‘‘सबसे पहली ज़रूरत है ब्यूरोक्रेसी में बदलाव! सरकारें लोगों को नये अधिकार देने का बहुत शोर मचाती हैं, लेकिन हमारे संविधान ने हमें पहले से ही बहुत सारे अधिकार प्रदान किए हैं । हमें और अधिक एक्ट्स की नहीं, बल्कि एक्शन की ज़रूरत है ।’’

नरेन्‍द्र मोदी अपने एक्शन के लिए जाने जाते हैं ।उन्होने बार-बार ज़ोर दिया है कि सुशासन के लिए हमारे देश में निर्णायक फैसले लेने की सख्त ज़रूरत है ।पिछले दशक में हमने देखा कि कैसे केंद्र सरकार ने स़िर्फ नए एक्ट बनाने का काम किया, लेकिन इस पर कम ही ध्यान दिया कि एक्ट ज़मीनी स्तर पर ठोस कार्रवाई में तब्दील हुए कि नहीं।कानून एक लंबी प्रक्रिया है और जब तक नया एक्ट पारित होता है, तब तक ज़मीनी हकीकत काफ़ी बदल जाती है, नतीज़न वह बेअसर हो जाता है ।

लेकिन दुर्भाग्य से यूपीए सरकार का फोकस नए कानूनों को कानूनी जामा पहनाने पर रहा, वहीं भारत की ज़मीनी हकीकतों के बारे में कम ख़याल रखा गया ।

नरेन्‍द्र मोदी ने विभिन्न अवसरों पर लीक से हटकर सोच प्रदर्शित की, कि कैसे निर्णायक फैसले लेकर लोगों को स्पष्ट लाभ पहुंचाया जा सकता है।

जब नरेन्‍द्र मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में पदभार संभाला तो देखा कि स्कूल ड्रॉपआउट (स्कूल छोड़ने) की दर बहुत ऊंची थी। उन्होंने भी महसूस किया कि शिक्षा के महत्व के बारे में विद्यार्थियों और अभिभावकों को प्रेरित और प्रोत्साहित करने की ज़रूरत है ।  इसके साथ ही बड़ी संख्या में चलने वाले सरकारी स्कूलों के गुणवत्ता मूल्यांकन की भी ज़रूरत महसूस की गई । ऐसी स्थिति में बहुस्तरीय प्रयास किए गए जिससे गुजरात में शिक्षा के क्षेत्र में जबर्दस्त बदलाव देखने को मिला ।

उन्होंने “शाला प्रवेशोत्सव” का एक अनोखा विचार सोचा, जिसमें सभी सरकारी अधिकारी विद्यालयों के पुनः खुलने से पहले गांवों में जाकर बच्चों को स्कूल जाने के लिए प्रेरित करेंगे ताकि ज्यादा-से-ज्यादा बच्चे स्कूल में अपना नामांकन करायें। तपती गर्मी के बावज़ूद सभी सरकारी अधिकारियों ने दूरदराज़ के गांवों में जाकर शाला प्रवेशोत्सव में भाग लिया एवं यह सुनिश्चित किया कि बच्चे उत्सवी माहौल में विद्यालय जाना शुरु करें। विद्यालयों में बालिकाओं की ज़्यादा ड्रॉपआउट दर का विश्लेषण करने पर पता चला कि विद्यालयों में शौचालयों की कमी इसका मुख्य कारण है। इसके बाद गुजरात के सभी विद्यालयों में बालिकाओं के लिए शौचालय बनाये गए।

नरेन्‍द्र मोदी ने विद्यालयों में गुणवत्ता मूल्यांकन का अभिनव कदम भी उठाया। हमारे देश में एक नियम बन गया है कि विद्यालयों का विश्लेषण सिर्फ बुनियादी सुविधाओं, जैसे कक्षा की लंबाई-चौड़ाई, शौचालय और पेयजल सुविधा के पैमाने पर किया जाए। नरेंद्र मोदी ने एक कदम आगे बढ़ते हुए विद्यालय गुणवत्ता मूल्यांकन कार्यक्रम पेश किया जिसे गुजरात में गुणोत्सव कहा जाता है। हमारे देश में पहले ऐसा मूल्यांकन केवल बिजनेस स्कूलों में ही होता था।

नरेन्‍द्र मोदी की लीक से हटकर सोच कृषि क्षेत्र में भी बदलाव कारक के रूप में साबित हुई है ।हमारे देश की 55% आबादी कृषि से जुड़ी है , लेकिन पिछले दशक में इस क्षेत्र में 3% ही वृद्धि रही है ।वहीं गुजरात, जो कि कभी भी कृषि प्रधान प्रदेश नहीं रहा है, पिछले दशक में कृषि क्षेत्र में लगभग 11% की विकास दर दर्ज़ की है।विशाल बंजर ज़मीन और घटते जलस्तर के बावज़ूद गुजरात ने कृषि क्षेत्र में भारीकाया पलट किया है ।इस तरह एकबार फिर नरेन्‍द्र मोदी के अनोखे कदमों ने बदलाव की छाप छोडी है ।

इस संबंध में सबसे महत्वपूर्ण पहल है – ‘कृषि महोत्सव’ के रुप में कृषि सेवाओं का विस्तार। इन महोत्सवों के माध्यम से सरकार ने सुनिश्चित किया कि राज्य के हर ज़िले में किसानों को वैज्ञानिक प्रशिक्षण व मार्गदर्शन प्रदान किया जाए। उन्हें बूँद आधारित सिंचाई (ड्रिप इरिगेशन) और अन्य नवोन्मेषी विधियां प्रयोग करने के लिए प्रेरित किया गया। उन्हें उर्वरकों तथा कीटनाशकों के वैज्ञानिक प्रयोग के बारे में भी बताया गया। एक तरफ़ तो इस देश के नागरिकों के पास अभी तक यूनिवर्सल हेल्थ कार्ड तक नहीं था, वहीं दूसरी तरफ़ नरेन्‍द्र मोदी ने ऐसी सुविधा शुरु की जिसमें किसान अपनी मिट्टी की नमूनों की जांच और उसे अपने सॉइल हेल्थकार्ड पर रेटेड करा सकें ताकि वे अपनी मिट्टी की विशेषताओं को समझ सकें। यही नहीं, उनके पशुधन की स्वास्थ्य समस्याओं का भी निदान और उपचार किया गया। उन्होने ये भी सुनिश्चित किया कि सिंचाई सुविधाएं तेज़ी से बढ़ें और इसके लिए भारी संख्या में चेक डैम्स तथा ऐसे ही ढांचों का निर्माण किया जाए।

नरेन्‍द्र मोदी के कार्यों से उर्जा क्षेत्र (एनर्जी सेक्टर) क्रांतिकारी बदलाव आया और उन्होंने नागरिकों को अबाधित 24-घंटे बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित की जो देश के कई दूसरे राज्यों में एक दूर का सपना है। जब उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में अपना कार्यभार संभाला तब गुजरात इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड भारी घाटे में चल रहा था और लोग काफी देर-देर तक बिजली नहीं रहने से परेशान रहते थे। यह श्रेय नरेन्‍द्र मोदी को जाता है जिन्होंने इस मुद्दे पर कुछ अलग करने की सोची। भारत में पीएसयू (सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम) का प्रदर्शन काफ़ी बुरा रहा है। वे या तो करदाताओं के धन पर चलते हैं या उनका नि‍जीकरण कर दिया जाता है। लेकिन नरेन्‍द्र मोदी ने तीसरा विकल्प चुना - पीएसयू को प्रोफेशनलाइज़ (पेशेवर) करने का। उन्होंने पीएसयू को कई खण्डों में बांटा और टीएंडडी संबंधी नुकसान को कम करने के लिए इस पर विशेष ध्यान दिया। बिजली चोरी पर सख्त जुर्माना लगाया गया और सभी ग्रामीण इलाकों में मीटर लगाए गए। आज यह कंपनी न केवल बेहतर मुनाफ़ा कमा रही है, बल्कि कई वर्षों से गुजरात की जनता को पॉवरकट का सामना नहीं करना पड़ा है।

इसी तरह यह देखा जाता है कि राज्य के किसानों को देश के अन्य हिस्सों की तरह रुक-रुककर बिजली मिलती थी। ऐसे में नरेन्‍द्र मोदी सरकार ज्योति ग्राम योजना लेकर लाई, जिसके अंतर्गत कृषि तथा घरेलू प्रयोग के लिए फीडरों को अलग-अलग किया गया। नतीज़न किसानों को उनके घरों में 24 घंटे और खेतों में विनियमित रूप से 8 घंटे बिजली आपूर्ति उपलब्ध करायी गई। केंद्र सरकार ने अन्य राज्यों से भी इस योजना को लागू करने की सिफ़ारिश की है।

Gujarat Empowers the Power Sector

यह उदाहरण दर्शाते हैं कि, कैसे मौज़ूदा तंत्र और प्रक्रियाओं को इस देश की जनता के फायदे के लिए सुधारा और नवोन्मेषित किया जा सकता है, वह भी नए कानून बनाए बगैर । इसके लिए चाहिए तो सिर्फ ज़मीनी स्तर पर चीज़ों को बदलने की दृढ इच्छा शक्ति और संकल्प ।एक्ट से ज़्यादा एक्शन की हुंकार होती है !

Explore More
140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी

लोकप्रिय भाषण

140 करोड़ देशवासियों का भाग्‍य बदलने के लिए हम कोई कोर-कसर नहीं छोड़ेंगे: स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी
PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII

Media Coverage

PLI, Make in India schemes attracting foreign investors to India: CII
NM on the go

Nm on the go

Always be the first to hear from the PM. Get the App Now!
...
प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में दिल्ली का विकास
April 12, 2024

दिल्ली को राष्ट्रों के सम्मानित ध्वजों को फहराने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है: G20 समिट की मेजबानी के लिए दिल्ली की तैयारियों पर पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार के पिछले दस वर्षों ने एक नए भारत के निर्माण की दिशा में काम शुरू किया है; गांव से शहर तक, पानी से बिजली तक, घर से स्वास्थ्य तक, शिक्षा से रोजगार तक, जाति से वर्ग तक - एक व्यापक योजना, जो हर दरवाजे तक विकास और समृद्धि ला रही है।

राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली, इस बदलावकारी दशक में, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा संचालित इस डेवलपमेंटल मोमेंटम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनकर उभरा है।

यह शहर, उस इंफ्रास्ट्रक्चर में बदलाव के केंद्र में रहा है जिसने पूरे देश को एक नया रूप दिया है। आज अटल सेतु, चिनाब ब्रिज, स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और जोजिला टनल जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर के चमत्कार भारत के निरंतर विकसित होते परिदृश्य को दर्शाते हैं।

ट्रांसपोर्ट नेटवर्क को नया रूप देने, शहरी सुविधाओं को उन्नत करने और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, मोदी सरकार ने कई बदलावकारी पहल शुरू की हैं। रेलवे, हाईवेज से लेकर एयरपोर्ट्स तक, ये इनिशिएटिव, देश भर में इंक्लूजिव और सस्टेनेबल डेवलपमेंट को गति देने में महत्वपूर्ण रहे हैं।

मेट्रो रेल नेटवर्क के प्रभावशाली विस्तार ने भारत में शहरी आवागमन में क्रांति ला दी है। 2014 में मात्र 5 शहरों से, मेट्रो रेल नेटवर्क अब देश भर के 21 शहरों में सेवा प्रदान करता है - 2014 के 248 किलोमीटर से बढ़कर 2024 तक यह 945 किलोमीटर हो जाएगा, साथ ही 26 अतिरिक्त शहरों में 919 किलोमीटर लाइनें निर्माणाधीन हैं।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल ही में दिल्ली मेट्रो फेज-4 के दो नए कॉरिडोर; लाजपत नगर से साकेत जी-ब्लॉक और इंद्रलोक से इंद्रप्रस्थ को मंजूरी दी है। दोनों लाइनों की संयुक्त लंबाई 20 किलोमीटर से अधिक है और परियोजना की लागत 8,000 करोड़ रुपये से अधिक है (केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से फंडेड)। इंद्रलोक-इंद्रप्रस्थ लाइन हरियाणा के बहादुरगढ़ क्षेत्र में कनेक्टिविटी बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसके अतिरिक्त, दिल्ली-मेरठ क्षेत्रीय रैपिड ट्रांजिट सिस्टम (RRTS) कॉरिडोर पर चलने वाली भारत की पहली नमो भारत ट्रेन; रीजनल कनेक्टिविटी बढ़ाने और इसके ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर को उन्नत करने की मोदी सरकार की प्रतिबद्धता को और रेखांकित करती है।

इसके अलावा, भारतमाला परियोजना में लगभग 35,000 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग गलियारों के विकास के माध्यम से बेहतर लॉजिस्टिक्स दक्षता और कनेक्टिविटी की परिकल्पना की गई है। इस योजना के तहत 25 ग्रीनफील्ड हाई-स्पीड कॉरिडोर की योजना बनाई गई है, जिनमें से चार दिल्ली की बढ़ती इंफ्रास्ट्रक्चर क्षमता से जुड़ेंगे: दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे, दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेसवे, दिल्ली-सहारनपुर-देहरादून एक्सप्रेसवे और शहरी विस्तार सड़क-II। दिल्ली के लिए स्वीकृत कुल परियोजना लंबाई 203 किलोमीटर है, जिसके लिए 18,000 करोड़ रुपये से अधिक का आवंटन किया गया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार ने एयरपोर्ट्स की क्षमता बढ़ाने और भीड़भाड़ कम करने के लिए लगातार प्रयास किए हैं। IGI एयरपोर्ट दिल्ली देश का पहला ऐसा एयरपोर्ट बन गया है, जिसमें चार रनवे और एक एलिवेटेड टैक्सीवे है। हाल ही में विस्तारित अत्याधुनिक टर्मिनल 1 का भी उद्घाटन किया गया है। इसके अलावा, आगामी नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट (जेवर) दिल्ली एयरपोर्ट की भीड़भाड़ कम करने में और योगदान देगा, जो सालाना लाखों यात्रियों को सेवा प्रदान करेगा।

इसके अलावा, नए संसद भवन के उद्घाटन ने शहर के स्वरूप में सभ्यतागत और आधुनिक दोनों तरह के अर्थ जोड़ दिए हैं। यशोभूमि (India International Convention & Expo Centre) के उद्घाटन ने दिल्ली को भारत का सबसे बड़ा सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र दिया है, जो मिश्रित उद्देश्य वाला पर्यटन अनुभव प्रदान करता है। यशोभूमि के साथ, विश्व स्तरीय सम्मेलन और प्रदर्शनी केंद्र ‘भरत मंडपम’, दुनिया को भारत का दर्शन कराता है।

वेलफेयर की बात करें तो, मोदी सरकार ने कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनका लाभ अब तक विकास और प्रगति के हाशिये पर पड़े लोगों को मिला है। दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा एक प्रमुख चिंता का विषय रही है। इसी को हल करने के लिए, मोदी सरकार ने बलात्कार के लिए सजा की मात्रा बढ़ाकर आपराधिक कानून (संशोधन) अधिनियम, 2013 को मजबूत किया, जिसमें 12 वर्ष से कम उम्र की बच्ची के साथ बलात्कार के लिए मृत्युदंड भी शामिल है।

केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 2018 में एक अलग महिला सुरक्षा प्रभाग की स्थापना की। वन-स्टॉप सेंटर, सखी निवास, सेफ सिटी प्रोजेक्ट, निर्भया फंड, शी-बॉक्स, यौन अपराधों के लिए जांच ट्रैकिंग सिस्टम और Cri-MAC (Crime Multi-Agency Center) आदि महिला सुरक्षा के प्रति सरकार के अभियान में महत्वपूर्ण हैं।

इसके अलावा, स्वच्छ भारत मिशन, पीएम-उज्ज्वला योजना, पीएम-मातृ वंदना योजना और बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ ने भारत में नारी शक्ति को और सशक्त बनाया है।

जैसे-जैसे भारत दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा स्टार्टअप इकोसिस्टम बन रहा है, दिल्ली भी इस विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है। आज दिल्ली में 13,000 से अधिक DPIIT-मान्यता प्राप्त स्टार्टअप काम कर रहे हैं, साथ ही सरकार PM MUDRA योजना के माध्यम से स्वरोजगार को बढ़ावा दे रही है, जिसके तहत वित्त वर्ष 2023-24 (26.01.2024 तक) के लिए 3,000 करोड़ रुपये से अधिक के 2.3 लाख से अधिक लोन स्वीकृत किए गए हैं।

पीएम-स्वनिधि, जो स्ट्रीट वेंडर्स को बिना किसी गारंटी के लोन मुहैया कराता है, दिल्ली में 1.67 लाख से ज़्यादा लाभार्थियों को मदद कर रहा है। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी के दौरान नए रोजगार के सृजन और रोजगार के नुकसान की भरपाई के लिए एंप्लॉयर्स को प्रोत्साहित करने के लिए 2020 में शुरू की गई आत्मनिर्भर भारत रोजगार योजना के तहत, दिल्ली में 2.2 लाख से ज़्यादा एंप्लॉयी लाभान्वित हुए।

इसके अलावा, पीएम आवास योजना (शहरी) के तहत दिल्ली में लगभग 30,000 घरों को मंजूरी दी गई है और उनका निर्माण पूरा हो चुका है।

दिल्ली के लोगों के लिए वायु प्रदूषण एक सतत समस्या रही है। इस वास्तविकता को समझते हुए, केंद्र सरकार ने देश भर में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की रणनीति के रूप में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम शुरू किया है।

पिछले एक दशक में मोदी सरकार के कार्यकाल ने दिल्ली में विभिन्न मोर्चों पर उल्लेखनीय बदलाव लाए हैं। इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट से लेकर गवर्नेंस रिफॉर्म्स तक, शिक्षा से लेकर रोजगार तक, सरकार की पहलों ने राजधानी शहर पर एक अमिट छाप छोड़ी है। जैसे-जैसे दिल्ली प्रोग्रेस और डेवलपमेंट के अपने सफर पर आगे बढ़ रही है, मोदी सरकार का योगदान आने वाले वर्षों में इसके भविष्य की दिशा को आकार देने के लिए तैयार है।