ञ के रूप में, पीएम मोदी ने सिख प्रवासी समुदाय को भारत और उनके संबंधित देशों के बीच "सेतु-निर्माता" के रूप में भी शामिल किया है। भारत के लिए आर्थिक, वित्तीय और वैश्विक लाभों को आगे बढ़ाने के लिए उनका उपयोग करने की उनकी दूरदृष्टि निस्संदेह भारत को लाभान्वित करती है। अब अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, यूएई और ग्रीस में वीर बाल दिवस कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। वीर बाल दिवस अब वैश्विक स्तर पर मनाया जाता है। यह प्रधानमंत्री मोदी के निरंतर प्रयासों का ही नतीजा है कि भारतीय सिख प्रवासी समुदाय को अब विश्व संस्कृति में एक अनूठी शक्ति के रूप में अधिक महत्व दिया जाता है और भारत के ब्रांड एंबेसडर के रूप में सम्मानित किया जाता है।

उनके शासनकाल में, अफगानिस्तान से गुरु ग्रंथ साहिब की कई पवित्र प्रतियों को भारत लाया गया। इस दौरान राष्ट्र को काबुल से दिल्ली पहुंचे तीन स्वरूपों के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हुआ। सिख परंपरा "एक भारत, श्रेष्ठ भारत" का सर्वोत्तम उदाहरण है और प्रधानमंत्री मोदी के इस धर्म द्वारा संजोए मूल्यों के साथ घनिष्ठ संबंध की व्याख्या करती है। ऐसे में, यह स्वाभाविक है कि सबका कल्याण सुनिश्चित किया जाएगा।

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प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में दिल्ली का विकास
April 12, 2024

दिल्ली को राष्ट्रों के सम्मानित ध्वजों को फहराने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है: G20 समिट की मेजबानी के लिए दिल्ली की तैयारियों पर पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के पिछले दस वर्षों ने एक नए भारत के निर्माण की दिशा में काम शुरू किया है; गांव से शहर तक, पानी से बिजली तक, घर से स्वास्थ्य तक, शिक्षा से रोजगार तक, जाति से वर्ग तक - एक व्यापक योजना, जो हर दरवाजे तक विकास और समृद्धि ला रही है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, इस बदलावकारी दशक में, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा संचालित इस डेवलपमेंटल मोमेंटम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनकर उभरा है।

यह शहर, उस इंफ्रास्ट्रक्चर में बदलाव के केंद्र में रहा है जिसने पूरे देश को एक नया रूप दिया है। आज अटल सेतु, चिनाब ब्रिज, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और जोजिला टनल जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर के चमत्कार भारत के निरंतर विकसित होते परिदृश्य को दर्शाते हैं।

ट्रांसपोर्ट नेटवर्क को नया रूप देने, शहरी सुविधाओं को उन्नत करने और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, मोदी सरकार ने कई बदलावकारी पहल शुरू की हैं। रेलवे, हाईवेज से लेकर एयरपोर्ट्स तक, ये इनिशिएटिव, देश भर में इंक्लूजिव और सस्टेनेबल डेवलपमेंट को गति देने में महत्वपूर्ण रहे हैं।

मेट्रो रेल नेटवर्क के प्रभावशाली विस्तार ने भारत में शहरी आवागमन में क्रांति ला दी है। 2014 में मात्र 5 शहरों से, मेट्रो रेल नेटवर्क अब देश भर के 21 शहरों में सेवा प्रदान करता है - 2014 के 248 किलोमीटर से बढ़कर 2024 तक यह 945 किलोमीटर हो जाएगा, साथ ही 26 अतिरिक्त शहरों में 919 किलोमीटर लाइनें निर्माणाधीन हैं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में दिल्ली मेट्रो फेज-4 के दो नए कॉरिडोर; लाजपत नगर से साकेत जी-ब्लॉक और इंद्रलोक से इंद्रप्रस्थ को मंजूरी दी है। दोनों लाइनों की संयुक्त लंबाई 20 किलोमीटर से अधिक है और परियोजना की लागत 8,000 करोड़ रुपये से अधिक है (केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से फंडेड)। इंद्रलोक-इंद्रप्रस्थ लाइन हरियाणा के बहादुरगढ़ क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसके अतिरिक्त, दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) कॉरिडोर पर चलने वाली भारत की पहली नमो भारत ट्रेन; रीजनल कनेक्टिविटी बढ़ाने और इसके ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को उन्नत करने की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को और रेखांकित करती है।

इसके अलावा, भारतमाला परियोजना में लगभग 35,000 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग गलियारों के विकास के माध्यम से बेहतर लॉजिस्टिक्स दक्षता और कनेक्टिविटी की परिकल्पना की गई है। इस योजना के तहत 25 ग्रीनफील्ड हाई-स्पीड कॉरिडोर की योजना बनाई गई है, जिनमें से चार दिल्ली की बढ़ती इंफ्रास्ट्रक्चर क्षमता से जुड़ेंगे: दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे, दिल्ली-सहारनपुर-देहरादून एक्सप्रेसवे और शहरी विस्तार सड़क-II। दिल्ली के लिए स्वीकृत कुल परियोजना लंबाई 203 किलोमीटर है, जिसके लिए 18,000 करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया गया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार ने एयरपोर्ट्स की क्षमता बढ़ाने और भीड़भाड़ कम करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। IGI एयरपोर्ट दिल्ली देश का पहला ऐसा एयरपोर्ट बन गया है, जिसमें चार रनवे और एक एलिवेटेड टैक्सीवे है। हाल ही में विस्तारित अत्याधुनिक टर्मिनल 1 का भी उद्घाटन किया गया है। इसके अलावा, आगामी नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेवर) दिल्ली एयरपोर्ट की भीड़भाड़ कम करने में और योगदान देगा, जो सालाना लाखों यात्रियों को सेवा प्रदान करेगा।

इसके अलावा, नए संसद भवन के उद्घाटन ने शहर के स्वरूप में सभ्यतागत और आधुनिक दोनों तरह के अर्थ जोड़ दिए हैं। यशोभूमि (India International Convention & Expo Centre) के उद्घाटन ने दिल्ली को भारत का सबसे बड़ा सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र दिया है, जो मिश्रित उद्देश्य वाला पर्यटन अनुभव प्रदान करता है। यशोभूमि के साथ, विश्व स्तरीय सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र ‘भरत मंडपम’, दुनिया को भारत का दर्शन कराता है।

वेलफेयर की बात करें तो, मोदी सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनका लाभ अब तक विकास और प्रगति के हाशिये पर पड़े लोगों को मिला है। दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय रही है। इसी को हल करने के लिए, मोदी सरकार ने बलात्कार के लिए सजा की मात्रा बढ़ाकर आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 को मजबूत किया, जिसमें 12 वर्ष से कम उम्र की बच्ची के साथ बलात्कार के लिए मृत्युदंड भी शामिल है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2018 में एक अलग महिला सुरक्षा प्रभाग की स्थापना की। वन-स्टॉप सेंटर, सखी निवास, सेफ सिटी प्रोजेक्ट, निर्भया फंड, शी-बॉक्स, यौन अपराधों के लिए जांच ट्रैकिंग सिस्टम और Cri-MAC (Crime Multi-Agency Center) आदि महिला सुरक्षा के प्रति सरकार के अभियान में महत्वपूर्ण हैं।

इसके अलावा, स्वच्छ भारत मिशन, पीएम-उज्ज्वला योजना, पीएम-मातृ वंदना योजना और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ने भारत में नारी शक्ति को और सशक्त बनाया है।

जैसे-जैसे भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन रहा है, दिल्ली भी इस विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। आज दिल्ली में 13,000 से अधिक DPIIT-मान्यता प्राप्त स्टार्टअप काम कर रहे हैं, साथ ही सरकार PM MUDRA योजना के माध्यम से स्वरोजगार को बढ़ावा दे रही है, जिसके तहत वित्त वर्ष 2023-24 (26.01.2024 तक) के लिए 3,000 करोड़ रुपये से अधिक के 2.3 लाख से अधिक लोन स्वीकृत किए गए हैं।

पीएम-स्वनिधि, जो स्ट्रीट वेंडर्स को बिना किसी गारंटी के लोन मुहैया कराता है, दिल्ली में 1.67 लाख से ज़्यादा लाभार्थियों को मदद कर रहा है। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी के दौरान नए रोजगार के सृजन और रोजगार के नुकसान की भरपाई के लिए एंप्लॉयर्स को प्रोत्साहित करने के लिए 2020 में शुरू की गई आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के तहत, दिल्ली में 2.2 लाख से ज़्यादा एंप्लॉयी लाभान्वित हुए।

इसके अलावा, पीएम आवास योजना (शहरी) के तहत दिल्ली में लगभग 30,000 घरों को मंजूरी दी गई है और उनका निर्माण पूरा हो चुका है।

दिल्ली के लोगों के लिए वायु प्रदूषण एक सतत समस्या रही है। इस वास्तविकता को समझते हुए, केंद्र सरकार ने देश भर में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की रणनीति के रूप में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम शुरू किया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार के कार्यकाल ने दिल्ली में विभिन्न मोर्चों पर उल्लेखनीय बदलाव लाए हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट से लेकर गवर्नेंस रिफॉर्म्स तक, शिक्षा से लेकर रोजगार तक, सरकार की पहलों ने राजधानी शहर पर एक अमिट छाप छोड़ी है। जैसे-जैसे दिल्ली प्रोग्रेस और डेवलपमेंट के अपने सफर पर आगे बढ़ रही है, मोदी सरकार का योगदान आने वाले वर्षों में इसके भविष्य की दिशा को आकार देने के लिए तैयार है।