देश को एक्ट की नहीं, एक्शन की जरूरत – श्री मोदी
लीडर्स लेक्चर्स सीरिज में गुजरात के मुख्यमंत्री के विचार-चिंतन ने सभी को किया मंत्रमुग्ध
गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नई दिल्ली में आयोजित इंडिया टुडे कॉन्क्लेव के लीडर्स लेक्चर्स सिरीज में बड़ी संख्या में उपस्थित देश भर के विशेषज्ञों एवं अग्रणियों से आह्वान किया कि अब देश को एक्ट की नहीं बल्कि एक्शन की जरूरत है।
इस सन्दर्भ में उन्होंने गुजरात की विकास यात्रा की ज्वलंत उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति की जड़ों से जुड़ी प्राचीन विचारधारा का आधुनिक संसाधनों के साथ सफलतापूर्वक विनियोग कर गुजरात द्वारा हासिल की गई ये उपलब्धियां आज दुनिया के आकर्षण का केन्द्र बन गई है। मुख्यमंत्री श्री मोदी ने उपलब्ध संसाधनों का उपयोग कर विकास की नई राह बनाने का दृष्टांत पेश करते हुए कहा कि, उपलब्ध साधन-व्यवस्थाओं का महत्तम उपयोग कर, जो नहीं है उसका रोना रोने की मानसिकता से बाहर निकलें तो कुछ भी नामुमकिन नहीं है और गुजरात ने यह साबित कर दिखाया है कि सीमित संसाधनों के बावजूद विकास कर स्थिति को बदला जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्र के विकास में जनशक्ति के सामर्थ्य को जोड़ने से विकास की गति को वेग मिल सकता है। अपने अभिनव विचारों को साझा करते हुए श्री मोदी ने कहा कि वर्तमान रोजगार गारंटी योजना-मनरेगा के तहत गरीब-ग्रामीण परिवारों को जीवन निर्वाह के लिए काम के घंटों के मुताबिक वेतन दिया जाता है। इसके बजाय इसी योजना को विकास गारंटी योजना के रूप में प्रस्तुत कर प्रत्येक गरीब-ग्रामीण परिवार में ऐसा स्वाभिमान जगाया जा सकता है कि राष्ट्र के विकास में उनका भी हिस्सा है। उन्होंने विश्वास व्यक्त करते हुए कहा कि अपनी मानसिकता में बदलाव के बाद ही उज्जवल भविष्य का निर्माण हो सकता है।
“सरकार नहीं जनता-जनार्दन ही बदल सकती है राष्ट्र की सूरत”
मुख्यमंत्री ने स्वतंत्रता आंदोलन का सन्दर्भ पेश करते हुए कहा कि देश की आजादी के लिए अलग-अलग समय में अनेक व्यक्तियों ने त्याग-बलिदान दिया। लेकिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने जब आंदोलन का नेतृत्व किया तो उन्होंने देश के लोगों को विचार दिया कि, वे जो कोई भी कार्य कर रहे हैं वह राष्ट्रहित के लिए कर रहे हैं। इससे आजादी की जंग में एक नई समूह चेतना शक्ति उजागर हुई, जिसने भारत को गुलामी की जंजीरों से मुक्त कराया। उन्होंने भरोसा जताया कि सांप्रत समय में भी सरकारें नहीं बल्कि जनशक्ति ही राष्ट्र की सूरत बदल सकती है। श्री मोदी ने कहा कि गुजरात में इसका ज्वलंत उदाहरण सुजलाम सुफलाम कैनाल परियोजना है, जिसमें किसानों के साथ बैठक कर उन्हें ही विविध पहलुओं की जिम्मेदारी सौंप दी गई। नतीजतन सिर्फ दो वर्ष में ही कार्य संपन्न कर लिया गया। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक शासन जनता और सरकारों के बीच का तालमेल है लेकिन गुजरात में विकास संयोजित प्रयास का नतीजा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि गुजरात में बिजली की समस्या को लेकर आंदोलनरत किसानों को वास्तविक स्थिति से अवगत कराते हुए यह समझाया गया कि उन्हें बिजली नहीं वरन पानी की जरूरत है। आज गुजरात का किसान बिजली आधारित नहीं बल्कि सिंचाई-जल आधारित खेती की ओर सफलतापूर्वक अग्रसर है।
“जनता के लिए कार्य करने की जरूरत है, सरकारों के लिए नहीं”
सरकारों के लिए नहीं वरन जनता के लिए कार्य करने की जरूरत का सेवाभाव प्रशासनिक अधिकारियों और सत्ताधीशों के व्यवहार में लाने की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि, बिटिश शासनकाल के दौरान राजकर्ताओं को खुश करने और उनकी चापलूसी करने की खातिर अधिकारी जनता के साथ अन्याय करने से भी नहीं हिचकते थे। लेकिन अब आजाद भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में जब जनता ही सर्वोपरि है, ऐसे में आवश्यक है कि अधिकारी यह समझें कि उनके जन अपेक्षाओं की पूर्ति के लिए कार्यरत रहने की अनिवार्यता और जरूरत है।
गुजरात के प्रशासनिक तंत्र और अफसरशाही में यह बदलाव लाकर विकास को नया मोड़ दिया जा सकता है तो देश में भी क्यों नहीं? ऐसा सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्तमान सरकारें अपने शासनकाल में लोगों को दिये गए अधिकारों का ही गुणगान गाती है। लेकिन इस वास्तविकता को वे नजरअंदाज कर देते हैं कि भारत के संविधान ने उससे भी कहीं ज्यादा अधिकार जनता-जनार्दन को पहले ही दे रखे हैं। श्री मोदी ने जोर देकर कहा कि हमें अब एक्ट नहीं बल्कि एक्शन की जरूरत है। परिणामलक्षी अमलीकरण की आवश्यकता है।
“समस्याओं का निराकरण ही लोकतंत्र की महाशक्ति है”
जनसमस्याओं के निराकरण को लोकतंत्र की महाशक्ति बताते हुए मुख्यमंत्री श्री मोदी ने कहा कि गुजरात में तकनीक का जनसेवा में विनियोग करते हुए जनता की तकलीफों, समस्याओं के निराकरण के लिए स्वागत ऑनलाइन जनशिकायत निवारण कार्यक्रम में ग्रामीण स्तर पर भी आम आदमी को अपनी शिकायत उच्च स्तर पर तंत्रवाहकों के समक्ष पेश कर निराकरण लाने का अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि जनशक्ति तथा लोगों का सशक्तिकरण करके ही सरकार के विभागों की कार्यपद्धति में जवाबदेही का अहसास लाया जा सकता है।
गुजरात में बारकोटेड-डिजीटाइज्ड राशन कार्ड के उपयोग से सार्वजनिक वितरण प्रणाली में व्याप्त अनियमितताओं और क्षतियों को दूर करने का उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि इतना ही नहीं, राज्य की सीमाओं पर स्थित आरटीओ चेकपोस्ट के कर वसूली बुथों के प्रशासन में पारदर्शिता और कंप्यूटर तकनीक के इस्तेमाल से अन्य राज्यों की तुलना में गुजरात में २,००० करोड़ रुपये की कर वसूली वृद्धि दर्ज हुई है।
विचारों को संस्थागत स्वरूप में विकसित करें-नेतृत्वलक्षी या व्यक्तिलक्षी विचार लंबे समय तक कारगर नहीं होंगे
मुख्यमंत्री ने विचारों को संस्थागत स्वरूप में विकसित करने की आवश्यकता पर रोशनी डालते हुए कहा कि व्यक्तिलक्षी या नेतृत्वलक्षी विचार शायद अल्पकाल में सफलता प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन दीर्घकालिक विकास के लिए कारगर साबित नहीं होते। इस सन्दर्भ में उन्होंने गुजरात में वाइब्रेंट ग्लोबल समिट में देश के ५० फीसदी जीडीपी के एक ही छत के नीचे एकत्रित होने का उल्लेख करते हुए कहा कि, इस समिट की सफलता का श्रेय विचार को संस्थागत स्वरूप देने को जाता है। गुजरात में इन विचारों ने जो सफलता दिलाई, वह किसी अन्य दुनिया के विचार नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि डेमोग्राफिक डिविडेंड और डेमोक्रेसी के रूप में दो विशेष लाभ भारत को चीन के बरक्स दुनिया में प्रभुत्व हासिल करने के लिए मिले हैं। भारत का ६५ फीसदी युवाधन ३५ वर्ष से कम आयु का है, उसका सामर्थ्य और लोकतांत्रिक राष्ट्र की शक्ति भारत को विश्व के राष्ट्रों में अग्रिम बनाएगी। मुख्यमंत्री के इस भाषण के पूर्व गुजरात के वैश्विक विकास मॉडल की विविध कृषि, दूध उत्पादन, पशुपालन के विकास द्वारा ९ फीसदी की कृषि विकास दर की गाथा और क्रांतिकारी उपलब्धियों की लघु फिल्म भी प्रस्तुत की गई। इस प्रस्तुति में गुजरात के जलव्यवस्थापन, विद्युत व्यवस्थापन, सार्वजनिक वितरण प्रणाली, मानव संसाधन विकास और शिक्षा के क्षेत्र की प्रगति गाथाओं का समावेश किया गया था।
मुख्यमंत्री के प्रेरक संबोधन के बाद कॉन्क्लेव में उपस्थित श्रोताओं-विशेषज्ञों और श्री मोदी के बीच गुजरात और देश के विकास तथा सांप्रत विषयों से संबंधित रोचक सवाल-जवाब का सिलसिला चला।