“हम सिर्फ गंदगी साफ करें तो हमारे देश के गरीबों की जेब से कम से कम 6500 रूपये बचने वाले हैं। वह बीमारी से बचने वाला है। वह नौकरी पर नहीं जा पा रहा है, बेरोजगारी से बचने वाला है। ये गंदगी से मुक्ति गरीबों के स्वास्थ्य के लिए बड़ा महत्वपूर्ण काम है। इसलिए ये भारत माता की सेवा, गरीबों की सेवा है।” - नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान का उनके संसदीय क्षेत्र वाराणसी में बड़ा असर पड़ा है। जन प्रतिनिधि होने के नाते उन्होंने खुद दो बार स्वच्छता अभियान को अपने हाथों में लिया। पहली बार अस्सी घाट में गंदगी दूर करने के लिए श्रमदान में हिस्सा लेकर अभियान की शुरुआत की, तो दूसरी बार सुशासन दिवस के अवसर पर वाराणसी आए तो फिर से झाड़ू थामी और जगन्नाथ मंदिर पर सफाई अभियान में हिस्सा लिया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सक्रियता का ही असर है कि काशी को स्वच्छ और सुंदर बनाए रखने के लिए पिछले ढाई साल में काफी काम किए गए हैं। शहर में कूड़ा-कचरा प्रबंधन, साफ-सफाई के लिए 108.26 करोड़ की लागत से कई काम हो रहे हैं। शहर में डोर-टू-डोर कूड़ा कलेक्शन, सफाई और ढुलाई का काम आईएलएफएस और ईकोपाल कंपनी को दिया गया है। इस मद में तीन साल के लिए 45 करोड़ रुपए दिए गए हैं। नमामि गंगे के तहत आईएलएफएस सभी घाटों की सफाई का काम करेगा। इस पर प्रति वर्ष पांच करोड़ रुपए खर्च होगा।
एनटीपीसी ने सात करोड़ की लागत से वर्षों से लंबित करसडा कूड़ा निस्तारण संयंत्र में काम शुरू कर दिया है। अब यहां से बिक्री योग्य जैविक खाद का उत्पादन शुरू हो गया है। इसी तरह इंडियन ऑयल कारपोरेशन लिमिटेड ने भवनिया पोखरी में 10 मीट्रिक टन क्षमता के विकेंद्रीकृत कूड़ा से बिजली प्लांट शुरू कर दिया है। वाराणसी के नौ अन्य स्थानों पर 19 करोड़ रुपए की लागत से इसी तरह के संयंत्र का निर्माण किया जा रहा है।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत वाराणसी नगर निगम को रोड सफाई मशीन, कूड़ा ढुलाई गाड़ी, कम्पेक्टर, कलेक्शन बिन्स उपलब्ध कराए गए हैं। 153 सार्वजनिक शौचालयों और 50 से ज्यादा मूत्रालयों का निर्माण कराया गया है। साथ ही 2263 व्यक्तिगत शौचालयों का निर्माण पूरा किया गया और 8122 आवेदन को मंजूरी दी जा चुकी है।
जाहिर है स्वच्छता मिशन का इस ऐतिहासिक और धार्मिक नगरी पर बड़ा सकारात्मक असर पड़ रहा है। प्रधानमंत्री की पहल का आम लोगों ने भी स्वागत किया है।